ईरान के सुलैमानाबाद शहर का बादशाह शमशाद लालपोश अपने आलीशान दीवानखाने में आराम कर रहा था। वह मनोरंजन के लिए हाथ में पढ़ने के लिए किताब ले कर उसके पन्ने पलट रहा था. तभी उसके बड़े बेटे ने महल में प्रवेश किया. पिताजी कहते हुए धीरे आवाज में बोला जैसे कोई विनती करना चाहता हो. बोलो बेटा बादशाह ने अपने बेटे को पास लेकर आश्चर्य से पूछा , क्या हुवा बेटा क्या कोई टेंशन है, प्रजा ठीक तो है न या किसी और राजा ने किसी युद्ध की धमकी दी है. नहीं पिताजी भगवान की दया से पुरे प्रान्त में सब-कुछ ठीक है. कही कोई युद्ध नहीं और धमकी भी नही. उसने डरे आवाज में कहा. फिर तेरा कहना क्या है ? बादशाह ने चमकते हुए पूछा. पिताजी मै सोच रहा हु दूर कही जंगल में शिकार करने जाऊ. बहुत दिनो से घर में बैठे-बैठे बोर हो गया हु. हम जाए न पिताजी, डरे आवाज में राजपुत्र ने बादशाह से पूछा. बादशाह को पहले हसी आयी. राजपुत्र की पीठ पर हाथ रखकर उसने कहा, ऐसी बात है तो बेटा जाओ न किसने रोका है तुम्हे.. तुम्हारा अभी गर्म खून है, खून में गर्मी तो आएगी ही. और हमे भी तुम जैसे जवान लड़के को घर में बिठाके रखना बिलकुल नहीं अच्छा लगता. पिता के तरफ से शिकार पर जाने के लिए मंजूरी मिलने पर राजपूत बहुत खुश हुवा और थोड़ी ही देर में भरपूर तैयारी के साथ शिकार के लिए रवाना हो गया. उस घने जंगल में राजपुत्र अपने घोड़े पर बैठकर बिजली की तेजी के साथ दौड़ रहा था. रास्ते में एक बेहद ही सुन्दर और मनमोहक हिरन ने राजपुत्र का ध्यान अपनी तरफ खींचा तभी उसने उस हिरन का पीछा करना शुरू किया. उसे जिन्दा ही पकड़ना है यह सोचकर उसने हिरन का पीछा जारी रखा लेकिन उस चालाक हिरन ने बिलकुल भी राजपुत्र को अपने पास आने नहीं दिया। उसने राजपुत्र को बहुत पीछे छोड़ दिया। हिरन का पीछा करते-करते राजपुत्र का बिजली की तरह तेज दौड़ने वाला घोडा भी थक चुका था। उस सोनेरी हिरन का कुछ भी पता राजपुत्र को अब नहीं चला. मानो वह गायब हो गया हो. वह हिरन अदृश्य होने के वजह से राजपुत्र को बहुत बुरा लगा। क्योंकि पूरी ताकत लगा कर, बुरी तरह से मिटटी से सराबोर और पसीने से लत-पत राजपुत्र के कपडे भी हिरन का पीछा करने से मैले हो चुके थे. अब राजपुत्र को प्यास भी लगने लगी। उसने इधर उधर देखा तभी उसे बहुत ख़ुशी हुए क्योकि सामने नीले पानी का सरोवर था. उसमे बेहद सुन्दर हंस तैर रहे थे, रंगबिरंगी कमल के फूल उगे हुए थे. उस सरोवर के चारो और घने हरे बड़े-बड़े पेड़ और भी सुन्दर लग रहे थे. और उनमे और भी सुन्दर एक महल चमक रहा था. वैसे इतने दूर और घने जंगल मे महल को देखकर राजपुत्र को आश्चर्य हुआ लेकिन मन मे संकोच करके ही वह घोड़े से निचे उतरा. उसने अपने थके हुए घोड़े को भरपूर पानी पिलाया. खुद राजपुत्र ने भी खूब पानी पिया. और अपनी प्यास बुझाकर पीछे घूमकर देखा तो चमत्कार दिखा.

एक बुजुर्ग और पागल की तरह दिखने वाला आदमी जोर-जोर से हसते हुए राजपुत्र की तरफ आ रहा था। उसके कपडे फटे हुए थे, दाढ़ी और बाल बड़े हुए थे। वह चमत्कारी आदमी राजपुत्र के पास से जाने लगा। वह जरूर हस रहा था लेकिन उसकी आखो से आंसू गिरकर गालो पर आ रहे थे। यह देखकर राजपुत्र को बेहद बुरा लगा। वैसे ही राजपुत्र आगे बड़ा और उस बुजुर्ग व्यक्ति से पूछा की कौनसा इतना बढ़ा दुःख है आपको जो आपकी यह दशा हुयी है क्या आप मुझे बता सकते है? बेटा मेरा दुख बताकर क्यों तुझे दुखी करू जाने दो अपने दिल को मेरे लिए दुखी मत करो। नही बाबा, ऐसा मत बोलिये आपका दुख मुझे बताने से आपका दुख कम नहीं होगा क्या? राजपुत्र ने बड़े ही आदरसे पूरी हकीकत बया करने का आग्रह किया। बेटा वह एक बढ़ी दुखद कहानी है। वह बुजुर्ग ने दबे स्वर मे कहा मेरा नाम जहांगीर शाह है मै बेबीलोन साम्राज्य का बादशाह हु। मेरा राज्य बहुत ही समृद्ध था, प्रजा भी सुखी थी। मेरा वैवाहिक जीवन भी काफी सुखी था। उसी के साथ साथ एक से एक एक सुन्दर पांच राजपुत्र भी थे। लेकिन यह सुख शायद रब को मंजूर नहीं था या उससे देखा नहीं गया। तुर्कस्तान और महाचीन इनके सरहदों पर मौजूद तैमूस नाम का बादशाह है। उसकी बहुतही सुंदर राजकन्या है, उसकी सुंदरता की कीर्ति सुनकर ही उसे प्राप्त करने के लिए हर बादशाह जैसे पागल हो गया है। लेकिन उसकी शादी के लिए एक विचित्र परंतु कठिन प्रश्ण रखा गया है। वह राजकन्या उससे विवाह करने के लिए आये हर बादशाह को एक अजीब सवाल पूछती है की गुल ने सनोबर के साथ क्या किया? इस सवाल का जवाब जिन्हें नहीं आता उनका सर वह कलम करके महल में लगा देती है। फिर भी कई सारे इंसान उसकी सुंदरता पर मोहीत हो कर वहा जाते है और अपना जीवन समाप्त कर लेते है. दुर्भाग्य से मेरे बड़े बेटे ने भी उसकी सुंदरता के किस्से सुने और उसे पाने की जिद कर बैठा। लेकिन मेरे लाख मना करने पर भी वह उस मेहेरंगेज़ जिसमे वह सुन्दर राजकन्या रहती थी वह चला गया। उसने भी उससे विवाह करने का प्रस्ताव रखा तो फिर से उस राजकन्या ने उसी सवाल को पूछा की “गुल ने सनोबर के साथ क्या किया? मुझे मालूम था वह इसका सही जवाब नहीं दे पायेगा हुवा भी वही परिणामस्वरूप अपना सर कलम कर जीवन समाप्त कर बैठा। और बीटा सबसे दुःख की बात मेरे बचे चारो पुत्र भी उस मेहेरंगेज़ की राजकन्या को पाने के लिए पागल हो गए जैसे उनपर किसी ने काला जादू कर दिया हो। लेकिन वह भी अपना जीवन समाप्त कर बैठे मेरा एक भी पुत्र जिन्दा बचा नहीं। मेरे सोने जैसे पांच बेटे सभी उस सुंदर राजकन्या लेकिन दॄष्ट लड़की की वजह से, उसके चमत्कारिक सवाल गुल ने सनोबर के साथ क्या किया? की वजह से ख़त्म हो गए। उस बुजुर्ग की दुखद कहानी सुनकर राजपुत्र को दुख हुवा। उसपर कुछ कहे तभी बुजुर्ग अचानक से उठा और यहां-वहा हाथ गुमाने लगा और कहने लगा “और कितने नौजवान की जाने लेंगी वह राजकन्या किसको मालूम, और कहती है की गुल ने सनोबर के साथ क्या किया ? हा हा हां हां … वह बुजुर्ग पागलो की तरह हसने लगा इधर-उधर जोर जोरसे भागने लगा। पुत्र वियोग मे पागल हुए उस बादशाह को देख राजपुत्र की आँखों में आंसू आ गए। दुखी होकर फिर से उसने अपने राज्य की तरफ अपने घोड़े को दौड़ाया। लेकिन उसके मन मे घर कर गई वह सुन्दर राजकन्या और उसका वह चमत्कारी सवाल ‘गुल ने सनोबर के साथ क्या किया?’