अक्षय ऊर्जा
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जैव ऊर्जा ऐसी ऊर्जा है जो मरे हुए जीव-जंतु, पेड़-पौधे, आदि के सड़ने पर उनके जीवाश्म से प्राप्त होती है। सूक्ष्म जीवों द्वारा किए गए कार्यों के कारण एक प्रकार के गैस का निर्माण हो जाता है; इस गैस को ही एकत्रित कर इसका उपयोग खाना बनाने विद्युत उत्पन्न करने आदि में करते हैं। भारत में गोबर से बनने वाले इस गैस को 'गोबर गैस' कहा जाता है।

जैव ऊर्जा का उत्पादन।

इसका उपयोग रसोई गैस के रूप में या विद्युत उत्पन्न करने आदि के लिए किया जा सकता है।

निर्माण

सम्पादन

किसी पेड़ पौधे या जीव के मरने के बाद पानी और हवा के कारण ज़मीन में वह सड़ने लगता है। इससे उसके अंदर से गैस निकलने लगता है। यही गैस जलने लायक होता है। इसे हम अपने से भी किसी गट्ठे में बहुत सारे पत्ते आदि डालकर उसमें निश्चित मात्रा में पानी मिला कर उसे बंद कर के उससे किसी टंकी को जोड़ कर उसमें से निकलने वाले गैस को उसमें रख सकते हैं। इसके बाद कुछ महीनों में उसमें से गैस निकलने लगता है और उस टंकी में जमा होने लगता है। इसके बाद जब गैस निकलना बंद हो जाए तो उसमें बचे हुए पदार्थ का उपयोग खाद के रूप में करते हैं और टंकी को रसोई गैस के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं या उसका उपयोग विद्युत निर्माण में भी कर सकते हैं।

यह केवल कचरा या ऐसे चीजों से निर्मित होता है, जिसका उपयोग हम नहीं करते हैं। अर्थात कोई खर्च नहीं लगता है। इसके अलावा हमें उच्च गुणवत्ता का खाद भी मिल जाता है। इसके उपयोग से वातावरण भी अच्छा रहता है।