प्राच्यवाद अंग्रेजी के 'ऑरियन्टलिज़्म' शब्द का हिंदी रूपांतरण है। यह पूर्वी विचारधारा है जिसके अंतर्गत पश्चिम द्वारा अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के दौरान स्वयं को केंद्र में रखकर अपनी श्रेष्ठता प्रमाणित करने के लिए पूर्वी संस्कृतियों को स्थायित्व प्रदान किया गया था।

विचारक सम्पादन

एडवर्ड सईद मानते हैं कि प्राच्यविदों द्वारा ज्ञान की अत्यंत परिष्कृत राजनीति के अंतर्गत युरोकेंद्रित पूर्वग्रहों का प्रयोग करके एशिया और मध्य-पूर्व की भ्रांत और रोमानी छवियाँ गढ़ी गयीं ताकि पश्चिम की औपनिवेशिक और साम्राज्यवादी महत्त्वाकांक्षाओं को तर्क प्रदान किया जा सके।[१]

संदर्भ सम्पादन