खड़े होकर किए जाने वाले आसन
- ताड़ासन
इस आसन का प्रयोग शरीर की लम्बाई बढ़ाने और मांसपेशियों को लचीला बनाने के लिए करते है। यह ताड़ + आसन शब्दों से बना होता है। यहाँ ताड़ का अर्थ ताड़ के पेड़ से है और आसन का अर्थ योग आसन से है। अत: जो आसन शरीर को ताड़ के पेड़ की तरह लम्बा करने में मदद करे या जिसे अपनाने से ताड़ के पेड़ की आकृति बनती हो उसे ताड़ासन कहा जाता है। वैसे संस्कृत में ताड़ को पर्वत का पर्यायवाची भी कहा जाता है,जो लम्बाई का प्रतिक होता है।
ताड़ासन करने की विधि :
- सर्वप्रथम खड़े होकर पैरो के बीच में कुछ फासला लेंगे।
- आँखों को किसी बिंदु पर केंद्रित करते हुए हाथों की उंगलियों को आपस में फाँसते हुए सिर के उपर की ओर शरीर की सीध में तानेंगे।
- पंजों के बल खड़े होते हुए कुछ सेकेंड रोकते हुए वापिस आएँगे।
- 5-7 बार दोहरा सकते हैं।
- साँस के साथ हाथ उपर ले जाएँ।
- साँस निकालते हुए हाथ वापिस लाएंं।
सावधानी :
घुटनो के दर्द में यह अभ्यास नही करेंगे।
ताड़ासन करने के फायदे :
- यह पैर और पिंडलियों की मासपेशियों में रक्त संचार तेज करता है।
- बालक बालिकाओं की लंबाई के लिए फायदेमन्द है।
- मेरुदण्ड के लिए भी लाभदायक है।
- एकाग्रता के लिए अच्छा अभ्यास है।
२अर्धचक्रासन
इसमे शरीर आधा चक्र बनाता है इसलिए इसे अर्धचक्रासन कहते हैं। यह शरीर को संपूर्ण लाभ पहुंचाता है। इस आसन में सबसे अहम हमारी सांस लेने की क्रिया पर जोर देना होता है। इसकी एक वजह यह है कि अर्ध चक्रासन के दौरान सांस की गति में हेरफेर होने से हमारे स्वास्थ्य पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। इसे सामान्यतः विशेषज्ञ की देखरेख की जरूरत नहीं पड़ती। बावजूद इसके इसमें लापरवाही बरतना सही नहीं है। इस आसन के तहत अपने पोस्चर का ख्याल रखना आवश्यक है। गलती करने से हड्डी पर असर दिखता है। यहां तक कि कमर को पीछे की ओर ज्यादा मोड़ने की कोशिश भी खतरनाक साबित हो सकती है। यह रीढ़ की हड्डी को प्रभावित कर सकता है।
अर्धचक्रासन करने की विधि
- सर्वप्रथम सीधे खड़े हो जाए।
- पैरों को पास,हाथों को पास अब हथेलियों को कमर पर रखे।
- अंगूठों को कमर के निचले हिस्से पर रखे।
- पीठ को सहारा दीजिए ।साँस लेते हुए पीछे की ओर झुकिए। कुछ देर रुके।
- रुकने की स्थिति में साँस सामान्य बनाए रखें। धीरे से वापिस आ जाए