आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20/क्या भारत की GDP संवृद्धि को बढा-चढाकर दर्शाया जाता है?!नहीं!

हाल के दिनों में भारत के जीडीपी सकल घरेलू उत्पाद आकलन प्राक्कलन विधि में वर्ष 2015 के पश्चात परिवर्तन की शुद्धता के संबंध में विद्वानों और नागरिकों के मध्य वाद-विवाद एवं चर्चाएं हुई हैं इस अध्याय का उद्देश्य गलत आकलन के तर्कों की जांच करना और यदि कोई अशुद्धि हो तो उसका अनुमान लगाना है जीडीपी के गलत आकलन की जांच करने की आवश्यकता है जीडीपी का अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को निर्दिष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसका निवेशक पड़ता है।

जिसका निवेशक के मनोभाव पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है यदि आकलन के प्रमाण विश्वसनीय और सुदृढ़ हैं तो एक क्रांतिकारी आकलन विधि का अनुसरण किया जाना चाहिए समीक्षा के द्वारा किए गए परीक्षण जो प्रतिमान वर्ष 2011 के पश्चात भारत के बारे में 7% तक वृद्धि का गलत तरीके से करते हैं वहीं इसी समान अवधि में मॉडल में शामिल अन्य देशों की जीडीपी वृद्धि के बारे में भी गलत प्राक्कलन प्रस्तुत करते हैं उपयोग किए गए चारों (निर्यात आयात उद्योग के लिए वास्तविक ऋण आदि)का जीडीपी आकलन के साथ स्थित होता है अर्थात उनके मध्य संबंध सकारात्मक से नकारात्मक रूप में भिन्न होता है।

मानक प्राक्कलन विधि “समानांतर प्रवृत्ति” की एक मौलिक धारणा का निर्माण करती है और यह सांख्यिकीय जोखिमों के प्रति ज़िम्मेदार नहीं है छोड़े गए
मानक मॉडल द्वारा समाप्त करने हेतु समीक्षा द्वारा सामान्य को अपनाया गया है जिसमें देश के निश्चित प्रभावों देश के लिए विशिष्ट प्रभाव को भी शामिल किया गया है।
सामान्य कृत मॉडल जीडीपी से संबंधित गलत आकलन को लगभग पूर्ण रूप से समाप्त करता है और यह भी रेखांकित करता है कि सृजित मूल्य अधिक विश्वसनीय नहीं है निष्कर्ष समीक्षा में यह उल्लेख किया गया है कि भारत की जीडीपी का सटीक पैटर्न क्या है और समय के साथ विकसित होने से यह स्पष्ट रूप से आगे क्यों है।

हालांकि इस संबंध में और अधिक अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है समीक्षा में यह सुझाव दिया गया है कि सकल घरेलू उत्पाद जैसे स्तरीय साथियों के साथ इसके निष्कर्षों को युवा ही तरीके से समझा जाना चाहिए जैसा की समीक्षा के खंड 1 के अध्याय 2 में रेखांकित किया गया है उदाहरण के लिए सुष्मिता दर्शाते हैं कि नवीन फर्म का रीजन करने में 10% की वृद्धि के कारण जिला स्तर की जीडीपी वृद्धि में 8% की वृद्धि होती है जिला अस्तर की जीडीपी वृद्धि को देश अस्तर के जीडीपी वृद्धि के अनुरूप होना चाहिए सेवा क्षेत्र में नवीन फर्म का रीजन विनिर्माण अवसंरचना या कृषि क्षेत्र के सापेक्ष अत्यधिक है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र के सापेक्षिक महत्व के संबंध में वृहद तथ्यों के साथ संगत है भारत के संघीय संरचना के महत्व पर बल देते हुए समीक्षा ने 28 सदस्य आर्थिक सांख्यिकी संबंधी स्थाई समिति के गठन की सराहना की है।