कृष्ण काव्य में माधुर्य भक्ति के कवि/गंगाबाई का जीवन परिचय


बल्लभ सम्प्रदाय की कवियों में गंगाबाई का स्थान प्रमुख है। इनका का जन्म वि ० सं ० १६२८ में मथुरा के पास महावन नामक स्थान में हुआ था। गंगाबाई जाति से क्षत्राणी थीं। दो सौ बावन वैष्णवों की वार्ता में भी गंगाबाई क्षत्राणी का उल्लेख किया गया है। गंगाबाई गोस्वामी विट्ठलनाथ की शिष्या थीं। अतः अपने कीर्तन-पदों में इन्होंने अपने नाम के स्थान पर श्री विठ्ठल गिरिधरन शब्द को प्रयुक्त किया है किया है। 'दो सौ बावन वैष्णवों की वार्ता ' में दी गई इनकी वार्ता से पता चलता है की वि ० सं ० १७३६ में श्रीनाथ जी ने अपनी लीला में सदेह अंगीकार कर लिया।