पउमचरिउ/कण्ड ३
सुन्दरकण्डं
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[४३. तियालीसमो संधि]
एहऍ अवसरेॅ किक्किन्धपुरेॅ णं गउ गयहेॅ समावडिउ
सुग्गीवहेॅ विड-सुग्गीउ रणेॅ तारा-कारणेॅ अब्भिडिउ
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक १॒
{प॰च॰४३,१.१} पडिवक्खु जिणेवि ण सक्कियउ $ विद्दाणउ माण-कलङ्कियउ
{प॰च॰४३,१.२} णं हियवऍ सूलें सल्लियउ $ माया-सुग्गीवें घल्लियउ
{प॰च॰४३,१.३} सुग्गीउ भमन्तु वणेण वणु $ संपाइउ खर-दूसणहँ रणु
{प॰च॰४३,१.४} वलु दिट्ठु सयलु सर-जज्जरिउ $ तिल-मेत्तु खुरुप्पेॅहिॅ कप्परिउ
{प॰च॰४३,१.५} कत्थइ सन्दण सय-कण्ड किय $ कत्थइ तुरङ्ग णिज्जीव थिय
{प॰च॰४३,१.६} कत्थवि लोट्टाविय हत्थि-हड $ कत्थइ सउणेॅहिॅ खज्जन्ति भड
{प॰च॰४३,१.७} कत्थइ छिण्णइँ धय-चिन्धाइँ $ कत्थइ णच्चन्ति कवन्धाइँ
{प॰च॰४३,१.८} कत्थइ रह-तुरय-गयासणइँ $ हिण्डन्ति समरेॅ सुण्णासणइँ
घत्ता॒
{प॰च॰४३,१.९} तं तेहउ किक्किन्धेसरेॅण $ भय-भीसावणु दिट्ठु रणु
उम्मेट्ठें लक्खण-गयवरेॅण $ णं विद्धंसिउ कमल-वणु
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक २॒
{प॰च॰४३,२.१} रणु भीसणु जं जेॅ णियच्छियउ $ खर-दूसण-परियणु पुच्छियउ
{प॰च॰४३,२.२} "इमु काइँ महन्तउ अच्चरिउ $ वलु सयलु केण सर-जज्जरिउ"
{प॰च॰४३,२.३} तं वयणु सुणेॅवि दूमिय-मणेॅण $ वुच्चइ खर-दूसण-परियणेण
{प॰च॰४३,२.४} "केॅ वि दसरहु तहेॅ सुअ वेण्णि जण $ वण-वासेॅ पइट्ठ विसण्ण-मण
{प॰च॰४३,२.५} सोमित्ति को वि चित्तेण थिरु $ तें सम्वुकुमारहेॅ खुडिउ सिरु
{प॰च॰४३,२.६} असि-रयणु लइउ तियसह्ũ वलिउ $ चन्दणहिहेॅ जोव्वणु दरमलिउ
{प॰च॰४३,२.७} कूवारें गय खर-दूसणह्ũ $ अजयह्ũ जय-लच्छि-विहूसणह्ũ
{प॰च॰४३,२.८} अब्भिट्ट ते वि सह्ũ लक्खणेॅण $ तेण वि दोहाविय तक्खणेॅण
घत्ता॒
{प॰च॰४३,२.९} केण वि मणेॅ अमरिस-कुद्धऍण $ हिय गेहिणि वणेॅ राहवहेॅ
पाडिउ जडाइ लग्गन्तु कुढेॅ $ एत्तिउ कारणु आहवहेॅ"
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक ३॒
{प॰च॰४३,३.१} एहिय णिसुणेॅवि संगाम-गइ $ चिन्ताविउ किक्किन्धाहिवइ
{प॰च॰४३,३.२} "किर पइसमि गम्पि जाह्ũ सरणु $ किउ दइवें तहु मि णवर मरणु
{प॰च॰४३,३.३} एहऍ अवसरेॅ को संभरमि $ किं हणुअहेॅ सरणु पईसरमि
{प॰च॰४३,३.४} तेण वि रिउ जिणेॅवि ण सक्कियउ $ पच्चेल्लिउ हũ णिरत्थु कियउ
{प॰च॰४३,३.५} किं अब्भत्थिज्जइ दहवयणु $ णं णं तिय-लम्पडु लुद्ध-मणु
{प॰च॰४३,३.६} अम्हइँ विणिवाऍवि वे वि जण $ सह्ũ रज्जें अप्पुणु लेइ धण
{प॰च॰४३,३.७} खर-दूसण-देह-विमद्दणह्ũ $ वरु सरणु जामि रहु-णन्दणह्ũ"
{प॰च॰४३,३.८} चिन्तेविणु किक्किन्धाहिवेॅण $ हक्कारिउ मेहणाउ णिवेॅण
{प॰च॰४३,३.९} "तं गम्पि विराहिउ एम भणु $ वुच्चइ सुग्गीउ आउ सरणु"
{प॰च॰४३,३.१०} पिय-वयणेॅहिॅ दूउ विसज्जियउ $ गउ मच्छर-माण-विवज्जियउ
{प॰च॰४३,३.११} पायाल-लङ्क-पुरेॅ पइसरेॅवि $ तें वुत्तु विराहिउ जोक्करेॅवि
घत्ता॒
{प॰च॰४३,३.१२} "सुग्गीउ सुतारा-कारणेॅण $ विड-सुग्गीवें घल्लियउ
किं पइसरउ किं म पइसरउ $ तुम्हहँ सरणु समल्लियउ"
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक ४॒
{प॰च॰४३,४.१} तं णिसुणेॅवि हरिस-कारणेॅण $ "पइसरउ" पवुत्तु विराहिएण
{प॰च॰४३,४.२} "हũ धण्णउ जसु किक्किन्धराउ $ अहिमाणु मुएप्पिणु पासु आउ"
{प॰च॰४३,४.३} संमाणिउ गउ पल्लट्टु दूउ $ पइसारिउ पहु आणन्दु हूउ
{प॰च॰४३,४.४} तं तूरहँ सद्दु सुणेवि तेण $ सो वुत्तु विराहिउ राहवेण
{प॰च॰४३,४.५} "सह्ũ साहणेण कण्टइय-देहु $ आवन्तउ दीसइ कवणु एहु"
{प॰च॰४३,४.६} तं णिसुणेॅवि णयणाणन्दणेण $ वुच्चइ चन्दोयर-णन्दणेण
{प॰च॰४३,४.७} "सुग्गीव-वालि इय भाइ वे वि $ वड्डारउ गउ पव्वज्ज लेवि
{प॰च॰४३,४.८} एहु वि जिणेवि केण वि खलेण $ वण-वासहेॅ घल्लिउ भुअ-वलेण
घत्ता॒
{प॰च॰४३,४.९} वर-वाणर-धउ सूररय-सुउ $ तारा-वल्लहु विउलमइ
जो सुव्वइ कहि मि कहाणऍहिॅ $ ऍहु सो किक्किन्धाहिवइ"
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक ५॒
{प॰च॰४३,५.१} स-विराहिय लक्खण-रामएव $ वोल्लन्ति परोप्परु जाव एव
{प॰च॰४३,५.२} तिण्णि मि सुग्गीवें दिट्ठ केम $ आगमेॅण तिलोअ तिवाय जेम
{प॰च॰४३,५.३} चउ दिस-गय एक्कहिॅ मिलिय णाइँ $ वइसारिय णरवइ जम्ववाइ
{प॰च॰४३,५.४} संमाणेॅवि पुच्छिय लक्खणेण $ "तुम्हहँ अवहरिउ कलत्तु केण"
{प॰च॰४३,५.५} तं वयणु सुणेॅवि सव्वह्ũ महन्तु $ णमियाणणु पभणइ जम्ववन्तु
{प॰च॰४३,५.६} "वण-कीलऍ गउ सुग्गीउ जाम $ थिउ पइसेॅवि विडसुग्गीउ ताम
{प॰च॰४३,५.७} थोवन्तरेॅ वालि-कणिट्ठु आउ $ सामन्त-मन्ति-मण्डल-सहाउ
{प॰च॰४३,५.८} णउ जाणिउ विण्हि मि कवणु राउ $ मणेॅ विम्भउ सव्वहेॅ जणहेॅ जाउ
घत्ता॒
{प॰च॰४३,५.९} सुग्गीव-जुअलु कोड्डावणउ $ पेक्खेॅवि रहस-समुच्छलिउ
वलु अद्धउ सुग्गीवहेॅ तणउ $ मायासुग्गीवहेॅ मिलिउ
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक ६॒
{प॰च॰४३,६.१} एत्तहेॅ वि सत्त अक्खोहणीउ $ एत्तहेॅ वि सत्त अक्खोहणीउ
{प॰च॰४३,६.२} थिउ साहणु अद्धोवद्धि होवि $ अङ्गङ्गय विहडिय सुहड वे वि
{प॰च॰४३,६.३} मायासुग्गीवहेॅ मिलिउ अङ्गु $ अङ्गउ सुग्गीवहेॅ रणेॅ अभङ्गु
{प॰च॰४३,६.४} विहिॅ सिमिरेॅहिॅ वे वि सहन्ति भाइ $ णिसि-दिवसेॅहिॅ चन्दाइच्च णाइँ
{प॰च॰४३,६.५} एत्तहेॅ वि वीरु विप्फुरिय-वयणु $ सुउ वालिहेॅ णामें चन्दकिरणु
{प॰च॰४३,६.६} थिउ तारहेॅ रक्खणु अभउ देवि $ "जइ ढुक्कहेॅ तो महु मरहेॅ वे वि"
{प॰च॰४३,६.७} जुज्झन्तु जिणेसइ जो ज्जि अज्जु $ तहेॅ सयलु स-तारउ देमि रज्जु"
{प॰च॰४३,६.८} विहिॅ एक्कु वि णउ पइसारु लहइ $ णल-णीलह्ũ पुणु सुग्गीउ कहइ
{प॰च॰४३,६.९} "सच्चउ आहाणउ एहु आउ $ परयारिउ ज्जि घर-सामि जाउ"
{प॰च॰४३,६.१०} असहन्त परोप्परु ढुक्क वे वि $ णिय-णिय-करवालइँ करेॅहिॅ लेवि
घत्ता॒
{प॰च॰४३,६.११} किर जाम भिडन्ति भिडन्ति ण वि $ ताव णिवारिय वारऍहिॅ
मुक्कङ्कुस मत्त गइन्द जिह $ ओसारिय कण्णारऍहिॅ
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक ७॒
{प॰च॰४३,७.१} ओसारिय जं पुरवर-जणेण $ थिय णयरहेॅ उत्तर-दाहिणेण
{प॰च॰४३,७.२} अण्णेक्क-दियहेॅ जुज्झन्ति जाम $ पवणञ्जय-णन्दणु कुविउ ताम
{प॰च॰४३,७.३} "मरु मरु सुग्गीवहेॅ मलिउ माणु" $ सण्णद्धु सुहड-साहण-समाणु
{प॰च॰४३,७.४} "हणु हणु" भणन्तु हणुवन्तु पत्तु $ पभणइ णिरु रहसुच्छलिय-गत्तु
{प॰च॰४३,७.५} "सुग्गीव माम मा मणेॅण मुज्झु $ विड-भडहेॅ पदीवउ देहि जुज्झु
{प॰च॰४३,७.६} जइ ण वि भञ्जमि भुज-दण्डु तासु $ तो ण होमि पुत्तु पवणञ्जयासु"
{प॰च॰४३,७.७} तं वयणु सुणेॅवि किक्किन्धराउ $ तहेॅ उप्परि गलगज्जन्तु आउ
{प॰च॰४३,७.८} ते भिडिय वे वि कण्टइय-देह $ णव-पाउसेॅ णं जल-भरिय-मेह
घत्ता॒
{प॰च॰४३,७.९} असि-चाव-चक्क-गय-मोग्गरेॅहिॅ $ जिह सक्किउ तिह जुज्झियउ
हणुवन्तें अण्णाणेण जिह $ अप्पउ परु वि ण वुज्झियउ
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक ८॒
{प॰च॰४३,८.१} जं विहि मि मज्झेॅ एक्कु वि ण णाउ $ गउ वलेॅवि पडीवउ पवणजाउ
{प॰च॰४३,८.२} सुग्गीउ वि पाण लएवि णट्ठु $ णं मयगलु केसरि-घाय-तट्ठु
{प॰च॰४३,८.३} किर पइसइ खर-दूसणहँ सरणु $ किउ णवर कियन्तें तहु मि मरणु
{प॰च॰४३,८.४} तहिॅ णिसुणिय तुम्हहँ तणिय वत्त $ जिह चउदह सहसेक्कहेॅ समत्त
{प॰च॰४३,८.५} तो वरि सुग्गीवहेॅ करेॅ परित्त $ सरणाइउ रक्खहि परम-मित्त"
{प॰च॰४३,८.६} जं हरि अब्भत्थिउ जम्ववेण $ सुग्गीउ वुत्तु पुणु राहवेण
{प॰च॰४३,८.७} "तुह्ũ मइँ आसङ्घेॅवि आउ पासु $ अक्खहि हũ सरणउ जामि कासु
{प॰च॰४३,८.८} जिह तुह्ũ तिह हउ मि कलत्त-रहिउ $ वणेॅ हिण्डमि काम-गहेण गहिउ"
घत्ता॒
{प॰च॰४३,८.९} सुग्गीवें वुच्चइ "देव सुणेॅ $ कुसल-वत्त सीयहेॅ तणिय
जइ णाणमि तो सत्तमऍ दिणेॅ $ पइसमि सलहँ हुआसणिय"
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक ९॒
{प॰च॰४३,९.१} जं जाणइ-केरउ लइउ णामु $ तं विरह-विसन्थुलु भणइ रामु
{प॰च॰४३,९.२} "जइ आणहि कन्तहेॅ तणिय वत्त $ तो वयणु महारउ णिसुणि मित्त
{प॰च॰४३,९.३} सत्तमेॅ दिवसेॅ एत्तडउ वुज्झु $ करेॅ लायमि ताराएवि तुज्झु
{प॰च॰४३,९.४} भुञ्जावमि तं किक्किन्ध-णयरु $ दक्खवमि छत्त-धय-दण्ड-पवरु
{प॰च॰४३,९.५} अण्णु मि तुह केरउ हणमि सत्तु $ परिरक्खइ जइ वि कियन्त-मित्तु
{प॰च॰४३,९.६} वम्भाणु भाणु गङ्गाहिसेउ $ अङ्गारउ ससहरु राहु केउ
{प॰च॰४३,९.७} वुहु विहफइ सुक्कु सणिच्छरो वि $ जमु वरुणु कुवेरु पुरन्दरो वि
{प॰च॰४३,९.८} एत्तिय मिलेवि रक्खन्ति जो वि $ जीवन्तु ण छुट्टइ वइरि तो वि
घत्ता॒
{प॰च॰४३,९.९} जइ पइज ण पूरमि एत्तडिय $ जइ ण करमि सज्जणहँ दिहि
सत्तमऍ दिवसेॅ सुग्गीव महु $ पत्तिय तो सण्णास-विहि"
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक १०॒
{प॰च॰४३,१०.१} सीराउहु पइजारूढु जं जेॅ $ संचल्लु असेसु वि सिमिरु तं जेॅ
{प॰च॰४३,१०.२} संचल्लु विराहिउ दुण्णिवारु $ सुग्गीउ रामु लक्खण-कुमारु
{प॰च॰४३,१०.३} ते चलिय चायरि वि परम-मित्त $ णावइ कलि-काल-कयन्त-मित्त
{प॰च॰४३,१०.४} णं चलिय चायरि वि दिस-गइन्द $ णं चलिय चायरि वि खय-समुद्द
{प॰च॰४३,१०.५} णं चलिय चायरि वि सुर-णिकाय $ णं चलिय चवल चउविह कसाय
{प॰च॰४३,१०.६} णं चलिय चायरि विरिञ्च-वेय $ उवदाण-दण्ड णं साम-भेय
{प॰च॰४३,१०.७} अह वण्णिएण किं एत्तडेण $ णं चलिय चायरि वि अप्पणेण
{प॰च॰४३,१०.८} थोवन्तरेॅ तरल-तमाल-छण्णु $ जिण-धम्मु जेम सावय-रवण्णु
घत्ता॒
{प॰च॰४३,१०.९} सुग्गीवें रामें लक्खणेॅण $ गिरि किक्किन्धु विहावियउ
पिहिमिऍ उच्चाऍवि सिर-कमलु $ मउडु णाइँ दरिसावियउ
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक ११॒
{प॰च॰४३,११.१} थोवन्तरेॅ धण-कञ्चण-पउरु $ लक्खिज्जइ तं किक्किन्धणयरु
{प॰च॰४३,११.२} णं णहयलु तारा-मण्डियउ $ णं कव्वु कइद्धय-चड्डियउ
{प॰च॰४३,११.३} णं हणुअ-विहूसिउ मुह-कमलु $ विहसिउ सयवत्तु णाइँ स-णलु
{प॰च॰४३,११.४} णं णीलालङ्किउ आहरणु $ णं कुन्द-पसाहिउ विउल-वणु
{प॰च॰४३,११.५} सुग्गीव-वन्तु णं हंस-सिरु $ णं झाणु मुणिन्दह्ũ तणउ थिरु
{प॰च॰४३,११.६} माया-सुग्गीवें मोहियउ $ कुसलेण णाइँ कामिणि-हियउ
{प॰च॰४३,११.७} एत्थन्तरेॅ वद्धिय-कलयलेॅहिॅ $ जम्वव-कुन्देन्दणील-णलेॅहिॅ
{प॰च॰४३,११.८} सोमित्ति-विराहिय-राहवेॅहिॅ $ सव्वेॅहिॅ णिव्वूढ-महाहवेॅहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४३,११.९} सुग्गीवहेॅ विहुरेॅ समावडिऍ $ वहु-संमाण-दाण-मणेॅहिॅ
वेढिज्जइ तं किक्किन्धपुरु $ णं रवि-मण्डलु णव-घणेॅहिॅ
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक १२॒
{प॰च॰४३,१२.१} वेढेप्पिणु पट्टणु णिरवसेसु $ पट्ठविउ दूउ विड-भडहेॅ पासु
{प॰च॰४३,१२.२} सुग्गीवें रामें लक्खणेॅण $ सन्देसउ पेसिउ तक्खणेॅण
{प॰च॰४३,१२.३} "किं वहुणा कहेॅ परमत्थु तासु $ जिम भिडु जिम पाण लएवि णासु"
{प॰च॰४३,१२.४} तं वयणु सुणेॅवि कप्पूरचन्दु $ संचल्लु णाइँ खयकाल-दण्डु
{प॰च॰४३,१२.५} दुज्जउ माया-सुग्गीउ जेत्थु $ सह-मण्डवेॅ दूउ पइट्ठु तेत्थु
{प॰च॰४३,१२.६} जो पेसिउ रामें लक्खणेॅण $ सन्देसउ अक्खिउ तक्खणेॅण
{प॰च॰४३,१२.७} "णउ णासइ अज्जु वि एउ कज्जु $ कहेॅ तणिय तार कहेॅ तणउ रज्जु
{प॰च॰४३,१२.८} पहु पाण लएप्पिणु णासु णासु $ जीवन्तु ण छुट्टहि अवसु तासु
घत्ता॒
{प॰च॰४३,१२.९} सन्देसउ विड-सुग्गीव सुणेॅ $ पुणरवि सुग्गीवहेॅ तणउ
सह्ũ सिर-कमलेण तुहारऍण $ रज्जु लएव्वउ अप्पणउ"
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक १३॒
{प॰च॰४३,१३.१} तं वयणु सुणेॅवि वयणुब्भडेॅण $ आरुट्ठें दुट्ठें विड-भडेॅण
{प॰च॰४३,१३.२} आएसु दिण्णु णिय-साहणहेॅ $ "वित्थारहेॅ मारहेॅ आहणहेॅ
{प॰च॰४३,१३.३} पावहेॅ मुण्डावहेॅ सिर-कमलु $ सहु णासें छिन्दहेॅ भुअ-जुअलु
{प॰च॰४३,१३.४} दूअहेॅ दूअत्तणु दक्खवहेॅ $ पाहुणउ कयन्तहेॅ पट्ठवहेॅ"
{प॰च॰४३,१३.५} पहु मन्तिहिॅ दुक्खु णिवारियउ $ सुग्गीव-दूउ गउ खारियउ
{प॰च॰४३,१३.६} एत्तहेॅ वि णरिन्दु ण संथियउ $ णिय-सन्दण-वीढेॅ परिट्ठियउ
{प॰च॰४३,१३.७} सण्णहेॅवि स-साहणु णीसरिउ $ पच्चक्खु णाइँ जमु अवयरिउ
{प॰च॰४३,१३.८} पडिवक्ख-पक्ख-संक्खोहणिहिॅ $ णिग्गउ सत्तेॅहिॅ अक्खोहणिहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४३,१३.९} सुग्गीवहेॅ रामहेॅ लक्खणहेॅ $ विड-सुग्गीउ गम्पि भिडिउ
हेमन्तहेॅ गिम्भहेॅ पाउसहेॅ $ णं दुक्कालु समावडिउ
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक १४॒
{प॰च॰४३,१४.१} अब्भिट्टइँ वेण्णि मि साहणाइँ $ जिह मिहुणइँ तिह हरिसिय-मणाइँ
{प॰च॰४३,१४.२} जिह मिहुणइँ तिह अणुरत्ताइँ $ जिह मिहुणइँ तिह पर-तत्ताइँ
{प॰च॰४३,१४.३} जिह मिहुणइँ तिह कलयल-करइँ $ जिह मिहुणइँ तिह मेल्लिय-सरइं
{प॰च॰४३,१४.४} जिह मिहुणइँ तिह डसियाहरइँ $ जिह मिहुणइँ तिह सर-जज्जरइँ
{प॰च॰४३,१४.५} जिह मिहुणइँ तिह जुज्झाउरइँ $ ६. जिह मिहुणइँ तिह अच्चुब्भडइँ $ जिह मिहुणइँ तिह विहडप्फडइँ
{प॰च॰४३,१४.७} जिह मिहुणइँ तिह णिरु वेवियइँ $ जिह मिहुणइँ तिह पासेइयइँ
{प॰च॰४३,१४.८} जिह मिहुणइँ तिह णिच्चेट्ठियइँ $ णिप्फन्दइँ जुज्झन्तइँ थियइम्
घत्ता॒
{प॰च॰४३,१४.९} तेहऍ अवसरेॅ विण्णि वि वलइँ $ ओसारियइँ महल्लऍहिॅ
"पर तुम्हेॅहिॅ खत्त-धम्मु सरेॅवि $ जुज्झेव्वउ एक्कल्लऍहिॅ"
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक १५॒
{प॰च॰४३,१५.१} एत्थन्तरेॅ सिमिरइँ परिहरेवि $ खत्तिय खत्तें अब्भिट्ट वे वि
{प॰च॰४३,१५.२} सुग्गीवें विडसुग्गीउ वुत्तु $ "जिह माया-कवडें रज्जु भुत्तु
{प॰च॰४३,१५.३} खल खुद्द पिसुण तिह थाहि थाहि $ कहिॅ गम्मइ रहवरु वाहि वाहि"
{प॰च॰४३,१५.४} तं णिसुणेॅवि विप्फुरियाणणेण $ दोच्छिउ जलणुक्का-पहरणेण
{प॰च॰४३,१५.५} "किं उत्तिम-पुरिसह्ũ एहु मग्गु $ मणु असइहेॅ जिह सय-वार भग्गु
{प॰च॰४३,१५.६} जुज्झन्तु ण लज्जहि तो वि धिट्ठ $ रणेॅ पाडिउ पाडिउ लेहि चेट्ठ"
{प॰च॰४३,१५.७} असहन्त परोप्परु वावरन्ति $ णं पलय-महाघण उत्थरन्ति
{प॰च॰४३,१५.८} पुणु वाणेॅहिॅ पुणु तरु-गिरिवरेहिॅ $ करवालेॅहिॅ सूलेॅहिॅ मोग्गरेहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४३,१५.९} मायासुग्गीवें कुद्धऍण $ लउडि भमाडेॅवि मुक्क किह
सुग्गीवहेॅ गम्पिणु सिर-कमलेॅ $ महिहरेॅ पडिय चडक्क जिह
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक १६॒
{प॰च॰४३,१६.१} पाडिउ सुग्गीउ गयासणिऍ $ कुलपव्वउ णं वज्जासणिऍ
{प॰च॰४३,१६.२} विणिवाइउ किर णिज्जीउ थिउ $ रिउ-साहणेॅ तूर-वमालु किउ
{प॰च॰४३,१६.३} एत्तहेॅ वि सु-तारहेॅ पाण-पिउ $ उच्चाऍवि रामहेॅ रामहेॅ पासु णिउ
{प॰च॰४३,१६.४} वइदेहि-दइउ विण्णत्तु लहु $ "पइँ होन्तें एहावत्थ महु"
{प॰च॰४३,१६.५} राहवेॅण वुत्तु "हũ किं करमि $ को मारमि को किर परिहरमि
{प॰च॰४३,१६.६} वेण्णि मि समरङ्गणेॅ अतुल-वल $ वेण्णि मि दुज्जय विज्जहिॅ पवल
{प॰च॰४३,१६.७} वेण्णि मि विण्णाण-करण-कुसल $ विण्णि वि थिर-थोर-वाहु-जुअल
{प॰च॰४३,१६.८} वेण्णि वि वियडुण्णय-वच्छयल $ वेण्णि वि पप्फुल्लिय-मुह-कमल
घत्ता॒
{प॰च॰४३,१६.९} सयलु वि सोहइ सुग्गीव तउ $ जं वोल्लहि अवमाणियउ
महु दिट्ठिऍ कुल-वहुआऍ जिह $ खलु पर-पुरिसु ण जाणियउ"
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक १७॒
{प॰च॰४३,१७.१} मणु धीरेॅवि सुग्गीवहेॅ तणउ $ अवलोइउ धणुहरु अप्पणउ
{प॰च॰४३,१७.२} सुकलत्तु जेम सुपणामि[य]उ $ सुकलत्तु जेम आयामियउ
{प॰च॰४३,१७.३} सुकलत्तु जेम दिढ-गुण-घणउ $ सुकलत्तु जेम कोड्डावणउ
{प॰च॰४३,१७.४} सुकलत्तु जेम णिव्वूढ-भरु $ सुकलत्तु जेम पर-णिप्पसरु
{प॰च॰४३,१७.५} सुकलत्तु जेम सइवरेॅ गहिउ $ घरेॅ जणयहेॅ जणय-सुअऍ सहिउ
{प॰च॰४३,१७.६} तं वज्जावत्तु हत्थेॅ चडिउ $ अप्फालिउ दिसहिॅ णाइँ रडिउ
{प॰च॰४३,१७.७} णं कालें पलय-कालेॅ हसिउ $ णं जुय-खऍ सायरेण रसिउ
{प॰च॰४३,१७.८} णं पडिय चडक्क खडक्क-यलेॅ $ भड कम्पिय विडसुग्गीव-वलेॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४३,१७.९} तं भीसणु चाव-सद्दु सुणेॅवि $ केलि व वाएं थरहरिय
पर-पुरिसु रमेप्पिणु असइ जिह $ विज्ज सरीरहेॅ णीसरिय
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक १८॒
{प॰च॰४३,१८.१} मायासुग्गीउ विसालियऍ $ मेल्लिउ विज्जऍ वेयालियऍ
{प॰च॰४३,१८.२} णं णिद्धणु मुक्कु विलासिणिऍ $ णं वर-मयलञ्छणु रोहिणिऍ
{प॰च॰४३,१८.३} णं सुरवइ परिसेसिउ सइऍ $ णं राहउ सीय-महासइऍ
{प॰च॰४३,१८.४} णं मयण-राउ मेल्लिउ रइऍ $ णं पाव-पिण्डु सासय-गइऍ
{प॰च॰४३,१८.५} णं विसमणयणु हिमपव्वइऍ $ धरणेन्दु णाइँ पउमावइऍ
{प॰च॰४३,१८.६} णिय-विज्जऍ जं अवमाणियउ $ सहसगइ पयडु जणेॅ जाणियउ
{प॰च॰४३,१८.७} जं विहडिउ सुग्गीवहेॅ तणउ $ वलु मिलिउ पडीवउ अप्पणउ
{प॰च॰४३,१८.८} एक्कल्लउ पेक्खेॅवि वइरि थिउ $ वलएवें सर-सन्धाणु किउ
घत्ता॒
{प॰च॰४३,१८.९} खणेॅ खणेॅ अणवरय-गुणड्ढिऍहिॅ $ तिक्खेॅहिॅ राम-सिलीमुहेॅहिॅ
विणिभिण्णु कवडसुग्गीउ रणेॅ $ पच्चाहारु जेम वुहेॅहिॅ
कण्ड ३, संधि ४३, कडवक १९॒
{प॰च॰४३,१९.१} रिउ णिवडिउ सरेॅहिॅ वियारियउ $ सुग्गीउ वि पुरेॅ पइसारियउ
{प॰च॰४३,१९.२} जय-मङ्गल-तूर-णिघोसु किउ $ सह्ũ तारऍ रज्जु करन्तु थिउ
{प॰च॰४३,१९.३} एत्तहेॅ वि रामु परितुट्ठ-मणु $ णिविसेण पराइउ जिण-भवणु
{प॰च॰४३,१९.४} किय वन्दण सुह-गइ-गामियहेॅ $ भावें चन्दप्पह-सामियहेॅ
{प॰च॰४३,१९.५} "जय तुह्ũ गइ तुह्ũ मइ तुह्ũ सरणु $ तुह्ũ माय वप्पु तुह्ũ वन्धु-जणु
{प॰च॰४३,१९.६} तुह्ũ परम-पक्खु परमत्ति-हरु $ तुह्ũ सव्वह्ũ परह्ũ पराहिपरु
{प॰च॰४३,१९.७} तुह्ũ दंसणेॅ णाणेॅ चरित्तेॅ थिउ $ तुह्ũ सयल-सुरासुरेहिॅ णमिउ
{प॰च॰४३,१९.८} सिद्धन्तेॅ मन्तेॅ तुह्ũ वायरणेॅ $ सज्झाऍ झाणेॅ तुह्ũ तव-चरणेॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४३,१९.९} अरहन्तु वुद्धु तुह्ũ हरि हरु वि $ तुह्ũ अण्णाण-तमोह-रिउ
तुह्ũ सुहुमु णिरञ्जणु परमपउ $ तुह्ũ रवि वम्भु सय म्भु सिउ"
[४४. चउयालीसमो संधि] ----------
मणु जूरइ आस ण पूरइ $ खणु वि सहारणु णउ करइ
सो लक्खणु रामाएसें $ घरु सुग्गीवहेॅ पइसरइ
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक १॒
{प॰च॰४४,१.१} विडसुग्गीवेॅ समरेॅ सर-भिण्णऍ $ गऍ सत्तमऍ दिवसेॅ वोलीणऍ
{प॰च॰४४,१.२} वुत्तु सुमित्ति-पुत्तु वलएवें $ "भणु सुग्गीउ गम्पि विणु खेवें
{प॰च॰४४,१.३} तं दिट्ठन्तु णिरुत्तउ जायउ $ सव्वहेॅ सीयलु कज्जु परायउ
{प॰च॰४४,१.४} जं भुञ्जाविउ रज्जु स-तारउ $ कालहेॅ फेडिउ वइरि तुहारउ
{प॰च॰४४,१.५} तं उवयारु किं पि जइ जाणहि $ कन्तहेॅ तणिय वत्त तो आणहि"
{प॰च॰४४,१.६} गउ सोमित्ति विसज्जिउ रामें $ सरु पञ्चमउ मुक्कु णं कामें
{प॰च॰४४,१.७} गिरि-किक्किन्ध-णयरु मोहन्तउ $ कामिणि-जण-मण-संखोहन्तउ
{प॰च॰४४,१.८} जिह जिह घरु सुग्गीवहेॅ पावइ $ तिह तिह जणु विहडप्फडु धावइ
{प॰च॰४४,१.९} ण गणइ कण्ठउ कडउ गलिण्णउ $ णाइँ कुमारें मोहणु दिण्णउ
घत्ता॒
{प॰च॰४४,१.१०} किक्किन्ध-णराहिव-केरउ $ दिट्ठु पुरउ पडिहारु किह
थिउ मोक्ख-वारेॅ पडिकूलउ $ जीवहेॅ दुप्परिणामु जिह
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक २॒
{प॰च॰४४,२.१} "कहेॅ पडिहार गम्पि सुग्गीवहेॅ $ जो परमेसरु जम्वू-दीवहेॅ
{प॰च॰४४,२.२} अच्छइ सो वण-वासेॅ भवन्तउ $ अप्पुणु रज्जु करहि णिच्चिन्तउ
{प॰च॰४४,२.३} जं तुह केरउ अवसरु सारिउ $ चङ्गउ पउमणाउ उवयारिउ
{प॰च॰४४,२.४} तो वरि हũ उवयारु समारमि $ विडसुग्गीउ जेम तिह मारमि"
{प॰च॰४४,२.५} जं संदेसउ दिण्णु कुमारें $ गम्पिणु कहिय वत्त पडिहारें
{प॰च॰४४,२.६} "देव देव जो समरेॅ अणिट्ठिउ $ अच्छइ लक्खणु वारेॅ परिट्ठिउ
{प॰च॰४४,२.७} आउ महव्वलु रामाएसें $ जमु पच्छण्णु णाइँ णर-वेसें
{प॰च॰४४,२.८} किं पइसरउ किं व मं पइसउ $ गम्पिणु वत्त काइँ सीसउ"
घत्ता॒
{प॰च॰४४,२.९} तं वयणु सुणेॅवि सुग्गीवेॅण $ मुहु पडिहारहेॅ जोइयउ
"किं केण वि गाहा-लक्खणु $ वारेॅ महारऍ ढोइयउ
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक ३॒
{प॰च॰४४,३.१} किं लक्खणु जं लक्ख-विसुद्धउ $ किं लक्खणु जो गेय-णिवद्धउ
{प॰च॰४४,३.२} किं लक्खणु जं पाइय-कव्वहेॅ $ किं लक्खणु वायरणहेॅ सव्वहेॅ
{प॰च॰४४,३.३} किं लक्खणु जं छन्देॅ णिदिट्ठउ $ किं लक्खणु जं भरहेॅ गविट्ठउ
{प॰च॰४४,३.४} किं लक्खणु णर-णारी-अङ्गह्ũ $ किं लक्खणु मायङ्ग-तुरङ्गह्ũ"
{प॰च॰४४,३.५} पभणइ पुणु पडिहारु वियक्खणु $ "एयह्ũ मज्झेॅ ण एक्कु वि लक्खणु
{प॰च॰४४,३.६} सो लक्खणु जो दसरह-णन्दणु $ सो लक्खणु जो पर-वल-मद्दणु
{प॰च॰४४,३.७} सो लक्खणु जो णिसियर-मारणु $ सम्वु-कुमार-वीर-संघारणु
{प॰च॰४४,३.८} सो लक्खणु जो राम-सहोयरु $ सो लक्खणु जो सीयहेॅ देवरु
{प॰च॰४४,३.९} सो लक्खणु जो णरवर-केसरि $ सो लक्खणु जो खर-दूसण-अरि
{प॰च॰४४,३.१०} दसरह-तणउ सुमित्तिहेॅ जायउ $ रामें सह्ũ वण-वासहेॅ आयउ
घत्ता॒
{प॰च॰४४,३.११} अणुणिज्जउ देव पयत्तें $ जाव ण कुप्पइ णिय-मणेॅण
मं पन्थें पइँ पेसेसइ $ मायासुग्गीवहेॅ तणेॅण"
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक ४॒
{प॰च॰४४,४.१} तं णिसुणेवि वयणु पडिहारहेॅ $ हियवउ भिण्णु कइद्धय-सारहेॅ
{प॰च॰४४,४.२} "ऍहु सो लक्खणु राम-कणिट्ठउ $ जासु आसि हũ सरणु पइट्ठउ"
{प॰च॰४४,४.३} सीसु व गुरु-वयणेॅहिॅ उम्मूढउ $ णरवइ विणय-गइन्दारूढउ
{प॰च॰४४,४.४} स-वलु स-पिण्डवासु स-कलत्तउ $ चलणेॅहिॅ पडिउ विसन्थुल-गत्तउ
{प॰च॰४४,४.५} पभणिउ कलुणु कियञ्जलि-हत्थउ $ "हũ पाविट्ठु धिट्ठु अकियत्थउ
{प॰च॰४४,४.६} तारा-णयण-सरेॅहिॅ जज्जरियउ $ तुम्हारउ णाउ मि वीसरियउ
{प॰च॰४४,४.७} अहेॅ परमेसर पर-उवयारा $ एक्क-वार महु खमहि भडारा"
{प॰च॰४४,४.८} जं पिय-वयणेॅहिॅ विणउ पयासिउ $ णरवइ लक्खणेॅण आसासिउ
{प॰च॰४४,४.९} "अभउ वच्छ छुडु सीय गवेसहि $ लहु विज्जाहर दस-दिसि पेसहि"
घत्ता॒
{प॰च॰४४,४.१०} सोमित्तिहेॅ वयणु सुणेप्पिणु $ सुहड-सहासेॅहिॅ परियरिउ
णं सायरु समयहेॅ चुक्कउ $ किक्किन्धाहिउ णीसरिउ
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक ५॒
{प॰च॰४४,५.१} णराहिओ विसालयं $ पराइओ जिणालयं
{प॰च॰४४,५.२} थुओ तिलोय-सामिओ $ अणन्त-सोक्ख-गामिओ
{प॰च॰४४,५.३} "जयट्ठ-कम्म-दारणा $ अणङ्ग-सङ्ग-वारणा
{प॰च॰४४,५.४} पसिद्ध-सिद्ध-सासणा $ तमोह-मोह-णासणा
{प॰च॰४४,५.५} कसाय-माय-वज्जिया $ तिलोय-लोय-पुज्जिया
{प॰च॰४४,५.६} मयट्ठ-दुट्ठ-मद्दणा $ तिसल्ल-वेल्लि-छिन्दणा"
{प॰च॰४४,५.७} थुओ एम णाहो $ विहूई-सणाहो
{प॰च॰४४,५.८} महादेव-देवो $ ण तुङ्गो ण छेओ
{प॰च॰४४,५.९} ण छेओ ण मूलं $ ण चावं ण सूलं
{प॰च॰४४,५.१०} ण कङ्काल-माला $ ण दिट्ठि कराला
{प॰च॰४४,५.११} ण गउरी ण गङ्गा $ ण चन्दो ण णागा
{प॰च॰४४,५.१२} ण पुत्तो ण कन्ता $ ण डाहो ण चिन्ता
{प॰च॰४४,५.१३} ण कामो ण कोहो $ ण लोहो ण मोहो
{प॰च॰४४,५.१४} ण माणं ण माया $ ण सामण्ण-छाया
घत्ता॒
{प॰च॰४४,५.१५} पणवेप्पिणु जिणवर-सामिउ $ सुह-गइ-गामिउ पइजारूढु णराहिवइ
"जइ सीयहेॅ वत्त ण-याणमि $ तुम्ह पराणमि तो वल महु सण्णास-गइ"
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक ६॒
{प॰च॰४४,६.१} एव भणेवि अणिट्ठिय-वाहणु $ कोक्काविउ विज्जाहर-साहणु
{प॰च॰४४,६.२} "जाह्ũ गवेसा जहिॅ आसङ्घहेॅ $ जल-दुग्गइँ थल-दुग्गइँ लङ्घहेॅ
{प॰च॰४४,६.३} पइसेॅवि दीवें दीउ गवेसहेॅ" $ गय अङ्गङ्गय उत्तर-देसहेॅ
{प॰च॰४४,६.४} गवय-गवक्ख वे वि पुव्वद्धें $ णल-कुन्देन्द-णील पच्छद्धें
{प॰च॰४४,६.५} दाहिणेण सुग्गीउ स-साहणु $ अण्णु वि जम्ववन्तु हरिसिय-मणु
{प॰च॰४४,६.६} चलिय विमाणारूढ महाइय $ णिविसें कम्वू-दीउ पराइय
{प॰च॰४४,६.७} ताव तेत्थु विज्जाहर-केरउ $ कम्पइ चलइ वलइ विवरेरउ
{प॰च॰४४,६.८} दीहर-दण्डु पवण-पडिपेल्लिउ $ णं जस-पुञ्जु महण्णवे मेल्लिउ
घत्ता॒
{प॰च॰४४,६.९} सो राएं धउ धुव्वन्तउ $ दीसइ णयण-सुहावणउ
"लहु एहु एहु" हक्कारइ $ णाइँ हत्थु सीयहेॅ तणउ
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक ७॒
{प॰च॰४४,७.१} तेण वि दिट्ठु चिन्धु सुग्गीवहेॅ $ उप्परि एन्तउ कम्वू-दीवहेॅ
{प॰च॰४४,७.२} चिन्तइ रयणकेसि "लइ वुज्झिउ $ जेण समाणु आसि हũ जुज्झिउ
{प॰च॰४४,७.३} सो तइलोक्क-चक्क-संतावणु $ मञ्छुडु आउ पडीवउ रावणु
{प॰च॰४४,७.४} कहिॅ णासमि कहेॅ सरणु पढुक्कमि $ एयहेॅ हũ जीवन्तु ण चुक्कमि"
{प॰च॰४४,७.५} दुक्खु दुक्खु साहारिउ णिय-मणु $ "जइ सयम् एव पराइउ रावणु
{प॰च॰४४,७.६} तो किं तासु महद्धऍ वाणरु $ णं णं दीसइ किक्किन्धेसरु"
{प॰च॰४४,७.७} तहिॅ अवसरेॅ सुग्गीउ पराइउ $ णाइँ पुरन्दरु सग्गहेॅ आइउ
{प॰च॰४४,७.८} "भो भो रयणकेसि किं भुल्लउ $ अच्छहि काइँ एत्थु एक्कल्लउ"
घत्ता॒
{प॰च॰४४,७.९} सुग्गीवहेॅ वयणु सुणेप्पिणु $ हियवऍ हरिसु ण माइयउ
णव-पाउसेॅ सलिलें सित्तउ $ विञ्झु जेम अप्पाइयउ
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक ८॒
{प॰च॰४४,८.१} णिय कह कहह्ũ लग्गु विज्जाहरु $ अतुल-मल्लु भामण्डल-किङ्करु
{प॰च॰४४,८.२} "सामिहेॅ जामि जाम ओलग्गऍ $ दिट्ठु विमाणु ताम गयणग्गऍ
{प॰च॰४४,८.३} तहिॅ कन्दन्ति सीय आयण्णेॅवि $ धाइउ रावणु तिण-समु मण्णेॅवि
{प॰च॰४४,८.४} हउ वच्छत्थलेॅ असिवर-घाएं $ गिरि व पलोट्टिउ वज्ज-णिहाएं
{प॰च॰४४,८.५} दुक्खु दुक्खु चेयणउ लहेप्पिणु $ पाडिउ विज्जा-छेउ करेप्पिणु
{प॰च॰४४,८.६} जिह जच्चन्धु दिसाउ विभुल्लउ $ अच्छमि तेण एत्थु एक्कल्लउ"
{प॰च॰४४,८.७} णिसुणेॅवि सीया-हरणु महागुणु $ उभय-करेॅहिॅ अवगूढु पुणुप्पुणु
{प॰च॰४४,८.८} अण्णु वि तुट्ठएण मण-भाविणि $ दिण्ण विज्ज तहेॅ णहयल-गामिणि
घत्ता॒
{प॰च॰४४,८.९} णिउ रयणकेसि सुग्गीवेॅण $ जहिॅ अच्छइ वलु दुम्मणउ
जसु मण्डऍ णाइँ हरेप्पिणु $ आणिउ दहवयणहेॅ तणउ
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक ९॒
{प॰च॰४४,९.१} विज्जाहर-कुल-भवण-पईवें $ रामहेॅ वद्धाविउ सुग्गीवें
{प॰च॰४४,९.२} "देव देव तरु दुक्ख-महाणइ $ सीयहेॅ तणिय वत्त ऍहु जाणइ"
{प॰च॰४४,९.३} तं णिसुणेवि वयणु वलहद्दें $ हसिउ स-विब्भमु कहकह-सद्दें
{प॰च॰४४,९.४} "भो भो वच्छ वच्छ दे साइउ $ जीविउ णवर अज्जु आसाइउ"
{प॰च॰४४,९.५} एव भणेवि तेण सव्वङ्गिउ $ णेह-महाभरेण आलिङ्गिउ
{प॰च॰४४,९.६} "कहेॅ कहेॅ केण कन्त उद्दालिय $ किं मुअ किं जीवन्ति णिहालिय"
{प॰च॰४४,९.७} तं णिसुणेवि चविउ विज्जाहरु $ णाइँ जिणिन्दहेॅ अग्गऍ गणहरु
{प॰च॰४४,९.८} "देव देव कलुणइँ कन्दन्ती $ हा लक्खण हा राम भणन्ती
घत्ता॒
{प॰च॰४४,९.९} णागिन्दि व गरुड-विहङ्गमेॅण $ सारङ्गि व पञ्चाणणेॅण
महु विज्जा-छेउ करेप्पिणु $ णिय वइदेहि दसाणणेॅण
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक १०॒
{प॰च॰४४,१०.१} तहिॅ तेहऍ वि कालेॅ भय-भीयहेॅ $ केण वि सीलु ण कण्डिउ सीयहेॅ
{प॰च॰४४,१०.२} पर-पुरिसेॅहिॅ णउ चित्तु लइज्जइ $ वालेॅहिॅ जिह वायरणु ण भिज्जइ"
{प॰च॰४४,१०.३} तं णिसुणेॅवि विज्जाहर-वुत्तउ $ कण्ठउ दिण्णु कडउ कडिसुत्तउ
{प॰च॰४४,१०.४} तहिॅ अवसरेॅ जे गया गवेसा $ आय पडीवा ते वि असेसा
{प॰च॰४४,१०.५} पुच्छिय राहवेण "वर-वीरहेॅ $ जम्वव अङ्गङ्गय सोण्डीरहेॅ
{प॰च॰४४,१०.६} अहेॅ णल-णीलहेॅ गवय-गवक्खहेॅ $ सा किं दूरेॅ लङ्का महु अक्खहेॅ"
{प॰च॰४४,१०.७} जम्वउ कहहेॅ लग्गु हलहेइहेॅ $ "रक्खस-दीवहेॅ सायर-वेइहेॅ
{प॰च॰४४,१०.८} जोयण-सयइँ सत्त विहिॅ अन्तरु $ तहि मि समुद्दु रउद्दु भयङ्करु
{प॰च॰४४,१०.९} लङ्का-दीउ वि तेण पमाणें $ कहिउ जिणिन्दें केवल-णाणें
{प॰च॰४४,१०.१०} तहिॅ तिकूडु णामेण महीहरु $ जोयणाइँ पञ्चास स-वित्थरु
{प॰च॰४४,१०.११} णव तुङ्गत्तणेण तहेॅ उप्परि $ थिय जोयण वत्तीस लङ्काउरि
घत्ता॒
{प॰च॰४४,१०.१२} एक्कु वि णरिन्दु णीसङ्कउ $ अण्णु समुद्दें परियरिउ
एक्कु वि केसरि दुप्पेक्खउ $ अण्णु पडीवउ पक्खरिउ
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक ११॒
{प॰च॰४४,११.१} जसु तइलोक्क-चक्कु आसङ्कइ $ तेण समाणु भिडेॅवि को सक्कइ
{प॰च॰४४,११.२} राहव एण काइँ आलावें $ काइँ व सीयहेॅ तणेॅण पलावें
{प॰च॰४४,११.३} पिण्डत्थणिउ लडह-लायण्णउ $ लइ महु तणियउ तेरह कण्णउ
{प॰च॰४४,११.४} गुणवइ हिययवम्म हिययावलि $ सुरवइ पउमावइ रयणावलि
{प॰च॰४४,११.५} चन्दकन्त सिरिकन्ताणुद्धरि $ चारुलच्छि मणवाहिणि सुन्दरि
{प॰च॰४४,११.६} सह्ũ जिणवइऍ रूव-संपण्णउ $ परिणि भडारा एयउ कण्णउ"
{प॰च॰४४,११.७} तं णिसुणेॅवि वलएवें वुच्चइ $ "आयह्ũ मज्झेॅ ण एक्क वि रुच्चइ
{प॰च॰४४,११.८} जइ वि रम्भ अह होइ तिलोत्तिम $ सीयहेॅ पासिउ अण्ण ण उत्तिम"
घत्ता॒
{प॰च॰४४,११.९} वलएवहेॅ वयणु सुणेप्पिणु $ किक्किन्धाहिवेण हसिउ
"किउ रत्तहेॅ तणउ कहाणउ $ भोयणु मुऍवि छाणु असिउ
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक १२॒
{प॰च॰४४,१२.१} खणेॅ खणेॅ वोल्लहि णाइँ अयाणउ $ किं पइँ ण सुयउ लोयाहाणउ
{प॰च॰४४,१२.२} जइ वि किं पि अच्छरऍ ण किज्जइ $ ता किं माणुस-मेत्तें दिज्जइ
{प॰च॰४४,१२.३} पूसमाणु जइ सीयहेॅ पासिउ $ तो करेॅ वयणु महारउ भासिउ
{प॰च॰४४,१२.४} वरिसेॅ वरिसेॅ तिहुवण-संतावणु $ जइ वि णेइ एक्केक्की रावणु
{प॰च॰४४,१२.५} तो वि जन्ति तउ तेरह वरिसइँ $ जाइँ सुरिन्द-भोग-अणुसरिसइँ
{प॰च॰४४,१२.६} उप्परन्तेॅ पुणु काइ मि होसइ" $ तं णिसुणेवि वयणु वलु घोसइ
{प॰च॰४४,१२.७} "मइ मारेवउ वइरि स-हत्थें $ लाएवउ खर-दूसण-पन्थें
{प॰च॰४४,१२.८} तिय-परिहवु सव्वह मि गरूवउ $ णं तो पइ मि सइँ जि अणुहूअउ
घत्ता॒
{प॰च॰४४,१२.९} जो मइलिउ विहि-परिणामेॅण $ अयस-कलङ्क-पङ्क-मलेॅहिॅ
सो जस-पडु पक्खालेवउ $ दहमुह-सीस-सिलायलेॅहिॅ"
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक १३॒
{प॰च॰४४,१३.१} तं णिसुणेवि वुत्तु सुग्गीवें $ "विग्गहु कवणु समउ दहगीवें
{प॰च॰४४,१३.२} एक्कु कुरङ्गु एक्कु अइरावउ $ पाहणु एक्कु एक्कु कुल-पावउ
{प॰च॰४४,१३.३} एक्कु समुद्दु एक्कु कमलायरु $ एक्कु भुअङ्गमु एक्कु खगेसरु
{प॰च॰४४,१३.४} एक्कु मणुसु एक्कु वि विज्जाहरु $ तहेॅ तुम्हह्ũ वड्डारउ अन्तरु
{प॰च॰४४,१३.५} जगेॅ जस-पडहु जेण अप्फालिउ $ गिरि कइलासु करेॅहिॅ संचालिउ
{प॰च॰४४,१३.६} जेण महाहवेॅ भग्गु पुरन्दरु $ जमु वइसवणु वरुणु वइसाणरु
{प॰च॰४४,१३.७} जेण समीरणो वि जिउ खत्तें $ कवणु गहणु तहेॅ माणुस-मेत्तें"
{प॰च॰४४,१३.८} हरि वयणेण तेण आरुट्ठउ $ णाइँ सणिच्छरु चित्तें दुट्ठउ
घत्ता॒
{प॰च॰४४,१३.९} "अङ्गङ्गय-णल-सुग्गीवहेॅ $ वाहु-सहेज्जा होहु छुडु
हũ लक्खणु एक्कु पहुच्चमि $ जो दहगीवहेॅ जीव-खुडु"
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक १४॒
{प॰च॰४४,१४.१} तं वयणु सुणेॅवि वयणुण्णऍण $ सुग्गीउ वुत्तु जम्वुण्णऍण
{प॰च॰४४,१४.२} "ऍहु होइ ण केॅ वि सावण्णु णरु $ सच्चउ पडिवक्ख-विणासयरु
{प॰च॰४४,१४.३} जं चवइ सव्वु तं णिव्वहइ $ को असिवरु सूरहासु लहइ
{प॰च॰४४,१४.४} जो जीविउ सम्वुक्कहेॅ हरइ $ जो खर-दूसण-कुलखउ करइ
{प॰च॰४४,१४.५} सो रणेॅ पहरन्तु केण धरिउ $ खय-कालु दसासहेॅ अवयरिउ
{प॰च॰४४,१४.६} परमागमु णीसन्देहु थिउ $ केवलिहिॅ आसि आएसु किउ
{प॰च॰४४,१४.७} आलिङ्गेॅवि वाहहिॅ जिह महिल $ जो संचालेसइ कोडि-सिल
{प॰च॰४४,१४.८} सो होसइ मल्लु दसाणणहेॅ $ सामिउ विज्जाहर-साहणहेॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४४,१४.९} जम्ववहेॅ वयणु णिसुणेप्पिणु $ धुणिउ कुमारें भुअ-जुअलु
"किं एक्कें पाहण-कण्डेॅण $ धरमि स-सायरु धरणि-यलु"
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक १५॒
{प॰च॰४४,१५.१} तं णिसुणेवि वयणु परितुट्ठें $ वुत्तु जणद्दणु वालि-कणिट्ठें
{प॰च॰४४,१५.२} "जं जं चवहि देव तं सच्चउ $ अण्णु वि एउ करहि जइ पच्चउ
{प॰च॰४४,१५.३} तो हũ भिच्चु होमि हियइच्छिउ $ सूरहेॅ दिवसु व वेल पडिच्छिउ
{प॰च॰४४,१५.४} तं णिसुणेवि समर-दुस्सीलेॅहिॅ $ णरवइ वुज्झाविउ णल-णीलेॅहिॅ
{प॰च॰४४,१५.५} "जेण सरेॅहिॅ खर-दूसण घाइय $ पत्तिय कोडि-सिल वि उच्चाइय"
{प॰च॰४४,१५.६} एम चवेवि चलिय विज्जाहर $ णव-कङ्कालेॅ णाइँ णव जलहर
{प॰च॰४४,१५.७} लक्खण-राम चडाविय जाणेॅहिॅ $ घण्टा-झुणि-झङ्कार-पहाणेॅहिॅ
{प॰च॰४४,१५.८} कोडि-सिला-उद्देसु पराइय $ सिद्धेॅहिॅ सिद्धि जेम णिज्झाइय
घत्ता॒
{प॰च॰४४,१५.९} जा सयल-काल हिण्डन्तह्ũ $ हुअ वण-वासेॅ परम्मुहिय
सा एवहिॅ लक्खण-रामह्ũ $ णं थिय सिय सवडम्मुहिय
कण्ड ३, संधि ४४, कडवक १६॒
{प॰च॰४४,१६.१} लोयग्गहेॅ सिव-सासय-सोक्खहेॅ $ जहिॅ मुणिवरह्ũ कोडि गय मोक्खहेॅ
{प॰च॰४४,१६.२} सा कोडि-सिल तेहिॅ परिअञ्चिय $ गन्ध-धूव-वलि-पुप्फेॅहिॅ अञ्चिय
{प॰च॰४४,१६.३} दिण्ण स-सङ्ख पडह किउ कलयलु $ घोसिउ चउ-पयारु जिण-मङ्गलु
{प॰च॰४४,१६.४} "जसु दुन्दुहि असोउ भामण्डलु $ सो अरहन्तु देउ तउ मङ्गलु
{प॰च॰४४,१६.५} जे गय तिहुयणग्गु तं णिक्कलु $ ते सिद्धवर देन्तु तउ मङ्गलु
{प॰च॰४४,१६.६} जेहिॅ अणङ्गु भग्गु जिउ कलि-मलु $ ते वर-साहु देन्तु तउ मङ्गलु
{प॰च॰४४,१६.७} जो छज्जीव-णिकायहँ वच्छलु $ सो दय-धम्मु देउ तउ मङ्गलु"
{प॰च॰४४,१६.८} एम सु-मङ्गलु उच्चारेप्पिणु $ सिद्धवरह्ũ णवकारु करेप्पिणु
{प॰च॰४४,१६.९} जय-जय-सद्दें सिल संचालिय $ रावण-रिद्धि णाइँ उद्दालिय
{प॰च॰४४,१६.१०} मुक्क पडीवी करयल-ताडिय $ दहमुह-हियय-गण्ठि णं फाडिय
घत्ता॒
{प॰च॰४४,१६.११} परितुट्ठें सुरवर-लोऍण $ जय-सिरि-णयण-कडक्खणहेॅ
पम्मुक्कु स इं भु व-दण्डेॅहिॅ $ कुसुम-वासु सिरेॅ लक्खणहेॅ
[४५. पञ्चचालीसमो सन्धि] ----------
कोडि-सिलऍ संचालियऍ दहमुह-जीविउ संचालि(य)उ
णहेॅ देवेॅहिॅ महियलेॅ णरेॅहिॅ आणन्द-तूरु अप्फालि(य)उ
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक १॒
{प॰च॰४५,१.१} रह-विमाण-मायङ्ग-तुरङ्गम-वाहणे $ विजउ घुट्ठु सुग्गीवहेॅ केरऍ साहणे
{प॰च॰४५,१.२} एत्थन्तरेॅ सिरेॅ लाइय करेहिॅ $ जोक्कारिउ वलु विज्जाहरेहिॅ
{प॰च॰४५,१.३} जगेॅ जिणवर-भवणइम् जाइँ जाइँ $ परिअञ्चेॅवि अञ्चेॅवि ताइँ ताइँ
{प॰च॰४५,१.४} पल्लट्टु पडीवउ सुहड-पयरु $ णिविसेण पत्तु किक्किन्ध-णयरु
{प॰च॰४५,१.५} एत्तियइँ कियइँ साहसइँ जइ वि $ सुग्गीवहेॅ मणेॅ संदेहु तो वि
{प॰च॰४५,१.६} "अहेॅ जम्वव चरिउ महन्तु कासु $ किं दहवयणहेॅ किं लक्खणासु
{प॰च॰४५,१.७} कइलासु तुलिउ एक्कें पचण्डु $ अण्णेक्कें पुणु पाहाण-कण्डु
{प॰च॰४५,१.८} वड्डारउ साहसु विहि मि कवणु $ किं सुहगइ किं संसार-गमणु"
{प॰च॰४५,१.९} जम्ववेॅण वुत्तु "मा मणेॅण मुज्झु $ किं अज्ज वि पहु सन्देहु तुज्झु
घत्ता॒
{प॰च॰४५,१.१०} वड्डारउ वड्डन्तरेॅण $ परमागमु सव्वहेॅ पासिउ
जम्म-सए वि णराहिवइ $ किं चुक्कइ मुणिवर-भासिउ"
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक २॒
{प॰च॰४५,२.१} तं णिसुणेॅवि सुग्गीवहेॅ हरिसिय-गत्तहो $ फिट्ट भन्ति जिणा-वयणेॅहिॅ जिह मिच्छत्तहो
{प॰च॰४५,२.२} आगम-वलेण उवलद्धएण $ अवलोइउ सेण्णु कइद्धएण
{प॰च॰४५,२.३} "किं को वि अत्थि एत्तियहँ मज्झेॅ $ जो खन्धु समोड्डइ गरुअ-वोज्झे
{प॰च॰४५,२.४} जो उज्जालइ महु तणउ वयणु $ जो दरिसइ वलहेॅ कलत्त-रयणु
{प॰च॰४५,२.५} जो तारइ दुक्ख-महाणईहेॅ $ जो जाइ गवेसउ जाणईहेॅ"
{प॰च॰४५,२.६} तं णिसुणेॅवि जम्वउ चविउ एव $ "हणुवन्तु मुऍवि को जाइ देव
{प॰च॰४५,२.७} णउ जाणह्ũ किं आरुट्ठो सो वि $ जं णिहउ सम्वु खरु दूसणो वि
{प॰च॰४५,२.८} तं रोसु धरेॅवि मज्झार-तणुअ $ रावणहेॅ मिलेसइ णवर हणुअ
{प॰च॰४५,२.९} जं जाणहेॅ चिन्तहेॅ तं पएसु $ तें मिलिएं मिलियउ जगु असेसु
घत्ता॒
{प॰च॰४५,२.१०} विहि मि राम-रामण-वलह्ũ $ एक्कु वि वड्ढिमउ ण दीसइ
सह्ũ जय-लच्छिऍ विजउ तहिॅ $ पर जहिॅ हणुवन्तु मिलेसइ"
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक ३॒
{प॰च॰४५,३.१} तं णिसुणेॅवि किक्किन्ध-णराहिउ रञ्जिओ $ लच्छिभुत्ति हणुवन्तहेॅ पासु विसज्जिओ
{प॰च॰४५,३.२} "पइँ मुऍवि अण्णु को वुद्धिवन्तु $ जिह मिलइ तेम करि किं पि मन्तु
{प॰च॰४५,३.३} गुण-वयणेॅहिॅ गम्पिणु पवण-पुत्तु $ भणु "एत्थु कालेॅ रूसेॅवि ण जुत्तु
{प॰च॰४५,३.४} खर-दूसण-सम्वु पसाहियत्त $ अप्पणु दुच्चरिऍहिॅ मरणु पत्त
{प॰च॰४५,३.५} णउ रामहेॅ णउ लक्खणहेॅ दोसु $ जिह तहेॅ तिह सव्वहेॅ होइ रोसु"
{प॰च॰४५,३.६} भणु "एत्तिएण कालेण काइँ $ चन्दणहिहेॅ चरियइँ ण वि सुयाइँ
{प॰च॰४५,३.७} लक्खण-मुक्कऍ विरहाउराऍ $ खर-दूसण माराविय खलाऍ""
{प॰च॰४५,३.८} तं वयणु सुणेॅवि आणन्दु हूउ $ आरूढु विमाणेॅ तुरन्तु दूउ
{प॰च॰४५,३.९} संचल्लिउ पुलय-विसट्ट-गत्तु $ णिविसद्धें लच्छीणयरु पत्तु
घत्ता॒
{प॰च॰४५,३.१०} पट्टणु पवण-सुअहेॅ तणउ $ थिउ हणुरुह-दीवेॅ रवण्णउ
महियलेॅ केण वि कारणेॅण $ ण सग्ग-कण्डु अवइण्णउ
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक ४॒
{प॰च॰४५,४.१} लच्छिभुत्ति तं लच्छीणयरु पईसई $ ववहरन्तु जं सुन्दरु तं तं दीसई
{प॰च॰४५,४.२} देउलवाडउ पण्णु पहिल्लउ $ फोप्फलु अण्णु मूलु चेउल्लउ
{प॰च॰४५,४.३} जाइहुल्लु करहाडउ चुण्णउ $ चित्तउडउ कञ्चुअउ रवण्णउ
{प॰च॰४५,४.४} रामउरउ गुलु सरु पइठाणउ $ अइवड्डउ भुजङ्गु वहु-जाणउ
{प॰च॰४५,४.५} अद्ध-वेसु पिउ अव्वुअ-केरउ $ जोव्वणु कण्णाडउ सवियारउ
{प॰च॰४५,४.६} चेलउ हरिकेलउ सच्छायउ $ वड्डायरउ लोणु विक्खायउ
{प॰च॰४५,४.७} वइरायरउ वज्जु मणि सिङ्घलु $ णेवालउ कत्थूरिय-परिमलु
{प॰च॰४५,४.८} मोत्तिय-हार-णियरु सञ्जाणउ $ खरु वज्जरउ तुरउ केक्काणउ
{प॰च॰४५,४.९} वर काविट्ठि सुट्ठु पउणारी $ वाणि सुहासिणि णन्दुरवारी
{प॰च॰४५,४.१०} कञ्ची-केरउ णयरु विसिट्ठउ $ चीणउ णेत्तु वियड्ढेॅहिॅ दिट्ठउ
{प॰च॰४५,४.११} अण्णु इन्द-वायरणु गुणिज्जइ $ भूवावल्लउ गेउ झुणिज्जइ
{प॰च॰४५,४.१२} एम णयरु गउ णिव्वण्णन्तउ $ राउलु पवण-सुअहेॅ संपत्तउ
घत्ता॒
{प॰च॰४५,४.१३} सो पडिहारिऍ णम्मयऍ $ सुग्गीव-दूउ ण णिवारिउ
णाइँ महण्णवेॅ णम्मयऍ $ णिय-जलपवाहु पइसारिउ
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक ५॒
{प॰च॰४५,५.१} दिट्ठु तेण दूरहेॅ वि समीरण-णन्दणो $ सिसिर-कालेॅ दिवसयरु व णयणाणन्दणो
{प॰च॰४५,५.२} सिरिसइलु णरेण णिहालियउ $ णं करि करिणिहिॅ परिमालियउ
{प॰च॰४५,५.३} एक्केत्तहेॅ एक्क णिविट्ठ तिय $ वर-वीण-विहत्थी पाण-पिय
{प॰च॰४५,५.४} णामेणणङ्गकुसुम सुभुअ $ सस सम्वुकुमारहेॅ खरहेॅ सुअ
{प॰च॰४५,५.५} अण्णेक्केत्तहेॅ अण्णेक्क तिय $ वर-कमल-विहत्थी णाइँ सिय
{प॰च॰४५,५.६} सा पङ्कयराय अभङ्गयहेॅ $ सुग्गीवहेॅ सुअ सस अङ्गयहेॅ
{प॰च॰४५,५.७} विहिॅ पासेॅहिॅ वे वि वरङ्गणउ $ कुवलय-दल-दीहर-लोयणउ
{प॰च॰४५,५.८} रेहइ सुन्दरु मज्झत्थु किह $ विहिॅ सञ्झहिॅ परिमिउ दिवसु जिह
{प॰च॰४५,५.९} एत्थन्तरेॅ गुञ्झु ण रक्खियउ $ हणुवन्तहेॅ दूएं अक्खियउ
घत्ता॒
{प॰च॰४५,५.१०} "खेमु कुसलु कल्लाणु जउ $ सुग्गीवङ्गङ्गय-वीरह्ũ
अकुसलु मरणु विणासु खउ $ खर-दूसण-सम्वुकुमारह्ũ"
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक ६॒
{प॰च॰४५,६.१} कहिउ सव्वु तं लक्खण-राम-कहाणउं $ दण्डयाइ मुणि-कोडि-सिला-अवसाणउं
{प॰च॰४५,६.२} तं सुणेॅवि अणङ्गकुसुम डरिय $ पङ्कयरायाणुराय-भरिय
{प॰च॰४५,६.३} एक्कहेॅ णं वज्जासणि पडिय $ अण्णेक्कहेॅ रोमावलि चडिय
{प॰च॰४५,६.४} एक्कहेॅ मणेॅ णाइँ पलेवणउ $ अण्णेक्कहेॅ पुणु वद्धावणउ
{प॰च॰४५,६.५} एक्कहेॅ सरीरु णिच्चेयणउ $ अण्णेक्कहेॅ ववगय-वेयणउ
{प॰च॰४५,६.६} एक्कहेॅ हियवउ पलु पलु ल्हसिउ $ अण्णेक्कहेॅ पलु पलु ओससिउ
{प॰च॰४५,६.७} एक्कहेॅ ओहुल्लिउ मुह-कमलु $ अण्णेक्कहेॅ वियसिउ अहर-दलु
{प॰च॰४५,६.८} एक्कहेॅ जल-भरियइँ लोयणइँ $ अण्णेक्कहेॅ रहस-पलोयणइँ
{प॰च॰४५,६.९} एक्कहेॅ सरु वर-गेयहेॅ तणउ $ अण्णेक्कहेॅ कलुणु रुवावणउ
{प॰च॰४५,६.१०} एक्कहेॅ थिउ राउलु विमण-मणु $ अण्णेक्कहेॅ वड्ढइ णाइँ छणु
घत्ता॒
{प॰च॰४५,६.११} अद्धउ अंसु-जलोल्लियउ $ अद्धउ सरहसु रोमञ्चियउ
राउल पवण-सुयहेॅ तणउ $ णं हरिस-विसाय-पणच्चियउ
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक ७॒
{प॰च॰४५,७.१} खरहेॅ धीय मुच्छङ्गय पुणु वि पडीविया $ चन्दणेण पव्वालिय पच्चुज्जीविया
{प॰च॰४५,७.२} उट्ठिय रोवन्ति अणङ्गकुसुम $ णं चन्दण-लय उब्भिण्ण-कुसुम
{प॰च॰४५,७.३} "हा ताय केण विणिवाइओ ऽसि $ विज्जाहरु होन्तउ घाइओ ऽसि
{प॰च॰४५,७.४} सूराण सूर जस-णिक्कलङ्क $ विज्जाहर-कुल-णहयल-मयङ्क
{प॰च॰४५,७.५} हा भाइ सहोयर देहि वाय $ विलवन्ति कासु पइँ मुक्क माय"
{प॰च॰४५,७.६} तं णिसुणेॅवि कुसलेॅहिॅ पण्डिएहिॅ $ सद्दत्थ-सत्थ-परिचड्डिएहिॅ
{प॰च॰४५,७.७} "किं ण सुउ जिणागमु जगेॅ पगासु $ जायहेॅ जीवहेॅ सव्वहेॅ विणासु
{प॰च॰४५,७.८} जल-विन्दु जेम घङ्घलेॅ पडन्तु $ जं दीसइ तं साहसु महन्तु
{प॰च॰४५,७.९} साहारु ण वन्धइ एइ जाइ $ अरहट्ट-जन्तेॅ णव घडिय णाइँ
घत्ता॒
{प॰च॰४५,७.१०} रोवहि काइँ अकरणेॅण $ धीरवहि माऍ अप्पाणउ
अम्हहँ तुम्हह्ũ अवरहु मि $ कद्दिवसु वि अवस-पयाणउ"
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक ८॒
{प॰च॰४५,८.१} खरहेॅ धीय परिधीरविया परिवारेॅणं $ मय-जलं च देवाविय लोयाचारेॅणं
{प॰च॰४५,८.२} इहेरिसम्मि वेलए $ परिट्ठिए वमालए
{प॰च॰४५,८.३} समुट्ठिओ ऽरिमद्दणो $ समीरणस्स णन्दणो
{प॰च॰४५,८.४} पलम्व-वाहु-पञ्जरो $ णिरङ्कुसो व्व कुञ्जरो
{प॰च॰४५,८.५} महीहरस्स उप्परी $ विरुद्धउ व्व केसरी
{प॰च॰४५,८.६} फुरन्त-रत्त-लोयणो $ सणि व्व सावलोयणो
{प॰च॰४५,८.७} दुवारसो व्व भक्खरो $ जमो व्व दिट्ठि-णिट्ठुरो
{प॰च॰४५,८.८} विहि व्व किञ्चिदुट्ठिओ $ ससि व्व अट्ठमो ठिओ
{प॰च॰४५,८.९} विहप्फइ व्व जम्मणेॅ $ अहि व्व कूर-कम्मणेॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४५,८.१०} "मइँ हणुवन्तें कुद्धऍण $ कहिॅ जीविउ लक्खण-रामह्ũ
दिवसेॅ चउत्थऍ पट्ठवमि $ पन्थें खर-दूसण-मामह्ũ
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक ९॒
{प॰च॰४५,९.१} लच्छिभुत्ति पभणिउ सुहि-सुमहुर-वायए $ "एउ सव्वु किउ सम्वुकुमारहेॅ मायए
{प॰च॰४५,९.२} देव गयण-गोयरीऍ $ कामकुसुम-मायरीऍ
{प॰च॰४५,९.३} उववणं पढुक्कियाऍ $ सुअ-विओय-मुक्कियाऍ
{प॰च॰४५,९.४} रावणस्स लहु-ससाऍ $ काम-सर-परव्वसाऍ
{प॰च॰४५,९.५} लक्खणम्मि गय-मणाऍ $ दिव्व-रूव-दावणाऍ
{प॰च॰४५,९.६} परहरं समल्लियाऍ $ सुपुरिसेहिॅ घल्लियाऍ
{प॰च॰४५,९.७} विरह-दाह-भिम्भलाऍ $ थण वियारिया खलाऍ
{प॰च॰४५,९.८} खरो स-दूसणो वि जेत्थु $ गय रुअन्ति ढुक्क तेत्थु
{प॰च॰४५,९.९} ते वि तक्खणम्मि कुइय $ चन्द-भक्खर व्व उइय
{प॰च॰४५,९.१०} भिडिय राम-लक्खणाहँ $ जिह कुरङ्ग वारणाहँ
{प॰च॰४५,९.११} विण्हुणा सरेहिॅ भिण्ण $ पडिय पायव व्व छिण्ण
{प॰च॰४५,९.१२} एत्तहेॅ वि रणेॅ थिरेण $ णीय सीय दससिरेण
{प॰च॰४५,९.१३} हरि वला वि वे वि तासु $ गय पुरं विराहियासु
{प॰च॰४५,९.१४} एत्थु अवसरम्मि राउ $ मिलिउ अङ्गयस्स ताउ
{प॰च॰४५,९.१५} विड-भडो वि राहवेण $ विणिहओ अलाहवेण
घत्ता॒
{प॰च॰४५,९.१६} तं किउ कोडि-सिलुद्धरणु $ केवलिहिॅ आसि जं भासिउ
अम्हह्ũ जउ रावणहेॅ खउ $ फुडु लक्खण-रामह्ũ पासिउ"
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक १०॒
{प॰च॰४५,१०.१} कहिउ सव्वु जं चन्दणहिहेॅ गुण-कित्तणु $ अणिल-पुत्तु लज्जाविउ थिउ हेट्ठाणणु
{प॰च॰४५,१०.२} जं पिसुणिउ कोडि-सिलुद्धरणु $ अण्णु वि विषसुग्गीवहेॅ मरणु
{प॰च॰४५,१०.३} तं पवण-पुत्तु रोमञ्चियउ $ णडु जिह रस-भाव-पणच्चियउ
{प॰च॰४५,१०.४} कुलु णामु पसंसिउ लक्खणहेॅ $ सुर-सुन्दरि-णयण-कडक्खणहेॅ
{प॰च॰४५,१०.५} "सच्चउ णारायणु अट्ठमउ $ दहवयणहेॅ चन्दु व अट्ठमउ
{प॰च॰४५,१०.६} मायासुग्गीउ जेण वहिउ $ हलहरु अट्ठमउ सो वि कहिउ"
{प॰च॰४५,१०.७} मणु जाणेॅवि हणुवन्तहेॅ तणउ $ दूअहेॅ हियवऍ वद्धावणउ
{प॰च॰४५,१०.८} सिरु णवेॅवि णिरारिउ पिउ चवइ $ "सुग्गीउ देव पइँ सम्भरइ
{प॰च॰४५,१०.९} अच्छइ गुण-सलिल-तिसाइयउ $ तें हũ हक्कारउ आइयउ
घत्ता॒
{प॰च॰४५,१०.१०} पइँ विरहिउ छुल्लुच्छुलउ $ पुण्णालिहेॅ चित्तु व ऊणउ
ण वि सोहइ सुग्गीव-वलु $ जिह जोव्वणु धम्म-विहूणउ"
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक ११॒
{प॰च॰४५,११.१} एह वोल्ल णिसुणेवि समीरण-णन्दणु $ स-गउ स-धउ स-तुरङ्गमु स-भडु स-सन्दणु
{प॰च॰४५,११.२} स-विमाणु स-साहणु पवण-सुउ $ संचल्लिउ पुलय-विसट्ट-भुउ
{प॰च॰४५,११.३} संचल्लेॅ हणुऍ संचल्लु वलु $ णं पाउसेॅ मेह-जालु स-जलु
{प॰च॰४५,११.४} णं रिसह-जिणिन्द-समोसरणु $ णं णाण-समऍ देवागमणु
{प॰च॰४५,११.५} णं तारा-मण्डलु उग्गमिउ $ णं णहेॅ मायामउ णिम्मविउ
{प॰च॰४५,११.६} आणन्द-घोसु हणुवहेॅ तणउ $ णिसुणेवि तूरु कोड्डावणउ
{प॰च॰४५,११.७} पमयद्धय-साहणेॅ जाय दिहि $ घणेॅ गज्जिऍ णं परितुट्ठ सिहि
{प॰च॰४५,११.८} णरवइ सुग्गीउ करेवि धुरेॅ $ किय हट्ट-सोह किक्किन्ध-पुरेॅ
{प॰च॰४५,११.९} कञ्चण-तोरणइँ णिवद्धाइँ $ घरेॅ घरेॅ मिहुणइँ समलद्धाइँ
{प॰च॰४५,११.१०} घरेॅ घरेॅ परिहियइँ रवण्णाइँ $ लाडइ पडिपाणिय-वण्णाइँ
{प॰च॰४५,११.११} लहु गहिय-पसाहण सयल णर $ णिग्गय सवडम्मुह अग्घ-कर
घत्ता॒
{प॰च॰४५,११.१२} जम्वव-णल-णीलङ्गङ्गऍहिॅ $ हणुवन्तु एन्तु जयकारिउ
णाण-चरित्तेॅहिॅ दंसणेॅहिॅ $ णं सिद्धु मोक्खेॅ पइसारिउ
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक १२॒
{प॰च॰४५,१२.१} पइसरन्तु पुरेॅ पेक्खइ णिम्मल-तारइँ $ घरेॅ घरेॅ जि मणि-कञ्चण-तोरण-वारइँ
{प॰च॰४५,१२.२} चन्दण-चच्चराइँ सिरिकण्डइँ $ पेक्खइ पुरेॅ णाणाविह-भण्डइँ
{प॰च॰४५,१२.३} कुङ्कुम-कत्थूरिय-कप्पूरइँ $ अगरु-गन्ध-सिल्हय-सिन्दूरइँ
{प॰च॰४५,१२.४} कत्थइ कल्लूरियह्ũ कणिक्कउ $ णं सिञ्झन्ति तियउ पिय-मुक्कउ
{प॰च॰४५,१२.५} अइ-वण्णुज्जलाउ णउ मिट्ठउ $ णं वर-वेसउ वाहिर-मिट्ठउ
{प॰च॰४५,१२.६} कत्थइ पुणु तम्वोलिय-सन्थउ $ णं मुणिवर-मईउ मज्झत्थउ
{प॰च॰४५,१२.७} अहवइ सुर-महिलउ वहुलत्थउ $ जण-मुहम् उज्जालेवि समत्थउ
{प॰च॰४५,१२.८} कत्थइ पडियइँ पासा-जूअइँ $ णट्टहरइँ पेक्खणइँ व हूअइँ
{प॰च॰४५,१२.९} मुणिवर इव जिण-णामु लयन्तइँ $ वन्दिण इव सु-दाय मग्गन्तइँ
{प॰च॰४५,१२.१०} कत्थइ वर-मालाहर-सन्थउ $ णं वायरण-कहउ सुत्तत्थउ
{प॰च॰४५,१२.११} कत्थइ लवणइँ णिम्मल-तारइँ $ खल-दुज्जण-वयणइँ व सु-खारइँ
{प॰च॰४५,१२.१२} कत्थइ तुप्पइँ तेल्ल-विमीसइँ $ णाइँ कुमित्तत्तणइँ असरिसइँ
{प॰च॰४५,१२.१३} कत्थइ उम्मवन्ति णर माणइँ $ णं जम-दूआ आउ-पमाणइँ
{प॰च॰४५,१२.१४} कत्थइ कामिणीउ मय-मत्तउ $ णं रिह-वहुलउ अधिय-कडत्तउ
{प॰च॰४५,१२.१५} एम असेसु णयरु वण्णन्तउ $ मोत्तिय-रङ्गावलि चूरन्तउ
{प॰च॰४५,१२.१६} लीलऍ पइठु समीरण-णन्दणु $ जहिॅ हलहरु सुग्गीउ जणद्दणु
घत्ता॒
{प॰च॰४५,१२.१७} रामहेॅ हरिहेॅ कइद्धयहेॅ $ हणुवन्तु कयञ्जलि-हत्थउ
कालहेॅ जमहेॅ सणिच्छरहेॅ $ णं मिलिउ कयन्तु चउत्थउ
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक १३॒
{प॰च॰४५,१३.१} राहवेण वइसारिउ णिय-अद्धासणे $ मुणिवरो व्व थिउ णिच्चलु जिणवर-सासणे
{प॰च॰४५,१३.२} एक्कहिॅ णिविट्ठ हणुवन्त-राम $ मण-मोहण णाइँ वसन्त-काम
{प॰च॰४५,१३.३} जम्वव-सुग्गीव सहन्ति ते वि $ णं इन्द-पडिन्द वइट्ठ वे वि
{प॰च॰४५,१३.४} सोमित्ति-विराहिय परम मित्त $ णमि-विणमि णाइँ थिर-थोर-चित्त
{प॰च॰४५,१३.५} अङ्गङ्गय सुहड सहन्ति वे वि $ णं चन्द-सूर थिय अवयरेवि
{प॰च॰४५,१३.६} णल-णील-णरिन्द णिविट्ठ केम $ एक्कासणेॅ जम-वइसवण जेम
{प॰च॰४५,१३.७} गय-गवय-गवक्ख वि रण-समत्थ $ णं वर-पञ्चाणण गिरिवरत्थ
{प॰च॰४५,१३.८} अवर वि एकेक्क पचण्ड वीर $ थिय पासेॅहिॅ पवर-सरीर धीर
{प॰च॰४५,१३.९} एत्थन्तरेॅ जय-सिरि-कुलहरेण $ हणुवन्तु पसंसिउ हलहरेण
घत्ता॒
{प॰च॰४५,१३.१०} "अज्जु मणोरह अज्जु दिहि $ महु साहणु अज्जु पचण्डउ
चिन्ता-सायरेॅ पडियऍण $ जं मारुइ लद्धु तरण्डउ
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक १४॒
{प॰च॰४५,१४.१} पवण-पुत्तेॅ मिलिऍ मिलियउ तइलोक्कु वि $ रिउहेॅ सेण्णेॅ एयहेॅ धुर धरइ ण एक्कु वि"
{प॰च॰४५,१४.२} तं णिसुणेॅवि जयकारु करन्तें $ जाणइ-कन्तु वुत्तु हणुवन्तें
{प॰च॰४५,१४.३} "देव देव वहु-रयण वसुन्धरि $ अत्थि एत्थु केसरिहि मि केसरि
{प॰च॰४५,१४.४} जहिॅ जम्वव-णल-णीलङ्गङ्गय $ णं मुक्कङ्कुस मत्त महागय
{प॰च॰४५,१४.५} जहिॅ सुग्गीव-कुमार-विराहिय $ अतुल-मल्ल जय-लच्छि-पसाहिय
{प॰च॰४५,१४.६} गवय-गवक्ख-समुण्णय-माणा $ अण्ण वि सुहडेक्केक्क-पहाणा
{प॰च॰४५,१४.७} तहिॅ हũ कवणु गहणु किर केहउ $ सीहह्ũ मज्झेॅ कुरङ्गमु जेहउ
{प॰च॰४५,१४.८} तो वि तुहारउ अवसरु सारमि $ दे आएसु देव को मारमि
{प॰च॰४५,१४.९} माणु मरट्टु कासु रणेॅ भज्जउ $ जगेॅ जस-पडहु तुहारउ वज्जउ"
घत्ता॒
{प॰च॰४५,१४.१०} तं णिसुणेॅवि परितुट्ठऍण $ जम्ववेॅण दिण्णु सन्देसउ
"पूरेॅ मणोरह राहवहेॅ $ वइदेहिहेॅ जाहि गवेसउ"
कण्ड ३, संधि ४५, कडवक १५॒
{प॰च॰४५,१५.१} तं णिसुणेॅवि जयकारिउ सीरप्पहरणु $ "देव देव जाएवउ केत्तिउ कारणु
{प॰च॰४५,१५.२} अण्णु वि वड्डारउ स-विसेसउ $ राहव किं पि देहि आएसउ
{प॰च॰४५,१५.३} जेण दसाणणु जम-उरि पावमि $ सीय तुहारऍ करयलेॅ लावमि"
{प॰च॰४५,१५.४} णिसुणेॅवि गलगज्जिउ हणुवन्तहेॅ $ हरिसु पवड्ढिउ जाणइ-कन्तहेॅ
{प॰च॰४५,१५.५} "भो भो साहु साहु पवञ्जइ $ अण्णहेॅ कासु वियम्भिउ छज्जइ
{प॰च॰४५,१५.६} तो वि करेवउ मुणिवर-भासिउ $ तहेॅ खय-कालु कुमारहेॅ पासिउ
{प॰च॰४५,१५.७} ण वि पइँ ण मइँ ण वि सुग्गीवें $ जुज्झेवउ समाणु दहगीवें
{प॰च॰४५,१५.८} णवरि एक्कु सन्देसउ णेज्जहि $ जइ जीवइ तो एम कहेज्जहि
{प॰च॰४५,१५.९} वुच्चइ "सुन्दरि तुज्झ विओएं $ झीणु करी व करिणि-विच्छोएं
{प॰च॰४५,१५.१०} झीणु सु-धम्मु व कलि-परिणामें $ झीणु सु-पुरिसु व पिसुणालावें
{प॰च॰४५,१५.११} झीणु मयङ्कु व वर-पक्ख-क्खऍ $ झीणु मुणिन्दु व सिद्धिहेॅ कङ्खऍ
{प॰च॰४५,१५.१२} झीणु दु-राउलेण वर-देसु व $ अवुह-मज्झेॅ कइ-कव्व-विसेसु व
{प॰च॰४५,१५.१३} झीणु सु-पन्थु व जण-परिचत्तउ $ रामचन्दु तिह पइँ सुमरन्तउ"
घत्ता॒
{प॰च॰४५,१५.१४} अण्ण वि लइ अङ्गुत्थलउ $ अहिणाणु समप्पहि मेरउ
आणेज्जहि स इं भू सणउ $ चूडामणि सीयहेॅ केरउ
[४६. छायालीसमो संधि] ----------
जं अङ्गुत्थलउ उवलद्धु राम-सन्देसउ
गउ कण्टइय-भुउ सीयहेॅ हणुवन्तु गवेसउ
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक १॒
{प॰च॰४६,१.१} मणि-मऊह-सच्छायेॅ णिच्चं देव-णिम्मिए
चन्दकन्ति-खचिए रयणी-चन्दे व णिम्मिए
{प॰च॰४६,१.२} चन्दसाल-साला-विसालए $ टणटणन्त-घण्टा-वमालऍ
{प॰च॰४६,१.३} रणरणन्त-किङ्किणि-सुघोसए $ घवघवन्त-घग्घर-णिघोसए
{प॰च॰४६,१.४} धवल-धयवडाडोय-डम्वरे $ पवण-पेल्लणुव्वेल्लियम्वरे
{प॰च॰४६,१.५} छत्त-दण्ड-उद्दण्ड-पण्डुरे $ चारु-चमर-पब्भार-भासुरे
{प॰च॰४६,१.६} मणि-गवक्ख-मणि-मत्तवारणे $ मणि-कवाड-मणि-वार-तोरणे
{प॰च॰४६,१.७} मणि-पवाल-मुत्तालि-झुम्विरे $ भमिर-भमर-पब्भार-चुम्विरे
{प॰च॰४६,१.८} पडह-मद्दलुल्लोल-तालए $ जिणवरो व्व सुरगिरि-जिणालए
{प॰च॰४६,१.९} तहिॅ विमाणेॅ थिउ पवण-णन्दणो $ चलिउ णाइँ णहेॅ रवि स-सन्दणो
घत्ता॒
{प॰च॰४६,१.१०} गयणङ्गणेॅ थिऍण $ विज्जाहर-पवर-णरिन्दहेॅ
णाइँ सणिच्छरेॅण $ अवलोइउ णयरु महिन्दहेॅ
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक २॒
{प॰च॰४६,२.१} चउ-दुवारु चउ-गोउरु चउ-पायारु पण्डुरं $ गयण-लग्ग-पवणाहय-धय-मालाउलं पुरं
{प॰च॰४६,२.२} गिरि-महिन्द-सिहरे रमाउलं $ रिद्धि-विद्धि-धण-धण्ण-संकुलं
{प॰च॰४६,२.३} तं णिएवि हणुएण चिन्तियं $ "सुरपुरं किम् इन्देण घत्तियं"
{प॰च॰४६,२.४} पुच्छियारविन्दाभ-लोयणी $ कहह्ũ लग्ग विज्जावलोयणी
{प॰च॰४६,२.५} "देव गब्भ-सम्भवेॅ तुहारए $ सव्व-जण-मणाणन्द-गारए
{प॰च॰४६,२.६} जेण घल्लियंजण पसूयणे $ वग्घ-सिङ्घ-गय-सङ्कुले वणे
{प॰च॰४६,२.७} सो महिन्दु णिव्वूढ-साहसो $ वसइ एत्थु खलु खुद्द-माणसो
{प॰च॰४६,२.८} एह णयरि माहिन्द-णामेॅणं $ कामपुरि व णिम्मविय कामेॅणं
{प॰च॰४६,२.९} तं सुणेवि वहु-भरिय-मच्छरो $ मीण-रासि णं गउ सणिच्छरो
घत्ता॒
{प॰च॰४६,२.१०} अमरिस-कुद्धऍण $ मणे चिन्तिउ "गवणु विवज्जमि
आयहेॅ आहयणेॅ $ लइ ताम मडप्फरु भञ्जमि"
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक ३॒
{प॰च॰४६,३.१} तक्खणेॅ ज्जेॅ पण्णत्ति-वलेण विणिम्मियं वलं $ रह-विमाण-मयङ्ग-तुरङ्गम-जोह-संकुलं
{प॰च॰४६,३.२} मेह-जालम् इव विज्जुलुज्जलं $ पडह-मन्दलुद्दाम-गोन्दलं
{प॰च॰४६,३.३} धुद्धुवन्त-सय-सङ्ख-संघडं $ धवल-छत्त-धुव्वन्त-धयवडं
{प॰च॰४६,३.४} मत्त-गिल्ल-गिल्लोल-गय-घडं $ कण्ण-चमर-चल्लन्त-मुहवडं
{प॰च॰४६,३.५} हिलिहिलन्त-तुरयाणणुब्भडं $ तुट्ट-फुट्ट-घड-सुहड-सङ्कडं
{प॰च॰४६,३.६} कलयलार-उग्घुट्ठ-भड-थडं $ झसर-सत्ति-सव्वलि-वियावडं
{प॰च॰४६,३.७} तं णिएवि पर-वल-पलोट्टणे $ खोहु जाउ माहिन्द-पट्टणे
{प॰च॰४६,३.८} भड विरुद्ध सण्णद्ध दुद्धरा $ परसु-चक्क-मोग्गर-धणुद्धरा
{प॰च॰४६,३.९} वद्ध-परिकराकार-भासुरा $ कुरुड-दिट्ठि-दट्ठोट्ठ-णिट्ठुरा
घत्ता॒
{प॰च॰४६,३.१०} स-वलु महिन्द-सुउ $ सण्णहेॅवि महा-भय-भीसणु
हणुवहेॅ अब्भिडिउ $ विञ्झइरिहेॅ जेम हुआसणु
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक ४॒
{प॰च॰४६,४.१} मरु-महिन्द-णन्दण-वलाण जायं महाहवं $ चारु-जयसिरी-रामालिङ्गण-पसर-लाहवं
{प॰च॰४६,४.२} हणुव-हणहणाकार-भीसावणं $ भेट्ट-दुग्घोट्ट-संघट्ट-लोट्टावणं
{प॰च॰४६,४.३} खग्ग-खणखणाकार-गम्भीरयं $ जाय-किलिविण्डि-गुप्पन्त-वर-वीरयं
{प॰च॰४६,४.४} भिउडि-भूभङ्गुराकार-रत्तच्छयं $ पहर-पब्भार-वावार-दुप्पेच्छयं
{प॰च॰४६,४.५} हक्क-मुक्केक्क-हुङ्कार-लल्लक्कयं $ दन्ति-दन्तग्ग-लग्गन्त-पाइक्कयं
{प॰च॰४६,४.६} भिण्ण-वच्छत्थलुद्देस-विहलङ्घलं $ णीसरन्तन्त-मालावली-चुम्भलं
{प॰च॰४६,४.७} तेत्थु वट्टन्तए दारुणे भण्डणे $ हणुव-माहिन्दि अब्भिट्ट समरङ्गणे
{प॰च॰४६,४.८} वे वि सुण्डीर-सङ्घाय-सङ्घारणा $ वे वि मायङ्ग-कुम्भत्थलुद्दारण
{प॰च॰४६,४.९} वे वि णह-गामिणो वे वि विज्जाहरा $ वे वि जस-कङ्खिणो वे वि फुरियाहरा
घत्ता॒
{प॰च॰४६,४.१०} पवण-महिन्दजह्ũ $ णिय-णिय-वाहणेॅहिॅ णिविट्ठह्ũ
जुज्झु समब्भिडिउ $ णावइ हयगीव-तिविट्ठह्ũ
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक ५॒
{प॰च॰४६,५.१} तहिॅ महिन्द-णन्दणेॅण विरुद्धें पढम-अब्भिडे $ थरहरन्ति सर-धोरणि लाइय हणुव-धयवडे
{प॰च॰४६,५.२} वाइणा वि रिउ-वाण-जालयं $ णिसि-खऍ व्व रविणा तमालयं
{प॰च॰४६,५.३} दड्ढम् अतुल-माया-दवग्गिणा $ मोह-जालम् इव परम-जोग्गिणा
{प॰च॰४६,५.४} जलइ णह-यलं जलण-दीवियं $ पर-वलं असेसं पलीवियं
{प॰च॰४६,५.५} कहेॅ वि छत्तु कासु वि धयग्गयं $ कहेॅ वि पजलियं उत्तमङ्गयं
{प॰च॰४६,५.६} कहेॅ वि कवउ कासु कडिल्लयं $ कहेॅ वि कञ्चुयं संकडिल्लयं
{प॰च॰४६,५.७} एम पवर-हुअवह-झुलुक्कियं $ रिउ-वलं गयं घोण-वङ्कियं
{प॰च॰४६,५.८} णवर एक्कु माहिन्दि थक्कओ $ केसरि व्व केसरिहेॅ ढुक्कओ
{प॰च॰४६,५.९} वारुणत्थु सन्धइ ण जावेॅहिॅ $ रोसिएण हणुएण तावेॅहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४६,५.१०} कणय-समुज्जलेॅहिॅ $ तिहिॅ सरेॅहिॅ सरासणु ताडिउ
दुज्जण-हियउ जिह $ उच्छिन्देॅवि धणुवरु पाडिउ
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक ६॒
{प॰च॰४६,६.१} अवरु चाउ किर गेण्हइ जाम महिन्द-णंदणो $ मरु-सुएण विद्धंसिउ ताव सरेहिॅ सन्दणो
{प॰च॰४६,६.२} कण्ड-कण्ड-क्किए रहवरा-वीढए $ वर-तुरङ्गम-जुए पडिऍ भय-गीढए
{प॰च॰४६,६.३} मोडिए छत्त-दण्डे धए छिण्णए $ लहु विमाणे समारूढु वित्थिण्णए
{प॰च॰४६,६.४} तं पि हणुवेण वाणेहिॅ णिण्णासियं $ णरय-दुक्खं व सिद्धेहिॅ विद्धंसियं
{प॰च॰४६,६.५} णिग्गओ विप्फुरन्तो णिरत्थो णरो $ णाइँ णिग्गन्थ-रूवो थिओ मुणिवरो
{प॰च॰४६,६.६} पवण-पुत्तेण घेत्तूण रिउ वद्धओ $ वर-भुअङ्गु व्व गरुडेण उट्ठद्धओ
{प॰च॰४६,६.७} पुत्तेॅ वेहे सुए सवर-वावारिओ $ अणिल-पुत्तो महिन्देण हक्कारिओ
{प॰च॰४६,६.८} अञ्जणा-पियर-पुत्ताण दुद्दरिसणो $ संपहारो समालग्गु भय-भीसणो
{प॰च॰४६,६.९} खग्ग-तिक्खग्ग-वर-मोग्गरुग्गामणो $ सेल्ल-वावल्ल-भल्लाइ-सङ्कावणो
घत्ता॒
{प॰च॰४६,६.१०} पढम-भिडन्तऍण $ सर-पञ्जरु मुक्कु महिन्दें
छिण्णु कइद्धऍण $ जिह भव-संसारु जिणिन्दें
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक ७॒
{प॰च॰४६,७.१} छिण्णु जं जेॅ सर-पञ्जरु रणउहेॅ पवण-जाऍणं $ धगधगन्तु अग्गेउ विमुक्कु महिन्द-राऍणं
{प॰च॰४६,७.२} धुद्धुवन्तु जाल ऽसणि-घोसणो $ जलजलन्तु जालोलि-भीसणो
{प॰च॰४६,७.३} दिट्ठु वाणु जं पवण-पुत्तेॅणं $ वारुणत्थु मेल्लिउ तुरन्तेॅणं
{प॰च॰४६,७.४} जिह घणेण गलगज्जमाणेॅणं $ पसमिओ वि गिम्भो व्व णाऍणं
{प॰च॰४६,७.५} वायवो महिन्देण मेल्लिओ $ पवण-पुत्तु तेण वि ण भेल्लिओ
{प॰च॰४६,७.६} चाव-लट्ठि घत्तेॅवि तुरन्तेॅणं $ वड-महद्दुमो विप्फुरन्तेॅणं
{प॰च॰४६,७.७} मेल्लिओ महा-वहल-पत्तलो $ कढिण-मूलु थिर-थोर-गत्तलो
{प॰च॰४६,७.८} कण्डु कण्डु किउ पवण-पुत्तेॅणं $ कुकइ-कव्व-वन्धो व्व धुत्तेॅणं
{प॰च॰४६,७.९} णवर मुक्कु महिहरु विरुद्धेॅणं $ सो वि छिण्णु णरउ व्व सिद्धेॅणं
घत्ता॒
{प॰च॰४६,७.१०} जं जं लेइ रिउ $ तं तं हणुवन्तु विणासइ
जिह णिल्लक्खणहेॅ $ करेॅ एक्कु वि अत्थु ण दीसइ
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक ८॒
{प॰च॰४६,८.१} अञ्जणाऍ जणणेण विलक्खीहूय-चित्तेॅणं $ गय विमुक्क भामेप्पिणु कोवाणल-पलित्तेॅणं
{प॰च॰४६,८.२} तेण लउडि-दण्डाहिघाऍणं $ तरुवरो व पाडिउ दुवाऍणं
{प॰च॰४६,८.३} गिरि व वज्जेॅणं दुण्णिवारेॅणं $ अणिल-पुत्तु तिह गय-पहारेॅणं
{प॰च॰४६,८.४} णिवडिए सिरीसेलेॅ विम्भलेॅ $ जाय वोल्ल सुरवरहँ णहयले
{प॰च॰४६,८.५} "णिप्फलं गयं हणुव-गज्जियं $ घण-समूहम् इव सलिल-वज्जियं
{प॰च॰४६,८.६} राम-दूअकज्जं ण साहियं $ जाणईहेॅ वयणं ण चाहियं
{प॰च॰४६,८.७} रावणस्स ण वणं विणासियं $ विहलु आसि केवलिहिॅ भासियं"
{प॰च॰४६,८.८} एव वोल्ल सुर-सत्थेॅ जावेॅहिॅ $ हणुअ हूउ सज्जीउ तावेॅहिॅ
{प॰च॰४६,८.९} उट्ठिओ सरासण-विहत्थओ $ सरवरेहिॅ किउ रिउ णिरत्थओ
घत्ता॒
{प॰च॰४६,८.१०} मण्ड कइद्धऍण $ सर-पञ्जरेॅ छुहेॅवि रउद्दें
धरिउ महिन्दु रणेॅ $ णं गङ्गा-वाहु समुद्दें
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक ९॒
{प॰च॰४६,९.१} कुद्धएण समरङ्गणेॅ माया-वइर-हेउणा $ धरिय वे वि माहिन्दि-महिन्द कइद्ध-केउणा
{प॰च॰४६,९.२} माणु मलेवि करेॅवि कडमद्दणु $ चलणेॅहिॅ पडिउ समीरण-णन्दणु
{प॰च॰४६,९.३} "अहेॅ माहिन्द माम मरुसेज्जहि $ जं विमुहिउ तं सयलु खमेज्जहि
{प॰च॰४६,९.४} अहेॅ अहेॅ ताय ताय रिउ-भञ्जण $ णिय-सुय तं वीसरिय किम् अञ्जण
{प॰च॰४६,९.५} हũ तहेॅ तणउ तुज्झु दोहित्तउ $ णिम्मल-वंसु समुज्जल-गोत्तउ
{प॰च॰४६,९.६} भग्गु मरट्टु जेण रणेॅ वरुणहेॅ $ हũ हणुवन्तु पुत्तु तहेॅ पवणहेॅ
{प॰च॰४६,९.७} पेसिउ अब्भत्थेॅवि सुग्गीवें $ रामहेॅ हिउ कलत्तु दहगीवें
{प॰च॰४६,९.८} दूअ-कज्जेॅ संचल्लिउ जावेॅहिॅ $ पट्टणु दिट्ठु तुहारउ तावेॅहिॅ
{प॰च॰४६,९.९} माया-वइरु असेसु विवुज्झिउ $ तें तुम्हहिॅ समाणु मइँ जुज्झिउ
घत्ता॒
{प॰च॰४६,९.१०} तं णिसुणेॅवि वयणु $ विज्जाहर-णयणाणन्दें
णेह-महाभरेॅण $ मारुइ अवगूढु महिन्दें
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक १०॒
{प॰च॰४६,१०.१} "साहु साहु भो सुन्दर सुउ सच्चउ जेॅ पवणहो $ पइँ मुएवि सुहडत्तणु अण्णहेॅ होइ कवणहो
{प॰च॰४६,१०.२} जो सत्तु-सङ्गाम-लक्खेहिॅ जस-णिलउ $ जो उभय-कुल-दीवओ उभय-कुल-तिलउ
{प॰च॰४६,१०.३} जो उभय-वंसुज्जलो ससि व अकलङ्कु $ जो सीहवर-विक्कमो समरेॅ णीसङ्कु
{प॰च॰४६,१०.४} जो दस-दिसा-वलय-परिचत्त-गय-णामु $ जो मत्त-मायङ्ग-कुम्भत्थलायामु
{प॰च॰४६,१०.५} जो पवर-जयलच्छि-आलिङ्गणावासु $ जो सयल-पडिवक्ख-दुप्पेक्ख-णिण्णासु
{प॰च॰४६,१०.६} जो कित्ति-रयणायरो जस-जलावत्तु $ जो वीर-णारायणो जयसिरी-कन्तु
{प॰च॰४६,१०.७} जो सयण-कप्पद्दुमो सच्च-अचलेन्दु $ जो पवर-पहरण-फडा-डोय-भुअइन्दु
{प॰च॰४६,१०.८} जो माण-विञ्झइरि अहिमाण-सय-सिहरु $ धणुवेय-पञ्चाणणो वाण-णह-णियरु
{प॰च॰४६,१०.९} जो अरि-कुरङ्गोह-णित्थवण-दुग्घोट्टु $ पडिवक्ख-जलवाहिणी-सिमिर-जल-घोट्टु
घत्ता॒
{प॰च॰४६,१०.१०} जो केण वि ण जिउ $ आसङ्क-कलङ्क-विवज्जिउ
सो हũ आहयणेॅ $ पइँ एक्कें णवरि परज्जिउ"
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक ११॒
{प॰च॰४६,११.१} एउ वयणु णिसुणेप्पिणु दुद्दम-दणु-विमद्दणो $ "कवणु एत्थु किर परिहवु" भणइ घणारि-णन्दणो
{प॰च॰४६,११.२} तुह्ũ देव दिवायरु तेय-पिण्डु $ हũ किं पि तुहारउ किरण-सण्डु
{प॰च॰४६,११.३} तुह्ũ वर-मयलञ्छणु भुवण-तिलउ $ हũ किं पि तुहारउ जोण्ह-णिलउ
{प॰च॰४६,११.४} तुह्ũ पवर-समुद्दु समुद्द-सारु $ हũ किं पि तुहारउ जल-तुसारु
{प॰च॰४६,११.५} तुह्ũ मेरु-महीहरु महिहरेसु $ हũ किं पि तुहारउ सिल-णिवेसु
{प॰च॰४६,११.६} तुह्ũ केसरि घोर-रउद्द-णाउ $ हũ किं पि तुहारउ णह-णिहाउ
{प॰च॰४६,११.७} तुह्ũ मत्त-महग्गउ दुण्णिवारु $ हũ किं पि तुहारउ मय-वियारु
{प॰च॰४६,११.८} तुह्ũ माणस-सरवरु सारविन्दु $ हũ किं पि तुहारउ सलिल-विन्दु
{प॰च॰४६,११.९} तुह्ũ वर-तित्थयरु महाणुभाउ $ हũ किं पि तुहारउ वय-सहाउ
घत्ता॒
{प॰च॰४६,११.१०} को पडिमल्लु तउ $ तुह्ũ केण ऽवरेणोट्ठद्धउ
णिय पह परिहरइ $ किं मणि चामियर-णिवद्धउ"
कण्ड ३, संधि ४६, कडवक १२॒
{प॰च॰४६,१२.१} कह वि कह वि मणु धीरिउ विज्जाहर-णरिन्दहो $ "ताय ताय मिलि साहणेॅ गम्पिणु रामचन्दहो
{प॰च॰४६,१२.२} वड्डारउ किउ उवयारु तेण $ मारिउ मायासुग्गीउ जेण
{प॰च॰४६,१२.३} को सक्कइ तहेॅ पेसणु करेवि $ मिलु रामहेॅ मच्छरु परिहरेवि
{प॰च॰४६,१२.४} उवयारु करेवउ मइ मि तासु $ जाएवउ लङ्काहिवहेॅ पासु"
{प॰च॰४६,१२.५} हणुयहेॅ एयइँ वयणइँ सुणेवि $ माहिन्दि-महिन्द पयट्ट वे वि
{प॰च॰४६,१२.६} सुग्गीव-णयरु णिविसेण पत्त $ वलु पुच्छइ "ऍहु को जम्ववन्त
{प॰च॰४६,१२.७} किं वलेॅवि पडीवउ पवण-जाउ $ असमत्त-कज्जु हणुवन्तु आउ"
{प॰च॰४६,१२.८} मन्तिण पवुत्तु "णरवर-मइन्दु $ अञ्जणहेॅ वप्पु ऍहु सो महिन्दु"
{प॰च॰४६,१२.९} वल-जम्वव वे वि चवन्ति जाम $ सवडम्मुहु आउ महिन्दु ताम
घत्ता॒
{प॰च॰४६,१२.१०} हलहर-सेवऍहिॅ $ सव्वहिॅ एक्केक्क-पचण्डेॅहिॅ
अग्घुच्चाइयउ $ दिढ-कढिण स इँ भु व-दण्डेॅहिॅ
[४७. सत्तचालीसमो संधि] ----------
मारुइ पवर-विमाणारूढउ $ अहिणव-जयसिरि-वहु-अवगूढउ
सामि-कज्जेॅ संचल्लु महाइउ $ लीलऍ दहिमुह-दीउ पराइउ
कण्ड ३, संधि ४७, कडवक १॒
{प॰च॰४७,१.१} मण-गमणेण तेण णहेॅ जन्तें $ दहिमुह-णयरु दिट्ठु हणुवन्तें
{प॰च॰४७,१.२} दिट्ठाराम-सीम चउ-पासेॅहिॅ $ धरिउ णाइँ पुरु रिणिय-सहासेॅहिॅ
{प॰च॰४७,१.३} जहिॅ पप्फुल्लियाइँ उज्जाणइँ $ वड्डइँ णं तित्थयर-पुराणइँ
{प॰च॰४७,१.४} जहिॅ ण कयावि तलायइँ सुक्कइँ $ णं सीयलइँ सुट्ठु पर-दुक्खइँ
{प॰च॰४७,१.५} जहिॅ वाविउ वित्थय-सोवाणउ $ णं कुगइउ हेट्ठामुह-गमणउ
{प॰च॰४७,१.६} जहिॅ पायार ण केण वि लङ्घिय $ जिण-उवएस णाइँ गुरु-संघिय
{प॰च॰४७,१.७} जहिॅ देउलइँ धवल-पुण्डरियइँ $ पोत्था-वयणइँ व वहु-चरियइँ
{प॰च॰४७,१.८} जहिॅ मन्दिरइँ स-तोरण-वारइँ $ णं समसरणइँ सुप्पडिहारइँ
{प॰च॰४७,१.९} जहिॅ भुव-णेत्त-सुत्त-दरिसावण $ हरि-हर-वम्भहिॅ जेहा आवण
{प॰च॰४७,१.१०} जहिॅ वर-वेसउ तिणयण-रूवउ $ पवर-भुअङ्ग-सऍहिॅ अणुहूअउ
{प॰च॰४७,१.११} जहिॅ गयणत्थ-वसह-हलहर-मइ $ राम-तिलोयण-जेहा गहवइ
घत्ता॒
{प॰च॰४७,१.१२} तहिॅ पट्टणेॅ वहु-उवमहँ भरियऍ $ णं जगेॅ सुकइ-कव्वेॅ वित्थरियऍ
सहइ स-परियणु दहिमुह-राणउ $ णं सुरवइ सुरपुरहेॅ पहाणउ
कण्ड ३, संधि ४७, कडवक २॒
{प॰च॰४७,२.१} तहेॅ अग्गिम महिसि तरङ्गमइ $ णं कामहेॅ रइ सुरवइहेॅ सइ
{प॰च॰४७,२.२} आवन्तऍ जन्तऍ दिण-णिवहेॅ $ उप्पण्णउ कण्णउ तिण्णि तहेॅ
{प॰च॰४७,२.३} विज्जुप्पह चन्दलेह वाल $ अण्णेक्क तहा तरङ्गमाल
{प॰च॰४७,२.४} तिण्णि वि कण्णउ परिवड्ढियउ $ णं सुकइ-कहउ रस-वड्ढियउ
{प॰च॰४७,२.५} वहु-दिवसेॅहिॅ सुरय-पियारऍण $ पट्ठविउ दूउ अङ्गारऍण
{प॰च॰४७,२.६} "जइ भल्लउ दहिमुह माम महु $ तो तिण्णि वि कण्णउ देहि लहु"
{प॰च॰४७,२.७} तेण वि विवाहु सङ्गच्छियउ $ कल्लाणभुत्ति मुणि पुच्छियउ
{प॰च॰४७,२.८} "कहेॅ धीयउ देमि ण देमि कहेॅ" $ मुणिवरेॅण वि तक्खणेॅ कहिउ तहेॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४७,२.९} "वेयड्ढुत्तर-सेढिहेॅ राणउ $ साहसगइ-णामेण पहाणउ
जीविउ तासु समरेॅ जो लेसइ $ तिण्णि वि कण्णउ सो परिणेसइ"
कण्ड ३, संधि ४७, कडवक ३॒
{प॰च॰४७,३.१} गुरु-वयणेण तेण अइ भाविउ $ मणेॅ गन्धव्व-राउ चिन्ताविउ
{प॰च॰४७,३.२} "साहसगइ वहु-विज्जावन्तउ $ तेण समाणु कवणु पहरन्तु
{प॰च॰४७,३.३} अहवइ एउ वि णउ वुज्झिज्जइ $ गुरु-भासिऍ सन्देहु ण किज्जइ
{प॰च॰४७,३.४} जम्म-सए वि पमाणहेॅ ढुक्कइ $ मुणिवर-वयणु ण पलऍ वि चुक्कइ
{प॰च॰४७,३.५} अवसें कन् दिवसु वि सो होसइ $ साहसगइहेॅ जुज्झु जो देसइ"
{प॰च॰४७,३.६} तं णिसुणेवि लडह-लायण्णेॅहिॅ $ णिय-जणेरु आउच्छिउ कण्णेॅहिॅ
{प॰च॰४७,३.७} "भो भो ताय ताय दणु-दारा $ लइ वण-वासहेॅ जाह्ũ भडारा
{प॰च॰४७,३.८} करह्ũ किं पि वरि मन्ताराहणु $ जोग्गब्भासें विज्जा-साहणु"
घत्ता॒
{प॰च॰४७,३.९} एव भणेप्पिणु चल-भउहालउ $ मणि-कुण्डल-मण्डिय-गण्डयलउ
गम्पि पइट्ठउ विउल-वणन्तरेॅ $ णाइँ ति-गुत्तिउ देहब्भन्तरेॅ
कण्ड ३, संधि ४७, कडवक ४॒
{प॰च॰४७,४.१} तं वणु तिहि मि ताहिॅ अवयज्जिउ $ णं भव-गहणु असोय-विवज्जिउ
{प॰च॰४७,४.२} णं णित्तिलउ थेरि-मुह-मण्डलु $ णं णिच्चूयउ कण्ण-उरत्थलु
{प॰च॰४७,४.३} णं णिप्फलु कुसामि ओलग्गिउ $ णं णित्तालु अ-णच्चण-वग्गिउ
{प॰च॰४७,४.४} णं हरि-घरु पुण्णाय-विवज्जिउ $ णं णिसुण्णु वउद्धह्ũ गज्जिउ
{प॰च॰४७,४.५} जहिॅ वोराहिउ कामिणि-लीलउ $ मण्ड मण्ड उव्वीरण-सीलउ
{प॰च॰४७,४.६} जहिॅ पाहण वलन्ति रवि-किरणेॅहिॅ $ णं सज्जण दुज्जण-दुव्वयणेॅहिॅ
{प॰च॰४७,४.७} तहिॅ अच्छन्ति जाव वणेॅ वित्थऍ $ ताव पढुक्किय दिवसेॅ चउत्थऍ
घत्ता॒
{प॰च॰४७,४.८} चारण पवर-महारिसि आइय $ भद्द-सुभद्द वे वि वेराइय
कोसहेॅ तणेॅण चउत्थें भाएं $ अट्ठ दिवस थिय काओसाएं
कण्ड ३, संधि ४७, कडवक ५॒
{प॰च॰४७,५.१} किडिकिडिजन्त-मिलिम्मिलि-लोयण $ लम्विय-भुअ परिवज्जिय-भोयण
{प॰च॰४७,५.२} जल्ल-मलोह-पसाहिय-विग्गह $ णाण-पिण्ड परिचत्त-परिग्गह
{प॰च॰४७,५.३} थिय रिसि पडिमा-जोएं जावेॅहिॅ $ अट्ठमु दिवसु पढुक्किउ तावेॅहिॅ
{प॰च॰४७,५.४} तहिॅ अवसरेॅ तिय-लोलुअ-चित्तहेॅ $ केण वि गम्पि कहिउ वरइत्तहेॅ
{प॰च॰४७,५.५} "देव देव तउ जाउ मणिट्ठउ $ तिण्णि वि कण्णउ रण्णेॅ पइट्ठउ
{प॰च॰४७,५.६} अण्णु ताहिॅ वरइत्तु गविट्ठउ $ तुह्ũ पुणु मुहियऍ ज्जेॅ परितुट्ठउ"
{प॰च॰४७,५.७} तं णिसुणेवि कुविउ अङ्गारउ $ णं हवि घिऍण सित्तु सय-वारउ
{प॰च॰४७,५.८} "भञ्जमि अज्जु मडप्फरु कण्णह्ũ $ जेण ण होन्ति मज्झु ण वि अण्णह्ũ"
घत्ता॒
{प॰च॰४७,५.९} अमरिस-कुड्ढउ कुरुडु पधाइउ $ गम्पिणु वणेॅ वइसाणरु लाइउ
धगधगमाणु समुट्ठिउ वण-दउ $ झत्ति पलित्तु णाइँ खल-जण-वउ
कण्ड ३, संधि ४७, कडवक ६॒
{प॰च॰४७,६.१} पढम-दवग्गि ढुक्कु सिप्पीरहेॅ $ णाइँ किलेसु णिहीण-सरीरहेॅ
{प॰च॰४७,६.२} सयलु वि काणणु जालालीविउ $ रामहेॅ हियउ णाइँ संदीविउ
{प॰च॰४७,६.३} कत्थइ दारु-वणाइँ पलित्तइँ $ णं वइदेहि-दसाणण-चित्तइँ
{प॰च॰४७,६.४} सुक्केहि मि असुक्क पजलाविय $ णं सुपुरिस पिसुणेॅहिॅ संताविय
{प॰च॰४७,६.५} कहि मि पणट्ठइँ वणयर-मिहुणइँ $ कन्दन्तइँ णिय-डिम्भ-विहूणइँ
{प॰च॰४७,६.६} गम्पि मुणिन्दह्ũ सरणु पइट्ठइँ $ सावय इव संसारहेॅ तट्ठइँ
{प॰च॰४७,६.७} तहिॅ अवसरेॅ गयणङ्गणेॅ जन्तें $ खञ्चिउ णिय-विमाणु हणुवन्तें
{प॰च॰४७,६.८} "मरु मरु लाइउ केण हुवासणु $ अच्छउ गमणु करमि गुरु-पेसणु
घत्ता॒
{प॰च॰४७,६.९} अह सरणाइऍ अह वन्दिग्गहेॅ $ सामि-कज्जेॅ अह मित्त-परिग्गहेॅ
आऍहिॅ विहुरेॅहिॅ जो णउ जुज्झइ $ सो णरु मरण-सए वि ण सुज्झइ"
कण्ड ३, संधि ४७, कडवक ७॒
{प॰च॰४७,७.१} मणेॅ चिन्तेप्पिणु णिम्मल-भावें $ मारिउ-णिम्मिय-विज्ज-पहावें
{प॰च॰४७,७.२} सायर-सलिलु सव्वु आकरिसिउ $ मुसल-पमाणेॅहिॅ धारेॅहिॅ वरिसिउ
{प॰च॰४७,७.३} हुअवहु उल्हाविउ पजलन्तउ $ खम-भावेण कलि व वड्ढन्तउ
{प॰च॰४७,७.४} तं उवसग्गु हरेॅवि रिउ-मद्दणु $ गउ मुणिवरह्ũ पासु मरु-णन्दणु
{प॰च॰४७,७.५} कर-कमलेहिॅ पाय पुज्जेप्पिणु $ वन्दिय गुरु गुरु-भत्ति करेप्पिणु
{प॰च॰४७,७.६} मुणि-पुङ्गवेॅहिॅ समुच्चाऍवि कर $ हणुवहेॅ दिण्णासीस सुहङ्कर
{प॰च॰४७,७.७} तहिॅ अवसरेॅ विज्जउ साहेप्पिणु $ मेरुहेॅ पासेॅहिॅ भामरि देप्पिणु
{प॰च॰४७,७.८} तिण्णि वि कण्णउ सालङ्कारउ $ अहिणव-रम्भ-गब्भ-सुकुमारउ
घत्ता॒
{प॰च॰४७,७.९} भद्द-सुभद्दहँ चलण णमन्तिउ $ हणुयहेॅ साहुक्कारु करन्तिउ
अग्गऍ थियउ हसन्ति सु-सीलउ $ णं तिह्ũ कालह्ũ तिण्णि वि लीलउ
कण्ड ३, संधि ४७, कडवक ८॒
{प॰च॰४७,८.१} पुणु वि पसंसिउ सो पवणञ्जइ $ "सुहड-लील अण्णहेॅ कहेॅ छज्जइ
{प॰च॰४७,८.२} चङ्गउ पइँ वच्छल्लु पगासिउ $ उवसग्गहेॅ णाउ मि णिण्णासिउ
{प॰च॰४७,८.३} एत्तिउ जइ ण पत्तु तुह्ũ सुन्दर $ तो ण वि अज्जु अम्हेॅ ण वि मुणिवर"
{प॰च॰४७,८.४} तं णिसुणेॅवि मारुइ गञ्जोल्लिउ $ दन्त-पन्ति दरिसन्तु पवोल्लिउ
{प॰च॰४७,८.५} "तिण्णि वि दीसहेॅ सुट्ठु विणीयउ $ कवणु थाणु कहेॅ तिण्णि वि धीयउउ
{प॰च॰४७,८.६} किं कज्जें वण-वासेॅ पइट्ठउ $ केण वि कउ उवसग्गु अणिट्ठउ"
{प॰च॰४७,८.७} हणुवहेॅ केरउ वयणु सुणेप्पिणु $ पभणइ चन्दलेह विहसेप्पिणु
{प॰च॰४७,८.८} "तिण्णि वि दहिमुह-रायहेॅ धीयउ $ छुडु छुडु अङ्गारेण वि वरियउ
घत्ता॒
{प॰च॰४७,८.९} तहिॅ अवसरेॅ केवलिहिॅ पगासिउ $ "दससयगइहेॅ मरणु जसु पासिउ
कोडि-सिल वि जो संचालेसइ $ सो वरइत्तहेॅ भाइउ होसइ"
कण्ड ३, संधि ४७, कडवक ९॒
{प॰च॰४७,९.१} एम वत्त गय अम्हह्ũ कण्णें $ तें कज्जेण पइट्ठउ रण्णें
{प॰च॰४७,९.२} वारह दिवस एत्थु अच्छन्तिह्ũ $ तीहि मि पुज्जारम्भु करन्तिह्ũ
{प॰च॰४७,९.३} ताम वरेण तेण आरुट्ठें $ उववणेॅ दिण्णु हुआसणु दुट्ठें
{प॰च॰४७,९.४} तो वि ण चित्तु जाउ विवरेरउ $ एउ कहाणउ अम्हह्ũ केरउ"
{प॰च॰४७,९.५} तो एत्थन्तरेॅ रोमञ्चिय-भुउ $ भणइ हसेप्पिणु पवणञ्जय-सुउ
{प॰च॰४७,९.६} "तुम्हेॅहिॅ जं चिन्तिउ तं हूअउ $ साहसगइहेॅ मरणु संभूअउ
{प॰च॰४७,९.७} जसु पासिउ सो अम्हह्ũ सामिउ $ तिहुअणेॅ केण वि णउ आयामिउ
{प॰च॰४७,९.८} जाह्ũ पासु पुज्जन्तु मणोरह" $ वट्टइ जाम परोप्परु इय कह
घत्ता॒
{प॰च॰४७,९.९} दहिमुह-राउ ताव स-कलत्तउ $ पुप्फ-णिवेय-हत्थु संपत्तउ
गुरु पणवेवि करेवि पसंसणु $ हणुवें समउ कियउ संभासणु
कण्ड ३, संधि ४७, कडवक १०॒
{प॰च॰४७,१०.१} संभासणु करेवि तणु-तणुवें $ दहिमुह-राउ वुत्तु पुणु हणुवें
{प॰च॰४७,१०.२} "भो भो णरवइ महिहर-चिन्धहेॅ $ कण्णउ लेवि जाहि किक्किन्धहेॅ
{प॰च॰४७,१०.३} तहिॅ अच्छइ णारायण-जेट्ठउ $ जो वरु चिरु केवलिहिॅ गविट्ठउ
{प॰च॰४७,१०.४} घाइउ तेण समरेॅ साहसगइ $ वेयड्ढुत्तर-सेढिहेॅ णरवइ
{प॰च॰४७,१०.५} ताउ कुमारिउ अहिणव-भोग्गउ $ तिण्णि वि राहवचन्दहेॅ जोग्गउ
{प॰च॰४७,१०.६} मइँ पुणु लङ्काउरि जाएव्वउ $ पेसणु सामिहेॅ तणउ करेव्वउ
{प॰च॰४७,१०.७} तं णिसुणेॅवि संचल्लिउ दहिमुहु $ जो संमाणेॅ दाणेॅ रणेॅ अहिमुहु
{प॰च॰४७,१०.८} तं किक्किन्ध-णयरु संपाइउ $ जम्वव-णल-णीलेॅहिॅ पोमाइउ
घत्ता॒
{प॰च॰४७,१०.९} गम्पिणु भुवण-विणिग्गय-णामहेॅ $ सुग्गीवें दरिसाविउ रामहेॅ
तेण वि कामिणि-थण-परिचड्डणु $ दिण्णु स इँ भु एहिॅ अवरुण्डणु
[४८. अट्ठचालीसमो संधि] ----------
स-विमाणहेॅ णहयलेॅ जन्ताहेॅ छुडु लङ्काउरि पइसन्ताहेॅ
णिसि सूरहेॅ णाइँ समावडिय आसाली हणुवहेॅ अब्भिडिय
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक १॒
{प॰च॰४८,१.१} तो एत्थन्तरे $ देह-विसालिया
जुज्झु समोडेॅवि $ थिय आसालिया. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१.२} "मरु मरु मड्डए $ अप्पउ दरिसइ
मइँ अवगण्णेॅवि $ ऍहु को पइसइ. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१.३} को सक्कइ हुअवहेॅ झम्प देवि $ आसीविसु भुअहिॅ भुयङ्ग लेवि
{प॰च॰४८,१.४} को सक्कइ महि कक्खऍ छुहेवि $ गिरि-मन्दर-गरुअ-भरुव्वहेवि
{प॰च॰४८,१.५} को सक्कइ जम-मुहेॅ पइसरेवि $ भुअ-वलेण समुद्दु समुत्तरेवि
{प॰च॰४८,१.६} को सक्कइ असि-पञ्जरेॅ चडेवि $ धरणिन्द-फणालिहेॅ मणि खुडेवि
{प॰च॰४८,१.७} को सक्कइ सुर-करि-कुम्भु दलेॅवि $ गयणङ्गणेॅ दिणयर-गमणु खलेॅवि
{प॰च॰४८,१.८} को सक्कइ सुरवइ समरेॅ हणेॅवि $ को पइसइ मइँ तिण-समु गणेवि"
घत्ता॒
{प॰च॰४८,१.९} तं वयणु सुणेॅवि जस-लुद्धऍण $ हणुवन्तें अमरिस-कुद्धऍण
अवलोइय विज्ज स-मच्छरेॅण $ णं मेइणि पलय-सणिच्छरेॅण
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक २॒
{प॰च॰४८,२.१} पिहुमइ-णामेॅण $ मन्ति पपुच्छिउ
"समर-महाभरु $ केण पडिच्छिउ. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,२.२} कालें चोइउ $ को हक्कारइ
जो महु सम्मुहु $ गमणु णिवारइ". तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,२.३} तं वयणु सुणेविणु भणइ मन्ति $ किं तुज्झु वि मणेॅ एवड्ड भन्ति
{प॰च॰४८,२.४} जइयह्ũ सुरवर-संतावणेण $ हिय रामहेॅ गेहिणि रामणेण
{प॰च॰४८,२.५} तइयह्ũ पर-वल-दुद्दंसणेण $ लङ्कहेॅ चउदिसिहिॅ विहीसणेण
{प॰च॰४८,२.६} परिरक्ख दिण्ण जण-पुज्जणिज्ज $ णामेण एह आसाल-विज्ज"
{प॰च॰४८,२.७} तं वयणु सुणेप्पिणु पवण-पुत्तु $ रोमञ्च-उच्च-कञ्चुइय-गत्तु
{प॰च॰४८,२.८} पचविउ "मरु मलमि मरट्टु तुज्झु $ वलु वलु आसालिऍ देहि जुज्झु
घत्ता॒
{प॰च॰४८,२.९} जं सयल-काल गलगज्जियउ $ मं जाउ मडप्फर-वज्जियउ
सा तुह्ũ सो हũ तं एउ रणु $ लइ खत्तें जुज्झह्ũ एक्कु खणु"
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक ३॒
{प॰च॰४८,३.१} लउडि-विहत्थउ $ समरेॅ समत्थउ
कवय-सणाहउ $ कइधय-णाहउ. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,३.२} रह-गय-वाहणु $ खञ्चिय-साहणु
सीहु व रोक्केॅवि $ धाइउ कोक्केॅवि. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,३.३} परिहरेॅवि सेण्णु खञ्चेॅवि विमाणु $ एक्कल्लउ पर लउडिऍ समाणु
{प॰च॰४८,३.४} "वलु वलु" भणन्तु अहिमुहु पयट्टु $ णं वर-करिणिहेॅ केसरि विसट्टु
{प॰च॰४८,३.५} णं महिहर-कोडिहेॅ कुलिस-घाउ $ णं दव-जालोलिहेॅ जल-णिहाउ
{प॰च॰४८,३.६} एत्थन्तरेॅ वयण-विसालियाऍ $ हणुवन्तु गिलिउ आसालियाऍ
{प॰च॰४८,३.७} रेहइ मुह-कन्दरेॅ पइसरन्तु $ णं णिसि-सम्भवेॅ रवि अत्थवन्तु
{प॰च॰४८,३.८} वड्ढेवऍ लग्गु पचण्डु वीरु $ संचूरिउ गय-घाऍहिॅ सरीरु
घत्ता॒
{प॰च॰४८,३.९} पेट्टहेॅ अब्भन्तरेॅ पइसरेॅवि $ वलु पउरिसु जीविउ अवहरेॅवि
णीसरिउ पडीवउ पवणि किह $ महि ताडेॅवि फाडेॅवि विञ्झु जिह
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक ४॒
{प॰च॰४८,४.१} पडियासालिया $ जं समरङ्गणे
उट्ठिउ कलयलु $ हणुयहेॅ साहणे. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,४.२} दिण्णइँ तूरइँ $ विजउ पघुट्ठउ
मारुइ लीलऍ $ लङ्क पइट्ठउ. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,४.३} जं दिट्ठु पहञ्जणि पइसरन्तु $ वज्जाउहु धाइउ "हणु" भणन्तु
{प॰च॰४८,४.४} "आसाली वहेॅवि महाणुभाव $ मरु पहरु पहरु कहिॅ जाहि पाव"
{प॰च॰४८,४.५} वयणेण तेण हणुवन्तु वलिउ $ णं सीहहेॅ अहिमुहु सीहु चलिउ
{प॰च॰४८,४.६} अब्भिट्ट वे वि गय-गहिय-हत्थ $ रिउ-रण-भर-परियट्टण-समत्थ
{प॰च॰४८,४.७} वलु वलहेॅ भिडिउ गउ गयहेॅ ढुक्कु $ तुरयहेॅ तुरङ्गु रहु रहहेॅ मुक्कु
{प॰च॰४८,४.८} धउ धयहेॅ विमाणहेॅ वर-विमाणु $ रणु जाउ सुरासुर-रण-समाणु
घत्ता॒
{प॰च॰४८,४.९} रह-तुरय-जोह-गय-वाहणइँ $ मारुइ-विज्जाहर-साहणइँ
अब्भिट्टइँ वे वि स-कलयलइँ $ णं लक्खण-खर-दूसण-वलइँ
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक ५॒
{प॰च॰४८,५.१} वे वि परोप्परु $ अमरिस-कुद्धइं
वे वि रणङ्गणेॅ $ जय-सिरि-लुद्धइं. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,५.२} वे वि हणन्तइं $ कर-परिहत्थइं
दुज्जण-मुहइँ व $ अइ दुप्पेच्छइं. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,५.३} तहिॅ तेहऍ रणेॅ वट्टन्तेॅ घोरेॅ $ वहु-पहरण-छोहेॅ पडन्ते थोरेॅ
{प॰च॰४८,५.४} णिसियर-धएण कोन्ताउहेण $ हक्कारिउ पिहुमइ हयमुहेण
{प॰च॰४८,५.५} "मरु थक्कु थक्क भिडु मइँ समाणु $ अवरोप्परु वुज्झह्ũ वल-स(प)माणु
{प॰च॰४८,५.६} तं णिसुणेॅवि पिहुमइ वलिउ केम $ मयगलहेॅ मत्त-मायङ्गु जेम
{प॰च॰४८,५.७} ते भिडिय परोप्परु घाय देन्त $ रणेॅ रामण-रामह्ũ णामु लेन्त
{प॰च॰४८,५.८} विज्जाहर-करणेॅहिॅ वावरन्त $ जिह विज्जु-पुञ्ज णहयलेॅ भमन्त
घत्ता॒
{प॰च॰४८,५.९} आयामेॅवि भिउडि-भयङ्करेॅण $ हउ हयमुहु हणुवहेॅ किङ्करेॅण
गय-घाऍहिॅ पाडिउ धरणियलेॅ $ किउ कलयलु देवेॅहिॅ गयणयलेॅ
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक ६॒
{प॰च॰४८,६.१} जं गय-घाऍहिॅ $ पाडिउ हयमुहु
कुइउ खणद्धेॅण $ मणेॅ वज्जाउहु. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,६.२} णिट्ठुर-पहरेॅहिॅ $ हणुवहेॅ केरउ
भग्गु असेसु वि $ वलु विवरेरउ. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,६.३} भज्जन्तऍ साहणेॅ णिरवसेसेॅ $ हणुवन्तु थक्कु पर तहिॅ पएसेॅ
{प॰च॰४८,६.४} पञ्चमुह-लील रणेॅ दक्खवन्तु $ "मं भज्जहेॅ" णिय-वलु सिक्खवन्तु
{प॰च॰४८,६.५} उत्थरह्ũ लग्गु णिरु णिट्ठुरेहिॅ $ असि-कणय-कोन्त-गय-मोग्गरेहिॅ
{प॰च॰४८,६.६} वज्जाउहो वि दणु-दारणेहिॅ $ वरिसिउ णाणा-विह-पहरणेहिॅ
{प॰च॰४८,६.७} तहिॅ अवसरेॅ गञ्जोल्लिय-भुएण $ आयामेॅवि पवणञ्जय-सुएण
{प॰च॰४८,६.८} पम्मुक्कु चक्कु रणेॅ दुण्णिवारु $ दुद्दरिसणु भीसणु णिसिय-धारु
घत्ता॒
{प॰च॰४८,६.९} तें चक्कें रणउहेॅ अतुल-वलु $ उच्छिण्णेॅवि पाडिउ सिर-कमलु
धाइउ कवन्धु अमरिसेॅ चडिउ $ दस-पयइँ गम्पि महियलेॅ पडिउ
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक ७॒
{प॰च॰४८,७.१} जं हणुवन्तेॅण $ हउ वज्जाउहो
सयलु वि साहणु $ भग्गु परम्मुहो. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,७.२} गउ विहडप्फडु $ जहिॅ परमेसरि
अच्छइ लीलऍ $ लङ्कासुन्दरी. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,७.३} "किं अज्ज वि ण मुणहि एव वत्त $ आसाल-विज्ज आहवेॅ समत्त
{प॰च॰४८,७.४} अब्भिट्टु तुहारउ जणणु जो वि $ रणेॅ चक्क-पहारेॅ णिहउ सो वि"
{प॰च॰४८,७.५} तं णिसुणेॅवि अमर-मणोहरीऍ $ धाहाविउ लङ्कासुन्दरीऍ
{प॰च॰४८,७.६} "हा मइँ मुएवि कहिॅ गयउ ताय $ हा कलुणु रुअन्तिहेॅ देहि वाय
{प॰च॰४८,७.७} हा ताय सयल-भुवणेक्क-वीर $ पर-वल-पवल-गलत्थण-सरीर
{प॰च॰४८,७.८} हा ताय समरेॅ भड-थड-णिसुम्भ $ सप्पुरिस-रयण अहिमाण-खम्भ"
घत्ता॒
{प॰च॰४८,७.९} अइराऍ स-हत्थें लुहिउ मुहु $ "हलेॅ काइँ गहिल्लिऍ रुअहि तुह्ũ
लइ धणुहरु रहवरेॅ चडहि तुह्ũ $ वलु वुज्झह्ũ जुज्झह्ũ तेण सह्ũ"
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक ८॒
{प॰च॰४८,८.१} तं णिसुणेप्पिणु $ कुइय किसोयरि
चडिय महारहे $ लङ्कासुन्दरि. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,८.२} धणुहर-हत्थिय $ वाणुग्गाविरि
सह्ũ सुर-चावेॅण $ णं पाउस-सिरि. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,८.३} धुरेॅ अइर परिट्ठिय रहु पयट्टु $ पर-वल-विणासु अखलिय-मरट्टु
{प॰च॰४८,८.४} तहिॅ चडेॅवि पधाइय रणेॅ पचण्ड $ मायङ्गहेॅ करिणि व उद्ध-सोण्ड
{प॰च॰४८,८.५} सूरहेॅ सण्णद्ध व काल-रत्ति $ सद्दहेॅ थक्क व पढमा विहत्ति
{प॰च॰४८,८.६} हक्कारिउ रणेॅ हणुवन्तु तीऍ $ पञ्चाणणु जिह पञ्चाणणीऍ
{प॰च॰४८,८.७} मुह-कुहर-विणिग्गय कडुअ-वाय $ "वलु वलु दहवयणहेॅ कुद्ध-पाय
{प॰च॰४८,८.८} जं हय आसालिय णिहउ ताउ $ तं जुज्झु अज्जु खय-कालु आउ"
घत्ता॒
{प॰च॰४८,८.९} तं णिसुणेॅवि भड-कडमद्दणेॅण $ णिब्भच्छिय पवणहेॅ णन्दणेॅण
"ओसरु मं अग्गऍ थाहि महु $ कहेॅ कहि मि जुज्झु कण्णाऍ सह्ũ"
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक ९॒
{प॰च॰४८,९.१} हणुवहेॅ वयणेॅहिॅ $ पवर-धणुद्धरि
हसिय स-विब्भमु $ लङ्कासुन्दरि. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,९.२} हũ परियाणमि $ तुह्ũ वहु-जाणउ
एणालावेॅण $ णवरि अयाणउ. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,९.३} "एउ काइँ चविउ पइँ दुव्वियड्ढ $ किं जलण-तिडिक्कऍ तरु ण दड्ढ
{प॰च॰४८,९.४} किं ण मरइ णरु विस-दुम-लयाऍ $ किं विञ्झु ण कण्डिउ णम्मयाए
{प॰च॰४८,९.५} किं गिरि ण फुट्टु वज्जासणीऍ $ किं ण णिहउ करि पञ्चाणणीऍ
{प॰च॰४८,९.६} रयणीऍ पच्छाऍवि गयण-मग्गु $ किं सूरहेॅ सूरत्तणु ण भग्गु
{प॰च॰४८,९.७} जइ एत्तिउ मणेॅ अहिमाणु तुज्झु $ तो किं आसालिहेॅ दिण्णु जुज्झु"
{प॰च॰४८,९.८} गलगज्जेॅवि लङ्कासुन्दरीऍ $ सर-पञ्जरु मुक्कु णिसायरीऍ
घत्ता॒
{प॰च॰४८,९.९} वज्जाउह-तणयऍ पेसिऍण $ पिच्छुज्जल-पुङ्ख-विहूसिऍण
सर-जालें छाइउ गयणु किह $ जणवउ मिच्छत्त-वलेण जिह
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक १०॒
{प॰च॰४८,१०.१} तो वि ण भिज्जइ $ मारुइ वाणेॅहिॅ
परम-जिणागमु $ जिह अण्णाणेॅहिॅ. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१०.२} पढम-सिलीमुह $ तेण वि मेल्लिय
रइहेॅ अणङ्गें $ दूअ व घल्लिय. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१०.३} णाराऍहिॅ हणुवहेॅ केरएहिॅ $ संचल्लेॅहिॅ दुव्विवरेरएहिॅ
{प॰च॰४८,१०.४} सर-जालु विहञ्जेवि लइउ तेहिॅ $ कावेरि-सलिलु जिह णरवरेहिॅ
{प॰च॰४८,१०.५} अण्णेक्कें वाणें छिण्णु छत्तु $ णं खुडिउ मरालें सहसवत्तु
{प॰च॰४८,१०.६} णं सूरहेॅ जेमन्तहेॅ विसालु $ वियलिउ कराउ कलहोय-थालु
{प॰च॰४८,१०.७} तं णिऍवि छत्तु महियलेॅ पडन्तु $ मेल्लिउ खुरुप्पु थरथरहरन्तु
{प॰च॰४८,१०.८} संथवेॅवि ण सक्किउ सुन्दरेण $ तवसित्तणु णाइँ कुमुणिवरेण
घत्ता॒
{प॰च॰४८,१०.९} तें तिक्ख-खुरुप्पें दुज्जऍण $ पडिवक्ख-मडप्फर-भञ्जऍण
गुणु छिण्णु विणासिउ चाउ किह $ मिच्छत्तु जिणिन्दागमेॅण जिह
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक ११॒
{प॰च॰४८,११.१} धणुहरेॅ छिण्णए $ कुविउ पहञ्जणि
एन्ति पडीविय $ मुक्क सरासणि. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,११.२} लङ्कासुन्दरि $ मग्गण-जालेॅण
छाइय मेइणि $ जिह दुक्कालेॅण. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,११.३} तं हणुयहेॅ केरउ वाण-जालु $ छायन्तु असेसु दियन्तरालु
{प॰च॰४८,११.४} वीसहिॅ सरेॅहिॅ परिछिण्णु सयलु $ णं परम-जिणिन्दें मोह-पडलु
{प॰च॰४८,११.५} अण्णेक्कें वाणें कवउ छिण्णु $ उरु रक्खिउ कह वि ण हणुउ भिण्णु
{प॰च॰४८,११.६} छिज्जन्तेॅ कवऍ हरिसिय-मणेण $ किउ कलयलु णहेॅ सुरवर-जणेण
{प॰च॰४८,११.७} दिणयरेॅण पहञ्जणु वुत्तु एम $ "महिलाऍ जि जिउ हणुवन्तु केम"
{प॰च॰४८,११.८} तं वयणु सुणेॅवि पुलइय-भुएण $ सम्वउरि पदोच्छिउ मरु-सुएण
घत्ता॒
{प॰च॰४८,११.९} "इउ काइँ वुत्तु पइँ दिवसयर $ जिण-धवलु मुएप्पिणु एक्कु पर
जगेॅ जो जो गरुयउ गज्जियउ $ भणु महिलऍ को ण परज्जियउ
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक १२॒
{प॰च॰४८,१२.१} जाम पडुत्तरु $ देइ पहञ्जणु
ताम विसज्जिउ $ उक्का-पहरणु. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१२.२} तिह हणुवन्तेॅण $ एक्कें वाणेॅण
किउ सय-सक्करु $ दुरिउ व णाणेॅण. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१२.३} पुणु मुक्क गयासणि णिसियरीऍ $ णं उवहिहेॅ गङ्ग वसुन्धरीऍ
{प॰च॰४८,१२.४} स कण्ड-कण्डु किय तिहिॅ सरेहिॅ $ णं दुम्मइ संवर-णिज्जरेहिॅ
{प॰च॰४८,१२.५} एत्थन्तरेॅ विप्फुरियाहरीऍ $ पम्मुक्कु चक्कु विज्जाहरीऍ
{प॰च॰४८,१२.६} विद्धंसिउ तं पि सिलीमुहेहिॅ $ णं कुकइ-कइत्तणु वर-वुहेहिॅ
{प॰च॰४८,१२.७} सिल मुक्क पडीवी ताऍ तासु $ णं कु-महिल गय पर-णरहेॅ पासु
{प॰च॰४८,१२.८} वञ्चिय पवणञ्जय-णन्दणेण $ णं असइ सु-पुरिसें दिढ-मणेण
घत्ता॒
{प॰च॰४८,१२.९} सर मुक्क गयासणि चक्कु सिल $ अण्णु वि जं किं पि मुअइ महिल
तं सयलु वि जाइ णिरत्थु किह $ घरेॅ किविणहेॅ तक्कुव-विन्दु जिह
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक १३॒
{प॰च॰४८,१३.१} जिह जिह मारुइ $ समरेॅ ण भज्जइ
तिह तिह कण्ण $ णिरारिउ रज्जइ. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१३.२} वम्मह-वाणेॅहिॅ $ विद्ध उरत्थले
कह वि तुलग्गेॅहिॅ $ पडिय ण महियले. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१३.३} "भो साहु साहु भुवणेक्कवीर $ जयलच्छि-वच्छ-लञ्छिय-सरीर
{प॰च॰४८,१३.४} भो साहु साहु अखलिय-मरट्ट $ भड-भञ्जण पर-वल-मइयवट्ट
{प॰च॰४८,१३.५} भो साहु साहु पच्चक्ख-मयण $ सोहग्ग-रासि सप्पुरिस-रयण
{प॰च॰४८,१३.६} भो साहु साहु कइकेय-तिलय $ कन्दप्प-दप्प-माहप्प-णिलय
{प॰च॰४८,१३.७} भो साहु साहु तणु-तेय-पिण्ड $ दिढ-वियड-वच्छ भुव-दण्ड-चण्ड
{प॰च॰४८,१३.८} भो साहु साहु रिउ-गन्धहत्थि $ उवमिज्जइ जइ उवमाणु अत्थि
घत्ता॒
{प॰च॰४८,१३.९} पइँ णाह परज्जिय हũ समरेॅ $ वरेॅ एवहिॅ पाणिग्गहणु करेॅ"
णिय-णामु लिहेप्पिणु मुक्कु सरु $ णं दूउ विसज्जिउ पियहेॅ घरु
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक १४॒
{प॰च॰४८,१४.१} जाव पहञ्जणि $ वायइ अक्खरु
ताम णिरारिउ $ हियऍ सुहङ्करु. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१४.२} तेण वि गरुअउ $ णेहु करेप्पिणु
वाणु विसज्जिउ $ णामु लिहेप्पिणु. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१४.३} सरु जोऍवि पवर-धणुद्धरीऍ $ परिओसें लङ्कासुन्दरीऍ
{प॰च॰४८,१४.४} अवगूढु पवणि थिरथोर-वाहु $ परिहूअउ विज्जाहर-विवाहु
{प॰च॰४८,१४.५} रेहइ सुन्दरि सह्ũ सुन्दरेण $ वर-करिणि णाइँ सह्ũ कुञ्जरेण
{प॰च॰४८,१४.६} णं रत्त सञ्झ सह्ũ दिणयरेण $ णं सुरसरि सह्ũ रयणायरेण
{प॰च॰४८,१४.७} णं सीहिणि सह्ũ पञ्चाणणेण $ जियपउम णाइँ सह्ũ लक्खणेण
{प॰च॰४८,१४.८} अह खणेॅ खणेॅ वण्णिज्जन्ति काइँ $ णं पुणु वि पुणु वि ताइँ जेॅ ताइँ
घत्ता॒
{प॰च॰४८,१४.९} एत्थन्तरेॅ हणुवें तुरिउ वलु $ णिम्मोहेॅवि थम्भेॅवि किउ अचलु
सुरवहु-जण-मण-संतावणहेॅ $ मं को वि कहेसइ रावणहेॅ
कण्ड ३, संधि ४८, कडवक १५॒
{प॰च॰४८,१५.१} थम्भेॅवि पर-वलु $ धीरेॅवि णिय-वलु
उच्चारेप्पिणु $ जिणवर-मङ्गलु. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१५.२} पइठु समीरणि $ सुट्ठु रमाउले
लङ्कासुन्दरि- $ केरऍ राउले. तेन तेन तेन चित्तें
{प॰च॰४८,१५.३} रयणिहिॅ माणेप्पिणु सुरय-सोक्खु $ संचल्लु विहाणऍ दुक्खु दुक्खु
{प॰च॰४८,१५.४} आउच्छिय सुन्दरि सुन्दरेण $ वणमाल णाइँ लच्छीहरेण
{प॰च॰४८,१५.५} "लइ जामि कन्तेॅ रावणहेॅ पासु $ सह्ũ वलेॅण करेवी सन्धि तासु
{प॰च॰४८,१५.६} किं भणइ विहीसणु भाणुकण्णु $ घणवाहणु मउ मारीचि अण्णु
{प॰च॰४८,१५.७} किं इन्दइ किं अक्खयकुमारु $ किं पञ्चामुह रणेॅ दुण्णिवारु
{प॰च॰४८,१५.८} एत्तियहँ मज्झेॅ का वुद्धि कासु $ को वलहेॅ भिच्चु को रावणासु
घत्ता॒
{प॰च॰४८,१५.९} पुणु पुणु वि भणेव्वउ दहवयणु $ लहु अप्पि परायउ तिय-रयणु
अप्पणउ करेप्पिणु दासरहि $ स इँ भुञ्जहि णीसावण्ण महि"
[४९. एक्कूणपण्णासमो संधि] ----------
परिणेप्पिणु लङ्कासुन्दरि समरेॅ महाभय-भीसणहेॅ
सो मारुइ रामाएसेॅण घरु पइसरइ विहीसणहेॅ
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक १॒
{प॰च॰४९,१.१} सुरवहु-णयणाणन्दयरु (स-स-ग-ग-ग-म-नि-नि-नि-स-स-नि-धा)
समर-सऍहिॅ णिव्वूढ-भरु (म-म-गा-म-गा-म-म-धा-स-नी-स-धा-स-नी-स-धा)
पवर-सरीरु पलम्व-भुउ (स-स-स-स-ग-ग-म-म-नि-नि-स-नि-धा)
लङ्क पईसइ पवण-सुउ (म-म-गा-म-गा-म-धा-स-नी-धा-स-नी-स-धा)
{प॰च॰४९,१.२} वञ्चेॅवि भवणइँ रावण-भिच्चह्ũ $ इन्दइ-भाणुकण्ण-मारिच्चह्ũ
{प॰च॰४९,१.३} जण-मण-णयणाणन्द-जणेरउ $ घरु पइसरइ विहीसण-केरउ
{प॰च॰४९,१.४} तेण वि अब्भुत्थाणु करेप्पिणु $ सरहसु गाढालिङ्गणु देप्पिणु
{प॰च॰४९,१.५} मारुइ वइसारिउ उच्चासणेॅ $ णं सु-परिट्ठिउ जिणु जिण-सासणेॅ
{प॰च॰४९,१.६} कइकसि-णन्दणेण परिपुच्छिउ $ "मित्तेत्तडउ कालु कहिॅ अच्छिउ
{प॰च॰४९,१.७} खेमु कुसलु किं णिय-कुल-दीवह्ũ $ णल-णीलङ्गङ्गय-सुग्गीवह्ũ
{प॰च॰४९,१.८} कुन्दिन्दह्ũ माहिन्द-महिन्दह्ũ $ जम्वव-गवय-गवक्ख-णरिन्दह्ũ
{प॰च॰४९,१.९} अञ्जण-पवणञ्जयह्ũ सु-खेउ" $ पुणु वि पुणु वि जं पुच्छिउ एउ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,१.१०} विहसेवि वुत्तु हणुवन्तेॅण $ "खेमु कुसलु सव्वहेॅ जणहेॅ
पर कुद्धेॅहिॅ लक्खण-रामेॅहिॅ $ अकुसलु एक्कु दसाणणहेॅ"
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक २॒
{प॰च॰४९,२.१} पुणु वि पुणु वि कण्टइय-भुउ $ भणइ पडीवउ पवण-सुउ
"एउ विहीसण थाउ मणेॅ $ दुज्जय हरि-वल होन्ति रणेॅ
सुमण-दुअइ सुमरन्तिया $ सह्ũ वलेॅण सहरिस णच्चिया
{प॰च॰४९,२.२} अच्छइ रामचन्दु आरुट्ठउ $ णं पञ्चाणणु चित्तें दुट्ठउ
{प॰च॰४९,२.३} "अच्छइ अज्जु कल्लेॅ संचल्लमि $ पलय-समुद्दु जेम उत्थल्लमि
{प॰च॰४९,२.४} अच्छइ अज्जु कल्लेॅ आसङ्घमि $ गोपउ जिह रयणायरु लङ्घमि
{प॰च॰४९,२.५} अच्छइ अज्जु कल्लेॅ वलु वुज्झमि $ वइरिहिॅ समउ रणङ्गणेॅ जुज्झमि
{प॰च॰४९,२.६} अच्छइ अज्जु कल्लेॅ अब्भिट्टमि $ दहमुह-वल-समुद्दु ओहट्टमि
{प॰च॰४९,२.७} अच्छइ अज्जु कल्लेॅ पुरेॅ पइसमि $ रावण-सिरि-सीहासणेॅ वइसमि
{प॰च॰४९,२.८} अच्छइ अज्जु कल्लेॅ रिउ-केरउ $ वाणेॅहिॅ करमि सेण्णु विवरेरउ
{प॰च॰४९,२.९} अच्छइ अज्जु कल्लेॅ णीसेसइँ $ लेमि छत्त-धय-चिन्ध-सहासइँ"
घत्ता॒
{प॰च॰४९,२.१०} तें कज्जें आउ गवेसउ $ हũ सुग्गीवहेॅ पेसणेॅण
मं लङ्काहिव-कप्पद्दुमो $ डज्झउ राम-हुवासणेॅण
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक ३॒
{प॰च॰४९,३.१} अण्णु विहीसण एउ मुणेॅ $ जम्वव-केरउ वयणु सुणेॅ
"पइँ होन्तेण वि चल-मणहेॅ $ वुद्धि ण हूअ दसाणणहेॅ
सुमण-दुअइ सुमरन्तिया
{प॰च॰४९,३.२} पइँ होन्तेण वि णारि पराइय $ वाहें हरिणि व रुद्ध वराइय
{प॰च॰४९,३.३} पइँ होन्तेण वि रावणु मूढउ $ अच्छइ माण-गइन्दारूढउ
{प॰च॰४९,३.४} पइँ होन्तेण वि घोर-रउद्दहेॅ $ गमु सज्जिउ संसार-समुद्दहेॅ
{प॰च॰४९,३.५} पइँ होन्तेण वि धम्मु ण जाणिउ $ रयणीयर-वंसहेॅ खउ आणिउ
{प॰च॰४९,३.६} पइँ होन्तेण वि णिय-कुलु मइलउ $ वउ चारित्तु सीलु णउ पालिउ
{प॰च॰४९,३.७} पइँ होन्तेण वि लङ्क विणासिय $ सम्पय रिद्धि विद्धि विद्धंसिय
{प॰च॰४९,३.८} पइँ होन्तेण वि लग्गुम्माऍहिॅ $ चउविहेहिॅ उद्धद्ध-कसाएहिॅ
{प॰च॰४९,३.९} पइँ होन्तेण वि ण किउ णिवारिउ $ एउ कम्मु लज्जणउ णिरारिउ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,३.१०} जस-हाणि खाणि दुह-अयसह्ũ $ इह-पर-लोयहेॅ जम्पणउ
अप्पिज्जउ गेहिणि रामहेॅ $ किं लज्जावहेॅ अप्पणउ"
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक ४॒
{प॰च॰४९,४.१} अण्णु परज्जिय-पर-वलहेॅ $ सुणि सन्देसउ तहेॅ णलहेॅ
"अइरावय-कर-करयलेॅहिॅ $ कवण केलि सह्ũ हरि-वलेॅहिॅ
सुमण-दुअइ सुमरन्तिया
{प॰च॰४९,४.२} सम्वुकुमारु जेहिॅ विणिवाइउ $ तिसिरउ जेहिॅ रणङ्गणेॅ घाइउ
{प॰च॰४९,४.३} जेहिॅ विरोलिउ पहरण-जलयरु $ खर-दूसण-साहण-रयणायरु
{प॰च॰४९,४.४} रहवर-णक्क-ग्गाह-भयङ्करु $ पवर-तुरङ्ग-तरङ्ग-णिरन्तरु
{प॰च॰४९,४.५} वर-गय-भड-थड-वेला-भीसणु $ धय-कल्लोल-वोल-संदरिसणु
{प॰च॰४९,४.६} तेहउ रिउ-समुद्दु रणेॅ घोट्टिउ $ साहसगइ-कप्पयरु पलोट्टिउ
{प॰च॰४९,४.७} कोडि-सिल वि संचालिय जेहिॅ $ किह किज्जइ विग्गहु सह्ũ तेहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,४.८} अप्पिज्जउ सीय पयत्तेॅण $ आयड्ढिय-कोवण्ड-कर
जाम ण पावन्ति रणङ्गणेॅ $ दुज्जय दुद्धर राम-सर"
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक ५॒
{प॰च॰४९,५.१} अण्णु विहीसण गुण-घणउ $ सन्देसउ णीलहेॅ तणउ
गम्पि दसाणणु एम भणु $ "विरुआरउ पर-तिय-गमणु
{प॰च॰४९,५.२} जो पर-दार रमइ णरु मूढउ $ अच्छइ णरय-महण्णवेॅ छूढउ
{प॰च॰४९,५.३} पर-दारेण ति-अक्खु विणट्ठउ $ जइयह्ũ चिरु दारु-वणेॅ पइट्ठउ
{प॰च॰४९,५.४} परदारहेॅ फलेण कमलासणु $ तक्खणेण थिउ सो चउराणणु
{प॰च॰४९,५.५} परदारहेॅ फलेण सुर-सुन्दरु $ सहस-णयणु किउ णवर पुरन्दरु
{प॰च॰४९,५.६} परदारहेॅ फलेण णिल्लञ्छणु $ किउ स-कलङ्कु णवर मयलञ्छणु
{प॰च॰४९,५.७} परदारहेॅ फलेण वइसाणरु $ वर-वाहिऍ उट्ठद्धु णिरन्तरु
{प॰च॰४९,५.८} परदारहेॅ फलेण कुल-दीवहेॅ $ जीविउ हिउ मायासुग्गीवहेॅ
{प॰च॰४९,५.९} अण्णु वि करि जिह जो उम्मेट्ठउ $ भणु परदारें को ण वि णट्ठउ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,५.१०} अप्पाहिउ लक्खण-रामेॅहिॅ $ णिय-परिहव-पड-धोवऍहिॅ
पेक्खेसहि रावणु पडियउ $ अण्णेॅहिॅ दिवसेॅहिॅ थोवऍहिॅ"
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक ६॒
{प॰च॰४९,६.१} तं णिसुणेॅवि डोल्लिय-मणेॅण $ मारुइ वुत्तु विहीसणेॅण
"ण गवेसइ जं चविउ पइँ $ सयवारउ सिक्खविउ मइँ
{प॰च॰४९,६.२} तो वि महारउ ण किउ णिवारिउ $ पज्जलियउ मयणग्गि णिरारिउ
{प॰च॰४९,६.३} ण गणइ जिण-भासिय-गुण-वयणइँ $ ण गणइ इन्दणील-मणि-रयणइँ
{प॰च॰४९,६.४} ण गणइ घरु परियणु णासन्तउ $ ण गणइ पट्टणु पलयहेॅ जन्तउ
{प॰च॰४९,६.५} ण गणइ रिद्धि विद्धि सिय सम्पय $ ण गणइ गलगज्जन्त महागय
{प॰च॰४९,६.६} ण गणइ हिलिहिलन्त हय चञ्चल $ ण गणइ रहवर कणय-समुज्जल
{प॰च॰४९,६.७} ण गणइ सालङ्कारु स-णेउरु $ मणहरु पिण्डवासु अन्तेउरु
{प॰च॰४९,६.८} ण गणइ जल-कीलउ उज्जाणइँ $ जाणइँ जम्पाणइँ स-विमाणइँ
{प॰च॰४९,६.९} सीयहेॅ वयणु एक्कु पर मण्णइ $ भणमि पडीवउ जइ आयण्णइ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,६.१०} जइ एम वि ण किउ णिवारिउ $ तो आयामिय-आहवहेॅ
रणेॅ हणुव तुज्झु पेक्खन्तहेॅ $ होमि सहेज्जउ राहवहेॅ"
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक ७॒
{प॰च॰४९,७.१} तं णिसुणेप्पिणु पवण-सुउ $ स-रहसु पुलय-विसट्ट-भुउ
पडिणियत्तु विवरम्मुहउ $ गउ उज्जाणहेॅ सम्मुहउ
{प॰च॰४९,७.२} पट्टणु णिरवसेसु परिसेसेॅवि $ अवलोयणियहेॅ वलेॅण गवेसेॅवि
{प॰च॰४९,७.३} रवि-अत्थवणेॅ सुहड-चूडामणि $ पवरुज्जाणु पयट्टिउ पावणि
{प॰च॰४९,७.४} जं सुरवरतरूहिॅ संछण्णउ $ मल्लिय-कङ्केल्लीहिॅ रवण्णउ
{प॰च॰४९,७.५} लवलीलय-लवङ्ग-णारङ्गेॅहिॅ $ चम्पय-वउल-तिलय-पुण्णग्गेॅहिॅ
{प॰च॰४९,७.६} तरल-तमाल-ताल-तालूरेॅहिॅ $ मालइ-माहुलिङ्ग-मालूरेॅहिॅ
{प॰च॰४९,७.७} भुअ-पउमक्ख-दक्ख-खज्जूरेॅहिॅ $ कुङ्कुम-देवदारु-कप्पूरेॅहिॅ
{प॰च॰४९,७.८} वर-करमर-करीर-करवन्देॅहिॅ $ एला-कक्कोलेहिॅ सुमन्देॅहिॅ
{प॰च॰४९,७.९} चन्दण-वन्दणेहिॅ साहारेॅहिॅ $ एव तरूहिॅ अणेय-पयारेॅहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,७.१०} तहेॅ वणहेॅ मज्झेॅ हणुवन्तेॅण $ सीय णिहालिय दुम्मणिय
णं गयण-मग्गेॅ उम्मिल्लिय $ चन्द-लेह वीयहेॅ तणिय
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक ८॒
{प॰च॰४९,८.१} सहिय-सहासेॅहिॅ परियरिय $ णं वण-देवय अवयरिय
तिल-मित्तु ण ऽवलक्खणु जहेॅ $ णिव्वण्णिज्जइ काइँ तहेॅ
{प॰च॰४९,८.२} वर-पाय-तलेॅहिॅ पउणारएहिॅ $ सिङ्घल-णहेहिॅ दिहि-गारऍहिॅ
{प॰च॰४९,८.३} उच्चङ्गुलिऍहिॅ चेउल्लिएहिॅ $ वट्टुलिऍहिॅ गुप्फेॅहिॅ गोल्लिएहिॅ
{प॰च॰४९,८.४} वर-पोट्टरिऍहिॅ मायन्दिएहिॅ $ सिरि-पव्वय-तणिऍहिॅ मण्डिएहिॅ
{प॰च॰४९,८.५} ऊरुअ-जुएण णिप्पालएण $ कडिमण्डलेण करहाडएण
{प॰च॰४९,८.६} वर-सोणिऍ कञ्ची-केरियाऍ $ तणु-णाहिएण गम्भीरियाऍ
{प॰च॰४९,८.७} सुललिय-पुट्ठिऍ सिङ्गारियाऍ $ पिण्डत्थणियऍ एलउरियाऍ
{प॰च॰४९,८.८} वच्छयलें मज्झिमएसएण $ भुअ-सिहरेॅहिॅ पच्छिम-देसएण
{प॰च॰४९,८.९} वारमई-केरेॅहिॅ वाहुलेहिॅ $ सिन्धव-मणिवन्धहिॅ वट्टुलेहिॅ
{प॰च॰४९,८.१०} माणुग्गीवऍ कच्छायणेण $ उट्ठउडें गोग्गडियहेॅ तणेण
{प॰च॰४९,८.११} दसणावलियऍ कण्णाडियऍ $ जीहऍ कारोहण-वाढियऍ
{प॰च॰४९,८.१२} णासउडेॅहिॅ तुङ्ग-विसय-तणेहिॅ $ गम्भीरएहिॅ वर-लोयणेहिॅ
{प॰च॰४९,८.१३} भउहा-जुएण उज्जेणएण $ भालेण वि चित्ताऊडएण
{प॰च॰४९,८.१४} कासिऍहिॅ कवोलेॅहिॅ पुज्जएहिॅ $ कण्णेहि मि कण्णाउज्जएहिॅ
{प॰च॰४९,८.१५} काओलिहिॅ केस-विसेसएण $ विणएण वि दाहिणएसएण
घत्ता॒
{प॰च॰४९,८.१६} अह किं वहुणा वित्थरेॅण $ अ-णिविण्णेॅण सुन्दर-मइण
एक्केक्कउ वत्थु लएप्पिणु $ णावइ घडिय पयावइण
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक ९॒
{प॰च॰४९,९.१} राम-विओएं दुम्मणिय $ अंसु-जलोल्लिय-लोयणिय
मोक्कल-केस कवोल-भुअ $ दिट्ठ विसण्ठुल जणय-सुअ
{प॰च॰४९,९.२} जाणइ-वयण-कमलु अलहन्तिउ $ सुहु ण देन्ति फुल्लन्धुय-पन्तिउ
{प॰च॰४९,९.३} हणइ तो वि ण करन्ति णिवारिउ $ कर-कमलहिॅ लग्गन्ति णिरारिउ
{प॰च॰४९,९.४} एव सिलीमुह-सासिज्जन्ती $ अण्णु विओअ-सोय-संतत्ती
{प॰च॰४९,९.५} वणेॅ अच्छन्ति दिट्ठ परमेसरि $ सेस-सरीहिॅ मज्झेॅ णं सुर-सरि
{प॰च॰४९,९.६} हरिसिउ अञ्जणेउ एत्थन्तरेॅ $ "धण्णउ एक्कु रामु भुवणन्तरेॅ
{प॰च॰४९,९.७} जो तिय एह आसि माणन्तउ $ रावणु सइँ जेॅ मरइ अलहन्तउ
{प॰च॰४९,९.८} णिरलङ्कार वि होन्ती सोहइ $ जइ मण्डिय तो तिहुअणु मोहइ"
{प॰च॰४९,९.९} सीयहेॅ तणउ रूउ वण्णेप्पिणु $ अप्पउ णहेॅ पच्छण्णु करेप्पिणु
घत्ता॒
{प॰च॰४९,९.१०} जो पेसिउ राहवचन्देॅण $ सो घत्तिउ अङ्गुत्थलउ
उच्छङ्गेॅ पडिउ वइदेहिहेॅ $ णावइ हरिसहेॅ पोट्टलउ
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक १०॒
{प॰च॰४९,१०.१} पेक्खेॅवि रामङ्गुत्थलउ $ सरहसु हसिउ सुकोमलउ
दिहि परिवद्धिय सहि-जणहेॅ $ तियडऍ कहिउ दसाणणहेॅ
{प॰च॰४९,१०.२} "जीविउ सहलु तुहारउ अज्जु $ अज्जु णवर णिक्कण्टउ रज्जु
{प॰च॰४९,१०.३} जोअइ अज्जु देव दह वयणइँ $ लद्धइँ अज्जु चउद्दह रयणइँ
{प॰च॰४९,१०.४} उब्भहि अज्जु छत्त-धय-दण्डइँ $ भुञ्जहि अज्जु पिहिमि छक्कण्ड इ
{प॰च॰४९,१०.५} अज्जु मत्त-गय-घडउ पसाहहि $ अज्जुत्तुङ्ग तुरङ्गम वाहहि
{प॰च॰४९,१०.६} पुज्जउ अज्जु पइज्ज तुहारी $ एत्तिय-कालहेॅ हसिय भडारी
{प॰च॰४९,१०.७} लहु देवावहि णिव्वुइ-गारउ $ वज्जउ मङ्गलु तूरु तुहारउ
{प॰च॰४९,१०.८} एत्तिउ वुज्झमि णीसंदेहें $ जइ आलिङ्गणु देइ सणेहें"
{प॰च॰४९,१०.९} तं णिसुणेवि दसाणणु हरिसिउ $ सव्वङ्गिउ रोमञ्चु पदरिसिउ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,१०.१०} जो चप्पेॅवि चप्पेॅवि भरियउ $ सयल-भुवण-संतावणहेॅ
सो हरिसु धरन्त-धरन्तहेॅ $ अङ्गेॅ ण माइउ रावणहेॅ
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक ११॒
{प॰च॰४९,११.१} जोइउ मन्दोयरिहेॅ मुहु $ "कन्तेॅ पडीवी जाहि तुह्ũ
अब्भत्थहि धयरट्ठ-गइ $ महु आलिङ्गणु देइ जइ"
{प॰च॰४९,११.२} णिसुणेवि अणागय-जाणी $ संचल्लिय मन्दोयरि राणी
{प॰च॰४९,११.३} ताऍ समाणु स-दोरु स-णेउरु $ संचल्लिउ सयलु वि अन्तेउरु
{प॰च॰४९,११.४} जं पप्फुल्लिय-पङ्कय-वयणउ $ जं कुवलय-दल-दीहर-णयणउ
{प॰च॰४९,११.५} जं सुरकरि-कर-मन्थर-गमणउ $ जं पर-णरवर-मण-जूरवणउ
{प॰च॰४९,११.६} जं सुन्दरु सोहग्गुग्घवियउ $ जं पीणत्थण-भारोणमियउ
{प॰च॰४९,११.७} जं मणहरु तणु-मज्झ-सरीरउ $ जं उरयड-णियम्व-गम्भीरउ
{प॰च॰४९,११.८} जं पय-णेउरु घण-झङ्कारउ $ जं रङ्खोलिर-मोत्तिय-हारउ
{प॰च॰४९,११.९} जं कञ्ची-कलाव-पब्भारउ $ जं विब्भम-भूभङ्ग-वियारउ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,११.१०} तं तेहउ रावण-केरउ $ अन्तेउरु संचल्लियउ
णं स-भमरु माणस-सरवरेॅ $ कमलिणि-वणु पप्फुल्लियउ
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक १२॒
{प॰च॰४९,१२.१} उण्णय-पीण-पओहरिहिॅ $ रावण-णयण-सुहङ्करिहिॅ
लक्खिय सीयाएवि किह $ सरियहिॅ सायर-सोह जिह
{प॰च॰४९,१२.२} णिम्मियलञ्छण ससि-जोण्हा इव $ तित्ति-विरहिय अमिय-तण्हा इव
{प॰च॰४९,१२.३} णिव्वियार जिणवर-पडिमा इव $ रइ-विहि विण्णाणिय-घडिया इव
{प॰च॰४९,१२.४} अभयङ्कर छज्जीव-दया इव $ अहिणव-कोमल-वण्ण लया इव
{प॰च॰४९,१२.५} स-पओहर पाउस-सोहा इव $ अविचल सव्वंसह वसुहा इव
{प॰च॰४९,१२.६} कन्ति-समुज्जल तडि-माला इव $ सव्व-सलोण उवहि-वेला इव
{प॰च॰४९,१२.७} णिम्मल कित्ति व रामहेॅ केरी $ तिहुअणु भमेॅवि परिट्ठिय सेरी
घत्ता॒
{प॰च॰४९,१२.८} अट्ठारह जुवइ-सहासइँ $ सीयहेॅ पासु समल्लियइँ
णं सरवरेॅ सियहेॅ णिसण्णइँ $ सयवत्तइँ पप्फुल्लियइँ
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक १३॒
{प॰च॰४९,१३.१} गम्पिणु पासेॅ वईसरेॅवि $ कवडें चाडु-सयइँ करेॅवि
राहव-घरिणि किसोयरिऍ $ संवोहिय मन्दोयरिऍ
{प॰च॰४९,१३.२} "हलेॅ हलेॅ सीयेॅ सीयेॅ किं मूढी $ अच्छहि दुक्ख-महण्णवेॅ छूढी
{प॰च॰४९,१३.३} हलेॅ हलेॅ सीयेॅ सीयेॅ करि वुत्तउ $ लइ चूडउ कण्ठउ कडिसुत्तउ
{प॰च॰४९,१३.४} हलेॅ हलेॅ सीयेॅ सीयेॅ जइ जाणहि $ लइ वत्थइँ तम्वोलु समाणहि
{प॰च॰४९,१३.५} हलेॅ हलेॅ सीयेॅ सीयेॅ सुणु वयणइँ $ अङ्गु पसाहहि अञ्जहि णयणइँ
{प॰च॰४९,१३.६} हलेॅ हलेॅ सीयेॅ सीयेॅ लइ दप्पणु $ चूडि णिवद्धहि जोअहि अप्पणु
{प॰च॰४९,१३.७} हलेॅ हलेॅ सीयेॅ सीयेॅ अविओलेॅहिॅ $ चडु गयवरेॅहिॅ गिल्ल-गिल्लोलेॅहिॅ
{प॰च॰४९,१३.८} हलेॅ हलेॅ सीयेॅ सीयेॅ उत्तुङ्गेॅहिॅ $ चडु चडुलेॅहिॅ हिंसन्त-तुरङ्गेॅहिॅ
{प॰च॰४९,१३.९} हलेॅ हलेॅ सीयेॅ सीयेॅ महि भुञ्जहि $ माणुस-जम्महेॅ फलु अणुहुञ्जहि
घत्ता॒
{प॰च॰४९,१३.१०} पिउ इच्छहि पट्टु पडिच्छहि $ जइ सब्भावें हसिउ पइँ
तो लइ महएवि-पसाहणु $ अब्भत्थिय एत्तडउ मइँ
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक १४॒
{प॰च॰४९,१४.१} तं णिसुणेवि विदेह-सुअ $ पभणइ पुलय-विसट्ट-भुअ
"सच्चउ इच्छमि दहवयणु $ जइ जिण-सासणेॅ करइ मणु
{प॰च॰४९,१४.२} इच्छमि जइ महु मुहु ण णिहालइ $ इच्छमि अणुवयाइँ जइ पालइ
{प॰च॰४९,१४.३} इच्छमि जइ महु मासु ण भक्खइ $ इच्छमि णियय-सीलु जइ रक्खइ
{प॰च॰४९,१४.४} इच्छमि जइ भीयउ मम्भीसइ $ इच्छमि जइ पर-दव्वु ण हिंसइ
{प॰च॰४९,१४.५} इच्छमि पर-कलत्तु जइ वञ्चइ $ इच्छमि जइ अणुदिणु जिणु अञ्चइ
{प॰च॰४९,१४.६} इच्छमि जइ कसाय परिसेसइ $ इच्छमि जइ परमत्थु गवेसइ
{प॰च॰४९,१४.७} इच्छमि जइ पडिमाउ समारइ $ इच्छमि जइ पुज्जउ णीसारइ
{प॰च॰४९,१४.८} इच्छमि अभय-दाणु जइ देसइ $ इच्छमि जइ तव-चरणु लएसइ
{प॰च॰४९,१४.९} इच्छमि जइ ति-कालु जिणु वन्दइ $ इच्छमि जइ मणु गरहइ णिन्दइ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,१४.१०} अण्णु मि इच्छमि मन्दोयरि $ आयामिय-पवराहवहेॅ
सिरसा चलणेॅहिॅ णिवडेप्पिणु $ जइ मइँ अप्पइ राहवहेॅ
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक १५॒
{प॰च॰४९,१५.१} जइ पुणु णयणाणन्दणहेॅ $ ण समप्पिय रहु-णन्दणहेॅ
तो हũ इच्छमि एउ हलेॅ $ पुरि खिप्पन्ती उवहि-जलेॅ
{प॰च॰४९,१५.२} इच्छमि णन्दणवणु भज्जन्तउ $ इच्छमि पट्टणु पलयहेॅ जन्तउ
{प॰च॰४९,१५.३} इच्छमि णिसियर-वलु अत्थन्तउ $ इच्छमि घरु पायालहेॅ जन्तउ
{प॰च॰४९,१५.४} इच्छमि दहमुह-तरु छिज्जन्तउ $ तिलु तिलु राम-सरेॅहिॅ भिज्जन्तउ
{प॰च॰४९,१५.५} इच्छमि दस वि सिरइँ णिवडन्तइँ $ सरेॅ हंसाहयइँ व सयवत्तइँ
{प॰च॰४९,१५.६} इच्छमि अन्तेउरु रोवन्तउ $ केस-विसन्थुलु धाहावन्तउ
{प॰च॰४९,१५.७} इच्छमि छिज्जन्तइँ धय-चिन्धइँ $ इच्छमि णच्चन्ताइँ कवन्धइँ
{प॰च॰४९,१५.८} इच्छमि धूमन्धारिज्जन्तइँ $ चउ-दिसु सुहड-चियाइँ वलन्तइँ
{प॰च॰४९,१५.९} जं जं इच्छमि तं तं सच्चउ $ णं [तो] करमि अज्जु हलेॅ पच्चउ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,१५.१०} जो आइउ राहव-केरउ $ एहु अच्छइ अङ्गुत्थलउ
महु सहल-मणोरह-गारउ $ तुम्हहँ दुक्खहँ पोट्टलउ"
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक १६॒
{प॰च॰४९,१६.१} तं णिसुणेवि विरुद्ध-मण $ सुरवर-करि-कुम्भयल-थण
लक्खण-राम-पसंसणेॅण $ पजलिय-कोव-हुआसणेॅण
{प॰च॰४९,१६.२} "मरु कहिॅ तणउ रामु कहिॅ लक्खणु $ अज्जु पावेॅ तउ कुद्धु दसाणणु
{प॰च॰४९,१६.३} सम्भरु सम्भरु इट्ठा-देवउ $ मंसु विहञ्जेॅवि भूअहँ देवउ
{प॰च॰४९,१६.४} लीह लुहमि तुह तणयहेॅ णामहेॅ $ जिह ण होहि रामणहेॅ ण रामहेॅ
{प॰च॰४९,१६.५} एउ भणेप्पिणु रिउ-पडिकूलें $ धाइय मन्दोअरि सह्ũ सूलें
{प॰च॰४९,१६.६} जालामालिणी विसह्ũ जालें $ कङ्काली कराल-करवालें
{प॰च॰४९,१६.७} विज्जुप्पह विज्जुज्जल-वयणी $ दसणावलि रत्तुप्पल-णयणी
{प॰च॰४९,१६.८} हयमुहि हिलिहिलन्ति उद्धाइय $ गयमुहि गुलुगुलन्ति संपाइय
{प॰च॰४९,१६.९} तं वलु णिऍवि तियह्ũ भीसाणह्ũ $ कालु कियन्तु वि मुच्चइ पाणह्ũ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,१६.१०} तेहऍ वि कालेॅ पडिवण्णऍ $ विणु रामें विणु लक्खणेॅण
वइदेहिहेॅ चित्तु ण कम्पिउ $ दिढ-वलेण सीलहेॅ तणेॅण
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक १७॒
{प॰च॰४९,१७.१} तं उवसग्गु भयावणउ $ अण्णु वि सीय-दिढत्तणउ
पेक्खेॅवि पुलय-विसट्ट-भुउ $ लग्गु पसंसह्ũ पवण-सुउ
{प॰च॰४९,१७.२} "धीरु जेॅ धीरिउ होइ णियाणेॅ वि $ ढुक्कन्तऍ जीविय-अवसाणेॅ वि
{प॰च॰४९,१७.३} तियहेॅ होइ जं सीयहेॅ साहसु $ तं तेहउ पुरिसहेॅ वि ण ढड्ढसु
{प॰च॰४९,१७.४} एहऍ विहुर-कालेॅ वट्टन्तऍ $ सामिहेॅ तणऍ कलत्तेॅ मरन्तऍ
{प॰च॰४९,१७.५} जइ मइँ अप्पउ णाहिॅ पगासिउ $ तो अहिमाणु मरट्टु विणासिउ"
{प॰च॰४९,१७.६} एम भणेप्पिणु लउडि-विहत्थउ $ अहिणव-पिञ्जर-वत्थ-णियत्थउ
{प॰च॰४९,१७.७} णं कणियारि-णिवहु पप्फुल्लिउ $ णं कलहोय-पुञ्जु संचल्लिउ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,१७.८} मन्दोयरि-सीयाएविहिॅ $ कलहेॅ पवद्धिऍ भुवण-सिरि
णं उत्तर-दाहिण-भूमिहिॅ $ मज्झेॅ परिट्ठिउ विञ्झइरि
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक १८॒
{प॰च॰४९,१८.१} "ओसरु ओसरु दिढ-मइहेॅ $ पासहेॅ सीय-महासइहेॅ
हũ आयामिय-पर-वलेॅहिॅ $ दूउ विसज्जिउ हरि-वलेॅहिॅ
{प॰च॰४९,१८.२} हũ सो राम-दूउ संपाइउ $ अङ्गुत्थलउ लएप्पिणु आइउ
{प॰च॰४९,१८.३} पहरहेॅ मइँ समाणु जइ सक्कहेॅ $ सीया-एविहेॅ पासु म ढुक्कहेॅ
{प॰च॰४९,१८.४} तं णिसुणेवि वयणु णिसिगोअरि $ चविय विरुद्ध कुद्ध मन्दोअरि
{प॰च॰४९,१८.५} "चङ्गउ पुरिस-विसेसु गवेसिउ $ साणु लएवि सीहु परिसेसिउ
{प॰च॰४९,१८.६} खरु संगहेॅवि तुरङ्गमु वञ्चिउ $ जिणु परिहरेॅवि कु-देवउ अञ्चिउ
{प॰च॰४९,१८.७} छालउ धरेॅवि गइन्दु विमुक्कउ $ वड्डन्तरेॅण मित्त तुह्ũ चुक्कउ
{प॰च॰४९,१८.८} एक्कु वि उवयारु ण सम्भरियउ $ रावणु मुऍवि रामु जं वरियउ
{प॰च॰४९,१८.९} जसु णामेण जि हासउ दिज्जइ $ तासु केम दूअत्तणु किज्जइ
घत्ता॒
{प॰च॰४९,१८.१०} जो सयल-कालु पुज्जेव्वउ $ कडय-मउड-कडिसुत्तऍहिॅ
सो एवहिॅ तुह्ũ वन्धेव्वउ $ चोरु व मिलेॅवि वहुत्तऍहिॅ
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक १९॒
{प॰च॰४९,१९.१} तं णिसुणेॅवि हणुवन्तु किह $ झत्ति पलित्तु दवग्गि जिह
"जं पइँ रामहेॅ णिन्द कय $ किह सय-कण्डु ण जीह गय
{प॰च॰४९,१९.२} जो धगधगधगन्तु वइसाणरु $ रक्खस-वण-तिण-रुक्ख-भयङ्करु
{प॰च॰४९,१९.३} अण्णु वि जसु सहाउ भड-भञ्जणु $ झडझडन्ति (?) सोमित्ति-पहञ्जणु
{प॰च॰४९,१९.४} तेहिॅ विरुद्धएहिॅ को छुट्टइ $ जाहँ णिणाएं अम्वरु फुट्टइ
{प॰च॰४९,१९.५} कण्हहेॅ किण्ण परक्कमु वुज्झिउ $ खर-दूसणेॅहिॅ समउ जें जुज्झिउ
{प॰च॰४९,१९.६} चालिय कोडिसिल वि अविओलें $ लच्छि व गऍण गिल्ल-गिल्लोलें
{प॰च॰४९,१९.७} साहसगइ वि वियारिउ रामें $ को जगेॅ अण्णु तेण आयामें
{प॰च॰४९,१९.८} अहवइ रावणो वि जस-लुद्धउ $ णवर चारु-सीलेण न लद्धउ
{प॰च॰४९,१९.९} चोरहेॅ परयारियहेॅ अज्जोएवि $ तासु सहाउ होइ किं कोइ वि
घत्ता॒
{प॰च॰४९,१९.१०} अण्णु वि णव-कोमल-वाहेॅहिॅ $ जसु दिज्जइ आलिङ्गणउ
मन्दोवरि तहेॅ णिय-कन्तहेॅ $ किह किज्जइ दूअत्तणउ"
कण्ड ३, संधि ४९, कडवक २०॒
{प॰च॰४९,२०.१} जं पोमाइउ दासरहि $ णिन्दिउ रावण-वल-उवहि
तं मन्दोअरि कुइय मणेॅ $ विज्जु पगज्जिय जिह गयणेॅ
{प॰च॰४९,२०.२} "अरेॅ अरेॅ हणुव हणुव वल-गावह्ũ $ दिढु होज्जहि एयह्ũ आलावह्ũ
{प॰च॰४९,२०.३} जइ ण विहाणऍ पइँ वन्धावमि $ तो णिय-गोत्तेॅ कलङ्कउ लावमि
{प॰च॰४९,२०.४} अण्णु मि घरिणि ण होमि णिसिन्दहेॅ $ णउ पणिवाउ करेमि जिणिन्दहेॅ"
{प॰च॰४९,२०.५} एम भणेवि तुरिउ संचल्लिय $ वेल समुद्दहेॅ जिह उत्थल्लिय
{प॰च॰४९,२०.६} परिवारिय लङ्काहिव-पत्तिहिॅ $ पढम-विहत्ति व सेस-विहत्तिहिॅ
{प॰च॰४९,२०.७} णेउर-हार-दोर-पालम्वेॅहिॅ $ सुरधणु-तारायण-पडिविम्वेॅहिॅ
{प॰च॰४९,२०.८} पक्खलन्ति णिवडन्ति किसोयरि $ गय णिय-णिलउ पत्त मन्दोयरि
घत्ता॒
{प॰च॰४९,२०.९} हणुऍण वि रहसुच्छल्लिऍण $ दुद्दम-दणु-दप्पुब्भुऍहिॅ
णं जिणवर-पडिम सुरिन्देॅण $ पणमिय सीय स यं भु ऍहिॅ
[५०. पण्णासमो संधि] ----------
गय मन्दोयरि णिय-घरहेॅ हणुवन्तु वि सीयहेॅ सम्मुहउ
अग्गऍ थिउ अहिसेय-करु णं सुरवर-लच्छिहेॅ मत्त-गउ
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक १॒
{प॰च॰५०,१.१} मालूर-पवर-पीवर-थणाऍ $ कुवलय-दल-दीहर-लोयणाऍ
पप्फुल्लिय-वर-कमलाणणाऍ $ हणुवन्तु पपुच्छिउ दिढ-मणाऍ
(पद्धडिया-दुवई)
{प॰च॰५०,१.२} "कहेॅ कहेॅ वच्छ वच्छ वहु-णामहेॅ $ कुसल-वत्त किं अकुसलु रामहेॅ
{प॰च॰५०,१.३} कहेॅ कहेॅ वच्छ वच्छ कमलेक्खणु $ किं विणिहउ किं जीवइ लक्खणु"
{प॰च॰५०,१.४} तं णिसुणेॅवि सिरसा पणमन्तें $ अक्खिय कुसल-वत्त हणुवन्तें
{प॰च॰५०,१.५} "माऍ माऍ करेॅ धीरउ णिय-मणु $ जीवइ रामचन्दु स-जणद्दणु
{प॰च॰५०,१.६} णवरि परिट्ठिउ लीह-विसेसउ $ तवसि व सव्व-सङ्ग-परिसेसउ
{प॰च॰५०,१.७} चन्दु व वहुल-पक्ख-खय-खीणउ $ णिवइ व रज्ज-विहोय-विहीणउ
{प॰च॰५०,१.८} रुक्खु व पत्त-रिद्धि-परिचत्तउ $ सुकइ व दुक्कर कह चिन्तन्तउ
{प॰च॰५०,१.९} तरणि व णिय-किरणेॅहिॅ परिवज्जिउ $ जलणु व तोय-तुसार-परज्जिउ
घत्ता॒
{प॰च॰५०,१.१०} इन्दु व चवण-कालेॅ ल्हसिउ $ दसमिहेॅ आगमणेॅ जेम जलहि
खाम-खामु परिझीण-तणु $ तिह तुम्ह विओएं दासरहि
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक २॒
{प॰च॰५०,२.१} अण्णु वि मयरहरावत्त-धरु $ सिर-सिहर-चडाविय-उभय-करु
णिय जणणि वि एव ण अणुसरइ $ सोमित्ति जेम पइँ संभरइ
(पद्धडिया-दुवई)
{प॰च॰५०,२.२} सुमरइ णिय-णन्दणु माया इव $ सुमरइ सिहि पाउस-छाया इव
{प॰च॰५०,२.३} सुमरइ जणु पहु-मज्जाया इव
{प॰च॰५०,२.४} सुमरइ भिच्चु सु-सामि-दया इव $ सुमरइ करहु करीर-लया इव
{प॰च॰५०,२.५} सुमरइ मत्त-हत्थि वणराइ व $ सुमरइ मुणिवरु गइ-पवरा इव
{प॰च॰५०,२.६} सुमरइ णिद्धणु धण-संपत्ति व $ सुमरइ सुरवरु जम्मुप्पत्ति व
{प॰च॰५०,२.७} सुमरइ भविउ जिणेसर-भत्ति व $ सुमरइ वइयाकरणु विहत्ति व
{प॰च॰५०,२.८} सुमरइ ससि संपुण्ण पहा इव $ सुमरइ वुहयणु सुकइ-कहा इव
{प॰च॰५०,२.९} तिह पइँ सुमरइ देवि जणद्दणु $ रामहेॅ पासिउ सो दूमिय-मणु
घत्ता॒
{प॰च॰५०,२.१०} एक्कु तुहारउ परम-दुहु $ अण्णेक्कु वि रहु-तणयहेॅ तणउ
एक्कु रत्ति अण्णेक्कु दिणु $ सोमित्तिहेॅ सोक्खु कहिॅ तणउ"
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक ३॒
{प॰च॰५०,३.१} तो गुण-गण-सलिल-महाणइहेॅ $ रोमञ्चु पवड्ढिउ जाणइहेॅ
कञ्चुउ फुट्टेॅवि सय-कण्डु गउ $ णं खलु अलहन्तु विसिट्ठ-मउ
(पद्धडिया-दुवई)
{प॰च॰५०,३.२} पढमु सरीरु ताहेॅ रोमञ्चिउ $ पच्छऍ णवर विसाएं खञ्चिउ
{प॰च॰५०,३.३} "दुक्करु राम-दूउ एहु आइउ $ मञ्छुडु अण्णु को वि संपाइउ
{प॰च॰५०,३.४} अत्थि अणेय एत्थु विज्जाहर $ जे णाणाविह-रूव-भयङ्कर
{प॰च॰५०,३.५} सव्वहँ मइँ सब्भाव णिरिक्खिय $ चन्दणहि वि चिरु णाहिॅ परिक्खिय
{प॰च॰५०,३.६} णं वण-देवय थाणहेॅ चुक्की $ "मइँ परिणहेॅ" पभणन्ति पढुक्की
{प॰च॰५०,३.७} णवर णियाणेॅ हूअ विज्जाहरि $ किलिकिलन्ति थिय अम्हहँ उप्परि
{प॰च॰५०,३.८} लक्खण-खग्गु णिएवि पणट्ठी $ हरिणि व वाह-सिलीमुह-तट्ठी
{प॰च॰५०,३.९} अण्णेक्कऍ किउ णाउ भयङ्करु $ हउ मि छलिय विच्छोइउ हलहरु
घत्ता॒
{प॰च॰५०,३.१०} कहिॅ लक्खणु कहिॅ दासरहि $ आयहेॅ दूअत्तणु कहिॅ तणउ
माया-रूवें पिउ करेॅवि $ मणु जोअइ को वि महु त्तणउ
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक ४॒
{प॰च॰५०,४.१} आढवमि खेड्डु वरि एण सह्ũ $ पेक्खह्ũ कवणुत्तरु देइ महु
माणवेॅण होवि आसङ्घियउ $ किह लवण-महोवहि लङ्घियउ"
{प॰च॰५०,४.२} पच्चारिउ णिय-मणेॅ चिन्तन्तिऍ $ "जइ तुह्ũ राम-दूउ विणु भन्तिऍ
{प॰च॰५०,४.३} तो किह कमिउ वच्छ पइँ पइँ सायरु $ जो सो णक्क-ग्गाह-भयङ्करु
{प॰च॰५०,४.४} कच्छव-मच्छ-दच्छ-पुच्छाहउ $ सुंसुमार-करि-मयर-सणाहउ
{प॰च॰५०,४.५} जोयण-सयइँ सत्त जल-वित्थरु $ णिच्च-णिगोउ जेम अइ-दुत्तरु
{प॰च॰५०,४.६} एक्कु महोवहि दुप्पइसारो $ अण्णु वि आसाली-पायारो
{प॰च॰५०,४.७} सो सव्वह्ũ दुलङ्घु संसारु व $ अवुहह्ũ विसमउ पच्चाहारु व
{प॰च॰५०,४.८} तहेॅ पडिवलु परिवद्धिय-हरिसउ $ वज्जाउहु वज्जाउह-सरिसउ
{प॰च॰५०,४.९} अण्णु महाहवेॅ विप्फुरियाहरि $ केम परज्जिय लङ्कासुन्दरी
घत्ता॒
{प॰च॰५०,४.१०} आयइँ सव्वइँ परिहरेॅवि $ तुह्ũ लङ्का-णयरि पइट्ठु किह
अट्ठ वि कम्मइँ णिद्दलेॅवि $ वर-सिद्धि-महापुरि सिद्धु जिह
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक ५॒
{प॰च॰५०,५.१} तं णिसुणेॅवि वयणु महग्घविउ $ विहसेप्पिणु अंजणेउ चविउ
"परमेसरि अज्ज वि भन्ति तउ $ जावेॅहिॅ वज्जाउहु समरेॅ हउ
{प॰च॰५०,५.२} जावेॅहिॅ वसिकिय लङ्कासुन्दरि $ लइय सा वि कुञ्जरेॅण व कुञ्जरि
{प॰च॰५०,५.३} णिहयासालि महोवहि लङ्घिउ $ एवहिॅ रावणो वि आसङ्घिउ
{प॰च॰५०,५.४} एव वि जइ ण देवि पत्तिज्जहि $ तो राहव-सङ्केउ सुणेज्जहि
{प॰च॰५०,५.५} जइयह्ũ वण-वासहेॅ णीसरियइँ $ दसउर-कुव्वर-पुर पइसरियइँ
{प॰च॰५०,५.६} णम्मय विञ्झु तावि अहिणाणइँ $ अरुणगाम-रामउरि-पयाणइँ
{प॰च॰५०,५.७} जयउर-णन्दावत्त-णिवाणइँ $ खेमञ्जलि-वंसत्थल-थाणइँ
{प॰च॰५०,५.८} गुत्त-सुगुत्त-जडाइ-णिवेसइँ $ खग्गु सम्वु-चन्दणहि-पएसइँ
{प॰च॰५०,५.९} खर-दूसण-सग्गाम-पवञ्चइँ $ तिसिरय-रण-चरियाइँ दइच्चइँ
घत्ता॒
{प॰च॰५०,५.१०} एयइँ चिन्धइँ पायडइँ $ अवराइ मि कियइँ जाइँ छलइँ
काइँ ण पइँ अणुहूआइँ $ अवलोयणि-सीहणाय-फलइँ
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक ६॒
{प॰च॰५०,६.१} सुणि जिह जडाइ संघारियउ $ रणेॅ रयणकेसि वित्थारियउ
सहसगइ सरेहिॅ वियारियउ $ सुग्गीउ रज्जेॅ वइसारियउ
{प॰च॰५०,६.२} तं णिसुणेवि सीय परिओसिय $ "साहु साहु भो" एम पघोसिय
{प॰च॰५०,६.३} "सुहड-सरीर-वीर-वल-मद्दहेॅ $ सच्चउ भिच्चु होहि वलहद्दहेॅ"
{प॰च॰५०,६.४} पुणु पुणु एम पसंस करन्तिऍ $ परिहिउ अङ्गुत्थलउ तुरन्तिऍ
{प॰च॰५०,६.५} रेहइ करयल-कमलाइद्धउ $ णं महुअरु मयरन्द-पइद्धउ
{प॰च॰५०,६.६} ताव चउत्थउ पहरु समाहउ $ लङ्कहिॅ दिण्णु णाइँ जम-पडहउ
{प॰च॰५०,६.७} णाइँ पघोसइ "अहेॅ अहेॅ लोयहेॅ $ धम्मु करहेॅ धण-रिद्धि म जोयहेॅ
{प॰च॰५०,६.८} सच्चु चवहेॅ पर-दव्वु म हिंसहेॅ $ जें चुक्कहेॅ तहेॅ वइवस-महिसहेॅ
{प॰च॰५०,६.९} पर-तिय मज्जु मंसु महु वञ्चहेॅ $ जें चुक्कहेॅ संसार-पवञ्चहेॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५०,६.१०} मं जाणेज्जहेॅ पहरु गउ $ जमरायहेॅ केरउ आण-करु
तिक्खेॅहिॅ णाडि-कुढारऍहिॅ $ दिवेॅदिवेॅ छिन्देवउ आउ-तरु"
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक ७॒
{प॰च॰५०,७.१} णं पुणु वि पघोसइ घडिय-सरु $ "हũ तुम्हह्ũ गुरु उवएस-करु
जग्गहेॅ जग्गहेॅ केत्तिउ सुअहेॅ $ मच्छरु अहिमाणु माणु मुअहेॅ
{प॰च॰५०,७.२} किण्ण णियच्छहेॅ आउ गलन्तउ $ णाडि-पमाणेॅहिॅ परिमिज्जन्तउ
{प॰च॰५०,७.३} अट्ठारह-सय-सङ्ख-पगासेॅहिॅ $ सिद्धेॅहिॅ सडसिएहिॅ ऊसासेॅहिॅ
{प॰च॰५०,७.४} णाडि-पमाणु पगासिउ एहउ $ विहिॅ णाडिहिॅ मुहुत्तु तं केहउ
{प॰च॰५०,७.५} सत्त-सयाहिएहिॅ ति-सहासेॅहिॅ $ अण्णु वि तेहत्तरि-ऊसासेॅहिॅ
{प॰च॰५०,७.६} एक्कु मुहुत्त-पमाणु णिवद्धउ $ दु-मुहुत्तेॅहिॅ पहरद्धु पसिद्धउ
{प॰च॰५०,७.७} पहरद्धु वि सत्तद्ध-सहासेॅहिॅ $ अण्णु वि छायालेॅहिॅ ऊसासेॅहिॅ
{प॰च॰५०,७.८} विहिॅ अद्धेॅहिॅ दिणद्धहेॅ अद्धउ $ वाणवई-ऊसासेॅहिॅ वद्धउ
{प॰च॰५०,७.९} अण्णु वि पण्णारहहिॅ सहासेॅहिॅ $ पहरु पगासिउ सोक्ख-णिवासेॅहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५०,७.१०} णाडिहेॅ णाडिहेॅ कुम्भु गउ $ चउसट्ठिहिॅ कुम्भेॅहिॅ रत्ति-दिणु
एत्तिउ छिज्जइ आउ-वलु $ तें कज्जें थुव्वइ परम-जिणु"
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक ८॒
{प॰च॰५०,८.१} णिसि-पहरेॅ चउत्थऍ ताडियऍ $ णं जग-कवाडेॅ उग्घाडियऍ
तहिॅ तेहऍ कालेॅ पगासियउ $ तियडऍ सिविणउ विण्णासियउ
{प॰च॰५०,८.२} "हलेॅ हलेॅ लवलिऍ लइऍ लवङ्गिऍ $ सुमणेॅ सुवुद्धिऍ तारेॅ तरङ्गिऍ
{प॰च॰५०,८.३} हलेॅ कक्कोलिऍ कुवलय-लोयणेॅ $ हलेॅ गन्धारि गोरि गोरोयणेॅ
{प॰च॰५०,८.४} हलेॅ विज्जुप्पहेॅ जालामालिणि $ हलेॅ हयमुहि गयमुहि कङ्कालिणि
{प॰च॰५०,८.५} सिविणउ अज्जु माऍ मइँ दिट्ठउ $ एक्कु जोहु उज्जाणेॅ पइट्ठउ
{प॰च॰५०,८.६} तरु तरु सव्वु तेण आकरिसिउ $ वज्जें जिह वण-भङ्गु पदरिसिउ
{प॰च॰५०,८.७} सो वि णिवद्धउ इन्दइ-राएं $ पाव-पिण्डु णं गरुअ-कसाएं
{प॰च॰५०,८.८} पट्टणेॅ पइसारिउ वेढेप्पिणु $ गउ दससिर-सिरेॅ पाउ ठवेप्पिणु
{प॰च॰५०,८.९} पुणु थोवन्तरेॅ हरिसिय-गत्तें $ किउ घर-भङ्गु णाइँ दु-कलत्तें
घत्ता॒
{प॰च॰५०,८.१०} ताव ऽण्णेक्कें णरवरेॅण $ सुरवहुअ-सुहासय-चोरणिय
उप्पाडेप्पिणु उवहि-जलेॅ $ आवट्टिय लङ्क स-तोरणिय"
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक ९॒
{प॰च॰५०,९.१} तं वयणु सुणेॅवि तियडहेॅ तणउ $ तहिॅ एक्कहेॅ मणेॅ वद्धावणउ
"हलेॅ चङ्गउ सिविणउ दिट्ठु पइँ $ रावणहेॅ कहेवउ गम्पि मइँ
{प॰च॰५०,९.२} एउ जं दिट्ठु मणोहरु उववणु $ तं वइदेहिहेॅ केरउ जोव्वणु
{प॰च॰५०,९.३} णिद्दरमलिउ जेण सो रावणु $ जो णिवद्धु सो सत्तु भयावणु
{प॰च॰५०,९.४} जो दहगीवहेॅ उवरि पधाइउ $ सो णिम्मलु जसु कहि मि ण माइउ
{प॰च॰५०,९.५} जं पुहई-जयघरु विद्धंसिउ $ तं पर-वलु दहमुहेॅण विणासिउ
{प॰च॰५०,९.६} जं परिघित्त लङ्क रयणायरेॅ $ सा मिहिलिय पइसारिय सिरिहरेॅ"
{प॰च॰५०,९.७} तं णिसुणेॅवि अण्णेक्क पवोल्लिय $ गग्गर-वयणी अंसु-जलोल्लिय
{प॰च॰५०,९.८} "अवसें सिविणउ होइ असुन्दरु $ जहिॅ पडिवक्खहेॅ पक्खिउ सुन्दरु
{प॰च॰५०,९.९} मुणिवर-भासिउ ढुक्कु पमाणहेॅ $ जिह लङ्कहेॅ विणासु उज्जाणहेॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५०,९.१०} एहु सिविणउ सीयहेॅ सहलु $ जसु रामहेॅ वि जउ जणद्दणहेॅ
सह्ũ परिवारें सह्ũ वलेॅण $ खय-कालु पढुक्कु दसाणणहेॅ"
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक १०॒
{प॰च॰५०,१०.१} तहिॅ अवसरेॅ पीण-पओहरिऍ $ अरुणुग्गमेॅ लङ्कासुन्दरिऍ
इर-अइरउ विण्णि मि पेसियउ $ हणुवन्तहेॅ पासु गवेसियउ
{प॰च॰५०,१०.२} जहिॅ उज्जाणेॅ परिट्ठिउ पावणि $ सयल-णरिन्द-विन्द-चूडामणि
{प॰च॰५०,१०.३} तहिॅ संपत्तउ विण्णि वि जुवइउ $ णं सिव-सासऍ तवसिरि-सुगइउ
{प॰च॰५०,१०.४} णं खम-दयउ जिणागमेॅ दिट्ठउ $ जयकारेप्पिणु पासेॅ णिविट्ठउ
{प॰च॰५०,१०.५} तेण वि ताहिॅ समउ पिउ जम्पेॅवि $ कण्ठउ कञ्ची-दामु समप्पेॅवि
{प॰च॰५०,१०.६} पुणु विण्णत्त हलीस-मणोहरि $ "भोअणु तुम्ह केम परमेसरि"
{प॰च॰५०,१०.७} अक्खइ सीय समीरण-पुत्तहेॅ $ "वासर एक्कवीस मइँ भुत्तहेॅ
{प॰च॰५०,१०.८} जाम ण पत्त वत्त भत्तारहेॅ $ ताम णिवित्ति मज्झु आहारहेॅ
{प॰च॰५०,१०.९} अज्जु णवर परिपुण्ण मणोरह $ तं जेॅ भोज्जु जं सुअ रामहेॅ कह"
घत्ता॒
{प॰च॰५०,१०.१०} तं णिसुणेॅवि पवणहेॅ सुऍण $ अवलोइउ मुहु अइरहेॅ तणउ
"गम्पिणु अक्खु विहीसणहेॅ $ वुच्चइ सीयहेॅ करि पारणउ
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक ११॒
{प॰च॰५०,११.१} इरेॅ तुहु मि जाहि परमेसरिहेॅ $ तं मन्दिरु लङ्कासुन्दरिहेॅ
लहु भोयणु आणहि मणहरउ $ जं स-रसु स-णेहउ जिह सुरउ"
{प॰च॰५०,११.२} तं णिसुणेवि वे वि संचल्लिउ $ णं सुरसरि-जउणउ उत्थल्लिउ
{प॰च॰५०,११.३} रद्धु भत्तु लहु लेविणु आयउ $ णं सरसइ-लच्छिउ विक्खायउ
{प॰च॰५०,११.४} वड्ढिउ भोयणु भोयण-सेज्जऍ $ अच्छऍ पच्छऍ लण्हऍ पेज्जऍ
{प॰च॰५०,११.५} सक्कर-कण्डेॅहिॅ पायस-पयसेॅहिॅ $ लड्डुव-लावण-गुड-इक्खुरसेॅहिॅ
{प॰च॰५०,११.६} मण्डा-सोयवत्ति-घियऊरेॅहिॅ $ मुग्ग-सूअ-णाणाविह-कूरेॅहिॅ
{प॰च॰५०,११.७} सालणऍहिॅ वहु-विविह-विचित्तेॅहिॅ $ माइणि-मायन्देहिॅ विचित्तेॅहिॅ
{प॰च॰५०,११.८} अल्लय-पिप्पलि-मिरियामलऍहिॅ $ लावण-मालूरेॅहिॅ कोमलऍहिॅ
{प॰च॰५०,११.९} चिब्भिडिया-कचोर-वासुत्तेॅहिॅ $ पेउअ-पप्पडेहिॅ स-पहुत्तेॅहिॅ
{प॰च॰५०,११.१०} केलय-णालिकेर-जम्वीरेॅहिॅ $ करमर-करवन्देहिॅ करीरेॅहिॅ
{प॰च॰५०,११.११} तिम्मणेहिॅ णाणाविह-वण्णेॅहिॅ $ साडिव-भज्जिय-खट्टावण्णेॅहिॅ
{प॰च॰५०,११.१२} अण्णु मि कण्डसोल्ल-गुडसोल्लेॅहिॅ $ वडवाइङ्गणेहिॅ कारेल्लेॅहिॅ
{प॰च॰५०,११.१३} विञ्जणेहिॅ स-महिय-दहि-खीरेॅहिॅ $ सिहरिणि-धूमवत्ति-सोवीरेॅहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५०,११.१४} अच्छउ एउ (?) मुहरसिउ $ अवियण्हउ उल्हावणउ किह
जहिॅ जेॅ लइज्जइ तहिॅ जेॅ तहिॅ $ गुलियारउ जिणवर-वयणु जिह
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक १२॒
{प॰च॰५०,१२.१} तं तेहउ भुञ्जेॅवि भोयणउ $ पुणु करेॅवि वयण-पक्खालणउ
समलहेॅवि अङ्गु वर-चन्दणेॅण $ विण्णत्त देवि मरु-णन्दणेॅण
{प॰च॰५०,१२.२} "चडु महु तणऍ खन्धेॅ परमेसरि $ णेमि तेत्थु जहिॅ राहव-केसरि
{प॰च॰५०,१२.३} मिलहेॅ वे वि पूरन्तु मणोरह $ फिट्टउ जणवऍ रामायण-कह"
{प॰च॰५०,१२.४} तं णिसुणेवि देवि गञ्जोल्लिय $ साहुक्कारु करन्ति पवोल्लिय
{प॰च॰५०,१२.५} "सुन्दर णिय-घरु गय-गुण-वहुअहेॅ(?) $ एह ण णित्ति होइ कुल-वहुअहेॅ
{प॰च॰५०,१२.६} गम्मइ वच्छ जइ वि णिय-कुलहरु $ विणु भत्तारें गमणु असुन्दरु
{प॰च॰५०,१२.७} जणवउ होइ दुगुञ्छण-सीलउ $ खल-सहाउ णिय-चित्तें मइलउ
{प॰च॰५०,१२.८} जहिॅ जेॅ अजुत्तु तहिॅ जेॅ आसङ्कइ $ मणु रञ्जेॅवि सक्को वि ण सक्कइ
{प॰च॰५०,१२.९} णिहऍ दसाणणेॅ जय-जय-सद्दें $ मइँ जाएवउ सह्ũ वलहद्दें
घत्ता॒
{प॰च॰५०,१२.१०} जाहि वच्छ अच्छामि हũ $ णिम्मल-दसरह-वंसुब्भवहेॅ
लइ चूडामणि महु तणउ $ अहिणाणु समप्पहि राहवहेॅ
कण्ड ३, संधि ५०, कडवक १३॒
{प॰च॰५०,१३.१} अण्णु वि आलिङ्गेॅवि गुण-घणउ $ सन्देसउ अक्खु महु त्तणउ
"वल तुज्झु विओएं जणय-सुय $ थिय लीह-विसेस ण कह वि मुअ
{प॰च॰५०,१३.२} झीण मयङ्क-लेह गह-गहिय व $ झीण सुरिन्द-रिद्धि तव-रहिय व
{प॰च॰५०,१३.३} झीण कुदेस-मज्झेॅ वासाणि व $ झीणावुह-मुहेॅ सुकइ-सुवाणि
{प॰च॰५०,१३.४} झीण दिवायर-दंसणेॅ रत्ति व $ झीण कु-जणवऍ जिणवर-भत्ति व
{प॰च॰५०,१३.५} झीण दुभिक्खेॅ अत्थ-सम्पत्ति व $ झीण वुढत्तणेॅण वल-सत्ति व
{प॰च॰५०,१३.६} झीण चरित्त-विहूणहेॅ कित्ति व $ झीण कु-कुलहरेॅ कुलवहु-णित्ति व
{प॰च॰५०,१३.७} अण्णु वि दसरह-वंस-पगासहेॅ $ वच्छत्थलेॅ जय-लच्छि-णिवासहेॅ
{प॰च॰५०,१३.८} रणेॅ दुव्वार-वइरि-विणिवारहेॅ $ तहेॅ संदेसउ णेहि कुमारहेॅ
{प॰च॰५०,१३.९} वुच्चइ "पइँ होन्तेण वि लक्खण $ अच्छइ सीय रुयन्ति अलक्खणु
घत्ता॒
{प॰च॰५०,१३.१०} णउ देवेॅहिॅ णउ दाणवेॅहिॅ $ णउ रामें वइरि-वियारऍण
पर मारेव्वउ दहवयणु $ स इँ भु अ-जुअलेण तुहारऍण""
[५१. एक्कवण्णासमो संधि] ----------
तं चूडामणि लेवि गउ लच्छि-णिवासहेॅ अखलिय-माणहेॅ
णं सुर-करि कमलिणि-वणहेॅ मारुइ वलिउ समुहु उज्जाणहेॅ
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक १॒
दुवई
{प॰च॰५१,१.१} विहुणेॅवि वाहु-दण्ड परिचिन्तइ रिउ-जयलच्छि-मद्दणो
"ताम ण जामि अज्जु जाम ण रोमाविउ मइँ दसाणणो
{प॰च॰५१,१.२} वणु भञ्जमि रसमसकसमसन्तु $ महिवीढ-गाढु विरसोरसन्तु
{प॰च॰५१,१.३} णायउल-विउल-चुम्भल-वलन्तु $ रुक्खुक्खय-खर-खोणिऍ खलन्तु
{प॰च॰५१,१.४} णीसेस-दियन्तर-परिमलन्तु $ कङ्केल्लि-वेल्लि-लवली-ललन्तु
{प॰च॰५१,१.५} तुङ्गङ्ग-भिङ्ग-गुमुगुमुगुमन्तु $ तरु लग्ग-भग्ग-दुमुदुमुदुमन्तु (?)
{प॰च॰५१,१.६} एला-कक्कोलय-कडयडन्तु $ वड-विडव-ताड-तडतडतडन्तु
{प॰च॰५१,१.७} करमर-करीर-करकरयरन्तु $ आसत्थागत्थिय-थरहरन्तु
{प॰च॰५१,१.८} मड्डड्ड-मड्ड सय-कण्ड जन्तु $ सत्तच्छय-कुसुमामोय-दिन्तु
घत्ता॒
{प॰च॰५१,१.९} उम्मूलन्तु असेस तरु $ एक्कु मुहुत्तु एत्थु परिसक्कमि
जोव्वणु जेम विलासिणिहेॅ $ वणु दरमलमि अज्जु जिह सक्कमि"
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक २॒
दुवई
{प॰च॰५१,२.१} पुणरवि वारवार परिअञ्चेॅवि णियय-मणेण सुन्दरो $ णन्दण-वणेॅ पइट्ठु णं माणस-सरवरेॅ अमर-कुञ्जरो
{प॰च॰५१,२.२} णवरि उववणालए तेत्थु णिज्झाइयासोग-णारङ्ग-पुण्णाग-णागा लवङ्गा पियङ्गू-विडङ्गा समुत्तुङ्ग-सत्तच्छया
{प॰च॰५१,२.३} करमर-करवन्द-रत्तन्दणा दाडिमी-देवदारू-हलिद्दी-भुआ दक्ख-रुद्दक्ख-पउमक्ख-अइमुत्तया
{प॰च॰५१,२.४} तरु तरल-तमाल-तालेल-कक्कोल-साला विसालञ्जणा वञ्जुला णिम्व-सिन्दीउ सिन्दूर-मन्दार-कुन्देन्द-सज्जज्जुणा
{प॰च॰५१,२.५} सुरतरु-कयली-कयम्वम्व-जम्वीर-जम्वुम्वरा लिम्व-कोसम्व-खज्जूर-कप्पूर-तारूर-मालूर-आसत्थ-णग्गोहया
{प॰च॰५१,२.६} तिलय-वउल-चम्पया णागवेल्ली-वया पिप्पली पुप्फली पाडली केयई माहवी मल्लिया माहुलिङ्गी-तरू
{प॰च॰५१,२.७} स-फणस-लवली-सिरीकण्ड-मन्दागरू-सिल्हया पुत्तजीवा सिरीसेत्थियारिट्ठिया-कोज्जया जूहिया णालिकेरव्वई
{प॰च॰५१,२.८} हरिडइ-हरिया-लकच्चाललावञ्जया पिक्क-वन्दुक्क-कोरण्ट-वाणिक्ख-वेणू-तिसञ्झा-मिरी-अल्लया-ढउअ-चिञ्चा-महू
{प॰च॰५१,२.९} कणइर-कणियारि-सेल्लू-करीरा करञ्जामली-कङ्गुणी-कञ्चणा एवमाइत्ति अण्णे वि जे पायवा केण ते वुज्झिया
घत्ता॒
{प॰च॰५१,२.१०} आयह्ũ पवर-महद्दुमह्ũ $ पहिलउ पारियाउ आयामिउ
णं धरणिहेॅ जेमणउ करु $ उप्पाडेप्पिणु णहयलेॅ भामिउ
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक ३॒
दुवई
{प॰च॰५१,३.१} सुरतरु परिघिवेवि उम्मूलिउ पुणु णग्गोह-तरुवरो
आयामेॅवि भुएहिॅ दहवयणें जिह कइलास-गिरिवरो
{प॰च॰५१,३.२} कड्ढिउ वर-पायवु थरहरन्तु $ णं वइरि रसायलेॅ पइसरन्तु
{प॰च॰५१,३.३} णं णन्दण-वणहेॅ रसन्तु जीउ $ णं धरणिहेॅ वाहा-दण्डु वीउ
{प॰च॰५१,३.४} णं दहवयणहेॅ अहिमाण-खम्भु $ णं पुहइ-पसूयणे पवर-गब्भु
{प॰च॰५१,३.५} तुट्टन्त-सयल-घण-मूल-जालु $ पारोह-ललन्तु विसाल-डालु
{प॰च॰५१,३.६} आरत्त-पत्त-परिघोलमाणु $ ढण्ढर-वर-परियन्दिज्जमाणु
{प॰च॰५१,३.७} कलयण्ठि-कलावाराव-मुहलु $ णिम्मउरु वि सप्पुरिसो व्व सुहलु
घत्ता॒
{प॰च॰५१,३.८} सो सोहइ णग्गोह-तरु $ मारुय-सुय-भुयलट्ठिहिॅ लइयउ
णावइ गङ्गहेॅ जउणहेॅ वि $ मज्झेॅ पयागु परिट्ठिउ तइयउ
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक ४॒
दुवई
{प॰च॰५१,४.१} वड-पायवु घिवेवि उम्मूलिउ पुणु कङ्केल्लि-तरुवरो $ उभय-करेहिॅ लेवि णं वाहुवलिन्दें भरह-णरवरो
{प॰च॰५१,४.२} आरत्त-पत्त-पल्लव-ललन्तु $ कामिणि-करकमलह्ũ अणुहरन्तु
{प॰च॰५१,४.३} उब्भिण्ण-कुसुम-गोच्छुच्छलन्तु $ णं महिहेॅ घुसिण-चच्चिक्क देन्तु
{प॰च॰५१,४.४} चञ्चरिय-चारु-चुम्विज्जमाणु $ वहुविह-विहङ्ग-सेविज्जमाणु
{प॰च॰५१,४.५} कङ्केल्लि-वच्छु इय-गुण-विचित्तु $ णं दहमुह-माणु मलेवि घित्तु
{प॰च॰५१,४.६} पुणु लइउ णाय-चम्पउ करेण $ णं दिस-पायवु दिस-कुञ्जरेण
{प॰च॰५१,४.७} उम्मूलिउ गयणहेॅ अणुहरन्तु $ अलि-जोइस-चक्क-परिब्भमन्तु
{प॰च॰५१,४.८} णव-पल्लव-गह-विक्खिण्ण-पयरु $ उब्भिण्ण-कुसुम-णक्खत्त-णियरु
{प॰च॰५१,४.९} सो चम्पउ गयणङ्गण-समग्गु $ दहवयण-मडप्फरु णाइँ भग्गु
घत्ता॒
{प॰च॰५१,४.१०} चम्पय-पायवु परिघिवेॅवि $ कड्ढिय वउल-तिलय महि ताडेॅवि
गज्जइ मत्त-गइन्दु जिह $ वे आलाण-खम्भ उप्पाडेॅवि
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक ५॒
दुवई
{प॰च॰५१,५.१} चम्पय-तिलय-वउल-वडपायव-सुरतरु भग्ग जावेॅहिॅ $ चउरुज्जाणपाल संपाइय गलगज्जन्त तावेॅहिॅ
{प॰च॰५१,५.२} हक्कारेॅवि पर-वल-वल-गलत्थु $ दाढावलि धाइउ लउडि-हत्थु
{प॰च॰५१,५.३} जो उत्तर-वारहेॅ रक्खवालु $ जो पसरिय-जस-भुवणन्तरालु
{प॰च॰५१,५.४} जो गिल्लगण्ड-गय-घड-घरट्टु $ पडिवक्ख-खलणु अखलिय-मरट्टु
{प॰च॰५१,५.५} सो हणुवहेॅ भिडिउ पलम्व-वाहु $ णं गङ्गा-वाहहेॅ जउण-वाहु
{प॰च॰५१,५.६} जो तेण पमेल्लिउ लउडि-दण्डु $ सो भञ्जेॅवि गउ सय-कण्ड-कण्डु
{प॰च॰५१,५.७} सिरिसइलु वि पहसिउ पुलइयङ्गु $ "वण-भङ्गहेॅ वीयउ सुहड-भङ्गु
{प॰च॰५१,५.८} दरिसावमि" एम चवन्तएण $ उम्मूलिउ तालु तुरन्तएण
{प॰च॰५१,५.९} कु-जणु व सुर-भायणु थड्ढ-भाउ $ दूर-हलउ अण्णु वि दुप्पणाउ
घत्ता॒
{प॰च॰५१,५.१०} तेण णिसायरु आहयणेॅ $ आयामेवि समाहउ तालें
पडिउ घुलेप्पिणु धरणियलेॅ $ घाइउ देसु णाइँ दुक्कालें
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक ६॒
दुवई
{प॰च॰५१,६.१} जं हणुवेण णिहउ समरङ्गणेॅ दाढावलि स-मच्छरो
धाइउ एक्कदन्तु गलगज्जेॅवि णं गयवरहेॅ गयवरो
{प॰च॰५१,६.२} जो पुव्व-वारेॅ वण-रक्खवालु $ संपाइउ णं खय-कालेॅ कालु
{प॰च॰५१,६.३} दिढ-कढिण-देहु थिर-थोर-हत्थु $ पर-वल-पओलि-भेल्लण-समत्थु
{प॰च॰५१,६.४} आयामेॅवि सत्ति पमुक्क तेण $ णं सरि सायरहेॅ महीहरेण
{प॰च॰५१,६.५} सा सामीरणिहेॅ परायणत्थ $ असइ व सप्पुरिसहेॅ अकियत्थ
{प॰च॰५१,६.६} हणुवेण वि रणउहेॅ दुण्णिरिक्खु $ उप्पाडिउ वर-साहारु रुक्खु
{प॰च॰५१,६.७} कामिणि-मुह-कुहरहेॅ अणुहरन्तु $ परिपक्क-फलाहरु कुसुम-दन्तु
{प॰च॰५१,६.८} णव-पल्लव-जीहा-लवलवन्तु $ कलयण्ठि-कण्ठ-महुरुल्लवन्तु
{प॰च॰५१,६.९} महकव्व-वियारु व दल-णिवेसु $ पच्छण्ण-परिट्ठिय-रस-विसेसु
घत्ता॒
{प॰च॰५१,६.१०} मारुइ-कर-पम्मुक्कऍण $ तेण पवर-कप्पद्दुम-घाएं
एक्कदन्तु घुम्मन्तु रणेॅ $ पाडिउ रुक्खु जेम दुव्वाएं
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक ७॒
दुवई
{प॰च॰५१,७.१} ताम कयन्तवक्कु आहवेॅ असक्कु सक्कक्क-सम-वलो $ हत्थि व गिल्ल-गण्डु तियसह्ũ पचण्डु कोदण्ड-करयलो
{प॰च॰५१,७.२} जो दाहिण-वारहेॅ रक्खवालु $ कोक्कन्तु पधाइउ मुह-करालु
{प॰च॰५१,७.३} "वणु भञ्जेॅवि कहिॅ हणुवन्त जाहि $ लइ पहरणु अहिमुहु थाहि थाहि
{प॰च॰५१,७.४} जिह हउ दाढावलि उत्थरन्तु $ अण्णु वि विणिवाइउ एक्कदन्तु
{प॰च॰५१,७.५} तिह पहरु पहरु भो पवणजाय $ दहवयणहेॅ केरा कुद्ध पाय"
{प॰च॰५१,७.६} पच्चारेॅवि पावणि धणुधरेण $ विहिॅ सरेॅहिॅ विद्धु रणेॅ दुद्धरेण
{प॰च॰५१,७.७} परिअञ्चेॅवि णिवडिय पुरउ तासु $ णमि-विणमि व पढम-जिणेसरासु
{प॰च॰५१,७.८} एत्थन्तरेॅ रणेॅ णीसन्दणेण $ आरुट्ठें पवणहेॅ णन्दणेण
{प॰च॰५१,७.९} आयामेॅवि उम्मूलिउ तमालु $ णं दिणयरेण तम-तिमिर-जालु
घत्ता॒
{प॰च॰५१,७.१०} उभय-करेॅहिॅ भामेवि तरु $ पहउ कयन्तवक्कु दणु-दारें
विहलङ्घलु घुम्मन्त-तणु $ गिरि व पलोट्टिउ कुलिस-पहारें
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक ८॒
दुवई
{प॰च॰५१,८.१} णिहऍ कयन्तवक्केॅ अण्णेक्कु णिसायरु भय-विवज्जिओ $ वर-करवाल-हत्थु कोक्कन्तु पधाइउ मेहगज्जिओ
{प॰च॰५१,८.२} सो पच्छिम-वारहेॅ रक्खवालु $ उब्भड-भिउडी-भङ्गुर-करालु
{प॰च॰५१,८.३} रत्तुप्पल-दल-संकास-णयणु $ अट्टट्ट-हास-मेल्लन्त-वयणु
{प॰च॰५१,८.४} णव-जलहर-लील-समुव्वहन्तु $ खग्गुज्जल-वर-विज्जुल-लवन्तु
{प॰च॰५१,८.५} भउहावलि-किय-धणुहर-पवङ्कु $ हणुवहेॅ अब्भिडिउ विमुक्क-सङ्कु
{प॰च॰५१,८.६} एत्थन्तरेॅ अणिलहेॅ णन्दणेण $ उप्पाडिउ चन्दणु दिढ-मणेण
{प॰च॰५१,८.७} सप्पुरिसु जेम वहु-खम-सरीरु $ सप्पुरिसु जेम छेए वि धीरु
{प॰च॰५१,८.८} सप्पुरिसु जेम सीयल-सहाउ $ सप्पुरिसु जेम सामण्ण-भाउ
{प॰च॰५१,८.९} सप्पुरिसु जेम जणवऍ महग्घु $ सप्पुरिसु जेम सव्वह्ũ सलग्घु
घत्ता॒
{प॰च॰५१,८.१०} तेण पवर-चन्दण-दुमेॅण $ एहउ मेहणाउ वच्छत्थलेॅ
लउडि-पहारें घाइयउ $ पडिउ फणिन्दु णाइँ महि-मण्डलेॅ
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक ९॒
दुवई
{प॰च॰५१,९.१} पवरुज्जाणवाल चत्तारि वि हय हणुवेण जावेॅहिॅ $ सेसारक्खिएहिॅ दहवयणहेॅ गम्पिणु कहिउ तावेॅहिॅ
{प॰च॰५१,९.२} "भो भो भू-भूसण भुवण-पाल $ आरुट्ठ-दुट्ठ-णिट्ठवण-काल
{प॰च॰५१,९.३} पवरामर-डामर-रणेॅ रउद्द $ णरवर-चूडामणि जय-समुद्द
{प॰च॰५१,९.४} दणु-इन्द-विन्द-मद्दण-सहाव $ सग्गग्ग-मग्ग-णिग्गय-पयाव
{प॰च॰५१,९.५} कामिणि-जण-थण-चड्डण-वियड्ढ $ लङ्कालङ्कार महागुणड्ढ
{प॰च॰५१,९.६} णिच्चिन्तउ अच्छहि काइँ देव $ वणु भग्गु कु-मुणिवर-हियउ जेव
{प॰च॰५१,९.७} एक्केण णरेण विरुद्धएण $ पहरन्तें अमरिस-कुद्धएण
{प॰च॰५१,९.८} उप्पाडेॅवि तरल-तमाल-ताल $ चेयारि वि हय उज्जाण-पाल"
{प॰च॰५१,९.९} तहिॅ अवसरेॅ आय ऽण्णेक्क वत्त $ वज्जाउहु आसाली समत्त
घत्ता॒
{प॰च॰५१,९.१०} तं णिसुणेप्पिणु दहवयणु $ कुविउ दवग्गि व सित्तु घिएण
"को जम-राएं सम्भरिउ $ उववणु भग्गु महारउ जेण"
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक १०॒
दुवई
{प॰च॰५१,१०.१} तं णिसुणेवि वयणु मन्दोयरि पिसुणइ णिसियरिन्दहेॅ $ "किण्ण कयावि देव पइँ वुज्झिउ धीया-सुउ महिन्दहेॅ
{प॰च॰५१,१०.२} जसु तणिय जणणि पवणञ्जएण $ वारह वरिसइँ परिचत्तएण
{प॰च॰५१,१०.३} पच्छण्ण-गब्भ-सम्भूइ सुणेॅवि $ केउमइऍ दुच्चारित्तु मुणेॅवि
{प॰च॰५१,१०.४} कुलहरहेॅ विसज्जिय ण गय तहि मि $ वणवासेॅ पसूइय गम्पि कहि मि
{प॰च॰५१,१०.५} विज्जाहरेॅहिॅ चउदिसु गविट्ठ $ गिरि-कुहरब्भन्तरेॅ णवर दिट्ठ
{प॰च॰५१,१०.६} किउ हणुरुह-दीवन्तरेॅ णिवासु $ हणुवन्तु पगासिउ णामु तासु
{प॰च॰५१,१०.७} परिणाविउ पइँ वि अणङ्गकुसुम $ कङ्केल्लि-लय व उब्भिण्ण-कुसुम
{प॰च॰५१,१०.८} इय उवयारहँ एक्कु वि ण णाउ $ अण्णु वि वइरिहिॅ पाइक्कु जाउ
{प॰च॰५१,१०.९} जं आइउ अङ्गुत्थलउ लेवि $ महु उट्ठिउ गलगज्जिउ करेवि"
घत्ता॒
{प॰च॰५१,१०.१०} एक्कु वि उववणेॅ दरमलिऍ $ दहमुह-हुअवहु झत्ति पलित्तउ
अण्णु वि पुणु मन्दोयरिऍ $ लेवि पलाल-भारु णं घित्तउ
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक ११॒
दुवई
{प॰च॰५१,११.१} तं णिसुणेवि वयणु दहवयणें पवराणत्त किङ्करा $ अक्क-मियङ्क-सक्क-वर-विक्कम पहरण-कर-भयङ्करा
{प॰च॰५१,११.२} तो णवर पणवेवि $ आएसु मग्गेवि
{प॰च॰५१,११.३} पाइक्क सण्णद्ध $ दिढ-परिकरावद्ध
{प॰च॰५१,११.४} सिह व्व संकुद्ध $ रिउ-जय-सिरी-लुद्ध
{प॰च॰५१,११.५} पज्जलिय-मणि-मउड $ विप्फुरिय-उट्ठउड
{प॰च॰५१,११.६} णिड्डरिय-णयण-जुअ $ कण्टइय-पवर-भुअ
{प॰च॰५१,११.७} भू-भङ्गुरा-भाल $ उग्गिण्ण-करवाल
{प॰च॰५१,११.८} हत्थि व्व संखुहिय $ सूर व्व वहु-उइय
{प॰च॰५१,११.९} जलहि व्व उत्थल्ल $ सेल व्व संचल्ल
{प॰च॰५१,११.१०} दणु-देह-दारणइँ $ गहियाइँ पहरणइँ
{प॰च॰५१,११.११} अण्णेण हुलि-हूलु $ अण्णेण झस-सूलु
{प॰च॰५१,११.१२} अण्णेण गय-दण्डु $ अण्णेण कोवण्डु
{प॰च॰५१,११.१३} अण्णेण सर-जालु $ अण्णेण करवालु
घत्ता॒
{प॰च॰५१,११.१४} एव दसाणण-किङ्करह्ũ $ वलु सण्णहेॅवि सयलु संचल्लिउ
पलय-कालेॅ णं उवहि-जलु $ णिय-मज्जाय मुअन्तुत्थल्लिउ
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक १२॒
दुवई
{प॰च॰५१,१२.१} खोहिउ सायरो व्व लङ्का-णयरी जाया समाउला $ रहवर-गयवरोह-जम्पाण-विमाण-तुरङ्ग-सङ्कुला
{प॰च॰५१,१२.२} वलु कहि मि ण माइउ णीसरन्तु $ संचल्लु पओलिय दरमलन्तु
{प॰च॰५१,१२.३} धय-चवल-महद्धय-थरहरन्तु $ पडू-पडह-सङ्ख-मद्दल-रसन्तु
{प॰च॰५१,१२.४} विणु खेवें पहरण-वर-करेहिॅ $ वणु वेढिउ रावण-किङ्करेहिॅ
{प॰च॰५१,१२.५} णं तारा-मण्डलु णव-घणेहिॅ $ णं तिहुअणु तिहि मि पहञ्जणेहिॅ
{प॰च॰५१,१२.६} तिह वेढेॅवि रहवर-गयवरेहिॅ $ पच्चारिउ मारुइ णरवरेहिॅ
{प॰च॰५१,१२.७} "पायारु पलोट्टिउ जिह विसालु $ वज्जाउहु हउ रणेॅ कोट्टवालु
{प॰च॰५१,१२.८} वण-पाल वहिय वणु भग्गु जेम $ खल खुद्द पिसुण मरु पहरु तेम"
{प॰च॰५१,१२.९} तं णिसुणेॅवि धाइउ पवण-जाउ $ कम्पिल्ल-पवर-पायव-सहाउ
घत्ता॒
{प॰च॰५१,१२.१०} पढम-भिडन्तें मारुइण $ रिउ-साहणु वहु-भाय-समारिउ
णं सीहेण विरुद्धऍण $ मयगल-जूहु दिसहिॅ ओसारिउ
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक १३॒
दुवई
{प॰च॰५१,१३.१} जउ जउ पवणपुत्तु परिसक्कइ तउ तउ वलु ण थक्कई $ कुद्धऍ णियय-कन्तेॅ सुकलत्तु व णउ णासइ ण ढुक्कई
{प॰च॰५१,१३.२} सु-कलत्तु जेम अड्डड्डु जाइ $ सु-कलत्तु जेम भिउडिहिॅ ण थाइ
{प॰च॰५१,१३.३} सु-कलत्तु जेम विवरिउ ण होइ $ सु-कलत्तु जेम वयणु वि ण जोइ
{प॰च॰५१,१३.४} सु-कलत्तु जेम दूरिउ मणेण $ सु-कलत्तु जेम ढुक्कइ खणेण
{प॰च॰५१,१३.५} सु-कलत्तु जेम ओसारु देइ $ सु-कलत्तु जेम करयलु धुणेइ
{प॰च॰५१,१३.६} सु-कलत्तु जेम ल्हिक्कन्तु जाइ $ सु-कलत्तु जेम पासेउ लेइ
{प॰च॰५१,१३.७} सु-कलत्तु जेम रोसेण वलइ $ सु-कलत्तु जेम सम्पत्तु खलई
{प॰च॰५१,१३.८} सु-कलत्तु जेम संकुइय-वयणु $ सु-कलत्तु जेम मउलन्त-णयणु
{प॰च॰५१,१३.९} सु-कलत्तु जेम किय-वङ्क-भमुहु $ सु-कलत्तु जेम धावन्तु समुहु
घत्ता॒
{प॰च॰५१,१३.१०} रोक्कइ कोक्कइ ढुक्कइ वि $ वेढइ वलइ धाइ परिपेल्लइ
हणुवहेॅ वलु सु-कलत्तु जिह $ पिट्टिज्जन्तु वि मग्गु ण मेल्लइ
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक १४॒
दुवई
{प॰च॰५१,१४.१} हुलि-हल-मुसल-सूल-सर-सव्वल-पट्टिस-फलिह-कोन्तेॅहिॅ $ गय-मोग्गर-मुसुण्ढि-झस-कोन्तेॅहिॅ सूलेॅहिॅ परसु-चक्केॅहिॅ
{प॰च॰५१,१४.२} हउ पवण-पुत्तु $ रणेॅ उत्थरन्तु
{प॰च॰५१,१४.३} तेण वि चलेण $ दिढ-भुअ-वलेण
{प॰च॰५१,१४.४} णिद्दलिउ सिमिरु $ चमरेण चमरु
{प॰च॰५१,१४.५} छत्तेण छत्तु $ कोन्तेण कोन्तु
{प॰च॰५१,१४.६} खग्गेण खग्गु $ धउ धऍण भग्गु
{प॰च॰५१,१४.७} चिन्धेण चिन्धु $ सरु सरेॅण विद्धु
{प॰च॰५१,१४.८} रहु रहवरेण $ गउ गयवरेण
{प॰च॰५१,१४.९} हउ हयवरेण $ णरु णरवरेण
{प॰च॰५१,१४.१०} हत्थेण अण्णु $ पाएण अण्णु
{प॰च॰५१,१४.११} पण्हियऍ अण्णु $ जण्हुयऍ अण्णु
{प॰च॰५१,१४.१२} दिट्ठीऍ अण्णु $ मुट्ठीऍ अण्णु
{प॰च॰५१,१४.१३} उरसा वि अण्णु $ सिरसा वि अण्णु
{प॰च॰५१,१४.१४} तालेण अण्णु $ तरलेण अण्णु
{प॰च॰५१,१४.१५} सालेण अण्णु $ सरलेण अण्णु
{प॰च॰५१,१४.१६} चन्दणेॅण अण्णु $ वन्दणेॅण अण्णु
{प॰च॰५१,१४.१७} णागेण अण्णु $ चम्पऍण अण्णु
{प॰च॰५१,१४.१८} णिम्वेण अण्णु $ पक्खेण अण्णु
{प॰च॰५१,१४.१९} सज्जेण अण्णु $ अज्जुणेॅण अण्णु
{प॰च॰५१,१४.२०} पाडलिऍ अण्णु $ पुप्फलिऍ अण्णु
{प॰च॰५१,१४.२१} केअइऍ अण्णु $ मालइऍ अण्णु
{प॰च॰५१,१४.२२} अणेण्ण अण्णु $ हउ एम सेण्णु
घत्ता॒
{प॰च॰५१,१४.२३} पवण-सुअहेॅ पहरन्ताहेॅ $ पाणायाम-थाम-परिचत्तइँ
रिउसाहण-णन्दणवणइँ $ वेण्णि वि रणेॅ सरिसाइँ समत्तइँ
कण्ड ३, संधि ५१, कडवक १५॒
दुवई
{प॰च॰५१,१५.१} पाडिय वर-तुरङ्ग रह मोडिय सूरिय मत्त कुञ्जरा $ वेस व णह-विलुक्क थिय केवल उक्खय-दुम-वसुन्धरा
{प॰च॰५१,१५.२} वण-वलइँ दसाणण-केराइँ $ सुरह मि आणन्द-जणेराइँ
{प॰च॰५१,१५.३} महियलेॅ सोहन्ति पडन्ताइँ $ णं जिण-पडिमहेॅ पणमन्ताइँ
{प॰च॰५१,१५.४} वण-वलइँ णिसण्णइँ धरणियलेॅ $ जलयरइँ व सुक्कइँ उवहि-जलेॅ
{प॰च॰५१,१५.५} वण-वलइँ सु-संतावियइँ किह $ दुप्पुत्तेॅहिॅ उभय-कुलाइँ जिह
{प॰च॰५१,१५.६} वण-वलइँ परोप्परु मीसियइँ $ णं वर-मिहुणाइँ पदीसियइँ
{प॰च॰५१,१५.७} सामीरणि-णिद्दऍ भुत्ताइँ $ रणेॅ रयणिहिॅ मिलेॅवि पसुत्ताइँ
{प॰च॰५१,१५.८} वण-वलइँ हणुव-पहराहयइँ $ णं कालहेॅ पाहुणाइँ गयइँ
{प॰च॰५१,१५.९} अहवइ णं वलहेॅ हियत्तणेण $ वणु भग्गु भडग्गिहेॅ कारणेण
घत्ता॒
{प॰च॰५१,१५.१०} समरेॅ महासरेॅ रुहिर-जलेॅ $ णर-सिर-कमलइँ दिसहिॅ पढोऍवि
मारुइ मत्त-गइन्दु जिह $ वग्गइ स इँ भु व-जुअलु पजोऍवि
[५२. दुवण्णासमो संधि] ----------
विणिवाइऍ साहणेॅ $ भग्गऍ उववणेॅ $ णं हरि हरिहेॅ समावडिउ
स-तुरङ्गु स-सन्दणु $ दहमुह-णन्दणु $ अक्खउ हणुवहेॅ अब्भिडिउ
कण्ड ३, संधि ५२, कडवक १॒
{प॰च॰५२,१.१} फुरियाणणउ विहुणिय-वाहुदण्डओ णं गयवरउ णिब्भर-गिल्ल-गण्डओ $ तं दहवयणु जयकारेवि अक्खओ णं णीसरिउ गरुडहेॅ समुहु तक्खओ
{प॰च॰५२,१.२} संचल्लन्तऍ रह-गय-वाहणेॅ $ रणेॅ पडहउ देवाविउ साहणेॅ
{प॰च॰५२,१.३} कड्ढिय-हय-संजोत्तिय-सन्दणु $ लीलऍ चडिउ दसाणण-णन्दणु
{प॰च॰५२,१.४} धूमकेउ धय-दण्डेॅ थवेप्पिणु $ कालदिट्ठि सारत्थि करेप्पिणु
{प॰च॰५२,१.५} परिहिउ माया-कवउ कुमारें $ रहु संचल्लिउ पच्छिम-दारें
{प॰च॰५२,१.६} ताव समुट्ठियाइँ दुणिमित्तइँ $ जाइँ विओय-मरण-भयइत्तइँ
{प॰च॰५२,१.७} सिव फेक्कारु करन्ति पढुक्कइ $ सुक्कऍ पायवेॅ वुक्कणु वुक्कइ
{प॰च॰५२,१.८} पहु छिन्दन्तु सप्पु संचल्लइ $ पुणु पडिकूलु पवणु पडिपेल्लइ
{प॰च॰५२,१.९} रासहु रसइ कुमारहेॅ पच्छऍ $ णावइ सज्जणु लग्गु कडच्छऍ
घत्ता॒
{प॰च॰५२,१.१०} अवगण्णेॅवि ताइ मि $ सउण-सयाइ मि $ दुप्परिणामें छाइयउ
णङ्गूल-पईहहेॅ $ सीहु व सीहहेॅ $ हणुवहेॅ समुहु पधाइयउ
कण्ड ३, संधि ५२, कडवक २॒
{प॰च॰५२,२.१} एत्थन्तरे पभणइ पवर-सारहि "समरङ्गणऍ केण समउ पहारहि $ ण तुरङ्ग गय धय-चिन्धइँ विहावमि सवडम्मुहउ रहवरु कासु वाहमि"
{प॰च॰५२,२.२} तं णिसुणेवि पजम्पिउ अक्खउ $ "जो णीसेस-णिहय-पडिवक्खउ
{प॰च॰५२,२.३} सारहि समर-सऍहिॅ जसवन्तहेॅ $ रहवरु वाहि वाहि हणुवन्तहेॅ
{प॰च॰५२,२.४} रहवरु वाहि वाहि जहिॅ रहवर $ संचूरिय सतुरङ्ग सणरवर
{प॰च॰५२,२.५} रहवरु वाहि वाहि जहिॅ कुञ्जर $ दलिय-सिरग्ग भग्ग-भुव-पञ्जर
{प॰च॰५२,२.६} रहवरु वाहि वाहि जहिॅ छत्तइँ $ पडियइँ महिहिॅ णाइँ सयवत्तइँ
{प॰च॰५२,२.७} रहवरु वाहि वाहि जहिॅ चिन्धइँ $ अण्णु पणच्चावियइँ कवन्धइँ
{प॰च॰५२,२.८} रहवरु वाहि वाहि जहिॅ गिद्धइँ $ परिभमंति वस-मंस-पइद्धइँ
{प॰च॰५२,२.९} रहवरु वाहि वाहि जहिॅ उववणु $ णं दरमलिउ वियड्ढें जोव्वणु
घत्ता॒
{प॰च॰५२,२.१०} सारहि एहु पावणि $ हũ सो रावणि $ विहि मि भिडन्तहँ एउ दलु
जिम हणुवहेॅ मायरि $ जिम मन्दोयरि $ मुअइ सुदुक्खउ अंसु-जलु"
कण्ड ३, संधि ५२, कडवक ३॒
{प॰च॰५२,३.१} जं जाणियउ अक्खउ रण-रसाहिउ रहु सारहिण हणुवहेॅ सम्मुहु वाहिउ $ ढुक्कन्तु रणेॅ तेण वि दिट्ठु केहउ रयणायरेॅण गङ्गा-वाहु जेहउ
{प॰च॰५२,३.२} जं णिज्झाइउ णिसियर-सन्दणु $ मणेॅ आरुट्ठु समीरण-णन्दणु
{प॰च॰५२,३.३} वलिउ दिवायर-चक्कहेॅ राहु व $ रइ-भत्तारहेॅ तिहुवण-णाहु व
{प॰च॰५२,३.४} वलिउ तिविट्ठु व अस्सग्गीवहेॅ $ राहवो व्व मायासुग्गीवहेॅ
{प॰च॰५२,३.५} दहवयणो व्व वलिउ सहसक्खहेॅ $ तिह हणुवन्तु समुहु रणेॅ अक्खहेॅ
{प॰च॰५२,३.६} दहमुह-णन्दणेण हक्कारिउ $ णिट्ठुर-कडुआलावहिॅ खारिउ
{प॰च॰५२,३.७} "चङ्गउ पवण-पुत्त पइँ जुज्झिउ $ जिणवर-वयणु कयावि ण वुज्झिउ
{प॰च॰५२,३.८} अणुवउ गुणवउ णउ सिक्खावउ $ परधण-वउ सुणामु जिह सावउ
{प॰च॰५२,३.९} एत्तिय जीव जेण संघारिय $ ण वि जाणह्ũ कहिॅ थत्ति समारिय
घत्ता॒
{प॰च॰५२,३.१०} मइँ घइँ सुकु-लीवहेॅ $ सव्वहेॅ जीवहेॅ $ किय णिवित्ति मारेवाहेॅ
पर एक्कु परिग्गहु $ णाहिॅ अवग्गहु $ पइँ समाणु पहरेवाहेॅ
कण्ड ३, संधि ५२, कडवक ४॒
{प॰च॰५२,४.१} अक्खत्तहेॅ वयणु सुणेवि तणुवेॅण पङ्कय-मुहेॅण सरहसु हसिउ हणुवेॅण $ "जिह एत्तियह्ũ तुज्झु वि भिडन्तहो जीविउ हरमि एत्तिउ रणेॅ रसन्तहो
{प॰च॰५२,४.२} एव चवन्त सुहड-चूडामणि $ भिडिय परोप्परु रावणि-पावणि
{प॰च॰५२,४.३} णं विण्णि मि आसीविस विसहर $ णं विण्णि मि मुक्कङ्कुस कुञ्जर
{प॰च॰५२,४.४} णं विण्णि मि सरहस पञ्चाणण $ णं विण्णि वि कुलिसहर-दसाणण
{प॰च॰५२,४.५} णं विण्णि मि गलगज्जिय जलहर $ णं वेण्णि वि उत्थल्लिय सायर
{प॰च॰५२,४.६} विण्णि वि रावण-राहव-किङ्कर $ विण्णि वि वियड-वच्छ विहुणिय-कर
{प॰च॰५२,४.७} विण्णि वि रत्त-णेत्त डसियाहर $ विण्णि वि वहु-परिवड्ढिय-रण-भर
{प॰च॰५२,४.८} विण्णि वि णामु लिन्ति अरहन्तहेॅ $ तरु णिसियरेॅण मुक्कु हणुवन्तहेॅ
{प॰च॰५२,४.९} तेण वि तिक्ख-खुरुप्पेॅहिॅ कण्डिउ $ वलि जिह दिसिहिॅ विहञ्जेॅवि छण्डिउ
घत्ता॒
{प॰च॰५२,४.१०} पुणु मुक्कु महीहरु $ स-तरु स-कन्दरु $ सो वि पडीवउ छिण्णु किह
जण-णयणाणन्दें $ परम-जिणेन्दें $ भीसणु भव-संसारु जिह
कण्ड ३, संधि ५२, कडवक ५॒
{प॰च॰५२,५.१} अण्णेक्कु किर गिरिवरु मुअइ जावेॅहिॅ आरुट्ठऍण पवण-सुएण तावेॅहिॅ $ णिय-भुअ-वलेॅण भामेॅवि णहयलन्तरे सहु रहवरेॅण घत्तिउ पुव्व-सायरे
{प॰च॰५२,५.२} सारहि णिहउ तुरङ्गम घाइय $ आसालियहेॅ महापहेॅ लाइय
{प॰च॰५२,५.३} अक्खउ गयण-मग्गेॅ उप्पालेॅवि $ आउ खणद्धें सिल संचालेॅवि
{प॰च॰५२,५.४} किर परिघिवइ वियड-वच्छ-त्थलेॅ $ हणुवें णवर भमाडेॅवि णहयलेॅ
{प॰च॰५२,५.५} घत्तिउ दाहिण-लवण-महण्णवेॅ $ आउ पडीवउ भिडिउ महाहवेॅ
{प॰च॰५२,५.६} पुणरवि घत्तिउ पच्छिम-सायरेॅ $ तहि मि पराइउ णिविसब्भन्तरेॅ
{प॰च॰५२,५.७} पुणु आवाहिउ उत्तर-वासें $ पत्तु पडीवउ सह्ũ णीसासें
{प॰च॰५२,५.८} पुणु णहयलहेॅ घित्तु भामेप्पिणु $ मेरुहेॅ पासेॅहिॅ भामरि देप्पिणु
{प॰च॰५२,५.९} पत्तु खणन्तरेॅ णहेॅ गज्जन्तउ $ "मारुइ पहरु पहरु" पभणन्तउ
घत्ता॒
{प॰च॰५२,५.१०} (तं) णिसुणेवि पवोल्लिय $ सुर मणेॅ डोल्लिय $ "छण्डहेॅ कह दूअहेॅ तणिय
दुक्करु जीवेसइ $ रामहेॅ णेसइ $ कुसल-वत्त-सीयहेॅ तणिय"
कण्ड ३, संधि ५२, कडवक ६॒
{प॰च॰५२,६.१} जोयण-सऍण जो घल्लिउ आवइ (?) अइ-चञ्चलउ मणु कामिणिहेॅ णावइ $ जं आहयणेॅ जिणेवि ण सक्किउ अरी विम्भाविओ मणेॅ हणुवन्त-केसरी
{प॰च॰५२,६.२} रावण-तणयहेॅ फुरणु पसंसिउ $ "वलु वड्डन्तरेण महु पासिउ
{प॰च॰५२,६.३} जसु संचारु सुरेहिॅ ण वुज्झिउ $ तेण समाणु केम हũ जुज्झिउ
{प॰च॰५२,६.४} किह जसु लद्धु णिहउ मइँ आहवेॅ $ कुसल-वत्त किह पाविय राहवेॅ"
{प॰च॰५२,६.५} मारुइ मणेॅण वियप्पइ जावेॅहिॅ $ मन्दोयरि-सुएण रणेॅ तावेॅहिॅ
{प॰च॰५२,६.६} सावट्ठम्भें भडु वोल्लाविउ $ किं भो पवण-पुत्त चिन्ताविउ
{प॰च॰५२,६.७} णासु णासु जइ पाणइँ भीयउ $ इन्दइ जाम ण आवइ वीयउ"
{प॰च॰५२,६.८} तं णिसुणेवि पहञ्जण-जाएं $ रिउ वच्छयलेॅ विद्धु णाराएं
{प॰च॰५२,६.९} तेण पहारें णिसियरु मुच्छिउ $ पडिवउ दुक्खु दुक्खु ओमुच्छिउ
घत्ता॒
{प॰च॰५२,६.१०} तहिॅ अवसरेॅ झाइय $ पासु पराइय $ अक्खहेॅ अक्खय-विज्ज किह
देवत्तणेॅ लद्धऍ $ केवलि-सिद्धऍ $ परम-जिणिन्दहेॅ रिद्धि जिह
कण्ड ३, संधि ५२, कडवक ७॒
{प॰च॰५२,७.१} पभणिय भडेॅण "चिन्तिउ किण्ण वुज्झहि एत्तडउ करेॅ एण समाणु जुज्झहि" $ पहसिय-मुहऍ णर-सुर-पुज्जणिज्जए संवोहियउ अक्खउ अक्खय-विज्जए (?)
{प॰च॰५२,७.२} "अहो मन्दोअरि-णयणाणन्दण $ लङ्का-णयरि-णराहिव-णन्दण
{प॰च॰५२,७.३} जं पभणहि तं काइँ ण इच्छमि $ सिरसा वज्जासणि वि पडिच्छमि
{प॰च॰५२,७.४} जइ हũ अक्खय-विज्जा रूसमि $ तो णिविसद्धें सायरु सोसमि
{प॰च॰५२,७.५} इन्दहेॅ इन्दत्तणु उद्दालमि $ मेरु वि वाम-करग्गें टालमि
{प॰च॰५२,७.६} णवरि एक्कु गुरु सव्वह्ũ पासिउ $ णउ अ-पमाणु होइ मुणि-भासिउ
{प॰च॰५२,७.७} पइ मि मइ मि हणुवन्तहेॅ हत्थेॅ $ जाएवउ वज्जाउह-पन्थें
घत्ता॒
{प॰च॰५२,७.८} एम वि जइ जुज्झहि $ कज्जु ण वुज्झहि $ तो पडिवारउ करहि रणु
णिम्मवेॅवि स-वाहणु $ माया-साहणु $ होमि सहेज्जी एक्कु खणु"
कण्ड ३, संधि ५२, कडवक ८॒
{प॰च॰५२,८.१} तो णिम्मविउ माया-वलु अणन्तउ मेहउलु जिह दस-दिसि-वहु भरन्तउ $ जलेॅ थलेॅ गयणेॅ भुवणन्तरेॅ ण माइओ अञ्जण-सुअहेॅ पहरण-करु [प]धाइओ
{प॰च॰५२,८.२} केण वि लइउ महाकुल-पावउ $ केण वि हुववहु जग-संतावउ
{प॰च॰५२,८.३} केण वि उम्मूलिउ वड-पायवु $ केण वि तामसु केण वि वायवु
{प॰च॰५२,८.४} केण वि जल-धारा-हरु वारुणु $ केण वि दिणयरत्थु अइ-दारुणु
{प॰च॰५२,८.५} केण वि णाग-पासु केण वि घणु $ एम पधाइउ सयलु वि साहणु
{प॰च॰५२,८.६} तो पण्णत्ति-विज्ज हणुवन्तें $ चिन्तिय अहिणव-वलु चिन्तन्तें
{प॰च॰५२,८.७} "दइ पेसणु" पभणन्ति पराइय $ माया-साहणु करेॅवि पधाइय
{प॰च॰५२,८.८} वेण्णि वि वलइँ परोप्परु भिडियइँ $ जल-थलाइँ णं एक्कहिॅ मिलियइँ
{प॰च॰५२,८.९} उब्भिय-धयइँ समाहय-तूरइँ $ णं कलि-काल-मुहइँ अइ-कूरइँ
घत्ता॒
{प॰च॰५२,८.१०} हणु-अक्खकुमारह्ũ $ विक्कम-सारह्ũ $ जाउ जुज्झु पहरण-घणउ
जोइज्जइ इन्दें $ सह्ũ सुर-विन्दें $ णावइ छाया-पेक्खणउ
कण्ड ३, संधि ५२, कडवक ९॒
{प॰च॰५२,९.१} वेण्णि वि वलइँ जय-सिरि-लद्ध-पसरइँ पहरन्ति रणेॅ जीव-भयावण-सरइँ $ फुरियाहरइँ भड-भिउडी-करालइँ ए[क्के]क्कमेक्कहेॅ पेसिय-वाण-जालइँ
{प॰च॰५२,९.२} कत्थइ वोल्लावोल्लि वरावरि $ कत्थइ ढुक्काढुक्कि धराधरि
{प॰च॰५२,९.३} कत्थइ हूलाहूलि मरामरि $ कत्थइ कण्डाकण्डि सरासरि
{प॰च॰५२,९.४} कत्थइ दण्डादण्डि घणाघणि $ कत्थइ केसाकेसि हणाहणि
{प॰च॰५२,९.५} कत्थइ छिन्दाछिन्दि लुणालुणि $ कत्थइ कड्ढाकड्ढि धुणाधुणि
{प॰च॰५२,९.६} कत्थइ भिन्दाभिन्दि दलादलि $ कत्थइ मुसलामुसलि हलाहलि
{प॰च॰५२,९.७} कत्थइ सेल्लसेल्लि णरिन्दह्ũ $ कत्थइ पेल्लापेल्लि गइन्दह्ũ
{प॰च॰५२,९.८} कत्थइ पाडापाडि तुरङ्गह्ũ $ कत्थइ मोडामोडि रहङ्गह्ũ
{प॰च॰५२,९.९} कत्थइ लोट्टालोट्टि विमाणह्ũ $ आहर-जाहर णरवर-पाणह्ũ
घत्ता॒
{प॰च॰५२,९.१०} विण्णि वि अ-णिविण्णइँ $ माया-सेण्णइँ $ ताव परोप्परु जुज्झियइँ
कहिॅ गम्पि पइट्ठइँ $ कहि मि ण दिट्ठइँ $ जाव ण केण वि वुज्झियइँ
कण्ड ३, संधि ५२, कडवक १०॒
{प॰च॰५२,१०.१} उव्वरिय पर दुद्दम-दणु-विमद्दणा संगर-सम-गय रावण-पवण-णन्दणा $ णं मत्त गय धाइय एक्कमेक्कहेॅ सहसोत्थरिय रण-धव देन्त सक्कहेॅ
{प॰च॰५२,१०.२} तो आरुट्ठु समीरण-णन्दणु $ चूरिउ रणेॅ रयणीयर-सन्दणु
{प॰च॰५२,१०.३} सारहि णिहउ तुरङ्गम घाइय $ वइवस-पुरवर-पन्थें लाइय
{प॰च॰५२,१०.४} अक्खकुमार-हणुव थिय केवल $ वाहा-जुज्झें भिडिय महा-वल
{प॰च॰५२,१०.५} तो मारुव-सुएण आयामिउ $ चलणेॅहिॅ लेवि णिसायरु भामिउ
{प॰च॰५२,१०.६} ताम जाम आमेल्लिउ पाणेॅहिॅ $ कह वि कह वि णिय-भिच्च-समाणेॅहिॅ
{प॰च॰५२,१०.७} लोयणइ मि उच्छलियइँ फुट्टेॅवि $ विण्णि वाहु-दण्ड गय तुट्टेॅवि
{प॰च॰५२,१०.८} सिरु णिवडिउ णीलुप्पल-कोमलु $ किउ सरीरु तहेॅ हड्डहँ पोट्टलु
{प॰च॰५२,१०.९} एह वत्त गय मय-मारिच्चह्ũ $ अन्तेउरह्ũ असेसह्ũ भिच्चह्ũ
घत्ता॒
{प॰च॰५२,१०.१०} तो णिसियर-णाहें $ कोव-सणाहें $ हियउ हणेव्वऍ ढोइयउ
रण-रस-सण्णद्धुअ $ णिऍवि स यं भु व $ चन्दहासु अवलोइयउ
[५३. तिवण्णासमो संधि] ----------
भणइ विहीसणु $ "लइ अज्जु वि कज्जु ण णासइ
रामण रामहेॅ $ अप्पिज्जउ सीय-महासइ
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक १॒
{प॰च॰५३,१.१} भो भुवणेक्क-सीह $ वीसद्ध-जीह $ तउ थाउ एह वुद्धी
अज्जु वि विगय-णामेॅणं $ समउ रामेॅणं $ कुणहि गम्पि संधी
{प॰च॰५३,१.२} अज्ज वि णिय जाणइ $ को वि ण जाणइ $ धरणियलेॅ
अज्ज वि सिय माणहि $ कुल-खउ मा ऽऽणहि $ णियय-वलेॅ
{प॰च॰५३,१.३} अज्ज वि सं-सा-रऍ $ मा संसारऍ $ पइसरहि
अज्ज वि उज्जाणेॅहिॅ $ सिविया-जाणेॅहिॅ $ संचरहि
{प॰च॰५३,१.४} अज्ज वि तुह्ũ रावणु $ जग-जूरावणु $ सा जेॅ सिय
अज्ज वि मन्दोअरि $ सा मन्दोअरि $ पाण-पिय
{प॰च॰५३,१.५} अज्ज वि ते सन्दण $ णरवर-सन्दण $ ते तुरय
अज्ज वि तं साहणु $ गहिय-पसाहणु $ ते जि गय
{प॰च॰५३,१.६} अज्ज वि करेॅ कण्डउ $ करि-सिर-कण्डउ $ तं जि तउ
अज्ज वि भड-सायरु $ लद्ध-जसायरु $ रणेॅ अजउ
{प॰च॰५३,१.७} अज्ज वि पवराहउ $ जाम ण राहउ $ ओवडइ
अज्ज वि वहु-लक्खणु $ जाम ण लक्खणु $ अब्भिडइ
{प॰च॰५३,१.८} वरि ताम दसाणण $ पवर-दसाणण $ पवर-भुअ
अप्पिज्जउ रामहेॅ $ जण-अहिरामहेॅ $ जणय-सुअ
{प॰च॰५३,१.९} परयारु रमन्तेॅ $ कहेॅ वि जियन्तहेॅ $ णाहिॅ सुहु
अच्छहि तमेॅ छूढउ $ णिय-मणेॅ मूढउ $ काइँ तुह्ũ"
घत्ता॒
{प॰च॰५३,१.१०} जाम विहीसणु $ दहवयणहेॅ हियउ ण भिन्दइ
महि अप्फालेॅवि $ भडु ताव समुट्ठिउ इन्दजइ
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक २॒
{प॰च॰५३,२.१} "भो दणुइन्द-मद्दणा $ पइँ विहीसणा $ काइँ एव वुत्तं
अक्ख-कुमारेॅ घाइए $ हणुऍ आइए $ ल्हिक्किउं ण जुत्तं
{प॰च॰५३,२.२} एवहिॅ मन्तु मन्तिज्जइ $ जलेॅ विसट्टेॅ किं वरुणु रइज्जइ
{प॰च॰५३,२.३} पित्तिय णासु णासु जइ भीयउ $ उत्तर-सक्खि समरेॅ महु वीयउ
{प॰च॰५३,२.४} एक्कु पहुच्चइ तोयदवाहणु $ अच्छउ भाणुकण्णु पञ्चाणणु
{प॰च॰५३,२.५} अच्छउ मउ मारिच्चि सहोयरु $ अच्छउ अण्णु मि जो जो कायरु
{प॰च॰५३,२.६} महु पुणु चङ्गउ अवसरु वट्टइ $ जो किर अज्जु कल्लेॅ अब्भिट्टइ
{प॰च॰५३,२.७} जेणासाल-विज्ज विणिवाइय $ वणु भग्गउ वण-पाल वि घाइय
{प॰च॰५३,२.८} किङ्कर-खन्धावारु पलोट्टिउ $ अखउ कुमारु जेण दलवट्टिउ
{प॰च॰५३,२.९} सो महु कह वि कह वि अब्भिडियउ $ सीहहेॅ हरिणु जेम कमेॅ पडियउ
घत्ता॒
{प॰च॰५३,२.१०} दूउ भणेप्पिणु $ समरट्ठाणेॅ जइ वि ण मारमि
तो वि धरेप्पिणु $ तुम्हहँ समक्खु वित्थारमि
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक ३॒
{प॰च॰५३,३.१} पुणरवि रिउ-णिसुम्भ $ अहिमाण-खम्भ $ सुणि वयणु ताय ताय
जइ ण धरेमि सत्तु $ रणेॅ उत्थरन्तु $ ता छित्त तुम्ह पाय
{प॰च॰५३,३.२} अहवइ लङ्केसर $ किं परमेसर $ वीसरिउ
जइयह्ũ सुर-सुन्दरेॅ $ गम्पि पुरन्दरेॅ $ उत्थरिउ
{प॰च॰५३,३.३} तइयह्ũ तेत्थन्तरेॅ $ छत्त-णिरन्तरेॅ $ धवल-धऍ
सिन्दूरुप्पङ्किऍ $ गिज्जालङ्किऍ $ मत्तगऍ
{प॰च॰५३,३.४} संजोत्तिय-रहवरेॅ $ हिंसिय-हयवरेॅ $ पवर-थडेॅ
धणु-गुण-टङ्कारवेॅ $ कलयल-रउरवेॅ $ कुइय-भडेॅ
{प॰च॰५३,३.५} आमेल्लिय-परियरेॅ $ कड्ढिय-सरवरेॅ $ गीढ-फरेॅ
पडू-पडहप्फालिऍ $ सद्द-वमालिऍ $ गहिर-सरेॅ
{प॰च॰५३,३.६} रिउ-जय-सिरि-लुद्धऍ $ अमरिस-कुद्धऍ $ जुज्झ-मणेॅ
सव्वल-हुलि-हूलिहिॅ $ सत्ति-तिसूलेॅहिॅ $ वावरणेॅ
{प॰च॰५३,३.७} तहिॅ तेहऍ साहणेॅ $ हय-गय-वाहणेॅ $ अब्भिडेॅवि
सीहेण व वर-करि $ धरिउ पुरन्दरि $ रहेॅ चडेॅवि
{प॰च॰५३,३.८} तहिॅ इन्दइ घोसिउ $ णामु पगासिउ $ सुरवरेॅहिॅ
विज्जाहर-जक्खेॅहिॅ $ गन्धव-रक्खेॅहिॅ $ किण्णरेॅहिॅ
{प॰च॰५३,३.९} तो एक्कें हणुवें $ अण्णु वि मणुवें $ को गहणु"
रहेॅ चडिउ तुरन्तउ $ जय-कारन्तउ $ परम-जिणु
घत्ता॒
{प॰च॰५३,३.१०} हरि धुरेॅ देप्पिणु $ धऍ विजउ जणहेॅ पेक्कन्तहेॅ
णिग्गउ इन्दइ $ णं वन्धणारु हणुवन्तहेॅ
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक ४॒
{प॰च॰५३,४.१} पच्छऍ मेहवाहणो $ गहिय-पहरणो $ णिग्गओ तुरन्तो
णं जुअ-खऍ सणिच्छरो $ भरिय-मच्छरो $ अहर-विप्फुरन्तो
{प॰च॰५३,४.२} सो वि पधाइउ रहवरेॅ चडियउ $ णं केसरि-किसोरु णिव्वडियउ
{प॰च॰५३,४.३} संचल्लन्तऍ तोयदवाहणेॅ $ तूरइँ हयइँ असेस वि साहणेॅ
{प॰च॰५३,४.४} सण्णज्झन्ति के वि रयणीयर $ वर-तोणीर-वाण-धणुवर-कर
{प॰च॰५३,४.५} के वि तिक्ख-खग्गुक्खय-हत्था $ के वि गुरुहेॅ ओणामिय-मत्था
{प॰च॰५३,४.६} के वि चडिय हिंसन्त-तुरङ्गेॅहिॅ $ के वि रसन्त-मत्त-मायङ्गेॅहिॅ
{प॰च॰५३,४.७} के वि रहेॅहिॅ केॅ वि सिविया-जाणेॅहिॅ $ के वि परिट्ठिय पवर-विमाणेॅहिॅ
{प॰च॰५३,४.८} आउच्छन्ति के वि णिय-कन्तउ $ को वि णिवारिउ रणेॅ पइसन्तउ
{प॰च॰५३,४.९} केण वि णिय-कलत्तु णिब्भच्छिउ $ "एक्कु सु-सामि-कज्जु पइँ इच्छिउ"
घत्ता॒
{प॰च॰५३,४.१०} अग्गऍ इन्दइ $ पच्छऍ रयणीयर-साहणु
वीया-यन्दहेॅ $ अणुलग्गु णाइँ तारायणु
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक ५॒
{प॰च॰५३,५.१} पुच्छिउ णियय-सारही $ "अहेॅ महारही $ दिढइँ जाइँ जाइँ
कहि केत्तियइँ अत्थइं $ रणहेॅ सत्थइं $ रहेॅ चडावियाइँ
{प॰च॰५३,५.२} तो एत्थन्तरेॅ पभणइ सारहि $ "अत्थइँ अत्थि देव छुडु पहरहि
{प॰च॰५३,५.३} चक्कइँ पञ्च सत्त वर-चावइँ $ दस असिवरइँ अणिट्ठिय-गावइँ
{प॰च॰५३,५.४} वारह झस पण्णारह मोग्गर $ सोलह लउडि-दण्ड रणेॅ दुद्धर
{प॰च॰५३,५.५} वीस परसु चउवीस तिसूलइँ $ कोन्तइँ तीस सत्तु-पडिकूलइँ
{प॰च॰५३,५.६} घण पणतीस चाल वसुणन्दा $ वावञ्चास तिक्ख अद्धेन्दा
{प॰च॰५३,५.७} सेल्लइँ सट्ठि खुरुप्पइँ सत्तरि $ अण्णु वि कणय चडिय चउहत्तरि
{प॰च॰५३,५.८} असी तिसत्तिउ णवइ मुसुण्ढिउ $ जाउ दिवेॅ दिवेॅ रण-रस-यड्ढिउ
{प॰च॰५३,५.९} सउ णारायह्ũ जं परिमाणमि $ अण्णहँ पुणु परिमाणु ण जाणमि
घत्ता॒
{प॰च॰५३,५.१०} वारह णियलइँ $ सोलह विज्जउ रहेॅ चडियउ
जेहिॅ धरिज्जइ $ समरङ्गणेॅ इन्दु वि भिडियउ"
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक ६॒
{प॰च॰५३,६.१} तं णिसुणेवि रावणी $ जेत्थु पावणी $ तेत्थु रहेॅ पयट्टो
णं मज्जाय-भेल्लणो $ पुहइ-रेल्लणो $ सायरो विसट्टो
{प॰च॰५३,६.२} परिवेड्ढिउ मारुइ दुज्जऍहिॅ $ केवलु व अवहि-मणपज्जऍहिॅ
{प॰च॰५३,६.३} जम्वू-दीवु व रयणायरेॅहिॅ $ पञ्चाणणो व्व कुञ्जर-वरेॅहिॅ
{प॰च॰५३,६.४} लोयन्तउ व्व ति-पहञ्जणेॅहिॅ $ दिवसाहिउ व्व णहेॅ णव-घणेॅहिॅ
{प॰च॰५३,६.५} एक्कल्लउ सुहडु अणन्तु वलु $ पप्फुल्लु तो वि तहेॅ मुह-कमलु
{प॰च॰५३,६.६} परिसक्कइ थक्कइ उल्ललइ $ हक्कारइ पहरइ दणु दलइ
{प॰च॰५३,६.७} आरोक्कइ ढुक्कइ उत्थरइ $ पवियम्भइ रुम्भइ वित्थरइ
{प॰च॰५३,६.८} ण वि छिज्जइ भिज्जइ पहरणेॅहिॅ $ जिह जिणु संसारहेॅ कारणेॅहिॅ
{प॰च॰५३,६.९} हणुवहेॅ पासेॅहिॅ परिभमइ वलु $ णं मन्दर-कोडिहिॅ उवहि-जलु
घत्ता॒
{प॰च॰५३,६.१०} धरेॅवि ण सक्कइ $ वलु सयलु वि उक्खय-पहरणु
मेरुहेॅ पासेॅहिॅ $ परिभमइ णाइँ तारायणु
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक ७॒
{प॰च॰५३,७.१} धाइउ पवण-णन्दणो $ दणु-विमद्दणो $ वलहेॅ पुलइयङ्गो
हउ रहु रहवरेण $ गउ गयवरेण $ तुरऍण व तुरङ्गो
{प॰च॰५३,७.२} सुहडें सुहडु कवन्धु कवन्धें $ छत्तें छत्तु चिन्धु हउ चिन्धें
{प॰च॰५३,७.३} वाणें वाणु चाउ वर-चावें $ खग्गें खग्गु अणिट्ठिय-गावें
{प॰च॰५३,७.४} चक्कें चक्क तिसूलु तिसूलें $ मुग्गरु मुग्गरेण हुलि हूलें
{प॰च॰५३,७.५} कणएं कणउ मुसलु वर-मुसलें $ कोन्तें कोन्तु रणङ्गणेॅ कुसलें
{प॰च॰५३,७.६} सेल्लें सेल्ल खुरुप्पु खुरुप्पें $ फलिहें फलिहु गय वि गय-रुप्पें
{प॰च॰५३,७.७} जन्तें जन्तु एन्तु पडिखलियउ $ वलु उज्जाणु जेम दरमलियउ
{प॰च॰५३,७.८} णासइ सयलोणमिय-मत्थउ $ णिग्गइन्दु णित्तुरउ णिरत्थउ
{प॰च॰५३,७.९} विवरामुहु ओहुल्लिय-वयणउ $ भग्ग-मडप्फरु मउलिय-णयणउ
घत्ता॒
{प॰च॰५३,७.१०} वियलिय-पहरणु $ णासन्तु णिऍवि णिय-साहणु
रहवरु वाहेॅवि $ थिउ अग्गऍ तोयदवाहणु
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक ८॒
{प॰च॰५३,८.१} रावण-राम-किङ्करा $ रणेॅ भयङ्करा $ भिडिय विप्फुरन्ता
विडसुग्गीव-राहवा $ विजय-लाहवा $ णाइँ "हणु" भणन्ता
{प॰च॰५३,८.२} वे वि पयण्ड वे वि विज्जाहर $ वेण्णि वि अक्खय-तोण धणुद्धर
{प॰च॰५३,८.३} वेण्णि वि वियड-वच्छ पुलइय-भुअ $ वेण्णि वि अञ्जण-मन्दोयरि-सुअ
{प॰च॰५३,८.४} वेण्णि वि पवण-दसाणण-णन्दण $ वेण्णि वि दुद्दम-दाणव-मद्दण
{प॰च॰५३,८.५} वेण्णि पर-वल-पहरण-चड्डिय $ वेण्णि वि जय-सिरि-वहु-अवरुण्डिय
{प॰च॰५३,८.६} वेण्णि वि राहव-रावण-पक्खिय $ वेण्णि वि सुरवहु-णयण-कडक्खिय
{प॰च॰५३,८.७} वेण्णि वि समर-सऍहिॅ जसवन्ता $ वेण्णि वि पहु-सम्माणु सरन्ता
{प॰च॰५३,८.८} वेण्णि वि परम-जिणिन्दहेॅ भत्ता $ वेण्णि वि धीर वीर भय-चत्ता
{प॰च॰५३,८.९} वेण्णि वि अतुल मल्ल रणेॅ दुद्धर $ वेण्णि वि रत्त-णेत्त फुरियाहर
घत्ता॒
{प॰च॰५३,८.१०} विहि मि महाहवु $ जो असुर-सुरेन्देॅहिॅ दीसइ
रावण-रामहँ $ सो तेहउ दुक्करु होसइ
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक ९॒
{प॰च॰५३,९.१} अमरिस-कुद्धऍण $ जस-लुद्धएण $ जयसिरि-पसाहणेणं
पेसिय विज्ज हणुवहेॅ $ मेहवाहणी $ मेहवाहणेणं
{प॰च॰५३,९.२} "गम्पिणु णियय-परक्कमु दरिसहि $ जिह सक्कहि तिह उप्परि वरिसहि"
{प॰च॰५३,९.३} तं णिसुणेप्पिणु विज्ज वियम्भिय $ माया-पाउस-लीलारम्भिय
{प॰च॰५३,९.४} कहिं जि मेह-दुग्गयं $ सुराउहं समुग्गयं
{प॰च॰५३,९.५} कहिं जि विज्जु-गज्जियं $ घणेहिॅ कं विसज्जियं
{प॰च॰५३,९.६} कहिं जेॅ णीरजं जलं $ वहावियं महीयलं
{प॰च॰५३,९.७} कहिं जेॅ मोर-केइयं $ वलाय-पन्ति-तेइयं
{प॰च॰५३,९.८} इय णव-पाउस-लील पदरिसिय $ थिर-थोरहिॅ जल-धारहिॅ वरिसिय
{प॰च॰५३,९.९} वाय-सुएण वि वायवु पेसिउ $ तेण घणागमु सयलु विणासिउ
घत्ता॒
{प॰च॰५३,९.१०} स-धउ स-सारहि $ स-तुरङ्गमु मोडिउ सन्दणु
पर एक्कल्लउ $ गउ णासेॅवि दहमुह-णन्दणु
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक १०॒
{प॰च॰५३,१०.१} भग्गऍ मेहवाहणे $ णियय-साहणे $ इन्दई विरुद्धो
मत्त-गइन्द-गन्धेॅणं $ मय-समिद्धेॅण $ केसरि व्व कुद्धो
{प॰च॰५३,१०.२} "मारुइ थाहि थाहि कहिॅ गम्मइ $ सिरइँ समोड्डेॅवि रण-पडु रम्मइ
{प॰च॰५३,१०.३} रहवर-तुरय-सारि-संघडणेॅहिॅ $ मत्त-महग्गय-पासा-वडणेॅहिॅ
{प॰च॰५३,१०.४} कर-सिर-छेज्जहिॅ पहरण-दाऍहिॅ $ मरण-गमेॅहिॅ खग-चर-संघाऍहिॅ
{प॰च॰५३,१०.५} सुरवहु-णट्ट-सऍहिॅ परिचड्डिउ $ अच्छइ एउ जुज्झ-पडु मण्डिउ
{प॰च॰५३,१०.६} जो विहिॅ जिणइ तासु लिह दिज्जइ $ जाणइ-धरणउ मेल्लाविज्जइ
{प॰च॰५३,१०.७} जिम रामणहेॅ होउ जिम रामहेॅ $ हũ पुणु कुढेॅ लग्गउ णिय-णामहेॅ
{प॰च॰५३,१०.८} जिह उज्जाणु भग्गु हउ अक्खउ $ पहरु पहरु तिह आउ कुल-क्खउ"
{प॰च॰५३,१०.९} एम भणेवि समीरण-पुत्तहेॅ $ इन्दइ भिडिउ समरेॅ हणुवन्तहेॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५३,१०.१०} रावणि-पावणि $ सङ्गामेॅ परोप्परु भिडिया
उत्तर-दाहिण $ णं दिस-गइन्द अब्भिडिया
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक ११॒
{प॰च॰५३,११.१} पढम-भिडन्तएण $ असहन्तएण $ दहवयण-णन्दणेणं
सर चेयारि मुक्क $ अट्ठहि विलुक्क $ उज्जाण-मद्दणेणं
{प॰च॰५३,११.२} जं वाणेहिॅ वाण विद्धंसिय $ भामेॅवि भीम गयासणि पेसिय
{प॰च॰५३,११.३} धाइय धुद्धुवन्ति हणुवन्तहेॅ $ करयलेॅ लग्ग सु-कन्त व कन्तहेॅ
{प॰च॰५३,११.४} पुणु वि पडिल्लउ मेल्लिउ मोग्गरु $ किउ हणुवेण सो वि सय-सक्करु
{प॰च॰५३,११.५} पुणु वि णिसिन्दें चक्कु विसज्जिउ $ जं सङ्गाम-सऍहिॅ अ-परज्जिउ
{प॰च॰५३,११.६} कह वि ण लग्गु पवद्धिय-हरिसहेॅ $ दुज्जण-वयणु जेम सप्पुरिसहेॅ
{प॰च॰५३,११.७} जं जं इन्दइ पहरणु घत्तइ $ तं तं णं सयवत्तु पवत्तइ
{प॰च॰५३,११.८} दहमुह-सुऍण णिरत्थीहूएं $ हसिउ स-विब्भमु रामहेॅ दूएं
{प॰च॰५३,११.९} "चङ्गउ मइँ समाणु ओलग्गउ $ पहरहि णं उववासेॅहिॅ भग्गउ"
घत्ता॒
{प॰च॰५३,११.१०} हणुवहेॅ वयणेॅहिॅ $ सो इन्दइ झत्ति पलित्तउ
भय-भीसावणु $ सिहि णाइँ सिणिद्धें सित्तउ
कण्ड ३, संधि ५३, कडवक १२॒
{प॰च॰५३,१२.१} "मरु मरु काइँ एण $ रणेॅ णिप्फलेण $ सयवार-गज्जिएणं
किं लङ्गूल-दीहेण $ पवर-सीहेण $ णह-विवज्जिएणं
{प॰च॰५३,१२.२} णिव्विसेण किं पवर-भुअङ्गें $ किम् अदन्तेण मत्त-मायङ्गें
{प॰च॰५३,१२.३} किं जल-विरहिएण णहेॅ मेहें $ किं णीसब्भावेण सणेहें
{प॰च॰५३,१२.४} किं धुत्त-यण-मज्झेॅ दुवियड्ढें $ कवणु गहणु किर कु-पुरिस-सण्ढें
{प॰च॰५३,१२.५} जइ पहरमि तो घाएं मारमि $ किर तुह्ũ दूउ तेण ण वियारमि"
{प॰च॰५३,१२.६} एव भणेवि भुवणेॅ जसवन्तहेॅ $ मेल्लिउ णाग-पासु हणुवन्तहेॅ
{प॰च॰५३,१२.७} तेहऍ अवसरेॅ तेण वि चिन्तिउ $ "अच्छमि रिउ संघारमि केत्तिउ
{प॰च॰५३,१२.८} तो वरि वन्धावमि अप्पाणउ $ जें वोल्लमि रावणेण समाणउ"
{प॰च॰५३,१२.९} एम भणेवि पडिच्छिउ एन्तउ $ णाइँ सहोयरु साइउ देन्तउ
घत्ता॒
{प॰च॰५३,१२.१०} रण-रसियड्ढेॅण $ कउसल्लु करेप्पिणु धुत्तें
स इँ भु व-पञ्जरु $ वेढाविउ पवणहेॅ पुत्तें
[५४. चउवण्णासमो संधि] ----------
हणुवन्त-कुमारु $ पवर-भुअङ्गोमालियउ
दहवयणहेॅ पासु $ मलयगिरि व संचालियउ
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक १॒
{प॰च॰५४,१.१} णव-णीलुप्पल-णयण-जुय $ सोएं णिरु संतत्त
"पवण-पुत्त पइँ विरहियउ $ कवणु पराणइ वत्त"
{प॰च॰५४,१.२} सो अञ्जण-पवणञ्जयह्ũ सुउ $ अइरावय-कर-सारिच्छ-भुउ
{प॰च॰५४,१.३} संचालिउ लङ्कहेॅ सम्मुहउ $ णं णियल-णिवद्धउ मत्त-गउ
{प॰च॰५४,१.४} णिविसद्धें पुरेॅ पइसारियउ $ णिय-णासु णाइँ हक्कारियउ
{प॰च॰५४,१.५} एत्थन्तरेॅ पीण-पओहरिहिॅ $ वलगेहिणि-लङ्कासुन्दरिहिॅ
{प॰च॰५४,१.६} इर-एरउ जाउ पवेसियउ $ हणुवन्तहेॅ वत्त-गवेसियउ
{प॰च॰५४,१.७} आयाउ ताउ ससि-वयणियउ $ कुवलय-दल-दीहर-णयणियउ
{प॰च॰५४,१.८} जाणाविउ तुरियउ इरइरेॅहिॅ $ पगलन्त-अंसु-गग्गर-गिरेॅहिॅ
{प॰च॰५४,१.९} "सुणु माऍ काइँ दूएण किउ $ जं णिसियर-णाहहेॅ पाण-पिउ
{प॰च॰५४,१.१०} तं णन्दण-वणु संचूरियउ $ किङ्कर-साहणु मुसुमूरियउ
{प॰च॰५४,१.११} अक्खयहेॅ जीउ विद्धंसियउ $ घणवाहण-वलु संतासियउ
{प॰च॰५४,१.१२} इन्दइण णवर अवमाणु किउ $ वन्धेॅवि दहवयणहेॅ पासु णिउ"
घत्ता॒
{प॰च॰५४,१.१३} तं वयणु सुणेवि $ णीलुप्पलइँ व डोल्लियइँ
सीयहेॅ णयणाइँ $ विण्णि मि अंसु-जलोल्लियइँ
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक २॒
{प॰च॰५४,२.१} जं जसु दिण्णउ अण्ण-भवेॅ $ जीवहेॅ कहि मि थियासु
तासु कि णासेॅवि सक्कियइ $ कम्महेॅ पुव्व-कियासु
{प॰च॰५४,२.२} पुणु रुवइ स-दुक्खउ जणय-सुअ $ मालइ-माला-सारिच्छ-भुअ
{प॰च॰५४,२.३} "खल खुद्द पिसुण हय दड्ढ विहि $ पूरन्तु मणोरह होउ दिहि
{प॰च॰५४,२.४} दसरह-कुडुम्वु जं छत्तरिउ $ वलि जिह दस-दिसिहिॅ पविक्खिरिउ
{प॰च॰५४,२.५} अण्णहिॅ हũ अण्णहिॅ दासरहि $ अण्णहिॅ लक्खणु अन्तरेॅ उवहि
{प॰च॰५४,२.६} एहऍ वि कालेॅ वसणावडिऍ $ वहु-इट्ठ-विओय-सोय-भरिऍ
{प॰च॰५४,२.७} जो किर णिव्वूढ-महाहवहेॅ $ सन्देसउ णेसइ राहवहेॅ
{प॰च॰५४,२.८} पइँ समरेॅ सो वि वन्धावियउ $ वलहद्दहेॅ पासु ण पावियउ
{प॰च॰५४,२.९} अहवइ किं तुहु मि करहि छलइँ $ एयइँ दुक्किय-कम्महेॅ फलइँ"
घत्ता॒
{प॰च॰५४,२.१०} अकुसल-वयणेहिॅ $ सीय वि लङ्कासुन्दरि वि
णं रवि-किरणेहिॅ $ तप्पइ जउण वि सुर-सरि वि
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक ३॒
{प॰च॰५४,३.१} "मारुइ-णन्दण भणमि पइँ $ कुल-वल-जाइ-विहीण
तावस जे फल-भोयणा $ ते पइँ सेविय दीण"
{प॰च॰५४,३.२} एत्तहेॅ वि सुहड-पञ्चाणणहेॅ $ णिउ मारुइ पासु दसाणणहेॅ
{प॰च॰५४,३.३} वइसारेॅवि कज्जालाव किय $ "हे सुन्दर काइँ दु-वुद्धि थिय
{प॰च॰५४,३.४} चङ्गउ कुसलत्तणु सिक्खियउ $ अह उत्तमु कुलु ण परिक्खियउ
{प॰च॰५४,३.५} सुर-डामरु रावणु मुऍवि मइँ $ परियरिउ वरायउ रामु पइँ
{प॰च॰५४,३.६} पञ्चाणणु मेल्लेॅवि धरिउ गउ $ जिणु मुऍवि पसंसिउ पर-समउ
{प॰च॰५४,३.७} जो जसु भायणु सो तं धरइ $ कइ णालियरेण काइँ करइ
{प॰च॰५४,३.८} जो सयल-काल सुपहुत्तऍहिॅ $ मणि-कडय-मउड-कडिसुत्तऍहिॅ
{प॰च॰५४,३.९} पुज्जिज्जहि सो एवहिॅ धरिउ $ लम्पिक्कु जेम जण-परियरिउ
घत्ता॒
{प॰च॰५४,३.१०} मइँ मुऍवि सु-सामि $ मारुइ कियइँ जाइँ छलइँ
इह-लोऍ जेॅ ताइँ $ पत्तु कु-सामि-सेव-फलइँ
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक ४॒
{प॰च॰५४,४.१} "रावण सुहु भुञ्जन्ताहँ $ लङ्काउरि जिह णारि
आणिय सीय ण एह पइँ $ णिय-कुल-वंसहेॅ मारि"
{प॰च॰५४,४.२} "अण्णु मि जो दुग्गइ-गामिऍहिॅ $ कुकलत्त-कुमन्ति-कुसामिऍहिॅ
{प॰च॰५४,४.३} कुपरियण-कुमन्ति-कुसेवऍहिॅ $ कुतित्थ-कुधम्म-कुदेवऍहिॅ
{प॰च॰५४,४.४} आएहिॅ असेसहिॅ भावियउ $ सो कवणु ण आवइ पावियउ"
{प॰च॰५४,४.५} तं वयणु सुणेवि कइद्धऍण $ णिब्भच्छिउ वेहाविद्धऍण
{प॰च॰५४,४.६} "किर काइँ दसाणण हसहि मइँ $ अप्पणु सलग्घु किउ काइँ पइँ
{प॰च॰५४,४.७} परदारु होइ चिलिसावणउ $ णाणाविह-भय-दरिसावणउ
{प॰च॰५४,४.८} दुक्खह्ũ पोट्टलु कुल-लञ्छणउ $ इहलोय-परत्त-विणासणउ
{प॰च॰५४,४.९} दुज्जण-धिक्कार-पडिच्छणउ $ घरु अयसहेॅ जम्महेॅ लञ्छणउ
घत्ता॒
{प॰च॰५४,४.१०} संसारहेॅ वारु $ दिढु कवाडु सासय-घरहेॅ
लङ्कहेॅ वि विणासु $ अकुसलु अण्ण-भवन्तरहेॅ
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक ५॒
{प॰च॰५४,५.१} जोव्वणु जीविउ धणिय घरु $ सम्पय-रिद्धि णरिन्द
भावेॅवि एह अणिच्च तुह्ũ $ पट्ठवि सीय णिसिन्द
{प॰च॰५४,५.२} पर-धणु पर-दारु मज्ज-वसणु $ आयरइ को वि जो मूढ-मणु
{प॰च॰५४,५.३} तुह्ũ घइँ सयलागम-कल-कुसलु $ मुणि-सुव्वय-चलण-कमल-भसलु
{प॰च॰५४,५.४} जाणन्तु ण अप्पहि जणय-सुअ $ अद्धुव-अणुवेक्ख काइँ ण सुअ
{प॰च॰५४,५.५} को कासु सव्वु माया-तिमिरु $ जल-विन्दु जेम जीविउ अ-थिरु
{प॰च॰५४,५.६} सम्पत्ति समुद्द-तरङ्ग-णिह $ सिय चञ्चल विज्जुल-लेह जिह
{प॰च॰५४,५.७} जोव्वणु गिरि-णइ-पवाह-सरिसु $ पेम्मु वि सुविणय-दंसण-सरिसु
{प॰च॰५४,५.८} धणु सुर-धणु-रिद्धिहेॅ अणुहरइ $ खणेॅ होइ खणद्धें ओसरइ
{प॰च॰५४,५.९} झिज्जइ सरीरु आउसु गलइ $ जिह गउ जल-णिवहु ण संभवइ
घत्ता॒
{प॰च॰५४,५.१०} घरु परियणु रज्जु $ सम्पय जीविउ सिय पवर
एयइँ अ-थिराइँ $ एक्कु मुएप्पिणु धम्मु पर
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक ६॒
{प॰च॰५४,६.१} "रावण अ-सरणु सम्भरेॅवि $ पट्ठवि रामहेॅ सीय
णं तो सम्पइ सयल सुय $ पइँ तम्वारहेॅ णीय"
{प॰च॰५४,६.२} अहेॅ केक्कसि-रयणासवहेॅ सुय $ असरण-अणुवेक्ख काइँ ण सुय
{प॰च॰५४,६.३} जावेॅहिॅ जीवहेॅ ढुक्कइ मरणु $ तावेॅहिॅ जगेॅ णाहिॅ को वि सरणु
{प॰च॰५४,६.४} रक्खिज्जइ जइ वि भयङ्करेॅहिॅ $ असि-लउडि-विहत्थेॅहिॅ किङ्करेॅहिॅ
{प॰च॰५४,६.५} मायङ्ग-तुरङ्गम-सन्दणेॅहिॅ $ कमलासण-रुद्द-जणद्दणेॅहिॅ
{प॰च॰५४,६.६} जम-वरुण-कुवेर-पुरन्दरेॅहिॅ $ गण-जक्ख-महोरग-किण्णरेॅहिॅ
{प॰च॰५४,६.७} पइसरइ जइ वि पायालयलेॅ $ गिरि-गुहिलेॅ हुआसणेॅ उवहि-जलेॅ
{प॰च॰५४,६.८} रणेॅ वणेॅ तिणेॅ णहयलेॅ सुर-भवणेॅ $ रयणप्पहाइ-दुग्गइ-गमणेॅ
{प॰च॰५४,६.९} मञ्जूस-कूवेॅ घर-पञ्जरऍ $ कड्ढिज्जइ तो वि खणन्तरऍ
घत्ता॒
{प॰च॰५४,६.१०} तहिॅ असरण-कालेॅ $ जीवहेॅ अण्ण ण का वि धर
पर रक्खइ एक्कु $ अहिंसा-लक्खणु धम्मु पर
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक ७॒
{प॰च॰५४,७.१} रावण गय-घड भड-णिवहु $ घरु परियणु सुहि रज्जु
एत्तिउ छड्डेॅवि जासि तुह्ũ $ पर सुहु दुक्खु सहेज्जु
{प॰च॰५४,७.२} अहेॅ रावण णव-कुवलय-दलक्ख $ किं ण सुइय एक्कत्ताणुवेक्ख
{प॰च॰५४,७.३} जगेॅ जीवहेॅ णत्थि सहाउ को वि $ रइ वन्धइ मोह-वसेण तो वि
{प॰च॰५४,७.४} "इउ घरु इउ परियणु इउ कलत्तु" $ णउ वुज्झहि जिह सयलेहिॅ चत्तु
{प॰च॰५४,७.५} एक्केण कणेव्वउ विहुर-कालेॅ $ एक्केण वसेव्वउ जल-वमालेॅ
{प॰च॰५४,७.६} एक्केण वसेव्वउ तहिॅ णिगोऍ $ एक्केण रुएव्वउ पिय-विओऍ
{प॰च॰५४,७.७} एक्केण भमेव्वउ भव-समुद्देॅ $ कम्मोह-मोह-जलयर-रउद्देॅ
{प॰च॰५४,७.८} एक्कहेॅ जेॅ दुक्खु एक्कहेॅ जेॅ सुक्खु $ एक्कहेॅ जेॅ वन्धु एक्कहेॅ जेॅ मोक्खु
{प॰च॰५४,७.९} एक्कहेॅ जेॅ पाउ एक्कहेॅ जेॅ धम्मु $ एक्कहेॅ जेॅ मरणु एक्कहेॅ जेॅ जम्मु
घत्ता॒
{प॰च॰५४,७.१०} तहिॅ तेहऍ विहुरेॅ $ सयण-सयाइँ ण ढुक्कियइँ
पर वेण्णि सया इ $ जीवहेॅ दुक्किय-सुक्कियइँ
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक ८॒
{प॰च॰५४,८.१} "रावण जुत्ताजुत्त तुह्ũ $ चिन्तेॅवि णियय-मणेण
अण्णु सरीरु वि अण्णु जिउ $ विहडइ एउ खणेण"
{प॰च॰५४,८.२} पुणु वि पडीवउ उववण-मद्दणु $ कहइ हियत्तणेण मरु-णन्दणु
{प॰च॰५४,८.३} अण्णत्ताणुवेक्ख दहगीवहेॅ $ अण्णु सरीरु अण्णु गुणु जीवहेॅ
{प॰च॰५४,८.४} अण्णहिॅ तणउ धण्णु धणु जोव्वणु $ अण्णहिॅ तणउ सयणु घरु परियणु
{प॰च॰५४,८.५} अण्णहिॅ तणउ कलत्तु लइज्जइ $ अण्णहिॅ तणउ तणउ उप्पज्जइ
{प॰च॰५४,८.६} कइ वि दिवस गय मेलावक्कें $ पुणु विहडन्ति मरन्तें एक्कें
{प॰च॰५४,८.७} अण्णहिॅ जीउ सरीरु वि अण्णहिॅ $ अण्णहिॅ घरु घरिणि वि अण्णण्णहिॅ
{प॰च॰५४,८.८} अण्णहिॅ तुरय महग्गय रहवर $ अण्णहिॅ आण-पडिच्छा णरवर
{प॰च॰५४,८.९} एहऍ अण्ण-भवन्तरवन्तरेॅ $ अत्थ-विडाविडेॅ होइ खणन्तरेॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५४,८.१०} जणु कज्जवसेण $ मुह-रसियउ पिय-जम्पणउ
जिण-धम्मु मुएवि $ जीवहेॅ को वि ण अप्पणउ
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक ९॒
{प॰च॰५४,९.१} चउ-गइ-सायरेॅ दुह-पउरेॅ $ जम्मण-मरण-रउद्देॅ
अप्पहि सिय म गाहु करि $ मं पडि णरय-समुद्देॅ
{प॰च॰५४,९.२} भो भुवण-भयङ्कर दुण्णिरिक्ख $ सुणु चउगइ संसाराणुवेक्ख
{प॰च॰५४,९.३} जल-थल-पायाल-णहङ्गणेहिॅ $ सुर-णरय-तिरिय-मणुअत्तणेहिॅ
{प॰च॰५४,९.४} णर-णारि-णपुंसय-रूवएहिॅ $ विस-मेसेॅहिॅ महिस-पसूअएहिॅ
{प॰च॰५४,९.५} मायङ्ग-तुरङ्ग-विहङ्गमेहिॅ $ पञ्चाणण-मोर-भुअङ्गमेहिॅ
{प॰च॰५४,९.६} किमि-कीड-पयङ्गेन्दिन्दिरेहिॅ $ विस-वइस-गइन्दें (?) मञ्जरेहिॅ
{प॰च॰५४,९.७} हम्मन्तु हणन्तु मरन्तु जन्तु $ कलुणइँ रुअन्तु खज्जन्तु खन्तु
{प॰च॰५४,९.८} गेण्हन्तु मुअन्तु कलेवराइँ $ अणुहवइ जीउ पावहेॅ फलाइँ
{प॰च॰५४,९.९} घरिणी वि माय माया वि घरिणि $ भइणी वि धीय धीया वि भइणि
{प॰च॰५४,९.१०} पुत्तो वि वप्पु वप्पो वि पुत्तु $ सत्तो वि मित्तु मित्तो वि सत्तु
घत्ता॒
{प॰च॰५४,९.११} एहऍ संसारेॅ $ रावण सोक्खु कहिं तणउ
अप्पिज्जउ सीय $ सीलु म कण्डहि अप्पणउ
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक १०॒
{प॰च॰५४,१०.१} चउदह रज्जुय दहवयण $ भुञ्जेॅवि सोक्ख-सयाइँ
तो इ ण हूइय तित्ति तउ $ अप्पहि सीय ण काइँ
{प॰च॰५४,१०.२} अहेॅ सुर-समर-सऍहिॅ सवडम्मुह $ तइलोक्काणुवेक्ख सुणि दहमुह
{प॰च॰५४,१०.३} जं तं णिरवसेसु आयासु वि $ तिहुअणु मज्झेॅ परिट्ठिउ तासु वि
{प॰च॰५४,१०.४} आइ णिहणु णउ केण वि धरियउ $ अच्छइ सयलु वि जीवहँ भरियउ
{प॰च॰५४,१०.५} पहिलउ वेत्तासण-अणुमाणें $ थियउ सत्त-रज्जुय-परिमाणें
{प॰च॰५४,१०.६} वीयउ झल्लरि-रूवागारें $ थियउ एक्क-रज्जुय-वित्थरें
{प॰च॰५४,१०.७} तइयउ भुवणु मुरव-अणुमाणें $ थियउ पञ्च-रज्जुय-परिमाणें
{प॰च॰५४,१०.८} मोक्खु वि विवरिय-छत्तायारें $ थियउ एक्क-रज्जुय-वित्थरें
{प॰च॰५४,१०.९} इय चउदह-रज्जुऍहिॅ णिवद्धउ $ तिहुअणु तिहिॅ पवणेॅहिॅ उट्ठद्धउ
घत्ता॒
{प॰च॰५४,१०.१०} तहेॅ मज्झेॅ असेसु $ जलु थलु णयण-कडक्खियउ
तं कवणु पएसु $ जं ण वि जीवें भक्खियउ
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक ११॒
{प॰च॰५४,११.१} वसेॅवि चिलिव्विलेॅ देह-घरेॅ $ खणेॅ भङ्गुरऍ असारेॅ
रावण सीयःऍ लुद्धु तुह्ũ $ जिह मण्डलउ कयारेॅ
{प॰च॰५४,११.२} अहेॅ अहेॅ सयल-भुवण-संतावण $ असुइत्ताणुव्वेक्ख सुणि रावण
{प॰च॰५४,११.३} माणुस-देहु होइ घिणि-विट्टलु $ सिरेॅहिॅ णिवद्धउ हड्डहँ पोट्टलु
{प॰च॰५४,११.४} चलु कु-जन्तु मायमउ कुहेडउ $ मलहेॅ पुञ्जु किमि-कीडह्ũ मूडउ
{प॰च॰५४,११.५} पूअगन्धि रुहिरामिस-भण्डउ $ चम्म-रुक्खु दुग्गन्ध-करण्डउ
{प॰च॰५४,११.६} अन्तहँ पोट्टलु पक्खिहिॅ भोयणु $ वाहिहिॅ भवणु मसाणहेॅ भायणु
{प॰च॰५४,११.७} आयएहिॅ कलुसिउ जहिॅ अङ्गउ $ कवणु पएसु सरीरहेॅ चङ्गउ
{प॰च॰५४,११.८} सुण्णउ सुण्णहरु व दुप्पेच्छउ $ कडियलु पच्छाहर-सारिच्छउ
{प॰च॰५४,११.९} जोव्वणु गण्डहेॅ अणुहरमाणउ $ सिरु णालियर-करङ्क-समाणउ
घत्ता॒
{प॰च॰५४,११.१०} एहऍ असुइत्तेॅ $ अहेॅ लङ्काहिव भुवण-रवि
सीयहेॅ वरि तो वि $ हूउ विरत्तीभाउ ण वि
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक १२॒
{प॰च॰५४,१२.१} पञ्च-पयारेॅहिॅ दहवयण $ जीवहेॅ ढुक्कइ पाउ
सुहु दुक्खइँ जं जेम ठिय $ तं भुञ्जेवउ साउ
{प॰च॰५४,१२.२} भो सुरकरि-कर-संकास-भुअ $ आसव-अणुवेक्ख काइँ ण सुअ
{प॰च॰५४,१२.३} वेढिज्जइ जीउ मोह-मऍहिॅ $ पञ्चाणणु जेम मत्त-गऍहिॅ
{प॰च॰५४,१२.४} रयणायरु जिह सरि-वाणिऍहिॅ $ पञ्च-विहेॅहिॅ णाणावरणिऍहिॅ
{प॰च॰५४,१२.५} णव-दंसणेहिॅ विहिॅ वेयणेॅहिॅ $ अट्ठावीसहिॅ वामोहणेॅहिॅ
{प॰च॰५४,१२.६} चउ-विहेॅहिॅ आउ-परिमाणऍहिॅ $ तेणउइ-पयारेॅहिॅ णामऍहिॅ
{प॰च॰५४,१२.७} विहिॅ गोत्तेॅहिॅ मइल-समुज्जलेॅहिॅ $ पञ्चहि मि अन्तराइय-खलेॅहिॅ
{प॰च॰५४,१२.८} छाइज्जइ छिज्जइ भिज्जइ वि $ मारिज्जइ खज्जइ पिज्जइ वि
{प॰च॰५४,१२.९} पिट्टिज्जइ वज्झइ मुञ्चइ वि $ जन्तेहिॅ दलिज्जइ रुञ्चइ वि
घत्ता॒
{प॰च॰५४,१२.१०} णिय-कम्म-वसेण $ जम्मण-मरणोट्ठद्धऍण
विसहेव्वउ दुक्खु $ जेम गइन्दें वद्धऍण
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक १३॒
{प॰च॰५४,१३.१} भणमि सणेहें दहवयण $ जाणेॅवि एउ असारु
संवरु भावेॅवि णियय-मणेॅ $ वज्जिज्जउ परयारु
{प॰च॰५४,१३.२} भो सयल-भुअण-लच्छी-णिवास $ संवर-अणुवेक्खा सुणि दसास
{प॰च॰५४,१३.३} रक्खिज्जइ जीउ स-रागु केम $ णउ ढुक्कइ अयस-कलङ्कु जेम
{प॰च॰५४,१३.४} दिज्जइ रक्खणु जो जासु मल्लु $ कामहेॅ अ-कामु सल्लहेॅ अ-सल्लु
{प॰च॰५४,१३.५} दम्भहेॅ अ-दम्भु दोसहेॅ अ-दोसु $ पावहेॅ अ-पावु रोसहेॅ अ-रोसु
{प॰च॰५४,१३.६} हिंसहेॅ अहिंस मोहहेॅ अ-मोहु $ माणहेॅ अ-माणु लोहहेॅ अ-लोहु
{प॰च॰५४,१३.७} णाणु वि अण्णाणहेॅ दिढ-कवाडु $ मच्छरहेॅ अ-मच्छरु दप्प-साडु
{प॰च॰५४,१३.८} अ-विओउ विओयहेॅ दुण्णिवारु $ जसु अयसहेॅ दुप्पइसारु वारु
{प॰च॰५४,१३.९} मिच्छत्तहेॅ दिढ-सम्मत्त-पयरु $ भेल्लिज्जइ जेम ण देह-णयरु
घत्ता॒
{प॰च॰५४,१३.१०} परियाणेॅवि एउ $ णव-णीलुप्पल-णयण-जुय
वरि रामहेॅ गम्पि $ करेॅ लाइज्जउ जणय-सुय
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक १४॒
{प॰च॰५४,१४.१} रावण णिज्जर भावि तुह्ũ $ जा दय-धम्महेॅ मूलु
तो वरि जाणवि परिहरहि $ किज्जइ तहेॅ अणुकूलु
{प॰च॰५४,१४.२} लङ्काहिव दणु-दुग्गाह-गाह $ णिज्जर-अणुवेक्खा णिसुणि णाह
{प॰च॰५४,१४.३} छट्ठट्ठम-दसम-दुवारसेहिॅ $ वहु-पाणाहारेॅहिॅ णीरसेहिॅ
{प॰च॰५४,१४.४} चउथेहिॅ तिरत्तातोरणेहिॅ $ पक्खेक्कवार-किय-पारणेहिॅ
{प॰च॰५४,१४.५} मासोववास-चन्दायणेहिॅ $ अवरेहि मि दण्डण-मुण्डणेहिॅ
{प॰च॰५४,१४.६} वाहिर-सयणेहिॅ अत्तावणेहिॅ $ तरु-मूलेॅहिॅ वर-वीरासणेहिॅ
{प॰च॰५४,१४.७} सज्झाय-झाण-मण-खञ्चणेॅहिॅ $ वन्दण-पुज्जण-देवच्चणेहिॅ
{प॰च॰५४,१४.८} संजम-तव-णियमेॅहिॅ दूसहेहिॅ $ घोरेॅहिॅ वावीस-परीसहेहिॅ
{प॰च॰५४,१४.९} चारित्त-णाण-वय-दंसणेहिॅ $ अवरेहि मि दण्डण-कण्डणेहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५४,१४.१०} जो जम्म-सएण $ सञ्चिउ दुक्किय-कम्म-मलु
सो गलइ असेसु $ वरणेॅ दु-वद्धऍ जेम जलु
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक १५॒
{प॰च॰५४,१५.१} धम्मु अहिंसा दहवयण $ जाणहि तुह्ũ दह-भेउ
तो वि ण जाणइ परिहरहि $ काइ मि कारणु एउ
{प॰च॰५४,१५.२} अहेॅ जिणवर-कम-कमलिन्दिन्दिर $ दसधम्माणुवेक्ख सुणेॅ दस-सिर
{प॰च॰५४,१५.३} पहिलउ एउ ताम वुज्झेव्वउ $ जीव-दया-वरेण होएव्वउ
{प॰च॰५४,१५.४} वीयउ मद्दवत्तु दरिसेव्वउ $ तइयउ उज्जय-चित्तु करेव्वउ
{प॰च॰५४,१५.५} चउथउ पुणु लाहवेॅण जिवेव्वउ $ पञ्चमउ वि तव-चरणु चरेव्वउ
{प॰च॰५४,१५.६} छट्ठउ संजम-वउ पालेव्वउ $ सत्तमु किम् पि णाहिॅ मग्गेव्वउ
{प॰च॰५४,१५.७} अट्ठमु वम्भचेरु रक्खेव्वउ $ णवमउ सच्च-वयणु वोल्लेव्वउ
{प॰च॰५४,१५.८} दसमउ मणेॅ परिचाउ करेव्वउ $ ऍहु दस-भेउ धम्मु जाणेव्वउ
{प॰च॰५४,१५.९} धम्में होन्तएण सुहु केवलु $ धम्में होन्तएण चिन्तिय-फलु
घत्ता॒
{प॰च॰५४,१५.१०} धम्मेण दसास $ घरु परियणु सवडम्मुहउ
विणु एक्कें तेण $ सयलु वि थाइ परम्मुहउ"
कण्ड ३, संधि ५४, कडवक १६॒
{प॰च॰५४,१६.१} "मारुइ मण-आणन्दयर $ णिय-कुलेॅ अ-कलङ्क
जाणइ जाणिय सयल-जगेॅ $ कह भय-भीएं मुक्क"
{प॰च॰५४,१६.२} "अण्णु वि दहवयण मणेण मुणेॅ $ णामेण वोहि-अणुवेक्ख सुणेॅ
{प॰च॰५४,१६.३} चिन्तेव्वउ जीवें रत्ति-दिणु $ "भवेॅ भवेॅ महु सामिउ परम-जिणु
{प॰च॰५४,१६.४} भवेॅ भवेॅ लब्भउ समाहि-मरणु $ भवेॅ भवेॅ होज्जउ सुग्गइ-गमणु
{प॰च॰५४,१६.५} भवेॅ भवेॅ जिण-गुण-सम्पत्ति महु $ भवेॅ भवेॅ दंसण-णाणेण सह्ũ
{प॰च॰५४,१६.६} भवेॅ भवेॅ सम्मत्तु होउ अचलु $ भवेॅ भवेॅ णासउ हय-कम्म-मलु
{प॰च॰५४,१६.७} भवेॅ भवेॅ सम्भवउ महन्त दिहि $ भवेॅ भवेॅ उप्पज्जउ धम्म-णिहि"
{प॰च॰५४,१६.८} रावण अणुवेक्खउ एयाउ $ जिण-सासणेॅ वारह-भेयाउ
{प॰च॰५४,१६.९} जो पढइ सुणइ मणेॅ सद्दहइ $ सो सासय-सोक्ख-सयइँ लहइ"
घत्ता॒
{प॰च॰५४,१६.१०} सुन्दर-वयणाइँ $ लग्गइँ मणेॅ लङ्केसरहेॅ
स इँ भु व-जुवलेण $ किउ जयकारु जिणेसरहेॅ
[५५. पञ्चवण्णासमो संधि] ----------
"एत्तहेॅ दुलहउ धम्मु $ एत्तहेॅ विरहग्गि गरूवउ
आयहँ कवणु लएमि" $ दहवयणु दुवक्खीहूअउ
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक १॒
{प॰च॰५५,१.१} "एत्तहेॅ जिणवर-वयणु ण चुक्कइ $ एत्तहेॅ वम्महु वम्महेॅ ढुक्कइ
{प॰च॰५५,१.२} एत्तहेॅ भव-संसारु विरूवउ $ एत्तहेॅ विरह-परव्वसिहूअउ
{प॰च॰५५,१.३} एत्तहेॅ णरऍ पडेव्वउ पाणेॅहिॅ $ एत्तहेॅ भिण्णु अणङ्गहेॅ वाणेॅहिॅ
{प॰च॰५५,१.४} एत्तहेॅ जीउ कसाऍहिॅ रुम्भइ $ एत्तहेॅ सुरय-सोक्खु कहिॅ लब्भइ
{प॰च॰५५,१.५} एत्तहेॅ दुक्खु दुकम्महेॅ पासिउ $ एत्तहेॅ जाणइ-वयणु सुहासिउ
{प॰च॰५५,१.६} एत्तहेॅ हय-सरीरु चिलिसावणु $ एत्तहेॅ सुन्दरु सीयहेॅ जोव्वणु
{प॰च॰५५,१.७} एत्तहेॅ दुलहइँ जिण-गुण-वयणइँ $ एत्तहेॅ मुद्धइँ सीयहेॅ णयणइँ
{प॰च॰५५,१.८} एत्तहेॅ जिणवर-सासणु सुन्दरु $ एत्तहेॅ जाणइ-वयणु मणोहरु
{प॰च॰५५,१.९} एत्तहेॅ असुहु कम्मु णिरु भावइ $ एत्तहेॅ सीय-अहरु को पावइ
{प॰च॰५५,१.१०} एत्तहेॅ णिन्दिउ उत्तम-जाइहेॅ $ एत्तहेॅ केस-भारु वरु सीयहेॅ
{प॰च॰५५,१.११} एत्तहेॅ णरउ रउद्दु दुरुत्तरु $ एत्तहेॅ सीयहेॅ कण्ठु सु-सुन्दरु
{प॰च॰५५,१.१२} एत्तहेॅ णारइयह्ũ गिर "मरु मरु $ एत्तहेॅ सीयहेॅ मणहरु थणहरु
{प॰च॰५५,१.१३} एत्तहेॅ जम-गिर "लइ लइ धरि धरि" $ एत्तहेॅ जाणइ लडह-किसोयरि
{प॰च॰५५,१.१४} एत्तहेॅ दुक्खु अणन्तु दुणित्थरु $ एत्तहेॅ सीयहेॅ रमणु स-वित्थरु
{प॰च॰५५,१.१५} एत्तहेॅ जम्मन्तरेॅ सुहु विरलउ $ एत्तहेॅ सुललिय-ऊरुव-जुवलउ
{प॰च॰५५,१.१६} एत्तहेॅ मणुव-जम्मु अइ-विरलउ $ एत्तहेॅ जंघा-जुअलउ सरलउ
{प॰च॰५५,१.१७} एत्तहेॅ एउ कम्मु ण वि विमलउ $ एत्तहेॅ सीयहेॅ वरु कम-जुअलउ
{प॰च॰५५,१.१८} एत्तहेॅ पाउ अणोवमु वज्झइ $ एत्तहेॅ विसऍहिॅ मणु परिरुज्झइ
{प॰च॰५५,१.१९} एत्तहेॅ कुविउ कयन्तु सु-भीसणु $ एत्तहेॅ दुत्तरु मयणहेॅ सासणु
{प॰च॰५५,१.२०} कवणु लएमि कवणु परिसेसमि $ तो वरि एवहिॅ णरऍ पडेसमि
घत्ता॒
{प॰च॰५५,१.२१} जाणमि जिह ण वि सोक्खु $ पर-तिय पर-दव्वु लयन्तहेॅ
जं रुच्चइ तं होउ $ तहेॅ रामहेॅ सीय अ-देन्तहेॅ
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक २॒
{प॰च॰५५,२.१} जइ अप्पमि तो लञ्छणु णामहेॅ $ जणु वोल्लेसइ "सङ्किउ रामहेॅ""
{प॰च॰५५,२.२} मणेॅ परिचिन्तेॅवि जय-सिरि-माणणु $ हणुवहेॅ सम्मुहु वलिउ दसाणणु
{प॰च॰५५,२.३} "अरेॅ गोवाल वाल धी-वज्जिय $ वद्धउ झङ्खहि काइँ अलज्जिय
{प॰च॰५५,२.४} लवणु समुद्दहेॅ पाहुडु पेसहि $ सासय-थाणेॅ सुहाइँ गवेसहि
{प॰च॰५५,२.५} मेरुहेॅ कणय-दण्डु दरिसावहि $ दिणयर-मण्डलेॅ दीवउ लावहि
{प॰च॰५५,२.६} जोण्हावइहेॅ जोण्ह संपाडहि $ लोह-पिण्डेॅ सण्णाहु भमाडहि
{प॰च॰५५,२.७} इन्दहेॅ देव-लोउ अप्फालहि $ महु अग्गऍ कहाउ संचालहि
{प॰च॰५५,२.८} तं णिसुणेवि पवोल्लिउ सुन्दरु $ पवर-भुअङ्ग-वद्ध-भुअ-पञ्जरु
घत्ता॒
{प॰च॰५५,२.९} "रावण तुज्झु ण दोसु $ लइ ढुक्कउ मुणिवर-भासिउ
अण्णहिॅ कइहिॅ दिणेहिॅ $ खउ दीसइ सीयहेॅ पासिउ"
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक ३॒
{प॰च॰५५,३.१} दुव्वयणेॅहिॅ दहवयणु पलित्तउ $ केसरि केसरग्गेॅ णं छित्तउ
{प॰च॰५५,३.२} "मरु मरु लेहु लेहु सिरु पाडहेॅ $ णं तो लहु विच्छोडेॅवि धाडहेॅ
{प॰च॰५५,३.३} खरेॅ वइसारहेॅ सिरु मण्डावहेॅ $ वेल्लऍ वन्धेॅवि घरेॅ घरेॅ दावहेॅ"
{प॰च॰५५,३.४} तं णिसुणेवि पधाइय णिसियर $ असि-झस-परसु-सत्ति-पहरण-कर
{प॰च॰५५,३.५} तहिॅ अवसरेॅ सरीरु विहुणेप्पिणु $ पवर-भुअङ्ग-वन्ध तोडेप्पिणु
{प॰च॰५५,३.६} मारुइ भड भञ्जन्तु समुट्ठिउ $ सणि अवलोयणेॅ णाइँ परिट्ठिउ
{प॰च॰५५,३.७} जउ जउ देइ दिट्ठि परिसक्कइ $ तउ तउ अहिमुहु को वि ण थक्कइ
{प॰च॰५५,३.८} भणइ दसाणणु "सइँ संघारमि $ जेत्तहेॅ जाइ तं जेॅ मरु मारमि"
घत्ता॒
{प॰च॰५५,३.९} वञ्चेॅवि सेण्णु असेसु $ विज्जाहर-भवण-पईवहेॅ
मुहेॅ मसि-कुच्चउ देवि $ गउ उप्परि दहगीवहेॅ
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक ४॒
{प॰च॰५५,४.१} थिउ वलु सयलु मडप्फर-मुक्कउ $ जोइस-चक्कु व थाणहेॅ चुक्कउ
{प॰च॰५५,४.२} कमल-वणु व हिम-वाएं दड्ढउ $ दुविलासिणि-वयणु व दुवियड्ढउ
{प॰च॰५५,४.३} रयणिहिॅ वर-भवणु व णिद्दीवउ $ किर उट्ठवणु करेइ पडीवउ
{प॰च॰५५,४.४} भणइ सहोअरु "जाउ कु-दूअउ $ एत्तडेण किं उत्तिमु हूअउ
{प॰च॰५५,४.५} गिरिवर-उवरि विहङ्गमु जन्तउ $ तो किं सो ज्जेॅ होइ वलवन्तउ"
{प॰च॰५५,४.६} एम भणेवि णिवारिउ रावणु $ सण्णज्झन्तु भुवण-संतावणु
{प॰च॰५५,४.७} तावेत्तहेॅ वि तेण हणुवन्तें $ णाइँ विहङ्गे णहयलेॅ जन्तें
{प॰च॰५५,४.८} चिन्तिउ एक्कु खणन्तरु थाऍवि $ कोव-दवग्गि मुहुत्तुप्पाऍवि
घत्ता॒
{प॰च॰५५,४.९} "लक्खण-रामह्ũ कित्ति $ जगेॅ णीसावण्ण भमाडमि
दहमुह-जीविउ जेम $ वरि एमहिॅ घरु उप्पाडमि"
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक ५॒
{प॰च॰५५,५.१} चिन्तिऊण सुन्दरेॅण सुन्दरं $ दहवयण-मन्दिरं
{प॰च॰५५,५.२} स-सिहरं स-मूलं समुक्खयं $ स-चलियं (?) स-जाला-गवक्खयं
{प॰च॰५५,५.३} स-कुसुमं स-वारं स-तोरणं $ मणि-कवाड-मणि-मत्तवारणं
{प॰च॰५५,५.४} मणि-तवग्ग-सव्वङ्ग-सुन्दरं $ वलहि-चन्दसाला-मणोहरं
{प॰च॰५५,५.५} हीर-गहण-तल-उब्भ-खम्भयं $ गुमगुमन्त-रुण्टन्त-छप्पयं
{प॰च॰५५,५.६} विप्फुरन्त-णीसेस-मणिमयं $ सूरकन्त-ससिकन्त-भूमयं
{प॰च॰५५,५.७} इन्दणील-वेरुलिय-णिम्मलं $ पोमराय-मरगय-समुज्जलं
{प॰च॰५५,५.८} वर-पवाल-माला-पलम्विरं $ मोत्तिएक्क-झुम्वुक्क-झुम्विरं
घत्ता॒
{प॰च॰५५,५.९} तं घरु पवर-भुएहिॅ $ रसकसमसन्तु णिद्दलियउ
हणुव-वियड्ढें णाइँ $ लङ्कहेॅ जोव्वणु दरमलियउ
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक ६॒
{प॰च॰५५,६.१} तहेॅ सरिसाइँ जाइँ अणुलग्गइँ $ पञ्च सहासइँ गेहह्ũ भग्गइँ
{प॰च॰५५,६.२} किउ कडमद्दणु पवणाणन्दें $ णं सरवरेॅ पइसरेॅवि गइन्दें
{प॰च॰५५,६.३} पुणु वि स-इच्छऍ परिसक्कन्तें $ पाडिय पुर-पओलि णिग्गन्तें
{प॰च॰५५,६.४} सहइ समीरणि णहयलेॅ जन्तउ $ लङ्कहेॅ जीउ णाइँ उड्डन्तउ
{प॰च॰५५,६.५} तहिॅ अवसरेॅ सुरवर-पञ्चाणणु $ चन्दहासु किर लेइ दसाणणु
{प॰च॰५५,६.६} मन्तिहिॅ णवर कडच्छऍ धरियउ $ "किं पहु-णित्ति देव वीसरियउ
{प॰च॰५५,६.७} जइ णासइ सियालु विवराणणु $ तो किं तहेॅ रूसइ पञ्चाणणु"
{प॰च॰५५,६.८} एव भणेवि णिवारिउ जावेॅहिॅ $ जाणइ मणेॅ परिओसिय तावेॅहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५५,६.९} जं घर-सिहरु दलेवि $ हणुवन्तु पडीवउ आइउ
सीयहेॅ राहउ जेम $ परिओसें अङ्गेॅ ण माइउ
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक ७॒
{प॰च॰५५,७.१} जं जेॅ पयट्टु समुहु किक्किन्धहेॅ $ पवरासीस दिण्ण कइचिन्धहेॅ
{प॰च॰५५,७.२} "होहि वच्छ जयवन्तु चिराउसु $ सूर-पयाव-हारि जिह पाउसु
{प॰च॰५५,७.३} लच्छी-सइ-सणाहु जिह सरवरु $ सिय-लक्खण-अमुक्कु जिह हलहरु"
{प॰च॰५५,७.४} तेण वि दूरत्थेण समिच्छिय $ सिरु णामेॅवि आसीस पडिच्छिय
{प॰च॰५५,७.५} पुणु एक्कल्ल-वीरु जग-केसरि $ लहु आउच्छेॅवि लङ्कासुन्दरि
{प॰च॰५५,७.६} मिलिउ गम्पि णिय-खन्धावारऍ $ थिउ विमाणेॅ घण्टा-टङ्कारऍ
{प॰च॰५५,७.७} तूरइँ हयइँ समुट्ठिउ कलयलु $ तारावइ-पुरु पत्तु महावलु
{प॰च॰५५,७.८} णिग्गय अङ्गङ्गय सह्ũ वप्पें $ अण्ण वि णिव णिय-णिय-माहप्पें
{प॰च॰५५,७.९} तेहिॅ मिलेॅवि पइसारिज्जन्तउ $ लक्खिउ लक्खण-रामेॅहिॅ एन्तउ
घत्ता॒
{प॰च॰५५,७.१०} हिण्डन्तेॅहिॅ वण-वासें $ जो विहि-परिणामें णट्ठउ
सो पुण्णोदय-कालेॅ $ जसु णाइँ पडीवउ दिट्ठउ
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक ८॒
{प॰च॰५५,८.१} तहेॅ तइलोक्क-चक्क-मम्भीसहेॅ $ मारुइ चलणेॅहिॅ पडिउ हलीसहेॅ
{प॰च॰५५,८.२} सिरु कम-कमल-णिसण्णु पदीसिउ $ णं णीलुप्पलु पङ्कय-मीसिउ
{प॰च॰५५,८.३} वलेॅण समुट्ठाविउ सइँ हत्थें $ कुसलासीस दिण्ण परमत्थें
{प॰च॰५५,८.४} कण्ठउ कडउ मउडु कडिसुत्तउ $ सयलु समप्पेॅवि मणेॅ पजलन्तउ
{प॰च॰५५,८.५} अद्धासणेॅ वइसारिउ पावणि $ जो पेसिउ सीयऍ चूडामणि
{प॰च॰५५,८.६} तं अहिणाणु समुज्जल-णामहेॅ $ दाहिण-करयलेॅ घत्तिउ रामहेॅ
{प॰च॰५५,८.७} मणि पेक्खेॅवि सव्वङ्गु पहरिसिउ $ उरेॅ ण मन्तु रोमञ्चु पदरिसिउ
{प॰च॰५५,८.८} जो परिओसु तेत्थु संभूअउ $ दुक्करु सीय-विवाहेॅ वि हूयउ
घत्ता॒
{प॰च॰५५,८.९} पभणइ राहवचन्दु $ "महु अज्ज वि हियउ ण णीवइ
मारुइ अक्खि दवत्ति $ किं मुइय कन्त किं जीवइ"
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक ९॒
{प॰च॰५५,९.१} जिण-चलणारविन्द-दल-सेवहेॅ $ मारुइ कहइ वत्त वलदेवहेॅ
{प॰च॰५५,९.२} "जाणइ दिट्ठ देव जीवन्ती $ अणुदिणु तुम्हहँ णामु लयन्ती
{प॰च॰५५,९.३} जहिॅ अवसरेॅ णिसियरेॅहिॅ गिलिज्जइ $ तहिॅ तेहऍ वि कालेॅ पडिवज्जइ
{प॰च॰५५,९.४} इह-लोयहेॅ तुह्ũ सामि पियारउ $ पर-लोयहेॅ अरहन्तु भडारउ
{प॰च॰५५,९.५} झायइ साहु जेम परमप्पउ $ उववासेॅहिॅ ल्हसावइ अप्पउ
{प॰च॰५५,९.६} मइँ पुणु गम्पि णिएन्तह्ũ तियसह्ũ $ पाराविय वासीसहँ दिवसह्ũ
{प॰च॰५५,९.७} अङ्गुत्थलउ णवेवि समप्पिउ $ तावहिॅ महु चूडामणि अप्पिउ
{प॰च॰५५,९.८} अण्णु वि देव एउ अहिणाणु $ जं किउ गुत्त-सुगुत्तहँ दाणु
घत्ता॒
{प॰च॰५५,९.९} णिवडिय घरेॅ वसु-हार $ णिसुणिउ अक्खाणु जडाइहेॅ
अण्णु मि तं अहिणाणु $ कुढेॅ लग्गु देव जं भाइहेॅ"
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक १०॒
{प॰च॰५५,१०.१} तं णिसुणेॅवि वलु हरिसिय-गत्तउ $ "कहेॅ हणुवन्त केम तहिॅ पत्तउ"
{प॰च॰५५,१०.२} एहऍ अवसरेॅ णयणाणन्दें $ हसिउ णियासणेॅ थिऍण महिन्दें
{प॰च॰५५,१०.३} "एयहेॅ केरउ वड्डउ ढड्ढसु $ णिसुणेॅ भडारा जं किउ साहसु
{प॰च॰५५,१०.४} णरु णामेण अत्थि पवणञ्जउ $ पल्हाययहेॅ पुत्तु रणेॅ दुज्जउ
{प॰च॰५५,१०.५} तासु दिण्ण मइँ अञ्जणसुन्दरि $ गउ उक्खन्धें वरुणहेॅ उप्परि
{प॰च॰५५,१०.६} वारह-वरिसह(हँ) एक्कऍ वारऍ $ वासउ देवि मिलिउ खन्धारऍ
{प॰च॰५५,१०.७} पवण-जणेरिऍ पुणु ईसाऍवि $ घल्लिय घरहेॅ कलङ्कउ लाऍवि
{प॰च॰५५,१०.८} मइँ वि ताहेॅ पइसारु ण दिण्णउ $ वणेॅ पसविय तहिॅ ऍहु उप्पण्णउ
{प॰च॰५५,१०.९} तं जि वइरु सुमरेॅवि हणुवन्तें $ तउ आएसें दूएं जंतें
{प॰च॰५५,१०.१०} णयरेॅ महारऍ किउ कडमद्दणु $ हउ मि धरिउ स-कलत्तु स-णन्दणु
घत्ता॒
{प॰च॰५५,१०.११} भग्गइँ सुहड-सयाइँ $ गय-जूहइँ दिसहिॅ पणट्ठइँ
एयहेॅ रण-चरियाइँ $ एत्तियइँ देव मइँ दिट्ठइँ"
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक ११॒
{प॰च॰५५,११.१} तं णिसुणेवि ति-कण्ण-सहाएं $ पुणु पोमाइउ दहिमुह-राएं
{प॰च॰५५,११.२} "अप्पुणु जइ वि पुरन्दरु आवइ $ एयहेॅ तणउ चरिउ को पावइ
{प॰च॰५५,११.३} वेण्णि महारिसि पडिमा-जोएं $ अट्ठ दिवस थिय णियय-णिओएं
{प॰च॰५५,११.४} अण्णेक्केत्तहेॅ अच्चासण्णउ $ महु धीयउ इमाउ ति-कण्णउ
{प॰च॰५५,११.५} ताम हुआसणेण संदीविउ $ वणु चाउद्दिसु जालालीविउ
{प॰च॰५५,११.६} धगधगधगधगन्त-धूमन्तऍ $ छुडु छुडु गुरुह्ũ पासेॅ ढुक्कन्तऍ
{प॰च॰५५,११.७} तहिॅ अवसरेॅ हणुवन्तें छाऍवि $ माया-पाउसु णहेॅ उप्पाऍवि
{प॰च॰५५,११.८} सो दावाणलु पसमिउ जावेॅहिॅ $ हउ मि तेत्थु संपाइउ तावेॅहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५५,११.९} तहिॅ कण्णाऍ समाणु $ मइँ तुम्हह्ũ पासेॅ विसज्जेॅवि
एयहेॅ रण-चरियाइँ $ एत्तियइँ देव मइँ दिट्ठइँ"
कण्ड ३, संधि ५५, कडवक १२॒
{प॰च॰५५,१२.१} दहिमुह-वयणु सुणेॅवि गञ्जोल्लिउ $ पिहुमइ हणुवहेॅ मन्ति पवोल्लिउ
{प॰च॰५५,१२.२} "णिसुणेॅ भडारा णहयलेॅ जन्तें $ पढमासाली हय हणुवन्तें
{प॰च॰५५,१२.३} पुणु वज्जाउहु णरवर-केसरि $ कलहेॅवि परिणिय लङ्कासुन्दरि
{प॰च॰५५,१२.४} गरुव-सणेहें दिट्ठु विहीसणु $ तेण समाणु करेॅवि संभासणु
{प॰च॰५५,१२.५} कडुवालाव-कालेॅ अवणीयह्ũ $ अन्तरेॅ थिउ मन्दोअरि-सीयह्ũ
{प॰च॰५५,१२.६} णन्दण-वणु मि भग्गु हउ अक्खउ $ इन्दइ किउ पहरन्तु विलक्खउ
{प॰च॰५५,१२.७} एण वि वन्धाविउ अप्पाणउ $ किर उवसमइ दसाणण-राणउ
{प॰च॰५५,१२.८} णवरि विरुद्धें कह वि ण घाइउ $ तहेॅ घर-सिहरु दलेप्पिणु आइउ"
घत्ता॒
{प॰च॰५५,१२.९} इय चरियाइँ सुणेवि $ वड-दुम-पारोह-विसालेॅहिॅ
अवरुण्डिउ हणुवन्तु $ राहवेॅण स इँ भु व-दण्डेॅहिॅ
[५६. छप्पण्णासमो संधि] ----------
हणुवागमेॅ दिवसयरुग्गमेॅ $ दसरह-वंस-जसुब्भवेॅण
गज्जेॅवि दहवयणहेॅ उप्परि $ दिण्णु पयाणउ राहवेॅण
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक १॒
{प॰च॰५६,१.१} हयाणन्द-भेरी दडी दिण्ण सङ्खा $ करप्फालियाणेय-तूराण लक्खा
{प॰च॰५६,१.२} जयं णन्दणम् णन्दिघोसं सुघोसं $ सुहं सुन्दरं सोहणं देवघोसं
{प॰च॰५६,१.३} वरङ्गं वरिट्ठं गहीरं पहाणं $ जणाणन्द-तूरं सिरीवद्धमाणं
{प॰च॰५६,१.४} सिवं सन्तियत्थं सुकल्लाण-धेयं $ महामङ्गलत्थं णरिन्दाहिसेयं
{प॰च॰५६,१.५} पसण्णज्झुणि दुन्दुही णन्दिसद्दं $ पवित्तं पसत्थं च भद्दं सुभद्दम्
{प॰च॰५६,१.६} विवाहप्पियं पत्थिवं णायरीयं $ पयाणुत्तमं वद्धणं पुण्डरीयं
{प॰च॰५६,१.७} मङ्गल-तूरइँ णामेॅहिॅ एऍहिॅ $ पुणु अण्णण्णइँ अण्णेॅहिॅ भेऍहिॅ
{प॰च॰५६,१.८} डũडũ-डũडũ-डमरुअ-सद्देॅहिॅ $ तरडक-तरडक-तरडक-णद्देॅहिॅ
{प॰च॰५६,१.९} धुम्मुकु-धुम्मुकु-धुम्मुकु-तालेॅहिॅ $ रुं-रुं-रुं-रुञ्जन्त-वमालेॅहिॅ
{प॰च॰५६,१.१०} तक्किस-तक्किस-सरेॅहिॅ मणोज्जेॅहिॅ $ दुणिकिटि-दुणिकिटि-थरिमदि-वज्जेॅहिॅ
{प॰च॰५६,१.११} गेग्गदु-गेग्गदु-गेग्गदु-घाऍहिॅ $ एयाणेय-भेय-संघाऍहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५६,१.१२} तं तूरहँ सद्दु सुणेप्पिणु $ राहव-साहणु संमिलइ
सरि-सोत्तेॅहिॅ आवेॅवि आवेॅवि $ सलिलु समुद्दहेॅ जिह मिलइ
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक २॒
{प॰च॰५६,२.१} सण्णद्धु कइद्धय-पवर-राउ $ सण्णद्धु अङ्गु अङ्गय-सहाउ
{प॰च॰५६,२.२} सण्णद्धु हणुउ पहरिस-विसट्टु $ रावण-णन्दणवण-मइयवट्टु
{प॰च॰५६,२.३} सण्णद्धु गवउ अण्णु वि गवक्खु $ जम्वुण्णउ दहिमुहु दुण्णिरिक्खु
{प॰च॰५६,२.४} सण्णद्धु विराहिउ सीहणाउ $ सण्णद्धु कुन्दु कुमुएं सहाउ
{प॰च॰५६,२.५} सण्णद्धु णीलु णलु परिमियङ्गु $ सण्णद्धु सुसेणु इ रणेॅ अभङ्गु
{प॰च॰५६,२.६} सण्णद्धु सीहरहु रयणकेसि $ सण्णद्धु वालि-सुउ चन्दरासि
{प॰च॰५६,२.७} सण्णद्धु स-तणउ महिन्दराउ $ भडु लच्छिभुत्ति पिहुमइ-सहाउ
{प॰च॰५६,२.८} सण्णद्धु चन्दमरीचि अण्णु $ सण्णद्धु असेसु वि राम-सेण्णु
घत्ता॒
{प॰च॰५६,२.९} अण्णेक्कु वि सण्णज्झन्तउ $ उप्परि जय-सिरि-माणणहेॅ
लक्खिज्जइ लक्खणु कुद्धउ $ णं खय-कालु दसाणणहेॅ
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक ३॒
{प॰च॰५६,३.१} अण्णेक्क सुहड सण्णद्ध के वि $ णिय-कन्तहँ आलिङ्गणउ देवि
{प॰च॰५६,३.२} अण्णेक्कहेॅ धण तम्वोलु देइ $ अण्णेक्कु समप्पियउ वि ण लेइ
{प॰च॰५६,३.३} "मइँ कन्तेॅ समाणेव्वउ दलेहिॅ $ गय-पण्णेॅहिॅ रहवर-पोप्फलेहिॅ
{प॰च॰५६,३.४} णरवर-संचूरिय-चुण्णएण $ रिउ-जय-सिरि-वहुअए दिण्णएण
{प॰च॰५६,३.५} अण्णेक्कहेॅ जाइँ सु-कन्त देइ $ ओहुल्लइँ फुल्लइँ णरु ण लेइ
{प॰च॰५६,३.६} "ण समिच्छमि हũ तुह्ũ लेहि भज्जेॅ $ एत्तिउ सिरु णिवडइ सामि-कज्जेॅ"
{प॰च॰५६,३.७} अण्णेक्कहेॅ धण भूसणउ देइ $ अण्णेक्कु तं पि तिण-समु गणेइ
{प॰च॰५६,३.८} "किं गन्धें किं चन्दण-रसेण $ मइँ अङ्गु पसाहेव्वउ जसेण"
घत्ता॒
{प॰च॰५६,३.९} अण्णेक्कहेॅ धण अप्पाहइ $ "हिम-ससि-सङ्ख-समुज्जलइँ
करि-कुम्भइँ णाह दलेप्पिणु $ आणेज्जहि मुत्ताफलइँ"
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक ४॒
{प॰च॰५६,४.१} अण्णेक्केत्तहेॅ वि सुहङ्कराइँ $ सज्जियइँ विमाणइँ सुन्दराइँ
{प॰च॰५६,४.२} घण्टा-टङ्कार-मणोहराइँ $ रुण्टन्त-मत्त-महुअर-सराइँ
{प॰च॰५६,४.३} ससि-सूरकन्त-कर-णिब्भराइँ $ वहु-इन्दणील-किय-सेहराइँ
{प॰च॰५६,४.४} पवलय-माला-रङ्खोलिराइँ $ मरगय-रिञ्छोलि-पसोहिराइँ
{प॰च॰५६,४.५} मणि-पउमराय-वण्णुज्जलाइँ $ वेडुज्ज-वज्ज-पह-णिम्मलाइँ
{प॰च॰५६,४.६} मुत्ताहल-माला-धवलियाइँ $ किङ्किणि-घग्घर-सर-मुहलियाइँ
{प॰च॰५६,४.७} धूवंत-धवल-धुअ-धयवडाइँ $ वज्जन्त-सङ्ख-सय-सङ्घडाइँ
{प॰च॰५६,४.८} सुग्गीवें रयणुज्जोवियाइँ $ विहिॅ विण्णि विमाणइँ ढोइयाइँ
घत्ता॒
{प॰च॰५६,४.९} वन्दिण-जण-जय-जयकारेॅण $ लक्खण-रामारूढ किह
सुर-परिमिय-पवर-विमाणेॅहिॅ $ वेण्णि वि इन्द-पडीन्द जिह
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक ५॒
{प॰च॰५६,५.१} अणेक्क-पासेॅ किय सारि-सज्ज $ सुविसाल-सुघण्टा-जुवल-गेज्ज
{प॰च॰५६,५.२} अलि-झङ्कारिय गय-घड पयट्ट $ विहलङ्घल णिब्भर-मय-विसट्ट
{प॰च॰५६,५.३} सिन्दूर-पङ्क-पङ्किय-सरीर $ सिक्कार-फार-गज्जण-गहीर
{प॰च॰५६,५.४} उम्मेट्ठ णिरङ्कुस जाइ थाइ $ मल्हन्ति मणोहर वेस णाइँ
{प॰च॰५६,५.५} अण्णेक्क-पासेॅ रह रहिय-थट्ट $ चूरन्त परोप्परु पहेॅ पयट्ट
{प॰च॰५६,५.६} स-तुरङ्ग स-सारहि स-कइचिन्ध $ णाणाविह-वर-पहरण-समिद्ध
{प॰च॰५६,५.७} अणेक्क-पासेॅ वल-दरिसणाइँ $ वज्जन्त-तूर-सर-भीसणाइँ
{प॰च॰५६,५.८} आयड्ढिय-चाव-महासराइँ $ उग्गामिय-भामिय-असिवराइँ
घत्ता॒
{प॰च॰५६,५.९} अण्णेक्क-पासेॅ हिंसन्तउ $ हयवर-साहणु णीसरइ
सुकलत्तु जेम्व सुकुलीणउ $ पय-संचारु ण वीसरइ
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक ६॒
{प॰च॰५६,६.१} अण्णेक्केत्तहेॅ अण्णेक्क वीर $ गज्जन्ति समर-संघट्ट-धीर
{प॰च॰५६,६.२} एक्केण वुत्तु "सोसमि समुद्दु" $ अण्णेक्कु भणइ "महु णिसियरिन्दु"
{प॰च॰५६,६.३} अण्णेक्कु भणइ "हũ धरमि सेण्णु" $ अण्णेक्कु भणइ "महु कुम्भयण्णु"
{प॰च॰५६,६.४} अण्णेक्कु भणइ "महु मेहणाउ" $ अण्णेक्कु भणइ "महु भड-णिहाउ"
{प॰च॰५६,६.५} अण्णेक्कु भणइ "भो णिसुणि मित्त $ हũ वलहेॅ स-हत्थें देमि कन्त"
{प॰च॰५६,६.६} अण्णेक्कु भणइ "किं गज्जिएण $ अज्ज वि सङ्गाम-विवज्जिएण
{प॰च॰५६,६.७} सयलु वि जाणिज्जइ तहिॅ जि कालेॅ $ पर-वलेॅ ओवडियऍ सामि-सालेॅ"
{प॰च॰५६,६.८} अण्णेक्कु वीरु णिय-मणेॅ विसण्णु $ "मइँ सामिहेॅ अवसरेॅ काइँ दिण्णु"
घत्ता॒
{प॰च॰५६,६.९} अण्णेक्कु सुहडु ओवग्गइ $ अग्गऍ थाऍवि हलहरहेॅ
"जं वूढउ मइँ सिरु खन्धेॅण $ तं होसइ पहु अवसरहेॅ"
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक ७॒
{प॰च॰५६,७.१} अण्णेक्क-पासेॅ सुविसालियाउ $ विज्जउ विज्जाहर-पालियाउ
{प॰च॰५६,७.२} पण्णत्ती वहुव-विरूविणी $ वेयाली णहयल-गामिणी
{प॰च॰५६,७.३} $ थम्भणियाकरिसणी मोहणी
{प॰च॰५६,७.४} सामुद्दी रुद्दी केसवी $ भुवइन्दी खन्दी वासवी
{प॰च॰५६,७.५} वम्भाणी रउरव-दारुणी $ णेरित्ती वायव-वारुणी
{प॰च॰५६,७.६} चन्दी सूरि वइसाणरी $ मायङ्गि मयन्दी वाणरी
{प॰च॰५६,७.७} हरिणी वाराहि तुरङ्गमी $ वल-सोसणी गरुड-विहङ्गमी
{प॰च॰५६,७.८} पव्वइ मयरद्धय-रूविणी $ आसाल-विज्ज वहु-रूविणी
घत्ता॒
{प॰च॰५६,७.९} सण्णद्धु असेसु वि साहणु $ रामहेॅ सुग्गीवहेॅ तणउ
णं जम्वूदीउ पयट्टउ $ लङ्कादीवहेॅ पाहुणउ
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक ८॒
{प॰च॰५६,८.१} संचल्लें णिय-वंसुब्भवेण $ दिट्ठइँ सु-णिमित्तइँ राहवेण
{प॰च॰५६,८.२} गन्धोवउ चन्दणु सिद्ध-सेस $ जिण पुज्जेॅवि वाहु सुवेस वेस
{प॰च॰५६,८.३} दप्पणउ सु-सङ्खु सु-सहसवत्तु $ णिग्गन्थ-रूउ पण्डुरउ छत्तु
{प॰च॰५६,८.४} पण्डुरउ हत्थि पण्डुरउ भमरु $ पण्डुरउ तुरउ पण्डुरउ चमरु
{प॰च॰५६,८.५} सव्वालङ्कार पवित्त णारि $ दहि-कुम्भ-विहत्थी वर-कुमारि
{प॰च॰५६,८.६} णिद्धूमु जलणु अणुकूलु वाउ $ पियमेलावउ कुलुगुलइ काउ
{प॰च॰५६,८.७} सुणिमित्तइँ णिऍवि जसुण्णएण $ वलएउ वुत्तु जम्वुण्णएण
{प॰च॰५६,८.८} "धण्णो ऽसि देव तउ सहलु गमणु $ आयइँ सु-णिमित्तइँ लहइ कवणु
घत्ता॒
{प॰च॰५६,८.९} विहसेप्पिणु वुच्चइ रामेॅण $ सइ सु-णिमित्तइँ जन्ताह्ũ
जग-लग्गण-खम्भु भडारउ $ जिणवरु हियऍ वहन्ताह्ũ
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक ९॒
{प॰च॰५६,९.१} संचल्लें राहव-साहणेण $ संघट्टिउ वाहणु वाहणेण
{प॰च॰५६,९.२} चिन्धेण चिन्धु रहु रहवरेण $ छत्तेण छत्तु गउ गयवरेण
{प॰च॰५६,९.३} तुरएण तुरङ्गमु णरु णरेण $ चलणेण चलणु करयलु करेण
{प॰च॰५६,९.४} वलु रण-रहसड्ढिउ णहेॅ ण माइ $ संचल्लिउ देवागमणु णाइँ
{प॰च॰५६,९.५} थोवन्तरे दिट्ठु महा-समुद्दु $ सुंसुअर-मयर-जलयर-रउद्दु
{प॰च॰५६,९.६} मच्छोहर-णक्क-ग्गाह-घोरु $ कल्लोलवन्तु तरङ्ग-थोरु
{प॰च॰५६,९.७} वेला-वड्ढन्तु पदूहणन्तु $ फेणुज्जल-तोय-तुसार देन्तु
{प॰च॰५६,९.८} तहेॅ उवरि पयट्टउ राम-सेण्णु $ णं मेह-जालु णहयलेॅ णिसण्णु
घत्ता॒
{प॰च॰५६,९.९} णरवइहिॅ विमाणारूढेॅहिॅ $ लङ्घिउ लवण-समुद्दु किह
सिद्धेॅहिॅ सिद्धालउ जन्तेॅहिॅ $ चउगइ-भव-संसारु जिह
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक १०॒
{प॰च॰५६,१०.१} थोवन्तरेॅ तहेॅ सायरहेॅ मज्झेॅ $ वेलन्धर-पुरेॅ तियसहँ असज्झेॅ
{प॰च॰५६,१०.२} विज्जाहर सेउ-समुद्द वे वि $ थिय अग्गऍ दारुणु जुज्झु देवि
{प॰च॰५६,१०.३} "मरु तुम्हहँ कुइउ कयन्तु अज्जु $ को सक्कइ सक्कहेॅ हरेॅवि रज्जु
{प॰च॰५६,१०.४} को पइसइ भीसणेॅ जलण-जालेॅ $ को जीवइ ढुक्कऍ पलय-कालेॅ
{प॰च॰५६,१०.५} को सेस-फणा-मणि-रयणु लेइ $ को लङ्कहेॅ अहिमुहु पउ वि देइ"
{प॰च॰५६,१०.६} पच्चारिय सयल वि अमरिसेण $ "अहेॅ किक्किन्धाहिव अहेॅ सुसेण
{प॰च॰५६,१०.७} अहेॅ कुमुअ कुन्द सुणि मेहणाय $ णल णील विराहिय पवण-जाय
{प॰च॰५६,१०.८} दहिमुह माहिन्द महिन्द-राय $ अवर वि जे णरवर के वि आय
घत्ता॒
{प॰च॰५६,१०.९} लइ वलहेॅ वलहेॅ जइ सक्कहेॅ $ हेवाइय पारक्कऍहिॅ
कहिॅ लङ्का-उवरि पयाणउ $ सेउ-समुद्देॅहिॅ थक्कऍहिॅ"
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक ११॒
{प॰च॰५६,११.१} एत्थन्तरेॅ जयसिरि-लाहवेण $ सुग्गीउ पपुच्छिउ राहवेण
{प॰च॰५६,११.२} "एए जे दणु दीसन्ति के वि $ कसु केरा थिय पहरणइँ लेवि"
{प॰च॰५६,११.३} तं वयणु सुणेॅवि पणमिय-सिरेण $ पुणु पुणु थोत्तुग्गीरिय-गिरेण
{प॰च॰५६,११.४} सुग्गीवें पभणिउ रामचन्दु $ "ऍहु सेउ भडारा ऍहु समुद्दु
{प॰च॰५६,११.५} दहवयणहेॅ केरउ णामु लेवि $ पाइक्काचारें थक्क वे वि
{प॰च॰५६,११.६} आयह्ũ पडिमल्लु ण को वि समरेॅ $ जइ दिन्ति जुज्झु णल-णील णवरेॅ
{प॰च॰५६,११.७} तं णिसुणेॅवि रामहेॅ हियउ भिण्णु $ णिविसेण विहि मि आएसु दिण्णु
{प॰च॰५६,११.८} पणिवाउ करेप्पिणु ते पयट्ट $ रोमञ्च-उच्च-कञ्चुअ-विसट्ट
घत्ता॒
{प॰च॰५६,११.९} णलु धाइउ समुहु समुद्दहेॅ $ सेउहेॅ णीलु समावडिउ
गउ गयहेॅ मइन्दु मइन्दहेॅ $ जिह ओरालेॅवि अब्भिडिउ
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक १२॒
{प॰च॰५६,१२.१} ते भिडिय परोप्परु रणेॅ रउद्द $ विज्जाहर वेण्णि वि णल-समुद्द
{प॰च॰५६,१२.२} विण्णाणेॅहिॅ करणेॅहिॅ कररुहेहिॅ $ अण्णेहिॅ असेसेॅहिॅ आउहेहिॅ
{प॰च॰५६,१२.३} पहरन्ति धन्ति विप्फुरिय-वयण $ रत्तुप्पल-दल-सारिच्छ-णयण
{प॰च॰५६,१२.४} एत्थन्तरेॅ रावण-किङ्करेण $ मेल्लिय मयरहरी विज्ज तेण
{प॰च॰५६,१२.५} धाइय गज्जन्ति पगुलुगुलन्ति $ वेला-कल्लोलुल्लोल लेन्ति
{प॰च॰५६,१२.६} एत्तहेॅ वि णलेण विरुद्धएण $ समरङ्गणेॅ जयसिरि-लुद्धएण
{प॰च॰५६,१२.७} आयामेॅवि महिहर-विज्ज मुक्क $ जलु सयलु वि पडिपूरन्ति ढुक्क
{प॰च॰५६,१२.८} तं माया-सायरु दरमलेवि $ विज्जाहर-करणें उल्ललेवि
घत्ता॒
{प॰च॰५६,१२.९} णलु उप्परि डीणु समुद्दहेॅ $ णीलु वि सेउहेॅ सिर-कमलेॅ
विहिॅ वेण्णि मि मण्ड धरेप्पिणु $ घल्लिय रामहेॅ पय-जुअलेॅ
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक १३॒
{प॰च॰५६,१३.१} सेउ-समुद्द वे वि जं आणिय $ णल-णीलेॅहिॅ समाणु सम्माणिय
{प॰च॰५६,१३.२} तेहि मि पवर पसाहेॅवि कण्णउ $ तहेॅ लक्खणहेॅ स-हत्थें दिण्णउ
{प॰च॰५६,१३.३} सच्चसिरी कमलच्छि विसाला $ अण्ण वि रयणचूल गुणमाला
{प॰च॰५६,१३.४} पञ्च वि कण्णउ देवि कुमारहेॅ $ थिय पाइक्क सीय-भत्तारहेॅ
{प॰च॰५६,१३.५} एक्क रयणि गय कह वि विहाणउ $ पुणु अरुणुग्गमेॅ दिण्णु पयाणउ
{प॰च॰५६,१३.६} साहणु पत्तु सुवेलु महीहरु $ तहि मि सुवेलु णवर विज्जाहरु
{प॰च॰५६,१३.७} धाइउ जिह गइन्दु ओरालेॅवि $ भीसणु करेॅ धणुहरु अप्फालेॅवि
{प॰च॰५६,१३.८} भिडइ ण भिडइ रणङ्गणेॅ जावेॅहिॅ $ सेउ-समुद्देॅहिॅ वारिउ तावेॅहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५६,१३.९} "एऍहिॅ समाणु जुज्झन्तहँ $ जइ पर-जणवऍ जम्पणउ
पडु पाऍहिॅ राहवचन्दहेॅ $ मं मारावहि अप्पणउ
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक १४॒
{प॰च॰५६,१४.१} वलएवहेॅ पणमिउ ता सुवेलु $ णं पढम-जिणहेॅ सेयंस-धवलु
{प॰च॰५६,१४.२} णिसि एक्क वसेॅवि संचल्लु सेण्णु $ णं पङ्कय-वणु धुवगाय-छण्णु
{प॰च॰५६,१४.३} णं लीलऍ जिण-समसरणु जाइ $ पुणुरुत्तेॅहिॅ देवागमणु णाइँ
{प॰च॰५६,१४.४} थोवन्तरु वलु चिक्कमइ जाम $ लक्खिज्जइ लङ्काणयरि ताम
{प॰च॰५६,१४.५} आरामेॅहिॅ सीमेॅहिॅ सरवरेॅहिॅ $ वहु-णन्दणवणेॅहिॅ मणोहरेहिॅ
{प॰च॰५६,१४.६} पायार-वार-गोउर-घरेहिॅ $ रह-तिक्क-चउक्केॅहिॅ चच्चरेहिॅ
{प॰च॰५६,१४.७} कामिणि-मन्दिरेॅहिॅ सुहावणेहिॅ $ चउहट्टेॅहिॅ टेण्टहिॅ आवणेॅहिॅ
{प॰च॰५६,१४.८} दीहिय-विहार-चेइय-हरेहिॅ $ धुव्वन्तेहिॅ चिन्धेहिॅ दीहरेहिॅ
घत्ता॒
{प॰च॰५६,१४.९} धय-णिवहु पवण-पडिकूलउ $ दूरत्थेहिॅ विहावियउ
णं लक्खण-रामागमणेॅण $ रामण-मणु डोल्लावियउ
कण्ड ३, संधि ५६, कडवक १५॒
{प॰च॰५६,१५.१} जं दिट्ठ लङ्क विज्जाहरेहिॅ $ किउ हंसदीवे आवासु तेहिॅ
{प॰च॰५६,१५.२} हंसरहु रणङ्गणेॅ णिज्जिणेवि $ णं थिय रिउ-सिरेॅ असि णिक्खणेवि
{प॰च॰५६,१५.३} आवासिय भड पासेइयङ्ग $ रह मेल्लिय उज्जोत्तिय तुरङ्ग
{प॰च॰५६,१५.४} खञ्चियइँ विमाणइँ वद्ध गोण $ सण्णाह विमुक्क स-कवय-तोण
{प॰च॰५६,१५.५} णाणाविह-विज्जाहर-समूहु $ णं हंसदीवेॅ थिउ हंस-जूहु
{प॰च॰५६,१५.६} सह्ũ वम्भें रुद्दें केसवेण $ णं मुक्कु पयाणउ वासवेण
{प॰च॰५६,१५.७} तहिॅ सुहड के वि पभणन्ति एव $ "जुज्झेव्वउ सुन्दरु अज्जु देव"
{प॰च॰५६,१५.८} अण्णेक्कु भणइ "भो भीरु-चित्त $ उत्तावलिहूअउ काइँ मित्त"
घत्ता॒
{प॰च॰५६,१५.९} अणेक्क के वि णिय-भवणेॅहिॅ $ समउ कलत्तेॅहिॅ सुहु रमहिॅ
आराहेॅवि अञ्चेॅवि पुज्जेॅवि $ जिणु पणमन्ति स इँ भु ऍहिॅ
सुन्दर-कण्डं समत्तं