नवजागरण और स्वाधीनता आंदोलन/स्वाधीनता आंदोलन की परिणति
लगभग दो सौ साल की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत औपनिवेशिक दासता से मुक्त हो गया। इसके साथ ही एक नया देश पाकिस्तान अस्तित्व में आ गया। भारत आजाद तो हो गया लेकिन इस आजादी की भारी कीमत चुकानी पड़ी। विभाजन ने लाखों लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर कर दिया। इस दौरान हुए दंगों में हजारों-हजार लोग मारे गये। विभाजन के बावजूद भारत ने धर्मनिरपेक्षता का रास्ता नहीं छोड़ा। भारत का जो नया संविधान बना उसने सभी भारतीय नागरिकों को यह वचन दिया कि उनके साथ धर्म, जाति, नस्ल, लिंग, भाषा आदि के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। राज्य का कोई धर्म नहीं होगा और सभी धरमों के प्रति समान भाव रखा जाएगा। आजाद भारत ने एक ऐसी व्यवस्था अपनाई जिसमें दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े समूहों के विकास के लिए विशेष कदम उठाए गए । इस तरह भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में उभरकर विश्व के सामने उपस्थित हुआ। भारत की आजादी की लड़ाई ने औपनिवेशिक दासता से जकड़े देशों को संघर्ष की प्रेरणा दी और उनकी आजादी का मार्ग भी प्रशस्त हुआ।