कृष्ण काव्य में माधुर्य भक्ति के कवि/गोविन्दस्वामी का जीवन परिचय


गोविंदस्वामी की वल्लभ सम्प्रदाय भक्त कवियों में गणना की जाती है। ये गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे। इनका जन्म सनाढ्य ब्राह्मण कुल में हुआ था तथा अंतरी के रहने वाले थे। (हिंदी साहित्य का इतिहास :आचार्य रामचन्द्र शुक्ल :पृष्ठ १७९ ) यहीं इनका मिलाप गो ० विट्ठलनाथ से हुआ। इनसे दीक्षा लेने के बाद गोवर्द्धन पर्वत पर रहने लगे। आज भी वह स्थान ,जहाँ थे गोविंदस्वामी की कदंब खंडी कहलाता है। डा० दीन दयाल गुप्त ने इनका समय वि० सं० १५६२ के लगभग मृत्यु वि० सं० १६४२ मानी है। (अष्टछाप और वल्लभ सम्प्रदाय ;पृष्ठ २६६-७२ )

  • गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य होने के पूर्व भी ये एक अच्छे गवैये थे और काव्य पाठ भी करते थे। उस समय इनकी कविता का क्या विषय था यह ज्ञात नहीं है लेकिन विट्ठलनाथ सम्पर्क में आने के बाद इनकी कविता का मुख्य विषय कृष्ण की सख्य और मधुर-लीला के पदों का गान हो गया।