जून समसामयिकी 2019/सामाजिक

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति के पुनर्गठन हेतु मसौदा नीति प्रस्तुत

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वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति द्वारा तैयार की गई है। इसके तहत शिक्षा के अधिकार अधिनियम (Right To Education- RTE Act) के दायरे को विस्तृत करने का प्रयास किया गया है, साथ ही स्नातक पाठ्यक्रमों को भी संशोधित किया गया है। इस मसौदा नीति में लिबरल आर्ट्स साइंस एजुकेशन (Liberal Arts Science Education- LASE) के चार वर्षीय कार्यक्रम को फिर से शुरू करने तथा कई कार्यक्रमों के हटाने के विकल्प (exit options) के साथ-साथ एम. फिल. प्रोग्राम को रद्द करने का भी प्रस्ताव किया गया है। इसके अनुसार, पी.एच.डी. करने के लिये या तो मास्टर डिग्री या चार साल की स्नातक डिग्री को अनिवार्य किया गया है। नए पाठ्यक्रम में 3 से 18 वर्ष तक के बच्चों को कवर करने के लिये 5+3+3+4 डिज़ाइन (आयु वर्ग 3-8 वर्ष, 8-11 वर्ष, 11-14 वर्ष और 14-18 वर्ष) तैयार किया गया है जिसमें प्रारंभिक शिक्षा से लेकर स्कूली पाठ्यक्रम तक शिक्षण शास्त्र के पुनर्गठन के भाग के रूप में समावेशन के लिये नीति तैयार की गई है। यह मसौदा नीति धारा 12 (1) (सी) (निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्रों के लिये अनिवार्य 25 प्रतिशत आरक्षण का दुरुपयोग किया जाना) की भी समीक्षा करती है, जो सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने का एनडीए सरकार का यह दूसरा प्रयास है। पहली बार TSR सुब्रमण्यम के नेतृत्व में एक समिति गठित की गई थी जिसने वर्ष 2016 में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।