छायावादोत्तर हिंदी कविता/बच्चे काम पर जा रहे हैं

छायावादोत्तर हिंदी कविता
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कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह सुबह

बच्चे काम पर जा रहे हैं
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना चाहिए
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?
 

क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्या दीमकों ने खा लिया हैं
सारी रंग बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं
सारे मदरसों की इमारतें
क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आंगन
ख़त्म हो गए हैं एकाएक
तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में?
 

कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह
कि हैं सारी चीज़ें हस्बमामूल
 

पर दुनिया की हज़ारों सड़कों से गुजरते हुए
बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे
काम पर जा रहे हैं