क़ुली 'क़ुतुब' शाह संचयन/छबेली है सूरत हमारे सजन की

रचनाकार: क़ुली 'क़ुतुब' शाह

छबेली है सूरत हमारे सजन की
क्या पूतली उस कहूँ अप नयन की

तेरा हुस्न फुल बन थे नाजुक वीसे तो
ने वीसे तेरे अंगे छब कोई बन की

नयन तेरे दो फूल नरगिस थे ज़ेबा
नज़ाकत है तुज मुख में रंगीं चमन की

तेरे जुल्फ फंदाँ में दिल आशिकाँ के
रहे हैं सो आशिक़ हो पियो की नयन की