कक्षा पांचवी का गणित/कितना बड़ा? कितना भारी?
गणित को समुदाय के साथ जोड़ना
सम्पादनबच्चों को अंधविश्वासों में डूबोने का प्रयास समाज में मौजूद स्वार्थी तबके और व्यवस्था मिलकर कर रहे हैं। इस काम में उनकी जितनी ऊर्जा लग रही है, वह हमें नजर नहीं आ रही।
इसके विपरीत बहुत थोड़ी ऊर्जा लगाकर अध्यापक आसानी से बच्चों को अंधविश्वासों से निकाल सकता है। थोड़ा धैर्य रखना है, बाल मन को समझना है जो मेलों में जाना चाहता है, वह गाना चाहता है जहां मौका मिले, लंगरों में, समूह में बैठकर खाना चाहता है। उसे रोकना नहीं है, जरूर जाने के लिए प्रेरित करना है पर थोड़ी दृष्टि देनी है ताकि वह वहां हो रहे पाखंडों, पाखंडियों और पीड़ितों को पहचान सके, अंधश्रद्धा पर सवालों के लिए उसके दिमाग़ में जगह पैदा करनी है।
इसके लिए स्पैशल वक्तव्य देने की भी जरूरत नहीं है। आप गणित पढ़ाते समय भी आसानी से कर सकते हैं ऐसे सवाल खुद बनाकर। सवाल बनाते समय आपको पता हो कि किस हद तक बात समाज को पच सकती है।
इसका उदाहरण नीचे दिया गया है।
एक स्टेटमेंट , दस सवाल।
एक साधू ने दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक लोगों से मांगकर 800 रुपया एकत्र किया।
1. उसने कितने घंटे काम किया?
2. साधू को प्रति घंटा कितने रुपये एकत्र हुए?
3. इस काम से किसी चीज़ का उत्पादन हुआ? मतलब कोई चीज़ पैदा हुई ?
4. आपके गांव में कितने ऐसे लोग होंगे जो इस तरह के अन-उत्पादक काम करते हैं?
5. जो रकम साधू ने इकट्ठी की, उसने उससे क्या किया होगा? अनुभव के आधार पर उत्तर दें।
6. एक मजदूर को एक दिन में कितने रुपये मिलते हैं?
7. मजदूर उन पैसों का क्या करता है?
8. अगर कोई मजदूर से काम करवाकर उसे समय पर पैसे न दे तो क्या होता है?
9. यदि इसी तरह कमाई करते रहें तो 1 दिन में 4 मजदूर ज्यादा रुपये कमाएंगे या 4 साधू?
10. गांव में जो लोग काम करके पैसा कमाते हैं, उस पैसे की सबसे ज्यादा बर्बादी कहां पर करते हैं?