कृष्ण काव्य में माधुर्य भक्ति के कवि/गोस्वामी हित हरिवंश का जीवन परिचय


राधावल्लभ सम्प्रदाय के प्रवर्तक एवं कवि गोस्वामी हितहरिवंश का जन्म मथुरा मण्डल के अन्तर्गत बाद ग्राम में हुआ। इनका जन्म वि ० सं ० १५५९ में वैशाख मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को प्रातः काल हुआ। इनके पिता नाम व्यास मिश्र और माता का नाम तारारानी था। जन्म के अवसर पर इनके पिता बादशाह के साथ दिल्ली से आगरा जा रहे थे। मार्ग में ही बाद ग्राम में हितहरिवंश जी का जन्म हुआ। इनके जन्म के बाद व्यास मिश्र देवबन में रहने लगे।व्यास मिश्र स्वयं विद्वान थे अतः उन्होंने बालक हरिवंश की उचित शिक्षा का प्रवन्ध आठ वर्ष की आयु में कर दिया। यथा अवसर पर इनका विवाह रुक्मिणी देवी से हुआ। रुक्मिणी देवी से इनके तीन पुत्र:

  1. वनचन्द्र
  2. कृष्णचन्द्र
  3. गोपीचंद्र
  • एक पुत्री साहिब देवी

हरवंश जी के जीवन के प्रथम बत्तीस वर्ष देवबन में व्यतीत हुए। माता-पिता की मृत्यु के पश्चात् समस्त गृह-सम्पत्ति,पुत्र,स्त्री आदि का त्यागकर ये वृन्दावन की ओर चल पड़े। मार्ग में चिड़थावल ग्राम से इन्होंने राधावल्लभ की मूर्ति लेकर एवं ब्राह्मण की दो कन्याओं को श्री जी की आज्ञा से स्वीकार कर वृन्दावन आ गये। वृन्दावन में इन्होंने राधावल्लभ लाल की स्थापना की और उन्ही के भजन एवं सेवा-पूजा में अपना शेष जीवन व्यतीत कर दिया। पचास वर्ष की आयु में वि ० सं ० १६०९ में शरद पूर्णिमा की रात्रि को इस नश्वर संसार को त्याग दिया।