गुल सनोबर/१२ मेहरंगेज के प्रश्न का उत्तर

गुल-सनोबर का रहस्य जानने के बाद शहजादा वाकॉफ शहर में ज्यादा दिन नहीं रहा। शहजादेने सनोबर बादशाह से विदाई ली औऱ उनको धन्यवाद दिया। बादशाह ने भी अपने खजाने से बहुमुल्य रत्न उसे देकर उसका सम्मान किया।

अब शहजादा बेहद खुश महसूस कर रहा था, वह सोच रहा था की कम उस राजकन्या को गुल ने सनोबर के साथ क्या किया इस सवाल का जवाब दिया जाये। सोचते सोचते ही शहजादेने करुखफॉल को भी अलविदा किया औऱ वह समंदर किनारे गया। उसे शुतुरमुर्गने दिए पर जलाये।अगले ही क्षण वह Ostrich उसके सामने आके खड़ा हुवा। पिछली बार की तरह उसने अपने आप को उसके पैरों से बांध लिया। अगले ही क्षण शुतुरमुर्गने आकाशमें उडान भरी।


आकाशमार्गसे अनेको दिन के सफ़र के बाद वह सप्तसागर पार कर Ostrich (शहामृग) के घर पहुंचे वहा एक दिन रहके उसके घर आराम किया। शुतुरमुर्गने उसे जंगल के कई जरुरी चीजा बहाल की। शहजादेने खुशीसे उनका स्विकार किया और शहजादेने उन शुतुरमुर्ग जोड़े का आभार मानते हुए उनको अलविदा लिया।

वहा से वो तरमताक राक्षस की सुंदर राजकन्या के पास गया वहा उसने उसका खुशीसे स्वागत किया। शहजादेने उसे मिली हुई अनेको जवाहिर और चीजा उसके स्वाधीन की औऱ वो उसे लेकर आगे निकला रास्ते में उसने बाघो के राजा की भी भेट ली।उसके लिए उसने रास्ते में अच्छी शिकार की थी।

वह शिकार भक्षण करके बाघराजा अत्यंत संतुष्ट हो गया। बाघ उन दोनों को जंगलकी सिमा तक लाके पहुँचाया। वहा से वो दोनों ही जमिलाबानुके महलमे गये। उसके विरह से वो बहोत कृष हो गयी थी। शहजादे को देखतेही उसका चेहरा खुशीसे खिल गया। उसने उन दोनोंका स्वागत किया। वहा चार दिन आरामसे निकालके बाद वह जमीलाबानुको लेकर आगे निकला।

रास्तेमें शहजादा दुष्ट जादुगरिन लतीफाबानुके पास रुका। वहा उसके सभी लोगो के साथ उसे गिरफ्तार कर लिया। उसे मार देनेका उसका इरादा था,लेकिन जमिलाने वो नकार दिया। उसने उसको सदाचरण की शपथ खिलाई और उसको स्वधर्म की दीक्षा दी। लतीफाने जिन तरूणों को हिरन बनाया था उन सभी को उसने फिर से मनुष्यरूप में ला दिया।

तरमताक-कन्या और जमीलाबानुके साथ शहजादा रास्तेके मस्जिद में उतरा। वहा के फकिरको तिनोने नमस्कार किया और उसका आशीर्बाद लिया। वह अपने कार्य में यशस्वी होकर आया हुवा देख उसे समाधान हुवा। फकीर खुशीसे केहने लगा ‘बेटा, सदाचारी लोगोंको अल्ला हमेशा सत्कार्य में मदत करता है अल्ला तुम तीनो का भला करेगा!’

उस फ़क़ीर का आशीर्वाद लेके फिर वह तीनों आगे निकले।

तैमूस बादशहा के राजधानी का शहर अब दिखने लगा था। शहजादेके आखो में ख़ुशी के आंसू आ गये उसके ध्येयसिद्धि का क्षण नजदीक आ रहा था।

शहर में आतेही शहजादेने पिछली बार की तरह उस गरीब किसान के पास रात बितायी। उसने जमीला और तरमताक कन्याको उसके पास रखा और वह मेहेरंगेज के पास जाने के लिये निकला।

चौराहे पर आतेही उसने वो प्रचंड नगारा अपने पास की लाठी से बजाया। उसके चेहरेपर इसबार पूरा आत्मविश्वास था, थोडिही देर में दो सेवक वहा आये और वह शहजादे को बादशहाके पास ले गये।

बादशहाने उसे देखते ही उसका सन्मान से स्वागत किया।लेकिन वो हरबार की तरह उसे समजाते हुये केहने लगा,’शहजादा तुझे ये बदमाश बुद्धी कहा से सूझी?। आजतक अनेक इन्सान इसमें असफल हो ह गये है और अपने प्राण गवाँ बैठे है। इसीलिये तुझे अगर तेरी जान बचानी है तो तू वापस चला जा’।

‘जहापनाह, आजतककी बात और थी…’ शहजादा आत्मविश्वास के साथ बोला,’आजतक राजकन्या के रहस्यमय सवाल गुल ने सनोबर के साथ क्या किया इसका जवाब किसी को भी पता नहीं था इसीलिये वह दुर्घटनाये घटी। लेकिन मेरी बात और है मैं उन सभी सवालो का जवाब जानकर ही यहाँ आया हु।और हम इसमें सफल जरुर होंगे पूरा विश्वास है।’

‘बेटे अगर ऐसा हुवा तो अच्छा ही है। तेरा दामाद कहकर स्वीकार करने में मुझे आनंद ही होगा। ‘लेकिन जहापनाह मेरी एक शर्त है। शहजादा कहने लगा। राजकन्या के खास महल में शहर के खास लोगो को बुलाया जाये। उन सब के सामने ही मैं आपके सवाल का जबाब दूंगा।

बादशहा ने उसकी शर्त कबूल की। मेहेरंगेज के खास महल में थोडिही देर में शहर के खास लोगो की सभा बुलायी गयी। उन सभी के ऊपर आत्मविश्वास से नजर घुमा कर शहजादा मेहेरंगेज को कहने लगा, ‘हे राजकन्या, मैं तुम्हारे सवाल का जबाब देने के लिये यहाँ आया हु इसीलिये तुम अपना सवाल करो।’

राजकन्याने उसके तरफ निराश दृष्टि से देखा और हँसते हुए पूछा, ‘हे युवान, गुल ने सनोबर के साथ क्या किया यह बता सकते हो?

शहजादा हसने लगा। उसके आँखों में आँखे डालके कहेने लगा, ‘गुलने सनोबर के साथ जो किया है, उसका वह पूरा फल भुगत रही है। तुझे भी वही दुर्बुद्धि सूझी है क्या।

उसका यह जबाब जानकर मेहेरंगेज हैरत में आ गयी। वह ऊपर ऊपर से हंसके कहेने लगी, ऐसा संदेहास्पद जवाब देके तुम समय मत ख़त्म करो!

तुम्हे इस संबंध में पूरी जानकारी है क्या?

मैं पूरी हकीकत बताने को तैयार हूँ। लेकिन तुझे ये हकीकत जिसने सुनाई उसे भी यहाँ हाजिर करो जिसके कारण मेरे कहने का सच और जूठ पता चल जायेगा’।

मैं अब किसे हाजिर करु? मैंने तो ये हकीकत एक मुसाफिर से सुनी थी मेहेरंगेज ने जबाब दिया।

मैंने अगर ऐसा गवाह हाजिर किया तो चलेगा क्या? शहजादे ने पूछा।

राजकन्या के सहमति देते ही शहजादेने वहा के नोकरो की मदत से मेहेरंगेज का तख्त उपर उठाया और उसके नीचे से वहा छुपा हुवा काला शिद्दा निकाला।

वह काला शिद्दा बाहर आते ही मेहरंगेज शरमिंदा हो गई उसने अपना मुंह ढक लिया। बादशहा तो अपने बेटी के इस कृत्य से शरमा कर काला हो गया। वहा उपस्थित सभी के तरफ देख शहजादा मेहरंगेज से कहने लगा,’ हे राजकन्या, ठीकसे सुन गुल ने सनोबर के साथ क्या किया’?

तो उसने अपने पति का विश्वासघात किया, गुल ने उसके ऊपर खुद से ज्यादा प्रेम करने वाले पति का विश्वासघात किया और एक कुरूप यार के साथ मिलकर व्यभिचारी बन गयी। इतना ही नहीं वह अपने दुष्कृत्यों का फल भुगत रही है। ऐसा कहके शहजादे ने राजकन्या को सारी हकीकत सुनाई।

वह हकीकत सुनके सभी आश्चर्यचकित हो गये। बादशहा ने उस काले शिद्दे को मार देने का हुक्म दिया।

मेहेरंगेज लेकिन किसी की भी तरफ देखने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी। बादशहा फिर नम्रता पूर्वक शहजादेसे कहने लगा, हे चतुर शहजादा तूने मेहरंगेज के सवाल का सही जवाब दिया है इसीलिये उसके उपर अब तुम्हारा अधिकार है। इसीलिये मै तुम्हारा राजकन्या मेहेरंगेज के साथ विवाह करा देता हूं।

‘जहापन्हा, मुझे क्षमा कीजिये लेकिन मैं अभी मेहरंगेज के साथ शादी नही कर सकता!’ शहजादा थोड़ा सोचके कहने लगा, इसे में मेरे माँ बाप के सामने खड़ी करूँगा। उन्होंने इसे स्वीकार किया तो ही मैं इससे शादी करूंगा’।

‘बेटा, अब उसके ऊपर तुम्हारा ही अधिकार है बादशहा निचे के स्वर में केहने लगा।उसके कृत्य की मुझे घिन आ रही है!

शहजादेने बादशहा की मेजबानी का स्वीकार किया और मेहरंगेज को लेकर अपने माता-पिता की तरफ निकला। जाते वक्त उसने दासी दिलआराम को भी साथ लिया। उन दोनों को साथ लेके वह जिस किसान के घर ठहरा था उसके पास गया। बादमे उसने उसका अलविदा लेके जमीला औऱ तरमताक कन्या को लेके इरानकी तरफ सफर शुरू किया।

अपने माँ बाप से मिलकर अपने विजय की कहानी सुनाने की लिये वो आतुर हो गया था। जैसे अपने सुलेमबाद के दरबार में शहजादे ने Enter किया बादशाह अपने विजयी पुत्र को देखकर बेहद खुश हुवा। तभी शहजादे ने कहा ‘अब्बा जान मैंने इस दृष्ट राजकन्या को हराया है, इसके गुल ने सनोबर के साथ क्या किया इस सवाल का सही जवाब देकर हमारी दासी बनाया है।

अब आप ही बताइए इसे क्या सजा दी जाये? शहजादे के शब्द ख़त्म होने के साथ ही गुल बादशाह के सामने घुटनों पर बैठ गयी और रोते हुये कहने लगे, हे बादशाह मै निर्दोष हु, उस शिद्दे ने मुझे जान से मारने की धमकी दी थी इसीलिए ना चाहते हुए भी मुझे यह सब करना पढ़ा जिसके परिणाम स्वरुप कई नौजवान अपनी जान गवा बैठे।

मै निर्दोष हु महाराज मैंने मरने के डर से यह सब किया है, मैंने कुछ भी अपने मन से नहीं किया है। कृपया आप मुझे अपने बेटे की दासी की रूप में ही सही कबूल कर लीजिये इतना कहकर मेहेरंगेज फुटफुट कर रोने लगी। बादशाह को उसकी दया आये और उन्होंने गुल को माफ कर दिया।

बेटा मुझे मालूम है इसने बेहद बड़ा पाप किया है, लेकिन जो पाप इसने अपनी मर्जी से नहीं किया वह कोई दंड देने लायक नहीं होगा। मुझे लगता है अब तुम्हे इससे विवाह कर लेना चाहिए।

शहजादे को भी बेहद खुशी हुयी। उसे चार सुन्दर राणियाँ मिली थी। ख़ुशी-खुसी उनका विवाह कर दिया गया।