आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20/थालीनॉमिक्स:भारत में भोजन की थाली का अर्थशास्त्र

इस अध्याय में यह स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार अर्थशास्त्र जनसाधारण के जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। अर्थशास्त्र को जन सामान्य व्यक्ति से संबंधित करने हेतु समीक्षा में थालीनॉमिक्स भारत में भोजन की एक थाली के अर्थशास्त्र को संदर्भित करता है। यह अध्याय एक थाली की वहनीयता को समय क्षेत्र और इसके घटकों के संबंध में समझाने का प्रयास करता है।

पृष्ठभूमि:विश्लेषण के लिए प्रयुक्त डेटा(Background :Data sed for the analysis):

  • निरामिष भोजी(शाकाहारी)और आमिषभोजी(मांसाहारी) दो प्रकार की थालियों का विश्लेषण किया गया है।
  • 25 राज्य संघ राज्य क्षेत्रों के लिए थाली की कीमतों का परिकलन किया गया है,जिसमें अन्न(चावल या गेहूं ),सब्जी (सब्जियां और अन्य घटक) दाल( दाल के साथ-साथ अन्य घटक) और साथ ही भोजन पकाने हेतु ईंधन की लागत को शामिल किया गया है।
  • थाली को तैयार करने हेतु आवश्यक घटकों की मात्रा राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा भारतीयों के लिए निर्धारित आहार संबंधी दिशा-निर्देशों पर आधारित है। समीक्षा में वर्ष 2015-16 को थाली की कीमतों की गतिकी में परिवर्तन के वर्ष के रूप में चिन्हित किया गया है।समीक्षा का अनुमान है कि यह इस वर्ष में किए गए विभिन्न सुधार उपायों के कारण हो सकता है,जैसे-प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान(PM-AASHA),प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड,ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार(NAM)राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम(NFSA).
  • थाली की वहनीयता का आकलन करने हेतु,दैनिक मजदूरी की तुलना थाली के मूल्य के साथ की गई है। (ASIडेटा का उपयोग दैनिक मजदूरी के लिए किया गया है।)

समीक्षा द्वारा किए गए प्रेक्षण(Observations made by the Survey)

सम्पादन

शाकाहारी थाली के निरपेक्ष मूल्य में 2015-16 से कमी हुई है,हालांकि वर्ष 2019 के दौरान इसमें वृद्धि हुई। यह संपूर्ण भारत में अर्थात उत्तर दक्षिण पूरब और पश्चिम क्षेत्रों में परिलक्षित हुआ है सवारी थाली की क्षमता में वर्ष 2608 से 2019 की अवधि में 29 और मांसाहारी थाली में 18% सुधार हुआ है पांच व्यक्तियों के परिवारों में शाकाहारी थाली और मांसाहारी थाली के लिए औसत मूल्य पर क्रमशः ₹10887 और ₹11787 प्रति वर्ष का लाभ प्राप्त हुआ इसे कुछ अपेक्षाएं वाले क्षेत्रों में प्रेषित किया गया है अखिल भारतीय स्तर पर लगभग सभी घटकों के मूल्य 2015 16 से अनुमानित मूल्यों की तुलना में कम रहे हैं स्थिति के मूल्यों में वृद्धि की प्रकृति होती है लेकिन इसमें वर्ष 2007 से 2015 कमी देखी गई है।

  • अखिल भारतीय स्तर पर खाली के मूल्यों की परिवर्तन अश्लीलता में कोई स्पष्ट दो ध्यान नहीं है पांच ही क्षेत्रवार और राज्यवार परिवर्तन शीलता में भी कोई स्पष्ट रुझान नहीं है।
  • थालीस्फीति की वाहन करने की क्षमता में कामगारों के वेतन की तुलना में सुधार होने से आम व्यक्ति के कल्याण में बेहतरी का संकेत मिलता है निष्कर्ष यह आर्थिक समीक्षा इसका उल्लेख करते हुए निष्कर्ष प्रस्तुत करता है कि भोजन केवल एक शब्द नहीं है बल्कि मानव पूंजी के विकास के लिए आवश्यक घटक है और इसलिए यह राष्ट्रीय संपदा निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण है।