छायावादोत्तर हिंदी कविता
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उसके बारे मे कविता करना
हिमाकत की बात होगी
और वह मैं नहीं करूंगा
मै सिर्फ आपको बारे मे कविता करना
हिमाकत की बात होगी
और वह मैं नहीं करूंगा
मैं सिर्फ आपको आम्नत्रित करूंगा
की आप आए और मेरे साथ सीधे
उस आग तक चले
उस चूल्हे तक-जहाँ वह पक रही है
एक अद्भुत ताप और गरिमा के साथ
समूची आग को गंध मे बदलती हुई
दुनिया की सबसे आश्चर्य जनक चीज
वह पक रही और पकना
लौटना नहीं जड़ो  की और  
वह आगे बढ़ रही है
उसकी गरमाहट पहुँच रही है आदमी की नींद
और विचारों तक
मुझे विश्वास है
उसका सामना कर रहे है
मैंने उसका शिकार किया है
मुझे हर बार ऐसा ही लगता है
जब मैं उसे आग से निकलते देखता हूँ
मेरे हाथ खोजने लगते है
अपने तीर और धनुष
मुझे हाथ मुझी को ही खोजने लगते है
मैं उसी को खाना शुरू करता हूँ
मैंने जब भी उसे तोड़ा है
मुझे हर बार वह पहले से ज्यादा स्वादिष्ट लगी है  
पहले से ज्यादा गोल और खूबसूरत
पहले से ज्यादा सुर्ख और पकी हुई
आप विश्वास करें
मैं कविता नही कर रहा
सिर्फ आग की ओर इशारा कर रहा हूँ
वह पक रही है
और आप देखेंगे-यह भूख के बारे मे है
आग का बयान है
जो दीवारों पर लिखा जा रहा है
आप देखेगे दिवारे धीरे-धीरे
स्वाद मे बदल रही है।