जुज्झकण्डं

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 [५७. सत्तवण्णासमो संधि]


हंसदीवेॅ थिऍ राम-वलेॅ $ खोहु जाउ णिसियर-सङ्घायहेॅ
झत्ति महीहर-सिहरु जिह $ णिवडिउ हियउ दसाणण-रायहेॅ


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक १॒


{प॰च॰५७,१.१} तूरहेॅ सद्दु सुणेवि रउद्दहेॅ $ खुहिय लङ्क णं वेल समुद्दहेॅ
{प॰च॰५७,१.२} एहऍ कालेॅ अणेयइँ जाणउ $ मणेॅण विसण्णु विहीसणु राणउ
{प॰च॰५७,१.३} "णं कुल-सेलु समाहउ वज्जें $ पुरि णन्दन्ति णट्ठ विणु कज्जें
{प॰च॰५७,१.४} कल्लेॅ जि मेरउ ण किउ णिवारिउ $ एवहिॅ दूसन्थवउ णिरारिउ
{प॰च॰५७,१.५} तो वि सणेहें परिहच्छावमि $ उप्पहेॅ थियउ सुपन्थें लावमि
{प॰च॰५७,१.६} जइ कया वि उवसमइ दसाणणु $ पावें छाइउ पर-महिलाणणु
{प॰च॰५७,१.७} एम वि जइ महु ण कियउ वुत्तउ $ तो रिउ-साहणेॅ मिलमि णिरुत्तउ
{प॰च॰५७,१.८} अप्पाणु वि ण होइ संसारिउ $ परिहरिएवउ पारायारिउ

घत्त


{प॰च॰५७,१.९} सुहि जेॅ सूलु पडिकुलणउ $ परु जेॅ सहोयरु जो अणुअत्तइ
ओसहु दूरुप्पण्णउ वि $ वाहि सरीरहेॅ कड्ढेॅवि घत्तइ"


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक २॒


{प॰च॰५७,२.१} जो परतिय-परदव्वाहिंसणु $ मणेॅ परिचिन्तेॅवि एम विहीसणु
{प॰च॰५७,२.२} अहिमुहु वलिउ दसाणण-रायहेॅ $ णं गुण-णिवहु दोस-सङ्घायहेॅ
{प॰च॰५७,२.३} "भो भो भू-भूसण भड-भञ्जण $ खलहु मि खल सज्जणहु मि सज्जण
{प॰च॰५७,२.४} रावण किण्ण गणहि महु वयणइँ $ किण्ण णियहि णन्दन्तइँ सयणइँ
{प॰च॰५७,२.५} किं स-गेहु णिय-णयरु ण इच्छहि $ किं वज्जासणि सिरेॅण पडिच्छहि
{प॰च॰५७,२.६} किं देवावहि सेण्णु दिसा-वलि $ किं उरेॅ धरहि जलण-जालावलि
{प॰च॰५७,२.७} किं आरोडहि राहव-केसरि $ किं जाणन्तु खाहि विस-मञ्जरि
{प॰च॰५७,२.८} किं गिरि-समु वड्डत्तणु कण्डहि $ किं चारित्तु सीलु वउ छण्डहि
{प॰च॰५७,२.९} किं विहडन्तउ कज्जु ण सन्धहि $ तइयऍ णरऍ आउ किं वन्धहि
{प॰च॰५७,२.१०} एक्कु अजसु अण्णेक्कु अमङ्गलु $ जाणइ देन्तह पर गुणु केवलु "

घत्ता॒

{प॰च॰५७,२.११} भणइ दसाणणु "भाइ सुणि $ जाणमि पेक्खमि णरयहेॅ सङ्कमि
णवर सरीरेॅ वसन्ताइँ $ पञ्चिन्दियइँ जिणेवि ण सक्कमि "


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक ३॒


{प॰च॰५७,३.१} सो जण-मण-णयणाहिरावणो $ पर-णरवर-हरिणाइरावणो
{प॰च॰५७,३.२} दुद्धर-धरणिधर-धरावणो $ भड-थड-कडमद्दण-करावणो
{प॰च॰५७,३.३} दुज्जण-जण-मण-जज्जरावणो $ करिवर-कुम्भथल-कप्परावणो
{प॰च॰५७,३.४} धणय-पुरन्दर-थरहरावणो $ सरणाइय-भय-परिहरावणो
{प॰च॰५७,३.५} दाणविन्द-दुद्दम-डरावणो $ अमर-मणोहर-वहुअ-रावणो
{प॰च॰५७,३.६} दाणेॅ महाहयणे तुरावणो $ णिसुणिउ जं जम्पन्तु रावणो

घत्ता॒

{प॰च॰५७,३.७} भणइ विहीसणु कुइय-मणु $ वयणु णिएवि दसाणण-केरउ
"मरण-कालेॅ आसण्णेॅ थिऍ $ सव्वहेॅ होइ चित्तु विवरेरउ


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक ४॒


{प॰च॰५७,४.१} पुणु वि गरुउ संताउ विहीसणेॅ $ काइँ णिवारिउ ण किउ विहीसणेॅ
{प॰च॰५७,४.२} काइँ णरिन्द ऽप्पाणũ सोसहि $ एण णिहेण पइट्ठु विसोसहि
{प॰च॰५७,४.३} जणय-विदेहि-धीय पइ-सारिय $ पइँ सयणह्ũ भवित्ति पइसारिय
{प॰च॰५७,४.४} एह ण सीय वणेॅ ट्ठिय भल्ली $ सव्वह्ũ हियऍ पइट्ठिय भल्ली
{प॰च॰५७,४.५} एह ण सीय सोय-संपत्ती $ लङ्कहेॅ वज्जासणि संपत्ती
{प॰च॰५७,४.६} एह ण सीय दाढ वर-सीहहेॅ $ गय-गण्डत्थल-वहल-रसीहहेॅ
{प॰च॰५७,४.७} एह ण सीय जीह जमरायहेॅ $ केवल हाणि जसुज्जम-रायहेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰५७,४.८} णन्दउ लङ्क स-तोरणिय $ अणुणहि रामु पमायहि जुज्झु
जाणइ सिविणा-रिद्धि जिह $ ण हुअ ण होइ ण होसइ तुज्झु


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक ५॒


{प॰च॰५७,५.१} तं सुणेवि सत्तुत्तमद्दणो $ स-पुरन्दर-विजयन्त-मद्दणो
{प॰च॰५७,५.२} रयणासव-वंसाहिणन्दणो $ दहमुह-दिट्ठिविसाहि-णन्दणो
{प॰च॰५७,५.३} इन्दई णिय-मणे विरुद्धओ $ जेण हणुउ पहरेवि रुद्धओ
{प॰च॰५७,५.४} हुअवहो व्व जालोलि-भासुरो $ हर सणे व्व कुइओ वि भासुरो
{प॰च॰५७,५.५} केसरि व्व उद्धसिय-कन्धरो $ पाउसो व्व उण्णइय-कं-धरो
{प॰च॰५७,५.६} "तं विहीसणा पइँ पजम्पियं $ दहमुहस्स ण कयाइ जं पियं

घत्ता॒

{प॰च॰५७,५.७} को तुह्ũ कें वोल्लावियउ $ को सो लक्खणु को किर रामु
जइ तहेॅ अप्पिय जणय-सुय $ तो हũ ण वहमि इन्दइ णामु"


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक ६॒


{प॰च॰५७,६.१} तं णिसुणेवि विहीसणु जम्पइ $ "विरुवउ णिन्दिउ सीयहेॅ जं पइ
{प॰च॰५७,६.२} पप्फुल्लिय-अरविन्द-प्पह-रणेॅ $ दुद्धर-णरवरिन्द-दप्प-हरणेॅ
{प॰च॰५७,६.३} दुद्दम-दाणव-विन्द-प्पहरणेॅ $ णीसरन्त-वलहद्दहेॅ पहरणेॅ
{प॰च॰५७,६.४} अणुहरमाण-वाण-फरुसक्कहेॅ $ जे भञ्जन्ति मडप्फरु सक्कहेॅ
{प॰च॰५७,६.५} ते रणेॅ जाऍ णिवारेॅवि सक्कहेॅ $ तुम्हह्ũ मज्झेॅ सत्ति परिसक्कहेॅ
{प॰च॰५७,६.६} जेण सम्वु मुहेॅ छुद्धु कियन्तहेॅ $ मिलेॅवि असेसेॅहिॅ काइँ कियं तहेॅ
{प॰च॰५७,६.७} जेण खरहेॅ सिरु खुडिउ जियन्तहेॅ $ चउदह-सहसेॅहिॅ काइँ कियं तहेॅ
{प॰च॰५७,६.८} सो हरि सारहि जसु पवराहउ $ दुज्जउ केण परज्जिउ राहउ

घत्ता॒

{प॰च॰५७,६.९} अण्णु वि हणुवहेॅ काइँ किउ $ तुम्हहँ तणऍ पइट्ठउ जो वणेॅ
दक्खवन्तु णिय-चिन्धाइँ $ जिह वियड्ढु कण्णाडिहेॅ जोव्वणेॅ"


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक ७॒


{प॰च॰५७,७.१} तं णिसुणेॅवि रूसिउ दसाणणो $ जो सयं सुरिन्दस्स हाणणो
{प॰च॰५७,७.२} करेॅ समुक्खयं चन्दहासयं $ विप्फुरन्तम् इव चन्दहासयं
{प॰च॰५७,७.३} "मरु पाडमि महि-मण्डले सिरं $ मम णिन्दयरं पर-पसंसिरं"
{प॰च॰५७,७.४} तहिॅ अवसरेॅ कुइओ विहीसणो $ जो जणेॅ सुक्कुइओ विहीसणो
{प॰च॰५७,७.५} लइउ खम्भु मणि-रयण-भूसिओ $ दहवयणस्स जसो व्व भू-सिओ
{प॰च॰५७,७.६} वे वि पधाइय एक्कमेक्कहो $ जणु जम्पइ सिय ए-क्कमे क्कहो

घत्ता॒

{प॰च॰५७,७.७} मण्ड धरन्त-धरन्ताह्ũ $ स-तरु स-खग्ग विहीसण-रावण
णाइँ परोप्परु ओवडिय $ उद्ध-सोण्ड अइरावय-वारण


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक ८॒


{प॰च॰५७,८.१} णरवइ धरिउ कडच्छऍ मन्तिहिॅ $ "करेॅ अवराहु भडारा मं तिहिॅ
{प॰च॰५७,८.२} विहिॅ भाइहिॅ अण्णेक्कहेॅ तणयहेॅ $ जो जीवियहेॅ सारु तउ तणयहेॅ"
{प॰च॰५७,८.३} तो वि ण थक्कइ अमरिस-कुद्धउ $ जो चउ-जलहि-विहूसिय-कु-द्धउ
{प॰च॰५७,८.४} "अरेॅ खल खुद्द पिसुण अकलङ्कहेॅ $ मरु मरु णीसरु णीसरु लङ्कहेॅ"
{प॰च॰५७,८.५} भणइ विहीसणु "जण-अहिरामहेॅ $ जइ अच्छमि तो दोहउ रामहेॅ
{प॰च॰५७,८.६} णवरि णरिन्द मूढ अवियप्पउ $ जिह सक्कहि तिह रक्खहि अप्पउ"
{प॰च॰५७,८.७} एम भणेप्पिणु गउ णिय-भवणहेॅ $ णाइँ गइन्दु रम्भ-खम्भ-वणहो
{प॰च॰५७,८.८} तीसक्खोहणीहिॅ हरि-सेण्णहेॅ $ णिग्गउ णिद्दलन्तु हरिसें णहो

घत्ता॒
{प॰च॰५७,८.९} सहइ विहीसणु णीसरिउ $ सुहि-सामन्त-मन्ति-परियरि[य]उ
जसु मुहु मइलेॅवि रावणहेॅ $ रामहेॅ संमुहु णाइँ णिसरियउ


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक ९॒


{प॰च॰५७,९.१} हंसदीव-तीरोवर-त्थयं $ वर-तुरङ्ग-वर-करि-वरत्थयं
{प॰च॰५७,९.२} सुहड-सुहड-संखोह-भासुरं $ पडह-भेरि-संखोह-भासुरं
{प॰च॰५७,९.३} णिऍवि सेण्णु रवि-मण्डल-ग्गए $ देइ दिट्ठि हरि मण्डलग्गऍ
{प॰च॰५७,९.४} दुण्णिवार-वइरी-सरासणे $ राहवो वि स-सरे सरासणेॅ
{प॰च॰५७,९.५} ताव तेण वहु-पुण्णभाइणा $ स-विणएण दहवयण-भाइणा
{प॰च॰५७,९.६} दण्डपाणि पट्ठविउ महवलो $ जहिॅ स-कण्हु पडिवक्ख-मह-वलो
{प॰च॰५७,९.७} पणविऊण विण्णविउ राहवो $ जो विमुक्क-सर-णिट्ठुराहवो
{प॰च॰५७,९.८} एक्कु वयणु पभणइ विहीसणो $ "तुम्ह भिच्चु एवहिॅ विहीसणो

घत्ता॒

{प॰च॰५७,९.९} ण किउ णिवारिउ रावणेॅण $ लज्ज वि माणु वि मणेॅ परिचत्तउ
परम-जिणिन्दहेॅ इन्दु जिह $ तेम विहीसणु तुम्हहँ भत्तउ"


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक १०॒


{प॰च॰५७,१०.१} तं णिसुणेवि वयणु तहेॅ जेॅहहेॅ $ जे जे के वि राय रज्जोहहेॅ
{प॰च॰५७,१०.२} ते ते मिलिया रणेॅ इ सुमन्तहेॅ $ मइकन्तेण वुत्तु सामन्तहेॅ
{प॰च॰५७,१०.३} "इच्छहेॅ वलहेॅ देव पत्ति ज्जइ $ तो ण णिसायराहँ पत्तिज्जइ
{प॰च॰५७,१०.४} एयह्ũ तणउ चारु को जाणइ $ जेहिॅ छलेण छलिय वणेॅ जाणइ"
{प॰च॰५७,१०.५} पभणइ मइसमुद्दु "इमु आवइ $ एत्तिउ वलु पर-पुण्णेॅहिॅ आवइ
{प॰च॰५७,१०.६} पत्तिय एवहिॅ रावणु जिज्जइ $ णिय-मणेॅ सयल सङ्क वज्जिज्जइ
{प॰च॰५७,१०.७} किङ्कर-वहुऍहिॅ ऍहु जि पहुच्चइ $ ताह मि साहणेॅ ऍहु जि पहुच्चइ
{प॰च॰५७,१०.८} मिलिउ विहीसणु लङ्क पईसहेॅ $ लग्गउ करयलेॅ सीय हलीसहेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰५७,१०.९} दिज्जउ रज्जु विहीसणहेॅ $ जेण वे वि जुज्झन्ति परोप्परु
अम्हह्ũ काइँ महाहवेॅण $ परु जेॅ परेण जाउ सय-सक्करु"


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक ११॒


{प॰च॰५७,११.१} तं णिसुणेविणु पचविउ मारुई $ जो किर वम्महु मयणु मा-रुई
{प॰च॰५७,११.२} "देव देव देविन्द-सासणं $ सच्चउ कलहेॅवि महु दसासणं
{प॰च॰५७,११.३} आउ विहीसणु परम-सज्जणो $ विणयवन्तु दुण्णय-विसज्जणो
{प॰च॰५७,११.४} सच्चवाइ जिण-धम्म-वच्छलो $ सयल-काल परिचत्त-वच्छलो
{प॰च॰५७,११.५} मइँ समाणु एणासि जम्पियं $ तं करेमि हलहरहेॅ जं पियं
{प॰च॰५७,११.६} जइ महु वुत्तउ ण किउ राऍणं $ तो रिउ-साहणेॅ मिलमि राऍणं"

घत्ता॒

{प॰च॰५७,११.७} तं णिसुणेप्पिणु राहवेॅण $ पेसिउ दण्डपाणि हक्कारउ
आउ विहीसणु गह-सहिउ $ एयारहमु णाइँ अङ्गारउ


कण्ड ४, संधि ५७, कडवक १२॒


{प॰च॰५७,१२.१} जय-जय-सद्दें मिलिउ विहीसणु $ विहि मि परोप्परु किउ संभासणु
{प॰च॰५७,१२.२} भणइ रामु "णउ पइँ लज्जावमि $ णीसावण्ण लङ्क भुञ्जावमि
{प॰च॰५७,१२.३} सिरु तोडमि रावणहेॅ जियन्तहेॅ $ संपेसमि पाहुणउ कयन्तहेॅ"
{प॰च॰५७,१२.४} तेण वि वुत्तु "भडारा राहव $ सुहड-सीह णिव्वूढ-महाहव
{प॰च॰५७,१२.५} जिह अरहन्त-णाहु पर-लोयहेॅ $ तिह तुह्ũ सामिसालु इह-लोयहेॅ"
{प॰च॰५७,१२.६} एव जाम्व पचवन्ति परोप्परु $ ताम विदेहहेॅ णयण-सुहङ्करु
{प॰च॰५७,१२.७} अक्खोहणि-सहासु भामण्डलु $ णाइँ सुरेॅहिॅ समाणु आकण्डलु
{प॰च॰५७,१२.८} आउ णहङ्गणेॅ णाणा-जाणेॅहिॅ $ मणि-मोत्तिय-पवाल-अपमाणेॅहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰५७,१२.९} मणेॅ परितुट्ठें राहवेॅण $ णरवइ-विन्दु सयलु ओसारेॅवि
अवरुण्डिउ पुप्फवइ-सुउ $ सरहसु स इँ भु अ-जुअलु पसारेॅवि



[५८. अट्ठवण्णासमो संधि] ----------



भामण्डलेॅ भीसणेॅ $ मिलिऍ विहीसणेॅ $ कुणय-कुवुद्धि-विवज्जियउ
अत्थाणेॅ दसासहेॅ $ लच्छि-णिवासहेॅ $ अङ्गउ दूउ विसज्जियउ


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक १॒


{प॰च॰५८,१.१} वलएवें पभणिउ जम्ववन्तु $ "एत्तियह्ũ मज्झेॅ को वुद्धिवन्तु
{प॰च॰५८,१.२} किं गवउ गवक्खु सुसेणु तारु $ किं अञ्जणेउ रणेॅ दुण्णिवारु
{प॰च॰५८,१.३} किं णलु किं णीलु किम् इन्दु कुन्दु $ किं अङ्गउ किं पिहुमइ महिन्दु
{प॰च॰५८,१.४} किं कुमुउ विराहिउ रयणकेसि $ किं भामण्डलु किं चन्दरासि"
{प॰च॰५८,१.५} जं एव पपुच्छिउ राहवेण $ विण्णविउ णवेप्पिणु जम्ववेण
{प॰च॰५८,१.६} "पेसणेॅ सुसेणु विणए वि कुन्दु $ पञ्चङ्गें मन्तें मइसमुद्दु
{प॰च॰५८,१.७} अङ्गङ्गय दूअत्तणेॅ महत्थ $ णल-णील पयाणऍ सइ समत्थ
{प॰च॰५८,१.८} महुमहणु हणुवु आहव-वमालेॅ $ सुग्गीउ तुहु मि पुणु विजय-कालेॅ"

घत्ता॒

{प॰च॰५८,१.९} तं णिसुणेॅवि रामें $ णिग्गय-णामें $ अङ्गउ जोत्तिउ दूअ-भरेॅ
"भणु "किं वित्थारें $ समउ कुमारें $ अज्ज वि रावण सन्धि करेॅ"


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक २॒


{प॰च॰५८,२.१} अण्णु मि सन्देसउ णेहि तासु $ वहु-दुण्णय-वन्तहेॅ रावणासु
{प॰च॰५८,२.२} वुच्चइ "लङ्केसर चारु चारु $ को पर-तिय लेन्तहेॅ पुरिसयारु
{प॰च॰५८,२.३} जइ सच्चउ रयङासवहेॅ पुत्तु $ तो एउ काइँ ववहरेॅवि जुत्तु
{प॰च॰५८,२.४} हũ लग्गउ कुढेॅ लक्खणहेॅ जाम $ पइँ छम्मेॅवि णिय वइदेहि ताम
{प॰च॰५८,२.५} एत्तिय वि तो वि तउ थाउ वुद्धि $ अहिमाणु मुएप्पिणु करहि सन्धि" "
{प॰च॰५८,२.६} तं णिसुणेॅवि भड-कडमद्दणेण $ णिब्भच्छिउ रामु जणद्दणेण
{प॰च॰५८,२.७} "दाढियउ जासु जसु वाहु-दण्ड $ जसु वलेॅ एत्तिय णरवर पयण्ड
{प॰च॰५८,२.८} सो दीण-वयणु पहु चवइ क्ẽव $ एक्कल्लउ करेॅ सन्धाणु देव

घत्ता॒

{प॰च॰५८,२.९} आऍहिॅ आलावेॅहिॅ $ गलिय-पयावेॅहिॅ $ हũ तुम्हहँ वाहिरउ किह
वायरणु सुणन्तह्ũ $ सन्धि करन्तह्ũ $ ऊदन्ताइ-णिवाउ जिह"


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक ३॒


{प॰च॰५८,३.१} जं सन्धि ण इच्छिय दुद्धरेण $ तं वज्जावत्त-धणुद्धरेण
{प॰च॰५८,३.२} हरि-वयणेॅहिॅ अमरिस-कुद्धएण $ सन्देसउ दिण्णु विरुद्धएण
{प॰च॰५८,३.३} "भणु "दहमुह-गयवरेॅ गिल्ल-गण्डेॅ $ किय-कुम्भयण्ण-उद्दण्ड-सोण्डेॅ
{प॰च॰५८,३.४} हत्थ-प्पहत्थ-दारुण-विसाणेॅ $ सुयसारण-घण्टा-रुण्टमाणेॅ
{प॰च॰५८,३.५} णिवडेसइ तहिॅ वलएव-सीहु $ हणुवन्त-महन्त-ललन्त-जीहु
{प॰च॰५८,३.६} कुन्देन्दु-कण्ण-सोमित्ति-वयणु $ विप्फारिय-गवय-गवक्ख-णयणु
{प॰च॰५८,३.७} णल-णील-वियड-दाढा-करालु $ जम्वव-भामण्डल-केसरालु
{प॰च॰५८,३.८} अङ्गङ्गय-तार-सुसेण-णहरु $ साहण-णङ्गूलुग्गिण्ण-पहरु

घत्ता॒

{प॰च॰५८,३.९} सो राहव-केसरि $ णिवडेॅवि उप्परि $ णिसियर-करि-कुम्भत्थलइँ
लीलऍ जेॅ दलेसइ $ कड्ढेॅवि लेसइ $ जाणइ-जस-मुत्ताहलइँ""


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक ४॒


{प॰च॰५८,४.१} समरङ्गणेॅ एक्कें लक्खणेण $ सन्देसउ पेसिउ तक्खणेण
{प॰च॰५८,४.२} "भणु "जहिॅ जेॅ जहिॅ जेॅ तुह्ũ कुमुअ-सण्डु $ तहिॅ तहिॅ सो दिणयरु तेय-पिण्डु
{प॰च॰५८,४.३} जहिॅ जहिॅ तुह्ũ गिरिवरु सिहर-कण्डु $ तहिॅ तहिॅ सो वासव-कुलिस-दण्डु
{प॰च॰५८,४.४} जहिॅ जहिॅ आसीविसु तुह्ũ फणिन्दु $ तहिॅ तहिॅ सो भीसणु वर-खगिन्दु
{प॰च॰५८,४.५} जहिॅ जहिॅ तुह्ũ गलगज्जिय-गइन्दु $ तहिॅ तहिॅ सो वहु-माया-मइन्दु
{प॰च॰५८,४.६} जहिॅ तुह्ũ हवि तहिॅ जलणिहि-णिहाउ $ जहिॅ तुह्ũ घणु तहिॅ सो पलय-वाउ
{प॰च॰५८,४.७} जहिॅ तुह्ũ उब्भडु तहिॅ सो विणासु $ जहिॅ तुह्ũ च-सद्दु तहिॅ सो समासु
{प॰च॰५८,४.८} जहिॅ तुह्ũ णिसि तहिॅ सो पवर-दिवसु $ जहिॅ तुह्ũ तुरङ्गु तहिॅ सो वि महिसु

घत्ता॒

{प॰च॰५८,४.९} जलेॅ थलेॅ पायालेॅहिॅ $ विसम-खयालेॅहिॅ $ तुह्ũ जर-पायवु जहिॅ जेॅ जहिॅ
लग्गेसइ घित्तउ $ झत्ति पलित्तउ $ लक्खण-हुअवहु तहिॅ जेॅ तहिॅ""


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक ५॒


{प॰च॰५८,५.१} एत्थन्तरेॅ रण-भर-भीसणेण $ सन्देसउ दिण्णु विहीसणेण
{प॰च॰५८,५.२} "भणु "रावण जाइँ कियइँ छलाइँ $ दरिसावमि ताइँ महाफलाइँ
{प॰च॰५८,५.३} जें हत्थें कड्ढिउ चन्दहासु $ जें हत्थें वइरिहिॅ किउ विणासु
{प॰च॰५८,५.४} जें हत्थें पणइह्ũ दिण्णु दाणु $ जें हत्थें धणयहेॅ मलिउ माणु
{प॰च॰५८,५.५} जें हत्थें साहुक्कारु लद्धु $ जें हत्थें सुरवइ समरेॅ वद्धु
{प॰च॰५८,५.६} जें हत्थें सइँ समलद्धु अङ्गु $ जें हत्थें वरुणहेॅ कियउ भङ्गु
{प॰च॰५८,५.७} जें हत्थें कड्ढिय राम-घरिणि $ पञ्चाणणेण वणेॅ जेम हरिणि
{प॰च॰५८,५.८} तहेॅ हत्थहेॅ आइउ पलय-कालु $ मइँ उप्पाडेवउ जिह मुणालु"

घत्ता॒

{प॰च॰५८,५.९} अण्णु वि सविसेसउ $ कहि सन्देसउ $ "पइँ पेसेॅवि जम-सासणहेॅ
राहव-संसग्गी $ पुरि आवग्गी $ होसइ परऍ विहीसणहेॅ""


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक ६॒


{प॰च॰५८,६.१} एत्थन्तरेॅ दिण्णु स-मच्छरेण $ सन्देसउ किक्किन्धेसरेण
{प॰च॰५८,६.२} "भणु "रावण कल्लऍ कवणु चोज्जु $ सुग्गीउ करेसइ समरेॅ भोज्जु
{प॰च॰५८,६.३} दुप्पेक्ख-तिक्ख-णाराय-भत्तु $ कण्णिय-खुरुप्प-अग्गिमउ देन्तु
{प॰च॰५८,६.४} मुक्केक्क-चक्क-चोप्पडय-धारु $ सर-झसर-सत्ति-सालणय-सारु
{प॰च॰५८,६.५} तीरिय-तोमर-तिम्मण-णिहाउ $ मोग्गर-मुसुण्ढि-गय-पत्त-साउ
{प॰च॰५८,६.६} सव्वल-हुलि-हल-करवाल-इक्खु $ फर-कणय-कोन्त-कल्लवण-तिक्खु
{प॰च॰५८,६.७} तं तेहउ भोज्जु अकायरेहिॅ $ भुञ्जेवउ परऍ णिसायरेहिॅ
{प॰च॰५८,६.८} इन्दइ-घणवाहण-रावणेहिॅ $ हत्था-पहत्थ-सुयसारणेहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰५८,६.९} भुत्तोत्तर-कालेॅहिॅ $ रणउह-सालेॅहि $ दीहर-णिद्दऍ भुत्तऍहिॅ
अच्छेवउ सावेॅहिॅ $ विगय-पयावेॅहिॅ $ महु सर-सेज्जहिॅ सुत्तऍहिॅ


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक ७॒


{प॰च॰५८,७.१} पुणु पच्छलेॅ सुर-करि-कर-भुएण $ सन्देसउ दिज्जइ मरु-सुएण
{प॰च॰५८,७.२} "भणु इन्दइ "इच्छिउ देहि जुज्झु $ हणुवन्तु भिडेसइ परऍ तुज्झु
{प॰च॰५८,७.३} णिड्डरिय-णयण-वयणुब्भडाहँ $ भञ्जन्तु मडप्फरु रिउ-भडाहँ
{प॰च॰५८,७.४} अलि-चुम्विय-लम्विय-मुहवडाहँ $ असि-घाय देन्तु सिरेॅ गय-घडाहँ
{प॰च॰५८,७.५} पडिकूल-पवर-पवणुच्छडाहँ $ मोडन्तु दण्ड धुअ-धयवडाहँ
{प॰च॰५८,७.६} विहडप्फड-कडमद्दण-कराहँ $ भञ्जन्तु पसरु रणेॅ रहवराहँ
{प॰च॰५८,७.७} दिढ गुड तोडन्तु तुरङ्गमाहँ $ पर-वलु वलि देन्तु विहङ्गमाहँ
{प॰च॰५८,७.८} दरिसन्तु चउद्दिसु भड-चियाइँ $ धूमन्तइँ जिह दुज्जण-मुहाइँ

घत्ता॒

{प॰च॰५८,७.९} इय लीलऍ साहणु $ रह-वाहणु $ जिह उववणु तिह णिट्ठवमि
जें पन्थें अक्खउ $ णिउ दुप्पेक्खउ $ तेण पाव पइँ पट्ठवमि""


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक ८॒


{प॰च॰५८,८.१} पुणु दिण्णु अभग्ग-मडप्फरेण $ सन्देसउ सीय-सहोवरेण
{प॰च॰५८,८.२} "भणु "एसइ अजउ अलद्ध-थाहु $ कल्लऍ भामण्डल-जलपवाहु
{प॰च॰५८,८.३} पहरण-कर-णरवर-जलयरोहु $ धुय-धवल-छत्त-डिण्डीर-सोहु
{प॰च॰५८,८.४} उत्तुङ्ग-तुरङ्ग-तरङ्ग-भङ्गु $ पवणाहय-धय-उड्डिर-विहङ्गु
{प॰च॰५८,८.५} चक्कोहरु रह-सुंसुयर-पयरु $ गज्जन्त-मत्त-मायङ्ग-मयरु
{प॰च॰५८,८.६} करवाल-पहर-परिहच्छ-मच्छु $ णिव-णक्क-ग्गाह-फरोह-कच्छु
{प॰च॰५८,८.७} कुम्भयल-सिलायल-विसम-तूहु $ सिय-चमर-वलायावलि-समूहु
{प॰च॰५८,८.८} तेहउ भामण्डल-जलपवाहु $ रेल्लन्तु लङ्क पइसइ अथाहु""

घत्ता॒

{प॰च॰५८,८.९} वुच्चइ णल-णीलेॅहिॅ $ दूसम-सीलेॅहिॅ $ "अङ्गय गम्पिणु एम भणेॅ
"अरेॅ हत्थ-पहत्थहेॅ $ पहरण-हत्थहेॅ $ जिह सक्कहेॅ तिह थाहु रणेॅ""


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक ९॒


{प॰च॰५८,९.१} णिय-वइरु सरेवि जसाहिएण $ सन्देसउ दिण्णु विराहिएण
{प॰च॰५८,९.२} भणु "रावण जिह पइँ किउ अकज्जु $ चन्दोयरु मारेॅवि लइउ रज्जु
{प॰च॰५८,९.३} वायरणु जेम जं पुज्जणीउ $ वायरणु जेम स-विसज्जणीउ
{प॰च॰५८,९.४} वायरणु जेम आयम-णिहाणु $ वायरणु जेम आएस-थाणु
{प॰च॰५८,९.५} वायरणु जेम अत्थुव्वहन्तु $ वायरणु जेम गुण-विद्धि देन्तु
{प॰च॰५८,९.६} वायरणु जेम विग्गह-समाणु $ वायरणु जेम सन्धिज्जमाणु
{प॰च॰५८,९.७} वायरणु जेम अव्वय-णिवाउ $ वायरणु जेम किरिया-सहाउ
{प॰च॰५८,९.८} वायरणु जेम परलोय-करणु $ वायरणु जेम गण-लिङ्ग-सरणु

घत्ता॒

{प॰च॰५८,९.९} तं रज्जु महारउ $ गुण-गरुआरउ $ दिण्णु जेम खर-दूसणह्ũ
तिह धीरु म छड्डहि $ अङ्गु समोड्डहि $ मम णारायह्ũ भीसणह्ũ""


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक १०॒


{प॰च॰५८,१०.१} अवरो वि को वि जो जासु मल्लु $ जो जसु उप्परि उव्वहइ सल्लु
{प॰च॰५८,१०.२} समरङ्गणेॅ जेण समाणु जासु $ सन्देसउ पेसिउ तेण तासु
{प॰च॰५८,१०.३} भीसावणु रावणु राउ जेत्थु $ गउ अङ्गउ दूउ पइट्ठु तेत्थु
{प॰च॰५८,१०.४} "भो सयल-भुवण-एक्कल्ल-मल्ल $ हरि-हर-चउराणण-हियय-सल्ल
{प॰च॰५८,१०.५} जम-धणय-पुरन्दर-मइयवट्ट $ णिल्लोट्टाविय-दुग्घोट्ट-थट्ट
{प॰च॰५८,१०.६} दुद्दम-दणुवइ-णिद्दलण-सील $ तियसिन्द-विन्द-पक्कन्द-लील
{प॰च॰५८,१०.७} थिर-थोर-हत्थि णिट्ठुर-पवट्ठ $ कइलास-कोडि-कन्दर-णिहट्ठ
{प॰च॰५८,१०.८} दिवेॅ दिवेॅ किय-तइलोक्केॅक्क-सेव $ सन्धाणु पयत्तें करहि देव

घत्ता॒

{प॰च॰५८,१०.९} विज्जाहर-सामिय $ अम्वर-गामिय $ वन्दिण-विन्द-णरिन्द-थुअ
चन्दङ्किय-णामह्ũ $ लक्खण-रामह्ũ $ धुउ अप्पिज्जउ जणय-सुअ"


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक ११॒


{प॰च॰५८,११.१} तं णिसुणेॅवि हसिउ दसाणणेण $ "किं वुज्झिय सन्धि समासु केण
{प॰च॰५८,११.२} कें लक्खणु केण पमाणु सारु $ किं वलु किं साहणु दुण्णिवारु
{प॰च॰५८,११.३} जो ण खलिउ देवेॅहिॅ दाणवेहिॅ $ तहेॅ कवणु गहणु किर माणवेहिॅ
{प॰च॰५८,११.४} जइ होइ सन्धि गरुडोरगाह्ũ $ सुर-कुलिस-णिहाय-महाणगाह्ũ
{प॰च॰५८,११.५} जइ होइ सन्धि हुअवह-पयाह्ũ $ पञ्चाणण-मत्त-महागयाह्ũ
{प॰च॰५८,११.६} जइ होइ सन्धि ससि-कञ्जयाह्ũ $ दिणयर-करोह-चन्दुज्जयाह्ũ
{प॰च॰५८,११.७} जइ होइ सन्धि खर-कुञ्जराह्ũ $ खयकाल-पहञ्जण-जलहराह्ũ
{प॰च॰५८,११.८} जइ होइ सन्धि सव्वरि-दिणाह्ũ $ जइ होइ सन्धि वम्मह-जिणाह्ũ

घत्ता॒

{प॰च॰५८,११.९} ललियक्खर-अत्थह्ũ $ दूर-वरत्थह्ũ $ अणउ(?) णव-पणस-रायणह्ũ
जइ सन्धि पहावइ $ को वि घडावइ $ तो रणेॅ राहव-रावणह्ũ"


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक १२॒


{प॰च॰५८,१२.१} तं णिसुणेॅवि समरेॅ अभङ्गएण $ पुणु पुणु वि पवोल्लिउ अङ्गएण
{प॰च॰५८,१२.२} "भो रावण किं गलगज्जिएण $ णिप्फलेॅण परक्कम-वज्जिएण
{प॰च॰५८,१२.३} भणु सीय ण देन्तहेॅ कवणु लाहु $ किं जो सो सज्जण-हियय-डाहु
{प॰च॰५८,१२.४} किं जो सो सम्वुकुमार-णासु $ किं जो सो पर-गय-सूरहासु
{प॰च॰५८,१२.५} किं जो सो चन्दणही-पवञ्चु $ किं जो सो खर-वल-वलि-विरञ्चु
{प॰च॰५८,१२.६} किं जो सो आसालन्तकालु $ किं जो सो विणिहय-कोट्टवालु
{प॰च॰५८,१२.७} किं जो सो पवरुज्जाण-भङ्गु $ किं जो सो हउ वलु चाउरङ्गु
{प॰च॰५८,१२.८} किं जो सो उप्परि दिण्णु पाउ $ किं जो सो मोडिउ घर-णिहाउ
{प॰च॰५८,१२.९} किं जो सो एक्को घर-विभेउ $ किं जो सो कल्लऍ पाण-छेउ

घत्ता॒

{प॰च॰५८,१२.१०} तं णिसुणेॅवि रावणु $ भय-भीसावणु $ अमरिस-कुद्धउ अङ्गयहेॅ
उद्धूसिय-केसरु $ णहर-भयङ्करु $ जिह पञ्चमुहु महग्गयहेॅ


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक १३॒


{प॰च॰५८,१३.१} "महु अग्गऍ भड-वोक्केहिॅ काइँ $ सङ्कन्ति जासु रणेॅ सुर-सयाइँ
{प॰च॰५८,१३.२} दाहिणेॅ करेॅ कड्ढिऍ चन्दहासेॅ $ मइँ सरिसु कवणु तिहुअणेॅ असेसेॅ
{प॰च॰५८,१३.३} किं वरुणु पवणु वइसवणु खन्दु $ किं हरि हरु वम्भु फणिन्दु चन्दु
{प॰च॰५८,१३.४} जं चुक्कइ हरु तं कलुणु भाउ $ मं गउरिहेॅ होसइ कहि मि घाउ
{प॰च॰५८,१३.५} जं चुक्कइ वम्भु महन्त-वुद्धि $ तं किर वम्भणेॅ मारिऍ ण सुद्धि
{प॰च॰५८,१३.६} जं चुक्कइ जमु जण-सण्णिवाउ $ तं को किर एत्तिउ लेइ पाउ
{प॰च॰५८,१३.७} जं चुक्कइ ससि सारङ्ग-धरणु $ तं किर रयणिहेॅ उज्जोय-करणु
{प॰च॰५८,१३.८} जं तवइ भाणु ववगय-तमालु $ तं किर ऍहु पञ्चमु लोयपालु

घत्ता॒

{प॰च॰५८,१३.९} दिट्ठऍ रहुणन्दणेॅ $ स-धऍ स-सन्दणेॅ $ जइ एक्कु वि पउ ओसरमि
तो भय-भीसाणहेॅ(?) $ धगधगमाणहेॅ(?) $ हुअवह-पुञ्जेॅ पईसरमि"


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक १४॒


{प॰च॰५८,१४.१} तियसिन्द-विन्द-कन्दावणेण $ जं सन्धि न इच्छिय रावणेण
{प॰च॰५८,१४.२} तं इन्दइ-मुहेॅ णीसरिउ वक्कु $ "पर सन्धिहेॅ कारणु अत्थि एक्कु
{प॰च॰५८,१४.३} जइ मणेॅ परियच्छेॅवि पउमणाहु $ आमेल्लइ सीयहेॅ तणउ गाहु
{प॰च॰५८,१४.४} तो तहेॅ ति-कण्ड महि एक्क-छत्त $ चउरद्ध णिहिउ रयणाइँ सत्त
{प॰च॰५८,१४.५} सामन्त-मन्ति-पाइक्क-तन्तु $ रहवर-णरवर-गय-तुरय-वन्तु
{प॰च॰५८,१४.६} अन्तेउरु परियणु पिण्डवासु $ स-कलत्तु स-वन्धउ हउ मि दासु
{प॰च॰५८,१४.७} कुस-दीउ चीर-वाहणु असेसु $ वज्जरउ चीणु छोहार-देसु
{प॰च॰५८,१४.८} वव्वरउलु जवणु सुवण्ण-दीउ $ वेलन्धरु हंसु सुवेल-दीउ

घत्ता॒

{प॰च॰५८,१४.९} अण्णइ मि पएसइँ $ लेउ असेसइँ $ गिरि वेयड्ढु जाम्व धरेॅवि
रावणु मन्दोयरि $ सीय किसोयरि $ तिण्णि वि वाहिराइँ करेॅवि"


कण्ड ४, संधि ५८, कडवक १५॒


{प॰च॰५८,१५.१} तं णिसुणेॅवि रोस-वसं-गएण $ णिब्भच्छिउ इन्दइ अङ्गएण
{प॰च॰५८,१५.२} "खल खुद्द पिसुण पर-णारि-ईह $ सय-कण्ड क्ẽव तउ ण गय जीह
{प॰च॰५८,१५.३} जसु तणिय घरिणि तासु जेॅ ण देहि $ राहवेॅ जियन्तेॅ जम्मेॅवि ण लेहि
{प॰च॰५८,१५.४} जो रक्खइ पर-परिहव-सयाइँ $ सो णिय-कज्जें ओसरइ काइँ"
{प॰च॰५८,१५.५} जे दिण्ण विहीसण-हरि-वलेहिॅ $ सुग्गीव-हणुव-भामण्डलेहिॅ
{प॰च॰५८,१५.६} सन्देसा ते वज्जरेॅवि तासु $ गउ अङ्गउ वल-लक्खणहँ पासु
{प॰च॰५८,१५.७} "सो रावणु सन्धि ण करइ देव $ सह्ũ सरेण अमी-ईयारु जेम्व"

घत्ता॒

{प॰च॰५८,१५.८} तं णिसुणेॅवि कुद्धेॅहिॅ $ जय-जस-लुद्धेॅहिॅ $ कइकइ-अपरज्जिय-सुऍहिॅ
वेहि मि वे चावइँ $ अतुल-पयावइँ $ अप्फालियइँ स इं भु ऍहिॅ



[५९. एक्कुणसट्ठिमो संधि] ----------



दूआगमणेॅ परोप्परु कुद्धइँ $ जय-सिरि-रामालिङ्गण-लुद्धइँ
किय-कलयलइँ समुब्भिय-चिन्धइँ $ रामण-राम-वलइँ सण्णद्धइँ


कण्ड ४, संधि ५९, कडवक १॒

{प॰च॰५९,१.१} गऍ अङ्गय-कुमारेॅ उग्गिण्ण-चन्दहासो
सइँ सण्णहेॅवि णिग्गओ सरहसो दसासो (हेलादुवई)
{प॰च॰५९,१.२} धुरे अङ्गलक्खो समारुट्ठ-वयणो $ धए वन्धुरो रक्खसो रत्त-णयणो
{प॰च॰५९,१.३} रहे रावणो दुण्णिवारो असज्झे $ कयन्तु व्व खयकाल-मच्चूण मज्झे
{प॰च॰५९,१.४} थिर-त्थोर-भुव-पञ्जरो वियड-वच्छो $ सु-भीसावणो भू-लया-भङ्गुरच्छो
{प॰च॰५९,१.५} महा-पलय-कालो व्व कहकहकहन्तो $ समुप्पाय-जलणो व्व धगधगधगन्तो
{प॰च॰५९,१.६} समालोवणे सणि व मुह-विप्फुरन्तो $ फणिन्दो व्व फर-फार-फुक्कार देन्तो
{प॰च॰५९,१.७} गइन्दो व्व मुक्कङ्कुसो गुलगुलन्तो $ मइन्दो व्व मेहागमे थरहरन्तो
{प॰च॰५९,१.८} समुद्दो व्व पक्खुहणेॅ मज्जाय-चत्तो $ सुरिन्दो व्व वहु-रण-रसुब्भिण्ण-गत्तो
{प॰च॰५९,१.९} णहेॅ असणि-जलउ व्व धुद्धुद्धुवन्तो $ महा-विज्जु-पुञ्जो व्व तडतडतडन्तो
(मयणावयारो णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰५९,१.१०} अमर-वरङ्गण-जण-जूरावणेॅ $ सरहसेॅ सण्णज्झन्तऍ रावणेॅ
किङ्कर-साहणु कहि मि ण मन्तउ $ णिग्गउ पुर-पओलि भेल्लन्तउ


कण्ड ४, संधि ५९, कडवक २॒

{प॰च॰५९,२.१} के वि जय-जस-लुद्ध सण्णद्ध वद्ध-कोहा
के वि सुमित्त-पुत्त-सुकलत्त-चत्त-मोहा (हेलादुवई)

{प॰च॰५९,२.२} के वि णीसरन्ति वीर $ भूधर व्व तुङ्ग धीर
{प॰च॰५९,२.३} सायर व्व अप्पमाण $ कुञ्जर व्व दिण्ण-दाण
{प॰च॰५९,२.४} केसरि व्व उद्ध-केस $ चत्त-सव्व-जीवियास
{प॰च॰५९,२.५} के वि सामि-भत्ति-वन्त $ मच्छरग्गि-पज्जलन्त
{प॰च॰५९,२.६} के वि आहवे अभङ्ग $ कङ्कुम-प्पसाहियङ्ग
{प॰च॰५९,२.७} के वि सूर साहिमाणि $ सत्ति-सूल-चक्क-पाणि
{प॰च॰५९,२.८} के वि गीढ-वारुणत्थ $ तोण-वाण-चाव-हत्थ
{प॰च॰५९,२.९} कुद्ध जुद्ध-लुद्ध के वि $ णिग्गया सु-सण्णहेवि
(तोमरो णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰५९,२.१०} को वि पधाइउ हणु-हणु-सद्दें $ परिहइ कवउ को वि आणन्दें
रण-रसियहेॅ रोमञ्चुब्भिण्णहेॅ $ उरेॅ सण्णाहु ण माइउ अण्णहेॅ


कण्ड ४, संधि ५९, कडवक ३॒

{प॰च॰५९,३.१} पभणइ का वि कन्त "करि-कुम्भेॅ जेत्तडाइँ
मुत्ताहलइँ लेवि महु देज्ज तेत्तडाइँ (हेलादुवई)

{प॰च॰५९,३.२} का वि कन्त चिन्धइँ अप्पाहइ $ का वि कन्त णिय-कन्तु पसाहइ
{प॰च॰५९,३.३} का वि कन्त मुह-पत्ति करावइ $ का वि कन्त दप्पणु दरिसावइ
{प॰च॰५९,३.४} का वि कन्त पिय-णयणइँ अञ्जइ $ का वि कन्त रण-तिलउ पउञ्जइ
{प॰च॰५९,३.५} का वि कन्त स-वियारउ जम्पइ $ का वि कन्त तम्वोलु समप्पइ
{प॰च॰५९,३.६} का वि कन्त विम्वाहरेॅ लग्गइ $ का वि कन्त आलिङ्गणु मग्गइ
{प॰च॰५९,३.७} का वि कन्त ण गणेइ णिवारिउ $ सुरयारम्भु करेइ णिरारिउ
{प॰च॰५९,३.८} का वि कन्त सिरेॅ वन्धइ फुल्लइँ $ वत्थइँ परिहावेइ अमुल्लइँ
{प॰च॰५९,३.९} का वि कन्त आहरणइँ ढोयइ $ का वि कन्त पर-मुहु जेॅ पलोयइ
(मत्तमायङ्गो णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰५९,३.१०} कहेॅ वि अङ्गेॅ रोसो ज्जेॅ ण माइउ $ पिय-रणवहुयऍ सह्ũ ईसाइउ
"जइ तुह्ũ तहेॅ अणुराइउ वट्टहि $ तो महु णह-वय देवि पयट्टहि"


कण्ड ४, संधि ५९, कडवक ४॒

{प॰च॰५९,४.१} पभणइ को वि वीरु "जइ चवहि एव भज्जे
तो वरि ताहेॅ देमि जा जुत्तु सामि-कज्जे"(हेलादुवई)

{प॰च॰५९,४.२} को वि भणइ "गय-गण्ड-वलग्गइँ $ आणँवि मुत्ताहलइँ धयग्गइँ"
{प॰च॰५९,४.३} को वि भणइ "ण वि लेमि पसाहणु $ जाम ण भञ्जमि राहव-साहणु
{प॰च॰५९,४.४} को वि भणइ "मुह-पत्ति ण इच्छमि $ जाम ण सुहड-झडक्क पडिच्छमि
{प॰च॰५९,४.५} को वि भणइ "ण णिहालमि दप्पणु $ जाम्व ण रणेॅ विणिवाइउ लक्खणु
{प॰च॰५९,४.६} को वि भणइ " णउ णयणइँ अञ्जमि $ जाम्व ण सुरवहु-जण-मणु रञ्जमि"
{प॰च॰५९,४.७} को वि भणइ "मुहेॅ पण्णु ण लायमि $ जाम्व ण रुण्ड-णिवहु णच्चावमि"
{प॰च॰५९,४.८} को वि भणइ "णउ सुरउ समाणमि $ जाम्व ण भडह्ũ कुल-क्खउ आणमि"
{प॰च॰५९,४.९} को वि भणइ "धणेॅ फुल्ल ण वन्धमि $ जाम्व ण सरवर-धोरणि सन्धमि"
(रयडा णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰५९,४.१०} को वि भणइ "धणेॅ णउ आलिङ्गमि $ जाम्व ण दन्ति-दन्तेॅ आलग्गमि"
को वि करइ णिवित्ति आहरणहेॅ $ जाम्व ण दिण्ण सीय दहवयणहेॅ


कण्ड ४, संधि ५९, कडवक ५॒

{प॰च॰५९,५.१} गरुअ-पओहराऍ अच्चन्त-णेहिणीए $ रणेॅ पइसन्तु को वि सिक्खविउ गेहिणीए (हेलादुवई)

{प॰च॰५९,५.२} "णाह णाह समरङ्गण-काले $ तूर-भेरि-दडि-सङ्ख-वमाले
{प॰च॰५९,५.३} उत्थरन्त-वर-वीर-समुद्दे $ सीह-णाय-णर-णाय-रउद्दे
{प॰च॰५९,५.४} मत्त-हत्थि-गलगज्जिय-सद्दे $ अब्भिडिज्ज पर राहवचन्दे"
{प॰च॰५९,५.५} का वि णारि परिहासइ एमं $ "तेम जुज्झु णउ लज्जमि जेमं"
{प॰च॰५९,५.६} का वि णारि पडिवोहइ णाहं $ "भग्गमाणेॅ पइँ जीवमि णाहं"
{प॰च॰५९,५.७} का वि णारि पडिचुम्वणु देइ $ को वि वीरु अवहेरि करेइ
{प॰च॰५९,५.८} "कन्तेॅ कन्तेॅ मइँ मण्ड लएवी $ अज्ज वि कित्ति-वहुअ चुम्वेवी
{प॰च॰५९,५.९} का वि णाहेॅ णवकारु करेइ $ को वि वीरु रण-दिक्ख लएइ
(परियन्दियं णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰५९,५.१०} ताम्व भयङ्करु विप्फुरियाणणु $ पवर-विमाणु तिसूल-प्पहरणु
णिग्गउ कुम्भयण्णु मणेॅ कुइयउ $ णहयलेॅ धूमकेउ णं उइयउ


कण्ड ४, संधि ५९, कडवक ६॒

{प॰च॰५९,६.१} णिग्गऍ कुम्भयण्णेॅ मारीइ-मल्लवन्ता
जम्वव-जम्वुमालि-वीभच्छ-वज्जणेत्ता (हेलादुवई)

{प॰च॰५९,६.२} धरणिद्धर-कुव्वर-वज्जधरा $ खल-खुद्द-विन्द-खयकाल-करा
{प॰च॰५९,६.३} जय-दुज्जय-दुद्धर-दुद्दरिसा $ दुहउम्मुह-दुम्मुह-दुम्मरिसा
{प॰च॰५९,६.४} दुरियाणण-दुस्सर-दुव्विसहा $ ससि-सूर-मऊर-कुरूर-गहा
{प॰च॰५९,६.५} सुअसारण-सुन्द-णिसुन्द-गया $ करि-कुम्भ-णिसुम्भ-वियम्भ-भया
{प॰च॰५९,६.६} सिव-सम्भु-सयम्भु-णिसुम्व-विहू $ पिहुआसण-पिञ्जर-पिङ्ग वि हू
{प॰च॰५९,६.७} कडुआल-कराल-तमाल-तमा $ जमघण्ट-सिही-जमदण्ड-समा
{प॰च॰५९,६.८} जमणाय-समुग्गणिणाय-लुली $ हल-हाल-हलाउह-हेल-हुली
{प॰च॰५९,६.९} मयरङ्क-ससङ्क-मियङ्क-रवी $ फणि-पण्णय-णक्कय-सक्क-हवी
(तोट्टको णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰५९,६.१०} सीहणियम्व-पलम्व-भुवग्गल $ वीर गहीर-णिणाय महव्वल
एवमाइ सण्णहेॅवि विणिग्गय $ पञ्चाणण-रह पञ्चाणण-धय


कण्ड ४, संधि ५९, कडवक ७॒

{प॰च॰५९,७.१} धुन्धुद्धाम-धूम-धूमक्ख-धूमवेया
डिण्डिम-डमर-डिण्डिहर-चण्डि-चण्डवेया (हेलादुवई)

{प॰च॰५९,७.२} डवित्थ-डित्थ-डम्वरा $ जमक्ख-डाहडम्वरा
{प॰च॰५९,७.३} सिहण्डि-पिण्डि-पण्डवा $ वितण्डि-तुण्ड-मण्डवा
{प॰च॰५९,७.४} पचण्ड-कुण्डमण्डला $ कवोल-कण्ण-कुण्डला
{प॰च॰५९,७.५} भयाल-भोल-भुम्भला $ विसालचक्खु-कोहला
{प॰च॰५९,७.६} कियन्त-ढङ्ख-ढण्ढरा $ कवालचूल-सेहरा
{प॰च॰५९,७.७} चकोर-चारु-चारणा $ सिलिन्ध-गन्धवारणा
{प॰च॰५९,७.८} पियक्क-णिक्क-सीहया $ णिरीह-विज्जुजीहया
{प॰च॰५९,७.९} सुमालि-मच्चु-भीसणा $ दुरन्त-दुद्दरीसणा
(णाराउ णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰५९,७.१०} वज्जोयर-वियडोयर-घङ्घल $ असणिणिघोस-हूल-हालाहल
इय णरवइ सण्णद्ध समुण्णय $ वग्घ-महारह वग्घ-महाधय


कण्ड ४, संधि ५९, कडवक ८॒

{प॰च॰५९,८.१} महुमह-अक्कइत्ति-सद्दूल-सीहणाया
चञ्चल-चडुल-चवल-चल-चोल-भीमकाया (हेलादुवई)

{प॰च॰५९,८.२} हत्थ-विहत्थ-पहत्थ-महत्था $ सुत्थ-सुहत्थ-सुमत्थ-पसत्था
{प॰च॰५९,८.३} दारुण-रुद्द-रउद्द-णिघोरा $ हंस-पहंस-किरीडि-किसोरा
{प॰च॰५९,८.४} मन्दिर-मन्दर-मेरु-मयत्था $ गन्धविमद्दण-रुच्छ-विहत्थ
{प॰च॰५९,८.५} अण्ण-महण्णव-गण्ण-विगण्णा $ धोरिय-धीर-धुरन्धर-धण्णा
{प॰च॰५९,८.६} भीम-भयाणय-भीमणिणाया $ कद्दम-कोव-कयम्व-कसाया
{प॰च॰५९,८.७} कञ्चण-कोञ्च-विकोञ्च-पवित्ता $ कोमल-कोन्तल-चित्त-विचित्ता
{प॰च॰५९,८.८} माहव-माह-महोअर-मेहा $ पायव-वायव-वारुण-देहा
{प॰च॰५९,८.९} सीहवियम्भिय-कुञ्जरलीला $ विब्भम-हंसविलास-सुसीला
(दोद्धकं णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰५९,८.१०} मल्हण-लडहोल्हास-उल्हावण $ पत्त-पमत्त-सत्तुसन्तावण
एम्व णराहिव अण्ण वि णिग्गय $ हत्थि-महारह हत्थि-महाधय


कण्ड ४, संधि ५९, कडवक ९॒

{प॰च॰५९,९.१} सङ्ख-पसङ्ख-रत्त-भिण्णञ्जण-प्पहङ्गा
पुक्खर-पुप्फचूड-घण्टाउह-प्पिहङ्गा (हेलादुवई)

{प॰च॰५९,९.२} पुप्फासवाण-पुप्फक्खयरा $ फुल्लोअर-फुल्लन्धुअ-भमरा
{प॰च॰५९,९.३} वम्मह-कुसुमाउह-कुसुमसरा $ मयरद्धय-मयरद्धयपसरा
{प॰च॰५९,९.४} मयणाणल-मयणारसि-सुसमा $ वरकामावत्थ-कामकुसुमा
{प॰च॰५९,९.५} मयणोदय-मयणोयर-अमया $ एए तुरङ्ग-रह तुरय-धया
{प॰च॰५९,९.६} अवरे वि के वि मिग-सम्वरेॅहिं $ विस-मेस-महिस-खर-सूअरेॅहिं
{प॰च॰५९,९.७} ससहर-सल्लक्कइ-विसहरेॅहिं $ सुंसुअर-मयर-मच्छोहरेॅहिं
{प॰च॰५९,९.८} अवरे वि के वि गिरि-रुक्ख-धरा $ हवि-वारुण-वायव-वज्ज-करा
{प॰च॰५९,९.९} ताणन्तरेॅ भड-कडमद्दणाह्ũ $ णीसरियउ दहमुह-णन्दणाह्ũ
(पद्धडिया णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰५९,९.१०} रहसुच्छलियह्ũ रणेॅ रसियड्ढह्ũ $ रक्खस-धयह्ũ विमाणारूढह्ũ
इन्दइ-घणवाहण-सुअ-सारह्ũ $ पञ्च-अद्ध-कोडीउ कुमारह्ũ


कण्ड ४, संधि ५९, कडवक १०॒

{प॰च॰५९,१०.१} गय रण-भूमि जा[म] खञ्चियइँ वाहणाइँ
थिउ वलु वित्थरेवि पञ्चास-जोयणाइँ (हेलादुवई)

{प॰च॰५९,१०.२} विमाणं विमाणेण छत्तेण छत्तं $ धयग्गं धयग्गेण चिन्धेण चिन्धं
{प॰च॰५९,१०.३} गइन्दो गइन्देण सीहेण सीहो $ तुरङ्गो तुरङ्गेण वग्घेण वग्घो
{प॰च॰५९,१०.४} जणाणन्दणो सन्दणो सन्दणेणं $ णरिन्दो णरिन्देण जोहेण जोहो
{प॰च॰५९,१०.५} तिसूलं तिसूलेण खग्गेण खग्गं $ वले एवम् अण्णोण्ण-घट्टिज्जमाणे
{प॰च॰५९,१०.६} कहिम्पि प्पएसे विसूरन्ति सूरा $ रणङ्के चिरङ्के चिरा वीर-लच्छी
{प॰च॰५९,१०.७} कहिम्पि प्पएसे विमाणेहिॅ धन्तं $ भडा सूरकन्तेहिॅ जाणन्ति अण्णं
{प॰च॰५९,१०.८} कहिम्पि प्पएसे सुपासेइअङ्गा $ गइन्दाण कण्णेहिॅ पावन्ति वायं
{प॰च॰५९,१०.९} सहस्साइँ चत्तारि अक्खोहणीहिॅ $ वले जत्थ तं वण्णिउं कस्स सत्ती
(भुअङ्गप्पयाओ णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰५९,१०.१०} हत्थ-पहत्थ ठवेप्पिणु अग्गऍ $ रावणु देइ दिट्ठि णिय-खग्गऍ
णं खय-कालु जगहेॅ आरूसेॅवि $ थिउ सङ्गाम-भूमि स इँ भू सेॅवि



[६०. सट्ठिमो संधि] ----------



पर-वलेॅ दिट्ठऍ राहववीरु पयट्टउ
अइ-रण-रहसेॅण उरेॅ सण्णाहु विसट्टउ


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक १॒


{प॰च॰६०,१.१} सो राहवेॅ पहरण-हत्थाए $ दणुवइ-णिद्दलण-समत्थाए
{प॰च॰६०,१.२} दीहर-मेहल-गुप्पन्ताए $ चन्दण-कद्दम-खुप्पन्ताए
{प॰च॰६०,१.३} विच्छोइय-मणहर-कन्ताए $ किय-मायासुग्गीवन्ताए
{प॰च॰६०,१.४} रण-रहसुद्धूसिय-गत्ताए $ अप्फालिय-वज्जावत्ताए
{प॰च॰६०,१.५} आवीलिय-तोणा-जुयलाए $ किङ्किणि-ललन्त-चल-मुहलाए
{प॰च॰६०,१.६} कङ्कण-णिवद्ध-कर-कमलाए $ वित्थिण्णुण्णय-वच्छयलाए
{प॰च॰६०,१.७} कुण्डल-मण्डिय-गण्डयलाए $ चूडामणि-चुम्विय-भालाए
{प॰च॰६०,१.८} भासुल-फुलिआहल-वयणाए $ रत्तुप्पल-सण्णिह-णयणाए
{प॰च॰६०,१.९} जं सेण-सणद्धऍ दिट्ठाए $ तं लक्खणे वि आलुट्ठाए
( मागधप्रत्यधिका णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰६०,१.१०} झत्ति पलित्तउ $ अणुहरमाणु हुआसहेॅ
णाइँ समुट्ठिउ $ मत्थासूलु दसासहेॅ


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक २॒

{प॰च॰६०,२.१} सो वज्जयण्ण-आणन्दयरु $ सीहोयर-माण-मरट्ट-हरु
{प॰च॰६०,२.२} कल्लाणमाल-दंसण-पसरु $ विञ्झाहिव-विक्कम-मलण-करु
{प॰च॰६०,२.३} वणमालालिङ्गिय-वच्छयलु $ जियपउम-णाम-पङ्कय-भसलु
{प॰च॰६०,२.४} अरिदमण-णराहिव-सत्ति-धरु $ कुलभूसण-मुणि-उवसग्ग-हरु
{प॰च॰६०,२.५} चन्दणहि-तणय-सिर-णिद्दलणु $ सूरन्तय-सूरहास-हरणु
{प॰च॰६०,२.६} खर-दूसण-तिसिर-सिरन्तयरु $ कोडिसिला-कोडि-णिहट्ठ-उरु
{प॰च॰६०,२.७} सो लक्खणु पुलय-विसट्ट-तणु $ सण्णज्झइ अमरिस-कुइय-मणु
{प॰च॰६०,२.८} पुणु रावण-वलु णिज्झाइयउ $ णं सयलु जेॅ दिट्ठिहेॅ माइयउ
(पद्धडिया णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰६०,२.९} जासु किसोअरेॅ $ जगु जि गिरोमउ जेत्तिउ
तासु विसालह्ũ $ णयणह्ũ तं वलु केत्तिउ


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक ३॒


{प॰च॰६०,३.१} तहिॅ तेहऍ अवसरेॅ ण किउ खेउ $ सण्णज्झइ सरहसु अञ्जणेउ
{प॰च॰६०,३.२} जो रणेॅ माहिन्दि-महिन्द-धरणु $ जो स-रिसि-कण्ण-उवसग्ग-हरणु
{प॰च॰६०,३.३} जो आसालियहेॅ विणास-कालु $ जो वज्जाउह-वणेॅ जलण-जालु
{प॰च॰६०,३.४} जो लङ्कासुन्दरि-थण-णिहट्ठु $ जो णन्दणवण-मद्दण-पवट्ठु
{प॰च॰६०,३.५} जो णिसियर-साहण-सण्णिवाउ $ जो अक्खकुमार-कयन्तराउ
{प॰च॰६०,३.६} जो तोयदवाहण-वल-विणासु $ जो कण्ड-कण्ड-किय-णागवासु
{प॰च॰६०,३.७} जो विमुहिय-णिसियर-सामिसालु $ जो दहमुह-मन्दिर-पलयकालु
{प॰च॰६०,३.८} जो जस-लेहडु एक्कल्ल-वीरु $ सो मारुइ रोमञ्चिय-सरीरु
( रयडा णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰६०,३.९} पुणु पुणु वग्गइ $ पेक्खेॅवि रावण-साहणु
"अज्जु सइच्छऍ $ करमि कयन्तहेॅ भोअणु


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक ४॒


{प॰च॰६०,४.१} एम भणेवि वीर-चूडामणि $ पउमप्पह-विमाणेॅ थिउ पावणि
{प॰च॰६०,४.२} तहिॅ अवसरेॅ सुग्गीउ विरुज्झइ $ भामण्डलु सरोसु सण्णज्झइ
{प॰च॰६०,४.३} सज्जियाइँ चउ हंस-विमाणइँ $ जिणवर-भवणहेॅ अणुहरमाणइँ
{प॰च॰६०,४.४} गय-रयाइँ णं सिद्धहँ थाणइँ $ भङ्ग-जणइँ णं कुसुमहेॅ वाणइँ
{प॰च॰६०,४.५} मन्दर-सेल-सिहर-सच्छायइँ $ किङ्किणि-घग्घर-घण्टा-णायइँ
{प॰च॰६०,४.६} अलि-मुहलिय-मुत्ताहल-दामइँ $ विज्जु-मेह-रवि-ससिपह-णामइँ
{प॰च॰६०,४.७} हरि-वलहद्दह्ũ वे पट्ठवियइँ $ वे अप्पाणहेॅ कारणेॅ ठवियइँ
{प॰च॰६०,४.८} जिणु जयकारेॅवि चडिउ विहीसणु $ जो भय-भीय-जीव-मम्भीसणु
( मत्तमायङ्गो णाम छन्दो)
घत्ता॒

{प॰च॰६०,४.९} पुरउ परिट्ठिय $ सेण्णहेॅ भय-परिहरणहेॅ
णं धुर-धोरिय $ छ वि समास वायरणहेॅ


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक ५॒


{प॰च॰६०,५.१} के वि सण्णद्ध समरङ्गणे दुज्जया $ के वि भामण्डलाइच्च-चन्द-द्धया
{प॰च॰६०,५.२} के वि सिरि-सङ्ख-आवरिय-कलस-द्धया $ के वि कारण्ड-कलहंस-कोञ्च-द्धया
{प॰च॰६०,५.३} के वि अलियल्ल-मायङ्ग-सीहद्धया $ के वि खर-तुरय-विसमेस-महिस-द्धया
{प॰च॰६०,५.४} के वि सस-सरह-सारङ्ग-रिञ्छ-द्धया $ के वि अहि-णउल-मय-मोर-गरुडद्धया
{प॰च॰६०,५.५} के वि सिव-साण-गोमाउ-पमय-द्धया $ के वि घण-विज्जु-तरु-कमल-कुलिसद्धया
{प॰च॰६०,५.६} के वि सुंसुअर-करि-मयर-मच्छ-द्धया $ के वि णक्कोहर-ग्गाह-कुम्म-द्धया
{प॰च॰६०,५.७} णील-णल-णहुस-रइमन्द-हत्थुब्भवा $ जम्वु-जम्वुक्क-अम्भोहि-जव-जम्ववा
{प॰च॰६०,५.८} पत्थउप्पित्थ-पत्थार-दप्पुद्धरा $ पिहुल-पिहुकाय-भूभङ्ग-उब्भङ्गुरा
(मयणावयारो णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰६०,५.९} एए णरवइ $ गय-सन्दणेॅहिॅ परिट्ठिय
समुह दसासहेॅ $ णं उवसग्ग समुट्ठिय


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक ६॒


{प॰च॰६०,६.१} कुमुआवत्त-महिन्द-मण्डला $ सूरसमप्पह-भाणुमण्डला
{प॰च॰६०,६.२} रइवद्धण-सङ्गामचञ्चला $ दिढरह-सव्वम्पिय-करामला
{प॰च॰६०,६.३} मित्ताणुद्धर-वग्घसूअणा $ एए णरवइ वग्घ-सन्दणा
{प॰च॰६०,६.४} कुद्ध-दुट्ठ-दुप्पेक्ख-रउरवा $ अप्पडिहाय-समाहि- भइरवा
{प॰च॰६०,६.५} पियविग्गह-पञ्चमुह-कडियला $ विउल-वहल-मयरहर-करयला
{प॰च॰६०,६.६} पुण्णयन्द-चन्दासु-चन्दणा $ एए णरवइ सीह-सन्दणा
{प॰च॰६०,६.७} तिलय-तरङ्ग-सुसेण-मणहरा $ विज्जुकण्ण-सम्मेय-महिहरा
{प॰च॰६०,६.८} अङ्गङ्गय-काल-विकाल-सेहरा $ तरल-सील-वलि-वल-पओहरा
( उप्पहासिणी णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰६०,६.९} एए णरवइ $ सयल वि तुरय-महारह
णाइँ णिसिन्दहेॅ $ कुद्धा कूर महागह


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक ७॒


{प॰च॰६०,७.१} चन्दमरीचि-चन्द-चन्दोअर-चन्दण-अहिअ-अहिमुहा
गवय-गवक्ख-दुक्ख-दसणावलि-दामुद्दाम-दहिमुहा
{प॰च॰६०,७.२} हेड-हिडिम्व-चूड-चूडामणि-चूडावत्त-वत्तणी
कन्त-वसन्त-कोन्त-कोलाहल-कोमुइवयण-वासणी
{प॰च॰६०,७.३} कञ्जय-कुमुअ-कुन्द-इन्दाउह-इन्द-पडिन्द-सुन्दरा
सल्ल-विसल्ल-मल्ल-हल्लिर-कल्लोलुल्लोल-कुव्वरा
{प॰च॰६०,७.४} धामिर-धूमलक्खि-धूमावलि-धूमावत्त-धूसरा
दूसण-चन्दसेण-दूसासण-दूसल-दुरिय-दुक्करा
{प॰च॰६०,७.५} दुप्पिय-दुम्मरिक्ख-दुज्जोहण-तार-सुतार-तासणा
हुल्लुर-ललिय-लुच्चउल्लूरण-तारावलि-गयासणा
{प॰च॰६०,७.६} ताराणिलय-तिलय-तिलयावलि-तिलयावत्त-भञ्जणा
जरविहि-वज्जवाहु-मरुवाहु-सुवाहु-सुरिट्ठ-अञ्जणा
(दुवई-कडवयं णाम छन्दो)

घत्ता॒

{प॰च॰६०,७.७} एए णरवइ $ समर-सऍहिॅ णिव्वूढा
चलिय असेस वि $ पवर-विमाणारूढा


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक ८॒


{प॰च॰६०,८.१} रहवर-गयवरेहिॅ एक्केक्केॅहिॅ $ तिहिॅ तुरऍहिॅ पञ्चहिॅ पाइक्केॅहिॅ
{प॰च॰६०,८.२} वुच्चइ पत्ति सेण तिहिॅ पत्तिहिॅ $ सेणामुहु तिहिॅ सेणुप्पत्तिहिॅ
{प॰च॰६०,८.३} गुम्मु ति-सेणामुह-अहिणाणेॅहिॅ $ वाहिणि तीहिॅ गुम्म-परिमाणेॅहिॅ
{प॰च॰६०,८.४} तिहिॅ वाहिणिहिॅ अण्ण तिहिॅ पियणेॅहिॅ $ तं चमु णामु पगासिउ णिउणेॅहिॅ
{प॰च॰६०,८.५} तिहिॅ चमूहिॅ पभणन्ति अणिक्किणि $ दसहिॅ अणिक्किणीहिॅ अक्खोहणि
{प॰च॰६०,८.६} एवऽक्खोहणीहिॅ वि सहासइँ $ जाइँ भुवणेॅ णिय-णाम-पगासइँ
{प॰च॰६०,८.७} चउ कोडीउ सत्ततीस लक्ख $ चालीस सहस रह-गयह्ũ सङ्ख
{प॰च॰६०,८.८} सत्तासी लक्ख स-मच्छराह्ũ $ वलेॅ एक्कवीस कोडिउ णराह्ũ

घत्ता॒

{प॰च॰६०,८.९} तेरह कोडिउ $ वारह लक्ख अहङ्गह्ũ
वीस सहासइँ $ इउ परिमाणु तुरङ्गह्ũ


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक ९॒


{प॰च॰६०,९.१} संचल्लें राहव-साहणेॅण $ रोमञ्चुच्छलिय-पसाहणेॅण
{प॰च॰६०,९.२} आलाव हूअ हरिसिय-मणहेॅ $ गयणङ्गणेॅ सुर-कामिणि-जणहेॅ
{प॰च॰६०,९.३} एक्कऍ पवुत्तु "वलु कवणु थिरु $ जं सामि-कज्जेॅ ण गणेइ सिरु
{प॰च॰६०,९.४} कवणहिॅ वलेॅ पवर-विमाणाइँ $ कञ्चणगिरि-अणुहरमाणाइँ
{प॰च॰६०,९.५} कवणहिॅ पक्खरिय तुरङ्ग-थड $ कवणहिॅ मुक्कङ्कुस हत्थि-हड
{प॰च॰६०,९.६} कवणहिॅ सर-धोरणि दुव्विसह $ कवणहिॅ महिहर-सङ्कास-रह
{प॰च॰६०,९.७} कवणहिॅ सारहि सन्दण-कुसल $ कवणहिॅ सेणावइ अतुल-वल
{प॰च॰६०,९.८} कवणहिॅ पहरणइँ भयङ्करइँ $ कवणहिॅ चिन्धाइँ णिरन्तरइँ

घत्ता॒

{प॰च॰६०,९.९} कवणु रणङ्गणेॅ $ वाणह्ũ साइउ देसइ
रावण-रामह्ũ $ जयसिरि कवणु लएसइ"


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक १०॒


{प॰च॰६०,१०.१} अण्णेक्कऍ दीहर-णयणियाऍ $ पभणिउ पप्फुल्लिय-वयणियाऍ
{प॰च॰६०,१०.२} "हलेॅ वेण्णि मि अतुल-महावलाइँ $ वेण्णि मि परिवड्ढिय-कलयलाइँ
{प॰च॰६०,१०.३} वेण्णि मि कुरुडाइँ स-मच्छराइँ $ वेण्णि मि दारुण-पहरण-कराइँ
{प॰च॰६०,१०.४} वेण्णि मि सवडम्मुह किय-गमाइँ $ वेण्णि मि पक्खरिय-तुरङ्गमाइँ
{प॰च॰६०,१०.५} वेण्णि मि गलगज्जिय-गयघडाइँ $ वेण्णि मि पवणुद्धुअ-धयवडाइँ
{प॰च॰६०,१०.६} वेण्णि मि सञ्जोत्तिय-सन्दणाइँ $ वेण्णि मि सुर-णयणाणन्दणाइँ
{प॰च॰६०,१०.७} वेण्णि मि सारहि-दुद्दरिसणाइँ $ वेण्णि मि सेणावइ-भीसणाइँ
{प॰च॰६०,१०.८} वेण्णि मि छत्तोह-णिरन्तराइँ $ वेण्णि मि भड-भिउडि-भयङ्कराइँ

घत्ता॒

{प॰च॰६०,१०.९} विण्णि मि सेण्णइँ $ अणुसरिसाइँ महाहवेॅ
विजउ ण जाणह्ũ $ किं रावणेॅ किं राहवेॅ"


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक ११॒


{प॰च॰६०,११.१} तं वयणु सुणेॅवि वहु-मच्छराऍ $ अण्णाऍ णिब्भच्छिय अच्छराऍ
{प॰च॰६०,११.२} "जहिॅ रण-धुर-धोरिउ कुम्भयण्णु $ सह्ũ भीमें भीमणिणाउ अण्णु
{प॰च॰६०,११.३} जहिॅ मउ मारीचि सुमालि मालि $ जहिॅ तोयदवाहणु जम्वुमालि
{प॰च॰६०,११.४} जहिॅ अक्ककित्ति महु मेहणाउ $ जहिॅ मयरु महोयरु भीमकाउ
{प॰च॰६०,११.५} जहिॅ हत्थु पहत्थु महत्थु वीरु $ जहिॅ घुग्घुरु घुग्घुद्धाम धीरु
{प॰च॰६०,११.६} जहिॅ सम्भु सयम्भु णिसुम्भु सुम्भु $ जहिॅ सुन्दु णिसुन्दु णिकुम्भु कुम्भु
{प॰च॰६०,११.७} जहिॅ सीहणियम्वु पलम्ववाहु $ जहिॅ डिण्डिमु डम्वरु नक्कगाहु
{प॰च॰६०,११.८} जहिॅ जमु जमघण्टु जमक्खु सीहु $ जहिॅ मल्लवन्तु जहिॅ विज्जुजीहु

घत्ता॒

{प॰च॰६०,११.९} जहिॅ सुउ सारणु $ वज्जोअरु हालाहलु
तहिॅ रावण-वलेॅ $ कवणु गहणु राहव-वलु"


कण्ड ४, संधि ६०, कडवक १२॒


{प॰च॰६०,१२.१} तं णिसुणेॅवि विप्फुरियाणणाऍ $ अण्णेक्कऍ वुत्तु वरङ्गणाऍ
{प॰च॰६०,१२.२} "जहिॅ राहउ विडसुग्गीव-महणु $ जहिॅ गवउ गवक्खु विवक्ख-वहणु
{प॰च॰६०,१२.३} जहिॅ लक्खणु खर-दूसण-विणासु $ जहिॅ भामण्डलु जयसिरि णिवासु
{प॰च॰६०,१२.४} जहिॅ अङ्गउ अङ्गु सुसेणु तारु $ जहिॅ णीलु णहुसु णलु दुण्णिवारु
{प॰च॰६०,१२.५} जहिॅ अहिमुहु दहिमुहु मइसमुद्दु $ मइकन्तु विराहिउ कुमुउ कुन्दु
{प॰च॰६०,१२.६} जहिॅ जम्वउ जम्वव-रयणकेसि $ जहिॅ कोमुइ-चन्दणु चन्दरासि
{प॰च॰६०,१२.७} जहिॅ मारुइ णन्दणवण-कयन्तु $ जहिॅ रम्भु महिन्दु विहीस-वन्तु
{प॰च॰६०,१२.८} जहिॅ सुहडु विहीसणु सूल-हत्थु $ सेणावइ सइँ सुग्गीउ जेत्थु

घत्ता॒

{प॰च॰६०,१२.९} तं वलु हलेॅ सहि $ एत्तिउ एउ करेसइ
रावणु पाडेॅवि $ लङ्क स इं भु ञ्जेसइ"



[६१. एक्कसट्ठिमो संधि] ----------



जस-लुद्धइँ $ अमरिस-कुद्धइँ $ हय-तूरइँ किय-कलकलइँ
अब्भिट्टइँ $ रहस-विसट्टइँ $ ताम्व राम्व-रामण-वलइँ


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक १॒


{प॰च॰६१,१.१} वइदेहिहेॅ कारणेॅ अतुल-वलइँ $ अब्भिट्टइँ रामण-राम-वलइँ
{प॰च॰६१,१.२} णं जुअ-खऍ महियल-गयणयलइँ $ सविमाणइँ विज्जुल-वेय-चलइँ
{प॰च॰६१,१.३} पडु-पडह-भेरि-गम्भीर-सरइँ $ अवरोप्परु अहिणव-रोस-भरइँ
{प॰च॰६१,१.४} सिल-पाहण-तरु-गिरि-गहिय-करइँ $ सव्वल-हुलि-हल-करवाल-धरइँ
{प॰च॰६१,१.५} उग्गामिय-भामिय-भीम-गयइँ $ ओरालि-गरुअ-गज्जन्त-गयइँ
{प॰च॰६१,१.६} पडिपेल्लिय-रह-हिंसन्त-हयइँ $ धुअ-धवल-छत्त-धूवन्त-धयइँ
{प॰च॰६१,१.७} साहीण-पाण-परिचत्त-भयइँ $ पम्मुक्क-घाय-सङ्घाय-सयइँ
{प॰च॰६१,१.८} समुहेक्कमेक्क-सञ्छुद्ध-पयइँ $ सयवार-वार-उग्घुट्ठ-जयइँ

घत्ता॒

{प॰च॰६१,१.९} स-पयावइँ $ कड्ढिय-चावइँ $ सर-सन्धन्त-मुअन्ताइँ
णं घडियइँ $ विण्णि वि भिडियइँ $ पयइँ सुवन्त-तिङन्ताइँ


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक २॒


{प॰च॰६१,२.१} तहिॅ तेहऍ समरङ्गणेॅ दारुणेॅ $ कुङ्कुम-केसुअ-अरविन्दारुणेॅ
{प॰च॰६१,२.२} को वि वीरु णासङ्कइ पाणह्ũ $ पुणु पुणु अङ्गु समोडइ वाणह्ũ
{प॰च॰६१,२.३} को वि वीरु पडिपहरइ पर-वलेॅ $ पुरउ धाइ पउ देइ ण पच्छलेॅ
{प॰च॰६१,२.४} को वि वीरु असहन्तु रणङ्गणेॅ $ झम्प देइ पर-णरवर-सन्दणेॅ
{प॰च॰६१,२.५} को वि वइरि करेॅ धरेॅवि पकड्ढइ $ पहरेॅ पहरेॅ परिओसु पवड्ढइ
{प॰च॰६१,२.६} को वि सराहउ पडइ विमाणहेॅ $ णावइ विज्जु-पुञ्जु णिय-थाणहेॅ
{प॰च॰६१,२.७} को वि धरिज्जइ वाणेॅहिॅ एन्तउ $ णं गुरूहिॅ णरु णरऍ पडन्तउ
{प॰च॰६१,२.८} को वि दन्ति-दन्तेॅहिॅ आलग्गइ $ करणु देवि केॅ वि उवरि वलग्गइ

घत्ता॒

{प॰च॰६१,२.९} गउ मारेॅवि $ कुम्भु वियारेॅवि $ जाइँ ताइँ कुन्दुज्जलइँ
गुणवन्तहेॅ $ पाहुडु कन्तहेॅ $ को वि लेइ मुत्ताहलइँ


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक ३॒


{प॰च॰६१,३.१} हेमुज्जल-दण्ड-वलग्गाइँ $ केण वि तोडियइँ धयग्गाइँ
{प॰च॰६१,३.२} ण समिच्छिउ जेण पियहेॅ तणउ $ तें रुहिरें लइउ पसाहणउ
{प॰च॰६१,३.३} मुहपत्ति ण इच्छिय जेण घरेॅ $ किय तेण सुहड भञ्जेॅवि समरेॅ
{प॰च॰६१,३.४} चिरु जेण ण इच्छिउ दप्पणउ $ रहेॅ तेण णिहालिउ अप्पणउ
{प॰च॰६१,३.५} मुहेॅ पण्णइँ जेण ण लावियइँ $ तें रुण्ड-सयइँ णच्चावियइँ
{प॰च॰६१,३.६} चिरु जेण ण सुरउ समाणियउ $ तें रण-वहुअऍ सह्ũ माणियउ
{प॰च॰६१,३.७} णिय-णारि ण इच्छिय आसि जेॅण $ आलिङ्गिय गय-घड वहुय तेॅण
{प॰च॰६१,३.८} जो णहइँ ण देन्तउ णिय-पियाऍ $ सो फाडिउ समरङ्गण-तियाऍ

घत्ता॒

{प॰च॰६१,३.९} सम्माण-दाण-रिण-भरियउ $ अच्छिउ जो झूरन्तु चिरु
सो रणउहेॅ सुहडु पणच्चिउ $ सामिहेॅ अग्गऍ देवि सिरु


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक ४॒


{प॰च॰६१,४.१} कहिंचि घोर-भण्डणं $ सिरोह-देह-कण्डणं
{प॰च॰६१,४.२} णरिन्द-विन्द-दारणं $ तुरङ्ग-मग्ग-वारणं
{प॰च॰६१,४.३} दिसग्ग-भग्ग-सन्दणं $ भमन्त-सुण्ण-वारणं
{प॰च॰६१,४.४} भिडन्त-वीर-णिब्भरं $ चवन्त-णिट्ठुरं खरं
{प॰च॰६१,४.५} विमुक्क-चक्क-सव्वलं $ तिसूल-सत्ति-सङ्कुलं
{प॰च॰६१,४.६} अणेय-घाय-जज्जरं $ पडन्त-वाहु-पञ्जरं
{प॰च॰६१,४.७} मुअन्त-हक्क-डक्कयं $ हणन्त-एक्कमेक्कयं
{प॰च॰६१,४.८} लुणन्त-अड्ड-हड्डयं $ कुणन्त-कण्डकण्डयं
{प॰च॰६१,४.९} पडन्त-जोह-विम्भलं $ ललन्त-अन्त-चुम्भलं
{प॰च॰६१,४.१०} गलन्त-लोहिओहयं $ मिलन्त-पक्खि-जूहयं
{प॰च॰६१,४.११} कहिं चि आहया हया $ महीयलं गया गया
{प॰च॰६१,४.१२} कहिं जि भासुरा सुरा $ पहार-दारुणारुणा
{प॰च॰६१,४.१३} कहिं चि विद्धया धया $ जसोह-भूरिणा ऽरिणा

घत्ता॒

{प॰च॰६१,४.१४} तहिॅ आहवेॅ पढम-भिडन्तउ $ राहव-साहणु भग्गु किह
दिवेॅ दिवेॅ दुवियड्ढहेॅ माणेॅण $ पोढ-विलासिणि-सुरउ जिह


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक ५॒


{प॰च॰६१,५.१} राहव-वलु रावण-वलेॅण भग्गु $ णं दुग्गइ-गमणें सुगइ-मग्गु
{प॰च॰६१,५.२} णं कलि-परिणामें परम-धम्मु $ णं घोराचरणें मणुअ-जम्मु
{प॰च॰६१,५.३} वियलिय-पहरणु णिय-मणेॅ विसण्णु $ भज्जन्तउ पेक्खेॅवि राम-सेण्णु
{प॰च॰६१,५.४} किउ कलयलु कमल-दलक्खिएहिॅ $ सुर-वहुअहिॅ रावण-पक्खिएहिॅ
{प॰च॰६१,५.५} "हलेॅ पेक्खु पेक्खु णासन्तु सिमिरु $ णं रवि-यर-णियरहेॅ रयणि-तिमिरु
{प॰च॰६१,५.६} सुट्ठु वि सीयालु महन्त-काउ $ किं विसहइ केसरि-णहर-घाउ
{प॰च॰६१,५.७} सुट्ठु वि जोइङ्गणु तेयवन्तु $ किं तेण तवणु जिज्जइ तवन्तु
{प॰च॰६१,५.८} सुट्ठु वि सुन्दर रासहहेॅ कील $ किं पावइ वर-मायङ्ग-लील

घत्ता॒

{प॰च॰६१,५.९} सुट्ठु वि भूगोयरु दुज्जउ $ किं पुज्जइ विज्जाहरहेॅ
सुट्ठु वि वालाहिउ वड्डउ $ किं सरिसउ रयणायरहेॅ"


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक ६॒


{प॰च॰६१,६.१} ताव तुरङ्गम-रह-गय-वाहणु $ वलिउ पडीवउ राहव-साहणु
{प॰च॰६१,६.२} णं उच्छल्लिउ खय-सायर-जलु $ आहय-तूर-णिवहु किय-कलयलु
{प॰च॰६१,६.३} उब्भिय-कणय-दण्डु धुय-धयवडु $ उद्ध-सोण्ड-उद्धङ्कुस-गय-घडु
{प॰च॰६१,६.४} जुत्त-तुरङ्गम-वाहिय-सन्दणु $ जाउ पडीवउ भड-कडमद्दणु
{प॰च॰६१,६.५} धाइय णरवर णरवर-विन्दह्ũ $ सीहह्ũ सीह गइन्द गइन्दह्ũ
{प॰च॰६१,६.६} रहियह्ũ रहिय धयग्ग धयग्गह्ũ $ रह रहवरह्ũ तुरङ्ग तुरङ्गह्ũ
{प॰च॰६१,६.७} धाणुक्कियह्ũ भिडिय धाणुक्किय $ फारक्कियह्ũ पवर फारक्किय
{प॰च॰६१,६.८} असिवर-हत्था असिवर-हत्थह्ũ $ एम्व हूअ किलिविण्डि समत्थह्ũ

घत्ता॒

{प॰च॰६१,६.९} दुग्घोट्ट-थट्ट-सङ्घट्टण $ पाडिय-मुह-वड पडिय-गुड
अड्डाउह अवसरेॅ फिट्टऍ $ वालालुञ्जि करन्ति भड


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक ७॒


{प॰च॰६१,७.१} किय-कुरुड-भिउडि-भड-भासुराइँ $ पहरन्ति परोप्परु णिट्ठुराइँ
{प॰च॰६१,७.२} उभय-वलइँ रुहिर-जलोल्लियाइँ $ तम्मिच्छ-वणइँ णं फुल्लियाइँ
{प॰च॰६१,७.३} एत्थन्तरेॅ जण-मण-भाविणीउ $ कलहन्ति गयणेॅ सुर-कामिणीउ
{प॰च॰६१,७.४} "हलेॅ वासवयत्तेॅ वसन्तलेहेॅ $ हलेॅ कामसेणेॅ हलेॅ कामलेहेॅ
{प॰च॰६१,७.५} हलेॅ कुसुम-मणोहरि हलेॅ अणङ्गेॅ $ चित्तङ्गेॅ वरङ्गणेॅ हलेॅ वरङ्गेॅ
{प॰च॰६१,७.६} जो दीसइ रणउहेॅ सुहडु एहु $ कण्णिय-खुरुप्प-कप्परिय-देहु
{प॰च॰६१,७.७} सव्वउ मिलेवि ऍहु मज्झु देहु $ रणेॅ अण्णु गवेसवि तुम्हेॅ लेहु"
{प॰च॰६१,७.८} अण्णेक्कऍ हरिसिय-गत्तियाऍ $ पभणिउ पप्फुल्लिय-वत्तियाऍ

घत्ता॒

{प॰च॰६१,७.९} "जो दन्ति-दन्तेॅ आलग्गेॅवि $ उरु भिन्दाविउ अप्पणउ
हलेॅ धावहि काइँ गहिल्लिऍ $ ऍहु भत्तारु महु त्तणउ


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक ८॒


{प॰च॰६१,८.१} जाम्व वोल्ल सुर-कामिणि-सत्थहेॅ $ ताव वलेण समरेॅ काकुत्थहेॅ
{प॰च॰६१,८.२} भग्गु असेसु वि रावण-साहणु $ वियलिय-पहरणु गलिय-पसाहणु
{प॰च॰६१,८.३} विहुणियकर-मुह-कायर-णरवरु $ वुण्ण-तुरङ्गमु मोडिय-रहवरु
{प॰च॰६१,८.४} चत्तछत्त-आमेल्लिय-धयवडु $ गरुय-घाय-कडुवाविय-गय-घडु
{प॰च॰६१,८.५} जं णासन्तु पदीसिउ पर-वलु $ राहव-पक्खिएहिॅ किउ कलयलु
{प॰च॰६१,८.६} "हलेॅ हलेॅ वारवार जं वण्णहि $ जेण समाणु अण्णु णउ मण्णहि
{प॰च॰६१,८.७} तं वलु पेक्खु पेक्खु भज्जन्तउ $ णं उववणु दुव्वाएं छित्तउ
{प॰च॰६१,८.८} णं सज्जण-कुडुम्वु खल-सङ्गें $ णाइँ कुमुणिवर-चित्तु अणङ्गें

घत्ता॒

{प॰च॰६१,८.९} रिउ-हरिण-जूहु हिण्डन्तउ $ पुण्णहिॅ कह व समावडिउ
णासेप्पिणु कहिॅ जाएसइ $ राहव-सीहहेॅ कमेॅ पडिउ


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक ९॒


{प॰च॰६१,९.१} एत्थन्तरेॅ वलेॅ मम्भीस देवि $ वित्थक्का हत्थ-पहत्थ वे वि
{प॰च॰६१,९.२} णं पलऍ समुट्ठिय चन्द-सूर $ णं राहु-केउ अच्चन्त-कूर
{प॰च॰६१,९.३} णं पलय-हुआसण पवण-चण्ड $ णं मत्त महग्गय गिल्ल-गण्ड
{प॰च॰६१,९.४} णं सीह समुद्धूसिय-सरीर $ णं खय-जलणिहि गम्भीर धीर
{प॰च॰६१,९.५} दुव्वार-वइरि-सङ्घारणेहिॅ $ उत्थरियाणेऍहिॅ पहरणेहिॅ
{प॰च॰६१,९.६} अग्गेऍहिॅ वारुण-वायवेहिॅ $ सिल-पाहण-पव्वय-पायवेहिॅ
{प॰च॰६१,९.७} जहिॅ जहिॅ भिडन्ति तहिॅ मणेॅ विसण्णु $ साहारु ण वन्धइ राम-सेण्णु
{प॰च॰६१,९.८} विहडप्फडु णासइ पाण लेवि $ तहिॅ अवसरेॅ थिय णल-णील वे वि

घत्ता॒

{प॰च॰६१,९.९} णं पवर-गइन्दु गइन्दहेॅ $ सीहहेॅ सीहु समावडिउ
णलु हत्थहेॅ णीलु पहत्थहेॅ $ सरहस-पहरणु अब्भिडिउ


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक १०॒


{प॰च॰६१,१०.१} णल-हत्थ वे वि रणेॅ ओवडिया $ वेण्णि वि गय-सन्दणेहिॅ चडिया
{प॰च॰६१,१०.२} वेण्णि वि अभङ्ग-मायङ्ग-धया $ वेण्णि वि सुपसिद्ध लद्ध-विजय
{प॰च॰६१,१०.३} वेण्णि वि भिउडी-भङ्गुर-वयणा $ वेण्णि वि गुञ्जाहल-सम-णयणा
{प॰च॰६१,१०.४} वेण्णि वि पचण्ड-कोवण्ड-धरा $ वेण्णि वि अणवरय-विमुक्क-सरा
{प॰च॰६१,१०.५} वेण्णि वि धणु-विण्णाणन्त-गया $ वेण्णि वि सयवारोच्छिण्ण-धया
{प॰च॰६१,१०.६} वेण्णि वि समरङ्गणेॅ दुव्विसहा $ वेण्णि वि सयवार-हूय-विरहा
{प॰च॰६१,१०.७} वेण्णि वि थिय अहिणव-रहवरेहिॅ $ वेण्णि वि पोमाइय सुरवरेहिॅ
{प॰च॰६१,१०.८} वेण्णि वि णीसन्दण पुणु वि किया $ वेण्णि वि विमाण-वाहणेॅहिॅ थिया

घत्ता॒

{प॰च॰६१,१०.९} वेण्णि वि करन्ति रणेॅ णिक्कउ $ पहु-सम्माण-दाण-रिणहेॅ
पडिपहरेॅ पहरेॅ णिवडन्तऍ $ वेण्णि वि णामु लेन्ति जिणहेॅ


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक ११॒


{प॰च॰६१,११.१} एत्थन्तरेॅ आयामिय-णलेण $ पय-भारक्कन्त-रसायलेण
{प॰च॰६१,११.२} हय-तूर-पउर-किय-कलयलेण $ ओरसिय-सङ्ख-दडि-काहलेण
{प॰च॰६१,११.३} हरिणिन्द-रुन्द-कडि-कडियलेण $ सुन्दर-रङ्खोलिर-मेहलेण
{प॰च॰६१,११.४} दिढ-कढिण-वियड-वच्छत्थलेण $ पारोह-सोह-सम-भुअवलेण
{प॰च॰६१,११.५} छण-चन्द-रुन्द-मुह-मण्डलेण $ घोलन्त-कण्ण-मणिकुण्डलेण
{प॰च॰६१,११.६} तोणीरहेॅ रावण-किङ्करेण $ कड्ढिउ भड-भिउडि-भयङ्करेण
{प॰च॰६१,११.७} विउरुव्वण-सरु रणेॅ दुण्णिवारु $ गुण-सन्धिय-मेत्तउ सय-पयारु
{प॰च॰६१,११.८} आमेल्लिज्जन्तु सहास-भेउ $ थोवन्तरेॅ णवर अलद्ध-छेउ

घत्ता॒

{प॰च॰६१,११.९} जलेॅ थलेॅ पायालेॅ णहङ्गणेॅ $ वाण-णिवहु सन्दरिसियउ
रिउ-जलहरु सर-धाराहरु $ णल-कुलपव्वऍ वरिसियउ


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक १२॒


{प॰च॰६१,१२.१} तं हत्थहेॅ केरउ वाण-जालु $ पूरन्तु असेसु दियन्तरालु
{प॰च॰६१,१२.२} आयामेॅवि णलेॅण दुदरिसणेण $ आकरिसिउ सरेॅणाकरिसणेण
{प॰च॰६१,१२.३} धारा-तिमिरु व किरणायरेण $ मीणत्थें जगु व सणिच्छरेण
{प॰च॰६१,१२.४} दहिमुह-पुरेॅ रिसि-कण्णोवसग्गेॅ $ हणुवेण व सायर-जलु ख-मग्गेॅ
{प॰च॰६१,१२.५} अण्णेक्कें वाणें छिण्णु चिन्धु $ अण्णेक्कें रिउ वच्छयलेॅ विद्धु
{प॰च॰६१,१२.६} विहलङ्घलु महियलेॅ पडिउ हत्थु $ णं दहवयणहेॅ जेवणउ हत्थु
{प॰च॰६१,१२.७} एत्तहेॅ वि वे वि रण-भर-समत्थ $ ओवडिय भिडिय णील-प्पहत्थ
{प॰च॰६१,१२.८} वेण्णि वि स-रोस वेण्णि वि पचण्ड $ वेण्णि वि गञ्जोल्लिय-वाहुदण्ड

घत्ता॒

{प॰च॰६१,१२.९} पच्चारिउ णीलु पहत्थेॅण $ "पहरु पहरु एक्कहेॅ जणहेॅ
जय-लच्छि देउ आलिङ्गणु $ जिम रामहेॅ जिम रामणहेॅ"


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक १३॒


{प॰च॰६१,१३.१} एत्थन्तरेॅ णीलें ण किउ खेउ $ णाराउ विसज्जिउ चण्ड-वेउ
{प॰च॰६१,१३.२} गुण-धम्मामेल्लिउ चलिउ केम $ विन्धणउ सहावें पिसुणु जेम्व
{प॰च॰६१,१३.३} सो एन्तु पहत्थें कुद्धएण $ करिवर-सन्दणेॅण करि-द्धएण
{प॰च॰६१,१३.४} छक्कण्डइँ किउ छहिॅ सरवरेहिॅ $ णं महियलु आगमेॅ मुणिवरेहिॅ
{प॰च॰६१,१३.५} चउवीस णवर णीलेण मुक्क $ एक्केक्कहेॅ वे वे वाण ढुक्क
{प॰च॰६१,१३.६} विहिॅ करि कप्परिय समोत्थरन्त $ विहिॅ सारहि विहिॅ धय थरहरन्त
{प॰च॰६१,१३.७} रहु एक्कें एक्कें कवउ छिण्णु $ धउ एक्कें एक्कें हियउ भिण्णु
{प॰च॰६१,१३.८} विहिॅ वाहु-दण्ड विहिॅ विलुअ पाय $ एवं तहेॅ मरणावत्थ जाय

घत्ता॒

{प॰च॰६१,१३.९} सिर-कम-करोरु छक्कण्डइँ $ जाउ सिलीमुह-कप्परिउ
लक्खिज्जइ सुहडु पडन्तउ $ णं भूअहँ वलि विक्खिरिउ


कण्ड ४, संधि ६१, कडवक १४॒


{प॰च॰६१,१४.१} जं विणिहय हत्थ-पहत्थ वे वि $ थिउ रावणु मुहेॅ कर-कमलु देवि
{प॰च॰६१,१४.२} णं मत्त-महागउ गय-विसाणु $ णं वासरेॅ तेय-विहीणु भाणु
{प॰च॰६१,१४.३} णं णी-ससि-सूरउ गयण-मग्गु $ णं इन्द-पडिन्द-विमुक्कु सग्गु
{प॰च॰६१,१४.४} णं मुणिवरु इह-पर-लोय-चुक्कु $ णं कुकइ-कव्वु लक्खण-विमुक्कु
{प॰च॰६१,१४.५} थिउ वलु वि णिरुज्जमु गलिय-गाउ $ राहव-वलु परिवद्धिय-पयावु
{प॰च॰६१,१४.६} एत्तहेॅ स-पडह णीसद्द सङ्ख $ एत्तहेॅ अप्फालिय तूर-लक्ख
{प॰च॰६१,१४.७} एत्तहेॅ वलेॅ हाहाकारु सुट्ठु $ एत्तहेॅ पुणु जयजय-सद्दु घुट्ठु
{प॰च॰६१,१४.८} एत्तहेॅ वि गयणेॅ अत्थमिउ मित्तु $ णं हत्थ-पहत्थहँ तणउ मित्तु

घत्ता॒

{प॰च॰६१,१४.९} जुज्झन्तइँ वेण्णि वि सेण्णइँ $ रयणिऍ णाइँ णिवारियइँ
भूऍहिॅ स इँ भू अ-सहासइँ $ रणेॅ भोयणेॅ हक्कारियइँ



[६२. बासट्ठिमो संधि] ----------



पाडिऍ हत्थेॅ पहत्थेॅ $ वलइँ वे वि परियत्तइँ
णाइँ समत्तऍ कज्जेॅ $ मिहुणइँ णिसुढिय-गत्तइँ


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक १॒


{प॰च॰६२,१.१} गऍ रावणेॅ णिय-मन्दिरेॅ पइट्ठेॅ $ हरि-हलहरेॅ रण-वाहिरेॅ णिविट्ठेॅ
{प॰च॰६२,१.२} तहिॅ अवसरेॅ जग-वित्थिण्ण-णामु $ जोक्कारिउ णल-णीलेहिॅ रामु
{प॰च॰६२,१.३} तेण वि वहु-रयण-समुज्जलाइँ $ दिण्णइँ णीलहेॅ मणि-कुण्डलाइँ
{प॰च॰६२,१.४} इयरहेॅ वि मउडु मणि-तेय-भिण्णु $ जो रामउरिहिॅ जक्खेण दिण्णु
{प॰च॰६२,१.५} जं वे वि पपुज्जिय राहवेण $ पञ्चङ्गु वूहु किउ जम्ववेण
{प॰च॰६२,१.६} णर दाहिणेण हय उत्तरेण $ गय पुव्वें रह अवरत्तणेण
{प॰च॰६२,१.७} विरइयइँ विमाणइँ गयण-मग्गेॅ $ थिय हरि-हलहर सीहासणग्गेॅ
{प॰च॰६२,१.८} देवहु मि अच्छेउ अभेउ वूहु $ णं थिउ मिलेवि पञ्चमुहु जूहु

घत्ता॒

{प॰च॰६२,१.९} ताव रणङ्गण-मज्झेॅ $ पुणु पुणु सिव फेक्कारइ
"रामण दुज्जउ रामु" $ णाइँ समासऍ वारइ


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक २॒


{प॰च॰६२,२.१} कत्थ वि सिव का वि कलुणु लवइ $ "रणु थोवउ जइ अण्णु वि हवइ"
{प॰च॰६२,२.२} कत्थ वि सिव का वि समल्लियइ $ णं जोअइ "को मुउ को जियइ
{प॰च॰६२,२.३} कत्थ वि सिव सुहडहेॅ डीण सिरेॅ $ विवरोक्खऍ अण्णुऍ भुत्ति करेॅ
{प॰च॰६२,२.४} कत्थ वि सिव चुम्वइ मुह-कमलु $ णं पोढ-विलासिणि अहर-दलु
{प॰च॰६२,२.५} कत्थ वि सिव भडहेॅ लेइ हियउ $ पुणु मेल्लइ "मरु अण्णहेॅ हियउ"
{प॰च॰६२,२.६} कत्थ वि रणेॅ भूअह्ũ कलहणउ $ "सिरु तुज्झु कवन्धु महु त्तणउ"
{प॰च॰६२,२.७} अब्भिडइ अण्णु अण्णेण सह्ũ $ "ऍउ भडु आवग्गउ देहि महु"
{प॰च॰६२,२.८} अण्णें वुच्चइ "कण्डु वि ण तउ $ छुडु एक्कु गासु महु होउ गउ"
घत्ता॒

{प॰च॰६२,२.९} भूअह्ũ भोअण-लील $ रामहेॅ वयणु समुज्जलु
सीयहेॅ मणेॅ परिओसु $ णिसियर-वलहेॅ अमङ्गलु


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक ३॒


{प॰च॰६२,३.१} जं णिसुणिउ हत्थु पहत्थु हउ $ णल-णील-सरेॅहिॅ तम्वारु गउ
{प॰च॰६२,३.२} तं पलय-कालु ओवत्थियउ $ पुरेॅ हाहाकारु समुत्थियउ
{प॰च॰६२,३.३} णं पक्खिउलेण विमुक्क रडि $ णं णिवडिय महिहर-सिहरेॅ तडि
{प॰च॰६२,३.४} तं णउ घरु जेत्थु ण रुवइ धण $ उब्भिय-कर धाहाविय-वयण
{प॰च॰६२,३.५} सो णउ भडु जासु ण अङ्गेॅ वणु $ सो णउ पहु जो णउ विमण-मणु
{प॰च॰६२,३.६} सो णउ रहु जो ण वि कप्पियउ $ सो णउ हउ जो ण वि सर-भरिउ
{प॰च॰६२,३.७} सो ण वि गउ जासु ण असि-पहरु $ सो ण वि हरि जो अभग्ग-णहरु
{प॰च॰६२,३.८} जणेॅ एम कणन्तेॅ परिट्ठियऍ $ दुक्खाउरेॅ णिद्दा-वसिकियऍ

घत्ता॒

{प॰च॰६२,३.९} अद्धरत्तेॅ पडिवण्णेॅ $ विज्जाहर-परमेसरु
पुरेॅ पच्छण्ण-सरीरु $ भमइ णाइँ जोगेसरु


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक ४॒

{प॰च॰६२,४.१} पप्फुलिय-कुवलय-दल-णयणु $ करवाल-भयङ्करु दहवयणु
{प॰च॰६२,४.२} आहिण्डइ रयणिहिॅ घरेॅण घरु $ पेक्खह्ũ को केहउ चवइ णरु
{प॰च॰६२,४.३} पइसइ अच्चन्त-मणोहरइँ $ पवरइँ वर-कामिणि-रइहरइँ
{प॰च॰६२,४.४} जहिॅ सुरयारम्भु णट्ट-सरिसु $ जिह तं तिह तिं (?) वड्ढिय-हरिसु
{प॰च॰६२,४.५} जिह तं तिह भू-भङ्गुर-वयणु $ जिह तं तिह चल-चालिय-णयणु
{प॰च॰६२,४.६} जिह तं तिह आयड्ढिय-णहरु $ जिह तं तिह उग्गामिय-पहरु
{प॰च॰६२,४.७} जिह तं तिह गल-गम्भीर-सरु $ जिह तं तिह दरिसिय-अङ्गहरु
{प॰च॰६२,४.८} जिह तं तिह करण-वन्ध-पउरु $ जिह तं तिह छन्द-सद्द-गहिरु

घत्ता॒

{प॰च॰६२,४.९} पेक्खेॅवि सुरयारम्भु $ णट्टहेॅ अणुहरमाणउ
सीय सरेवि दसासु $ परिणिन्दइ अप्पाणउ


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक ५॒

{प॰च॰६२,५.१} थोवन्तरु जाव परिब्भमइ $ सह्ũ कन्तऍ को वि वीरु चवइ
{प॰च॰६२,५.२} "सुन्दरि मिग-णयणेॅ मराल-गइ $ तं पहु-पसाउ किं वीसरइ
{प॰च॰६२,५.३} तं पेसणु तं ओलग्गियउ $ तं जीविय-दाणु अमग्गियउ
{प॰च॰६२,५.४} तं उच्चासणु मणि-वेयडिउ $ तं मत्त-गइन्द-खन्धेॅ चडिउ
{प॰च॰६२,५.५} तं मेहलु तं कण्ठाहरणु $ तं चेलिउ तं जेॅ समालहणु
{प॰च॰६२,५.६} तं फुल्लु सहत्थें तम्वोलु $ तं असणु सु-परिमलु कच्चोलु
{प॰च॰६२,५.७} तं चीरु भारु चामीयरहेॅ $ अवर वि पसाय लङ्केसरहेॅ
{प॰च॰६२,५.८} एयह्ũ जसु एक्कु ण आवडइ $ सो सत्तमेॅ णरयण्णवेॅ पडइ

घत्ता॒

{प॰च॰६२,५.९} तहेॅ उवगारहेॅ कन्तेॅ $ णिक्कउ करमि महाहवेॅ
लावमि वण्ण-विचित्त $ थरहरन्त सर राहवेॅ"


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक ६॒


{प॰च॰६२,६.१} तं णिसुणेॅवि गउ रावणु तेत्तहेॅ $ मन्दोअरि-जणेरु मउ जेत्तहेॅ
{प॰च॰६२,६.२} जाल-गवक्खऍ थिउ एक्कन्तऍ $ णिसुउ चवन्तु सो वि सह्ũ कन्तऍ
{प॰च॰६२,६.३} "धणेॅ विहाणेॅ मइँ एउ करेवउ $ तं वड्डु प्फर-जूउ रमेवउ
{प॰च॰६२,६.४} दारुणु रण-कडित्तु मण्डेवउ $ जीविउ विसरिसु ठउलु ठवेवउ
{प॰च॰६२,६.५} चाउरङ्गु वलु चउ-धुर देवी $ जाणइ खडिया-जुत्ति लएवी
{प॰च॰६२,६.६} पडिकत्तउ रहवर ताडेवा $ हय-गय-जोह-छोह पाडेवा
{प॰च॰६२,६.७} खग्ग-लट्ठि करेॅ कत्ति करेवी $ जयसिरि-लीह दीह कड्ढेवी
{प॰च॰६२,६.८} सुहड-कवन्धु लेक्खु पिण्डेवउ $ जीवगाहि रिउ-गहणु लएवउ

घत्ता॒

{प॰च॰६२,६.९} दण्डासहिउ कियन्तु $ लुहउ लीह पिसुण-यणहेॅ
पर-वलु जिणेॅवि असेसु $ अप्पेवउ दहवयणहेॅ"


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक ७॒


{प॰च॰६२,७.१} तं णिसुणेॅवि रावणु तुट्ठ-मणु $ सञ्चल्लिउ मारिच्चहेॅ भवणु
{प॰च॰६२,७.२} पच्छण्णु परिट्ठिउ पवर-भुउ $ सह्ũ कन्तऍ सो वि चवन्तु सुउ
{प॰च॰६२,७.३} "कल्लऍ सोणिय-सम्मज्जणऍ $ पइसेवउ मइँ रण-मज्जणऍ
{प॰च॰६२,७.४} रह-गय-वड्ढिय-गन्धामलऍ $ वर-असिवर-कङ्का-थामलऍ
{प॰च॰६२,७.५} णरवर-विहुरङ्ग-भङ्ग-करणेॅ $ जस-उव्वट्टणेॅ वहु-मल-हरणेॅ
{प॰च॰६२,७.६} जयलच्छि-हरिद्द-विहूसियऍ $ समरङ्गणेॅ कुण्ड-पदीसियऍ
{प॰च॰६२,७.७} परवल-जलोहेॅ मेलावियऍ $ पहरण-दवग्गि-सन्तावियऍ
{प॰च॰६२,७.८} भूगोयर-रुहिर-तोअ-भरिऍ $ असिधारा-णियरेॅ पवित्थरिऍ

घत्ता॒

{प॰च॰६२,७.९} वइसेॅवि करि-सिर-वीढेॅ $ ण्हामि परऍ णीसङ्कउ
जेण ण ढुक्कइ कन्तेॅ $ जम्मेॅवि अयस-कलङ्कउ"


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक ८॒


{प॰च॰६२,८.१} तं णिसुणेवि वयणु अदयावणु $ सुअ-सारणहँ घरइँ गउ रावणु
{प॰च॰६२,८.२} एक्कें वुत्तु पुरउ णिय-भज्जहेॅ $ "कल्लऍ चडमि कन्तेॅ रण-सेज्जहेॅ
{प॰च॰६२,८.३} भुअण-त्तयहेॅ मज्झेॅ विक्खायहेॅ $ चाउरङ्ग-साहण-चउपायहेॅ
{प॰च॰६२,८.४} गयवर-गत्त-पईहर-गत्तहेॅ $ अन्त-ललन्त-सुम्व-सञ्जुत्तहेॅ
{प॰च॰६२,८.५} हड्ड-रुण्ड-विच्छड्डत्थरियहेॅ $ करि-कुम्भोवहाण-वित्थरियहेॅ
{प॰च॰६२,८.६} जस-वडाय-हत्थिणिया-रूढहेॅ $ वारण-मत्तवारणालीढहेॅ"
{प॰च॰६२,८.७} अण्णेक्केण वुत्तु "सुणु सुन्दरि $ गुरु-णियम्वेॅ वियड-उरेॅ किसोअरि
{प॰च॰६२,८.८} रहवर-गयवर-णरवर-वलियहेॅ $ धय-तोरणहेॅ समर-वाहलियहेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६२,८.९} असि-चोवाण लएवि $ हणुहणुकारु करेवउ
कल्लऍ सुहड-सिरेहिॅ $ मइँ झिन्दुऍण रमेवउ"


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक ९॒


{प॰च॰६२,९.१} दुव्वार-वइरि-विणिवारणह्ũ $ तं वयणु सुणेॅवि सुअ-सारणह्ũ
{प॰च॰६२,९.२} स-कलत्तहेॅ गहिय-पसाहणहेॅ $ गउ मन्दिरु तोयदवाहणहेॅ
{प॰च॰६२,९.३} थिउ जाल-गवक्खऍ वइसरेॅवि $ णं केसरि गिरि-गुह पइसरेॅवि
{प॰च॰६२,९.४} णिय-णन्दणु गलगज्जन्तु सुउ $ वयणुब्भडु रहसुब्भिण्ण-भुउ
{प॰च॰६२,९.५} "णिय लील कन्तेॅ तउ दक्खवमि $ हũ कल्लऍ रण-वसन्तु रवमि
{प॰च॰६२,९.६} रिउ-सोणिय-घुसिणें चच्चियउ $ सज्जण-चच्चरि-परिअञ्चियउ
{प॰च॰६२,९.७} जसु देमि विहज्जेॅवि सुरवरह्ũ $ जम-वरुण-कुवेर-पुरन्दरह्ũ
{प॰च॰६२,९.८} रावण-मण-णयण-सुहावणिय $ दावमि दणु-दवणा-भञ्जणिय

घत्ता॒

{प॰च॰६२,९.९} करि-कुम्भ-त्थल-वीढेॅ $ असि वार-त्ती सन्धमि
लक्खण-राम-सरेहिॅ $ धणेॅ हिंदोला वन्धमि"


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक १०॒


{प॰च॰६२,१०.१} तं वयणु सुणेॅवि घणवाहणहेॅ $
दुज्जयहेॅ अणिट्ठिय-साहणहेॅ
{प॰च॰६२,१०.२} गउ रावणु पर-मण-उद्दहणु $ जहिॅ जम्वुमालि पइजारुहणु
{प॰च॰६२,१०.३} तेण वि गलगज्जिउ गेहिणिहेॅ $ सीहेण व अग्गेॅ सीहिणिहेॅ
{प॰च॰६२,१०.४} "सुणु कन्तेॅ कल्लेॅ काइँ करमि $ जिह खय-पाउसु तिह उत्थरमि
{प॰च॰६२,१०.५} मज्जन्त-मत्त-मयगल-घणेॅहिॅ $ दडि-दद्दुर-भेरी-वरहिणेॅहिॅ
{प॰च॰६२,१०.६} वन्दिणेॅहिॅ लवन्तऍहिॅ वप्पिहेॅहिॅ $ पहरण-दुव्वाऍहिॅ वहु-विहेॅहिॅ
{प॰च॰६२,१०.७} रहवर-पवरब्भाडम्वरेॅहिॅ $ असिवर-विज्जुलेॅहिॅ भयङ्करेॅहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६२,१०.८} छत्त-वलाया-पन्ति $ धणु-सुरधणु दरिसन्तउ
वरिसमि सर-धारेहिॅ $ पर-वलेॅ पलउ करन्तउ"


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक ११॒


{प॰च॰६२,११.१} तं णिसुणेॅवि गउ लङ्केसु तहिॅ $ स-कलत्तउ इन्दइ-राउ जहिॅ
{प॰च॰६२,११.२} तेण वि गलगज्जिउ णिय-भवणेॅ $ णावइ खल-जलहरेण गयणेॅ
{प॰च॰६२,११.३} "हũ कल्लऍ पलय-हुआसु धणेॅ $ लग्गेसमि राहव-सेण्ण-वणेॅ
{प॰च॰६२,११.४} पहरण-सिप्पीर-पहर-पउरेॅ $ दुद्धर-णरवर-तरुवर-णियरेॅ
{प॰च॰६२,११.५} भुवदण्ड-चण्ड-जालोलि-धरेॅ $ करयल-पल्लव-णह-कुसुम-भरेॅ
{प॰च॰६२,११.६} मणहर-कामिणि-लय-वेल्लहलेॅ $ छत्त-द्धय-सुक्क-रुक्ख-वहलेॅ
{प॰च॰६२,११.७} हय-गय-वणयर-णाणाविहऍ $ रिउ-पाण-समुड्डाविय-विहऍ
{प॰च॰६२,११.८} उत्तट्ठ-तुरङ्गम-हरिण-हरेॅ $ हरि-हलहर-वर-पव्वय-सिहरेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६२,११.९} तहिॅ हũ पलय-दवग्गि $ कल्लऍ वणेॅ लग्गेसमि
पर-वल-काणणु सव्वु $ छारहेॅ पुञ्जु करेसमि"


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक १२॒


{प॰च॰६२,१२.१} तं वयणु सुणेॅवि सञ्चल्लु तहिॅ $ भडु कुम्भयण्णु णिय-भवणेॅ जहिॅ
{प॰च॰६२,१२.२} तेण वि पवुत्तु "हे हंसगइ $ कल्लऍ रण-णहयलेॅ भाणुवइ
{प॰च॰६२,१२.३} दुप्पेक्खु भयङ्करु दुप्पगउ $ सइँ होसमि जोइस-चक्कु हũ
{प॰च॰६२,१२.४} करिकुम्भ-कुम्भु कोवण्ड-धणु $ दुव्वार-वार-वारुव्वहणु
{प॰च॰६२,१२.५} णरवर-णक्खत्तु गइन्द-गहु $ भड-रुण्ड-कण्ड-रासी-णिवहु
{प॰च॰६२,१२.६} अब्भिट्ट-जोह-सामन्त-दिणु $ सिरिदिट्ठ(?)-गयासणि-दड्ढ-दिणु
{प॰च॰६२,१२.७} साहण-उत्तर-दाहिण-अयणु $ अण्णण्ण-महारह-सङ्कमणु
{प॰च॰६२,१२.८} दहमुह-विडप्प-आरुट्ठ-मणु $ हरि-हलहर-चन्द-सूर-गहणु

घत्ता॒

{प॰च॰६२,१२.९} रह गय हय घट्टन्तु $ हũ पुणु कहि मि ण सण्ठमि
सव्वहेॅ पलउ करन्तु $ धूमकेउ जिह उट्ठमि"


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक १३॒

{प॰च॰६२,१३.१} भड-वोक्कउ णिसुणेॅवि दहवयणु $ हरिसिय-भुउ पप्फुल्लिय-णयणु

{प॰च॰६२,१३.२} अप्पउ सिङ्गारेॅवि णीसरिउ $ लहु णिय-अन्तेउरेॅ पइसरिउ
{प॰च॰६२,१३.३} णेउर-झङ्कार-घोर-सरऍ $ कञ्ची-कलाव-रङ्खोलिरऍ
{प॰च॰६२,१३.४} मणि-कडय-मउड-चूडाहरणेॅ $ सिय-हार-फार-भारुव्वहणेॅ
{प॰च॰६२,१३.५} कुण्डल-केऊर-विहूसियऍ $ विब्भम-विलास-अहिविलसियऍ
{प॰च॰६२,१३.६} ससि-मुहेॅ मिग-णयणेॅ हंस-गमणेॅ $ णं भसलु पइट्ठउ भिसिणि-वणेॅ
{प॰च॰६२,१३.७} चुम्वन्तु वराणण-सयदलइँ $ कप्पूर-दूरगय-परिमलइँ
{प॰च॰६२,१३.८} उक्कोवण-केसर-णियर-वसु $ गेण्हन्तउ रय-मयरन्द-रसु
{प॰च॰६२,१३.९} पहु एमन्तेउरेॅ परिभमिउ $ सुविहाणु भाणु ता उग्गमिउ

घत्ता॒

{प॰च॰६२,१३.१०} हत्थ-पहत्थह्ũ जुज्झेॅ $ भड-मडएहिॅ ण धाइउ
णाइँ पडीवउ कालु $ भोयण-कङ्खऍ आइउ


कण्ड ४, संधि ६२, कडवक १४॒


{प॰च॰६२,१४.१} जेहिॅ जेहिॅ रयणिहिॅ गलगज्जिउ $ जेहिॅ जेहिॅ णिय-कज्जु विवज्जिउ
{प॰च॰६२,१४.२} जेहिॅ जेहिॅ लङ्काहिउ इच्छिउ $ जेहिॅ जेहिॅ रण-भारु पडिच्छिउ
{प॰च॰६२,१४.३} ताहँ ताहँ पप्फुल्लिय-वयणें $ पेसिय णिय पसाय दहवयणें
{प॰च॰६२,१४.४} कासु वि कुण्डल-जुअलु णिउत्तउ $ कहेॅ वि कडउ कण्ठउ कडीसुत्तउ
{प॰च॰६२,१४.५} कहेॅ वि मउडु कासु वि चूडामणि $ कहेॅ वि माल कासु वि इन्दाइणि
{प॰च॰६२,१४.६} कहेॅ वि गइन्दु तुरङ्गमु कासु वि $ थोडउ कहेॅ वि दिणार-सहासु वि
{प॰च॰६२,१४.७} कहेॅ वि भारु तुल कहेॅ वि सुवण्णहेॅ $ अण्णहेॅ लक्ख कोडि पुणु अण्णहेॅ
{प॰च॰६२,१४.८} कहेॅ वि फुल्लु तम्वोलु स-हत्थें $ कहेॅ वि पसाहणु सह्ũ वर-वत्थें

घत्ता॒

{प॰च॰६२,१४.९} जे पट्ठविय पसाय $ ते णरवरेॅहिॅ पचण्डेॅहिॅ
णामेॅवि सिर-कमलाइँ $ लइय स इं भु अ-दण्डेॅहिॅ



[६३. तिसट्ठिमो संधि] ----------



रवि-उग्गमेॅ $ अहिणव-गहिय-पसाहणइँ
सण्णद्धइँ $ राम-दसाणण-साहणइँ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक १॒

{प॰च॰६३,१.१} सो णीसरिउ रामणो समउ साहणेणं $ रह-गय-तुरय-जोह-पञ्चमुह-वाहणेणं

{प॰च॰६३,१.२} पडु-पडह-सङ्ख-भेरी-रवेण $ कंसाल-ताल-दडि-रउरवेण
{प॰च॰६३,१.३} कोलाहल-काहल-णीसणेण $ पच्चविय-मउन्दा-भीसणेण
{प॰च॰६३,१.४} घुम्मुक्क-करड-टिविला-धरेण $ झल्लरि-रुञ्जा-डमरुअ-करेण
{प॰च॰६३,१.५} पडिढक्क-हुडुक्का-वज्जिरेण $ घुम्मन्त-मत्त-गय-गज्जिरेण
{प॰च॰६३,१.६} तण्डविय-कण्ण-विहुणिय-सिरेण $ गुमुगुमुगुमन्त-इन्दिन्दिरेण
{प॰च॰६३,१.७} पक्खरिय-तुरय-पवणुब्भडेण $ धूवंत-धवल-धुअ-धयवडेण
{प॰च॰६३,१.८} मण-गमणामेल्लिय-सन्दणेण $ जम-वरुण-कुवेर-विमद्दणेण
{प॰च॰६३,१.९} वन्दिण-जयकारुग्घोसिरेण $ सुरवहुअ-सत्थ-परिओसिरेण

घत्ता॒

{प॰च॰६३,१.१०} सह्ũ सेण्णेॅण $ सहइ दसाणणु णीसरिउ
छण-चन्दु व $ तारा-णियरें परियरिउ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक २॒

{प॰च॰६३,२.१} सण्णज्झन्ति जोह सण्णद्धए दसासे $ खुहिय-महोवहि व्व सु-समुट्ठिए विणासे

{प॰च॰६३,२.२} सण्णज्झइ सरहसु जम्वुमालि $ डिण्डिमु डामरु उड्डमरु मालि
{प॰च॰६३,२.३} सण्णज्झइ मउ मारीचि अण्णु $ इन्दइ घणवाहणु भाणुकण्णु
{प॰च॰६३,२.४} सण्णज्झइ जरु अहिमाण-खम्भु $ पञ्चमुहु णियम्वु सइम्भु सम्भु
{प॰च॰६३,२.५} सण्णज्झइ चन्दुद्दामु अक्कु $ धूमक्खु जयाणणु मयरु णक्कु
{प॰च॰६३,२.६} पडिवक्खेॅ वि सण्णज्झन्ति वीर $ अङ्गङ्गय-गवय-गवक्ख धीर
{प॰च॰६३,२.७} णल-णील-विराहिय-कुमुअ-कुन्द $ जम्वव-सुसेण-दहिमुह-महिन्द
{प॰च॰६३,२.८} तारावइ-तार-तरङ्ग-रम्भ $ सोमित्ति-हणुव अहिमाण-खम्भ
{प॰च॰६३,२.९} अक्कोस-दुरिय-सन्ताव-पहिय $ णन्दण-भामण्डल राम-सहिय

घत्ता॒

{प॰च॰६३,२.१०} सण्णद्धइँ $ एम राम-रावण-वलइँ
आलग्गइँ $ णं खय-कालेॅ उवहि-जलइँ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक ३॒

{प॰च॰६३,३.१} भिडियइँ वे वि सेण्णइं जाउ जुज्झु घोरो $ कुण्डल-कडय-मउड-णिवडन्त-कणय-दोरो

{प॰च॰६३,३.२} हणहणहणकारु महा-रउद्दु $ छणछणछणन्त-गुण-सिन्थ-सद्दु
{प॰च॰६३,३.३} करकरयरन्त-कोदण्ड-पयरु $ थरथरहरन्त-णाराय-णियरु
{प॰च॰६३,३.४} खणखणखणन्त-तिक्खग्ग-खग्गु $ हिलिहिलिहिलन्त-हय-चञ्चलग्गु
{प॰च॰६३,३.५} गुलुगुलुगुलन्त-गयवर-विसालु $ हणुहणु-भणन्त-णरवर-वमालु
{प॰च॰६३,३.६} पुप्फस-वस-णिग्गन्तन्त-मालु $ धावन्त-कलेवर-सव-करालु
{प॰च॰६३,३.७} झलझलझलन्त-सोणिय-पवाहु $ छिज्जन्त-चलण-तुट्टन्त-वाहु
{प॰च॰६३,३.८} णिवडन्त-सीसु णच्चन्त-रुण्डु $ ओणल्ल-तुरय-धय-छत्त-दण्डु
{प॰च॰६३,३.९} तहिॅ तेहऍ रणेॅ रण-भर-समत्थु $ राहव-किङ्करु वर-चाव-हत्थु

घत्ता॒

{प॰च॰६३,३.१०} सीहद्धउ $ धवल-सीह-सन्दणेॅ चडिउ
सन्तावणु $ सह्ũ मारिच्चें अब्भिडिउ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक ४॒

{प॰च॰६३,४.१} वेण्णि वि सीह-सन्दणा वे वि सीह-चिन्धा $ वेण्णि वि चाव-करयला वे वि जगेॅ पसिद्धा

{प॰च॰६३,४.२} वेण्णि वि जस-लुद्ध विरुद्ध कुद्ध $ वेण्णि वि वंसुज्जल कुल-विसुद्ध
{प॰च॰६३,४.३} वेण्णि वि सुरवहु-आणन्द-जणण $ वेण्णि वि सत्तुत्तम सत्तु-हणण
{प॰च॰६३,४.४} वेण्णि वि रण-धुर-धोरिय महन्त $ वेण्णि वि जिण-सासणेॅ भत्तिवन्त
{प॰च॰६३,४.५} वेण्णि वि दुज्जय जय-सिरि-णिवास $ वेण्णि वि पणई-यण-पूरियास
{प॰च॰६३,४.६} वेण्णि वि णिसियर-णरवर-वरिट्ठ $ वेण्णि वि राहव-रावणहँ इट्ठ
{प॰च॰६३,४.७} वेण्णि वि जुज्झन्ति सिलीमुहेहिॅ $ णं गिरि अवरोप्परु सरि-मुहेहिॅ
{प॰च॰६३,४.८} मारिच्चहेॅ भय-भीसावणेण $ धणु छिण्णु णवर सन्तावणेण
{प॰च॰६३,४.९} तेण वि तहेॅ चिर-पेसिय-सरेहिॅ $ संसारु व परम-जिणेसरेहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६३,४.१०} विहिं मि रणेॅ $ णिय-णिय-चावइँ चत्ताइँ
सप्पुरिसेॅहिॅ $ णं णिग्गुणइँ कलत्ताइँ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक ५॒

{प॰च॰६३,५.१} घत्तेॅवि धणुवराइँ लइओ गयासणीओ $ णाइँ कयन्त-दाढओ जग-विणासणीओ

{प॰च॰६३,५.२} णं पिसुण-मइउ दप्पुब्भडाउ $ णं असइउ पर-णर-लम्पडाउ
{प॰च॰६३,५.३} णं कुगइउ भय-भीसावणाउ $ णं दुम्महिलउ कलहणा-मणाउ
{प॰च॰६३,५.४} णं दिट्ठिउ काल-सणिच्छराहँ $ णं कुहिणिउ दूसंवच्छराहँ
{प॰च॰६३,५.५} णं दित्तिउ पलय-दिवायराहँ $ णं वीचिउ खय-रयणायराहँ
{प॰च॰६३,५.६} तिह लउडिउ भिउडि-भयङ्कराहँ $ दासरहि-दसाणण-किङ्कराहँ
{प॰च॰६३,५.७} रेहन्ति करेॅहिॅ रयणुज्जलाउ $ णं मेह-णियम्वेॅहिॅ विज्जुलाउ
{प॰च॰६३,५.८} मुच्चन्तिउ सङ्घट्टन्ति केम्व $ गह-घट्टणेॅ गह-पन्तीउ जेम्व
{प॰च॰६३,५.९} णहेॅ अमर-विमाणइँ सङ्कियाइँ $ गय-घाय-दवग्गि-तिडिक्कियाइँ

घत्ता॒

{प॰च॰६३,५.१०} मारिच्चेॅण $ स-रहु स-सारहि स-धउ हउ
सञ्चूरेॅवि $ हड्डहँ पोट्टलु णवर कउ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक ६॒

{प॰च॰६३,६.१} पाडिऍ राम-किङ्करेॅ रावण-किङ्करेणं $ सीहणियम्वु कोक्किओ पहिय-णरवरेणं

{प॰च॰६३,६.२} "मरु मरु जिह मणु सइयहेॅ वञ्छहि $ तिह रहु वाहि वाहि किं अच्छहि
{प॰च॰६३,६.३} जाणइ-णयणाणन्द-जणेरा $ कुद्ध पाय तउ राहव-केरा"
{प॰च॰६३,६.४} एम भणेवि सरासणि पेसिय $ असइ व सु-पुरिसेण परिसेसिय
{प॰च॰६३,६.५} तेण वि सरेॅहिॅ णिवारिय एन्ती $ णं पर-तिय आलिङ्गणु देन्ती
{प॰च॰६३,६.६} पुणु आयामेॅवि मुक्क महा-सिल $ णं पर-णरहेॅ पासेॅ गय कु-महिल
{प॰च॰६३,६.७} सीहणियम्वहेॅ लग्ग उर-थलेॅ $ णिवडिउ मुच्छा-वियलु रसायलेॅ
{प॰च॰६३,६.८} चेयण लहेॅवि पडीवउ उट्ठिउ $ णहयलेॅ धूमकेउ णं दुत्थिउ
{प॰च॰६३,६.९} कोव-हुवासण-धगधगमाणें $ पाहणु जोयणेक्क-परिमाणें

घत्ता॒

{प॰च॰६३,६.१०} आमेल्लिउ $ गउ णिय-वेआऊरियउ
तें घाऍण $ पहिउ स-रहवरु चूरियउ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक ७॒

{प॰च॰६३,७.१} पाडिऍ पहिय-णरवरे दणु-विमद्दणेणं $ जरु दहवयण-किङ्करो वरिउ णन्दणेणं

{प॰च॰६३,७.२} अब्भिट्टु जुज्झु जर-णन्दणाहँ $ अवरोप्परु वाहिय-सन्दणाहँ
{प॰च॰६३,७.३} सुरसुन्दरि-णयणाणन्दणाहँ $ विड-भड-थड-किय-कडमद्दणाहँ
{प॰च॰६३,७.४} सामिय-पसाय-सय-रिण-मणाहँ $ वन्दिय-जण-अणिवारिय-धणाहँ
{प॰च॰६३,७.५} कामिणि-घण-थण-परिचड्डणाहँ $ जयलच्छि-वहुअ-अवरुण्डणाहँ
{प॰च॰६३,७.६} पडिवक्ख-मडप्फर-भञ्जणाहँ $ जयवन्तहँ अयस-विसज्जणाहँ
{प॰च॰६३,७.७} णिय-सयण-मणोरह-पूरणाहँ $ उग्गामिय-कोन्त-प्पहरणाहँ
{प॰च॰६३,७.८} विज्जाहर-करणेॅहिॅ वावरेवि $ रुहिरारुणु दारुणु रणु करेवि
{प॰च॰६३,७.९} चल-चडुल-पवाहिय-सन्दणेण $ जरु कह वि किलेसें णन्दणेण

घत्ता॒

{प॰च॰६३,७.१०} णीसेसह्ũ $ सुरह्ũ णियन्तह्ũ गयण-यलेॅ
विणिवाइउ $ कोन्तेॅहिॅ भिन्देॅवि वच्छ-यलेॅ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक ८॒

{प॰च॰६३,८.१} पडिए जर-णराहिवे भीम-पहरणाह्ũ $ रणु आलग्गु घोरु अक्कोस-सारणाह्ũ

{प॰च॰६३,८.२} ते रामण-राम-भिच्च भिडिय $ णं मत्त महागय ओवडिय
{प॰च॰६३,८.३} णं सीह परोप्परु जणिय-कलि $ णं भरह-णराहिव-वाहुवलि
{प॰च॰६३,८.४} णं आसग्गीव-तिविट्ठ णर $ णं विडसुग्गीव-राम पवर
{प॰च॰६३,८.५} णं इन्द-पडिन्द विसुद्ध-मण $ णं ते वि पडीवा वे वि जण
{प॰च॰६३,८.६} अक्कोसें रोसें मुक्कु सरु $ णं जिणवरेण भव-गहण-डरु
{प॰च॰६३,८.७} मउडग्गेॅ लग्गु तहेॅ सारणहेॅ $ णं कुम्भेॅ वरङ्कुसु वारणहेॅ
{प॰च॰६३,८.८} तेण वि पडिवक्ख-खयङ्करेॅण $ रयणासव-णन्दण-किङ्करेॅण
{प॰च॰६३,८.९} दुव्वार-वइरि-ओसारणेॅण $ धणु आयामेप्पिणु सारणेॅण

घत्ता॒

{प॰च॰६३,८.१०} अक्कोसहेॅ $ परिवद्धिय-कलयल-मुहलु
सयवत्तु व $ खुडिउ खुरुप्पें सिर-कमलु


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक ९॒

{प॰च॰६३,९.१} जं अक्कोसु पाडिओ जय-सिरी-णिवासो $ रहु दुरिएण वाहिओ सुव-णराहिवासो

{प॰च॰६३,९.२} ते भिडिय परोप्परु आहयणेॅ $ दुग्घोट्ट-थट्ट-णिल्लोट्ट-घणेॅ
{प॰च॰६३,९.३} णर-रुण्ड-हड्ड-विच्छड्ड-पहेॅ $ सन्दाणिय-भग्ग-तडत्ति-रहेॅ
{प॰च॰६३,९.४} हय-हय-भय-तट्ठ-णट्ठ-गमणेॅ $ दणु-विन्द-वन्दि-वहु-विद्दवणेॅ
{प॰च॰६३,९.५} पडु-पडह-भेरि-गम्भीर-सरेॅ $ तिक्खग्ग-खग्ग-उग्गिण्ण-करेॅ
{प॰च॰६३,९.६} धणुहर-टङ्कार-फार-वहिरेॅ $ सुरवर-सुन्दरि-मङ्गल-गहिरेॅ
{प॰च॰६३,९.७} तहिॅ तेहऍ आहवेॅ उत्थरिय $ दुप्पेच्छ अच्छि-मच्छर-भरिय
{प॰च॰६३,९.८} रहु रहहेॅ देवि दुरिएण सुउ $ सव्वङ्गिउ असि-पहरेहिॅ लुउ
{प॰च॰६३,९.९} तेण वि खग्गें चलणेहिॅ हउ $ णं सन्धि-विसऍ पय-छेउ किउ

घत्ता॒

{प॰च॰६३,९.१०} दुरियाहिवु $ णिय-रहवरेॅ ओणल्लियउ
दुव्वाऍण $ तरु जिह भज्जेॅवि घल्लियउ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक १०॒

{प॰च॰६३,१०.१} दुरियाहिवेॅ पलोट्टिए वे वि साणुराय $ रावण-राम-भिच्च उद्दाम-वग्घ-राय

{प॰च॰६३,१०.२} वे वि विरुद्ध कुद्ध वद्धाउस $ वेण्णि वि उत्थरन्ति जिह पाउस
{प॰च॰६३,१०.३} आमेल्लन्ति परोप्परु अत्थइँ $ दुद्धर-दणु-णिद्दलण-समत्थइँ
{प॰च॰६३,१०.४} कु-कलत्ता इव चडुल-सहावइँ $ कामिणि-णह इव चीरण-भावइँ
{प॰च॰६३,१०.५} दुज्जण-मुह इव विन्धण-सीलइँ $ विस-हल इव मुच्छावण-लीलइँ
{प॰च॰६३,१०.६} छाइउ णह-यलु पहरण-जालें $ णं अवुहत्तणु मोह-तमालें
{प॰च॰६३,१०.७} आयामेॅवि भुव-फलिह-पइग्घें $ सरु अग्गेउ विसज्जिउ विग्घें
{प॰च॰६३,१०.८} वारुणु उद्दामें आमेल्लिउ $ वायवु विग्घयरेण पघल्लिउ
{प॰च॰६३,१०.९} पुणु उद्दामें मुक्कु महीहरु $ वाणर-वुक्करन्तु सय-कन्दरु

घत्ता॒

{प॰च॰६३,१०.१०} तं विग्घेॅण $ विग्घु करेप्पिणु समर-मुहेॅ
मुसुमूरेॅवि $ जीविउ छुद्धु कयन्त-मुहेॅ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक ११॒

{प॰च॰६३,११.१} जं दारिय महाहवेॅ वावरन्त सिग्घे $ हय-सन्ताव-पहिय-अक्कोस-दुरिय-विग्घे

{प॰च॰६३,११.२} तं एवड्डु दुक्खु पेक्खेप्पिणु $ रवि अत्थमिउ णाइँ असहेप्पिणु
{प॰च॰६३,११.३} अहवइ णह-पायवहेॅ विसालहेॅ $ सयल-दियन्तर-दीहर-डालहेॅ
{प॰च॰६३,११.४} उवदिस-रङ्खोलिर-उवसाहहेॅ $ सञ्झा-पल्लव-णियर-सणाहहेॅ
{प॰च॰६३,११.५} वहुवव (?)-अब्भ-पत्त-सच्छायहेॅ $ गह-णक्खत्त-कुसुम-सङ्घायहेॅ
{प॰च॰६३,११.६} पसरिय-अन्धयार-भमर-उलहेॅ $ तहेॅ आयास-दुमहेॅ वर-विउलहेॅ
{प॰च॰६३,११.७} णिसि-णारिऍ खुड्डेॅवि जस-लुद्धऍ $ रवि-फलु गिलिउ णाइँ णियसद्धऍ
{प॰च॰६३,११.८} वहल-तमालें जगु अन्धारिउ $ विहि मि वलहँ णं जुज्झु णिवारिउ
{प॰च॰६३,११.९} वे वि वलइँ वण-णिसुढिय-गत्तइँ $ णिय-णिय-आवासहेॅ परियत्तइँ

घत्ता॒

{प॰च॰६३,११.१०} रावण-घरेॅ $ जय-तूरइँ अप्फालियइँ
राहव-वलेॅ $ मुहइँ णाइँ मसि-मइलियइँ


कण्ड ४, संधि ६३, कडवक १२॒

{प॰च॰६३,१२.१} पभणिउ को वि वीरु "किं दुम्मणो ऽसि देव $ णिसियर-हरिण-जूहेॅ पइसरमि सीहु जेम"

{प॰च॰६३,१२.२} को वि महावलु पर-वलु णिन्दइ $ को वि भणइ "महु कल्लऍ इन्दइ"
{प॰च॰६३,१२.३} को वि भणइ "महु तोयदवाहणु" $ को वि भणइ "स-सूउ महु सारणु"
{प॰च॰६३,१२.४} को वि भणइ "णउ पइँ जयकारमि $ जाम ण कुम्भयण्णु रणेॅ मारमि"
{प॰च॰६३,१२.५} को वि भणइ "हũ मय-मारिच्चह्ũ $ भिडमि राहु जिह चन्दाइच्चह्ũ"
{प॰च॰६३,१२.६} को वि भणइ "महु मरइ महोअरु $ छुहमि कयन्त-वयणेॅ वज्जोअरु"
{प॰च॰६३,१२.७} को वि भणइ "करमि तउ पेसणु $ पेसमि जम्वुमालि जम-सासणु"
{प॰च॰६३,१२.८} को वि भणइ "हय-गय-रह-वाहणु $ महु आवग्गउ रावण-साहणु"
{प॰च॰६३,१२.९} ताम्व विहाणु भाणु णहेॅ उग्गउ $ रयणिहेॅ तणउ गब्भु णं णिग्गउ

घत्ता॒

{प॰च॰६३,१२.१०} आहिण्डेॅवि $ जगु सयरायरु सिग्घ-गइ
सम्पाइउ $ णाइँ स इं भु व णाहिवइ



[६४. चउसट्ठिमो संधि] ----------



दणु-दारण-पहरण-हत्थइँ $ जयसिरि-गहण-समत्थइँ
रण-रस-रोमञ्च-विसट्टइँ $ वलइँ वे वि अब्भिट्टइँ


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक १॒


{प॰च॰६४,१.१} अब्भिट्टइँ वे वि स-वाहणाइँ $ वायरण-पयाइँ व साहणाइँ
{प॰च॰६४,१.२} जिह ताइँ तेम्व हल-सङ्गहाइँ $ जिह ताइँ तेम किय-विग्गहाइँ
{प॰च॰६४,१.३} जिह ताइँ तेम सन्धिय-सराइँ $ जिह ताइँ तेम पच्चय-कराइँ
{प॰च॰६४,१.४} जिह ताइँ तेम उवसग्गिराइँ $ जिह ताइँ तेम्व जस-मग्गिराइँ
{प॰च॰६४,१.५} जिह ताइँ तेम पर-लोप्पिराइँ $ वहु-एक्क-दु-वयण-पजम्पिराइँ
{प॰च॰६४,१.६} जिह ताइँ तेम्व अत्थुज्जलाइँ $ परियाणिय-सयल-वलावलाइँ
{प॰च॰६४,१.७} जिह ताइँ तेम्व णासायराइँ $ जिह ताइँ तेम वहु-भासिराइँ
{प॰च॰६४,१.८} अण्णण्ण-सद्द-विण्णासिराइँ $

घत्ता॒

{प॰च॰६४,१.९} जिह ताइँ तेम आयरियइँ $ वाइ-णिवायह्ũ चरियइँ
दीहर-समास-अहियरणइँ $ वलइँ णाइँ वायरणइँ


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक २॒


{प॰च॰६४,२.१} तहिॅ तेहऍ रणेॅ रयणीयरासु $ सद्दूलु वलिउ वज्जोअरासु
{प॰च॰६४,२.२} ते भिडिय चण्ड-कोवण्ड-हत्थ $ सुर-समर-पवर-धुर-धर-समत्थ
{प॰च॰६४,२.३} पउ अग्गऍ देन्ति ण ओसरन्ति $ पहरन्ति ण पहरणु वीसरन्ति
{प॰च॰६४,२.४} दरिसन्ति मडप्फरु णेय पुट्ठि $ जीविउ सिढिलन्ति ण चाव-मुट्ठि
{प॰च॰६४,२.५} मेल्लन्ति वाण ण मुअन्ति धीरु $ परिहउ रक्खन्ति ण णिय-सरीरु
{प॰च॰६४,२.६} लग्गइ णाराउ ण कुलेॅ कलङ्कु $ सरु वङ्कइ वयणु ण होइ वङ्कु
{प॰च॰६४,२.७} गुणु छिज्जइ सीसु ण दुण्णिवारु $ धउ पडइ ण हियउ ण पुरिसयारु
{प॰च॰६४,२.८} ओवुण्ण-तुरङ्गम-धुर-विसट्टु $ रहु भज्जइ भज्जइ णउ मरट्टु

घत्ता॒

{प॰च॰६४,२.९} पडिवक्ख-पक्ख-पडिकूलह्ũ $ वज्जोअर-सद्दूलह्ũ
विहिॅ को गरुआरउ किज्जइ $ एक्कु वि जिणइ ण जिज्जइ


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक ३॒


{प॰च॰६४,३.१} एत्तहेॅ वि भिउडि-भङ्गुर-वयण $ ते वाहुवलिन्द-सीहदमण
{प॰च॰६४,३.२} अब्भिट्ट वे वि वद्धामरिस $ गिरिमलय-सुवेलसेल-सरिस
{प॰च॰६४,३.३} हरिदमणें "पहरु पहरु" भणेॅवि $ सिरेॅ मोग्गर-घाएं आहणेॅवि
{प॰च॰६४,३.४} महि-मण्डलेॅ पाडिउ वाहुवलि $ तोसेण व परिवड्ढन्त-कलि
{प॰च॰६४,३.५} पुणु चेयण लहेॅवि भयङ्करेॅण $ आरुट्ठें राहव-किङ्करेॅण
{प॰च॰६४,३.६} पडिवारउ आहउ मोग्गरेॅण $ वच्छत्थलेॅ णं इन्दीवरेॅण
{प॰च॰६४,३.७} तहिॅ तेहऍ कालेॅ समावडिय $ भड विजय-सयम्भु वे वि भिडिय
{प॰च॰६४,३.८} रणेॅ परिसक्कन्ति भमन्ति किह $ चल चञ्चल विज्जुल-पुञ्ज जिह

घत्ता॒

{प॰च॰६४,३.९} आयामेॅवि रावण-भिच्चेॅण $ णिय-कुल-णह-आइच्चेॅण
जट्ठियऍ विजउ विणिभिण्णũ $ पडिउ णाइँ दुमु छिण्णउ


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक ४॒


{प॰च॰६४,४.१} रणेॅ विजउ सयम्भु वि णिहउ जं जेॅ $ खवियारि-वीर-सङ्कोह तं जेॅ
{प॰च॰६४,४.२} अब्भिट्ट परोप्परु पुलइअङ्ग $ णं खर-णारायण रणेॅ अभङ्ग
{प॰च॰६४,४.३} णं रावणिन्द विप्फुरिय-तुण्ड $ णं गन्धहत्थि उद्दण्ड-सुण्ड
{प॰च॰६४,४.४} एत्थन्तरेॅ सुरवरहु मि असक्कु $ सङ्कोहें मेल्लिउ पढमु चक्कु
{प॰च॰६४,४.५} गयणङ्गणेॅ तं पजलन्तु जाइ $ अत्थइरिहेॅ दिणयर-विम्वु णाइँ
{प॰च॰६४,४.६} खवियारि-णिवहेॅ वच्छयलेॅ लग्गु $ जिह णलिणि-पत्तु तिह तहिॅ जि भग्गु
{प॰च॰६४,४.७} तेण वि पडिवक्खहेॅ चक्कु मुक्कु $ सङ्कोहहेॅ णं जमकरणु ढुक्कु
{प॰च॰६४,४.८} सिरु खुडिउ मरालें जेम कमलु $ णं इन्दिन्दिरु रुण्टन्त-मुहलु

घत्ता॒

{प॰च॰६४,४.९} सिरु गयउ कवन्धु जेॅ भण्डइ $ मुहु भड-वोक्क ण छण्डइ
णिय-सामिहेॅ पेसणु सरइ (?) $ विउणउ णं भडु पहरइ


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक ५॒


{प॰च॰६४,५.१} वल-किङ्करु जं सङ्कोहु हउ $ धाविउ वितावि तं रणेॅ अजउ
{प॰च॰६४,५.२} "कहिॅ गच्छहि अच्छमि जाम हũ $ रहु वाहेॅ वाहेॅ सवडम्मुहउ
{प॰च॰६४,५.३} सङ्कोहु जेम घाइउ छलेण $ तिह पहरु पहरु णिय-भुव-वलेण"
{प॰च॰६४,५.४} तं वयणु सुणेॅवि किर ओवडइ $ विहि-राउ ताम्व तहेॅ अब्भिडइ
{प॰च॰६४,५.५} ते विहि-वितावि आरुट्ठ-मणा $ उत्थरिय स-मच्छर वे वि जणा
{प॰च॰६४,५.६} णं पलय-कालेॅ पलयम्वुहरा $ जिह ते तिह सर-धारा-वयरा
{प॰च॰६४,५.७} जिह ते तिह परिचक्कलिय-धणु $ जिह ते तिह विज्जुज्जलिय-तणु
{प॰च॰६४,५.८} जिह ते तिह भीम-णिणाय-करा $ जिह ते तिह सूर-च्छाय-हरा

घत्ता॒

{प॰च॰६४,५.९} विहि-राएं अमरिस-कुद्धेॅण $ अहिणव-जयसिरि-लुद्धेॅण
पाडिउ वितावि णाराऍण $ गिरि जिह वज्ज-णिहाऍण


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक ६॒


{प॰च॰६४,६.१} जं हउ वितावि तं ण किउ खेउ $ कोवग्गि-पलित्तु विसालतेउ
{प॰च॰६४,६.२} विहि-रायहेॅ भिडइ ण भिडइ जाम $ हक्कारिउ सम्भु-णिवेण ताम्व
{प॰च॰६४,६.३} ते वे वि परोप्परु अब्भिडन्ति $ णं गिरि स-परक्कम ओवडन्ति
{प॰च॰६४,६.४} एत्थन्तरेॅ सम्भ्ũ ण किउ खेउ $ उरेॅ सत्तिऍ भिण्णु विसालतेउ
{प॰च॰६४,६.५} ओणल्लिउ महियलेॅ विगय-पाणु $ णिय-साहणु पेक्खेॅवि लोट्टमाणु
{प॰च॰६४,६.६} सुग्गीउ पधाइउ विप्फुरन्तु $ "लइ वलहेॅ वलहेॅ" समु उत्थरन्तु
{प॰च॰६४,६.७} णं णिसियर-सेण्णहेॅ मइयवट्टु $ णं केसरि मिग-जूहहेॅ विसट्टु
{प॰च॰६४,६.८} णं तिहुयण-चक्कहेॅ काल-दण्डु $ णं जलहर-विन्दहेॅ पलय-चण्डु

घत्ता॒

{प॰च॰६४,६.९} विज्जाहर-वंस-पईवहेॅ $ भिडमाणहेॅ सुग्गीवहेॅ
थिउ अन्तरेॅ वाहिय-सन्दणु $ ताम पहञ्जण-णन्दणु


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक ७॒


{प॰च॰६४,७.१} हणुवन्तें वुच्चइ "माम माम $ तुह्ũ अच्छहि जहिॅ सोमित्ति-राम
{प॰च॰६४,७.२} हũ एक्कु पहुच्चमि णिसियराह्ũ $ जिह गरुडु असेसह्ũ विसहराह्ũ
{प॰च॰६४,७.३} जिह धूमकेउ जगेॅ णरवराह्ũ $ पलयाणलु जिह जर-तरुवराह्ũ
{प॰च॰६४,७.४} जिह पलय-पहञ्जणु जलहराह्ũ $ सुर-कुलिस-दण्डु जिह गिरिवराह्ũ
{प॰च॰६४,७.५} वलु णं वणु भञ्जमि रसमसन्तु $ वंसुज्जल-मूल-तरुक्खणन्तु
{प॰च॰६४,७.६} रयणीयर-तरुवर णिद्दलन्तु $ भुव-दण्ड-चण्ड-डालाहणन्तु
{प॰च॰६४,७.७} सुललिय-करयल-पल्लव लुलन्तु $ णक्खावलि-कुसुम समुच्छलन्तु
{प॰च॰६४,७.८} धय-छत्तइँ पत्तइँ विक्खिरन्तु $ णरवर-सिर-फल-सहसइँ खुडन्तु

घत्ता॒

{प॰च॰६४,७.९} गलगज्जेॅवि अञ्जण-णन्दणु $ स-कवउ स-गउ स-सन्दणु
पर-वलेॅ पइसरइ महव्वलु $ विञ्झेॅ जेम दावाणलु


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक ८॒


{प॰च॰६४,८.१} पढम-भिडन्तें तेण वाइणा $ वासुएव-वल-पक्खवाइणा
{प॰च॰६४,८.२} हयवरेण णवराहओ हओ $ गयवरेण जो आगओ गओ
{प॰च॰६४,८.३} रहवरेण खय-सूरहो रहो $ धयवडेण जस-लुद्धओ धओ
{प॰च॰६४,८.४} णरवरेण वयणुब्भडो भडो $ पर-सिरेण पर-संसिरं सिरं
{प॰च॰६४,८.५} करयलेण सु-भयङ्करो करो $ भड-कमेण स-परक्कमो कमो
{प॰च॰६४,८.६} दारुणं कयं एव सञ्जुयं $ हड्ड-रुण्ड-विच्छड्ड-सञ्जुयं
{प॰च॰६४,८.७} सुहड-सुहड-सन्दाणवन्तयं $ घोर-मारि-सन्दाणवन्तयं
{प॰च॰६४,८.८} जत्थ तत्थ अत्थमिय-सूरयं $ णिसि-णहं व अत्थमिय-सूरयं
{प॰च॰६४,८.९} छिण्ण-वाहु-णिब्भिण्ण-वच्छयं $ काणणं व ओणल्ल-वच्छयं
{प॰च॰६४,८.१०} णिरसि पाणि णीविक्कमं थियं $ खीर-जलहि-सलिलं व मन्थियं

घत्ता॒

{प॰च॰६४,८.११} जं हणुवहेॅ वलु आलग्गउ $ लीलऍ जिम्व तिम्व भग्गउ
सवडम्मुहु वज्जिय-सङ्कउ $ एक्कु मालि पर थक्कउ


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक ९॒


{प॰च॰६४,९.१} थक्कन्तें कोक्किउ पवण-पुत्तु $ "किं कायरेहिॅ सह्ũ भिडेॅवि जुत्तु
{प॰च॰६४,९.२} वलु वलु सामीरणि देहि जुज्झु $ मइँ मुऍवि मल्लु को अण्णु तुज्झु
{प॰च॰६४,९.३} तुह्ũ रामहेॅ हũ रामणहेॅ दासु $ जिह तुह्ũ तिह हउ मि महि-प्पगासु
{प॰च॰६४,९.४} छुडु एक्कु म मइलउ णियय-वंसु $ जसु रुच्चइ जय-सिरि होउ तासु"
{प॰च॰६४,९.५} तं णिसुणेॅवि उववण-मद्दणेण $ दोच्छिउ पवणञ्जय-णन्दणेण
{प॰च॰६४,९.६} "तुह्ũ कवणु गहणु मइँ दुज्जएण $ हणुवन्त-कयन्तें कुद्धएण
{प॰च॰६४,९.७} किं ण सुअउ खउ वज्जाउहासु $ उज्जाण-भङ्गु किङ्कर-विणासु
{प॰च॰६४,९.८} अक्खहेॅ कयन्तु पट्टणहेॅ केउ $ हũ सो ज्जेॅ पडीवउ अञ्जणेउ

घत्ता॒

{प॰च॰६४,९.९} रहु वाहि वाहि सवडम्मुहु $ पहरु पहरु लइ आउहु
हũ पइँ घाएण जि मारमि $ पहिलउ तेण ण पहरमि"


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक १०॒


{प॰च॰६४,१०.१} तं णिसुणेॅवि मालिं ण किउ खेउ $ सर-जालें छाइउ अञ्जणेउ
{प॰च॰६४,१०.२} णं सुअणु अणेऍहिॅ दुज्जणेहिॅ $ णं पाउसेॅ दिणयरु णव-घणेहिॅ
{प॰च॰६४,१०.३} हणुवेण वि सर अट्ठ-उण मुक्क $ पसरन्त हणन्त दियन्त ढुक्क
{प॰च॰६४,१०.४} आयासेॅ ण मन्ति ण धरणि-वीढेॅ $ ण धयग्गेॅ ण रहवरेॅ हय-पगीढेॅ
{प॰च॰६४,१०.५} अग्गलेॅ पच्छलेॅ अ-परिप्पमाण $ जउ जउ जेॅ दिट्ठि तउ तउ जि वाण
{प॰च॰६४,१०.६} ओसरिउ मालि णिविसन्तरेण $ रहु दिण्णु ताम्व वज्जोअरेण
{प॰च॰६४,१०.७} हक्कारिउ अहिमुहु पवण-जाउ $ "कहिॅ जाहि पाव खय-कालु आउ
{प॰च॰६४,१०.८} एत्तडेण जि तुज्झु मरट्टु जाउ $ जं भग्गु भिडन्तें मालि-राउ

घत्ता॒

{प॰च॰६४,१०.९} हũ वज्जोयरु भड-मद्दणु $ तुह्ũ पवणञ्जय-णन्दणु
अब्भिडह्ũ वे वि भय-भासुर $ रणु पेक्खन्तु सुरासुर"


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक ११॒


{प॰च॰६४,११.१} ते विण्णि वि गलगज्जन्त एम्व $ मुक्कङ्कुस मत्त-गइन्द जेम्व
{प॰च॰६४,११.२} अब्भिट्ट महाहवेॅ अतुल-मल्ल $ पडिवक्ख-पक्ख-णिक्खन्त-सल्ल
{प॰च॰६४,११.३} अहिमाण-अणुब्भड सुद्ध-वंस $ सङ्गाम-सऍहिॅ लद्ध-प्पसंस
{प॰च॰६४,११.४} तो णवर समीरण-णन्दणेण $ खर-सूर-समप्पह-सन्दणेण
{प॰च॰६४,११.५} विहिॅ सरेॅहिॅ सरासणु छिण्णु तासु $ णं हियउ खुडिउ वज्जोयरासु
{प॰च॰६४,११.६} किर अवरु चाउ करेॅ चडइ जाम्व $ सय-कण्ड-कण्डु रहु कियउ ताम्व
{प॰च॰६४,११.७} जामण्ण-महारहेॅ चडइ वीरु $ धणुहरु वि तावँ किउ हय-सरीरु
{प॰च॰६४,११.८} तइयउ कोवण्डु ण लेइ जाम $ वीओ वि महारहु छिण्णु ताम

घत्ता॒

{प॰च॰६४,११.९} तो णिसियरु जुज्झ-पियारउ $ वि-रहु कियउ वे-वारउ
पुणु पच्छलेॅ वाणेॅहिॅ सल्लिउ $ महिहरु जिह ओणल्लिउ


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक १२॒


{प॰च॰६४,१२.१} जं हउ वज्जोअरु भग्गु मालि $ तं स-रहसु धाइउ जम्वुमालि
{प॰च॰६४,१२.२} मन्दोअरि-णन्दणु दणु-विणासु $ सउ सीहह्ũ रहेॅ सञ्जुत्तु तासु
{प॰च॰६४,१२.३} ते वियड-दाढ ओरालि-वयण $ उद्धुसिय-केस णिड्डरिय-णयण
{प॰च॰६४,१२.४} कन्धर-वलग्ग-लङ्गूल-दण्ड $ णह-णियर-भयङ्कर चलण-चण्ड
{प॰च॰६४,१२.५} आऍहिॅ करि-कुम्भ-वियारणेहिॅ $ जसु उज्झइ रहु पञ्चाणणेहिॅ
{प॰च॰६४,१२.६} सो जम्वुमालि मरु-णन्दणासु $ गिव्वाणरवण-वण-मद्दणासु
{प॰च॰६४,१२.७} आलग्गु सु-करयलेॅ करेॅवि चाउ $ सु-कलत्तु जेंव जं सु-प्पणाउ
{प॰च॰६४,१२.८} तं आयामेॅवि वहु-मच्छरेण $ णाराउ विसज्जिउ णिसियरेण

घत्ता॒

{प॰च॰६४,१२.९} जण-णयणाणन्द-जणेरउ $ धउ हणुवन्तहेॅ केरउ
विन्धेप्पिणु महियलेॅ पाडिउ $ णह-सिरि-हारु व तोडिउ


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक १३॒


{प॰च॰६४,१३.१} जं छिण्णु महद्धउ दुद्धरेण $ तं पवण-सुएण धणुद्धरेण
{प॰च॰६४,१३.२} दो दीहर वर-णाराय मुक्क $ रिउ-रहवर-वीढासण्ण ढुक्क
{प॰च॰६४,१३.३} एक्केण कवउ एक्केण चाउ $ विद्धंसिउ णाइँ जिणेण पाउ
{प॰च॰६४,१३.४} सण्णाहु अण्णु परिहेॅवि भडेण $ धणुहरु वि लेवि विहडप्फडेण
{प॰च॰६४,१३.५} हणुवन्तु विद्धु दीहर-सरेहिॅ $ णं कोमल-दल-इन्दीवरेहिॅ
{प॰च॰६४,१३.६} हणुवेण वि मेल्लिउ अद्धयन्दु $ अइ-दीहरु णाइँ समास-दण्डु
{प॰च॰६४,१३.७} उज्जोत्तिय तेण समत्थ सीह $ मत्तेभ-कुम्भ-मुत्ताहलीह
{प॰च॰६४,१३.८} जगडन्त पहिण्डिय वलु असेसु $ ओहाइय-हय-गय-णरवरेसु

घत्ता॒

{प॰च॰६४,१३.९} उद्धुय-लङ्गूल-पईहेॅहिॅ $ वलु खज्जन्तउ सीहेॅहिॅ
णासइ भय-वेविर-गत्तउ $ अवरोप्परु लोट्टन्तउ


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक १४॒


{प॰च॰६४,१४.१} वलु सयलु वि किउ भय-विहलु जाम्व $ हणुवन्तु दसाणणेॅ भिडिउ ताम
{प॰च॰६४,१४.२} पञ्चाणण-सन्दणु पमय-चिन्धु $ थिउ उड्डेॅवि रण-भर-धुरहेॅ खन्धु
{प॰च॰६४,१४.३} सो जुज्झमाणु जं दिट्ठु तेण $ सण्णाहु लइउ लङ्काहिवेण
{प॰च॰६४,१४.४} रण-रहसुच्छलियहेॅ उरेॅ ण माइ $ सुहि-सङ्गमेॅ गरुअ-सणेहु णाइँ
{प॰च॰६४,१४.५} पुणु दुक्खु दुक्खु आइद्धु अङ्गेॅ $ सीसक्कु करेप्पिणु उत्तमङ्गेॅ
{प॰च॰६४,१४.६} आयामिउ धणुहरु लइउ वाणु $ पारद्धु समरु हणुवें समाणु
{प॰च॰६४,१४.७} तहिॅ तेहऍ कालेॅ धणुद्धरेण $ रहु अन्तरेॅ दिण्णु महोअरेण
{प॰च॰६४,१४.८} हक्कारिउ मारुइ "थाहि थाहि $ सवडम्मुहु रहवरु वाहि वाहि"

घत्ता॒

{प॰च॰६४,१४.९} तं सुणेॅवि महोअरु जेत्तहेॅ $ रहवरु वाहिउ तेत्तहेॅ
उत्थरिय वे वि समरङ्गणेॅ $ णं खय-मेह णहङ्गणेॅ


कण्ड ४, संधि ६४, कडवक १५॒


{प॰च॰६४,१५.१} हणुवन्तेॅ महोअरु भिडिउ जाम $ सो जम्वुमालि सम्पत्तु ताम्व
{प॰च॰६४,१५.२} सञ्जोत्तेॅवि रहवरेॅ सयल सीह $ उद्दण्ड चण्ड लङ्गूल-दीह
{प॰च॰६४,१५.३} सह्ũ तेण पराइउ मल्लवन्तु $ धुन्धुरु धूमक्खु कयन्तदन्तु
{प॰च॰६४,१५.४} हालाहलु विज्जुलु विज्जुजीहु $ भिण्णञ्जणु पहु भुअ-फलिह-दीहु
{प॰च॰६४,१५.५} जमहण्टु जमाणणु कालदण्डु $ विहि डिण्डिमु डम्वरु डमरु चण्डु
{प॰च॰६४,१५.६} कुसुमाउहु अक्कु मयङ्कु सक्कु $ खवियारि सम्भु करि मयरणक्कु
{प॰च॰६४,१५.७} सुउ सारणु मउ मारिच्चि-राउ $ वीभच्छु महोअरु भीमकाउ
{प॰च॰६४,१५.८} आऍहिॅ लङ्काहिव-किङ्करेहिॅ $ वेढिउ हणुवन्तु भयङ्करेहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६४,१५.९} जें सव्वेॅहिॅ लइउ अखत्तेॅण $ हणुवें हरिसिय-गत्तेॅण
आयामिय समरेॅ पचण्डेॅहिॅ $ वइरि स इँ भु व-दण्डेॅहिॅ



[६५. पंचसट्ठिमो संधि] ----------



हणुवन्तु रणेॅ $ परिवेढिज्जइ $ णिसियरेॅहिॅ
णं गयणयलेॅ $ वाल-दिवायरु $ जलहरेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक १॒


{प॰च॰६५,१.१} पर-वलु अणन्तु हणुवन्तु एक्कु $ गय-जूहहेॅ णाइँ मइन्दु थक्कु
{प॰च॰६५,१.२} आरोक्कइ कोक्कइ समुहु थाइ $ जहिॅ जहिॅ जेॅ थट्टु तहिॅ तहिॅ जेॅ धाइ
{प॰च॰६५,१.३} गय-घड भड-थड भञ्जन्तु जाइ $ वंसत्थलेॅ लग्गु दवग्गि णाइँ
{प॰च॰६५,१.४} एक्कु रहु महाहवेॅ रस-विसट्टु $ परिभमइ णाइँ वलेॅ मइयवट्टु
{प॰च॰६५,१.५} सो ण वि भडु जासु ण मलिउ माणु $ सो ण वि धउ जासु ण लग्गु वाणु
{प॰च॰६५,१.६} सो ण वि पहु जासु ण कवउ छिण्णु $ सो ण वि गउ जासु ण कुम्भु भिण्णु
{प॰च॰६५,१.७} सो ण वि तुरङ्गु जसु गुडु ण तुट्टु $ सो ण वि रहु जसु ण रहङ्गु फुट्टु
{प॰च॰६५,१.८} सो ण वि भडु जासु ण छिण्णु गत्तु $ तं ण वि विमाणु जं सरु ण पत्तु

घत्ता॒

{प॰च॰६५,१.९} जगडन्तु वलु $ मारुइ हिण्डइ जहिॅ जेॅ जहिॅ
सङ्गाम-महि $ रुण्ड-णिरन्तर तहिॅ जेॅ तहिॅ


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक २॒

{प॰च॰६५,२.१} जं जिणेॅवि ण सक्किउ वर-भडेहिॅ $ वेढाविउ मारुइ गय-घडेहिॅ
{प॰च॰६५,२.२} गिरि-सिहर-गहिर-कुम्भत्थलेहिॅ $ अणवरय-गलिय-गण्डत्थलेहिॅ
{प॰च॰६५,२.३} छप्पय-झङ्कार-मणोहरेहिॅ $ घण्टा-टङ्कार-भयङ्करेहिॅ
{प॰च॰६५,२.४} तण्डविय-कण्ण-उद्धुअ-करेहिॅ $ मुक्कङ्कुसेहिॅ मय-णिब्भरेहिॅ
{प॰च॰६५,२.५} जं वेढिउ रण-मुहेॅ पवण-जाउ $ तं धाइउ कइधय-भड-णिहाउ
{प॰च॰६५,२.६} जहिॅ जम्वउ णीलु सुसेणु हंसु $ गउ गवउ गवक्खु विसुद्ध-वंसु
{प॰च॰६५,२.७} सन्तासु विराहिउ सूरजोत्ति $ पीइङ्करु किङ्करु लच्छिभुत्ति
{प॰च॰६५,२.८} चन्दप्पहु चन्दमरीचि रम्भु $ सद्दूलु विउलु कुलपवणथम्भु

घत्ता॒

{प॰च॰६५,२.९} आऍहिॅ भडेॅहिॅ $ मारुइ उव्वेड्ढावियउ
णं णिय-गुणेॅहिॅ $ जीउ व भव मेल्लावियउ


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक ३॒


{प॰च॰६५,३.१} रण-रसिऍहिॅ वेहाविद्धएहिॅ $ पेल्लिउ पडिवक्खु कइद्धएहिॅ
{प॰च॰६५,३.२} णासइ विहडप्फडु गलिय-खग्गु $ चूरन्तु परोप्परु चलण-मग्गु
{प॰च॰६५,३.३} भज्जन्तउ पेक्खेॅवि णियय-सेण्णु $ रावणु जयकारेॅवि कुम्भयण्णु
{प॰च॰६५,३.४} धाइउ भय-भीसणु भीम-काउ $ णं राम-वलहेॅ खय-कालु आउ
{प॰च॰६५,३.५} परिसक्कइ रण-भूमिहेॅ ण माइ $ गिरि मन्दरु थाणहेॅ चलिउ णाइँ
{प॰च॰६५,३.६} जउ जउ जेॅ स-मच्छरु देइ दिट्ठि $ तउ तउ जेॅ पडइ णं पलय-विट्ठि"
{प॰च॰६५,३.७} केॅ वि वाएं केॅ वि भिउडिऍ पणट्ठु $ केॅ वि ठिउ अवठम्भेॅवि धरणि-वट्ठु
{प॰च॰६५,३.८} केॅ वि कह वि कडच्छऍ णिरु णिलुक्कु $ केॅ वि दूरहेॅ ज्जेॅ पाणेॅहिॅ विमुक्कु

घत्ता॒

{प॰च॰६५,३.९} सुग्गीव-वलेॅ $ गरुअउ हुअउ हलप्फलउ
णं अग्गहरेॅ $ हत्थि पइट्ठउ राउलउ


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक ४॒


{प॰च॰६५,४.१} उव्वेढाविउ हणुवन्तु जेहिॅ $ णउ सक्किउ वयणु वि णिऍवि तेहिॅ
{प॰च॰६५,४.२} परिचिन्तिउ "लइ आइउ विणासु $ किय(?) वलु जेॅ करेसइ एक्कु गासु"
{प॰च॰६५,४.३} तहिॅ अवसरेॅ धाइउ अमियविन्दु $ दहिमुहु माहिन्दु महिन्दु इन्दु
{प॰च॰६५,४.४} रइवद्धणु णन्दणु कुमुउ कुन्दु $ मइकन्तु महोवहि मइसमुद्दु
{प॰च॰६५,४.५} कोलाहलु तरलु तरङ्गु तारु $ सुग्गीउ अङ्गु अङ्गयकुमारु
{प॰च॰६५,४.६} सम्मेउ सेउ ससिमण्डलो वि $ चन्दाहु कन्दु भामण्डलो वि
{प॰च॰६५,४.७} पिहुमइ वसन्तु वेलन्धरो वि $ वेलच्छु सुवेलु जयन्धरो वि
{प॰च॰६५,४.८} आयामेॅवि वइरिहि तणउ सेण्णु $ समकण्डिउ सव्वेॅहिॅ कुम्भयण्णु

घत्ता॒

{प॰च॰६५,४.९} एक्कल्लऍण $ तो वि चलन्तें सम्मुहेॅण
वलु तासियउ $ गय-जूहु व पञ्चाणणेॅण


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक ५॒


{प॰च॰६५,५.१} जं खत्तु मुएवि कइद्धएहिॅ $ समकण्डिउ वेहाविद्धएहिॅ
{प॰च॰६५,५.२} तहिॅ कइकसि-णयणाणन्दणेण $ रूसेॅवि रयणासव-णन्दणेण
{प॰च॰६५,५.३} दारुणु थम्भण-मोहण-समत्थु $ पम्मुक्कु दंसणावरण-अत्थु
{प॰च॰६५,५.४} सोवाविउ साहणु सयलु तेण $ णं जगु अत्थन्तें दिणयरेण
{प॰च॰६५,५.५} को वि घुम्मइ को वि सरीरु वलइ $ कासु वि किवाणु करयलहेॅ गलइ
{प॰च॰६५,५.६} घुरुहुरइ को वि णिद्दऍ भुत्तु $ को वि गब्भन्तरेॅ णरु णाइँ सुत्तु
{प॰च॰६५,५.७} एत्थन्तरेॅ किक्किन्धाहिवेण $ पडिवोहणत्थु पम्मुक्कु तेण
{प॰च॰६५,५.८} उम्मोहिउ उट्ठिउ वलु तुरन्तु $ "कहिॅ कुम्भयण्णु वलु वलु" भणन्तु

घत्ता॒

{प॰च॰६५,५.९} सवडम्मुहउ $ पुणु वि पडीवउ धावियउ
णं उवहि-जलु $ महि रेल्लन्तु पराइयउ


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक ६॒


{प॰च॰६५,६.१} पर-वलु णिएवि रणेॅ उत्थरन्तु $ लङ्काहिवेण थरथरहरन्तु
{प॰च॰६५,६.२} करेॅ कड्ढिउ णिम्मलु चन्दहासु $ उग्गमिउ णाइँ दिणयर-सहासु
{प॰च॰६५,६.३} रिउ-साहणेॅ भिडइ ण भिडइ जाम $ सोण्डीर वीर णर तिण्णि ताम्व
{प॰च॰६५,६.४} इन्दइ-घणवाहण-वज्जणक्क $ सिर-णमिय-कियञ्जलि-हत्थ थक्क
{प॰च॰६५,६.५} "अम्हेॅहिॅ जीवन्तेॅहिॅ किङ्करेहिॅ $ तुह्ũ अप्पणु पहरहि किं करेहिॅ"
{प॰च॰६५,६.६} सामिउ सम्माणेॅवि वद्ध-कोह $ तिण्णि वि समरङ्गणेॅ भिडिय जोह
{प॰च॰६५,६.७} चन्दोअर-तणयहेॅ वज्जणक्कु $ घणवाहणु भामण्डलहेॅ थक्कु
{प॰च॰६५,६.८} इन्दइ सुग्गीवहेॅ समुहु वलिउ $ णं मेरु महोअहि महह्ũ चलिउ

घत्ता॒

{प॰च॰६५,६.९} णरु णरवरहेॅ $ तुरयहेॅ तुरउ समावडिउ
रहु रहवरहेॅ $ गयहेॅ महग्गउ अब्भिडिउ


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक ७॒


{प॰च॰६५,७.१} सञ्जुऍ जय-लच्छि-पसाहणेण $ तिहुअणकण्टय-गय-वाहणेण
{प॰च॰६५,७.२} हक्कारिउ सुरवइ-मद्दणेण $ सुग्गीउ दसाणण-णन्दणेण
{प॰च॰६५,७.३} "खल खुद्द पिसुण कइ-केउ राय $ लङ्काहिव-केरा कुद्ध पाय
{प॰च॰६५,७.४} जिह रावणु मेल्लेॅवि धरिउ रामु $ तिह पहरु पहरु तउ लुहमि णामु"
{प॰च॰६५,७.५} तं णिसुणेॅवि किक्किन्धेसरेण $ विज्जाहर-णर-परमेसरेण
{प॰च॰६५,७.६} णिब्भच्छिउ इन्दइ "अरेॅ कु-मल्ल $ को तुह्ũ को रावणु कवणु (?) वोल्ल"
{प॰च॰६५,७.७} दोच्छन्त परोप्परु भिडिय वे वि $ सु-पणामइँ चावइँ करेॅहिॅ लेवि
{प॰च॰६५,७.८} दीहर-णाराऍहिॅ उत्थरन्त $ णं पलय-जलय णव-जलु मुअन्त

घत्ता॒

{प॰च॰६५,७.९} विहिॅ मि जणेॅहिॅ $ छाइउ गयणु महासरेॅहिॅ
णव-गब्भिणेॅहिॅ $ पाउस-कालेॅ व जलहरेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक ८॒


{प॰च॰६५,८.१} दुद्दम-दणुवइ-दारण-समत्थु $ इन्दइणामेल्लिउ वारुणत्थु
{प॰च॰६५,८.२} अत्थक्कऍ सुर-धणु पायडन्तु $ गज्जन्त-जलउ तडि-तडयडन्तु
{प॰च॰६५,८.३} अणवरउ णीर-धारउ मुअन्तु $ अहिणव-कलाव-केक्कार-देन्तु
{प॰च॰६५,८.४} तं पेक्खेॅवि तारावइ पलित्तु $ धूमद्धउ णं मारुऍण छित्तु
{प॰च॰६५,८.५} वायव-सरु सुग्गीवेण मुक्कु $ णं पलय-कालु पर-वलहेॅ ढुक्कु
{प॰च॰६५,८.६} वाओलि धूलि पाहण मुअन्तु $ धय-छत्तदण्ड-दण्डुद्धुवन्तु
{प॰च॰६५,८.७} दुग्घोट्ट-थट्ट लोट्टन्तु सव्व $ मोडन्तु महारह अतुल-गव्व
{प॰च॰६५,८.८} दुव्वाउ आउ जं वल-विणासु $ तेण वि आमेल्लिउ णाग-वासु

घत्ता॒

{प॰च॰६५,८.९} सुग्गीउ रणेॅ $ वेढिउ पवर-सरेण किह
वलवन्तऍण $ णाणावरणें जीउ जिह


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक ९॒


{प॰च॰६५,९.१} किक्किन्ध-णराहिउ धरिउ जाम $ घणवाहण-भामण्डलहँ ताम
{प॰च॰६५,९.२} अब्भिट्टु परोप्परु जुज्झु घोरु $ सरि-सोत्त-सउत्तर-पहर-थोरु
{प॰च॰६५,९.३} छिज्जन्त-महग्गय-गरुअ-गत्तु $ णिवडन्त-समुद्धुय-धवल-छत्तु
{प॰च॰६५,९.४} लोट्टन्त-महारह-हय-रहङ्गु $ घुम्मन्त-पडन्त-महातुरङ्गु
{प॰च॰६५,९.५} फुट्टन्त-कवउ तुट्टन्त-खग्गु $ णच्चन्त-कवन्धय-असि-करग्गु
{प॰च॰६५,९.६} आयामेॅवि रणेॅ रोसिय-मणेण $ अग्गेउ मुक्कु घणवाहणेण
{प॰च॰६५,९.७} आमेल्लिउ आइउ धगधगन्तु $ अङ्गार-वरिसु णहेॅ दक्खवन्तु
{प॰च॰६५,९.८} वारुणु विमुक्कु भामण्डलेण $ णं गिरिहेॅ वज्जु आकण्डलेण
{प॰च॰६५,९.९} उल्हाविउ जलणु जलेण जं जेॅ $ सरु णाग-पासु पम्मुक्कु तं जेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६५,९.१०} पुप्फवइ-सुउ $ दीहर-पवर-महासरेॅहिॅ
परिवेढियउ $ मलयधरेन्दु व विसहरेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक १०॒

{प॰च॰६५,१०.१} जं जिउ तारावइ पवर-भुउ $ अण्णु वि भामण्डलु जणय-सुउ
{प॰च॰६५,१०.२} तं भग्गु असेसु वि राम-वलु $ णं पवण-गलित्थउ उवहि-जलु
{प॰च॰६५,१०.३} एत्तहेॅ वि ताम समावडिय $ मरुणन्दण-कुम्भयण्ण भिडिय
{प॰च॰६५,१०.४} पहरन्तह्ũ वइरि-वियारणइँ $ णिट्ठियइँ अणेयइँ पहरणइँ
{प॰च॰६५,१०.५} पुणु वाहाउद्धें लग्ग किह $ उद्दण्ड-सोण्ड वेयण्ड जिह
{प॰च॰६५,१०.६} हणुवन्तु लइउ रयणीयरेॅण $ णं मेरु-महागिरि जिणवरेॅण
{प॰च॰६५,१०.७} चरणेहिॅ धरेॅवि उच्चाइयउ $ णं गिरि-सिहरेण चडावियउ
{प॰च॰६५,१०.८} पुणु लङ्का-णयरिहिॅ उच्चलिउ $ तारा-तणएण ताम खलिउ

घत्ता॒

{प॰च॰६५,१०.९} धुत्तत्तणेॅण $ समर-सएहिॅ अहङ्गऍण
णीसङ्गु $ रिउ विवत्थु किउ अङ्गऍण


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक ११॒


{प॰च॰६५,११.१} जं किउ विवत्थु रणेॅ रयणियरु $ तं लग्गु हसेवऍ सुर-णियरु
{प॰च॰६५,११.२} रावण-अन्तेउरु लज्जियउ $ थिउ वङ्क-वयणु दिहि-वज्जियउ
{प॰च॰६५,११.३} सन्थवइ जाम्व णिय-परिहणउ $ मारुइ विमाणु गउ अप्पणउ
{प॰च॰६५,११.४} तहिॅ अवसरेॅ भड-भञ्जण-मणेॅण $ जयकारिउ रामु विहीसणेण
{प॰च॰६५,११.५} "मइँ देव भिडन्तउ पेक्खु रणेॅ $ जिह जलणु जलन्तउ सुक्क-वणेॅ
{प॰च॰६५,११.६} जइ मइलमि वयणु ण पर-वलहेॅ $ तो पइसमि धूमद्धऍ सलहेॅ"
{प॰च॰६५,११.७} गलगज्जेॅवि एम णिसायरेॅण $ किउ करेॅ कोवण्डु अ-कायरेण
{प॰च॰६५,११.८} सण्णाहु लइउ रहवरेॅ चडिउ $ रावण-णन्दणहेॅ गम्पि भिडिउ
{प॰च॰६५,११.९} हक्कारइ पहरइ णिन्दइ वि $ पणवइ घणवाहणु इन्दइ वि
{प॰च॰६५,११.१०} "तुह्ũ अम्हहँ वन्दण-जोग्गु किह $ तिहिॅ सञ्झहिॅ परम-जिणिन्दु जिह

घत्ता॒

{प॰च॰६५,११.११} जो जणण-समु $ तहेॅ किं पावें चिन्तिऍण
किर कवणु जसु $ जुज्झन्तह्ũ सह्ũ पित्तिऍण"


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक १२॒

{प॰च॰६५,१२.१} रणु पित्तिएण सह्ũ परिहरेॅवि $ विण्णि वि कुमार गय ओसरेॅवि
{प॰च॰६५,१२.२} एक्कें भामण्डलु धरेॅवि णिउ $ अण्णेक्कें तारा-पाणपिउ
{प॰च॰६५,१२.३} कुढेॅ लग्गेॅवि को वि ण सक्कियउ $ अम्वरेॅ अमरेॅहिॅ कलयलु कियउ
{प॰च॰६५,१२.४} तहिॅ अवसरेॅ आसङ्किय-मणेॅण $ वुच्चइ वलएउ विहीसणेॅण
{प॰च॰६५,१२.५} "जइ विण्णि वि णिय णरवइ पवर $ तो ण वि हũ ण वि तुह्ũ ण वि इयर
{प॰च॰६५,१२.६} ण वि हय ण वि गय रहवरेॅहिॅ सह्ũ $ जं जाणहि तं चिन्तवहि लहु"
{प॰च॰६५,१२.७} तं णिसुणेॅवि वूढ-महाहवेॅण $ महलोयणु चिन्तिउ राहवेॅण
{प॰च॰६५,१२.८} उवसग्ग-हरणेॅ विण्णि मि जणाह्ũ $ कुलभूसण-देसविहूसणाह्ũ

घत्ता॒
{प॰च॰६५,१२.९} परितुट्ठऍण $ विज्जउ जिह वर-गेहिणिउ
जं (?) दिण्णियउ $ गरुड-मिगाहिव-वाहिणिउ


कण्ड ४, संधि ६५, कडवक १३॒


{प॰च॰६५,१३.१} सो गरुडु देउ झाइउ मणेॅण $ थरहरिउ णवर सह्ũ आसणेॅण
{प॰च॰६५,१३.२} किर अवहि पउञ्जेॅवि सङ्कियउ $ "लइ वुज्झिउ रामें चिन्तियउ"
{प॰च॰६५,१३.३} पुणु चिन्तेॅवि देउ समुट्ठियउ $ लहु विज्जउ लेप्पिणु पट्ठविउ
{प॰च॰६५,१३.४} हरिवाहणि सत्त-सऍहिॅ सहिय $ गारुड ताहेॅ वि ति-सऍहिॅ अहिय
{प॰च॰६५,१३.५} वे छत्तइँ ससि-सूर-प्पहइँ $ रयणाइँ तिण्णि रणेॅ दूसहइँ
{प॰च॰६५,१३.६} गय विज्ज पत्त णारायणहेॅ $ हल-मुसलइँ सीर-प्पहरणहेॅ
{प॰च॰६५,१३.७} चिन्तिय-मेत्तइँ सम्पाइयइँ $ मुक्कइँ पर-वलहेॅ पधाइयइँ
{प॰च॰६५,१३.८} तहेॅ गारुड-विज्जहेॅ दंसणेॅण $ गय णाग-पास णासेॅवि खणेॅण

घत्ता॒

{प॰च॰६५,१३.९} भामण्डलेॅण $ सुग्गीवेण वि गम्पि वलु
जोक्कारियउ $ लाऍवि सिरेॅ स इँ भु व-जुवलु



[६६. छासट्ठिमो संधि] ----------



जुज्झण-मणइँ $ अरुणुग्गमेॅ किय-कलयलइँ
अब्भिट्टाइँ $ पुणु वि राम-राम्वण-वलइँ


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक १॒

{प॰च॰६६,१.१} गयवर-तुरय-जोह-रह-सीह-विमाण-पवाहणाइं $ रण-तूरइँ हयाइँ किउ कलयलु भिडियइँ साहणाइं

{प॰च॰६६,१.२} जाउ महाहवु वेहाविद्धह्ũ $ वलह्ũ णिसायर-वाणर-चिन्धह्ũ
{प॰च॰६६,१.३} दणु-विणिवारण-पहरण-हत्थह्ũ $ अमर-वरङ्गण-गहण-समत्थह्ũ
{प॰च॰६६,१.४} परिओसाविय-सुरवर-सत्थह्ũ $ वद्धिय-जयसिरि-विक्कम-पन्थह्ũ
{प॰च॰६६,१.५} गलगज्जन्त-मत्त-मायङ्गह्ũ $ पवण-गमण-पक्खरिय-तुरङ्गह्ũ
{प॰च॰६६,१.६} दप्पुब्भडह्ũ समुण्णय-माणह्ũ $ घण्टा-घण-टङ्कार-विमाणह्ũ
{प॰च॰६६,१.७} सगुड-सणाहह्ũ सन्दण-वीढह्ũ $ पुव्व-वइर-मच्छर-परिगीढह्ũ
{प॰च॰६६,१.८} उद्धुव-धवल-छत्त-धय-दण्डह्ũ $ पवर-करप्फालिय-कोवण्डह्ũ
{प॰च॰६६,१.९} मेल्लिय-एक्कमेक्क-सर-जालह्ũ $ तिक्खुग्गामिय-कर-करवालह्ũ

घत्ता॒

{प॰च॰६६,१.१०} भिडेॅ पढमयरेॅ $ रउ चलणाहउ लइय-छलु
णं उत्थियउ $ सुअण-मुहइँ मइलन्तु खलु


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक २॒

{प॰च॰६६,२.१} खुर-खर-छज्जमाणु णं णासइ भइयऍ हयवराहुं $ णं आइउ णिवारओ णं हक्कारउ सुरवराहुं

{प॰च॰६६,२.२} णं पाय-पहारहेॅ ओसरेॅवि $ धाइउ णिय-परिहउ सम्भरेॅवि
{प॰च॰६६,२.३} णं दुज्जणु सीस-वलग्गु किउ $ णं उत्तमु सव्वह्ũ उअरि थिउ
{प॰च॰६६,२.४} सो ण वि रहु जेत्थु ण पइसरिउ $ सो ण वि गउ जो ण वि धूसरिउ
{प॰च॰६६,२.५} सो ण वि हउ जो ण वि मइलियउ $ सो ण वि धउ जो ण वि कवलियउ
{प॰च॰६६,२.६} जउ रमइ दिट्ठि तउ रय-णियरु $ णउ णावइ मणुसु ण रयणियरु
{प॰च॰६६,२.७} तेत्तहेॅ वि के वि धावन्ति भड $ जेत्तहेॅ गलगज्जइ हत्थि-हड
{प॰च॰६६,२.८} जेत्तहेॅ सन्दण दणु-मीसियइँ $ सुव्वन्ति तुरङ्गम-हिंसियइँ
{प॰च॰६६,२.९} जेत्तहेॅ धणुहर गुण-गहिय-सर $ जेत्तहेॅ हुङ्कार मुअन्ति णर

घत्ता॒

{प॰च॰६६,२.१०} तेहऍ समरेॅ $ सूराह मि भज्जन्ति मइ
गय-गिरिवरेॅहिॅ $ ताम समुट्ठिय रुहिर-णइ


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक ३॒

{प॰च॰६६,३.१} गयवर-गण्ड-सेल-सिहग्ग-विणिग्गय णइ तुरन्ति $ उद्धुव-धवल-छत्त डिण्डीरुप्पील-समुव्वहन्ति

{प॰च॰६६,३.२} पवरोज्झर-सोणिय-जल-पवाह $ करि-मयर-तुरङ्गम-णक्क-गाह
{प॰च॰६६,३.३} चक्कोहर-सन्दण-सुंसुमार $ करवाल-मच्छ-परिहच्छ-वार
{प॰च॰६६,३.४} मत्तेभ-कुम्भ-भीसण-सिलोह $ सिय-चमर-वलाया-पन्ति-सोह
{प॰च॰६६,३.५} तं णइ तरेवि केॅ वि वावरन्ति $ वुड्डन्ति के वि केॅ वि उव्वरन्ति
{प॰च॰६६,३.६} के वि रय-धूसर केॅ वि रुहिर-लित्त $ केॅ वि हत्थि-हडऍ विहुणेवि घित्त
{प॰च॰६६,३.७} केॅ वि लग्ग पडीवा दन्त-मुसलेॅ $ णं धुत्त विलासिणि-सिहिण-जुअलेॅ
{प॰च॰६६,३.८} केॅ वि णियय-विमाणहेॅ झम्प देन्ति $ णहेॅ णिवडेॅवि वइरिहिॅ सिरइँ लेन्ति
{प॰च॰६६,३.९} तहिॅ तेहऍ रणेॅ सोणिय-जलेण $ रउ णासिउ सज्जणु जिह खलेण

घत्ता॒

{प॰च॰६६,३.१०} रावण-वलेॅण $ किउ विवरामुहु राम-वलु
पडिपेल्लियउ $ णं दुव्वाएं उवहि-जलु


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक ४॒

{प॰च॰६६,४.१} णिसियर-पवर-पहर-पडिपेल्लिऍ वलेॅ मम्भीस देवि $ हत्थ-पहत्थ-सत्तु सेणावइ थिय णल-णील वे वि

{प॰च॰६६,४.२} समालग्ग सेण्णे $ धय-च्छत्त-वण्णे
{प॰च॰६६,४.३} जयासावगूढे $ विमाणेहिॅ वूढे
{प॰च॰६६,४.४} चलच्चामरोहे $ पढुक्कन्त-जोहे
{प॰च॰६६,४.५} कमुग्गिण्ण-सीहे $ णहुप्पील-दीहे
{प॰च॰६६,४.६} महाहत्थि-सण्डेॅ $ समुद्दण्ड-सुण्डेॅ
{प॰च॰६६,४.७} तुरङ्गोह-सोहे $ घणे सन्दणोहे
{प॰च॰६६,४.८} तहिॅ ढुक्कमाणे $ वले अप्पमाणे
{प॰च॰६६,४.९} कइन्दद्धएहिॅ $ भिडन्तएहिॅ तेहिॅ
{प॰च॰६६,४.१०} दसासस्स सेण्णं $ कयं वाण-छण्णं
{प॰च॰६६,४.११} ण सो छत्त-दण्डो $ अछिण्णो अकण्डो
{प॰च॰६६,४.१२} ण तं सत्तु-चिन्धं $ रणे जण्ण विद्धं
{प॰च॰६६,४.१३} ण सो मत्त-हत्थी $ वणो जस्स णत्थी
{प॰च॰६६,४.१४} ण तं हत्थि-गत्तं $ खयं जण्ण पत्तं

घत्ता॒

{प॰च॰६६,४.१५} सो णत्थि भडु $ जो ढुक्कइ सवडम्मुहउ
सो रहु जेॅ ण वि $ जो रणेॅ ण किउ परम्मुहउ


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक ५॒

{प॰च॰६६,५.१} वलेॅ मम्भीस देवि रहु वाहिउ ताव दसाणणेणं $
अहिणव-लच्छि-वहुव-पिण्डत्थण-परिचड्डण-मणेणं
{प॰च॰६६,५.२} अग्गि व तरुवराहँ सीहो व कुञ्जराहँ $
भिडइ ण भिडइ जाम्व णल-णील-णरवराहँ
{प॰च॰६६,५.३} ताम्व विहीसणेण रहु दिण्णु अन्तराले $ गलगज्जन्त ढुक्क मेह व्व वरिसयाले
{प॰च॰६६,५.४} भीसण विसहर व्व सद्दूल-वग्घ-चण्डा $ ओरालन्त मत्त हथि व्व गिल्ल-गण्डा
{प॰च॰६६,५.५} वर-णङ्गूल-दीह सीह व णिवद्ध-रोसा $ अचल महीहर व्व जलहि व्व गरुअ-घोसा
{प॰च॰६६,५.६} वेण्णि वि पवर-सन्दणा वे वि चाव-हत्था $ वेण्णि वि रक्खस-द्धया समर-भर-समत्था
{प॰च॰६६,५.७} वेण्णि वि महिहर व्व ण कयावि चल-सहावा $ वेण्णि वि सुद्ध-वंस वेण्णि वि महाणुभावा
{प॰च॰६६,५.८} वेण्णि वि धीर वीर विज्जु व्व वेय-चवला $ वेण्णि वि वाल-कमल-सोमाल-चलण-जुवला
{प॰च॰६६,५.९} वेण्णि वि वियड-वच्छ थिर-थोर-वाहु-दण्डा $ वेण्णि वि चत्त-जीवियासाहवे पचण्डा

घत्ता॒

{प॰च॰६६,५.१०} तहिॅ एक्कु पर $ एत्तिउ दोसु दसाणणहेॅ
जं जणय-सुअ $ खणु वि ण फिट्टइ णिय-मणहेॅ


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक ६॒

{प॰च॰६६,६.१} अमरिस-कुद्धएण अमर-वरङ्गण-जूरावणेणं $ णिब्भच्छिउ विःीसणो पढम-भिडन्तें रावणेणं

{प॰च॰६६,६.२} "अरेॅ खल दुव्वियड्ढ कुल-फंसण $ मइँ लङ्काहिउ मुऍवि विहीसण
{प॰च॰६६,६.३} चङ्गउ सामिसालु ओलग्गिउ $ महि-गोअरु वराउ एक्कङ्गिउ
{प॰च॰६६,६.४} उद्धुव-पुच्छ-दण्डु णह-दीहरु $ केसरि मुऍवि पसंसिउ मिगवरु
{प॰च॰६६,६.५} सव्वङ्गिउ चामियर-पसाहणु $ मेरु मुएवि पसंसिउ पाहणु
{प॰च॰६६,६.६} तेय-रासि णहसिरि-आलिङ्गणु $ भाणु मुएवि धरिउ जोइङ्गणु
{प॰च॰६६,६.७} जलयर-जलकल्लोल-भयङ्करु $ जलहि मुएवि पसंसिउ सरवरु
{प॰च॰६६,६.८} णरउ धरेॅवि सिव-सासउ वञ्चिउ $ जिणु परिहरेॅवि कु-देवउ अञ्चिउ
{प॰च॰६६,६.९} जासु ण केण वि णावइ णाउं $ सो पइँ गहिउ विहीसण राउं

घत्ता॒

{प॰च॰६६,६.१०} वइरिहिॅ मिलेॅवि $ जिह उग्गामिउ खम्भु महु
तिह आहयणेॅ $ परिसर साइउ देहि लहु"


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक ७॒

{प॰च॰६६,७.१} तं णिसुणेॅवि सोण्डीर-वीर(?)-सन्तावणेणं $ णिब्भच्छिउ दसाणणो कुइय-मणेण विहीसणेणं

{प॰च॰६६,७.२} "सच्चउ जेॅ आसि तुह्ũ देव-देव $ एवहिॅ लहुआरउ कु-मुणि जेव
{प॰च॰६६,७.३} सच्चउ जि आसि तुह्ũ वर-मइन्दु $ एवहिॅ वुण्णाणणु हरिण-विन्दु
{प॰च॰६६,७.४} सच्चउ जेॅ आसि तुह्ũ मेरु चण्डु $ एवहिॅ णिग्गुणु पाहाण-कण्डु
{प॰च॰६६,७.५} सच्चउ जि आसि रवि तेयवन्तु $ एवहिॅ जोइङ्गणु जिगिजिगन्तु
{प॰च॰६६,७.६} सच्चउ जि आसि जलणिहि पहाणु $ एवहिॅ वट्टहि गोप्पय-समाणु
{प॰च॰६६,७.७} सच्चउ जि आसि सरु सारविन्दु $ एवहिॅ पुणु तोय-तुसार-विन्दु
{प॰च॰६६,७.८} सच्चउ जि आसि तुह्ũ गन्ध-हत्थि $ एवहिॅ तउ सरिसउ खरु वि णत्थि
{प॰च॰६६,७.९} गिरि-समु कण्डिउ चारित्तु जेण $ किं कीरइ जीवन्तेण तेण

घत्ता॒

{प॰च॰६६,७.१०} सच्चउ जेॅ मइँ $ तइउ खम्भु उप्पाडियउ
लइ एवहिॅ मि $ केत्तहेॅ जाहि अ-पाडियउ


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक ८॒

{प॰च॰६६,८.१} तं णिसुणेवि वयणु दहवयणें अमरिस-कुद्धएणं $ मेल्लिउ अद्धयन्दु समरङ्गणेॅ जय-जस-लुद्धएणं
{प॰च॰६६,८.२} मुणिवरिन्दो व्व सरु मोक्ख-पय-कङ्खओ $ तरु विसोसु व्व अइ-तिक्ख-पय-सञ्जुओ
{प॰च॰६६,८.३} कव्व-वन्धो व्व वहु-वण्ण-वण्णब्भुओ $ कुलवहू-चित्त-मग्गो व्व सुट्ठुज्जुओ
{प॰च॰६६,८.४} मुच्चमाणेण कह कह वि णउ भिण्णओ $ तेण तस्स वि धओ णवर उच्छिण्णओ
{प॰च॰६६,८.५} रावणेण वि धणु समरेॅ दोहाइयं $ ताम्व तं दन्द-जुज्झं समोहाइयं
{प॰च॰६६,८.६} भिडिय मन्दोयरि-तणय-णारायणा $ कुम्भयण्णाणिली राम-घणवाहणा
{प॰च॰६६,८.७} णील-सीहयडि दुद्धरिस-वियडोअरा $ केउ-भामण्डला काम-दिढरह वरा
{प॰च॰६६,८.८} कालि-वन्दणहरा कन्द-भिण्णञ्जणा $ सम्भु-णल विग्घ-चन्दोयराणन्दणा
{प॰च॰६६,८.९} जम्वुमालिन्द धूमक्ख-कुन्दाहिवा $ भासुरङ्गा-मयङ्गय-महोयर णिवा
{प॰च॰६६,८.१०} कुमुअ-महकाय सद्दूल-जमघण्टया $ रम्भ-विहि मालि-सुग्गीव अब्भिट्टया
{प॰च॰६६,८.११} तार-मारिच्च सारण-सुसेणाहिवा $ सुअ-पचण्डालि सञ्झच्छ-दहिमुह णिवा

घत्ता॒

{प॰च॰६६,८.१२} अण्णेक्कहु मि $ भुअणेक्केक्क-पहाणाह्ũ
कें सक्कियउ $ गण्ण गणेप्पिणु राणाह्ũ


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक ९॒

{प॰च॰६६,९.१} केण वि को वि दोच्छिओ "मरु सवडम्मुहु थाहि थाहि" $ केण वि को वि वुत्तु समरङ्गणेॅ "रहवरु वाहि वाहि"


{प॰च॰६६,९.२} केण वि को वि महा-सर-जालें $ छाइउ जिह सु-कालु दुक्कालें
{प॰च॰६६,९.३} केण वि को वि भिण्णु वच्छ-त्थलेॅ $ पडिउ घुलेवि को वि महि-मण्डलेॅ
{प॰च॰६६,९.४} केण वि कहेॅ वि सरासणु ताडिउ $ णं हेट्ठा-मुहु हियवउ पाडिउ
{प॰च॰६६,९.५} केण वि कहेॅ वि कवउ णीवट्टिउ $ वलि जिह दस-दिसेहिॅ आवट्टिउ
{प॰च॰६६,९.६} केण वि कहेॅ वि महद्धउ पाडिउ $ णं मउ माणु मडप्फरु साडिउ
{प॰च॰६६,९.७} केण वि दन्ति-दन्तु उप्पाडिउ $ णावइ जसु अप्पणउ भमाडिउ
{प॰च॰६६,९.८} केण वि झम्प दिण्ण रिउ-रहवरेॅ $ गरुडें जिह भुअङ्ग-भुवणन्तरेॅ
{प॰च॰६६,९.९} केण वि कहेॅ वि सीसु अच्छोडिउ $ णं अवराह-रुक्ख-फलु तोडिउ

घत्ता॒

{प॰च॰६६,९.१०} केण वि समरेॅ $ दिण्णु विवक्खहेॅ हियउ थिरु
जीविउ जमहेॅ $ पहरहेॅ उरु सामियहेॅ सिरु


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक १०॒

{प॰च॰६६,१०.१} केण वि कहेॅ वि मुक्क पण्णत्ती णरवर-पुज्जणिज्जा $ केण वि गुलगुलन्ति मायङ्गी केण वि सीह-विज्जा

{प॰च॰६६,१०.२} केण वि मेल्लिउ अग्गेउ वाणु $ केण वि वारुणु गलगज्जमाणु
{प॰च॰६६,१०.३} केण वि वायउ झडझडझडन्तु $ केण वि कुल-पव्वउ धुद्धुवन्तु
{प॰च॰६६,१०.४} केण वि भय-भीसणु कुलिस-दण्डु $ किउ महिहरत्थु सय-कण्ड-कण्डु
{प॰च॰६६,१०.५} केण वि आसीविसु णाग-वासु $ केण वि गारुडु पण्णय-विणासु
{प॰च॰६६,१०.६} तहिॅ तेहऍ रणेॅ कमलेक्खणासु $ इन्दइणा ऽमेल्लिउ लक्खणासु
{प॰च॰६६,१०.७} दुद्दरिसणु भीसणु रयणि-अत्थु $ सोण्डीर-वीर-मोहण-समत्थु
{प॰च॰६६,१०.८} कङ्काल-करालु तमाल-वहलु $ णच्चन्त-पेय-वेयाल-मुहलु
{प॰च॰६६,१०.९} लक्खणेण पमेल्लिउ दिणयरत्थु $ णिसि-तिमिर-पडल-णासण-समत्थु

घत्ता॒

{प॰च॰६६,१०.१०} दहमुह-सुऍण $ णाग-वासु पुणु पेसियउ
सेॅ वि लक्खणेॅण $ गारुड-विज्जऍ तासियउ


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक ११॒
{प॰च॰६६,११.१} विरहु करेवि धरिउ दहमुह-णन्दणु णारायणेण $ तोयदवाहणो वि वलएवें विप्फुरियाणणेण

{प॰च॰६६,११.२} एत्तहेॅ वि हणुउ वहु-मच्छरेण $ किर आयामिज्जइ णिसियरेण
{प॰च॰६६,११.३} ताणन्तरेॅ रामें सरहिॅ छिण्णु $ जिउ कह वि किलेसें कुम्भयण्णु
{प॰च॰६६,११.४} पेक्खन्तहेॅ तहेॅ रावण-वलासु $ वन्धेॅवि अप्पिउ भामण्डलासु
{प॰च॰६६,११.५} अवरो वि को वि जो भिडिउ जासु $ परमप्पउ व्व सो सिद्धु तासु
{प॰च॰६६,११.६} एत्तहेॅ वि ताव भय-भीसणेण $ रावण-धणु छिण्णु विहीसणेण
{प॰च॰६६,११.७} परियलिऍ चावेॅ सिय-माणणेण $ आमेल्लिउ सूलु दसाणणेण
{प॰च॰६६,११.८} सरवरेॅहिॅ तं पि अक्खित्तु केम $ वलि भुक्खिएहिॅ भूएहिॅ जेम
{प॰च॰६६,११.९} रोसिउ दहगीउ वि लइय सत्ति $ णावइ दरिसावइ णियय सत्ति

घत्ता॒

{प॰च॰६६,११.१०} दाहिणऍ करेॅ $ रेहइ कइकसि-णन्दणहेॅ
सम्पाइय (?) $ णाइँ भवित्ति जणद्दणहेॅ


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक १२॒

{प॰च॰६६,१२.१} जो गज्जन्त-मत्त-मायङ्ग-कुम्भ-णिद्दलण-सीला $ दुद्धर-णरवरिन्द-दणुइन्द-विन्द-विद्दवण-लीला

{प॰च॰६६,१२.२} जा वइरि-णारि-रोवावणिय $ रह-तुरय-लोट्टावणिय
{प॰च॰६६,१२.३} जा विज्जु जेम्व भीसावणिय $ जम-लोय-पन्थ-दरिसावणिय
{प॰च॰६६,१२.४} जा दिण्णी वालि-तव-च्चरणेॅ $ धरणेन्दें कविलासुद्धरणेॅ
{प॰च॰६६,१२.५} सा सत्ति सत्तु-सन्तासणहेॅ $ किर मुअइ ण मुअइ विहीसणहेॅ
{प॰च॰६६,१२.६} तावहिॅ खर-दूसण-मद्दणेॅण $ रहु अन्तरेॅ दिण्णु जणद्दणेण
{प॰च॰६६,१२.७} "अरेॅ खल जीवन्तु ण जाहि महु $ जइ सत्ति सत्ति तो मेल्लि लहु"
{प॰च॰६६,१२.८} तं णिसुणेॅवि रयणासव-सुऍण $ आमेल्लिय गञ्जोल्लिय-भुऍण
{प॰च॰६६,१२.९} विन्धन्तह्ũ णल-णीलङ्गयह्ũ $ अवरहु मि असेसह्ũ कइधयह्ũ

घत्ता॒

{प॰च॰६६,१२.१०} तो लक्खणहेॅ $ पडिय उर-त्थलेॅ सत्ति किह
दिहि रावणहेॅ $ रामहेॅ दुक्खुप्पत्ति जिह


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक १३॒

{प॰च॰६६,१३.१} तं पाडिउ कुमारु महिमण्डलेॅ तं णीसरिय-णामु $ जिह कुञ्जरेॅ मइन्दु तिह समरे सरहसु भिडिउ रामु

{प॰च॰६६,१३.२} रामण-राम-जुज्झु अब्भिट्टउ $ सरहसु णिब्भर-पुलय-विसट्टउ
{प॰च॰६६,१३.३} अच्छर-जण-मण-णयणाणन्दह्ũ $ अप्फालिय-सुर-दुन्दुहि-सद्दह्ũ
{प॰च॰६६,१३.४} सन्धिय-सर-वद्धिय-सिङ्गारह्ũ $ वारवार जिण-णामुच्चारह्ũ
{प॰च॰६६,१३.५} वाणासणि-सञ्छाइय-गयणह्ũ $ पहरेॅ पहरेॅ पप्फुल्लिय-वयणह्ũ
{प॰च॰६६,१३.६} तो एत्थन्तरेॅ गय-सय-थामें $ किउ रिउ विरहु छ-वारउ रामें
{प॰च॰६६,१३.७} पहिलउ रहवरु रासह-वाहणु $ वीयउ सरहसु सरह-पवाहणु
{प॰च॰६६,१३.८} तइयउ तुङ्ग-तुरङ्गम-चञ्चलु $ चउथउ घोरोरालिय-मयगलु
{प॰च॰६६,१३.९} पञ्चमु वर-सद्दूल-णिउत्तउ $ छट्ठउ केसरि-सय-सञ्जुत्तउ

घत्ता॒

{प॰च॰६६,१३.१०} किङ्किणि-मुहल $ चल-वाहण धुव-धवल-धय
दुप्पुत्त जिह $ छ वि रहवर णिप्फल गय (?)


कण्ड ४, संधि ६६, कडवक १४॒

{प॰च॰६६,१४.१} रह छह छह धणूणि छ छत्तइँ वि छिण्णइँ हलहरेण $ तो वि ण दिण्ण पुट्ठि विज्जाहर-पुर-परमेसरेण

{प॰च॰६६,१४.२} वेण्णि वि अवरोप्परु सामरिस $ वेण्णि वि पउरुसेॅ साहसेॅ सरिस
{प॰च॰६६,१४.३} वेण्णि वि सुर-समर-सएहिॅ थिर $ वेण्णि वि जिण-णामें णमिय-सिर
{प॰च॰६६,१४.४} वेण्णि वि पहु कइ-णिसियर-धयह्ũ $ जिह दिस-गय सेस-महग्गयह्ũ
{प॰च॰६६,१४.५} जिणइ ण जिज्जइ एक्को वि जणु $ गउ ताम दिवायरु अत्थवणु
{प॰च॰६६,१४.६} विणिवारिउ रावणु राहवेॅण $ "अन्धारऍ काइँ महाहवेॅण
{प॰च॰६६,१४.७} ण वि तुह्ũ महु ण वि हũ तुज्झु अरि $ लइ णिय-णिय-णिलयह्ũ जाह्ũ वरि"
{प॰च॰६६,१४.८} तें वयणें रणु उवसङ्घरेॅवि $ गउ लङ्काहिउ कलयलु करेॅवि
{प॰च॰६६,१४.९} सीराउहो वि परियत्तु तहिॅ $ सत्तिऍ णिब्भिण्णु कुमारु जहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६६,१४.१०} तं णिऍवि वलु $ सुरकरि-कर-पवरुद्धुऍहिॅ
णिवडिउ महिहिॅ $ सिरु पहणन्तु स इं भु ऍहिॅ



[६७. सत्तसट्ठिमो संधि] ----------



लक्खणेॅ सत्तिऍ विणिभिण्णऍ $ लङ्क पइट्ठऍ दहवयणेॅ
णिय-सेण्णहेॅ मुहइँ णियन्तउ $ रुअइ स-दुक्खउ रामु रणेॅ


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक १॒


{प॰च॰६७,१.१} भिण्णु कुमारु दसाणण-सत्तिऍ $ पर-गन्थु व गमयत्तण-सत्तिऍ
{प॰च॰६७,१.२} कुकइ व सुकइ-कव्व-सम्पत्तिऍ $ कुपुरिस-कण्णो इव पर-तत्तिऍ
{प॰च॰६७,१.३} सुअणो इव खल-वयण-पउत्तिऍ $ पर-समउ व्व जिणागम-जुत्तिऍ
{प॰च॰६७,१.४} जिण-मग्गो इव केवल-भुत्तिऍ $ विसयासत्तु मुणि व्व ति-गुत्तिऍ
{प॰च॰६७,१.५} सद्दो इव सव्वाऍ विहत्तिऍ $ छन्दो इव मणहर-गायत्तिऍ
{प॰च॰६७,१.६} सेलु व वज्जासणिऍ पडन्तिऍ $ विञ्झो इव रेवाऍ वहन्तिऍ
{प॰च॰६७,१.७} मेहो इव विज्जुलऍ लवन्तिऍ $ जलणिहि व्व गङ्गाऍ मिलन्तिऍ
{प॰च॰६७,१.८} ताम समर-दंसणु अलहन्तिऍ $ णाइँ दिवसु ओसारिउ रत्तिऍ

घत्ता॒
{प॰च॰६७,१.९} दहमुह-सिरच्छेउ ण दिट्ठउ $ रहुवइ-णन्दणेॅ विजउ ण वि
सोमित्ति-सोय-सन्तत्तउ $ णं अत्थवणहेॅ ढुक्कु रवि


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक २॒


{प॰च॰६७,२.१} दिणयरेॅ णह-कुसुमेॅ व्व गलीणऍ $ दिणेॅ णिसि-वइरिऍ व्व वोलीणऍ
{प॰च॰६७,२.२} सञ्झा रक्खसि (?) व्व अल्लीणऍ $ तमेॅ मसि-सञ्चए व्व विक्खिण्णऍ
{प॰च॰६७,२.३} कञ्चुव(?) सयणेॅ व सोआउण्णऍ $ चक्क-जुवलेॅ मिहुणेॅ व्व परुण्णऍ
{प॰च॰६७,२.४} गऍ रावणेॅ रण-रहसुब्भिण्णऍ $ किय-कलयलेॅ जय-तूर-पदिण्णऍ
{प॰च॰६७,२.५} णिसियर-जणवऍ दिहि-सम्पण्णऍ $ घरेॅ घरेॅ पुणु सोहलऍ रवण्णऍ
{प॰च॰६७,२.६} लक्खणेॅ सत्तिऍ हऍ पडिवण्णऍ $ थिऍ णिच्चेयणेॅ धरणि-पवण्णऍ
{प॰च॰६७,२.७} अलिउल-कज्जल-कुवलय-वण्णऍ $ सुह-लक्खणेॅ गुण-गण-सम्पण्णऍ
{प॰च॰६७,२.८} कइधय-साहणेॅ चिन्तावण्णऍ $ हरिण-उले व्व सुट्ठु आदण्णऍ

घत्ता॒

{प॰च॰६७,२.९} सोमित्ति-सोय-परिणामेॅण $ रहुवइ-णन्दणु मुच्छियउ
जल-चन्दण-चमरुक्खेवेॅहिॅ $ दुक्खु दुक्खु उम्मुच्छियउ


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक ३॒


{प॰च॰६७,३.१} "हा लक्खण कुमार एक्कोअर $ हा भद्दिय उविन्द दामोअर
{प॰च॰६७,३.२} हा माहव महुमह महुसूअण $ हा हरि कण्ह विण्हु णारायण
{प॰च॰६७,३.३} हा केसव अणन्त लच्छीहर $ हा गोविन्द जणद्दण महिहर
{प॰च॰६७,३.४} हा गम्भीर-महाणइ-रुम्भण $ हा सीहोयर-दप्प-णिसुम्भण
{प॰च॰६७,३.५} हा हा वज्जयण्ण-मम्भीसण $ हा कल्लाणमाल-आसासण
{प॰च॰६७,३.६} हा हा रुद्दभुत्ति-विणिवारण $ हा हा वालिखिल्ल-साहारण
{प॰च॰६७,३.७} हा हा कविल-मरट्ट-विमद्दण $ हा वणमाला-णयणाणन्दण
{प॰च॰६७,३.८} हा अरिदमण-मडप्फर-भञ्जण $ हा जियपोम-सोम-मणरञ्जण
{प॰च॰६७,३.९} हा महरिसि-उवसग्ग-विणासण $ हा आरण्ण-हत्थि-सन्तावण
{प॰च॰६७,३.१०} हा करवाल-रयण-उद्दालण $ सम्बुकुमार-विणास-णिहालण
{प॰च॰६७,३.११} हा खर-दूसण-चमु-मुसुमूरण $ हा सुग्गीव-मणोरह-पूरण
{प॰च॰६७,३.१२} हा हा कोडिसिला-सञ्चालण $ हा मयरहरावत्तप्फालण

घत्ता॒

{प॰च॰६७,३.१३} कहिॅ तुह्ũ कहिॅ हũ कहिॅ पिययम $ कहिॅ जणेरि कहिॅ जणणु गउ
हय-विहि विच्छोउ करेप्पिणु $ कवण मणोरह पुण्ण तउ"


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक ४॒


{प॰च॰६७,४.१} हरि-गुण सम्भरन्तु विद्दाणउ $ रुवइ स-दुक्खउ राहव-राणउ
{प॰च॰६७,४.२} "वरि पहरिउ पर-णरवर-चक्कऍ $ वरि खय-कालु ढुक्कु अत्थक्कऍ
{प॰च॰६७,४.३} वरि तं कालकूडु विसु भक्खिउ $ वरि जम-सासणु णयणकडक्खिउ
{प॰च॰६७,४.४} वरि असि-पञ्जरेॅ थिउ थोवन्तरु $ वरि सेविउ कयन्त-दन्तन्तरु
{प॰च॰६७,४.५} झम्प दिण्ण वरि जलणेॅ जलन्तऍ $ वरि वगलामुहेॅ भमिउ भमन्तऍ
{प॰च॰६७,४.६} वरि वज्जासणि सिरेॅण पडिच्छिय $ वरि ढुक्कन्ति भवित्ति समिच्छिय
{प॰च॰६७,४.७} वरि विसहिउ जम-महिस-झडक्किउ $ भीसण-कालदिट्ठि-अहि-डङ्किउ
{प॰च॰६७,४.८} वरि विसहिउ केसरि-णह-पञ्जरु $ वरि जोइउ कलि-कालु सणिच्छरु

घत्ता॒

{प॰च॰६७,४.९} वरि दन्ति-दन्त-मुसलग्गेॅहिॅ $ विणिभिन्दाविउ अप्पणउ
वरि णरय-दुक्खु आयामिउ $ णउ विओउ भाइहेॅ तणउ"


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक ५॒


{प॰च॰६७,५.१} पक्कन्दन्तें राहवचन्दें $ मुक्क धाह सुग्गीव-णरिन्दें
{प॰च॰६७,५.२} मुक्क धाह भामण्डल-राएं $ मुक्क धाह पवणञ्जय-जाएं
{प॰च॰६७,५.३} मुक्क धाह चन्दोयर-पुत्तें $ अण्णु विहीसणेण दुक्खत्तें
{प॰च॰६७,५.४} मुक्क धाह अङ्गङ्गय-वीरेॅहिॅ $ तार-सुसेणहिॅ रणउहेॅ धीरेॅहिॅ
{प॰च॰६७,५.५} मुक्क धाह गय-गवय-गवक्खेॅहिॅ $ णन्दण-दुरियविग्घ-वेलक्खेॅहिॅ
{प॰च॰६७,५.६} मुक्क धाह णल-णील-णरिन्देॅहिॅ $ जम्वव-रम्भ-कुमुय-कुन्देन्देॅहिॅ
{प॰च॰६७,५.७} मुक्क धाह माहिन्द-महिन्देॅहिॅ $ दहिमुह-दढरह-सेउ-समुद्देॅहिॅ
{प॰च॰६७,५.८} पिहुमइ-मइसायर-मइकन्तेॅहिॅ $ मुक्क धाह सव्वेॅहिॅ सामन्तेॅहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६७,५.९} रणेॅ रामें कलुणु रुअन्तऍण $ सन्दीविउ सन्ताव-हवि
सो णत्थि कइद्धय-साहणेॅ $ जेण ण मुक्की धाह णवि


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक ६॒


{प॰च॰६७,६.१} एहावत्थ जाम्व हलहेइहेॅ $ दुद्दम-दाणविन्द-वल-खेइहेॅ
{प॰च॰६७,६.२} दाणेॅ महाहयणेॅहिॅ परिछेइहेॅ $ केण वि कहिउ ताम्व वइदेहिहेॅ
{प॰च॰६७,६.३} उर-णियम्व-गरुअहेॅ किस-देहिहेॅ $ रामयन्द-मुह-दंसण-णेहिहेॅ
{प॰च॰६७,६.४} "सीऍ सीऍ लइ अच्छइ काइं $ सीऍ सीऍ लइ आहरणाइं
{प॰च॰६७,६.५} सीऍ सीऍ अञ्जहि णयणाइं $ सीऍ सीऍ चउ पिय-वयणाइं
{प॰च॰६७,६.६} सीऍ सीऍ करेॅ वद्धावाणउ $ वलु लोट्टाविउ सुग्गीवाणउ
{प॰च॰६७,६.७} लइ दप्पणु जोवहि अप्पाणउ $ मुहु परिचुम्वहि दहवयणाणउ
घत्ता॒

{प॰च॰६७,६.८} रावण-सत्तिऍ विणिभिण्णउ $ दुक्करु जिअइ कुमारु रणेॅ
परिहव-अहिमाण-विहूणउ $ लइ रामु वि मुअउ ज्जेॅ गणेॅ"


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक ७॒


{प॰च॰६७,७.१} तं णिसुणेॅवि वइदेहि पमुच्छिय $ हरियन्दणेॅण सित्त उम्मुच्छिय
{प॰च॰६७,७.२} चेयण लहेॅवि रुवन्ति समुट्ठिय $ "हा खल खुद्द पिसुण विहि दुत्थिय
{प॰च॰६७,७.३} लक्खणु मरइ दसाणणु छुट्टइ $ हियउ केम तउ उद्धु ण फुट्टइ
{प॰च॰६७,७.४} छिण्ण-सीस हा दइव दुहावह $ कवण तुज्झ किर पुण्ण मणोरह
{प॰च॰६७,७.५} हा कयन्त तउ कवण सुहच्छी $ जं रण्डत्तणु पाविय लच्छी
{प॰च॰६७,७.६} हा लक्खण पेसणहेॅ णिउत्ती $ कहेॅ छड्डिय जय-सिरि कुल-उत्ति
{प॰च॰६७,७.७} हा लक्खण पइँ विणु महि सुण्णी $ धाह मुएवि सरासइ रुण्णी
{प॰च॰६७,७.८} हा लक्खण कल्लऍ पवराहवु $ कहेॅ एक्कल्लउ मेल्लिउ राहउ

घत्ता॒

{प॰च॰६७,७.९} णिय-वन्धव-सयण-विहूणिय $ दुह-भायण परिचत्त-सिय
मइँ जेही दुक्खहँ भायण $ तिहुअणेॅ का वि म होज्ज तिय"


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक ८॒


{प॰च॰६७,८.१} तहिॅ अवसरेॅ सुर-मिग-सन्तावणु $ णिय-सामन्त गवेसइ रावणु
{प॰च॰६७,८.२} को मुउ को जीवइ को पडियउ $ को सङ्गामेॅ कासु अब्भिडियउ
{प॰च॰६७,८.३} को मायङ्ग-दन्त-विणिभिण्णउ $ को करवाल-पहर-परिछिण्णउ
{प॰च॰६७,८.४} को णाराय-घाय-जज्जरियउ $ को कण्णिय-खुरुप्प-कप्परियउ
{प॰च॰६७,८.५} केण वि वुत्तु "भडारा रावण $ पवण-कुवेर-वरुण-जूरावण
{प॰च॰६७,८.६} अज्ज वि कुम्भयण्णु णउ आवइ $ तोयदवाहणु सो वि चिरावइ
{प॰च॰६७,८.७} वत्त ण सुव्वइ इन्दइ-रायहेॅ $ सीहणियम्वहेॅ णउ महकायहेॅ
{प॰च॰६७,८.८} जम्वुमालि जमघण्टु ण दीसइ $ एक्कु वि णाहिॅ सेण्णेॅ किं सीसइ

घत्ता॒

{प॰च॰६७,८.९} लइ जेहिॅ जेहिॅ वग्गन्तउ $ ते ते विणिवाइय समरेॅ
थिउ एवहिॅ सूडिय-वक्खउ $ जं जाणहि तं देव करेॅ"


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक ९॒

{प॰च॰६७,९.१} तं णिसुणेवि दसाणणु हल्लिउ $ णं वच्छ-त्थलेॅ सूलें सल्लिउ
{प॰च॰६७,९.२} थिउ हेट्ठामुहु रावण-राणउ $ हिम-हउ सयवत्तु व विद्दाणउ
{प॰च॰६७,९.३} रुवइ स-दुक्खउ गग्गर-वयणउ $ वाह-भरन्त-णिरन्तर-णयणउ
{प॰च॰६७,९.४} "हा हा कुम्भयण्ण एक्कोअर $ हा हा मय मारिच्च महोयर
{प॰च॰६७,९.५} हा इन्दइ हा तोयदवाहण $ हा जमघण्ट अणिट्ठिय-साहण
{प॰च॰६७,९.६} हा केसरिणियम्व दणु-दारण $ जम्वुमालि हा सुअ हा सारण"
{प॰च॰६७,९.७} दुक्खु दुक्खु पुणु मण्ड णिवारिउ $ सोय-समुद्दहेॅ अप्पउ तारिउ
{प॰च॰६७,९.८} "तिक्ख-णहहेॅ लङ्गूल-पईहहेॅ $ किर केत्तिय सहाय वणेॅ सीहहेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६७,९.९} अच्छउ अच्छउ जो अच्छइ $ तो वि ण अप्पमि जणय-सुअ
किह वुच्चमि हũ एक्कल्लउ $ जासु सहेज्जा वीस भुअ


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक १०॒


{प॰च॰६७,१०.१} जो तहिॅ सारु कइद्धय-साहणेॅ $ सो मइँ सत्तिऍ भिण्णु रणङ्गणेॅ
{प॰च॰६७,१०.२} एवहिॅ एक्कु वहेवउ राहउ $ कल्लऍ तहेॅ वि महु वि पवराहउ
{प॰च॰६७,१०.३} कल्लऍ तहेॅ वि महु वि जाणिज्जइ $ एक्कमेक्क-णारायहिॅ भिज्जइ
{प॰च॰६७,१०.४} कल्लऍ तहेॅ वि महु वि एक्कन्तरु $ जिम्व तहेॅ जिम्व महु भग्गु मडप्फरु
{प॰च॰६७,१०.५} कल्लऍ वद्धावणउ तहेक्कहेॅ $ जिम्व उज्झा-णयरिहेॅ जिम्व लङ्कहेॅ
{प॰च॰६७,१०.६} कल्लऍ जिम्व मन्दोअरि रोवइ $ जिम्व जाणइ अप्पाणउ सोवइ
{प॰च॰६७,१०.७} कल्लऍ णच्चउ गहिय-पसाहणु $ जिम्व महु जिम्व तहेॅ केरउ साहणु
{प॰च॰६७,१०.८} कल्लऍ हुअवह-धगधगमाणहेॅ $ जिम्व सो जिम्व हũ ढुक्कु मसाणहेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६७,१०.९} जिम मइँ जिम्व तेण णिहालिउ $ खर-दूसण-सम्वुक्क-पहु
जिम मइँ जिम्व तेणालिङ्गिय $ कल्लऍ रणेॅ जयलच्छि-वहु"


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक ११॒

{प॰च॰६७,११.१} तो एत्थन्तरेॅ राहव-वीरें $ धीरिउ अप्पउ चरम-सरीरें
{प॰च॰६७,११.२} धीरिउ किक्किन्धाहिव-राणउ $ धीरिउ जम्ववन्तु वहु-जाणउ
{प॰च॰६७,११.३} धीरिउ रावण-उववण-मद्दणु $ सुहडु पहञ्जण-अञ्जण-णन्दणु
{प॰च॰६७,११.४} धीरिउ णलु णीलु वि भामण्डलु $ दिढरहु कुमुउ कन्दु ससिमण्डलु
{प॰च॰६७,११.५} धीरिउ रयणकेसि रइवद्धणु $ अङ्गउ अङ्गु तरङ्गु विहीसणु
{प॰च॰६७,११.६} धीरिउ चन्दरासि भामण्डलु $ हंसु वसन्तु सेउ वेलन्धरु
{प॰च॰६७,११.७} धीरिउ दहिमुहु कलुण-रसाहिउ $ गवउ गवक्खु सुसेणु विराहिउ
{प॰च॰६७,११.८} धीरिउ तरलु तारु तारामुहु $ कुन्दु महिन्दु इन्दु इन्दाउहु

घत्ता॒

{प॰च॰६७,११.९} अण्णु वि जो कोइ रुवन्तउ $ सो साहारेॅवि सक्कियउ
पर एक्कु दसासहेॅ उप्परि $ रोसु ण धीरेॅवि सक्कियउ


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक १२॒


{प॰च॰६७,१२.१} विरहाणल-जालोलि-पलित्तें $ अण्णु वि कोव-पहञ्जण-छित्तें
{प॰च॰६७,१२.२} किय पइज्ज रणेॅ राहवचन्दें $ "रिउ रक्खिज्जइ जइ वि सुरिन्दें
{प॰च॰६७,१२.३} जइ वि जणद्दणेण महि-माणें $ जइ वि तिलोयणेण वम्हाणें
{प॰च॰६७,१२.४} जइ वि जमेण कियन्तें धणएं $ खन्दें जइ वि तियक्खहेॅ तणएं
{प॰च॰६७,१२.५} जइ वि पहञ्जणेण जइ वरुणें $ जइ वि मियङ्कें अक्कें अरुणें
{प॰च॰६७,१२.६} पइसइ जइ वि सरणु कलि-कालहेॅ $ ल्हिक्कइ णहेॅ जलेॅ थलेॅ पायालहेॅ
{प॰च॰६७,१२.७} पइसइ जइ वि विवरेॅ गिरि-कन्दरेॅ $ सप्प-कियन्तमित्त-दन्तन्तरेॅ
{प॰च॰६७,१२.८} पेसमि सत्तु तो इ सइँ हत्थें $ तहेॅ मायासुग्गीवहेॅ पन्थें

घत्ता॒

{प॰च॰६७,१२.९} कल्लऍ कुमारेॅ अत्थन्तऍ $ णिविसु वि रावणु जिअइ जइ
तो अप्पउ डहमि वलन्तऍ $ हुववहेॅ किक्किन्धाहिवइ"


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक १३॒


{प॰च॰६७,१३.१} पइजारूढेॅ रामेॅ कुल-दीवें $ विरइउ वलय-वूहु सुग्गीवें
{प॰च॰६७,१३.२} माया-वलु वि विउव्विउ तक्खणेॅ $ थिउ परिरक्ख करेविणु लक्खणेॅ
{प॰च॰६७,१३.३} हय-गय-रह-पाइक्क-भयङ्करु $ णं जमकरणु सुट्ठु अइ-दुद्धरु
{प॰च॰६७,१३.४} उप्परि पवर-विमाणेॅहिॅ छण्णउ $ अब्भन्तरेॅ मणि-रयण-रवण्णउ
{प॰च॰६७,१३.५} सत्त पवर-पायाराहिट्ठिउ $ णं अहिणव-समसरणु परिट्ठिउ
{प॰च॰६७,१३.६} सट्ठि सहास मत्त-मायङ्गह्ũ $ गयवरेॅ गयवरेॅ पवर-रहङ्गह्ũ
{प॰च॰६७,१३.७} रहवरेॅ रहवरेॅ तुङ्ग-तुरङ्गह्ũ $ तुरऍ तुरऍ णरवरह्ũ अभङ्गह्ũ
{प॰च॰६७,१३.८} विरइउ एम वूहु णिच्छिद्दउ $ णं सु-कइन्द-कव्वु घण-सद्दउ

घत्ता॒

{प॰च॰६७,१३.९} भयगारउ दुप्पइसारउ $ दुण्णिरिक्खु सव्वहेॅ जणहेॅ
णं हियवउ सीयहेॅ केरउ $ अचलु अभेउ दसाणणहेॅ


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक १४॒


{प॰च॰६७,१४.१} पुव्व-दिसाऍ विजउ जस-लुद्धउ $ पहिलऍ वारेॅ स-रहु स-रहद्धउ
{प॰च॰६७,१४.२} वीयऍ मारुइ तइयऍ दुम्मुहु $ कुन्दु चउत्थऍ पञ्चमेॅ दहिमुहु
{प॰च॰६७,१४.३} छट्ठऍ मन्दहत्थु सत्तमेॅ गउ $ उत्तर-वारेॅ पहिल्लऍ अङ्गउ
{प॰च॰६७,१४.४} वीयऍ अङ्गदु तइअऍ णन्दणु $ चउत्थेॅ (?) कुमुउ पञ्चमेॅ रइवद्धणु
{प॰च॰६७,१४.५} छट्ठऍ चन्दसेणु फुरियाणणु $ सत्तमेॅ चन्दरासि दणु-दारणु
{प॰च॰६७,१४.६} पच्छिम-वारेॅ पहिल्लऍ ससिमुहु $ वीयऍ सुहडु परिट्ठिउ दिढरहु
{प॰च॰६७,१४.७} तइअऍ गवउ गवक्खु चउत्थऍ $ पञ्चमेॅ तारु विराहिउ छट्ठऍ

घत्ता॒

{प॰च॰६७,१४.८} जो सव्वह्ũ वुद्धिऍ वड्डउ $ जासु भयङ्करु रिच्छु धऍ
सो जम्वउ तरुवर-पहरणु $ वारेॅ परिट्ठिउ सत्तमऍ


कण्ड ४, संधि ६७, कडवक १५॒


{प॰च॰६७,१५.१} दाहिण-दिसऍ परिट्ठिउ दुद्धरु $ वारेॅ पहिल्लऍ णीलु धणुद्धरु
{प॰च॰६७,१५.२} वीयऍ णलु वर-लउडि-भयङ्करु $ कुलिस-विहत्थउ णाइँ पुरन्दरु
{प॰च॰६७,१५.३} तइअऍ वारेॅ विहीसणु थक्कउ $ सूल-पाणि परिवज्जिय-सङ्कउ
{प॰च॰६७,१५.४} चउथऍ वारेॅ कुमुउ जमु जेहउ $ तोणा-जुअलावीलिय-देहउ
{प॰च॰६७,१५.५} पञ्चमेॅ वारेॅ सुसेणु समत्थउ $ विप्फुरियाहरु कोन्त-विहत्थउ
{प॰च॰६७,१५.६} छट्ठऍ गिरि-किक्किन्ध-पुरेसरु $ भीसण-भिण्डिमाल-पहरण-करु
{प॰च॰६७,१५.७} सत्तमेॅ भामण्डलु असि लिन्तउ $ णावइ पलय-दवग्गि पलित्तउ
{प॰च॰६७,१५.८} एम कियइँ रणेॅ दुप्पइसारइँ $ वूहहेॅ अट्ठावीस इ वारइँ

घत्ता॒

{प॰च॰६७,१५.९} तहिॅ तेहऍ कालेॅ पडीवउ $ रुवइ स-दुक्खउ दासरहि
पवरेहिॅ स इं भु व-दण्डेॅहिॅ $ पुणु पुणु अप्फालन्तु महि



[६८. अट्ठसट्ठिमो संधि] ----------



भाइ-विओएं कलुण-सरु $ रणेॅ राहवु रोवइ जावेॅहिॅ
णं ऊसासु जणद्दणहेॅ $ पडिचन्दु पराइउ तावेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक १॒


{प॰च॰६८,१.१} आवीलिय-दिढ-तोणा-जुअलु $ वहु-रणझणन्त-किङ्किणि-मुहलु
{प॰च॰६८,१.२} मण्डलिय-चण्ड-कोवण्ड-धरु $ पाणहर-पईहर-गहिय-सरु
{प॰च॰६८,१.३} परियड्ढिय-रण-भर-पवर-धुरु $ वर-वइरि-पहर-कप्परिय-उरु
{प॰च॰६८,१.४} वेयण्ड-सोण्ड-भुवदण्ड-थिरु $ मोरङ्ग-छत्त-अणुसरिस-सिरु
{प॰च॰६८,१.५} गउ तेत्तहेॅ जेत्तहेॅ जणय-सुउ $ थिउ वूह-वारेॅ करवाल-भुउ
{प॰च॰६८,१.६} "अहेॅ अहेॅ भामण्डल भड-तिलय $ सम्माण-दाण-गुण-गण-णिलय
{प॰च॰६८,१.७} विज्जा-परमेसर भणमि पइँ $ तिह्ũ मासह्ũ अवसरु लद्धु मइँ
{प॰च॰६८,१.८} जइ दरिसावहि रहु-णन्दणहेॅ $ तो जीविउ देमि जणद्दणहेॅ"
{प॰च॰६८,१.९} तं वयणु सुणेॅवि असहन्तऍण $ णिउ रामहेॅ पासु तुरन्तऍण

घत्ता॒

{प॰च॰६८,१.१०} "जोइहिॅ वुच्चइ ससिमुहिहेॅ $ वरहिण-कलाव-धम्मेल्लहेॅ
जीवइ लक्खणु दासरहि $ पर ण्हवण-जलेण विसल्लहेॅ


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक २॒


{प॰च॰६८,२.१} सुणु देव देवसङ्गीय-पुरेॅ $ वहु-रिद्धि-विद्धि-जण-धण-पउरेॅ
{प॰च॰६८,२.२} ससिमण्डलु अत्थि णराहिवइ $ सुप्पह महएवि मराल-गइ
{प॰च॰६८,२.३} पडिचन्दु तासु उप्पण्णु सुउ $ सो हũ रोमञ्चुब्भिण्ण-भुउ
{प॰च॰६८,२.४} स-कलत्तउ केण वि कारणेॅण $ किर लीलऍ जामि णहङ्गणेॅण
{प॰च॰६८,२.५} मेहुणियहिॅ तणउ वइरु सरेॅवि $ तो सहसविजउ थिउ उत्थरेॅवि
{प॰च॰६८,२.६} स-कसाय वे वि णहेॅ अब्भिडिय $ णं दिस-दुग्घोट्ट समावडिय
{प॰च॰६८,२.७} तें आयामेप्पिणु अभव-भव $ महु सत्ति विसज्जिय चण्ड-रव
{प॰च॰६८,२.८} विणिभिन्देॅवि पडिउ ताऍ रणेॅ $ उज्झहेॅ वाहिरेॅ उज्जाण-वणेॅ
{प॰च॰६८,२.९} णिवडन्तउ भरहें लक्खियउ $ गन्धोवएण अब्भोक्खियउ

घत्ता॒

{प॰च॰६८,२.१०} तें अब्भोक्खण-वाणिऍण $ वलम् अणुअप्पाइउ मेरउ
जाउ विसल्लु पुणण्णवउ $ णं णेहु विलासिणिकेरउ


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक ३॒


{प॰च॰६८,३.१} पुणु पुच्छिउ भरह-णरिन्दु मइँ $ "ऍउ गन्ध-सलिलु कहिॅ लद्धु पइँ"
{प॰च॰६८,३.२} तेण वि महु गुज्झु ण रक्खियउ $ सत्तुहण-वरिट्ठें अक्खियउ
{प॰च॰६८,३.३} "स-विसयहेॅ अउज्झा-पट्टणहेॅ $ उप्पण्ण वाहि सव्वहेॅ जणहेॅ
{प॰च॰६८,३.४} उर-घाउ अरोचउ दाहु जरु $ कल-सण्णिवाउ गहु छद्दि-करु
{प॰च॰६८,३.५} सिरेॅ सूलु कवाल-रोउ पवरु $ सप्पडिसउ (?) खासु सासु अवरु
{प॰च॰६८,३.६} तेहऍ कालेॅ तहिॅ एक्कु जणु $ स-कलत्तु स-पुत्तु स-वन्धुजणु
{प॰च॰६८,३.७} स-धउ स-वलु स-णयरु स-परियणु $ परिजियइ सइत्तउ दोणघणु
{प॰च॰६८,३.८} जिह सुरवइ सव्व-वाहि-रहिउ $ सिरि-सम्पय-रिद्धि-विद्धि-सहिउ

घत्ता॒

{प॰च॰६८,३.९} तेण विसल्लहेॅ तणउ जलु $ आणेप्पिणु उप्परि घित्तउ
पट्टणु पच्चुजीवियउ $ स-पउरु णं अमिएं सित्तउ"


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक ४॒


{प॰च॰६८,४.१} जं पच्चुजीविउ सयलु जणु $ तं भरहें पुच्छिउ दोणघणु
{प॰च॰६८,४.२} "अहेॅ माम एउ कहिॅ लद्धु जलु $ णाणाविह-गन्ध-रिद्धि-वहुलु
{प॰च॰६८,४.३} पर-कज्जु जेम जं सीयलउ $ जिण-सुक्क-झाणु जिह णिम्मलउ
{प॰च॰६८,४.४} जिण-वयण जेम जं वाहि-हरु $ सुहि-दंसणु जिह आणन्द-यरु"
{प॰च॰६८,४.५} तं णिसुणेॅवि दोणु णराहिवइ $ पप्फुल्लिय-वयण-कमलु चवइ
{प॰च॰६८,४.६} "मम दुहियहेॅ अमर-मणोहरिहेॅ $ इउ ण्हवणु विसल्ला-सुन्दरिहेॅ
{प॰च॰६८,४.७} विणु भन्तिऍ अमियहेॅ अणुहरइ $ जसु लग्गइ तासु वाहि हरइ"
{प॰च॰६८,४.८} तं णिसुणेॅवि भरहें पुज्जियउ $ णिय-णयरहेॅ दोणु विसज्जियउ

घत्ता॒

{प॰च॰६८,४.९} अप्पुणु गउ तं जिण-भवणु $ जं सासय-सोक्ख-णिहाणु
णावइ सग्गहेॅ उच्छलेॅवि $ महि-मण्डलेॅ पडिउ विमाणु


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक ५॒


{प॰च॰६८,५.१} तहिॅ सिद्ध-कूडेॅ सुर-साराहेॅ $ किय थुइ अरहन्त-भडाराहेॅ
{प॰च॰६८,५.२} तइलोक्क-चक्क-परमेसरहेॅ $ अ-कसायहेॅ णिद्दट्ठाहरहेॅ
{प॰च॰६८,५.३} सु-परिट्ठिय-थिर-सीहासणहेॅ $ आवन्धुर-चामर-वासणहेॅ
{प॰च॰६८,५.४} धूवन्त-धवल-छत्त-त्तयहेॅ $ किय-चउविह-कम्म-कुल-क्खयहेॅ
{प॰च॰६८,५.५} भामण्डल-मण्डिय-पच्छलहेॅ $ पहरण-रहियहेॅ जय-वच्छलहेॅ
{प॰च॰६८,५.६} तइलोक्क-लच्छि-लच्छिय-उरहेॅ $ परिपालिय-अजरामर-पुरहेॅ
{प॰च॰६८,५.७} मोहन्धासुर-विणिभिन्दणहेॅ $ उप्पत्ति-वेल्लि-परिछिन्दणहेॅ
{प॰च॰६८,५.८} संसार-महद्दुम-पाडणहेॅ $ कन्दप्प-मडप्फर-साडणहेॅ
{प॰च॰६८,५.९} इन्दिय-उद्दहण-णिवन्धणहेॅ $ णिद्दड्ढ-दुकिय-कम्मेन्धणहेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६८,५.१०} तहेॅ सुरवर-परमेसरहेॅ $ किय वन्दण भरह-णरिन्दें
गिरि-कइलासेॅ समोसरणेॅ $ णं पढम-जिणिन्दहेॅ इन्दें


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक ६॒

{प॰च॰६८,६.१} जिणु वन्देॅवि वन्दिउ परम-रिसि $ जें दरिसिय दसविह-धम्म-दिसि
{प॰च॰६८,६.२} जो दूसह-परिसह-भर-सहणु $ जो पञ्च-महव्वय-णिव्वहणु
{प॰च॰६८,६.३} जो तव-गुण-सञ्जम-णियम-धरु $ तिहिॅ गुत्तिहिॅ गुत्तउ खन्ति-यरु
{प॰च॰६८,६.४} जो तिहिॅ सल्लेहिॅ ण सल्लियउ $ जो सयल-कसायहिॅ मेल्लियउ
{प॰च॰६८,६.५} जो संसारोवहि-णिम्महणु $ जो रुक्ख-मूलेॅ पाउस-सहणु
{प॰च॰६८,६.६} जो किडिकिडिजन्त-पुडिय-णयणु $ जो सिसिर-कालेॅ वाहिरेॅ सयणु
{प॰च॰६८,६.७} जो उण्हालऍ अत्तावणिउ $ जो चन्दायणिउ अतोरणिउ
{प॰च॰६८,६.८} जो वसइ मसाणेॅहिॅ भीसणेहिॅ $ वीरासण-उक्कुडुआसणेॅहिॅ
{प॰च॰६८,६.९} जो मेरु-गिरि व धीरत्तणेॅण $ जो जलहि व गम्भीरत्तणेॅण
अत्ता


{प॰च॰६८,६.१०} सो मुणिवरु चउ-णाण-धरु $ पणवेप्पिणु भरहें वुच्चइ
"काइँ विसल्लऍ तउ कियउ $ जें माणुसु वाहिऍ मुच्चइ"


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक ७॒


{प॰च॰६८,७.१} तं वयणु सुणेप्पिणु भणइ रिसि $ णिय खयहेॅ जेण अण्णाण-णिसि
{प॰च॰६८,७.२} "सुणु पुव्व-विदेहेॅ रिद्धि-पउरु $ णामेण पुण्डरिङ्किणि-णयरु
{प॰च॰६८,७.३} तिहुअण-आणन्दु तित्थु णिवइ $ लीला-परमेसरु चक्कवइ
{प॰च॰६८,७.४} तहेॅ सुय णामेणाणङ्गसर $ उम्मिल्ल-पओहर कण्ण वर
{प॰च॰६८,७.५} सोहग्ग-रासि लायण्ण-णिहि $ णं सरहस छण-जण-भवण-दिहि
{प॰च॰६८,७.६} णं सुललिय सरय-मियङ्क-पह $ णं विब्भम-कारिणि काम-कह
{प॰च॰६८,७.७} णं मणहर चन्दण-रुक्ख-लय $ गब्भेसरि रूवहेॅ पारु गय
{प॰च॰६८,७.८} णिरुवम-तणु अइसएण सहइ $ वम्मह-धाणुक्किय-लील वहइ

घत्ता॒

{प॰च॰६८,७.९} भउह-चाव-लोयण-गुणेॅहिॅ $ जसु दिट्ठि-सरासणि लावइ
तं माणुसु घुम्मावियउ $ दुक्करु णिय-जीविउ पावइ


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक ८॒


{प॰च॰६८,८.१} तहिॅ अवसरेॅ महियलेॅ पसरिय-जसु $ विज्जाहरु णामें पुण्णव्वसु
{प॰च॰६८,८.२} मणि-विमाणेॅ धूवन्त-धयग्गऍ $ तहिॅ आरुहेॅवि आउ ओलग्गऍ
{प॰च॰६८,८.३} णिवडिय दिट्ठि ताव तहेॅ तेत्तहेॅ $ वसइ अणङ्गवाण सा जेत्तहेॅ
{प॰च॰६८,८.४} मुद्धयन्द-मुह मुद्धड वाली $ अहिणव-रम्भ-गब्भ-सोमाली
{प॰च॰६८,८.५} सहइ परिट्ठिय मन्दिरेॅ मणहरेॅ $ लच्छि व कमल-वणहेॅ अब्भन्तरेॅ
{प॰च॰६८,८.६} मालइ-माला-मउय-करालऍ $ णयणहिॅ विद्धु अणङ्गसरालऍ
{प॰च॰६८,८.७} विणु चावें विणु विरइय-थाणें $ विणु गुणेहिॅ विणु सर-सन्धाणें
{प॰च॰६८,८.८} विणु पहरणेॅहिॅ तो वि जज्जरियउ $ ण गणइ किं पि पुणव्वसु जरियउ

घत्ता॒

{प॰च॰६८,८.९} लोयण-सर-पहराहऍण $ करवालु भयङ्करु दावेॅवि
पेक्खन्तहेॅ सव्वहेॅ जणहेॅ $ णिय कण्ण विमाणेॅ चडावेॅवि


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक ९॒


{प॰च॰६८,९.१} जं अहिणव-कोमल-कमल-करा $ वलिमण्डऍ लेवि अणङ्गसरा
{प॰च॰६८,९.२} स-विमाणु पवण-मण-गमण-गउ $ देवह्ũ दाणवहु मि रणेॅ अजउ
{प॰च॰६८,९.३} तं चक्काहिवइ-लद्ध-पसरा $ विज्जाहर पहरण-गहिय-करा
{प॰च॰६८,९.४} कोवग्गि-पलित्त-फुरिय-वयणा $ दट्ठाहर भू-भङ्गुर-णयणा
{प॰च॰६८,९.५} गज्जन्त पधाइय तक्खणेण $ णं स-जल जलय गयणङ्गणेण
{प॰च॰६८,९.६} "खल खुद्द पाव दक्खवहि मुहु $ कहिॅ कण्ण लएविणु जाइ तुह्ũ
{प॰च॰६८,९.७} तं णिसुणेॅवि कोवाणल-जलिउ $ णं सीहु गइन्द-थट्टेॅ वलिउ
{प॰च॰६८,९.८} तें पढम-भिडन्तें भग्गु वलु $ णावइ अवसद्दें कव्व-दलु

घत्ता॒

{प॰च॰६८,९.९} कह वि परोप्परु सन्थवेॅवि $ स-धयग्गु स-हेइ स-वाहणु
गिरिवरेॅ जलहर-विन्दु जिह $ उत्थरिउ पडीवउ साहणु


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक १०॒


{प॰च॰६८,१०.१} कड्ढिय-धणुहर-मेल्लिय-सरेॅहिॅ $ तिहुअणआणन्दहेॅ किङ्करेॅहिॅ
{प॰च॰६८,१०.२} सव्वेॅहिॅ णिप्पसरु णिरत्थु किउ $ पाडिउ विमाणु परिच्छिण्णु धउ
{प॰च॰६८,१०.३} णासङ्घिउ जं अरिवर-णिवहु $ तं विज्ज सरेप्पिणु पण्णलहु
{प॰च॰६८,१०.४} घत्तिय धरणियलेॅ अणङ्गसरा $ णं सरय-मियङ्कें जोण्ह वरा
{प॰च॰६८,१०.५} सु पणट्ठु पुणव्वसु गीढ-भउ $ णं हरिणु सरासणि-तासु गउ
{प॰च॰६८,१०.६} अलहन्त वत्त कण्णहेॅ तणिय $ किङ्कर वि पत्त पुरि अप्पणिय
{प॰च॰६८,१०.७} अन्तेउरु लक्खिउ विमण-मणु $ णं तुहिण-छित्तु सयवत्त-वणु
{प॰च॰६८,१०.८} अत्थाणु वि सोह ण देइ किह $ जोव्वणु विणु काम-कहाऍ जिह

घत्ता॒

{प॰च॰६८,१०.९} कहिउ णरिन्दहेॅ किङ्करेॅहिॅ $ "जलेॅ थलेॅ गयणयलेॅ गविट्ठी
सिद्धि जेम णाणेण विणु $ तिह अम्हहिॅ कण्ण ण दिट्ठी"


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक ११॒


{प॰च॰६८,११.१} एत्थन्तरेॅ छण-मियङ्क-मुहिय $ तिहुअणआणन्द-राय-दुहिय
{प॰च॰६८,११.२} पण्णलहुअ-विज्जऍ घित्त तहिॅ $ सुण्णासणु भीसणु रण्णु जहिॅ
{प॰च॰६८,११.३} जहिॅ दारिय-करि-कुम्भ-त्थलइँ $ उच्छलिय-धवल-मुत्ताहलइँ
{प॰च॰६८,११.४} दुप्पेक्ख-तिक्ख-णक्खङ्कियइँ $ दीसन्ति सीह-परिसक्कियइँ
{प॰च॰६८,११.५} जहिॅ दन्ति-दन्त-मुसलाहयइँ $ दीसन्ति भग्ग पायव-सयइँ
{प॰च॰६८,११.६} जहिॅ विसम-तडइँ महियलेॅ गयइँ $ वणमहिस-सिङ्ग-जुवलुक्खयइँ
{प॰च॰६८,११.७} सुव्वन्ति जेत्थु कइ-वुक्कियइँ $ एकल्ल-कोल-आरुक्कियइँ
{प॰च॰६८,११.८} वणवसह-जूह-मुह-ढेक्कियइँ $ वायस-रडियइँ सिव-फोक्कियइँ

घत्ता॒

{प॰च॰६८,११.९} तहिॅ तेहऍ वणेॅ कामसर $ जल-वाहिणि विउल विहावइ
वङ्क-वलय-विब्भम-गुणेॅहिॅ $ सरि पोढ-विलासिणि णावइ


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक १२॒

{प॰च॰६८,१२.१} तहिॅ जलवाहिणि-तडेॅ वइसरेॅवि $ धाहाविउ कुलहरु सम्भरेॅवि
{प॰च॰६८,१२.२} "हा ताय ताय मइँ सन्थवहि $ हा माऍ माऍ सिरेॅ करु थवहि
{प॰च॰६८,१२.३} हा भाइ भाइ मम्भीस करेॅ $ गय वग्घ सिङ्घ ढुक्कन्त धरेॅ
{प॰च॰६८,१२.४} हा विहि हा काइँ कियन्त किउ $ एउ वसणु काइँ महु दक्खविउ
{प॰च॰६८,१२.५} हा काइँ कियइँ मइँ दुक्कियइँ $ जं णिहि दावेॅवि णयणइँ हियइँ
{प॰च॰६८,१२.६} एवहिॅ आइउ एत्तहेॅ मरणु $ तो वरि मुइयहेॅ जिणवरु सरणु
{प॰च॰६८,१२.७} जें भव-संसारहेॅ उत्तरमि $ अजरामर-पुरवरु पइसरमि"
{प॰च॰६८,१२.८} सा एम भणेॅवि सण्णासेॅ थिय $ हत्थ-सयहेॅ उवरि णिवित्ति किय

घत्ता॒

{प॰च॰६८,१२.९} वरिसह्ũ सट्ठि सहास थिय $ तव-चरणेॅ परिट्ठिय जावेॅहिॅ
णव-मयलञ्छण-लेह जिह $ सउदासें दीसइ तावेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ६८, कडवक १३॒


{प॰च॰६८,१३.१} छुडु छुडु तहिॅ पवर-भुअङ्गमेॅण $ देहद्धु गिलिउ उर-जङ्गमेॅण
{प॰च॰६८,१३.२} वोल्लिज्जइ तो विज्जाहरेॅण $ "किं हम्मउ अजगरु असिवरेॅण"
{प॰च॰६८,१३.३} परमेसरि पभणइ सव्व-सह $ "किं तवसिहिॅ जुत्ती पाण-वह
{प॰च॰६८,१३.४} अक्खेज्जहि तायहेॅ एह विहि $ तुह दुहियऍ रक्खिय सील-णिहि
{प॰च॰६८,१३.५} तव-चरणु णिरोसहु उज्जविउ $ अजयरहेॅ सरीरु समल्लविउ"
{प॰च॰६८,१३.६} सउदासें जं तहिॅ लक्खियउ $ तं सयलु णरिन्दहेॅ अक्खियउ
{प॰च॰६८,१३.७} तिहुअणआणन्दु पधाइयउ $ कलुणइ (?) कन्दन्तु पराइयउ
{प॰च॰६८,१३.८} सयणह्ũ उप्पाइउ दाहु पर $ जिणु जय-भणन्ति मुअ ऽणङ्गसर
{प॰च॰६८,१३.९} णिय जेण सो वि तउ करेॅवि मुउ $ दसरहहेॅ पुत्तु सोमित्ति हुउ

घत्ता॒

{प॰च॰६८,१३.१०} एह वि मरेॅवि अणङ्गसर $ उप्पण्ण विसल्ला-सुन्दरि
वल तहेॅ तणेॅण जलेण पर $ स इँ भु व धुणन्तु उट्ठइ हरिऽ



[६९. एक्कुणसत्तरीमो संधि] ----------



विज्जाहर-वयण-रसायणेॅण $ आसासिउ वलहद्दु किह
णहेॅ पडिवा-यन्दें दिट्ठऍण $ कहि मि ण माइउ उवहि जिह


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक १॒


{प॰च॰६९,१.१} सरहसेॅण परज्जिय-आहवेण $ सामन्त पजोइय राहवेण
{प॰च॰६९,१.२} "किं कहेॅ वि अत्थि मणु सइय-अङ्गेॅ $ जो एइ अणुट्ठन्तऍ पयङ्गेॅ
{प॰च॰६९,१.३} जो जणइ मणोरह महु मणासु $ जो जीविउ देइ जणद्दणासु"
{प॰च॰६९,१.४} तं वयणु सुणेॅवि मरु-णन्दणेण $ वुच्चइ रावण-वण-मद्दणेण
{प॰च॰६९,१.५} "महु अत्थि देव मणु सइय-अङ्गेॅ $ हũ एमि अणुट्ठन्तऍ पयङ्गेॅ
{प॰च॰६९,१.६} हũ जणमि मणोहर तुह मणासु $ हũ जीविउ देमि जणद्दणासु"
{प॰च॰६९,१.७} तारा-तणएण वि वुत्तु एव $ "हũ हणुवहेॅ होमि सहाउ देव"
{प॰च॰६९,१.८} भामण्डलु पभणइ "सुणु सुसामि $ हũ विहिॅ उत्तर-सक्खिणउ जामि"

घत्ता॒

{प॰च॰६९,१.९} ते जणय-पवण-सुग्गीव-सुय $ रामहेॅ चलणेॅहिॅ पडिय किह
कल्लाण-कालेॅ तित्थङ्करहेॅ $ तिण्णि वि तिहुवण-इन्द जिह


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक २॒

{प॰च॰६९,२.१} आरूढ विमाणेॅहिॅ सुन्दरेहिॅ $ अमरेहि व सव्व-सुहङ्करेहिॅ
{प॰च॰६९,२.२} चुम्वणेॅहिॅ व णाणाविह-सरेहिॅ $ सिव-पयहिॅ व मुत्तावलि-धरेहिॅ
{प॰च॰६९,२.३} कामिणि-मुहेॅहिॅ व वण्णुज्जलेहिॅ $ छिञ्छइ-चित्तेहिॅ व चञ्चलेहिॅ
{प॰च॰६९,२.४} महकइ-कव्वेहिॅ व सुघडिएहिॅ $ सुपुरिस-चरिएहिॅ व पयडिएहिॅ
{प॰च॰६९,२.५} थेरासणेहिॅ व अलि-मुहलिएहिॅ $ सइ-चारित्तेहिॅ व अखलिएहिॅ
{प॰च॰६९,२.६} णव-जोव्वणेॅहिॅ व णह-गोयरेहिॅ $ जिण-सिरेॅहिॅ व भामण्डल-धरेहिॅ
{प॰च॰६९,२.७} वयणेहिॅ व हणुव-पसङ्गएहिॅ $ पाहुणेॅहिॅ व गमण-मणङ्गएहिॅ
{प॰च॰६९,२.८} थिय तेहिॅ विमाणेॅहिॅ मणिमएहिॅ $ णं वर-फुल्लन्दुय पङ्कएहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६९,२.९} मण-गमणेॅहिॅ गयणेॅ पयट्टऍहिॅ $ लक्खिउ लवण-समुद्दु किह
महि-मडयहेॅ णहयल-रक्खसेॅण $ फाडिउ जठर-पएसु जिह


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक ३॒

{प॰च॰६९,३.१} दीसइ रयणायरु रयण-वाहु $ विञ्झु व स-वारि छन्दु व स-गाहु
{प॰च॰६९,३.२} अत्थाहु सुहि व हत्थि व करालु $ भण्डारिउ व्व वहु-रयण-पालु
{प॰च॰६९,३.३} सूहव-पुरिसो व्व सलोण-सीलु $ सुग्गीवु व पयडिय-इन्दणीलु
{प॰च॰६९,३.४} जिण-सुव-चक्कवइ व किय-वसेलु $ मज्झण्णु व उप्परेॅ चडिय-वेलु
{प॰च॰६९,३.५} तवसि व परिपालिय-समय-सारु $ दुज्जण-पुरिसो व्व सहाव-खारु
{प॰च॰६९,३.६} णिद्धण-आलावु व अप्पमाणु $ जोइसु व मीण-कक्कडय-थाणु
{प॰च॰६९,३.७} मह-कव्व-णिवन्धु व सद्द-गहिरु $ चामीयर-चसयु व पीय-मइरु
{प॰च॰६९,३.८} तं जलणिहि उल्लङ्घन्तएहिॅ $ वोहित्थइँ दिट्ठइँ जन्तएहिॅ
{प॰च॰६९,३.९} णीसीहवडइँ लम्विय-हलाइँ $ महरिसि-चित्ताइँ व अविचलाइँ

घत्ता॒

{प॰च॰६९,३.१०} अण्णु वि थोवन्तरु जन्तऍहिॅ $ तिहि मि णिहालिउ गिरि मलउ
जो लवलि-वलहेॅ चन्दण-सरहेॅ $ दाहिण-पवणहेॅ थामलउ


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक ४॒


{प॰च॰६९,४.१} जहिॅ जुवइ-पऊरु-परज्जियाइँ $ रत्तुप्पल-कयलि-वणइँ थियाइँ
{प॰च॰६९,४.२} कामिणि-गइ-छाया-भंसियाइँ $ जहिॅ हंस-उलइँ आवासियाइँ
{प॰च॰६९,४.३} कर-करयल-ओहामिय-मणाइँ $ जहिॅ मालइ-कङ्केल्ली-वणाइँ
{प॰च॰६९,४.४} जहिॅ वयण-णयण-पह-घल्लियाइँ $ कमलिन्दीवरइँ समल्लियाइँ
{प॰च॰६९,४.५} जहिॅ महुर-वाणि अवहत्थियाइँ $ कोइल-कुलाइँ कसणइँ थियाइँ
{प॰च॰६९,४.६} भउहावलि-छाया-वङ्कियाइँ $ जहिॅ णिम्व-दलइँ कडुयइँ कियाइँ
{प॰च॰६९,४.७} जहिॅ चिहुर-भार-ओहामियाइँ $ वरहिण-कुलाइँ रोवावियाइँ
{प॰च॰६९,४.८} तं मलउ मुऍवि विहरन्ति जाव $ दाहिण-महुरऍ आसण्ण ताव

घत्ता॒

{प॰च॰६९,४.९} किक्किन्ध-महागिरि लक्खियउ $ तुङ्ग-सिहरु कोड्डावणउ
छुडु रमियहेॅ पुहइ-विलासिणिहेॅ $ उर-पएसु सोहावणउ


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक ५॒

{प॰च॰६९,५.१} जहिॅ इन्दणील-कर-भिज्जमाणु $ ससि थाइ जुण्ण-दप्पण-समाणु
{प॰च॰६९,५.२} जहिॅ पउमराय-कर-तेय-पिण्डु $ रत्तुप्पल-सण्णिहु होइ चण्डु
{प॰च॰६९,५.३} जहिॅ मरगय-खाणि वि विप्फुरन्ति $ ससि-विम्वु भिसिणि-पत्तु व करन्ति
{प॰च॰६९,५.४} तं मेल्लेॅवि रहसुच्छलिय-गत्त $ णिविसद्धें सरि कावेरि पत्त
{प॰च॰६९,५.५} जा लइय विहञ्जेॅवि णरवरेहिॅ $ महकव्व-कहा इव कइवरेहिॅ
{प॰च॰६९,५.६} सामिय-आणा इव किङ्करेहिॅ $ तित्थङ्कर-वाणि व गणहरेहिॅ
{प॰च॰६९,५.७} सिव-सासय-मोत्ति व हेउएहिॅ $ वर-सद्दुप्पत्ति व धाउएहिॅ
{प॰च॰६९,५.८} पुणु दिट्ठ महाणइ तुङ्गभद्द $ करि-मयर-मच्छ-ओहर-रउद्द

घत्ता॒
{प॰च॰६९,५.९} असहन्तें वणदव-पवण-झड $ दूसह-किरण-दिवायरहेॅ
णं सज्झें सुट्ठु तिसाइऍण $ जीह पसारिय सायरहेॅ


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक ६॒


{प॰च॰६९,६.१} पुणु दिट्ठ पवाहिणि किण्हवण्ण $ किविणत्थ-पउत्ति व महि-णिसण्ण
{प॰च॰६९,६.२} पुणु इन्दणील-कण्ठिय धरेण $ दक्खविय समुद्दहेॅ आयरेण
{प॰च॰६९,६.३} पुणु सरि भीमरहि जलोह-फार $ जा सेउण-देसहेॅ अमिय-धार
{प॰च॰६९,६.४} पुणु गोला-णइ मन्थर-पवाह $ सज्झेण पसारिय णाइँ वाह
{प॰च॰६९,६.५} पुणु वेण्णि-पउण्हिउ वाहिणीउ $ णं कुडिल-सहावउ कामिणीउ
{प॰च॰६९,६.६} पुणु तावि महाणइ सुप्पवाह $ सज्जण-मेत्ति व्व अलद्ध-थाह
{प॰च॰६९,६.७} थोवन्तरालेॅ पुणु विञ्झु थाइ $ सीमन्तउ पिहिमिहेॅ तणउ णाइ
{प॰च॰६९,६.८} पुणु रेवा-णइ हणुवङ्गएहिॅ $ सा णिन्दिय रोस-वसङ्गएहिॅ
{प॰च॰६९,६.९} "किं विञ्झहेॅ पासिउ उवहि चारु $ जो स-विसु किविणु अच्चन्त-खारु"
{प॰च॰६९,६.१०} तं णिसुणेॅवि सीय-सहोयरेण $ णिब्भच्छिय णहयल-गोयरेण

घत्ता॒

{प॰च॰६९,६.११} "जं विञ्झु मुऍवि गय सायरहेॅ $ मा रूसहेॅ रेवा-णइहेॅ
णिल्लोणु मुअइ सलोणु सरइ $ णिय-सहाउ ऍउ तियमइहेॅ"


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक ७॒


{प॰च॰६९,७.१} सा णम्मय दूरन्तरेॅण चत्त $ पुणु उज्जयणि णिविसेण पत्त
{प॰च॰६९,७.२} जहिॅ जणवउ स-धणु महा-घणो व्व $ रामोवरि वच्छलु लक्खणो व्व
{प॰च॰६९,७.३} गुणवन्तउ धणुहर-सङ्गह व्व $ अमुणिय-कर-सिर-तणु वम्महो व्व
{प॰च॰६९,७.४} स वि दुम्महिल व उज्जेणि मुक्क $ पुणु पारियत्तु मालवउ ढुक्क
{प॰च॰६९,७.५} जो धण्णालङ्किउ णरवइ व्व $ उच्छुहणु कुसुमसरु रइवइ व्व
{प॰च॰६९,७.६} तं मेल्लेॅवि जउणा-णइ पवण्ण $ जा अलय-जलय-गवलालि-वण्ण
{प॰च॰६९,७.७} जा कसिण भुअङ्गि व विसहेॅ भरिय $ कज्जल-रेह व णं धरऍ धरिय
{प॰च॰६९,७.८} थोवन्तरेॅ जल-णिम्मल-तरङ्ग $ ससि-सङ्ख-समप्पह दिट्ठ गङ्ग

घत्ता॒

{प॰च॰६९,७.९} अम्हहँ विहिॅ गरुवउ कवणु जऍ $ जुज्झेॅवि आएं मच्छरेॅण
हिमवन्तहेॅ णं अवहरेॅवि णिय $ धय-वडाय रयणायरेॅण


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक ८॒

{प॰च॰६९,८.१} थोवन्तरेॅ तिहि मि अउज्झ दिट्ठ $ पुणु सिद्धिपुरिहिॅ सिद्ध व पइट्ठ
{प॰च॰६९,८.२} जहिॅ मिहुणइँ आरम्भिय-रयाइँ $ पन्थिय इव उच्चाइय-पयाइँ
{प॰च॰६९,८.३} पाहुण इव अवरुण्डण-मणाइँ $ गिरिवर-गत्ता इव सव्वणाइँ
{प॰च॰६९,८.४} अविचल-रज्जा इव सु-करणाइँ $ रिसिउल इव भाव-परायणाइँ
{प॰च॰६९,८.५} धणुहर इव गुण-मेल्लिय-सराइँ $ अहरत्ता इव पहराउराइँ
{प॰च॰६९,८.६} पुणु णरवइ मंदिरेॅ गय तुरन्त $ मुणि-सुव्वय-जिण-मङ्गलइँ गन्त
{प॰च॰६९,८.७} सग्गावयारेॅ जम्माभिसेऍ $ णिक्खवणेॅ णाणेॅ णिव्वाणच्छऍ
{प॰च॰६९,८.८} तित्थयर-परम-देवाहँ जाइँ $ पञ्च वि कल्लाणइँ होन्ति ताइँ

घत्ता॒

{प॰च॰६९,८.९} "महि मन्दरु सायरु जाव णहु $ जाव दिसउ महणइ-जलइँ
तउ होन्तु ताव जिण-केराइँ $ पुण्ण-पवित्तइँ मङ्गलइँ"


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक ९॒


{प॰च॰६९,९.१} तें मङ्गल-सद्दें पहु विउद्धु $ णं छण-मयलञ्छणु अद्ध-अद्धु
{प॰च॰६९,९.२} णं उअय-महीहरेॅ तरुण-मित्तु $ णं माणस-सरु रवि-किरण-छित्तु
{प॰च॰६९,९.३} णं वाल-लीलु केसरि-किसोरु $ णं सुरवइ सुर-वहु-चित्त-चोरु
{प॰च॰६९,९.४} उट्ठन्तें वहु-मणि-गण-चियाइँ $ लक्खियइँ विमाणइँ खञ्चियाइँ
{प॰च॰६९,९.५} णं णहयल-कमलइँ विहसियाइँ $ सज्जण-वयणाइँ व पहसियाइँ
{प॰च॰६९,९.६} णिक्कारणेॅ जाइँ पप्फुल्लियाइँ $ सु-कलत्तइँ णाइँ समल्लियाइँ
{प॰च॰६९,९.७} णिद्दिट्ठ विमाणेॅहिॅ तेहिॅ वीर $ सव्वाहरणालङ्किय-सरीर
{प॰च॰६९,९.८} परिपुच्छिय "तुम्हेॅ पयट्ट केत्थु $ किं मायापुरिस पढुक्क एत्थु

घत्ता॒

{प॰च॰६९,९.९} हेमन्त-गिम्ह-पाउस-समय $ किं अवयवेॅहिॅ अलङ्करिय
किं तिण्णि वि हरि-हर-चउवयण $ आएं वेसें अवयरिय"


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक १०॒


{प॰च॰६९,१०.१} वयणेण तेण भरहहेॅ तणेण $ वोल्लिज्जइ जणयहेॅ णन्दणेण
{प॰च॰६९,१०.२} "हũ भामण्डलु हणुवन्तु एहु $ उहु अङ्गउ रहसुच्छलिय-देहु
{प॰च॰६९,१०.३} तिण्णि वि आइय कज्जेण जेण $ सुणु अक्खमि किं वहु-वित्थरेण
{प॰च॰६९,१०.४} सीयहेॅ कारणेॅ रोसिय-मणाहँ $ रणु वट्टइ राहव-रावणाहँ
{प॰च॰६९,१०.५} लक्खणु सत्तिऍ विणिभिण्णु तेत्थु $ दुक्करु जीवइ तें आय एत्थु"
{प॰च॰६९,१०.६} तं वयणु सुणेॅवि परिपालिएलु $ णं कुलिस-समाहउ पडिउ सेलु
{प॰च॰६९,१०.७} णं चवण-कालेॅ सग्गहेॅ सुरिन्दु $ उम्मुच्छिउ कह वि कह वि णरिन्दु
{प॰च॰६९,१०.८} दुक्खाउरु धाहावणहिॅ लग्गु $ पुण्ण-क्खऍ हरि व मुअन्तु सग्गु

घत्ता॒

{प॰च॰६९,१०.९} "हा पइँ सोमित्ति मरन्तऍण $ मरइ णिरुत्तउ दासरहि
भत्तार-विहूणिय णारि जिह $ अज्जु अणाहीहूय महि


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक ११॒


{प॰च॰६९,११.१} हा भायर एक्कसि देहि वाय $ हा पइँ विणु जय-सिरि विहव जाय
{प॰च॰६९,११.२} हा भायर महु सिरेॅ पडिउ गयणु $ हा हियउ फुट्टु दक्खवहि वयणु
{प॰च॰६९,११.३} हा भायर वरहिण-महुर-वाणि $ महु णिवडिओ ऽसि दाहिणउ पाणि
{प॰च॰६९,११.४} हा किं समुद्देॅ जल-णिवहु खुट्टु $ हा किह दिढु कुम्म-कडाहु फुट्टु
{प॰च॰६९,११.५} हा किह सुरवइ लच्छिऍ विमुक्कु $ हा किह जमरायहेॅ मरणु ढुक्कु
{प॰च॰६९,११.६} हा किह दिणयरु कर-णियर-चत्तु $ हा किह अणङ्गु दोहग्गु पत्तु
{प॰च॰६९,११.७} हा चञ्चलिहूअउ केम मेरु $ हा केम जाउ णिद्धणु कुवेरु

घत्ता॒

{प॰च॰६९,११.८} हा णिव्विसु किह धरणिन्दु थिउ $ णिप्पहु ससि सिहि सीयलउ
टलटलिहूई केम महि $ केम समीरणु णिच्चलउ


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक १२॒

{प॰च॰६९,१२.१} लब्भइ रयणायरेॅ रयण-खाणि $ लब्भइ कोइल-कुलेॅ महुर-वाणि
{प॰च॰६९,१२.२} लब्भइ चन्दणु गिरि-मलय-सिङ्गेॅ $ लब्भइ सुहवत्तणु जुवइ-अङ्गेॅ
{प॰च॰६९,१२.३} लब्भइ धणु धणऍ धरा-पवण्णु $ लब्भइ कञ्चण-पावऍ सुवण्णु
{प॰च॰६९,१२.४} लब्भइ पेसणेॅ सामिय-पसाउ $ लब्भइ किऍ विणऍ जणाणुराउ
{प॰च॰६९,१२.५} लब्भइ सज्जणेॅ गुण-दाण-कित्ति $ सिय असिवरेॅ गुरु-कुलेॅ परम तित्ति
{प॰च॰६९,१२.६} लब्भइ वसियरणेॅ कलत्त-रयणु $ महकव्वेॅ सुहासिउ सुकइ-वयणु
{प॰च॰६९,१२.७} लब्भइ उवयार-मइऍ सु-मित्तु $ मद्दवेॅहिॅ विलासिणि-चारु-चित्तु
{प॰च॰६९,१२.८} लब्भइ पर-तीरेॅ महग्घु भण्डु $ वर-वेलु-मूलेॅ वेडुज्ज-कण्डु

घत्ता॒

{प॰च॰६९,१२.९} गऍ मोत्तिउ सिङ्घल-दीवेॅ मणि $ वइरागरहेॅ वज्जु पउरु
आयइँ सव्वइँ लब्भन्ति जऍ $ णवर ण लब्भइ भाइ-वरु"


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक १३॒

{प॰च॰६९,१३.१} रोवन्तें दसरह-णन्दणेण $ धाहाविउ सव्वें परियणेण
{प॰च॰६९,१३.२} दुक्खाउरु रोवइ सयलु लोउ $ णं चप्पेॅवि चप्पेॅवि भरिउ सोउ
{प॰च॰६९,१३.३} रोवइ भिच्चयणु समुद्द-हत्थु $ णं कमल-सण्डु हिम-पवण-घत्थु
{प॰च॰६९,१३.४} रोवइ अन्तेउरु सोय-पुण्णु $ णं छिज्जमाणु सङ्ख-उलु वुण्णु
{प॰च॰६९,१३.५} रोवइ अवराइव राम-जणणि $ केक्कय दाइय-तरु-मूल-खणणि
{प॰च॰६९,१३.६} रोवइ सुप्पह विच्छाय जाय $ रोवइ सुमित्त सोमित्ति-माय
{प॰च॰६९,१३.७} "हा पुत्त पुत्त केत्तहि गओ ऽसि $ किह सत्तिऍ वच्छ-त्थलेॅ हओ ऽसि
{प॰च॰६९,१३.८} हा पुत्त मरन्तु ण जोइओ ऽसि $ दइवेण केण विच्छोइओ ऽसि

घत्ता॒

{प॰च॰६९,१३.९} रोवन्तिऍ लक्खण-मायरिऍ $ सयलु लोउ रोवावियउ
कारुण्णऍ कव्व-कहाऍ जिह $ को व ण अंसु मुआवियउ"


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक १४॒


{प॰च॰६९,१४.१} परिहरेॅवि सोउ भरहेसरेण $ करवालु लइउ दाहिण-करेण
{प॰च॰६९,१४.२} रण-भेरि समाहय दिण्ण सङ्ख $ साहणु सण्णद्धु अलद्ध सङ्ख
{प॰च॰६९,१४.३} रह जोत्तिय किय करि सारि-सज्ज $ पक्खरिय तुरङ्गम जय-जसज्ज
{प॰च॰६९,१४.४} सरहसु सण्णज्झइ भरहु जाव $ भामण्डलेण विण्णत्तु ता̃व
{प॰च॰६९,१४.५} "पइँ गऍण वि सिज्झइ णाहिॅ कज्जु $ तं करि हरि जीवइ जेण अज्जु
{प॰च॰६९,१४.६} जइ दिण्णु विसल्लहेॅ तणउ ण्हवणु $ तो अक्खहि पेसणु ण किउ कवणु"
{प॰च॰६९,१४.७} तं वयणु सुणेप्पिणु भणइ राउ $ "किं सलिलें सइँ जेॅ विसल्ल जाउ"
{प॰च॰६९,१४.८} पट्ठविय महल्ला गय तुरन्त $ कउतिकमङ्गलु णिविसेण पत्त

घत्ता॒

{प॰च॰६९,१४.९} विण्णविउ णवेप्पिणु दोणघणु $ "जीविउ देव देहि हरिहेॅ
णीसरउ सत्ति वच्छत्थलहेॅ $ जलेॅण विसल्लासुन्दरिहेॅ"


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक १५॒


{प॰च॰६९,१५.१} एत्तडिय वोल्ल पडिवण्ण जाव $ केक्कइ सम्पाविय तहिॅ जि ताव
{प॰च॰६९,१५.२} पणवेप्पिणु भायरु वुत्तु तीऍ $ "करेॅ गमणु विसल्ला-सुन्दरिऍ
{प॰च॰६९,१५.३} जीवउ लक्खणु हम्मउ दसासु $ पूरन्तु मणोरह राहवासु
{प॰च॰६९,१५.४} आणन्दु पवड्ढउ जाणईहेॅ $ तणु तारउ दुक्ख-महाणईहेॅ
{प॰च॰६९,१५.५} अण्णु वि विसल्ल तहेॅ पुव्व-दिण्ण $ लग्गउ करयलेॅ सब्भाव-भिण्ण"
{प॰च॰६९,१५.६} तं वयणु सुणेॅवि परितुट्ठु दोणु $ "उट्ठउ णारायणु अखय-तोणु"
{प॰च॰६९,१५.७} पट्ठविय विसल्ल खणन्तरेण $ सह्ũ कण्ण-सहासें उत्तरेण
{प॰च॰६९,१५.८} गय जयकारेप्पिणु दोणमेहु $ केक्कइय पराइय णियय-गेहु

घत्ता॒

{प॰च॰६९,१५.९} हणुवङ्गय-भामण्डल-भरह $ दिट्ठ विसल्ला-सुन्दरिऍ
णं मज्झ-पदेसेॅ पइट्ठियऍ $ चउ मयरहर वसुन्धरिऍ


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक १६॒


{प॰च॰६९,१६.१} स वि णयणकडक्खिय दुज्जएहिॅ $ सिय णावइ चउहु मि दिस-गएहिॅ
{प॰च॰६९,१६.२} तें पुलइय णव-णीलुप्पलच्छि $ ववसाउ करन्तहेॅ कहेॅ ण लच्छि
{प॰च॰६९,१६.३} पुणु पोमाइउ लक्खणु कुमारु $ "संसारहेॅ लइ एत्तडउ सारु
{प॰च॰६९,१६.४} जइ जीविउ केव वि कह वि पत्तु $ तो धण्णउ जसु एहउ कलत्तु"
{प॰च॰६९,१६.५} भामण्डलेण कोक्कावियाउ $ लहु णियय-विमाणेॅ चडावियाउ
{प॰च॰६९,१६.६} तिण्णि वि संचल्ल णहङ्गणेण $ गय लङ्क पराइय तक्खणेण
{प॰च॰६९,१६.७} जिह जिह कण्णउ ढुक्कन्ति ताउ $ तिह तिह विमलीहूयउ दिसाउ
{प॰च॰६९,१६.८} रामेण वुत्तु "जम्वव विहाणु $ लइ अप्पउ दहमि हरिं समाणु"

घत्ता॒

{प॰च॰६९,१६.९} धीरिउ राहवु रिच्छद्धऍण $ "जणिय विसल्लऍ विमल दिसि
किं कहमि भडारा दासरहि $ तिहिॅ पहरेॅहिॅ सम्भवइ णिसि


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक १७॒


{प॰च॰६९,१७.१} ण विहाणु ण भाणु मणोहरीहेॅ $ उहु तेउ विसल्ला-सुन्दरीहेॅ"
{प॰च॰६९,१७.२} वल-जम्वव वे वि चवन्ति जाव $ णीसरिय सरीरहेॅ सत्ति ताव
{प॰च॰६९,१७.३} पुण्णालि णाइँ पर-णरवराउ $ णं णम्मय विञ्झ-महीहराउ
{प॰च॰६९,१७.४} णं सद्द-माल वर कइवराउ $ णं दिव्व वाणि तित्थङ्कराउ
{प॰च॰६९,१७.५} एत्थन्तरेॅ अम्वरेॅ धगधगन्ति $ पवणञ्जय-तणएं धरिय जन्ति
{प॰च॰६९,१७.६} णं वेस वियड्ढें णरवरेण $ णं पवर महाणइ सायरेण
{प॰च॰६९,१७.७} पचविय वेवन्ति अमोह-सत्ति $ "मं धरेॅ मं धरेॅ मुऍ मुऍ दवत्ति
{प॰च॰६९,१७.८} णउ दुट्ठ-सवत्तिहेॅ समुहु थामि $ ऍह अच्छउ हũ णिय-णिलउ जामि

घत्ता॒

{प॰च॰६९,१७.९} असहन्तिहेॅ हियय-विणिग्गयहेॅ $ कवणु एत्थु अब्भुद्धरणु
सव्वहेॅ भत्तारें घत्तियहेॅ $ कुल-वहुअहेॅ कुलहरु सरणु


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक १८॒


{प॰च॰६९,१८.१} किं ण मुणिय पइँ महु तणिय थत्ति $ हũ सा णामेणामोह-सत्ति
{प॰च॰६९,१८.२} कइलासुद्धरेण भयावणासु $ धरणिन्दें दिण्णी रावणासु
{प॰च॰६९,१८.३} सङ्गाम-कालेॅ लक्खणहेॅ मुक्क $ हरि-आणऍ विज्जु व गिरिहेॅ ढुक्क
{प॰च॰६९,१८.४} असहन्ति विसल्लहेॅ तणउ तेउ $ णासमि लग्गी किं करहि खेउ
{प॰च॰६९,१८.५} आयऍ अवलम्वेॅवि परम-धीरु $ अण्णहिॅ जम्मन्तरेॅ घोर-वीरु
{प॰च॰६९,१८.६} तव-चरणु णिरोसहु चिण्णु ता̃व $ गय वरिसह्ũ सट्ठि सहास जा̃व"
{प॰च॰६९,१८.७} हणुएण वुत्तु "जइ सच्चु देहि $ तो मुयमि पडीवी जइ ण एहि"
{प॰च॰६९,१८.८} विज्जऍ पभणिउ "लइ दिण्णु दिण्णु $ णउ भिण्णमि जिह एवहिॅ विभिण्णु"
{प॰च॰६९,१८.९} तं णिसुणेॅवि पवण-सुएण मुक्क $ विहडप्फड गय णिय-णिलउ ढुक्क
{प॰च॰६९,१८.१०} एत्तहेॅ वि ताव सरहस पइट्ठ $ स-वलेण वलेण विसल्ल दिट्ठ

घत्ता॒

{प॰च॰६९,१८.११} सिउ सन्ति करन्ति हरन्ति दुहु $ सीयहेॅ रामहेॅ लक्खणहेॅ
अत्थक्कऍ ढुक्क भवित्ति जिह $ लङ्कहेॅ रज्जहेॅ रावणहेॅ


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक १९॒


{प॰च॰६९,१९.१} सव्वङ्गिउ हरि परमेसरीऍ $ परिमट्ठु विसल्ला-सुन्दरीऍ
{प॰च॰६९,१९.२} समलद्धु सुअन्धें चन्दणेण $ रामहेॅ वि समप्पिउ तक्खणेण
{प॰च॰६९,१९.३} तेण वि पट्ठविउ कइद्धयाहँ $ जम्वव-सुग्गीवङ्गङ्गयाहँ
{प॰च॰६९,१९.४} भामण्डल-हणुव-विराहियाहँ $ णल-णीलहँ हरिस-पसाहियाहँ
{प॰च॰६९,१९.५} गय-गवय-गवक्खाणुद्धराहँ $ कुन्देन्दु-मइन्द-वसुन्धराहँ
{प॰च॰६९,१९.६} अवरह मि चिन्ध-उवलक्खियाहँ $ सामन्तहँ रावण-पक्खियाहँ
{प॰च॰६९,१९.७} केसरिणियम्व-सुय-सारणाहँ $ रविकण्णेन्दइ-घणवाहणाहँ
{प॰च॰६९,१९.८} जमघण्ट-जमाण[ण]-जममुहाहँ $ धूमक्ख-दुराणण-दुम्मुहाहँ

घत्ता॒

{प॰च॰६९,१९.९} अवरह मि असेसह्ũ णरवइह्ũ $ दिण्णु विहञ्जेॅवि गन्ध-जलु
अत्थक्कऍ जाउ पुणण्णवउ $ सयलु वि रामहेॅ तणउ वलु


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक २०॒


{प॰च॰६९,२०.१} जं राम-सेण्णु णिम्मल-जलेण $ संजीविउ संजीवणि-वलेण
{प॰च॰६९,२०.२} तं वीरेॅहिॅ वीर-रसाहिएहिॅ $ वग्गन्तेॅहिॅ पुलय-पसाहिएहिॅ
{प॰च॰६९,२०.३} वज्जन्तेॅहिॅ पडहेॅहिॅ मद्दलेहिॅ $ गिज्जन्तेॅहिॅ धवलेॅहिॅ मङ्गलेॅहिॅ
{प॰च॰६९,२०.४} णच्चन्तेॅहिॅ खुज्जय-वामणेहिॅ $ जजु-रियउ पढन्तेॅहिॅ वम्भणेहिॅ
{प॰च॰६९,२०.५} गायन्तेॅहिॅ अहिणव-गायणेहिॅ $ वायन्तेॅहिॅ वीणा-वायणेहिॅ
{प॰च॰६९,२०.६} सव्वेॅहिॅ उण्णिद्दाविउ अणन्तु $ उट्ठिउ "केत्तहेॅ रावणु" भणन्तु
{प॰च॰६९,२०.७} विहसेप्पिणु उच्चइ हलहरेण $ "किं खलेॅण गविट्ठें णिसियरेण
{प॰च॰६९,२०.८} ता दुद्दम-दणु-णिद्दलण-दप्प $ उव वयणु विसल्लहेॅ तणउ वप्प
{प॰च॰६९,२०.९} जममुहहेॅ जाऍ णीसारिओ ऽसि $ लङ्कहेॅ विणासु पइसारिओ ऽसि"

घत्ता॒

{प॰च॰६९,२०.१०} तं णिसुणेॅवि जोइय लक्खणेॅण $ तक्खण मयणाअल्लियउ
णं एक्कऍ सत्तिऍ परिहरिउ $ पुणु अण्णेक्कऍ सल्लियउ


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक २१॒


{प॰च॰६९,२१.१} सा कण्ण णिऍवि हरिसिय-मणासु $ उप्पण्ण भन्ति णारायणासु
{प॰च॰६९,२१.२} "किं चलण-तलग्गइँ कोमलाइँ $ णं णं अहिणव-रत्तुप्पलाइँ
{प॰च॰६९,२१.३} किं ऊरु परोप्परु भिण्ण-तेय $ णं णं णव-रम्भा-खम्भ एय
{प॰च॰६९,२१.४} किं कणय-दोरु घोलइ विसालु $ णं णं अहि रयण-णिहाण-पालु
{प॰च॰६९,२१.५} किं तिवलिउ जढरेॅ पधावियाउ $ णं णं कामउरिहेॅ खाइयाउ
{प॰च॰६९,२१.६} किं रोमावलि घण कसण एह $ णं णं मयणाणल-धूम-लेह
{प॰च॰६९,२१.७} किं णव-थण णं णं कणय-कलस $ किं कर णं णं पारोह-सरिस
{प॰च॰६९,२१.८} किं आयम्विर कर-यल चलन्ति $ णं णं असोय-पल्लव ललन्ति
{प॰च॰६९,२१.९} किं आणणु णं णं चन्द-विम्वु $ किं अहरउ णं णं पक्क-विम्वु
{प॰च॰६९,२१.१०} किं दसणावलिउ स-मुत्तियाउ $ णं णं मल्लिय-कलियउ इमाउ
{प॰च॰६९,२१.११} किं गण्डवास णं दन्ति-दाण $ किं लोयण णं णं काम-वाण
{प॰च॰६९,२१.१२} किं भउह इमाउ परिट्ठियाउ $ णं णं वम्मह-धणुलट्ठियाउ
{प॰च॰६९,२१.१३} किं कण्ण कुण्डलाहरण एय $ णं णं रवि-ससि विप्फुरिय-तेय
{प॰च॰६९,२१.१४} किं भालउ णं णं ससहरद्धु $ किं सिरु णं णं अलि-उल-णिवद्धु"

घत्ता॒

{प॰च॰६९,२१.१५} जाणेप्पिणु सव्वेॅहिॅ राणऍहिॅ $ रूवासत्तउ महुमहणु
विण्णत्तु कियञ्जलि-हत्थऍहिॅ $ "करेॅ कुमार पाणि-ग्गहणु"


कण्ड ४, संधि ६९, कडवक २२॒


{प॰च॰६९,२२.१} ता जम्ववन्तेॅ पभणिउ कुमारु $ "फग्गुण-पञ्चमि तहिॅ सुक्क-वारु
{प॰च॰६९,२२.२} उत्तर-आसाढउ सिद्धि-जोग्गु $ अण्णु वि वट्टइ थिरु कुम्भ-लग्गु
{प॰च॰६९,२२.३} एयारसमउ गह-चक्कु अज्जु $ स-मणोहरु सयलु विवाह-कज्जु
{प॰च॰६९,२२.४} आरोग्गिउ सम्पय रिद्धि विद्धि $ अइरेण होइ सङ्गाम-सिद्धि
{प॰च॰६९,२२.५} आयऍ अवसरेॅ परिणेवि देव $ रिज्झहु सुरवर-मिहुणाइँ जेव"
{प॰च॰६९,२२.६} तं सुणेॅवि सुमित्तिहेॅ णन्दणेण $ किउ पाणि-ग्गहणु जणद्दणेण
{प॰च॰६९,२२.७} दहि-अक्खय-कलसहिॅ दप्पणेहिॅ $ हवि-मण्डव-वेइय-मक्खणेहिॅ
{प॰च॰६९,२२.८} रङ्गावलि-हरियन्दण-छडेहिॅ $ कत्थइ स-विप्प-वन्दिण-णदेहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰६९,२२.९} उच्छाहेॅहिॅ धवलेॅहिॅ मङ्गलेॅहिॅ $ सङ्खेहिॅ तूरेॅहिॅ अइहवेॅहिॅ
स इँ भू सेॅवि साहुक्कारियउ $ णरवइ-सएहि (?) किय-उच्छवेॅहिॅ



[७०. सत्तरिमो संधि] ----------


उज्जीवियऍ कुमारेॅ $ किऍ पाणि-ग्गहणेॅ भयावणु
तूरहँ सद्दु सुणेवि $ सूलेण व भिण्णु दसाणणु


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक १॒

दुवई
{प॰च॰७०,१.१} चन्द-विहङ्गमे समुड्डावियए (गय-)अन्धार-महुयरे $ तारा-कुसुम-णियरेॅ परियलिऍ मोडिए रयणि-तरुवरे

{प॰च॰७०,१.२} परिभमन्तेॅ पच्चूस-महग्गऍ $ तरुण-दिवायर-मेट्ठ-वलग्गऍ
{प॰च॰७०,१.३} ताव परज्जिय-सुर-सङ्घायहेॅ $ केण वि कहिउ दसाणण-रायहेॅ
{प॰च॰७०,१.४} "अहेॅ अहेॅ देव देव जग-केसरि $ आइय का वि विसल्ला-सुन्दरि
{प॰च॰७०,१.५} ताऍ जणद्दणु पच्चुज्जीविउ $ णं घिय-धारहिॅ सिहि संदीविउ"
{प॰च॰७०,१.६} तं णिसुणेॅवि कल-कोइल-वाणी $ चिन्ताविय मन्दोयरि राणी
{प॰च॰७०,१.७} "अज्ज वि वुद्धि ण थाइ अयाणहेॅ $ केवलि-भासिउ ढुक्कु पमाणहेॅ"
{प॰च॰७०,१.८} एम वियप्पें अमरोहावणु $ पुणु सब्भावें पभणिउ रावणु
{प॰च॰७०,१.९} "जे मुआ वि जीवन्ति खणं खणेॅ $ दुज्जय हरि-वल होन्ति रणङ्गणेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰७०,१.१०} देहि दसाणण सीय $ अज्ज वि लङ्काउरि रिज्झउ
तोयदवाहण-वंसु $ मं राम-दवग्गिऍ डज्झउ


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक २॒

दुवई
{प॰च॰७०,२.१} इन्दइ भाणुकण्णु घणवाहणु वन्धाविय अकज्जेॅणं $ सयण-विहूणएण किं किज्जइ एवहिॅ राय रज्जेॅणं

{प॰च॰७०,२.२} किं उड्डिउ णिप्पक्खु विहङ्गमु $ किं णिव्विसु संडसउ भुअङ्गमु
{प॰च॰७०,२.३} किं वा तवउ णितेउ दिवायरु $ किं णिज्जलु उच्छल्लउ सायरु
{प॰च॰७०,२.४} गय-विसाणु किं गज्जउ कुञ्जरु $ किं करेउ हरि हय-णह-पञ्जरु
{प॰च॰७०,२.५} किं विप्फुरउ चन्दु गह-गहियउ $ किं पज्जलउ जलणु जल-सहियउ
{प॰च॰७०,२.६} किं छज्जउ तरु पाडिय-डालउ $ किं सिज्झउ रिसि वयइँ अ-पालउ
{प॰च॰७०,२.७} किं करेहि तुह्ũ सुट्ठु वि भल्लउ $ वन्धव-सयण-हीणु एक्केल्लउ
{प॰च॰७०,२.८} तो वरि वुद्धि महारी किज्जउ $ अज्ज वि एह णारि अप्पिज्जउ
{प॰च॰७०,२.९} उव्वेड्ढेवि जन्तु हरि-राहव $ मेल्लिज्जन्तु तुहारा वन्धव

घत्ता॒

{प॰च॰७०,२.१०} अज्ज वि एउ जेॅ रज्जु $ रह-हय-गय-धय-दरिसावणु
ते जेॅ सहोयर सव्व $ तुह्ũ सो ज्जेॅ पडीवउ रावणु"


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक ३॒

दुवई
{प॰च॰७०,३.१} मन्दोवरि-विणिग्गयालाव पसंसिय सयल-मन्तिहिॅ $ केयइ-कुसुम-गन्ध परिचुम्विय णावइ भमर-पन्तिहिॅ

{प॰च॰७०,३.२} बाल-जुवाण-वुड्ढ-सामन्तेॅहिॅ $ सव्वेॅहिॅ "जय जय देवि भणन्तेॅहिॅ
{प॰च॰७०,३.३} किय-कर-मउलि-णमिय-सिर-कमलेॅहिॅ $ पुज्जिउ तं जि वयणु मइ-विमलेॅहिॅ
{प॰च॰७०,३.४} चङ्गउ माऍ माऍ पइँ वुत्तउ $ अत्थसत्थेॅ एउ वि सु-णिरुत्तउ
{प॰च॰७०,३.५} अकुसलु कुसलेहिॅ ण जुज्झेवउ $ राएं रज्ज-कज्जु वुज्झेवउ
{प॰च॰७०,३.६} पर-वलु पवरु णिऍवि वञ्चेवउ $ अहवइ थोडउ तो जुज्झेवउ
{प॰च॰७०,३.७} समु साहणु सरिसउ जि समप्पउ $ अवरु पवरु पर-चक्किउ चप्पउ
{प॰च॰७०,३.८} तें कज्जें जाणेवउ अवसरु $ सुइणए वि सङ्गामु असुन्दरु
{प॰च॰७०,३.९} करेॅवि पयत्तु तन्तु रक्खेव्वउ $ मण्डल-कज्जु एउ लक्खेव्वउ

घत्ता॒

{प॰च॰७०,३.१०} जं उव्वरियउ किं पि $ तं सेण्णु जाव णावट्टइ
ताव समप्पहि सीय $ ऍहु सन्धिहेॅ अवसरु वट्टइ"


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक ४॒

दुवई
{प॰च॰७०,४.१} तं परमत्थ-वयणु णिसुणेप्पिणु दहवयणेण चिन्तियं $ "वरि मेहलि ण-इण्ण णउ पुज्जिउ मन्तिहिॅ तणउ मन्तियं

{प॰च॰७०,४.२} पच्चासण्णेॅ परिट्ठिऍ पर-वलेॅ $ अवरोप्परु आयण्णिय-कलयलेॅ
{प॰च॰७०,४.३} कवणु एत्थु किर सन्धिहेॅ अवसरु $ उत्तिम-पुरिसहेॅ मरणु जेॅ सुन्दरु
{प॰च॰७०,४.४} सम्वु-कुमार-णिहणेॅ खर-आहवेॅ $ चन्दणहिहेॅ कूवार-पराहवेॅ
{प॰च॰७०,४.५} आसाली-विणासेॅ वण-मद्दणेॅ $ किङ्कर-अक्ख-रक्ख-कडमद्दणेॅ
{प॰च॰७०,४.६} मन्दिर-भङ्गेॅ विहीसण-णिग्गमेॅ $ अङ्गऍ दूऍ उहय-वल-सङ्गमेॅ
{प॰च॰७०,४.७} हत्थ-पहत्थ-णील-णलविग्गहेॅ $ इन्दइ-भाणुकण्ण-वन्दिग्गहेॅ
{प॰च॰७०,४.८} तहिॅ जि कालेॅ जं ण किउ णिवारिउ $ तं किं एवहिॅ थाइ णिरारिउ
{प॰च॰७०,४.९} तो इ तुहारी इच्छ ण भञ्जमि $ माणिणि एह सन्धि पडिवज्जमि

घत्ता॒

{प॰च॰७०,४.१०} जइ उव्वेढइ रामु $ णिहि-रयणइँ रज्जु लएप्पिणु
पइँ मइँ सीयाएवि $ तिण्णि वि वाहिरइँ करेप्पिणु


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक ५॒

दुवई
{प॰च॰७०,५.१} तं णिसुणेवि वयणु दहवयणहेॅ णरवइ के वि जम्पिया $ "एक्कए महिलाऍ किं को वि ण इच्छइ महि समप्पिया"

{प॰च॰७०,५.२} के वि चवन्ति मन्ति परमत्थें $ "सप्परिहवेॅण काइँ किर अत्थें
{प॰च॰७०,५.३} छलु जेॅ एक्कु पाइक्कहेॅ मण्डणु $ पुत्तु कलत्तु मित्तु ओमण्डणु"
{प॰च॰७०,५.४} पभणइ मन्दोवरि "को जाणइ $ जइ महि लेइ समप्पइ जाणइ
{प॰च॰७०,५.५} ता सामन्तउ दूउ विसज्जहि $ सयलु वि देइ सन्धि पडिवज्जहि
{प॰च॰७०,५.६} जइ रामणु जेॅ मरइ सह्ũ सयणेॅहिॅ $ तो किर काइँ तेहिॅ णिहि-रयणेॅहिॅ
{प॰च॰७०,५.७} एम भणेॅवि पेसिउ सामन्तउ $ जो सो परिमियत्थ-गुणवन्तउ
{प॰च॰७०,५.८} चडिउ महारहेॅ हय कस-ताडिय $ महि खुप्पन्तेॅहिॅ चक्केहिॅ फाडिय
{प॰च॰७०,५.९} णिय-णिसियर-वलेण परियरियउ $ वीयउ रावणु णं णीसरियउ

घत्ता॒

{प॰च॰७०,५.१०} दूआगमणु णिएवि $ थिउ कइ-वलु उक्खय-पहरणु
किण्ण पडीवउ आउ $ सरहसु सण्णहेॅवि दसाणणु


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक ६॒

दुवई
{प॰च॰७०,६.१} जम्पइ जम्ववन्तु "णउ रावणु रावण-दूउ दीसए" $ ए आलाव जाव ताणन्तरेॅ सो जेॅ तहिॅ पईसए

{प॰च॰७०,६.२} तहिॅ पइसन्तें दहमुह-दूएं $ दिट्ठु सेण्णु आसण्णीहूएं
{प॰च॰७०,६.३} किङ्कर-कर-अप्फालिय-तूरउ $ गोसायासु व उत्थिय-सूरउ
{प॰च॰७०,६.४} महरिसि-विन्दु व धम्म-परायणु $ पङ्कय-वणु व सिलीमुह-भायणु
{प॰च॰७०,६.५} कामिणि-वयणु व फालिय-णेत्तउ $ महकइ-कव्वु व लक्खण-वन्तउ
{प॰च॰७०,६.६} मीण-उलु व दहवयणासङ्किउ $ णव-कन्दुट्टु व णील-णलङ्किउ
{प॰च॰७०,६.७} णन्दण-वणु व कुन्द-वद्धारउ $ णिसि-णहयलु व स-इन्दु स-तारउ
{प॰च॰७०,६.८} पुणु अत्थाणु दिट्ठु उव्वयणउ $ सायर-महणु व पयडिय-रयणउ
{प॰च॰७०,६.९} खय-रवि-विम्वु व वड्ढिय-तेयउ $ सइ-चित्तु व पर-णर-दुब्भेयउ

घत्ता॒

{प॰च॰७०,६.१०} लक्खिय लक्खण-राम $ सव्वाहरणालङ्करिया
सग्गहेॅ इन्द-पडिन्द $ वे वि णाइँ तहिॅ अवयरिया


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक ७॒

दुवई
{प॰च॰७०,७.१} तेहिॅ वि वासुएव-वलएवहिॅ पहरिसिएहिॅ तक्खणे $ हक्कारेवि पासु सम्माणेॅवि वइसारिउ वरासणे

{प॰च॰७०,७.२} किय-विणएण कियत्थीहूएं $ सामु पउञ्जिउ दहमुह-दूएं
{प॰च॰७०,७.३} "अहेॅ अहेॅ राम राम रामा-पिय $ सुरवर-समर-सएहिॅ अकम्पिय
{प॰च॰७०,७.४} अहेॅ अहेॅ सयल-पिहिमि-परिपालण $ मायासुग्गीवन्त-णिहालण
{प॰च॰७०,७.५} अहेॅ अहेॅ दुद्दम-दणु-विद्दावण $ वइरि-वरङ्गण-जण-जूरावण
{प॰च॰७०,७.६} अहेॅ अहेॅ वज्जावत्त-धणुद्धर $ वाणर-विज्जाहर-परमेसर
{प॰च॰७०,७.७} सन्धि दसाणणेण सह्ũ किज्जउ $ इन्दइ-कुम्भयण्णु मेल्लिज्जउ
{प॰च॰७०,७.८} लङ्क दु-भाय ति-कण्ड वसुन्धर $ छत्तइँ पीढइँ हय-गय-णरवर
{प॰च॰७०,७.९} णिहि-रयणइँ अद्धद्धु लइज्जउ $ सीयहेॅ तणिय तत्ति छड्डिज्जउ"
घत्ता॒

{प॰च॰७०,७.१०} पभणइ राहवचन्दु $ "णिहि-रयणइँ हय-गय-रज्जू
सव्वइँ सो ज्जेॅ लएउ $ अम्हह्ũ पर सीयऍ कज्जू"


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक ८॒

दुवई
{प॰च॰७०,८.१} तं णिसुणेवि वयणु काकुत्थहेॅ ईसीसि वि ण कम्पिओ $ तिण-समु गणेॅवि सयलु अत्थाणु दसाणण-दूउ जम्पिओ

{प॰च॰७०,८.२} "अहेॅ वलएव देव मा वोल्लहि $ कन्तहेॅ तणिय वत्त आमेल्लहि
{प॰च॰७०,८.३} लङ्काहिउ हेमन्तु जेॅ वीयउ $ जो णिविसु वि णउ होइ णिसीयउ
{प॰च॰७०,८.४} जो रत्तिद्दिउ परिकअणप्पणेॅ $ दीसइ सुविणऍ असिवर-दप्पणेॅ
{प॰च॰७०,८.५} जेण धणउ कियन्तु किउ णिप्पहु $ सहसकिरणु णलकुव्वरु सुर-पहु
{प॰च॰७०,८.६} जेण वरुणु समरङ्गणेॅ धरियउ $ अट्ठावउ पावउ उद्धरियउ
{प॰च॰७०,८.७} तेण समउ जइ सन्धि ण इच्छहि $ तो अवज्झ जीवन्तु ण पेच्छहि"
{प॰च॰७०,८.८} तं णिसुणेवि कुइउ भामण्डलु $ णं उट्ठिउ स-खग्गु आकण्डलु
{प॰च॰७०,८.९} "अरेॅ खल खुद्द स-मउडु स-कुण्डलु $ पाडमि सीसु जेम तालहेॅ फलु
{प॰च॰७०,८.१०} को तुह्ũ कहेॅ केरउ सो रावणु $ जं मुहुमुहु जम्पहि अ-सुहावणु"

घत्ता॒

{प॰च॰७०,८.११} लक्खणु घोसइ एम $ "तउ रामहेॅ केरी आणा
सिसु-पसु-तवसि-तियाह्ũ $ किं उत्तिमु गेण्हइ पाणा


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक ९॒

दुवई
{प॰च॰७०,९.१} दुट्ठें दुम्मुहेण दुवियड्ढें दूसीलें अयाणेॅणं $ सग्गह-वाहिवन्त-पडिसद्द-पढिय-पूसय-समाणेॅणं

{प॰च॰७०,९.२} एण हएण कवणु सुहडत्तणु $ अयस-भारु केवलु कुल-लञ्छणु"
{प॰च॰७०,९.३} तं णिसुणेॅवि पसमिउ कोवाणलु $ णिय-आसणेॅ णिविट्ठु भामण्डलु
{प॰च॰७०,९.४} तेहऍ कालेॅ विलक्खीहूएं $ पभणिउ राहवु रामण-दूएम्
{प॰च॰७०,९.५} "चङ्गउ भिच्चु देव पइँ लद्धउ $ जिह सु-कव्वेॅ अवसद्दु णिवद्धउ
{प॰च॰७०,९.६} सिर-विहीणु णउ लग्गइ कण्णह्ũ $ तिह अवियड्ढु वियड्ढह्ũ अण्णह्ũ
{प॰च॰७०,९.७} आएं होहि तुहु मि लहुयारउ $ लवण-रसेण समुद्दु व खारउ
{प॰च॰७०,९.८} अहवइ कल्लेॅ जि आवइ पाविय $ रण्डउ जेम सव्व रोवाविय
{प॰च॰७०,९.९} एवहिॅ गज्जहेॅ काइँ अकारणेॅ $ वलु वुज्झेसउ (?) सइँ जेॅ महारणेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰७०,९.१०} जो एक्कऍ सत्तीऍ $ एही अवत्थ दरिसावइ
सो पहरण-लक्खेहिॅ $ कइ विहय जेव उड्डावइ


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक १०॒

दुवई
{प॰च॰७०,१०.१} तुम्ह सिरुप्पलाइँ तोडेप्पिणु पीढु रएवि तत्थेॅणं $ इन्दइ-भाणुकण्ण-घणवाहण मेल्लेसइ स-हत्थेॅणं

{प॰च॰७०,१०.२} णिहऍ वासुएव-वलएवें $ लेसइ सइँ जेॅ सीय अवलेवें
{प॰च॰७०,१०.३} अहवइ जइ वि आउ तहेॅ झिज्जइ $ तुम्हारिसेॅहिॅ तो वि णउ जिज्जइ
{प॰च॰७०,१०.४} किं जोइज्जइ सीहु कुरङ्गेॅहिॅ $ किं वसिकिज्जइ गरुडु भुयङ्गेॅहिॅ
{प॰च॰७०,१०.५} किं खज्जोऍहिॅ किउ रवि णिप्पहु $ किं वण-तिणेॅहिॅ धरिज्जइ हुयवहु
{प॰च॰७०,१०.६} किं सरि-सोत्तेॅहिॅ फुट्टइ सायरु $ किं करेहिॅ छाइज्जइ ससहरु
{प॰च॰७०,१०.७} किं चालिज्जइ विञ्झु पुलिन्देॅहिॅ $ हासउ तहेॅ तुम्हेॅहिॅ कु-णरिन्देॅहिॅ"
{प॰च॰७०,१०.८} तं णिसुणेवि भडेॅहिॅ गलथल्लिउ $ टक्कर-पण्हिय-घाऍहिॅ घल्लिउ
{प॰च॰७०,१०.९} गउ स-पराहवु लङ्क पराइउ $ कहिउ "देव हũ कह वि ण घाइउ

घत्ता॒

{प॰च॰७०,१०.१०} दुज्जय लक्खण-राम $ ण करन्ति सन्धि णउ वुत्तउ
जं जाणहि तं चिन्तेॅ $ आयउ खय-कालु णिरुत्तउ


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक ११॒

दुवई
{प॰च॰७०,११.१} सम्वु-कुमारु जेहिॅ विणिवाइउ घाइउ खरु वि दूसणो $ जेहिॅ महण्णवो समुल्लङ्घिउ णक्क-ग्गाह-भीसणो

{प॰च॰७०,११.२} हत्थ-पहत्थ जेहिॅ संघाइय $ इन्दइ-कुम्भयण्ण विणिवाइय
{प॰च॰७०,११.३} आणिय जेहिॅ विसल्ला-सुन्दरि $ मुउ जीवाविउ लक्खण-केसरि
{प॰च॰७०,११.४} तेहिॅ समाणु णउ सोहइ विग्गहु $ लहु वइदेहि देहि मुऍ सङ्गहु"
{प॰च॰७०,११.५} तं णिसुणेॅवि णरवइ चिन्ताविउ $ महणावत्थ समुद्दु व पाविउ
{प॰च॰७०,११.६} "होसइ केम कज्जु णउ जाणमि $ किं उक्खन्धें वन्धेॅवि आणमि
{प॰च॰७०,११.७} किं पाडमि समसुत्ती पर-वलेॅ $ किं सर-धोरणि लायमि हरि-वलेॅ
{प॰च॰७०,११.८} जइ वि स-साहणु स-रहु समप्पमि $ तो वि ण रामहेॅ गेहिणि अप्पमि
{प॰च॰७०,११.९} अत्थु उवाउ एक्कु जें साहमि $ वहुरूविणिय विज्ज आराहमि

घत्ता॒

{प॰च॰७०,११.१०} पट्टणेॅ घोसण देमि $ जीव अट्ठ दिवस मम्भीसमि
अच्छमि झाणारूढु $ वट्टइ सन्तिहरु पईसमि"


कण्ड ४, संधि ७०, कडवक १२॒

दुवई
{प॰च॰७०,१२.१} एम भणेवि तेण छुडु जेॅ च्छुडु माहहेॅ तणऍ णिग्गमे $ घोसिय पुरेॅ अमारि अहिणव-फग्गुण-णन्दीसरागमे

{प॰च॰७०,१२.२} "अट्ठ दिवस जिणवरु जयकारहेॅ $ अट्ठ दिवस महिमउ णीसारहेॅ
{प॰च॰७०,१२.३} अट्ठ दिवस जिण-भवणइँ सारहेॅ $ अट्ठ दिवस जीवाइँ म मारहेॅ
{प॰च॰७०,१२.४} अट्ठ दिवस समरङ्गणु छड्डहेॅ $ अट्ठ दिवस इन्दिय-दणु दण्डहेॅ
{प॰च॰७०,१२.५} अट्ठ दिवस उववास करेज्जहेॅ $ अट्ठ दिवस मह-दाणइँ देज्जहेॅ
{प॰च॰७०,१२.६} अट्ठ दिवस अप्पाणउ भावहेॅ $ एयारह गुण-थाणइँ दावहेॅ
{प॰च॰७०,१२.७} अट्ठ दिवस गुण-वयइँ पउञ्जहेॅ $ सेज्जहेॅ जज्जहेॅ अणुहुञ्जेज्जहेॅ
{प॰च॰७०,१२.८} अट्ठ दिवस पिय-वयणइँ भासहेॅ $ अणुवय-सिक्खावयइँ पगासहेॅ
{प॰च॰७०,१२.९} अट्ठ दिवस आमेल्लहेॅ मच्छरु $ जाम्व एहु फग्गुण-णन्दीसरु

घत्ता॒

{प॰च॰७०,१२.१०} पच्चक्खाणु लएहु $ पडिकवणु सुणहेॅ मणु खञ्चहेॅ
तोडेॅवि तामरसाइँ $ स इँ भु ऍहिॅ भडारउ अञ्चहेॅ"



[७१. एक्कहत्तरिमो संधि] ----------



हरि-हलहर-गुण-गहणेॅहिॅ दूअहेॅ वयणेॅहिॅ पहु पहरेव्वउ परिहरइ
विज्जहेॅ कारणेॅ रावणु जग-जगडावणु सन्ति-जिणालउ पइसरइ


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक १॒


{प॰च॰७१,१.१} णन्दीसर-पइसारऍ सारऍ $ माहव-मासु णाइँ हक्कारऍ
{प॰च॰७१,१.२} सासय-सुहु संपावणेॅ पावणेॅ $ दरिसाविय-पुप्फ-ग्गुणेॅ फग्गुणेॅ
{प॰च॰७१,१.३} णव-फल-परिपक्काणणेॅ काणणेॅ $ कुसुमिऍ साहारऍ साहारऍ
{प॰च॰७१,१.४} रिद्धि-गयहेॅ कोक्कणयहेॅ कणयहेॅ $ हंसब्भंसिऍ कुवलऍ कु-वलऍ
{प॰च॰७१,१.५} महुअरेॅ महु-मज्जन्तऍ जन्तऍ $ कोविल-कुलेॅ वासन्तऍ सन्तऍ
{प॰च॰७१,१.६} कीर-वन्देॅ उट्ठन्तऍ ठन्तऍ $ मलयाणिलेॅ आवन्तऍ वन्तऍ
{प॰च॰७१,१.७} महुअरि पडिसल्लावऍ लावऍ $ जहिॅ ण वि तित्ति रयहेॅ तित्तिरयहेॅ
{प॰च॰७१,१.८} णाउ ण णावइ किं सुऍ किंसुऍ $ जहिॅ वसेण गयणाहहेॅ णाहहेॅ
{प॰च॰७१,१.९} तणु परितप्पइ सीयहेॅ सीयहेॅ $

घत्ता॒

{प॰च॰७१,१.१०} अच्छउ किं सावण्णें $ केण वि अण्णें $ जहिॅ अइमुत्तउ रइ करइ
तं जण-[मण-]मज्जावणु $ सव्व-सुहावणु $ को महु-मासु ण सम्भरइ


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक २॒

{प॰च॰७१,२.१} कत्थइ अङ्गराय-सङ्कासउ $ रेहइ तम्विरु फुल्लु पलासउ
{प॰च॰७१,२.२} णं दावाणलु आउ गवेसउ $ को मइँ दड्ढु ण दड्ढु पएसउ
{प॰च॰७१,२.३} कत्थवि माहवियऍ णिय-मन्दिरु $ एन्तु णिवारिउ तं इन्दिन्दिरु
{प॰च॰७१,२.४} "ओसरु ओसरु तुह्ũ अपवित्तउ $ अण्णऍ णव-पुप्फवइऍ छित्तउ
{प॰च॰७१,२.५} कत्थइ चूअ-कुसुम-मञ्जरियउ $ णाइँ वसन्त-वडायउ धरियउ
{प॰च॰७१,२.६} कत्थइ पवण-हयइँ पुण्णायइँ $ णं जगेॅ उच्छलियइँ पुण्णायइँ
{प॰च॰७१,२.७} कत्थइ अहिणवाइँ भमर-उलइँ $ थियइँ वसन्त-सिरिहेॅ णं कुरुलइँ
{प॰च॰७१,२.८} फणसइँ अवुह-मुहा इव जड्डइँ $ सिरिहलाइँ सिरि-हल इव वड्डइँ

घत्ता॒

{प॰च॰७१,२.९} तेहऍ कालेॅ मणोहरेॅ $ णव-णन्दीसरेॅ $ लङ्क पुरन्दर-पुरि व थिय
रयणियरेॅहिॅ गुरु-अत्तिऍ(?) $ अविचल-भत्तिऍ $ जिणहरेॅ जिणहरेॅ पुज्ज किय


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक ३॒


{प॰च॰७१,३.१} घरेॅ घरेॅ महिमउ णीसारियउ $ घरेॅ घरेॅ पडिमउ अहिसारियउ
{प॰च॰७१,३.२} घरेॅ घरेॅ तूरइँ अप्फालियइँ $ णं सीह-उलइँ ओरालियइँ
{प॰च॰७१,३.३} घरेॅ घरेॅ रवि-किरण-णिवारणइँ $ उब्भियइँ विताणइँ तोरणइँ
{प॰च॰७१,३.४} घरेॅ घरेॅ मालउ गन्धुक्कडउ $ घरेॅ घरेॅ णिवडिय-चन्दण-छडउ
{प॰च॰७१,३.५} घरेॅ घरेॅ मोत्तिय-रङ्गावलिउ $ घरेॅ घरेॅ दवणुल्लउ णव-फलिउ
{प॰च॰७१,३.६} घरेॅ घरेॅ अहिणव-पुप्फच्चणिय $ घरेॅ घरेॅ चच्चरि कोड्डावणिय
{प॰च॰७१,३.७} घरेॅ घरेॅ मिहुणइँ परिओसियइँ $ घरेॅ घरेॅ मह-दाणइँ घोसियइँ
{प॰च॰७१,३.८} घरेॅ घरेॅ भोयण-सामग्गि किय $ घरेॅ घरेॅ सिरि-देवय णाइँ थिय

घत्ता॒

{प॰च॰७१,३.९} करेॅवि महोच्छउ पट्टणेॅ $ दणु-दलवट्टणेॅ $ सप्परिवारु णिराउहउ
अट्ठावय-कम्पावणु $ सरहसु रावणु $ गउ सन्तिहरहेॅ सम्मुहउ


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक ४॒


{प॰च॰७१,४.१} कुसुमाउह-आउह-सम-णयणेॅ $ णीसरियऍ सरियऍ दहवयणेॅ
{प॰च॰७१,४.२} मणहरणाहरणालङ्करिऍ $ स-पसाहण-साहण-परियरिऍ
{प॰च॰७१,४.३} दप्पहरण-पहरण-वज्जियऍ $ तूराउलेॅ राउलेॅ गज्जियऍ
{प॰च॰७१,४.४} जय-मङ्गलेॅ मङ्गलेॅ घोसियऍ $ रयणियर-णियरेॅ परिओसियऍ
{प॰च॰७१,४.५} जणु णिग्गउ णिग्गउ णित्तुरउ $ महिरक्खहेॅ रक्खहेॅ थिउ पुरउ
{प॰च॰७१,४.६} दप्प-रहिय पर-हिय के वि णर $ उववासिय वासिय धम्म-पर
{प॰च॰७१,४.७} दइ(?य)-महियऍ महियऍ का वि तिय $ कंजय-करि जय-करि णाइँ सिय
{प॰च॰७१,४.८} क वि राम राम-उल्लावयरि $ क वि वत्ती वत्ती-दीवयरि

घत्ता॒

{प॰च॰७१,४.९} वाल-मइन्दालोएं $ णायर-लोएं $ सन्ति-जिणालउ दिट्ठु किह
णह-सरवर-आवासें $ ससहर-हंसें $ खुट्टेॅवि घत्तिउ कमलु जिह


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक ५॒


{प॰च॰७१,५.१} विमलं रवि-रासि-हरं सिहरं $ लक्खिज्जइ सन्ति-हरं तिहरं
{प॰च॰७१,५.२} वुढ्ढत्तण-जम्म-रणं मरणं $ वारेइ व कम्पवणं पवणं
{प॰च॰७१,५.३} वीसमइ व रम्भ-वणे भवणे $ पङ्गुरइ व कुसुम-वडं अवडं
{प॰च॰७१,५.४} भणइ व अलिमा भमरे भमरे $ वड्ढइ व (?) ससि-समयं स-मयं
{प॰च॰७१,५.५} तोडेइ व णह-यलयं अलयं $ आरुहइ व अक्क-रहेॅ कर-हे
{प॰च॰७१,५.६} मइलेइ व उज्जलयं जलयं $ परिहेइ व दिव्वलयं वलयं
{प॰च॰७१,५.७} छड्डेइ व अवणिलयं णिलयं $ हसइ व परिमुक्क-मलं कमलं
{प॰च॰७१,५.८} जोएइ व सव्व-सुहं वसुहं $ धरइ व अहिठाणं अहि-ठाणं

घत्ता॒

{प॰च॰७१,५.९} पुण्ण-पवित्तु विसालउ $ सन्ति-जिणालउ $ सव्वहेॅ लोअहेॅ सन्ति-करु
णवरेक्कहेॅ वय-भङ्गहेॅ $ पर-तिय-सङ्गहेॅ $ लङ्काहिवहेॅ असन्ति-करु


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक ६॒

{प॰च॰७१,६.१} दसाणणो समालयं $ पइट्ठओ जिणालयं
{प॰च॰७१,६.२} तओ कओ महोच्छवो $ विताण-वीण-मण्डवो
{प॰च॰७१,६.३} विसारिया चरू वली $ णिवद्ध तोरणावली
{प॰च॰७१,६.४} समुब्भिया महद्धया $ सियायवत्त चिन्धया
{प॰च॰७१,६.५} जिणाहिसेय-तूरयं $ समाहयं गहीरयं
{प॰च॰७१,६.६} मउन्द-णन्दि-मद्दला $ हुडुक्क-ढक्क-काहला
{प॰च॰७१,६.७} सरुञ्ज-भेरि-झल्लरी $ दडिक्क-पाणिकत्तरी
{प॰च॰७१,६.८} स-दद्दुरा-रवुक्कडा $ स-ताल-सङ्ख-संघडा
{प॰च॰७१,६.९} डउण्ड-डक्क-टट्टरी $ झुणुक्क-भम्भ-झिङ्किरी
{प॰च॰७१,६.१०} ववीस-वंस-कंसिया $ तिहासरी समासिया
{प॰च॰७१,६.११} पवीण वीण पाविया $ पडू झुणी सुहाविया
{प॰च॰७१,६.१२} पसण्डि-दण्ड-डम्वरा $ अणेय सेय चामरा
{प॰च॰७१,६.१३} सुराण जं णिवन्धणं $ कयं च तेहिॅ पेसणं
{प॰च॰७१,६.१४} जमस्स सव्व-रक्खणं $ पहञ्जणेण पङ्गणं
{प॰च॰७१,६.१५} कयं अ-रेणु-मेत्तयं $ महाघणेहिॅ सित्तयं
{प॰च॰७१,६.१६} वणासईहिॅ अच्चियं $ वरङ्गणाहिॅ णच्चियं
{प॰च॰७१,६.१७} सरस्सईऍ गाइयं $ पउञ्जीएहिॅ वाइयं

घत्ता॒

{प॰च॰७१,६.१८} णरवइ भामरि देप्पिणु $ णाहु णवेप्पिणु $ एक्कु खणन्तरु एक्कु मणु
रावणहत्थउ वाऍवि $ मङ्गलु गाऍवि $ पुणु पारम्भइ जिण-ण्हवणु


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक ७॒


{प॰च॰७१,७.१} आढत्तु सत्तु-सन्तावणेण $ अहिसेउ जिणिन्दहेॅ रावणेण
{प॰च॰७१,७.२} पहिलउ जि भूमि-पक्खालणेण $ पुणु मङ्गलग्गि-पज्जालणेण
{प॰च॰७१,७.३} भुवणिन्द-विन्द-पडिवोहणेण $ अमिएण वसुन्धर-सोहणेण
{प॰च॰७१,७.४} वर-मेरु-पीढ-पक्खालणेण $ जण्णोवइए रिव-चालणेण (?)
{प॰च॰७१,७.५} कडयङ्गुलि-सेहर-वन्धणेण $ कुसुमञ्जलि-पडिमा-थावणेण
{प॰च॰७१,७.६} महि-संसण-कलस-णिरोहणेण $ पुणरवि पुप्फञ्जलि-घत्तणेण
{प॰च॰७१,७.७} अग्घेण अमर-आवाहणेण $ णाणाविहेण अवयारणेण
{प॰च॰७१,७.८} जय-मङ्गल-कलसुक्खिप्पणेण $ जलधारोवरि-परिघिप्पणेण

घत्ता॒

{प॰च॰७१,७.९} अइरावय-मय-रिद्धें $ भसलाइद्धें $ किङ्कर-पवर-पराणिऍण
अहिसिञ्चिउ सुर-सारउ $ सन्ति-भडारउ $ पुण्ण-पवित्तें पाणिऍण


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक ८॒


{प॰च॰७१,८.१} करि-मयर-करग्गप्फालिएण $ भिङ्गार-फार-संचालिएण
{प॰च॰७१,८.२} महुअरि-उवगीय-वमालिएण $ अलि-वलय-मुहल-सम-लालिएण
{प॰च॰७१,८.३} अह पर-दुक्खेण व सीयलेण $ सज्जण-वयणेण व उज्जलेण
{प॰च॰७१,८.४} मलय-रुह-वणेण व सुरहिएण $ सइ-चित्तेण व मल-विरहिएण
{प॰च॰७१,८.५} अहिसिञ्चिउ तेणामल-जलेण $ पुणु णव-घएण महु-पिङ्गलेण
{प॰च॰७१,८.६} पुणु सङ्ख-कुन्द-जस-पण्डुरेण $ गङ्गा-तरङ्ग-उब्भङ्गुरेण
{प॰च॰७१,८.७} हिमगिरि-सिहरेण व साडिएण $ ससहर-विम्वेण व पाडिएण
{प॰च॰७१,८.८} मोत्तिय-हारेण व तुट्टएण $ सरयब्भ-उरेण व फुट्टएण
{प॰च॰७१,८.९} खीरेण तेण सु-मणोहरेण $ पुणु सिसिर-पवाहें मन्थरेण
{प॰च॰७१,८.१०} अविणय-पुरिसेण व थड्ढएण $ णव-दुमेॅण व साहा-वद्धएण
{प॰च॰७१,८.११} पुणु पडिमुव्वत्तण-धोवणेण $ चुण्णेण जलेण गन्धोवएण

घत्ता॒

{प॰च॰७१,८.१२} कप्पूरायरु-वासिउ $ घुसिणुम्मीसिउ $ तं गन्ध-जलु स-णेउरहेॅ
दिण्णु विहञ्जेॅवि राएं $ णं अणुराएं $ हियउ सव्वु अन्तेउरहेॅ


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक ९॒


{प॰च॰७१,९.१} दिव्वेण अणुलेवणेण सुअन्धेण $ सिरिकण्ड-कप्पूर-कुङ्कुम-समिद्धेण
{प॰च॰७१,९.२} दिव्वेहिॅ णाणा-पयारेहिॅ पुप्फेहिॅ $ रत्तुप्पलिन्दीवरम्भोय-गुप्फेहिॅ
{प॰च॰७१,९.३} अइउत्तयासोय-पुण्णाय-णाएहिॅ $ सयवत्तिया-मालई-पारिजाएहिॅ
{प॰च॰७१,९.४} कणियार-करवीर-मन्दार-कुन्देहिॅ $ विअइल्ल-वरतिलय-वउलेहिॅ मन्देहिॅ
{प॰च॰७१,९.५} सिन्दूर-वन्धुक्क-कोरण्ट-कुज्जेहिॅ $ दमणेण मरुएण पिक्का-तिसञ्झेहिॅ
{प॰च॰७१,९.६} एवं च मालाहिॅ अण्णण्ण-रूवाहिॅ $ कण्णाडियाहिॅ व सर-सार-भूआहिॅ
{प॰च॰७१,९.७} आहीरियाहिॅ व वायाल-भसलाहिॅ $ वर-लाडियाहिॅ व मुह-वण्ण-कुसलाहिॅ
{प॰च॰७१,९.८} सोरट्ठियाहिॅ व सव्वङ्ग-मउआहिॅ $ मालविणियाहिॅ व मज्झार-छउआहिॅ
{प॰च॰७१,९.९} मरहट्ठियाहिॅ व उद्दाम-वायाहिॅ $ गेय-झुणिहिॅ व अण्णण्ण-छायाहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰७१,९.१०} णाणाविह-मणिमइयहिॅ $ किरणब्भइयहिॅ $ चन्द-सूर-सारिच्छऍहिॅ
अच्चण किय जग-णाहहेॅ $ केवल-वाहहेॅ $ पुण्ण-सएहिॅ व अक्खऍहिॅ


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक १०॒


{प॰च॰७१,१०.१} पच्छा चरुएण मणोहरेण $ गङ्गा-वाहेण व दीहरेण
{प॰च॰७१,१०.२} मुत्ता-णियरेण व पण्डुरेण $ सु-कलत्त-मुहेण व सु-महुरेण
{प॰च॰७१,१०.३} वर-अमिय-रसेण व सुरहिएण $ सुअणेण व सुट्ठु सणेहिएण
{प॰च॰७१,१०.४} तित्थयर-वरेण व सिद्धएण $ सुरएण व तिम्मण-रिद्धएण
{प॰च॰७१,१०.५} पुणु दीवएहिॅ णाणाविहेहिॅ $ वरहिणेॅहिॅ व अइदीहर-सिहेहिॅ
{प॰च॰७१,१०.६} सुहडेहिॅ व वणिऍहिॅ वलियएहिॅ $ टिण्टाउत्तेहिॅ व जलियएहिॅ
{प॰च॰७१,१०.७} धूवेण विविह-गन्धड्ढएण $ मयणेण व जिणवर-दड्ढएण
{प॰च॰७१,१०.८} पुणु फल-णिवहेण सुसोहिएण $ कव्वेण व सव्व-रसाहिएण
{प॰च॰७१,१०.९} साहारेण व अइ-पक्कएण $ तक्केण व साहा-मुक्कएण
{प॰च॰७१,१०.१०} पहु-अच्चण एम्व करेइ जाम $ गयणङ्गणेॅ सुर वोल्लन्ति ताम्व

घत्ता॒

{प॰च॰७१,१०.११} "जइ वि सन्ति एहु घोसइ $ कल्लऍ होसइ $ तो वि राम-लक्खणह्ũ जउ
इन्दिय-वसि ण करन्तह्ũ $ सीय ण देन्तह्ũ $ सिय-मङ्गलु कल्लाणु कउ"


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक ११॒


{प॰च॰७१,११.१} लग्गु थुणेह्ũ पयत्थ-विचित्तं $ "णाय-णराण सुराण विचित्तं
{प॰च॰७१,११.२} मोक्खपुरी-परिपालिय-गत्तं $ सन्ति-जिणं ससि-णिम्मल-वत्तं
{प॰च॰७१,११.३} सोम-सुहं परिपुण्ण-पवित्तं $ जस्स चिरं चरियं सु-पवित्तं
{प॰च॰७१,११.४} सिद्धि-वहू-मुह-दंसण-पत्तं $ सील-गुणव्वय-सञ्जम-पत्तं
{प॰च॰७१,११.५} भावलयामर-चामर-छत्तं $ दुन्दुहि-दिव्व-झुणी-पह-वत्तं
{प॰च॰७१,११.६} जस्स भवाहि-उलेसु खगत्तं $ अट्ठ-सयं चिय लक्खण-गत्तं
{प॰च॰७१,११.७} चन्द-दिवायर-सण्णिह-छत्तं $ चारु-असोय-महद्दुम-छत्तं
{प॰च॰७१,११.८} दण्डिय जेण मणिन्दिय छत्तं $ णोमि जिणोत्तमम् अम्बुज-णेत्तं
दोधकं)
{प॰च॰७१,११.९} परं परमपारं $ सिवं सयल-सारं
{प॰च॰७१,११.१०} जरा-मरण-णासं $ जय-स्सिरि-णिवासं
{प॰च॰७१,११.११} णिराहरण-सोहं $ सुरासुर-विवोहं
{प॰च॰७१,११.१२} अयाणिय-पमाणं $ गुरुं णिरुवमाणं
{प॰च॰७१,११.१३} महा-कलुण-भावं $ दिसायड-सहावं
{प॰च॰७१,११.१४} णिराउह-करग्गं $ विणासिय-कुमग्गं
{प॰च॰७१,११.१५} हरं हुयवहं वा $ हरिं चउमुहं वा
{प॰च॰७१,११.१६} ससिं दिणयरं वा $ पुरन्दर-वरं वा
{प॰च॰७१,११.१७} महापाव-भीरुं पि एक्कल्ल-वीरं $ कला-भाय-हीणं पि मेरूहि धीरं
{प॰च॰७१,११.१८} विमुत्तं पि मुत्तावलि-सण्णिकासं $ विणिग्गन्थ-मग्गं पि गन्थावयासं
{प॰च॰७१,११.१९} महा-वीयरायं पि सीहासणत्थं $ अ-भूभङ्गुरत्थं पि णट्ठारि-सत्थं
{प॰च॰७१,११.२०} समाणङ्गधम्मं पि देवाहिदेवं $ जिईसा-विहीणं पि सव्वूढ-सेवं
{प॰च॰७१,११.२१} अणायप्पमाणं पि सव्व-प्पसिद्धं $ अणन्तं पि सन्तं अणेयत्त-विद्धं
{प॰च॰७१,११.२२} मलुलित्त-गत्तं पि णिच्चाहिसेयं $ अजड्डं पि लोए णिराणेय-णेयं
{प॰च॰७१,११.२३} सुरा-णाम-णासं पि णाणा-सुरेसं $ जडा-जूड-धारं पि दूरत्थ-केसं
{प॰च॰७१,११.२४} अमाया-विरूवं पि विक्खिण्ण-सीसं $ सया-आगमिल्लं पि णिच्चं अदीसं
(भुजंगप्रयातं)

{प॰च॰७१,११.२५} महा-गुरुं वि णिब्भरं $ अणिट्ठियं पि दुम्मरं
{प॰च॰७१,११.२६} परं पि सव्व-वच्छलं $ वरं पि णिच्च-केवलं
{प॰च॰७१,११.२७} पहुं पि णिप्परिग्गहं $ हरं पि दुट्ठ-णिग्गहं
{प॰च॰७१,११.२८} सुहिं पि सुट्ठु-दूरयं $ अ-विग्गहं पि सूरयं
{प॰च॰७१,११.२९} णिरक्खरं पि वुद्धयं $ अमच्छरं पि कुद्धयं
{प॰च॰७१,११.३०} महेसरं पि णिद्धणं $ गयं पि मुक्क-वन्धणं
{प॰च॰७१,११.३१} अरूवियं पि सुन्दरं $ अ-वड्ढियं पि दीहरं
{प॰च॰७१,११.३२} अ-सारियं पि वित्थयं $ थिरं पि णिच्च-पत्थयं"
(णाराचं)

घत्ता॒

{प॰च॰७१,११.३३} अग्गऍ थुणेॅवि जिणिन्दहेॅ $ भुवणाणन्दहेॅ $ महियलेॅ जण्णु-जोत्तु करेॅवि
णासग्गाणिय-लोअणु $ अणिमिस-जोअणु थिउ $ मणेॅ अचलु झाणु धरेॅवि


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक १२॒


{प॰च॰७१,१२.१} वहुरूविणि-विज्जासत्त-मणु $ णियमत्थु सुणेप्पिणु दहवयणु
{प॰च॰७१,१२.२} तो जाय वोल्ल वलेॅ राहवहेॅ $ सुग्गीवहेॅ हणुवहेॅ जम्ववहेॅ
{प॰च॰७१,१२.३} सोमित्तिहेॅ अङ्गहेॅ अङ्गयहेॅ $ स-गवक्खहेॅ तह गवयहेॅ गयहेॅ
{प॰च॰७१,१२.४} तारहेॅ रम्भहेॅ भामण्डलहेॅ $ कुमुयहेॅ कुन्दहेॅ णीलहेॅ णलहेॅ
{प॰च॰७१,१२.५} अवरहु मि असेसह्ũ किङ्करह्ũ $ एक्केण वुत्तु "लइ किं करह्ũ
{प॰च॰७१,१२.६} अट्ठाहिऍ आहउ परिहरेॅवि $ थिउ सन्ति-जिणालउ पइसरेॅवि
{प॰च॰७१,१२.७} आराहइ लग्गइ एक्क-मणु $ रावण-अक्खोहणि दहवयणु"
{प॰च॰७१,१२.८} तं णिसुणेॅवि विहीसणु विण्णवइ $ "साहिय वहुरूविणि-विज्ज जइ
{प॰च॰७१,१२.९} तो ण वि हũ ण वि तुह्ũ ण वि य हरि $ वरि एहऍ अवसरेॅ णिहउ अरि

घत्ता॒

{प॰च॰७१,१२.१०} चोर-जार-अहि-वइरह्ũ $ हुअवह-डमरह्ũ $ जो अवहेरि करेइ णरु
सो अइरेण विणासइ $ वसणु पयासइ $ मूल-तलुक्खउ जेम तरु


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक १३॒


{प॰च॰७१,१३.१} सक्केण वि किय अवहेरि चिरु $ जं वद्धाविउ वीसद्ध-सिरु
{प॰च॰७१,१३.२} तं खउ अप्पाणहेॅ आणियउ $ णित्तिहेॅ अहियारु ण जाणियउ
{प॰च॰७१,१३.३} तं णिसुणेॅवि सीराउहु भणइ $ "जो रिउ पणमन्तउ आहणइ
{प॰च॰७१,१३.४} सो खत्तिय-कुलेॅ कलङ्कु करइ $ जो घइँ पुणु तवसि ण परिहरइ
{प॰च॰७१,१३.५} तहेॅ किं पुच्छिज्जइ चारहडि $ वरि भिन्दइ णिय-सिरेॅ छार-हडि
{प॰च॰७१,१३.६} जेत्तिउ दणु दुज्जउ संभवइ $ तेत्तिउ पहरन्तह्ũ जसु भमइ"
{प॰च॰७१,१३.७} तं णिसुणेॅवि कण्टइयङ्गऍहिॅ $ रहु-तणउ वुत्तु अङ्गङ्गऍहिॅ
{प॰च॰७१,१३.८} "ता खोहह्ũ जाम झाणु दलिउ" $ मणु हरेॅवि कुमार-सेण्णु चलिउ

घत्ता॒

{प॰च॰७१,१३.९} तं स-विमाणु स-वाहणु $ उक्खय-पहरणु $ णिऍवि कुमारहेॅ तणउ वलु
णिसियर-णयरु पडोल्लिउ $ थिउ पच्चोल्लिउ $ महण-कालेॅ णं उवहि-जलु"


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक १४॒


{प॰च॰७१,१४.१} जमकरण-लील-दरिसन्तऍहिॅ $ णयरब्भन्तरेॅ पइसन्तऍहिॅ
{प॰च॰७१,१४.२} कञ्चण-कवाड-फोडन्तऍहिॅ $ सिय-तार-हार-तोडन्तऍहिॅ
{प॰च॰७१,१४.३} मणि-कोट्टिम-खोणि-खणन्तऍहिॅ $ "अरेॅ रावण रक्खु" भणन्तऍहिॅ
{प॰च॰७१,१४.४} अप्पंपरिहूअउ सव्वु जणु $ साहारु ण वन्धइ तट्ठ-मणु
{प॰च॰७१,१४.५} तहिॅ अवसरेॅ मम्भीसन्तु मउ $ सण्णहेॅवि दसासहेॅ पासु गउ
{प॰च॰७१,१४.६} थिउ अड्डेॅवि साहणु अप्पणउ $ किय-कालहेॅ फेडिउ जम्पणउ
{प॰च॰७१,१४.७} मन्दोअरि अन्तरेॅ ताम थिय $ "किं रावण-घोसण ण वि सुइय
{प॰च॰७१,१४.८} जं भावइ तं करन्तु अ-णउ $ णन्दीसरु जाम ताम अभउ"

घत्ता॒

{प॰च॰७१,१४.९} तं णिसुणेॅवि दूमिय-मणु $ आमेल्लिय-रणु $ मउ पयट्टु अप्पणउ घरु
पवियम्भिय अङ्गङ्गय $ मत्त महागय $ णाइँ पइट्ठा पउम-सरु


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक १५॒

{प॰च॰७१,१५.१} णवर पवियम्भमाणेहिॅ दोहिॅ पि सुग्गीव-पुत्तेहिॅ $ अण्णाय-वन्तेहिॅ उग्गिण्ण-खग्गेहिॅ रेक्कारिओ रावणो
{प॰च॰७१,१५.२} तह वि अमणो ण खोहं गओ सव्व-रायाहिरायस्स $ णिक्कम्पमाणस्स तइलोक्क-चक्केक्कवीरस्स सक्कारिणो
{प॰च॰७१,१५.३} मलयगिरि-विञ्झ-सज्झत्थ-केलास-किक्किन्ध-सम्मेय- $ हेमिन्दकीलञ्जणुज्जेन्त-मेरूहिॅ धीरत्तणं धारिणो
{प॰च॰७१,१५.४} पवल-वहुरूविणी-दिव्वविज्जा-महाऊरिस-ज्झाण-दावग्गि- $ जालावली-जाय-जज्जल्लमाणङ्ग-चम्मत्थिणो
{प॰च॰७१,१५.५} असुर-सुर-वन्दि-मुक्कञ्जणुम्मिस्स-थोरंसु-धारा- $ पुसिज्जन्त-णीलीकय-च्छत्त-चिन्ध-प्पडायालिणो
{प॰च॰७१,१५.६} धणय-जम-यन्द-सूरग्गि-खन्देन्द-देवाइ-चूडामणिन्दु- $ प्पहा-वारि-धारा-समुद्धूय-पायारविन्दस्स से
{प॰च॰७१,१५.७} गरुय-उवसग्ग-विग्घे समारम्भिए [ए?]समुग्गिण्ण- $ णाणाउहं रुट्ठ-दट्ठाहरं जक्ख-सेण्णं समुद्धाइयं
{प॰च॰७१,१५.८} फरुस-वयणाहिॅ हक्कार-डक्कार-फेक्कार-हुङ्कार- $ भीसावणं पिच्छिऊणं पणट्ठा कइन्दद्धया (?)

घत्ता॒

{प॰च॰७१,१५.९} भग्गु कुमारह्ũ साहणु $ गलिय-पसाहणु $ पच्छलेॅ लग्गउ जक्ख-वलु
(णं) णव-पाउसेॅ अइ-मन्दहेॅ $ तारा-चन्दहेॅ $ मेह-समूहु णाइँ स-जलु


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक १६॒


{प॰च॰७१,१६.१} तहिॅ अवसरेॅ जणिय-महाहवेॅण $ जं अङ्घिउ पुज्जिउ राहवेॅण
{प॰च॰७१,१६.२} तं जक्ख-सेण्णु सेण्णहेॅ पवरु $ थिउ अग्गऍ खग्गुग्गिण्ण-करु
{प॰च॰७१,१६.३} "अरेॅ जक्खहेॅ रक्खहेॅ किङ्करहेॅ $ जिह सक्कहेॅ तिह रणेॅ उत्थरहेॅ
{प॰च॰७१,१६.४} वलु वुज्झहेॅ जुज्झहेॅ आहयणेॅ $ पेक्खन्तु सुरासुर थिय गयणेॅ
{प॰च॰७१,१६.५} ता अच्छह्ũ रामण-रामहु मि $ समरङ्गणु अम्हहँ तुम्हहु मि"
{प॰च॰७१,१६.६} तं णिसुणेॅवि दहमुह-वक्खिऍहिॅ $ दोच्छिय सन्तिहरारक्खिऍहिॅ
{प॰च॰७१,१६.७} "दुम्मणुसहेॅ दुट्ठहेॅ दुम्मुहहेॅ $ जं किय दोहाइं दहमुहहेॅ
{प॰च॰७१,१६.८} तं सो ज्जि भणेसइ सव्वहु मि $ तुम्हहँ हरि-वल-सुग्गीवहु मि"

घत्ता॒

{प॰च॰७१,१६.९} तं णिसुणेॅवि आसङ्किय $ माण-कलङ्किय $ जक्ख परिट्ठिय मुऍवि छलु
पुणु वि समुण्णय-खग्गा $ पच्छलेॅ लग्गा $ जाव पत्त रिउ राम-वलु


कण्ड ४, संधि ७१, कडवक १७॒


{प॰च॰७१,१७.१} वलु गरहिउ रक्ख-पहाणऍहिॅ $ वहु-भूय-भविस्सय-जाणऍहिॅ
{प॰च॰७१,१७.२} "अहेॅ णर-परमेसर दासरहि $ जइ तुहु मि अणित्ति एम करहि
{प॰च॰७१,१७.३} तो होसइ कहेॅ परिहास पुणु $ णियमत्थु हणन्तह्ũ कवणु गुणु"
{प॰च॰७१,१७.४} तं सुणेॅवि वुत्तु णारायणेॅण $ "ऍउ वोल्लिउ कवणें कारणेॅण
{प॰च॰७१,१७.५} अहेॅ अहेॅ जक्खहेॅ दुच्चारियहेॅ $ दुट्ठहेॅ चोरहेॅ परयारियहेॅ
{प॰च॰७१,१७.६} साहेज्जउ देन्तह्ũ कवणु गुणु $ किं मइँ आरुट्ठें सन्ति पुणु"
{प॰च॰७१,१७.७} तं गरहिउ देवह्ũ चित्तेॅ थिउ $ "सच्चउ अम्हेहिॅ अजुत्तु किउ
{प॰च॰७१,१७.८} सच्चउ विरुयारउ दहवयणु $ ण समप्पइ पर-कलत्त-रयणु"

घत्ता॒

{प॰च॰७१,१७.९} एम भणेॅवि स-विलक्खेॅहिॅ $ वुच्चइ जक्खेॅहिॅ $ "हरि अवराहु एक्कु खमहि
अण्ण वार जइ आवह्ũ $ मुहु दरिसावह्ũ $ तो स इँ भु ऍहिॅ सव्व दमहि"



[७२. दुसत्तरिमो संधि] ----------



पुण वि पडीवऍहिॅ $ जिणु जयकारेॅवि विक्कम-सारेॅहिॅ
लङ्कहिॅ गमणु किउ $ अङ्गङ्गय-पमुहे[हिॅ] कुमारेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक १॒


{प॰च॰७२,१.१} वेहाइद्धेॅहिॅ $ उक्खय-खग्गेॅहिॅ
पवर-विमाणेॅहिॅ $ धवल-धयग्गेॅहिॅ
{प॰च॰७२,१.२} पढम-विसन्तेॅहिॅ $ लङ्क णिहालिय
णाइँ विलासिणि $ कुसुमोमालिय
{प॰च॰७२,१.३} जा ण वि लङ्घिज्जइ रवि-हएहिॅ $ दहवत्त-तुरङ्गम-भय-गएहिॅ
{प॰च॰७२,१.४} जहिॅ मत्त-महागय-मलहरेहिॅ $ गज्जेवउ छण्डिउ जलहरेहिॅ
{प॰च॰७२,१.५} जहिॅ पहरेॅ पहरेॅ ओसरइ दूरु $ वहु-सूरह्ũ उवरि ण जाइ सूरु
{प॰च॰७२,१.६} जहिॅ रामाणण-चन्देहिॅ चन्दु $ पीडिज्जइ किज्जइ तेय-मन्दु
{प॰च॰७२,१.७} जहिॅ उण्हु ण णावइ अहिणवेण $ वहु-पुण्डरीय-किय-मण्डवेण
{प॰च॰७२,१.८} जहिॅ पाउसु करि-कर-सीयरेहिॅ $ उट्ठन्ति णइउ दाणोज्झरेहिॅ
{प॰च॰७२,१.९} मणि-अवणिहेॅ तुरय-खुरेहिॅ पंसु $ वोल्लइ रविकन्त-पहाऍ हंसु
{प॰च॰७२,१.१०} मोत्तिय-छलेण णक्खत्त-वन्दु $ वहु-चन्दकन्ति-कन्तीऍ चन्दु

घत्ता॒

{प॰च॰७२,१.११} किं रवि रिक्ख ससि $ अण्ण वि जे जियन्ति वावारें
णिप्पह वहु-पिसुण $ अवसें जन्ति सयण-उत्थारें


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक २॒


{प॰च॰७२,२.१} दिट्ठु स-मोत्तिउ $ रावण-पङ्गणु
णाइँ स-तारउ $ सरय-णहङ्गणु
{प॰च॰७२,२.२} वहु-मणि-कुट्टिमु $ वहु-रयणुज्जलु
णाइँ विसट्टउ $ रयणायर-जलु
{प॰च॰७२,२.३} चिन्ताविय "केत्तहेॅ पयइँ देह्ũ $ मण-खोहु दसासहेॅ किह करेह्ũ"
{प॰च॰७२,२.४} किर चन्दण-छड-मग्गेण जन्ति $ कद्दम-भइयऍ ण पईसरन्ति
{प॰च॰७२,२.५} किर फलिह-पहेण समुच्चलन्ति $ आयासासङ्कऍ पुणु वलन्ति
{प॰च॰७२,२.६} मरगय-विद्दुम-मेइणि णिएवि $ पउ देन्ति ण "किरणावलि" भणेवि
{प॰च॰७२,२.७} पेक्खेॅवि आलेक्खिम-सप्प-सयइँ $ "खज्जेसह्ũ" भणेॅवि ण दिन्ति पयइँ
{प॰च॰७२,२.८} पहेॅ लग्ग णीलमणि-सार-भूऍ $ चिन्तविउ "पडेसह्ũ अन्धकूऍ"
{प॰च॰७२,२.९} पुणु गय ससिकन्त-मणि-प्पहेण $ ओसरिय "विलेसह्ũ किं दहेण"
{प॰च॰७२,२.१०} गय सूरकन्ति-कुट्टिम-पहेण $ सङ्किय "डज्झेसह्ũ हुअवहेण"

घत्ता॒

{प॰च॰७२,२.११} दुक्ख-पइट्ठ तहिॅ $ ससिकर-हणुवङ्गङ्गय-तारा
णाइँ विरुद्ध-मण $ जम-सणि-राहु-केउ-अङ्गारा


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक ३॒


{प॰च॰७२,३.१} हसइ व रिउ-घरु $ मुह-वय-वन्धुरु
विद्दुमयाहरु $ मोत्तिय-दन्तुरु
{प॰च॰७२,३.२} छिवइ व मत्थए $ मेरु-महीहरु
"तुज्झु वि मज्झु वि $ कवणु पईहरु
{प॰च॰७२,३.३} जं चन्दकन्त-सलिलाहिसित्तु $ अहिसेय-पणालु व फुसिय-चित्तु
{प॰च॰७२,३.४} जं विद्दुम-मरगय-कन्तियाहिॅ $ थिउ गयणु व सुरधणु पन्तियाहिॅ
{प॰च॰७२,३.५} जं इन्दणील-माला-मसीऍ $ आलिहइ व दिस-भित्तीऍ तीऍ
{प॰च॰७२,३.६} जहिॅ पोमराय-मणि-गणु विहाइ $ थिउ अहिणव-सञ्झा-राउ णाइँ
{प॰च॰७२,३.७} जहिॅ सूरकन्ति-खेइज्जमाणु $ गउ उत्तरएसहेॅ णाइँ भाणु
{प॰च॰७२,३.८} जहिॅ चन्दकन्ति-मणि-चन्दियाउ $ णव-यन्द-ब्भासें वन्दियाउ
{प॰च॰७२,३.९} "अच्चरिउ" कुमार चवन्ति एव $ "वहु-चन्दीहूयउ गयणु केम
{प॰च॰७२,३.१०} पेक्खेप्पिणु मुत्ताहल-णिहाय $ "गिरि-णिज्झर" भणेॅवि धुवन्ति पाय

घत्ता॒

{प॰च॰७२,३.११} तं दहवयण-घरु $ ते कुमार मणु-तोरण-दारेॅहिॅ
वर-वायरणु जिह $ अ-वुह पइट्ठा पच्चाहारेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक ४॒


{प॰च॰७२,४.१} पइठ कइद्धय $ भवणब्भन्तरे
णं पञ्चाणण $ गिरिवर-कन्दरे
{प॰च॰७२,४.२} पवर-महाणइ- $ णिवह व सायरे
रवि-किरणा इव $ अत्थ-महीहरे
{प॰च॰७२,४.३} धावन्ति के वि ण करन्ति खेउ $ खम्भेहिॅ घिडन्ति मेल्लन्ति वेउ
{प॰च॰७२,४.४} वहु-फलह-सिला-भित्तिहिॅ भिडेवि $ सरुहिर-सिर परियत्तन्ति के वि
{प॰च॰७२,४.५} केॅ वि इन्दणील-णीलेहिॅ जाय $ केहि मि थिय तुम्हइँ एत्थु आय
{प॰च॰७२,४.६} जच्चन्ध-लील केॅ वि दक्खवन्ति $ उट्ठन्ति पडन्ति सिलेॅहिॅ भिडन्ति
{प॰च॰७२,४.७} केॅ वि सूरकन्त-कन्तीहिॅ भिण्ण $ वहु सूरऍ मेल्लेॅवि पुरेॅ ऽवइण्ण
{प॰च॰७२,४.८} केॅ वि चन्दकन्त-कन्तेहिॅ जाय $ मुह-यन्दहेॅ उप्परि णाइँ आय
{प॰च॰७२,४.९} केॅ वि पउमराय-कर-णियर-तम्व $ णं अहिणव-लीलावलम्व
{प॰च॰७२,४.१०} केॅ वि आलेक्खिम-कुञ्जरहेॅ तट्ठ $ केॅ वि सीहह्ũ केॅ वि पण्णयह्ũ णट्ठ

घत्ता॒

{प॰च॰७२,४.११} णिग्गय तहेॅ घरहेॅ $ पुणु वि पडीवा तेहिॅ जि वारेॅहिॅ
उअय-महीहरहेॅ $ रवि-यर णाइँ अणेयागारेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक ५॒


{प॰च॰७२,५.१} तं दहमुह-धरु $ मुऍवि विसालउ
गय परिओसें $ सन्ति-जिणालउ
{प॰च॰७२,५.२} तहिॅ पइसन्तेॅहिॅ $ दिट्ठु स-णेउरु
रामण-केरउ $ इट्ठन्तेउरु
{प॰च॰७२,५.३} चिहुरेहिॅ सिहण्डि-ओलम्वु भाइ $ कुरुलेॅहिॅ इन्दिन्दिर-विन्दु णाइँ
{प॰च॰७२,५.४} भउहेॅहिॅ अणङ्ग-धणुहर-लय व्व $ णयणहिॅ णीलोप्पल-काणणं व
{प॰च॰७२,५.५} मुह-विम्वेॅहिॅ मयलञ्छण-वलं व $ कल-वाणिहिॅ कल-कोइल-कुलं व
{प॰च॰७२,५.६} कोमल-वाहेहिॅ लयाहरं व $ पाणिहिॅ रत्तुप्पल-सरवरं व
{प॰च॰७२,५.७} णक्खेॅहिॅ केअइ-सूई-थलं व $ सिहिणेॅहिॅ सुवण्ण-घड-मण्डलं व
{प॰च॰७२,५.८} सोहग्गें वम्मह-साहणं व $ रोमावलि-णाइणि-परियणं व
{प॰च॰७२,५.९} तिवलिहिॅ अणङ्ग-पुरि-खाइयं व $ गुज्झेहिॅ मयण-मज्जण-हरं व
{प॰च॰७२,५.१०} ऊरूहिॅ तरुण-केली-वणं व $ चलणग्गेॅहिॅ पल्लव-काणणं व

घत्ता॒

{प॰च॰७२,५.११} हंस-उलु व गइ(ए)हिॅ $ कुञ्जर-जूहु व वर-लीलाहिॅ
चाव-वलु व गुणेॅहिॅ $ छण-ससि-विम्वु व सयल-कलाहिॅ


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक ६॒


{प॰च॰७२,६.१} "अवि य णरिन्दहो $ वय-सय-चिण्णहो
काइँ करेसह्ũ $ झाणुत्तिण्णहो
{प॰च॰७२,६.२} वरि अब्भासह्ũ $ एव भणन्तु व
थिउ रयणिहिॅ णिय- $ हियऍ गुणन्तु व
{प॰च॰७२,६.३} सिर-णमणु जिणाहिव-वन्दणेण $ पिय-वन्धणु फुल्ल-णिवन्धणेण
{प॰च॰७२,६.४} भउहा-विक्खेवणु णच्चणेण $ लोअण-वियारु दप्पण-खणेण
{प॰च॰७२,६.५} णासउड-फुरणु फुल्लङ्घणेण $ परिउम्वणु वंसाऊरणेण
{प॰च॰७२,६.६} अहरङ्कणु वीडी-कण्डणेण $ पिय-कण्ठ-ग्गहणु सुहावणेण
{प॰च॰७२,६.७} अहिसेय-कलस-कण्ठ-ग्गहेण $ अवरुण्डणु थम्भालिङ्गणेण
{प॰च॰७२,६.८} पिय-फाडणु छेवाकड्ढणेण $ कुरुमालणु वीणा-वायणेण
{प॰च॰७२,६.९} कर-घायणु झिन्दुव-घायणेण $ सिक्कारु कुसुम-आखञ्चणेण
{प॰च॰७२,६.१०} कम-घाय असोय-प्पहरणेण

घत्ता॒

{प॰च॰७२,६.११} कुङ्कुम-चन्दणइँ $ सेअ-फुडिङ्ग वि गरुआ भारा
किं पुणु कुण्डलइँ $ कडय-मउड-कडिसुत्ता हारा


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक ७॒

{प॰च॰७२,७.१} काउ वि देविउ $ काह वि णारिहिॅ
दिन्ति सु-पेसणु $ पेसणयारिहिॅ
{प॰च॰७२,७.२} "हलेॅ ललियङ्गिए $ लइ णारङ्गइँ
जाइँ जिणिन्दहो $ अच्चण-जोग्गइँ
{प॰च॰७२,७.३} हलेॅ दालिमीऍ दालिमइँ देहि $ विज्जउरिऍ विज्जउराइँ लेहि
{प॰च॰७२,७.४} वहुफलिऍ सुअन्धइँ वहुफलाइँ $ रत्तुप्पलीऍ रत्तुपलाइँ
{प॰च॰७२,७.५} इन्दीवरीऍ इन्दीवराइँ $ सयवत्तिऍ सयवत्तइँ वराइँ
{प॰च॰७२,७.६} कुसुमिऍ कुसुमेॅहिॅ अच्चण करेहि $ मणिदीविऍ मणि-दीवउ धरेहि
{प॰च॰७२,७.७} कप्पुरिऍ डहेॅ कप्पूर-दालि $ विद्दुमिऍ चडावहि विद्दुमालि
{प॰च॰७२,७.८} मुत्तावलि लहु मुत्तावलीउ $ संचूरेॅवि छुहु रङ्गावलीउ
{प॰च॰७२,७.९} मरगऍ मरगय-वेइहेॅ चडेवि $ सम्मज्जणु करेॅ कमलाइँ लेवि
{प॰च॰७२,७.१०} हलेॅ लवलिऍ चन्दण-छडउ देहि $ गन्धावलि गन्धु लएवि एहि
{प॰च॰७२,७.११} कुङ्कुमलेहिऍ लइ घुसिण-सिप्पि $ आलावणि आलावेहि किं पि
{प॰च॰७२,७.१२} किण्णरिऍ तुरिउ किण्णरउ लेहि $ तिलयावलि तिलय-पयाइँ देहि"
{प॰च॰७२,७.१३} आयऍ लीलऍ अच्छन्ति जाव $ आसण्णीहूअ कुमार ता̃व

घत्ता॒

{प॰च॰७२,७.१४} रावण-जुवइ-यणु $ अङ्गङ्गय णिएवि आसङ्किउ
णं करि-करिणि-थड $ सीहालोयणेॅ माण-कलङ्किउ


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक ८॒

{प॰च॰७२,८.१} सन्ति-जिणालए $ भामरि देप्पिणु
सन्ति-जिणेन्दहो $ णवण करेप्पिणु
{प॰च॰७२,८.२} पासु दसासहो $ ढुक्क कइद्धय
णाइँ मइन्दहो $ मत्त महागय
{प॰च॰७२,८.३} उद्दालेॅवि हत्थहेॅ अक्ख-सुत्तु $ दससिरु सुग्गीव-सुएण वुत्तु
{प॰च॰७२,८.४} "ऍहु काइँ राय आढत्तु डम्भु $ थिउ णिच्चलु णं पाहाण-खम्भु
{प॰च॰७२,८.५} तउ कवणु धीरु को वा ऽहिमाणु $ सा कवण विज्ज इउ कवणु झाणु
{प॰च॰७२,८.६} उप्पाइय लोयह्ũ काइँ भन्ति $ पर-णारि लयन्तहेॅ कवण सन्ति
{प॰च॰७२,८.७} किं भाणुकण्ण-इन्दइ-दुहेण $ णउ वोल्लहि एक्केण वि मुहेण
{प॰च॰७२,८.८} किं लक्खण-रामह्ũ ओसरेवि $ थिउ सन्तिहेॅ भवणु पईसरेॅवि"
{प॰च॰७२,८.९} णिब्भच्छेॅवि एम कइद्धएहिॅ $ महएविउ वेहाविद्धएहिॅ
{प॰च॰७२,८.१०} आढत्तउ वन्धह्ũ धरह्ũ लेह्ũ $ विच्छारह्ũ दारह्ũ हणह्ũ णेह्ũ

घत्ता॒

{प॰च॰७२,८.११} तहेॅ अन्तेउरहेॅ $ भउ उप्पण्णु भडेहिॅ भिडन्तेॅहिॅ
णं णालिणी-वणहेॅ $ मत्त-गइन्देॅहिॅ सरु पइसन्तेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक ९॒


{प॰च॰७२,९.१} का वि वरङ्गण $ कड्ढिय थाणहेॅ
कुसुम-लया इव $ वर-उज्जाणहेॅ
{प॰च॰७२,९.२} सामल-देहिय $ हार-पयासिरि
स-वलायावलि $ णं पाउस-सिरि
{प॰च॰७२,९.३} क वि कड्ढिय णेउर-चलवलन्ति $ सरवर-लच्छि व कमल-क्खलन्ति
{प॰च॰७२,९.४} क वि कड्ढिय रसणा-दाम लेवि $ सु-णिहि व्व भुअङ्गमु वसिकरेवि
{प॰च॰७२,९.५} क वि कड्ढिय तिवलिउ दक्खवन्ति $ कामाउरि-परिहउ पायडन्ति
{प॰च॰७२,९.६} क वि कड्ढिय भज्जण-भयहेॅ जन्ति $ किस-रोमावलि-खम्भुद्धरन्ति
{प॰च॰७२,९.७} क वि कड्ढिय थण-यलसुव्वहन्ति $ लायण्ण-वारि-पूरेॅ व तरन्ति
{प॰च॰७२,९.८} क वि कड्ढिय कर-कमलइँ धुणन्ति $ छप्पय-रिञ्छोलि व मुच्छलन्ति(?)
{प॰च॰७२,९.९} क वि कड्ढिय सव्वह्ũ सरणु जन्ति $ मुत्तावलिं पि कण्ठऍ धरन्ति
{प॰च॰७२,९.१०} क वि कड्ढिय "हा रावण" भणन्ति $ दीहर-भुव-पञ्जरेॅ पइसरन्ति

घत्ता॒

{प॰च॰७२,९.११} जाहँ गइन्द-ससि- $ वरहिण-हरिण-हंस-सयणिज्जा
ताहँ विवक्खियह्ũ $ अवसें सूर ण होन्ति सहेज्जा


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक १०॒


{प॰च॰७२,१०.१} का वि णियम्विणि $ सिढिल-णियंसण
केस-विसन्थुल $ पगलिय-लोयण
{प॰च॰७२,१०.२} उब्भिय-करयल $ मुह-विच्छाइय
दइयहेॅ अग्गऍ $ रुअइ वराइय
{प॰च॰७२,१०.३} "अहेॅ दुद्दम-दाणव-दप्प-दलण $ सुर-मउड-सिहामणि-लिहिय-चलण
{प॰च॰७२,१०.४} जम-महिस-सिङ्ग-णिवली-णिहट्ठ $ सुरकरि-विसाण-मूरण-पहट्ठ
{प॰च॰७२,१०.५} परमेसर किं ओहट्ट-थामु $ किं रामणु अण्णहेॅ कहेॅ वि णामु
{प॰च॰७२,१०.६} किं अण्णें साहिउ चन्दहासु $ किं अण्णें धणयहेॅ किउ विणासु
{प॰च॰७२,१०.७} किं अण्णें वसिकिउ उद्ध-सोण्डु $ वण-हत्थि तिजगभूसणु पचण्डु
{प॰च॰७२,१०.८} किं अण्णें भग्गु कियन्त-राउ $ किं अण्णहेॅ वसेॅ सुग्गीउ जाउ
{प॰च॰७२,१०.९} किं अण्णें गिरि कइलासु देव $ हेलऍ जेॅ तुलिउ झिन्दुवउ जेव
{प॰च॰७२,१०.१०} किं अण्णें णिज्जिउ सहसकिरणु $ फेडिउ णलकुव्वर-सक्क-फुरणु

घत्ता॒

{प॰च॰७२,१०.११} किं अण्णहेॅ जि भुव $ वरुण-णराहिव-धरण-समत्था
जइ तुह्ũ दहवयणु $ तो किं अम्हह्ũ एह अवत्था"


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक ११॒


{प॰च॰७२,११.१} तो वि ण झाणहेॅ $ टालिउ राणउ
अचलु णिरारिउ $ मेरु-समाणउ
{प॰च॰७२,११.२} जोगि व सिद्धिहेॅ $ राम व भज्जहेॅ
तिह तग्गय-मणु $ थिउ पहु विज्जहेॅ
{प॰च॰७२,११.३} संखुहिउ ण लङ्काहिवहेॅ चित्तु $ तं अङ्गउ हुअवहु जिह पलित्तु
{प॰च॰७२,११.४} मन्दोयरि कड्ढिय मच्छरेण $ कप्पद्दुम-साह व कुञ्जरेण
{प॰च॰७२,११.५} हरिणि व सीहेण विरुद्धएण $ ससि-पडिम व राहुं कुद्धएण
{प॰च॰७२,११.६} उरगिन्दि व गरुड-विहङ्गमेण $ लोगाणि व पवर-जिणागमेण
{प॰च॰७२,११.७} परमेसरि तो वि ण भयहेॅ जाइ $ णिक्कम्प परिट्ठिय धरणि णाइँ
{प॰च॰७२,११.८} "रे रे जं किउ महु केस-गाहु $ अण्णु वि महएविह्ũ हियय-डाहु
{प॰च॰७२,११.९} तं पाव फलेसइ परऍ पावु $ दहगीउ गिलेसइ वलु जेॅ सावु"
{प॰च॰७२,११.१०} तं णिसुणेॅवि किय-कडमद्दणेण $ णिब्भच्छिय तारा-णन्दणेण

घत्ता॒

{प॰च॰७२,११.११} "काइँ विहाणऍण $ अज्जु जि पिक्खन्तहेॅ दहगीवहेॅ
सह्ũ अन्तेउरेॅण $ पइँ महएवि करमि सुग्गीवहेॅ"


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक १२॒

{प॰च॰७२,१२.१} एम भणेप्पिणु $ रिउ रेकारिउ
"रक्खु दसाणण $ मइँ पच्चारिउ
{प॰च॰७२,१२.२} हũ सो अङ्गउ $ तुह्ũ लङ्केसरु
ऍहु मन्दोयरि $ ऍहु सो अवसरु"
{प॰च॰७२,१२.३} जं एव वि खोहहेॅ ण गउ राउ $ तं विज्जहेॅ आसण-कम्पु जाउ
{प॰च॰७२,१२.४} आइय अन्धारउ जउ करन्ति $ वहुरूविणि वहु-रूवइँ धरन्ति
{प॰च॰७२,१२.५} थिय अग्गऍ सिद्धहेॅ सिद्धि ज्ẽव $ "किं पेसणु पहु" पभणन्ति ẽव
{प॰च॰७२,१२.६} "किं दिज्जउ वसुमइ वसिकरेवि $ किं दिज्जउ दिस-करि-थट्टु(?) धरेवि
{प॰च॰७२,१२.७} किं दिज्जउ फणि-मणि-रयणु लेवि $ किं दिज्जउ मन्दरु दरमलेवि
{प॰च॰७२,१२.८} किं दिज्जउ सुरणन्दिणि दुहेवि $ किं दिज्जउ जमु णियलेॅहिॅ छुहेवि
{प॰च॰७२,१२.९} किं दिज्जउ वन्धेॅवि अमर-राउ $ किं कुसुमसराउहु रइ-सहाउ
{प॰च॰७२,१२.१०} किं दिज्जउ धणयहेॅ तणिय रिद्धि $ किं दिज्जउ सव्वोवाय-सिद्धि

घत्ता॒

{प॰च॰७२,१२.११} सह्ũ देवासुरेॅहिॅ $ किं तइलोक्कु वि सेव करावमि
णवर णराहिवइ $ एक्कहेॅ चक्कवइहेॅ ण पहावमि"


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक १३॒


{प॰च॰७२,१३.१} तं णिसुणेप्पिणु $ सुर-सन्तावणु
पुण्ण-मणोरहु $ उट्ठिउ रावणु
{प॰च॰७२,१३.२} जा सन्तिहरहेॅ $ देइ ति-भामरि
मुक्क कुमारें $ सा मन्दोवरि
{प॰च॰७२,१३.३} अङ्गङ्गय णट्ठ पइट्ठ सेण्णेॅ $ सम्पत्त वत्त काकुत्थ-कण्णेॅ
{प॰च॰७२,१३.४} "परमेसर सुर-सन्तावणासु $ परिपुण्ण मणोरह रामणासु
{प॰च॰७२,१३.५} उप्पण्ण विज्ज णिव्वूढु धीरु $ एवहिॅ णिचिन्तु तियसहु मि चीरु
{प॰च॰७२,१३.६} णउ जाणह्ũ होसइ एउ केव $ लइ सीयहेॅ छण्डहि तत्ति देव"
{प॰च॰७२,१३.७} तं वयणु सुणेवि कुमारु कुइउ $ खय-कालेॅ दिवायरु णाइँ उइउ
{प॰च॰७२,१३.८} "णासहेॅ णासहेॅ जइ णाहि सत्ति $ हũ लक्खणु एक्कु करेमि तत्ति
{प॰च॰७२,१३.९} कहेॅ तणिय विज्ज कहेॅ तणिय सत्ति $ कल्लऍ पेक्खेसहेॅ तहेॅ असन्ति
{प॰च॰७२,१३.१०} मइँ दसरह-णन्दणेॅ किय-पइज्जेॅ $ वित्थहेॅ अत्थाहेॅ अलङ्घणिज्जेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰७२,१३.११} तोणा-जुयल-जलेॅ $ धणु-वेला-कल्लोल-रउद्दे
वुड्डेवउ खलेॅण $ महु केरऍ णाराय-समुद्दे"


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक १४॒


{प॰च॰७२,१४.१} ताव णिसायर- $ णाहु स-विज्जउ
णं स-कलत्तउ $ सुरवइ विज्जउ
{प॰च॰७२,१४.२} पेक्खइ दुम्मणु $ तोडिय-हारउ
णिय-अन्तेउरु $ णहु व अ-तारउ
{प॰च॰७२,१४.३} तहेॅ मज्झेॅ महा-सिरि-माणणेण $ मन्दोयरि दिट्ठ दसाणणेण
{प॰च॰७२,१४.४} छुडु छुडु आमेल्लिय अङ्गएण $ णं कमलिणि मत्त-महागएण
{प॰च॰७२,१४.५} णं कुतवसि-वाणि जिणागमेण $ णं णाइणि गरुड-विहङ्गमेण
{प॰च॰७२,१४.६} णं दिणयर-सोह वराहवेण $ णं पवर-महाडइ हुअवहेण
{प॰च॰७२,१४.७} णं ससहर-पडिम महग्गहेण $ मम्भीसिय विज्जा-सङ्गहेण
{प॰च॰७२,१४.८} "एक्केल्लउ जेहउ केण सहिउ $ अण्णु वि वहुरूविणि-विज्ज-सहिउ
{प॰च॰७२,१४.९} किउ जेहिॅ णियम्विणि एउ कम्मु $ लइ वट्टइ तहेॅ एत्तडउ जम्मु
{प॰च॰७२,१४.१०} जइ मणुस होन्ति तो काइँ एत्थु $ ढुक्कन्ति परिट्ठिउ णियमेॅ जेत्थु

घत्ता॒

{प॰च॰७२,१४.११} जेण मरट्टिऍण $ सीसेॅ तुहारऍ लाइय हत्था
कल्लऍ तासु धणेॅ $ पेक्खु काइँ दक्खवमि अवत्था"


कण्ड ४, संधि ७२, कडवक १५॒


{प॰च॰७२,१५.१} एम भणेप्पिणु $ दणु-विद्दावणु
जय-जय-सद्दें $ स-रहसु रावणु
{प॰च॰७२,१५.२} चलिउ सउण्णउ $ उट्ठिय-कलयलु
णं रयणायरु $ परिवड्ढिय-जलु
{प॰च॰७२,१५.३} णवर पहुणो चलन्तस्स दिण्णा महाणन्द-भेरी मउन्दा दडी दद्दुरा
पडह टिविला य ढड्ढड्ढरी झल्लरी भम्भ भम्भीस कंसाल-कोलाहला
{प॰च॰७२,१५.४} मुरव तिरिडिक्किया काहला ढड्ढिया सङ्ख धुम्मुक्क ढक्का हुडुक्का वरा
तुणव पणवेक्कपाणि त्ति एवं व सिज्झेवि (?) सेसा उणा(?णो) केण ते वुज्झिया
{प॰च॰७२,१५.५} कहि मि चलियं चलन्तेण अन्तेउरं थोर-मुत्तावली-हार-केऊर-कञ्ची-कलावेहिॅ
गुप्पन्तयं
वहल-सिरिकण्ड-कप्पूर-कत्थूरिया-कुङ्कुमुप्पील-कालागरुम्मिस्स-चिक्खिल्ल-पन्थेसु खुप्पन्तयं
{प॰च॰७२,१५.६} धवल-धय-तोरण-च्छत्त-चिन्ध-प्पडायावली-मण्डवब्भन्तरालिन्द-णीलन्धयारे
विसूरन्तयं
मुहल-चल-णेउरुग्घाय-झङ्कार-वाहित्त-मज्झाणुलग्गन्त-हंसेहिॅ चुक्कन्त-हेलागई-णिग्गमं
{प॰च॰७२,१५.७} फलिह-मणि-कुट्टिमे भूमि-भाए वियड्ढेहिॅ छाया-छलेणं (?) चुम्विज्जमाणाणणं
णवर पिसुणो जणो तं च मा पेच्छहीमीऍ सङ्काऍ पायम्वुएहिॅ व छायन्तयं
{प॰च॰७२,१५.८} गलिय-मणि-मेहला-दाम-सङ्घायम् अण्णोण्ण-लज्जाहिमाणेण मुच्चन्तयं
कसण-मणि-खोणि-छायाहिॅ रञ्जिज्जमाणं व दट्ठूण वेवन्तयं
{प॰च॰७२,१५.९} कहि मि णव-पाडली-पुप्फ-गन्धेण आयड्ढिया छप्पया
णवर मुह-पाणि-पायग्ग-रत्तुप्पलामोय-मोहं गया
{प॰च॰७२,१५.१०} तहि मि चल-चामरुच्छोह-विच्छेव-छिप्पन्त-मुच्छाविया
सुरहि-सुह-गन्धवाएण मन्दाणुसीएण संजीविया

घत्ता॒

{प॰च॰७२,१५.११} एम पइट्ठु घरु $ जय-जय-सद्दें इन्द-विमद्दणु
वसुमइ वसिकरेॅवि $ णाइँ स यं भु व णाहिव-णन्दणु



[७३. तिसत्तरिमो संधि] ----------



तिहुवण-डामर-वीरु $ मयरद्धय-सर-सण्णिह-णयणु
मङ्गल-तूर-रवेण $ मज्जाणउ पइसइ दहवयणु


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक १॒


{प॰च॰७३,१.१} पइसेॅवि भवणु भिच्च अवयज्जिय $ णिय-णिय-णिलयहेॅ तुरिय विसज्जिय
{प॰च॰७३,१.२} कइवय-सेवहिॅ सहिउ दहम्मुहु $ गउ मज्जण-भवणहेॅ सवडम्मुहु
{प॰च॰७३,१.३} ओसारियइँ असेसाहरणइँ $ दुद्दिणेॅ दिणयरेण णं किरणइँ
{प॰च॰७३,१.४} लइय पोत्ति रिसहेण दया इव $ गुज्झावरणसील माया इव
{प॰च॰७३,१.५} सण्ह-सुत्त वायरण-कहा इव $ पल्लव-गहिय महा-वणराइ व
{प॰च॰७३,१.६} वर-वारङ्गणेहिॅ सव्वङ्गिउ $ विविहाभङ्गणेहिॅ अब्भङ्गिउ
{प॰च॰७३,१.७} गउ आयाम-भूमि रहसाहिउ $ तणु-संवाहणेहिॅ संवाहिउ
{प॰च॰७३,१.८} ताव विमद्दिउ जाव पहग्गउ $ सव्वङ्गिउ पासेउ वलग्गउ

घत्ता॒

{प॰च॰७३,१.९} छुडु उग्गयइँ सरीरेॅ $ पासेय-पुडिङ्गइँ णिम्मलइँ
णं तुट्ठेण समेण $ कड्ढेॅवि दिण्णइँ मुत्ताहलइँ


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक २॒


{प॰च॰७३,२.१} पुणु वारङ्गणेहिॅ उव्वट्टिउ $ णं करि करिणि-करेहिॅ विहट्टिउ
{प॰च॰७३,२.२} गउ चामियर-दोणि परमेसरु $ णं कणियारि-कुसुम-थलि महुअरु
{प॰च॰७३,२.३} वारिहेॅ मज्झेॅ पइट्ठु व कुञ्जरु $ दप्पण-सिरिहेॅ व छाया-णरवरु
{प॰च॰७३,२.४} सरसिहेॅ मज्झेॅ व पडिमा-ससहरु $ पुव्व-दिसहेॅ व तरुण-दिवायरु
{प॰च॰७३,२.५} गन्धामलऍहिॅ चिहुर पसाहिय $ वइरि व भञ्जेॅवि वन्धेॅवि साहिय
{प॰च॰७३,२.६} पुणु गउ ण्हवण-वीढु आणन्दें $ णड-कइ-वन्दिण-जय-जय-सद्दें
{प॰च॰७३,२.७} फलिह-सिला-मणियहेॅ (?) थिउ छज्जइ $ हिम-सिहरोल्लिऍ णं घणु गज्जइ
{प॰च॰७३,२.८} पण्डु-सिलहेॅ व काम-करि-केसरि $ वहुल-पक्खु पुण्णिवहेॅ व उप्परि

घत्ता॒

{प॰च॰७३,२.९} मङ्गल-कलस-कराउ $ ढुक्कउ णारिउ लङ्केसरहेॅ
णावइ सयल-दिसाउ $ उण्णय-मेहाउ महीहरहेॅ


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक ३॒

{प॰च॰७३,३.१} णवर पहुणो ऽहिसेयस्स पारम्भए $ हेम-कुम्भेहिॅ उक्खित्त-सारम्भए
{प॰च॰७३,३.२} पवर-अहिसेय-तूरं समुप्फालियं $ वद्ध-कच्छेहिॅ मल्लेहिॅ ओरालियं
{प॰च॰७३,३.३} कहि मि सु-सरेहिॅ गायणेॅहिॅ झङ्कारियं $ मङ्गलं वन्दि-लोएण उच्चारियं
{प॰च॰७३,३.४} कहि मि वर-वंस-वीणा-पवीणा णरा $ गन्ति गन्धव्व विज्जाहरा किण्णरा
{प॰च॰७३,३.५} कहि मि कलहोय-माणिक्क-सिप्पी-विहत्थेण $ संकुन्दिओ(?)फेन्द-वन्देण आलिन्दओ
{प॰च॰७३,३.६} कहि मि सिरिकण्ड-कप्पूर-कत्थूरिया- $ कुङ्कुमुप्पङ्क-पङ्केण एक्केक्कमो आहओ
{प॰च॰७३,३.७} कहि मि अहिसेय-सिङ्गम्बु-धारा-णिवाय- $ प्पवाहेण दूराहिॅ एक्केक्कमो सिञ्चिओ
{प॰च॰७३,३.८} कहि मि णड-छत्त-फम्फाव-वन्देहिॅ $ सोहग्ग-सूराण णामावलि से समुच्चारिया

घत्ता॒

{प॰च॰७३,३.९} ẽव जणुल्लावेण $ पल्हत्थिय कलस णरेसरहेॅ
सुर-जय-जय-सद्देण $ अहिसेय-समऍ जिह जिणवरहेॅ


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक ४॒


{प॰च॰७३,४.१} क वि अहिसिञ्चइ कञ्चण-कुम्भें $ लच्छि पुरन्दरं व विमलम्भें
{प॰च॰७३,४.२} क वि रुप्पिम-कलसें जल-गाहें $ पुण्णिव ससिम् इव जोण्हा-वाहें
{प॰च॰७३,४.३} क वि मरगय-कलसेण उर-त्थलु $ णलिणि व णलिण-उडेण महीयलु
{प॰च॰७३,४.४} क वि कुङ्कुम-कलसेणायम्वें $ सञ्झ व दिवसु दिवायर-विम्वें
{प॰च॰७३,४.५} आयऍ लीलऍ जयसिरि-माणणु $ जय-जय-सद्दें ण्हाउ दसाणणु
{प॰च॰७३,४.६} विमल-सरीरु जाउ चक्केसरु $ णं उप्पण्ण-णाणु तित्थङ्करु
{प॰च॰७३,४.७} दिण्णइँ तणु-लुहणाइँ सु-सण्हइँ $ खल-कुट्टणि-वयणा इव लण्हइँ
{प॰च॰७३,४.८} मेल्लिय पोत्ति जिणेण व दुग्गइ $ मोआविय केसाइँ जलुग्गइँ
{प॰च॰७३,४.९} लेप्पिणु सेयम्वरु वि सहावइ (?) $ वेढिउ सीसु वइरि-पुरु णावइ

घत्ता॒

{प॰च॰७३,४.१०} सोहइ धवल-वडेण $ आवेढिउ दससिर-सिरु पवरु
णं सुर-सरि-वाहेण $ कइलासहेॅ तणउ तुङ्ग-सिहरु


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक ५॒


{प॰च॰७३,५.१} गम्पिणु देव-भवणु जिणु वन्देॅवि $ वार-वार अप्पाणउ णिन्देॅवि
{प॰च॰७३,५.२} भोयण-भूमि पइट्ठु पहाणउ $ कञ्चण-वीढेॅ परिट्ठिउ राणउ
{प॰च॰७३,५.३} जवणि भमाडिय असइ व धुत्तेॅहिॅ $ अवुह-मइ व वायरणहेॅ सुत्तेॅहिॅ
{प॰च॰७३,५.४} गङ्ग व सयर-सुऍहिॅ णिय-णासऍहिॅ $ महकइ-कित्ति व सीस-सहासेॅहिॅ
{प॰च॰७३,५.५} दिण्णइँ रुप्पिम-कञ्चण-थालइँ $ णं सुपुरिस-चित्तइँ व विसालइँ
{प॰च॰७३,५.६} वित्थारिउ परियलु पहु-केरउ $ जरढाइच्चु व कन्ति-जणेरउ
{प॰च॰७३,५.७} सरवरो व्व सयवत्त-विसट्टउ $ पट्टण-पइसारु व वहु-वट्टउ
{प॰च॰७३,५.८} उवहि व सिप्पि-सङ्ख-सन्दोहउ $ वर-जुवइ-यणु व कञ्ची-सोहउ

घत्ता॒

{प॰च॰७३,५.९} दिज्जइ अमियाहारु $ वहु-कण्ड-पयारु सुहावणउ
णावइ भरहु विसालु $ अण्णण्ण-महारस-दावणउ


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक ६॒


{प॰च॰७३,६.१} धूमवत्ति परिपिऍवि पहाणउ $ भुञ्जेॅवि अण्ण-वासेॅ थिउ राणउ
{प॰च॰७३,६.२} मलयरुहेण पसाहिउ अप्पउ $ गन्धु लयन्तु णाइँ थिउ छप्पउ
{प॰च॰७३,६.३} पुणु तम्वोलु दिण्णु चउरङ्गउ $ णड-वेक्खणउ णाइँ वहु-रङ्गउ
{प॰च॰७३,६.४} पुणु दिण्णइँ अम्वरइँ अमोल्लइँ $ जिण-वयणाइँ व अब्भरुहुल्लइँ
{प॰च॰७३,६.५} वेङ्गि-विसय-मिहुणइँ व सुअन्धइँ $ अहोरत्ताइँ व घडिया-वन्धइँ
{प॰च॰७३,६.६} मुद्धङ्गण-चित्ताइँ व मउअइँ $ दुट्ठक्कुर-दाणाइँ व छउअइँ
{प॰च॰७३,६.७} दीहइँ दुज्जण-दुव्वयणाइँ व $ पिहुलइँ गङ्गा-णइ-पुलिणाइँ व
{प॰च॰७३,६.८} विरहियइँ व वहु-कामावत्थइँ $ वन्दिण-जण-वन्दइँ व णियत्थइँ


घत्ता॒

{प॰च॰७३,६.९} लइयइँ आहरणाइँ $ विप्फुरिय-समुज्जल-मणि-गणइँ
कसण-सरीरेॅ थियाइँ $ णं वहुल-पक्खेॅ तारायणइँ


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक ७॒


{प॰च॰७३,७.१} तो तिलोयभूसणो $ सुरिन्द-दन्ति-दूसणो
{प॰च॰७३,७.२} पसाहिओ गइन्दओ $ णिवारियालि-विन्दओ
{प॰च॰७३,७.३} पलम्व-घण्ट-जोत्तओ $ वहन्त-दाण-सोत्तओ
{प॰च॰७३,७.४} पसण्ण-कण्ण-चामरो $ णिमीलियच्छि-उक्करो
{प॰च॰७३,७.५} मणोज्ज-गेज्ज-कण्ठओ $ भिसी-णिहट्ठ-पट्ठओ
{प॰च॰७३,७.६} विसाल-उद्ध-चिन्धओ $ पहु व्व पट्ट-वन्धओ
{प॰च॰७३,७.७} गिरि व्व तुङ्ग-गत्तओ $ महण्णउ व्व मत्तओ
{प॰च॰७३,७.८} घणो व्व भूरि-णीसणो $ जमो व्व सुट्ठु भीसणो
{प॰च॰७३,७.९} मणो व्व लोल-वेयओ $ रवि व्व उग्ग-तेयओ

घत्ता॒

{प॰च॰७३,७.१०} सव्वाहरणु णरिन्दु $ तहिॅ कसण-महग्गऍ चडिउ किह
उण्णय-मेह-णिसण्णु $ लक्खिज्जइ विज्जु-विलासु जिह


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक ८॒


{प॰च॰७३,८.१} जय-जय-सद्दें सत्तु-खयाणणु $ सीयहेॅ पासु पयट्टु दसाणणु
{प॰च॰७३,८.२} वहुरूविणि-रूवइँ भावन्तउ $ खणेॅ वासरु खणेॅ णिसि दावन्तउ
{प॰च॰७३,८.३} खणेॅ चन्दिम खणेॅ मेहन्धारउ $ खणेॅ वाओलि-धूलि-जलधारउ
{प॰च॰७३,८.४} खणेॅ णिहाय-तडि-वडण-वमालिउ $ खणेॅ गय-वग्घ-सिङ्घ-ओरालिउ
{प॰च॰७३,८.५} खणेॅ पाउसु हेमन्तु उण्हालउ $ खणेॅ गयण-यलु सयलु सम-जालउ
{प॰च॰७३,८.६} खणेॅ महि-कम्पु महीहर-हल्लिउ $ खणेॅ रयणायर-सलिलुच्छल्लिउ
{प॰च॰७३,८.७} तं तेहउ णिएवि ससि-मुहियऍ $ तियड पपुच्छिय जणयहेॅ दुहियऍ
{प॰च॰७३,८.८} "एउ महन्तु काइँ अच्चरियउ $ किं केण वि जगु उवसङ्घरियउ"

घत्ता॒

{प॰च॰७३,८.९} पभणइ तियडाएवि $ "वहुरूविणि-रूवाविद्ध-तणु
आवइ लग्गउ एहु $ तउ वयणु णिहालउ दहवयणु"


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक ९॒


{प॰च॰७३,९.१} तं णिसुणेवि महासइ कम्पिय $ वाहु भरन्ति चक्खु दर जम्पिय
{प॰च॰७३,९.२} "माऍ ण जाणह्ũ काइँ करेसइ $ सीलु महारउ किं मइलेसइ"
{प॰च॰७३,९.३} ताव सुरिन्द-विन्द-कन्दावणु $ कण्ठाहरण-विविह-कं-दावणु
{प॰च॰७३,९.४} सीयहेॅ पासु पढुक्किउ सरहसु $ णावइ वम्महसरहेॅ पुणव्वसु
{प॰च॰७३,९.५} णावइ दीह-समासु विहत्तिहेॅ $ णावइ छन्दु देव-गाइत्तिहेॅ
{प॰च॰७३,९.६} वोल्लाविय "वोल्लहि परमेसरि $ होमि ण होमि दसाणण-केसरि
{प॰च॰७३,९.७} सुअउ ण सुअउ महारउ ढड्ढसु $ दिट्ठु ण दिट्ठु विउव्वण-साहसु
{प॰च॰७३,९.८} एवहिॅ किं करन्ति ते हरि-वल $ णल-सुग्गीव-णील-भामण्डल

घत्ता॒
{प॰च॰७३,९.९} अण्ण वि जे जे दुट्ठ $ ते ते महु सव्व समावडिय
एवहिॅ कहिॅ णासन्ति $ सारङ्ग व सीहहेॅ कमेॅ पडिय


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक १०॒


{प॰च॰७३,१०.१} सीमन्तिणि मयरहरुत्तिण्णहेॅ $ लुहमि लीह कइद्धय-सेण्णहेॅ
{प॰च॰७३,१०.२} रामु तुहारउ जम-पहेॅ लायमि $ इन्दइ कुम्भकण्णु मेल्लावमि
{प॰च॰७३,१०.३} जो विसल्लु किउ कह वि विसल्लऍ $ सो वि भिडन्तु ण चुक्कइ कल्लऍ
{प॰च॰७३,१०.४} जीवियास तह्ũ केरी छण्डहि $ चडु विमाणेॅ अप्पाणउ मण्डहि
{प॰च॰७३,१०.५} स-रयण स-णिहि पिहिमि परिपालहि $ जाह्ũ मेरु जिणहरइँ णिहालहि
{प॰च॰७३,१०.६} पेक्खु समुद्द दीव सरि सरवर $ णन्दण-वणइँ मह-द्दुम महिहर
{प॰च॰७३,१०.७} अह एत्तडउ कालु जं चुक्की $ तं महु वय-चारहडि गुरुक्की
{प॰च॰७३,१०.८} जइ वि तिलोत्तिम रम्भाएवी $ जा ण समिच्छइ सा ण लएवी
{प॰च॰७३,१०.९} वार-वार तें तइँ अब्भत्थमि $ दय करि अन्तेउरु अवहत्थमि
{प॰च॰७३,१०.१०} तुह्ũ जेॅ एक्क महएविय वुच्चहि $ चामर-गाहिणीहिॅ मा मुच्चहि

घत्ता॒

{प॰च॰७३,१०.११} सुरवर सेव करन्तु $ घण छडउ दिन्तु पुरेॅ पइसरहि
लक्खण-रामह्ũ तत्ति $ दुव्वुद्धि व दूरें परिहरहि"


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक ११॒


{प॰च॰७३,११.१} जाणेॅवि दुट्ठ-कम्मु पारम्भिउ $ वहुरूविणि-वहु-रूव-वियम्भिउ
{प॰च॰७३,११.२} चिन्तिउ दसरह-णन्दण-पत्तिऍ $ "लक्खण-राम जिणइ विणु भन्तिऍ
{प॰च॰७३,११.३} जासु इम इ एवड्डइँ चिन्धइँ $ वहुरूविणि-वहु-रूवइँ सिद्धइँ
{प॰च॰७३,११.४} अण्ण इ सुरवर सेव कराविय $ वन्दि-विन्द कलुणइँ कन्दाविय
{प॰च॰७३,११.५} सो किं मइँ ण लेइ पिउ ण हणइ" $ आसङ्केवि देवि पुणु पभणइ
{प॰च॰७३,११.६} "दहमुह भुवण-विणिग्गय-णामें $ खणु मि ण जियमि मरन्तें रामें
{प॰च॰७३,११.७} जेत्थु पईवु तेत्थु सिह णज्जइ $ जेत्थु अणङ्गु तेत्थु रइ जुज्जइ
{प॰च॰७३,११.८} जेत्थु सणेहु तेत्थु पणयञ्जलि $ जेत्थु पयङ्गु तेत्थु किरणावलि

घत्ता॒

{प॰च॰७३,११.९} जहिॅ ससहरु तहिॅ जोण्ह $ जहिॅ परम-धम्मु तहिॅ जीव-दय
जहिॅ राहवु तहिॅ सीय" $ सा एम भणेप्पिणु मुच्छ गय


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक १२॒
{प॰च॰७३,१२.१} मुच्छ णिएप्पिणु रहुवइ-घरिणिहेॅ $ करि ओसरिउ व पासहेॅ करिणिहेॅ
{प॰च॰७३,१२.२} "धिद्धिगत्थु परयारु असारउ $ दुग्गइ-गमणु सुगइ-विणिवारउ
{प॰च॰७३,१२.३} मइँ पावेण काइँ किउ एहउ $ जें विच्छोइउ मिहुणु स-णेहउ
{प॰च॰७३,१२.४} को वि ण मइँ सरिसउ विरुवारउ $ दूहउ दुम्मुहु दुक्किय-गारउ
{प॰च॰७३,१२.५} दुज्जणु दुट्ठु दुरासु दुल्लक्खणु $ कु-पुरिसु मन्द-भग्गु अ-वियक्खणु
{प॰च॰७३,१२.६} दुण्णयवन्तु विणय-परिवज्जिउ $ दुच्चारित्तु कु-सीलु अ-लज्जिउ
{प॰च॰७३,१२.७} णिद्दउ पर-कलत्त-सन्तावउ $ वरि जलयरु थलयरु वण-सावउ
{प॰च॰७३,१२.८} वरि पसु वरि विहङ्गु किमि कीडउ $ णउ अम्हारिसु जग-परिपीडउ

घत्ता॒

{प॰च॰७३,१२.९} वरि तिणु वरि पाहाणु $ वरि लोह-पिण्डु वरि सुक्क-तरु
णउ णिग्गुणु वय-हीणु $ माणुसु उप्पण्णु महीहेॅ भरु


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक १३॒


{प॰च॰७३,१३.१} अहेॅ अहेॅ दारा परिभव-गारा $ कयलि व सव्वङ्गिउ णीसारा
{प॰च॰७३,१३.२} चालणि व्व केवल-मल-गाहिणि $ सरि व कुडिल हेट्ठामुह-वाहिणि
{प॰च॰७३,१३.३} पाउस-कुहिणि व दूसञ्चारिणि $ कुमुइणि व्व गहवइ-उवगारिणि
{प॰च॰७३,१३.४} कमलिणि व्व पङ्केण ण मुच्चइ $ मणु दारेइ दार तें वुच्चइ
{प॰च॰७३,१३.५} वणिय वणेइ सरीरु समत्तउ $ गणिय गणेइ असेसु विढत्तउ
{प॰च॰७३,१३.६} दइयहेॅ दइउ लेइ तें दइया $ परु तिविहेण तेण तियमइया
{प॰च॰७३,१३.७} धणिय धणेइ अप्पु अवयारें $ जाय जाइ णीजन्ती जारें
{प॰च॰७३,१३.८} कु वसुन्धरि तहिॅ मारि कुमारी $ णा णरु तासु अरित्तें णारी

घत्ता॒

{प॰च॰७३,१३.९} वट्टइ सुरवइ जेम $ वन्धेप्पिणु लक्खणु रामु रणेॅ
देमि विहाणऍ सीय $ सच्चउ परिसुज्झमि जेम जणेॅ"


कण्ड ४, संधि ७३, कडवक १४॒


{प॰च॰७३,१४.१} एम भणेप्पिणु गउ णिय-गेहहेॅ $ अन्तेउरहेॅ पवड्ढिय-णेहहेॅ
{प॰च॰७३,१४.२} रायहंसु णं हंसी-जूहहेॅ $ णं गयवरु गणियारि-समूहहेॅ
{प॰च॰७३,१४.३} णं मयलञ्छणु तारा-वन्दहेॅ $ णं धुवगाउ णलिणि-मयरन्दहेॅ
{प॰च॰७३,१४.४} पणइणीउ पणएं पणवन्तउ $ माणिणीउ सइँ सम्माणन्तउ
{प॰च॰७३,१४.५} रसणा-दामएहिॅ वज्झन्तउ $ लीला-कमलेॅहिॅ ताडिज्जन्तउ
{प॰च॰७३,१४.६} एव परिट्ठिउ णिसि-सम्भोगें $ सिङ्गारेण विविह-विणिउग्गें
{प॰च॰७३,१४.७} सीय वि णिय-जीवियहेॅ अणिट्ठिय $ णं दससिरहेॅ सिरत्ति समुट्ठिय
{प॰च॰७३,१४.८} ताव णिहाय पडिय महि कम्पिय $ "णट्ठ लङ्क" णहेॅ देव पजम्पिय

घत्ता॒

{प॰च॰७३,१४.९} "दहमुह मूढउ काइँ $ पर-णारि रमन्तहेॅ कवणु सुहु
णच्छहि सुरवइ जेव $ णिय-रज्जु स इं भु ञ्जन्तु तुह्ũ"



[७४. चउसत्तरिमो संधि] ----------



दिवसयरेॅ विउद्धेॅ विउद्धाइँ $ रण-रसियइँ अमरिस-कुद्धाइँ
स-रहसइँ पवड्ढिय-कलयलइँ $ भिडियइँ राहव-रामण-वलइँ


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक १॒

जाव रावणु जाइ णिय-गेहु

अन्तेउरु पइसरइ $ करइ रयणि सइँ भोग्गेॅ आयरु
ता ताडिय चउ-पहरि $ उअय-सिहरेॅ उट्ठिउ दिवायरु
(मत्ता-छन्दु)
{प॰च॰७४,१.१} केसरि व्व णह-भासुर-कर-पसरन्तउ
पहरेॅ पहरेॅ णिसि-गय-घड ओसारन्तउ

{प॰च॰७४,१.२} तहिॅ अवसरेॅ पक्खालिय-णयणु $ अत्थाणेॅ परिट्ठिउ दहवयणु
{प॰च॰७४,१.३} सामरिस-णिसायर-परियरिउ $ णं जमु जमकरणालङ्करिउ
{प॰च॰७४,१.४} णं केसरि णहरारुण-गहिउ $ णं गहवइ तारायण-सहिउ
{प॰च॰७४,१.५} णं दिणयरु पसरिय-कर-णियरु $ णं विप्फालिय-जलु मयरहरु
{प॰च॰७४,१.६} णं सुरवइ सुर-परिवेड्ढियउ $ तोडन्तु करग्गें दाढियउ
{प॰च॰७४,१.७} रोसुग्गउ उम्मूलियउ हत्थु $ णिड्डरिय-णयणु सीहासणत्थु
{प॰च॰७४,१.८} सुय-भायर-परिभउ सम्भरेवि $ भउ जीविउ रज्जु वि परिहरेवि

घत्ता॒

{प॰च॰७४,१.९} असहन्तु सुरासुर-डमर-करु $ जम-धणय-पुरन्दर-वरुण-धरु
सज्जण-दुज्जणहँ जणन्तु भउ $ फुरियाहरु आउह-साल गउ


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक २॒

ताव हूअइँ दुण्णिमित्ताइँ

उड्डाविउ उत्तरिउ $ आयवत्तु मोडिउ दु-वाऍण
हाहा-रउ उट्ठियउ $ छिण्ण कुहिणि घण-कसण-णाऍण
{प॰च॰७४,२.१} णिऍवि ताइँ दु-णिमित्तइँ णय-सिर-पन्तिहिॅ
"जाहि माय" मन्दोयरि वुच्चइ मन्तिहिॅ

{प॰च॰७४,२.२} "मा णासउ सुन्दरु पुरिस-रयणु $ जइ कह वि तुहारउ करइ वयणु
{प॰च॰७४,२.३} तो परिअच्छावहि वुद्धि देवि $ आलावेॅहिॅ तेहिॅ पयट्ट देवि
{प॰च॰७४,२.४} विहडप्फड पासु दसाणणासु $ हरि-भऍण करेणु व वारणासु
{प॰च॰७४,२.५} णं सइ-महएवि पुरन्दरासु $ णं रइ सरसुत्थ-धणुद्धरासु
{प॰च॰७४,२.६} पणवेप्पिणु कप्पिणु पणय-कोउ $ दरिसन्ति अंसु-जलु थोवु थोवु
{प॰च॰७४,२.७} पभणइ "परमेसर काइँ मूढु $ मोहन्ध-कूवेॅ किं देव छूढु

घत्ता॒

{प॰च॰७४,२.८} कु-सरीरहेॅ कारणेॅ जाणइहेॅ $ मा णिवडहि णरय-महाणइहेॅ
लइ वूहि किम् इच्छहि पुहइवइ $ किं होमि सुरङ्गण लच्छि रइ"


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक ३॒

तं सुणेप्पिणु भणइ दहवयणु

"किं रम्भ-तिलोत्तिमहिॅ $ उव्वसीऍ अच्छरऍ लच्छिऍ
किं सीयऍ किं रइऍ $ पइँ वि काइँ कुवलय-दलच्छिऍ
{प॰च॰७४,३.१} जाहि कन्तेॅ हũ लग्गउ वन्धु-पराहवे
थरहरन्ति सर-धोरणि लायमि राहवे

{प॰च॰७४,३.२} लक्खणेॅ पुणु मि सत्ति संचारमि $ अङ्गङ्गय जमउरि पइसारमि
{प॰च॰७४,३.३} पाडमि वाणर-वंस-पईवहेॅ $ मत्थऍ वज्ज-दण्डु सुग्गीवहेॅ
{प॰च॰७४,३.४} चन्दहासु चन्दोयर-णन्दणेॅ $ वायवु वाउएव-सुय-सन्दणेॅ
{प॰च॰७४,३.५} वारुणु भामण्डलेॅ भय-भीसणेॅ $ धगधगन्तु अग्गेउ विहीसणेॅ
{प॰च॰७४,३.६} णागवासु माहिन्द-महिन्दह्ũ $ वइसवणत्थु कुमुअ-कुन्देन्दह्ũ
{प॰च॰७४,३.७} मोडमि गवय-गवक्खह्ũ चिन्धइँ $ णच्चावमि णल-णील-कवन्धइँ
{प॰च॰७४,३.८} तार-सुसेण देमि वलि भूयह्ũ $ अवर वि णेमि पासु जम-दूयह्ũ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,३.९} जसु इन्दादेव वि आणकर $ दासि व्व कियञ्जलि स-धर धर
सो जइ आरूसमि दहवयणु $ तो हरि-वल सण्ढ कवणु गहणु"


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक ४॒

तेण वयणें कुइय महएवि

"हेवाइउ सुरवरहिॅ $ तेण तुज्झु एवड्डु विक्कमु
खर-दूसण-तिसिर-वहेॅ $ किण्ण णाउ लक्खण-परक्कमु
{प॰च॰७४,४.१} जेण मण्ड पायाललङ्क उद्दालिय
दिण्ण तार सुग्गीवहेॅ सिल संचालिय

{प॰च॰७४,४.२} अण्ण वि वहु-दुक्ख-जणेराइँ $ चरियइँ हणुवन्तहेॅ केराइँ
{प॰च॰७४,४.३} पइँ रावण काइँ ण दिट्ठाइँ $ हियवऍ सल्लइँ व पइट्ठाइँ
{प॰च॰७४,४.४} अज्ज वि अच्छन्ति महन्ताइँ $ दुज्जण-वयण व्व दुहन्ताइँ
{प॰च॰७४,४.५} अण्ण इ णल-णील केण सहिय $ रणेॅ हत्थ-पहत्थ जेहिॅ वहिय
{प॰च॰७४,४.६} रहुवइहेॅ णिहालिउ केण मुहु $ छ-व्वार वि-रहु जें कियउ तुह्ũ
{प॰च॰७४,४.७} अङ्गङ्गएहिॅ किर को गहणु $ किउ तेहि मि महु केस-ग्गहणु

घत्ता॒

{प॰च॰७४,४.८} मायासुग्गीव-विमद्दणहेॅ $ एत्तिय मेत्ति वि रहु-णन्दणहेॅ
णव-मालइ-माला-मउअ-भुअ $ अज्ज वि अप्पिज्जउ जणय-सुय"


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक ५॒

णियय-पक्खहेॅ दिण्णेॅ अहिखेवेॅ

पर-पक्खेॅ पसंसियऍ $ दस-सिरेहिॅ दससिरु पलित्तउ
जाला-सय-पज्जलिउ $ हुअवहो व्व वाएण छित्तउ
{प॰च॰७४,५.१} रत्त-णेत्तु (वि)फुरियाहरु मलिय-करुप्पलु
चलिय-गण्डु भू-भङ्गुरु ताडिय-महियलु

{प॰च॰७४,५.२} "जइ अण्णें केण वि वुत्तु एव $ तो सिरु पाडमि ताल-हलु जेम
{प॰च॰७४,५.३} तुह्ũ घइँ पणइणि पणएण चुक्क $ ओसरु पासहेॅ मा पुरउ ढुक्क
{प॰च॰७४,५.४} किण्ण करमि सन्धि तहिॅ जेॅ कालेॅ $ खर-दूसण-रणेॅ हय-कोट्टवालेॅ
{प॰च॰७४,५.५} उज्जाण-भङ्गेॅ मन्दिर-विणासेॅ $ रामागमेॅ एक्कोयर-पवासेॅ
{प॰च॰७४,५.६} पढमब्भिडेॅ हत्थ-पहत्थ-मरणेॅ $ इन्दइ-घणवाहण-वन्दि-धरणेॅ
{प॰च॰७४,५.७} एवहिॅ पुणु दूसन्थवउ कज्जु $ एक्कन्तरु ताह मि महु मि अज्जु

घत्ता॒

{प॰च॰७४,५.८} एवहिॅ तुह वयणेॅहिॅ विभव-जुअ $ विहिॅ गइहिॅ समप्पमि जणय-सुअ
जिम लक्खण-रामहिॅ भग्गऍहिॅ $ जिम महु पाणेॅहिॅ मि विणिग्गऍहिॅ"


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक ६॒

एम भणेवि पहय रण-भेरि

तूरइँ अप्फालियइँ $ दिण्ण सङ्ख उब्भिय महद्धय
सज्जिय रह जुत्त हय $ सारि-सज्ज किय दन्ति दुज्जय
{प॰च॰७४,६.१} मिलिउ सेण्णु किउ कलयलु रण-परिओसेॅण
णिरवसेसु जगु वहिरिउ तूर-णिघोसेॅण

{प॰च॰७४,६.२} वहुरूविणि-किय-मायाविग्गहु $ सज्जिउ तुरिउ गइन्द-महारहु
{प॰च॰७४,६.३} तुङ्ग-रहङ्गु णहेॅ ज्जेॅ ण माइउ $ वीयउ मन्दरु णं उप्पाइउ
{प॰च॰७४,६.४} तहिॅ गयवर-सहासु जोत्तेप्पिणु $ दस सहास पय-रक्ख करेप्पिणु
{प॰च॰७४,६.५} जय-जय-सद्दें चडिउ दसाणणु $ णं गिरि-सिहरोवरि पञ्चाणणु
{प॰च॰७४,६.६} दहहिॅ मुहेहिॅ भयङ्करु दहमुहु $ भुवण-कोसु णं जलिउ दिसा-मुहु
{प॰च॰७४,६.७} विविह-वाहु विविहुक्खय-पहरणु $ णाइँ विउव्वणेॅ थिउ सुर-वारणु
{प॰च॰७४,६.८} दस-विह लोय-पाल मणेॅ झाऍवि $ दइवें मुक्क णाइँ उप्पाऍवि
{प॰च॰७४,६.९} भुवण-भयङ्करु कहेॅ वि ण भावइ $ दण्डु जमेण विसज्जिउ णावइ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,६.१०} धय-दण्डु समुब्भिउ सेय-वडु $ णिज्जीवउ लङ्काहिव-सुहडु
पुरेॅ (?) सायरेॅ रह-वोहित्थ-कउ $ परवल-परतीरहेॅ णाइँ गउ


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक ७॒

रहु णिरन्तरु भरिउ पहरणह्ũ

सम्मइ सारत्थि किउ $ वहुरूविणि-विज्जा-विणिम्मिउ
कण्टइएं रावणेॅण $ उरेॅ ण मन्तु सण्णाहु परिहिउ
{प॰च॰७४,७.१} वाहु-दण्ड विहुणेप्पिणु रणेॅ दुल्ललिऍण
पहरणाइँ परिगीढइँ रहसुच्छलिऍण

{प॰च॰७४,७.२} पहिलऍ करेॅ धणुहरु सरु वीयऍ $ गयह्ũ कयन्त गयासणि तइयऍ
{प॰च॰७४,७.३} सङ्खु चउत्थऍ पञ्चमेॅ अड्डउ $ छट्ठें असि सत्तमेॅ वसुणन्दउ
{प॰च॰७४,७.४} अट्ठमेॅ चित्त-दण्डु णवमऍ हलु $ झसु दसमेयारसमऍ सव्वलु
{प॰च॰७४,७.५} भीसणु भिण्डिमालु वारहमऍ $ चक्कु असङ्कु थक्कु तेरहमऍ
{प॰च॰७४,७.६} पत्तु महन्तु कोन्तु चउदहमऍ $ सत्ति भयङ्कर पण्णारहमऍ
{प॰च॰७४,७.७} सोलहमऍ तिसूलु अइ-भीसणु $ सत्तारहमऍ कणउ दुदरिसणु
{प॰च॰७४,७.८} अट्ठारहमऍ मोग्गरु दारुणु $ एगुणवीसमेॅ घणु घुसिणारुणु
{प॰च॰७४,७.९} वीसमए मुसुण्ढि उग्गामिउ $ कालें काल-दण्डु णं भामिउ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,७.१०} वीसहि मि भुअ(दण्डे)हिॅ वीसाउहेॅहिॅ $ दसहि मि भिउडि-भयङ्कर-मुहेॅहिॅ
भीसावणु रावणु जाउ किह $ सह्ũ गहेॅहिॅ कयन्तु विरुद्धु जिह


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक ८॒


दसहिॅ कण्ठेॅहिॅ दस जेॅ कण्ठाइँ

दस-भालहिॅ तिलय दस $ दस-सिरेहिॅ दस मउड पजलिय
दहहि मि कुण्डल-जुऍहिॅ $ कण्ण-जुअल सुकउल(?) मुहलिय
{प॰च॰७४,८.१} हुरिउ रयण-सङ्घाउ दसाणण-रोसु व
अह थिओ स-तारायणु वहल-पओसु व

{प॰च॰७४,८.२} पढम-वयणु खय-सूर-सम-प्पहु $ सिन्दूरारुणु सुरह मि दूसहु
{प॰च॰७४,८.३} वीयउ वयणु धवलु धवलच्छउ $ पुण्णिम-यन्द-विम्व-सारिच्छउ
{प॰च॰७४,८.४} तइयउ वयणु भुवण-भयगारउ $ अङ्गारारुणु मुक्कङ्गारउ
{प॰च॰७४,८.५} वयणु चउत्थउ वुह-मुह-भासुरु $ पञ्चमएण सइँ जेॅ णं सुर-गुरु
{प॰च॰७४,८.६} छट्ठउ सुक्कु सुक्क-सङ्कासउ $ दाणव-वक्खिउ सुर-सन्तासउ
{प॰च॰७४,८.७} सत्तमु कसणु सणिच्छर-भीसणु $ दन्तुरु वियड-दाढु दुद्दरिसणु
{प॰च॰७४,८.८} अट्ठमु राहु-वयणु विकरालउ $ णवमउ धूमकेउ धूमालउ
{प॰च॰७४,८.९} दसमउ वयणु दसाणण-केरउ $ सव्व-जणहेॅ भय-दुक्ख-जणेरउ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,८.१०} वहु-रूवउ वहु-सिरु वहु-वयणु $ वहुविह-कवोलु वहुविह-णयणु
वहु-कण्ठउ वहु-करु वि वहु-पउ $ णं णट्ट-पुरिसु रस-भाव-गउ


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक ९॒

तो णिएप्पिणु णिसियरिन्दस्स

सीसइँ णयणइँ मुहइँ $ पहरणाइँ रयणियर-भीसणु
आहरणइँ वच्छ-यलु $ राहवेण पुच्छिउ विहीसणु
{प॰च॰७४,९.१} "किं तिकूड-सेलोवरि दीसइ णव-घणु"
"देव देव णं णं ऍहु रहेॅ थिउ रावणु"

{प॰च॰७४,९.२} "किं गिरि-सिहरइँ णहेॅ दीसिराइँ" $ "णं णं आयइँ दससिर-सिराइँ"
{प॰च॰७४,९.३} "किम् पलय-दिवायर-मण्डलाइँ" $ "णं णं आयइँ मणि-कुण्डलाइँ"
{प॰च॰७४,९.४} "किं कुवलयाइँ माणस-सरहेॅ" $ "णं णं णयणइँ लङ्केसरहेॅ"
{प॰च॰७४,९.५} "किं गिरि-कन्दरइँ भयाणणाइँ" $ "णं णं दहवयणेॅ दसाणणाइँ"
{प॰च॰७४,९.६} "किं सुर-चावइँ चावुत्तमाइँ" $ "णं णं कण्ठाहरणइँ इमाइँ"
{प॰च॰७४,९.७} "किं तारा-यणइँ तणुज्जलाइँ" $ "णं णं धवलइँ मुत्ताहलाइँ"
{प॰च॰७४,९.८} "किं कसणु विहीसण गयण-यलु" $ "णं णं लङ्काहिव-वच्छयलु"
{प॰च॰७४,९.९} "किं दिस-वेयण्ड-सोण्ड-पयरो" $ "णं णं दहकन्धर-कर-णियरो"

घत्ता॒

{प॰च॰७४,९.१०} तं वयणु सुणेप्पिणु लक्खणेॅण $ लोयणइँ विरिल्लेॅवि तक्खणेॅण
अवलोइउ रावणु मच्छरेॅण $ णं रासि-गएण सणिच्छरेॅण


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक १०॒

करेॅ करेप्पिणु सायरावत्तु

थिउ लक्खणु गरुड-रहेॅ $ गारुडत्थु गारुड-महद्धउ
वलु वज्जावत्त-धरु $ सीह-चिन्धु वर-सीह-सन्दणु
{प॰च॰७४,१०.१} गय-विहत्थु गय-रहवरु पमय-महद्धउ
विप्फुरन्तु किक्किन्धाहिउ सण्णद्धउ

{प॰च॰७४,१०.२} अक्खोहणि-पञ्च-सऍहिॅ समाणु $ सुग्गीवु णिऍवि सण्णज्झमाणु
{प॰च॰७४,१०.३} भामण्डलु अक्खोहणि-सहासु $ सण्णहेॅवि ढुक्कु लक्खणहेॅ पासु
{प॰च॰७४,१०.४} अङ्गङ्गय अक्खोहणि-सएण $ णल-णील ताहँ अद्धद्धएण
{प॰च॰७४,१०.५} पडिवक्ख-लक्ख-संखोहणीहिॅ $ मारुइ चालीसक्खोहणीहिॅ
{प॰च॰७४,१०.६} तीसक्खोहणि-वलु अहिय-माणि $ रहेॅ चडिउ विहीसणु सूल-पाणि
{प॰च॰७४,१०.७} तीसहिॅ दहिमुहु तीसहिॅ महिन्दु $ वीसहिॅ सुसेणु वीसहिॅ जेॅ कुन्दु
{प॰च॰७४,१०.८} सोलहहिॅ कुमुउ चउदहहिॅ सङ्खु $ वारहहिॅ गवउ अट्ठहिॅ गवक्खु
{प॰च॰७४,१०.९} चन्दोयर-सुउ सत्तहिॅ सहाउ $ सुउ वालिहेॅ तेहत्तरिहिॅ आउ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,१०.१०} सण्णहेॅवि पासु ढुक्कइँ वलहेॅ $ अक्खोहणि-वीस-सयइँ वलहेॅ
विरएवि वूहु संचल्लियइँ $ णं उवहि-मुहइँ उत्थल्लियइँ


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक ११॒

घुट्ठु कलयलु दिण्ण रण-भेरि

चिन्धाइँ समुब्भियइँ $ लइय कवय किय हेइ-सङ्गह
गय-घडउ पचोइयउ $ मुक्क तुरय वाहिय महारह
{प॰च॰७४,११.१} राम-सेण्णु रण-रहसिउ कहि मि ण माइउ
जगु गिलेवि णं पर-वलु गिलह्ũ पधाइउ

{प॰च॰७४,११.२} अब्भिट्टु जुज्झु रोसिय-मणाह्ũ $ रयणीयर-वाणर-लञ्छणाह्ũ
{प॰च॰७४,११.३} ओरसिय-सङ्ख-सय-संघडाह्ũ $ रणवहु-फेडाविय-मुहवडाह्ũ
{प॰च॰७४,११.४} उद्धङ्कुस-धाइय-गय-घडाह्ũ $ खर-पवणन्दोलिय-धयवडाह्ũ
{प॰च॰७४,११.५} कम्पाविय-सयल-वसुन्धराह्ũ $ रोसाविय-आसीविसहराह्ũ
{प॰च॰७४,११.६} मेल्लाविय-णयण-हुवासणाह्ũ $ संजलिय-दिसामुह-इन्धणाह्ũ
{प॰च॰७४,११.७} जयलच्छि-वहुअ-गेण्हण-मणाह्ũ $ जूराविय-सुरकामिणि-जणाह्ũ
{प॰च॰७४,११.८} उग्गामिय-भामिय-असिवराह्ũ $ णिव्वट्टिय-लोट्टिय-हयवराह्ũ
{प॰च॰७४,११.९} णिद्दलिय-कुम्भि-कुम्भत्थलाह्ũ $ उच्छलिय-धवल-मुत्ताहलाह्ũ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,११.१०} भड-थड-गय-घडहिॅ भिडन्तऍहिॅ $ रह-तुरयहिॅ तुरिउ भिडन्तऍहिॅ
रय-णियरु समुट्ठिउ झत्ति किह $ णिय-कुलु मइलन्तु दु-पुत्तु जिह


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक १२॒

हरि-खुराहउ रउ समुच्छलिउ

गय-पय-भर-भारियऍ $ धरऍ णाइँ णीसासु मेल्लिउ
अहव वि मुच्छावियहेॅ $ अन्धयारु जीउ व्व मेल्लिउ
{प॰च॰७४,१२.१} अह णरिन्द-कोवाणलेण डज्झन्तिहेॅ
वहल-धूम-विच्छड्डऍ धूमायन्तिहेॅ

{प॰च॰७४,१२.२} अहवइ दीहर-धरणिन्द-णालेॅ $ जग-कमलेॅ दिसामुह-दल-विसालेॅ
{प॰च॰७४,१२.३} रण-मेइणि-कण्णिय-सोहमाणेॅ $ हरि-भमर-क्खुर-विहडिज्जमाणेॅ
{प॰च॰७४,१२.४} उच्छलिउ मन्दु मयरन्दु णाइँ $ रय-णिहेॅण व णहहेॅ धरित्ति जाइ
{प॰च॰७४,१२.५} उड्डइ व समर-पड-वासचुण्णु $ णासइ व सो ज्जेॅ रहु तुरय-छण्णु
{प॰च॰७४,१२.६} वारेइ व रणु विण्णि वि वलाहँ $ साइउ देइ व वच्छ-त्थलाहँ
{प॰च॰७४,१२.७} मइलेइ व वयणइँ णरवराहँ $ आरुहइ व उप्परेॅ रहवराहँ
{प॰च॰७४,१२.८} मज्जइ व मएण महा-गयाहँ $ णच्चइ व कण्ण-तालेहिॅ ताव (?हँ)
{प॰च॰७४,१२.९} वीसमइ व छत्त-धऍहिॅ चडेवि $ तवइ व गयणङ्गणेॅ णिव्वडेवि

घत्ता॒

{प॰च॰७४,१२.१०} पसरन्तुट्ठन्तु महन्तु रउ $ लक्खिज्जइ कविलउ कव्वुरउ
महि-मडउ गिलन्तहेॅ स-रहसहेॅ $ णं केस-भारु रण-रक्खसहेॅ


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक १३॒

सो ण सन्दणु सो ण मायङ्गु

ण तुरङ्गमु ण वि य धउ $ णायवत्तु जं णउ कलङ्किउ
पर णिम्मलु आहयणेॅ $ भडह्ũ चित्तु मइलेॅवि ण सक्किउ
{प॰च॰७४,१३.१} जाउ सुट्ठु समरङ्गणु दूसंचारउ
तहि मि के वि पहरन्ति स-साहुक्कारउ

{प॰च॰७४,१३.२} केहि मि करि-कुम्भइँ परमट्ठइँ $ णं सङ्गाम-सिरिहेॅ थणवट्टइँ
{प॰च॰७४,१३.३} केहि मि लइयइँ णर-सिर-पवरइँ $ णं जयलच्छि-वरङ्गण-चमरइँ
{प॰च॰७४,१३.४} केहि मि हियइँ वला रिउ-छत्तइँ $ णं जयसिरि-लीला-सयवत्तइँ
{प॰च॰७४,१३.५} केहि मि चक्खु-पसरु अलहन्तेॅहिॅ $ पहरिउ वालालुञ्चि करन्तेॅहिॅ
{प॰च॰७४,१३.६} केण वि खग्ग-लट्ठि परियड्ड्ःिय $ रण-रक्खसहेॅ जीह णं कड्ढिय
{प॰च॰७४,१३.७} केण वि करि-कुम्भत्थलु फाडिउ $ णं रण-भवण-वारु उग्घाडिउ
{प॰च॰७४,१३.८} कत्थइ मुसुमूरिय असि-धारेॅहिॅ $ मोत्तिय-दन्तुरु हसियउ अहरेॅहिॅ
{प॰च॰७४,१३.९} कत्थइ रुहिर-पवाहिणि धावइ $ जाउ महाहउ पाउसु णावइ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,१३.१०} सोणिय-जल-पहरणग्गिरऍहिॅ $ वसुहन्तराल-णहयल-गऍहिॅ
पज्जलइ वलइ धूमाइ रणु $ णं जुग-खय-कालेॅ काल-वयणु


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक १४॒

ताव रण-रउ भुवणु मइलन्तु

रवि-मण्डलु पइसरइ $ तहिॅ मि सूर-कर-णियर-तत्तउ
पडिखलेॅवि दिसामुहेॅहिॅ $ सुढिय-गत्तु णावइ णियत्तउ
{प॰च॰७४,१४.१} सुर-मुहाइँ अ-लहन्तउ थिउ हेट्ठामुहु
पलय-धूमकेउ व धूमन्त-दिसामुहु

{प॰च॰७४,१४.२} लक्खिज्जइ पल्लट्टन्तु रेणु $ रण-वसहहेॅ णं रोमन्थ-फेणु
{प॰च॰७४,१४.३} सोमित्तिहेॅ रामहेॅ रावणासु $ णं सुरेॅहिॅ विसज्जिउ कुसुम-वासु
{प॰च॰७४,१४.४} रणएविहेॅ णं सुरवहु-जणेण $ धूमोहु दिण्णु णह-भायणेण
{प॰च॰७४,१४.५} सर-णियर-णिरन्तर-जज्जरङ्गु $ णं धूलिहोवि णहु पडह्ũ लग्गु
{प॰च॰७४,१४.६} सयम् एव सूर-कर-खेइउ व्व $ तिसिउ व्व सुट्ठु पासेइउ व्व
{प॰च॰७४,१४.७} जलु पियइ व गय-मय-दहेॅ अत्थाहेॅ $ ण्हाइ व सोणिय-वाहिणि-पवाहेॅ
{प॰च॰७४,१४.८} सिञ्चइ व कुम्भि-कर-सीयरेहिॅ $ विज्जिज्जइ व्व चल-चामरेहिॅ
{प॰च॰७४,१४.९} णं सावराहु असिवर-कराहँ $ कम-कमलेॅहिॅ णिवडइ णरवराहँ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,१४.१०} मुअउ व पहरण-सय-सल्लियउ $ दड्ढु व कोवग्गिहेॅ घल्लियउ
सहसत्ति समुज्जलु जाउ रणु $ खल-विरहिउ णं सज्जण-वयणु


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक १५॒


रऍ पणट्ठऍ जाउ रणु घोरु

राहव-रावण-वलह्ũ $ करण-वन्ध-सर-पहर-णिउणह्ũ
अन्धार-विवज्जियउ $ सुरउ णाइँ अणुरत्त-मिहुणह्ũ
{प॰च॰७४,१५.१} रह रहाहँ णर णरह्ũ तुरङ्ग तुरङ्गह्ũ
भिडिय मत्त मायङ्ग मत्त-मायङ्गह्ũ

{प॰च॰७४,१५.२} को वि भडहेॅ भडु भिडेॅवि ण इच्छइ $ सग्ग-गमणु सह्ũ सुरेॅहिॅ पडिच्छइ
{प॰च॰७४,१५.३} को वि सराऊरिय-करु धावइ $ रण-वहु-अवरुण्डन्तउ णावइ
{प॰च॰७४,१५.४} कासु इ वाहु-दण्डु वाणग्गें $ णिउ भुअङ्गु णं गरुड-विहङ्गें
{प॰च॰७४,१५.५} कासु इ वाण णिरन्तर लग्गा $ पडिव ण देवि ण केण वि भग्गा
{प॰च॰७४,१५.६} णिग्गुण जइ वि धम्म-परिचत्ता $ ते जि वन्धु जे अवसरेॅ पत्ता
{प॰च॰७४,१५.७} णच्चइ कहि मि रुण्डु रण-भूमिहेॅ $ णीरिणु हुउ णिय-सिरेॅण सु-सामिहेॅ
{प॰च॰७४,१५.८} कासु इ भडहेॅ सीसु उत्थलियउ $ गयणहेॅ गम्पि पडीवउ वलियउ
{प॰च॰७४,१५.९} धुअ-धवलायवत्तेॅ आलीणउ $ राहु-विम्वु ससि-विम्वेॅ चडीणउ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,१५.१०} केण वि सिरु दिण्णु सामि-रिणहेॅ $ उरु वाणह्ũ हियउ सव्वु जिणहेॅ
सउणह्ũ सरीरु जीविउ जमहेॅ $ अइ-चाएं णासु ण होइ कहेॅ


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक १६॒

को वि गयघड-वरविलासिणिऍ

कुम्भयल-पओहरेॅहिॅ $ भिण्णु दन्ति-दन्तग्गेॅ लग्गइ
कर-छित्तुच्चाइयउ $ को वि णाहि-उप्परेॅ वलग्गइ
{प॰च॰७४,१६.१} को वि सुट्ठु हेट्ठामुहु ठिउ चिन्तन्तउ
"किण्ण मज्झु हय-दइवें दिण्णु सिर-त्तउ
{प॰च॰७४,१६.२} जें णिरिणु होमि तीहि मि जणह्ũ $ सामिय-सरणाइय-सज्जणह्ũ"
{प॰च॰७४,१६.३} केॅ वि सामिहेॅ अग्गऍ वावरइ $ सिर-कमलेॅहिॅ पत्त-वाडु करइ
{प॰च॰७४,१६.४} केण वि असहाएं होन्तऍण $ चिन्तिउ रण-मुहेॅ जुज्झन्तऍण
{प॰च॰७४,१६.५} "वे वाहउ तइयउ हियउ छुडु $ वइसारमि गय-घड-पीढे फुडु"
{प॰च॰७४,१६.६} कासु वि स-वाहु असि-लट्ठि गय $ णं सोरग चन्दण-रुक्ख-लय
{प॰च॰७४,१६.७} कत्थ इ अन्तेॅहिॅ गुप्पन्तु हउ $ सामिउ लेप्पिणु णिय-सिमिरु गउ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,१६.८} कत्थ इ गय-घड कोवारुहिय $ धाइय सुहडहेॅ सवडम्मुहिय
सिरु धुणइ ण ढुक्कइ पासु किह $ पहिलारऍ रऍ णव-वहुअ जिह


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक १७॒

को वि मयगलु दन्त-मुसलेहिॅ

आरुहेॅवि मइन्दु जिह $ असिवरेण कुम्भ-यलु दारइ
कड्ढेॅवि मुत्ताहलइँ $ करेॅवि धूलि धवलेइ णावइ
{प॰च॰७४,१७.१} को वि दन्त उप्पाडेॅवि मत्त-गइन्दहेॅ
मुअइ तं जेॅ पहरणु अण्णहेॅ गय-विन्दहेॅ

{प॰च॰७४,१७.२} उद्दण्ड-सोण्ड-मण्डवेॅ विसालेॅ $ भिज्जन्त-दन्ति-गत्तन्तरालेॅ
{प॰च॰७४,१७.३} करि-कण्ण-चमर-विज्जिज्जमाणु $ णं सुवइ को वि रण-वहु-समाणु
{प॰च॰७४,१७.४} गय-मय-णइ-रुहिर-णइ-प्पवाहेॅ $ विहि वेणी-सङ्गमेॅ दहेॅ अथाहेॅ
{प॰च॰७४,१७.५} असि कड्ढेॅवि फरु तप्पउ करेवि $ जुज्झण-मण वीर तरन्ति के वि
{प॰च॰७४,१७.६} करि-कुम्भन्दोलय-पायवीढेॅ $ सोमालिय-णाडा-जुअल-गीढेॅ
{प॰च॰७४,१७.७} उभय-वलइँ पेक्खा-जणु करेवि $ अन्दोलिय अन्दोलन्ति के वि
{प॰च॰७४,१७.८} रण-पिडि(?) रहवर-सारिउ करेवि $ गय-पासा पिहु पाडन्ति के वि
{प॰च॰७४,१७.९} कत्थ इ सिव सुहडहेॅ हियउ लेवि $ गय वेस व चाडु-सयइँ करेवि

घत्ता॒

{प॰च॰७४,१७.१०} कत्थ इ भडु गय-घड-पेल्लियउ $ भामेॅवि आयासहेॅ मेल्लियउ
पल्लट्टु पडीवउ असि धरेॅवि $ णं सामिहेॅ अवसरु सम्भरेॅवि


कण्ड ४, संधि ७४, कडवक १८॒

तहिॅ महाहवेॅ अमिउ हणुवस्स

सुग्गीवहेॅ अइयकउ $ विज्जुदण्डु णीलहेॅ विरुद्धउ
जमघण्टु तार-सुअहेॅ $ मय-णरिन्दु जम्ववहेॅ कुद्धउ
{प॰च॰७४,१८.१} सीहणाय-सीहोयर गवय-गवक्खह्ũ
विज्जुदाढ-विज्जुप्पह सङ्ख-सुसङ्खह्ũ

{प॰च॰७४,१८.२} ताराणणु तारहेॅ ओवडिउ $ कल्लोलु तरङ्गहेॅ अब्भिडिउ
{प॰च॰७४,१८.३} जालक्खु सुसेणहेॅ उत्थरिउ $ चन्दमुहें चन्दोयरु धरिउ
{प॰च॰७४,१८.४} अब्भिट्टु कियन्तवत्तु णलहेॅ $ णक्खत्तदवणु भामण्डलहेॅ
{प॰च॰७४,१८.५} सञ्झागजगज्जिउ दहिमुहहेॅ $ हयगीउ महिन्दहेॅ अहिमुहहेॅ
{प॰च॰७४,१८.६} घणघोसु पसण्णकित्ति-णिवहेॅ $ वज्जक्खु विहीसण-पत्थिवहेॅ
{प॰च॰७४,१८.७} पवि कुन्दहेॅ कुमुअहेॅ सीहरहु $ सद्दूलहेॅ दुम्मुहु दुव्विसहु
{प॰च॰७४,१८.८} धूमाणणु कुद्धु अणुद्धरहेॅ $ जालन्धर-राउ वसुन्धरहेॅ
{प॰च॰७४,१८.९} वियडोयरु णहुसहेॅ ओवडिउ $ तडिकेसि रयणकेसिहेॅ भिडिउ

घत्ता॒

{प॰च॰७४,१८.१०} रणेॅ एव णराहिव उत्थरिय $ स-रहस सामरिस रोस-भरिय
दणु-दारण-पहरण-संजुऍहिॅ $ पहरन्त परोप्परु स इँ भु ऍहिॅ



[७५. पंचहत्तरिमो संधि] ----------



जम-धणय-पुरन्दर-डामरहेॅ $ स-उरग-जग-जगडावणहेॅ
जिह उत्तर-गउ दाहिण-गयहेॅ $ भिडिउ रामु रणेॅ रावणहेॅ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक १॒

दुवई
{प॰च॰७५,१.१} तुङ्ग-तुरङ्ग-तिक्ख-णक्खुक्खय-रय-कय-जलण-जालए
दुद्दम-दन्ति-दन्त-णिहसुट्ठिय-सिहि-सिह-विज्जुमालए

{प॰च॰७५,१.२} दप्पुब्भड-भड-थड-संकडिल्लेॅ $ हय-फेण-तरङ्गिणि-दुत्तरिल्लेॅ
{प॰च॰७५,१.३} गय-मय-णइ-कद्दम-भग्ग-मग्गेॅ $ करि-कण्ण-पवण-पेल्लिय-धयग्गेॅ
{प॰च॰७५,१.४} चामीयर-चामर-दिण्ण-सोहेॅ $ छत्तोह-पिहिय-दिणयर-करोहेॅ
{प॰च॰७५,१.५} धय-दण्ड-सण्ड-मण्डिय-दियन्तेॅ $ णर-रुण्ड-कण्ड-खाइय-कियन्तेॅ
{प॰च॰७५,१.६} हय-हिंसिय-भेसिय-रवि-तुरङ्गेॅ $ रह-चक्क-चारु-चूरिय-भुअङ्गेॅ
{प॰च॰७५,१.७} रहसुद्ध-खन्ध-णच्चिय-कवन्धेॅ $ कङ्काल-माल-किय-सेउ-वन्धेॅ
{प॰च॰७५,१.८} सर-णियर-दिण्ण-भुवणन्तरालेॅ $ पडु-पडह-सङ्ख-झल्लरि-वमालेॅ
{प॰च॰७५,१.९} सुर-वहु-विमाणेॅ छइयन्तरिक्खेॅ $ दुव्विसमेॅ दु-संचरेॅ दुण्णिरिक्खेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰७५,१.१०} तहिॅ तेहऍ दारुणेॅ आहयणेॅ $ गन्धवहुद्धुअ-धवल-धय
गज्जन्त-मत्त-मायङ्ग जिह $ भिडिय परोप्परु हणुव-मय


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक २॒

दुवई
{प॰च॰७५,२.१} दुद्दम-देह दो वि दूरुज्झिय-धणुहर पवर-विक्कमा
जणिय-जणाणुराय जस-लालस स-रहस सुर-परक्कमा
{प॰च॰७५,२.२} पहरन्ति परोप्परु पहरणेहिॅ $ दणु-इन्द-विन्द-दप्पहरणेहिॅ
{प॰च॰७५,२.३} जल-थल-णह-यल-पच्छायणेहिॅ $ तडि-तामस-तवणुप्पायणेहिॅ
{प॰च॰७५,२.४} गिरि-गारुड-पाहण-पायवेहिॅ $ वारुण-अग्गेयहिॅ वायवेहिॅ
{प॰च॰७५,२.५} तो अहिमुह-दहिमुह-माउलेण $ उब्भिय-धुय-धयमालाउलेण
{प॰च॰७५,२.६} कञ्चणगिरि-सरिस-महारहेण $ सुर-घाय-किणङ्किय-विग्गहेण
{प॰च॰७५,२.७} पज्जालिय-कोव-हुआसणेण $ आयड्ढिय-ससर-सरासणेण
{प॰च॰७५,२.८} इन्दइ-कुमार-मायामहेण $ हणुवन्त-महद्धउ छिण्णु तेण
{प॰च॰७५,२.९} तो रावण-उववण-मद्दणेण $ चल-गमणहेॅ पवणहेॅ णन्दणेण

घत्ता॒

{प॰च॰७५,२.१०} स-तुरङ्गु स-सारहि स-धउ रहु $ हणेॅवि सरेॅहिॅ सय-कण्डु कउ
णह-लङ्घण-करणेॅहिॅ उप्पऍवि $ अण्णहिॅ सन्दणेॅ चडिउ मउ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक ३॒

दुवई
{प॰च॰७५,३.१} रण-भर-धवल-धूलि-धूसरिय-धयवडाडोय-डम्वरो
पक्कल-चक्क-णेमि-णिग्घोस-णिरन्तर-वहिरियम्वरो

{प॰च॰७५,३.२} सो वि पवण-पुत्तेण सन्दणो $ जणिय-वन्दि-वन्दाहिणन्दणो
{प॰च॰७५,३.३} महिहरो व्व तडि-वडण-ताडिओ $ दारुणद्धयन्देण पाडिओ
{प॰च॰७५,३.४} तो तहिं णिएऊण णिय-भडं $ भग्ग-रहवरं छिण्ण-धयवडं
{प॰च॰७५,३.५} दहमुहेण माया-विणिम्मिओ $ करि-विमुक्क-सिक्कार-तिम्मिओ
{प॰च॰७५,३.६} संचरन्त-चामियर-चामरो $ साहिलास-परिओसियामरो
{प॰च॰७५,३.७} अच्छर-च्छवि-च्छोह-फसलिओ $ टणटणन्त-घण्टालि-मुहलिओ
{प॰च॰७५,३.८} कणय-किङ्किणी-जाल-भूसिओ $ रहवरो तुरन्तेण पेसिओ
{प॰च॰७५,३.९} तो तहिं वलग्गो णिसायरो $ तोण-वाण-धणु-गुण-कियायरो

घत्ता॒

{प॰च॰७५,३.१०} मन्दोयरि-वप्पें कुद्धऍण $ तिक्ख-खुरुप्पेॅहिॅ कण्डियउ
हणुवन्तें विहलीहूअऍण $ रहु दुपुत्तु इव छण्डियउ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक ४॒

दुवई
{प॰च॰७५,४.१} जं णिसियर-खुरुप्प-पहराहिहउ हणुवन्त-सन्दणो
तं कोवग्गि-जाल-मालाव(?)पलीविउ जणय-णन्दणो

{प॰च॰७५,४.२} भामण्डलु मण्डल-धम्मपालु $ अक्खोहणि-दस-सय-सामिसालु
{प॰च॰७५,४.३} सोलह-आहरण-विहूसियङ्गु $ णं माणुस-वेसें थिउ अणङ्गु
{प॰च॰७५,४.४} सिय-चामरु धरिय-सियायवत्तु $ वाहेॅवि रहु कोवाइद्धु पत्तु
{प॰च॰७५,४.५} "रयणीयर-लञ्छण थाहि थाहि $ वलु वलु उरि रहवरु वाहि वाहि
{प॰च॰७५,४.६} पइँ मुऍवि महीयलेॅ मणुसु कवणु $ दहसीस-ससुरु सुर-मन्ति-दमणु"
{प॰च॰७५,४.७} तो ẽव भणेॅवि भामण्डलेण $ रिउ छाइउ सह्ũ रवि-मण्डलेण
{प॰च॰७५,४.८} सर-जालें जलहर-सण्णिहेण $ विण्णाण-जाण-णाणाविहेण
{प॰च॰७५,४.९} तो मऍण वि रोस-वसंगएण $ वइदेहि समाहउ सर-सएण

घत्ता॒

{प॰च॰७५,४.१०} सण्णाहु छत्तु धयवर-तुरय $ सारहि रहु रणेॅ जज्जरिउ
भामण्डलु अ-विणयवन्तु जिह $ पर एक्केल्लउ उव्वरिउ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक ५॒


दुवई
{प॰च॰७५,५.१} ताव सुतार-तार-तारावइ तारावइ-समप्पहो
सुरवर-पवर-करि-करायार-कराहय-हय-महारहो

{प॰च॰७५,५.२} सो जणय-तणय-मय-कय-वमालेॅ $ सुग्गीउ परिट्ठिउ अन्तरालेॅ


{प॰च॰७५,५.३} विञ्झु व जिह दाहिण-उत्तराहँ $ अब्भिट्टु परुप्परु समरु ताहँ
{प॰च॰७५,५.४} रयणीयर-वाणर-लञ्छणाहँ $ धवलिय-णिय-कुलहँ अ-लञ्छणाहँ
{प॰च॰७५,५.५} विज्जाहर-पुर-परमेसराहँ $ एक्केक्कम-छिण्ण-महारहाहँ
{प॰च॰७५,५.६} सर-वडण-वियारिय-साहणाहँ $ जयसिरि-जय-दिण्ण-पसाहणाहँ
{प॰च॰७५,५.७} संचरइ कइद्धउ जहिॅ जि जहिॅ $ रिवु सरहिॅ णिरुम्भइ तहिॅ जेॅ तहिॅ
{प॰च॰७५,५.८} जहिॅ जहिॅ रहवरेॅ आरुहइ गम्पि $ इन्दइ-मायामहु हणइ तं पि
{प॰च॰७५,५.९} जं जं धणुहरु सुग्गीवु लेइ $ तं तं रयणीयरु खयहेॅ णेइ

घत्ता॒

{प॰च॰७५,५.१०} किं एक्कहेॅ किक्किन्धाहिवहेॅ $ हियइच्छियउ ण संपडइ
धणु सव्वहेॅ लक्खण-विरहियहेॅ $ लइउ लइउ हत्थहेॅ पडइ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक ६॒

दुवई
{प॰च॰७५,६.१} ताव विहीसणेण धूवन्त-धयवडालिद्ध-णहयलो
सूल-महाउहेण रहु वाहिउ वहुलुच्छलिय-कलयलो

{प॰च॰७५,६.२} "वलु वलु मय माम मणोहिराम $ सुर-समर-सहास-पयास-णाम
{प॰च॰७५,६.३} मइँ मुऍवि विहीसणु झड-झडक्क $ को सहइ तुहारी णर-चडक्क"
{प॰च॰७५,६.४} तं णिसुणेॅवि मन्दोयरि-जणेरु $ णिक्कम्पु परिट्ठिउ णाइँ मेरु
{प॰च॰७५,६.५} "ओसरु ओसरु मं पुरउ थाहि $ छल-विरहिउ रणु परिहरेॅवि जाहि
{प॰च॰७५,६.६} पारक्कऍ थक्कऍ हंस-दीवेॅ $ गुणु जइ वि णाहि वीसद्ध-गीवेॅ
{प॰च॰७५,६.७} तहिॅ अवसरेॅ किं तउ मुऍवि जुत्तु $ जइ सच्चउ रयणासवहेॅ पुत्तु"
{प॰च॰७५,६.८} तो ẽव भणेॅवि ववगय-भएण $ रहु कवउ छत्तु छिज्जइ मएण
{प॰च॰७५,६.९} किउ कलयलु णिसियर-साहणेण $ वोल्लिज्जइ सुर-कामिणि-जणेण

घत्ता॒

{प॰च॰७५,६.१०} "मारुइ भामण्डलु पमयवइ $ स-विहीसण विच्छाइयइँ
गय-पाएं वुड्ढीहूयऍण $ मऍण जि कह व ण मारियइँ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक ७॒

दुवई
{प॰च॰७५,७.१} तो खर-णहर-पहर-धुव-केसर-केसरि-जुत्त-सन्दणो
धवल-महद्धओ समुद्धाइउ दसरह-जेट्ठ-णन्दणो

{प॰च॰७५,७.२} जस-धवल-धूलि-धूसरिय-अङ्गु $ धवलम्वरु धवलावर-तुरङ्गु
{प॰च॰७५,७.३} धवलाणणु धवल-पलम्व-वाहु $ धवलामल-कोमल-कमलणाहु
{प॰च॰७५,७.४} धवलउ जेॅ सहावें धवल-वंसु $ धवलच्छि-मरालिहेॅ रायहंसु
{प॰च॰७५,७.५} धवलाहँ धवलु धवलायवत्त $ रहुणन्दणु दणु पहरन्तु पत्तु
{प॰च॰७५,७.६} हेलऍ जेॅ विणासिउ मय-मरट्टु $ रहु खञ्चेॅवि पच्छामुहु पयट्टु
{प॰च॰७५,७.७} तहिॅ अवसरेॅ सुर-संतावणेण $ रहु अन्तरेॅ दिज्जइ रावणेण
{प॰च॰७५,७.८} वहुरूविणि-रूव-णिरूवियङ्गु $ गय-दस-सय-संचालिय-रहङ्गु
{प॰च॰७५,७.९} दस सहस परिट्ठिय गत्त-रक्ख $ सारच्छ कराविय अग्गलक्ख

घत्ता॒

{प॰च॰७५,७.१०} णं अञ्जण-महिहर-तुहिण-गिरि $ वहु-कालहेॅ एक्कहिॅ घडिय
कोवारुणेॅ दारुणेॅ आहयणेॅ $ रामण-राम वे वि भिडिय


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक ८॒

दुवई
{प॰च॰७५,८.१} जाणइ-जलण-जाल-मालावलीविया वे वि दारुणा
कुद्ध-मयन्ध-गन्ध-सिन्धुर व वलुद्धुर राम-रामणा

{प॰च॰७५,८.२} तो रण-भर-पवर-धुरन्धरेण $ अप्फालिउ धणु दस-कन्धरेण
{प॰च॰७५,८.३} णं गज्जिउ पलय-महाघणेण $ णं घोरिउ घोरु जमाणणेण
{प॰च॰७५,८.४} अप्पाणु घित्तु णं णहयलेण $ णं विरसिउ विरसु रसायलेण
{प॰च॰७५,८.५} णं महियलेॅ णिवडिउ वज्ज-घाउ $ वलेॅ रामहेॅ कम्पु महन्तु जाउ
{प॰च॰७५,८.६} मय वियलिय मत्त-महागयाहँ $ रह फुट्ट तुट्ट पग्गह हयाहँ
{प॰च॰७५,८.७} हल्लोहलिहूअ णरिन्द सव्व $ णिप्फन्द णिराउह गलिय-गव्व
{प॰च॰७५,८.८} धय-छत्तेॅहिॅ कडयड-सद्दु घुट्ठु $ कायर वाणर थरहरिय सुट्ठु
{प॰च॰७५,८.९} वोल्लन्ति परोप्परु "णट्ठु कज्जु $ संघार-कालु लऍ ढुक्कु अज्जु

घत्ता॒

{प॰च॰७५,८.१०} एत्तहेॅ रयणायरु दुप्पगमु $ एत्तहेॅ दारुणु दहवयणु
एवहिॅ जीवेवउ कहि तणउ $ दिट्ठु ण परियणु घरु सयणु"


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक ९॒

दुवई
{प॰च॰७५,९.१} तो णग्गोह-रोह-पारोह-पईहर-वाहु-दण्डेॅणं
विडसुग्गीव-जीव-हरणेण रणे मत्तण्ड-चण्डेॅणं

{प॰च॰७५,९.२} अप्फालिउ वज्जावत्तु चाउ $ तहेॅ सद्दें कहेॅ ण वि गयउ गाउ
{प॰च॰७५,९.३} तहेॅ सद्दें वहिरिउ णहु असेसु $ थिउ जगु जेॅ णाइँ मरणावसेसु
{प॰च॰७५,९.४} तहेॅ सद्दें णं णायउलु तुट्टु $ कह कह वि ण कुम्म-कडाहु फुट्टु
{प॰च॰७५,९.५} रसरसिय सुसाविय सायरा वि $ कम्पाविय चन्द-दिवायरा वि
{प॰च॰७५,९.६} डोल्लाविय कुलगिरि दिग्गया वि $ अप्पंपरिहूअ सुरिन्दया वि
{प॰च॰७५,९.७} दसकन्धर-रह-करि-णियरु रडिउ $ लङ्कहेॅ पायारु दडत्ति पडिउ
{प॰च॰७५,९.८} छुह-धवलइँ णयणाणन्दिराइँ $ पडियाइँ असेसइँ मन्दिराइँ
{प॰च॰७५,९.९} केॅ वि पाणेॅहिॅ मुक्कु अणाहवो वि $ णरु कायरु काह मि कहइ को वि

घत्ता॒

{प॰च॰७५,९.१०} "लहु णासह्ũ लङ्घेॅवि मयरहरु $ एत्थ वसन्तहँ णाहि धर
धणुहर-टङ्कारु जेॅ पाणहरु $ जइ घइँ आइय राम-सर"


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक १०॒

{प॰च॰७५,१०.१} ताव दसाणणेण अपमाणेॅहिॅ बाणेॅहिॅ छाइयं णहं
दसरह-णन्दणेण ते छिण्ण णहेॅ च्चिय पडिय पडिवहं

{प॰च॰७५,१०.२} तो हसिउ रामेण $ रामाहिरामेण
{प॰च॰७५,१०.३} उच्छलिय-णामेण $ लद्धारिथामेण
{प॰च॰७५,१०.४} "धणुवेय-परिहीण $ ओसरु पराहीण
{प॰च॰७५,१०.५} जज्जाहि आवासु $ अण्णमउ गुरु-पासु
{प॰च॰७५,१०.६} धणु-लक्खणं वुज्झु $ दिवसेहिॅ पुणु जुज्झु
{प॰च॰७५,१०.७} एण जि पयावेण $ दुण्णय-सहावेण
{प॰च॰७५,१०.८} संताविया देव $ काराविया सेव
{प॰च॰७५,१०.९} अहवइ असाराहँ $ रणेॅ चोर-जाराहँ
{प॰च॰७५,१०.१०} वियलन्ति सत्ताइँ $ ण वहन्ति गत्ताइँ"
{प॰च॰७५,१०.११} तो णिसियरिन्देण $ णिज्जिय-सुरिन्देण
{प॰च॰७५,१०.१२} जम-धणय-झम्पेण $ कइलास-कम्पेण
{प॰च॰७५,१०.१३} सहसयर-धरणेण $ वर-वरुण-वरणेण
{प॰च॰७५,१०.१४} सुर-भवण-भीसेण $ वीसद्ध-सीसेण
{प॰च॰७५,१०.१५} कोवग्गि-दित्तेण $ वहणेक्क-चित्तेण
{प॰च॰७५,१०.१६} तम-पुञ्ज-देहेण $ णं पलय-मेहेण
{प॰च॰७५,१०.१७} भू-भङ्गुरच्छेण $ मण-पवण-दच्छेण

घत्ता॒
{प॰च॰७५,१०.१८} वीसहि मि करेॅहिॅ वीसाउहइँ $ एक्क-वार रणेॅ मुक्काइँ
घरु किविणहेॅ भामन्तु वइ जिह $ रामहेॅ पासु ण ढुक्काइँ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक ११॒

दुवई
{प॰च॰७५,११.१} णवर दसाणणेण वामोहु तमोहु सरो विसज्जिओ
सो वि वलुद्धुरेण रामेण पयङ्ग-सरेण णिज्जिओ

{प॰च॰७५,११.२} रामणेॅण विसज्जिउ कुलिस-दण्डु $ सेॅ वि रामें किउ सय-कण्ड-कण्डु
{प॰च॰७५,११.३} रामणेॅण समाहउ पायवेण $ सेॅ वि भग्गु महत्थें वायवेण
{प॰च॰७५,११.४} रामणेॅण विसज्जिउ गिरि विचित्तु $ सेॅ वि रामें वलि जिह दिसहिॅ घित्तु
{प॰च॰७५,११.५} अग्गेउ मुक्कु दस-कन्धरेण $ उल्हाविउ सो वि वारुण-सरेण
{प॰च॰७५,११.६} रामणेॅण विसज्जिउ पण्णयत्थु $ सेॅ वि गारुड-वाणेॅहिॅ किउ णिरत्थु
{प॰च॰७५,११.७} रामणेॅण गयाणण-सर विमुक्क $ ताह मि वल-वाण-मइन्द ढुक्क
{प॰च॰७५,११.८} रामणेॅण विसज्जिउ सायरत्थु $ तं मन्दर-घाएं णिउ णिरत्थु
{प॰च॰७५,११.९} जं जं आमेल्लइ णिसियरिन्दु $ तं तं वि णिवारइ रामचन्दु

घत्ता॒

{प॰च॰७५,११.१०} रणेॅ रामण-राम-सरेॅहिॅ वलइँ $ समर-भूमि मेल्लावियइँ
दुप्पुत्तहिॅ जिह पहवन्तऍहिॅ $ उहय-कुलइँ संतावियइँ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक १२॒

दुवई
{प॰च॰७५,१२.१} विण्णि वि सुद्ध-वंस रयणासव-दसरह-जेट्ठ-णन्दणा
विण्णि वि दिण्ण-सङ्ख करि-केसरि-जोत्तिय-पवर-सन्दणा

{प॰च॰७५,१२.२} विहिॅ हत्थेॅहिॅ पहरइ रामचन्दु $ वीसहिॅ भुव-दण्डेॅहिॅ णिसियरिन्दु
{प॰च॰७५,१२.३} अ-पवाण वाण राहवहेॅ तो वि $ जज्जरिय लङ्क रयणायरो वि
{प॰च॰७५,१२.४} छाइज्जइ गयणु चडन्तएहिॅ $ अखलिय-सर-महि-णिवडन्तएहिॅ
{प॰च॰७५,१२.५} वाएवउ चत्तु पहञ्जणेण $ रहु खञ्चिउ अदितिहेॅ णन्दणेण
{प॰च॰७५,१२.६} दिस-करिह्ũ असेसहुं गलिउ गाउ $ हल्लोहलिहूअउ जगु जेॅ साउ
{प॰च॰७५,१२.७} भिज्जन्ति वलइँ जलेॅ जलयरा वि $ णहेॅ णट्ठ देव थलेॅ थलयरा वि
{प॰च॰७५,१२.८} सो ण वि गयवरु सो ण वि तुरङ्गु $ सो ण वि रहवरु तण् ण वि रहङ्गु
{प॰च॰७५,१२.९} सो ण वि धउ तण् ण वि आयवत्तु $ जहिॅ राम-सरहँ सउ सउ ण पत्तु

घत्ता॒

{प॰च॰७५,१२.१०} गय सत्त दिवह जुज्झन्ताह्ũ $ तो इ ण छेउ महाहवहेॅ
लहु लक्खणु अन्तरेॅ देवि रहु $ विजउ णाइँ थिउ राहवहेॅ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक १३॒

दुवई
{प॰च॰७५,१३.१} "वल मइँ किङ्करेण किं कीरइ जइ तुह्ũ धरहि धणुहरं
णिसियर-कुल-कियन्तु हũ अच्छमि रावण वाहेॅ रहवरं

{प॰च॰७५,१३.२} दुम्मुह दुच्चरिय दुराय-राय $ तउ राहव-केरा कुद्ध पाय
{प॰च॰७५,१३.३} वलु उरेॅ कउ चुक्कहि महु जियन्तु $ वहु-कालें पावउ धउ कियन्तु
{प॰च॰७५,१३.४} तो कोव-जलण-जालोलि-जलिउ $ "हणु हणु" भणन्तु लक्खणहेॅ वलिउ
{प॰च॰७५,१३.५} ते वासुएव-पडिवासुएव $ कुल-धवल धणुद्धर सावलेव
{प॰च॰७५,१३.६} गय-गारुड-सन्दण कसण-देह $ उण्णइय णाइँ णहेॅ पलय-मेह
{प॰च॰७५,१३.७} णं सीह महीहर-मत्थयत्थ $ णं विञ्झ-सज्झ उअयाचलत्थ
{प॰च॰७५,१३.८} णं अञ्जण-महिहर विण्णिहूअ $ णं णर-णिहेण थिय काल-दूय
{प॰च॰७५,१३.९} णं रवि-रत्तुप्पल-तोडणत्थ $ णं धरऍ पसारिय उहय हत्थ

घत्ता॒

{प॰च॰७५,१३.१०} लङ्केसर-लक्खण उत्थरिय $ पलय-जलय-गम्भीर-रव
वेयाल-सहसाइँ णच्चियइँ $ "जइ पर होसइ अज्ज धव


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक १४॒

दुवई
{प॰च॰७५,१४.१} जं किउ राहवेण तं तुहु मि करेसहि भूमि-गोयरा"
दह-दाहिण-करेहिॅ दह-वयणें दह कड्ढिय महा-सरा

{प॰च॰७५,१४.२} पहिलेण पवरु णग्गोह-रुक्खु $ वीएण महग्गिरि दिण्ण-दुक्खु
{प॰च॰७५,१४.३} जलु तइएं जलणु चउत्थएण $ पञ्चमेॅण सीहु फणि छट्ठएण
{प॰च॰७५,१४.४} सत्तमेॅण मत्त-मायङ्ग-लीलु $ अट्ठमेॅण णिसायरु विसम-सीलु
{प॰च॰७५,१४.५} णवमेण महन्तु महन्धयारु $ दहमेण महोवहि-हत्थियारु
{प॰च॰७५,१४.६} दस दिव्व महा-सर पलय-भाव $ दस दिसउ णिरुम्भेॅवि ठन्ति जाव
{प॰च॰७५,१४.७} तो लक्खणु वुत्तु विहीसणेण $ "दिव्वत्थइँ लइयइँ रावणेण
{प॰च॰७५,१४.८} एक्केक्कु जेॅ होइ अणेय-भाय $ एक्केक्कु जेॅ दरिसइ विविह माय
{प॰च॰७५,१४.९} एक्केक्कु जेॅ जगु जगडेॅवि समत्थु $ लइ एहऍ अवसरेॅ वाहि हत्थु

घत्ता॒

{प॰च॰७५,१४.१०} जइ आयइँ पइँ ण णिवारियइँ $ आयामेप्पिणु भुअ-जुअलु
तो ण वि हũ ण वि तुह्ũ रामु ण वि $ ण वि सुग्गीउ ण पमय-वलु"


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक १५॒

दुवई
{प॰च॰७५,१५.१} तो लच्छीहरेण तरु डज्झइ हुअवह-तुण्ड-कण्डेॅणं
माया-महिहरो वि मुसुमूरिउ दारुण-वज्ज-दण्डेॅणं

{प॰च॰७५,१५.२} वायवेण विणासिउ वारुणत्थु $ वारुणेण हुआसणु किउ णिरत्थु
{प॰च॰७५,१५.३} सरहेण सीहु गरुडेण णाउ $ पञ्चाणणेण गय(?) दिण्णु घाउ
{प॰च॰७५,१५.४} णिसियरु णिरुद्धु णारायणेण $ तमु णासिउ दिणयर-पहरणेण
{प॰च॰७५,१५.५} सोसिउ समुद्दु वडवाणलेण $ तहिॅ अवसरेॅ आयउ णहयलेण
{प॰च॰७५,१५.६} वर कण्णउ अट्ठ मणोहराउ $ सुर-करि-कुम्भयल-पओहराउ
{प॰च॰७५,१५.७} ससिवद्धण-विज्जाहर-सुआउ $ मालइ-माला-कोमल-भुआउ
{प॰च॰७५,१५.८} "वइदेहि-सयम्वरेॅ वुत्तियाउ $ लच्छीहर तुह कुल-उत्तियाउ
{प॰च॰७५,१५.९} जय णन्द वड्ढ सिद्धत्थु होहि" $ तं णिसुणेॅवि हरिसिउ हरि-विरोहि

घत्ता॒

{प॰च॰७५,१५.१०} सिद्धत्थु अत्थु मणेॅ सम्भरेॅवि $ मुक्कु णिसायर-णायगेॅण
तमि(?तं) धरिउ कुमारें एन्तु णहेॅ $ अत्थें विग्घ-विणायगेॅण


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक १६॒

दुवई
{प॰च॰७५,१६.१} जं जं किं पि पहरणं मुअइ णिसायर-वइ दसाणणो
तं तं सर-सएहिॅ विणिवारइ अद्ध-वहेॅ ज्जेॅ लक्खणो

{प॰च॰७५,१६.२} तो तियस-विन्द-कन्दावणेण $ वहुरूविणि चिन्तिय रावणेण
{प॰च॰७५,१६.३} "दे दे आएसु" भणन्ति आय $ मुह-कुहरेॅ विणिग्गय तहेॅ वि वाय
{प॰च॰७५,१६.४} "जं अट्ठ दिवस आराहिया-सि $ वहु-मन्तेॅहिॅ थोत्तेॅहिॅ साहिया-सि
{प॰च॰७५,१६.५} तें सहल मणोरह करहि अज्जु $ भू-गोयर-महिहरेॅ होहि वज्जु
{प॰च॰७५,१६.६} दहवयणहेॅ केरउ रूवु लेवि $ मायामउ रहवरु होहि देवि"
{प॰च॰७५,१६.७} उत्थरिय विज्ज सह्ũ लक्खणेण $ दोहाविय तेण वि तक्खणेण
{प॰च॰७५,१६.८} दरिसाविय विज्जऍ परम माय $ अत्थक्कऍ रावण वेण्णि जाय
{प॰च॰७५,१६.९} ते पहय चयारि समोत्थरन्ति $ पडिपहय चयारि वि अट्ठ होन्ति

घत्ता॒

{प॰च॰७५,१६.१०} सोलह वत्तीस दूण-कमेॅण $ विविह-रूव-दरिसावणह्ũ
वहुरूविणि-विज्जऍ णिम्मविय $ रणेॅ अक्खोहणि रावणह्ũ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक १७॒

दुवई
{प॰च॰७५,१७.१} जलेॅ थलेॅ गयणेॅ छत्तेॅ धऍ तोरणेॅ पच्छऍ पुरेॅ वि रावणो
तो लच्छीहरेण सरु मेल्लिउ माया-उवसमावणो

{प॰च॰७५,१७.२} तहेॅ सरहेॅ पहावें विज्ज पवर $ थिउ एक्कु दसाणणु होवि णवर
{प॰च॰७५,१७.३} उत्थरिउ अणन्तेॅहिॅ सरवरेहिॅ $ णाराऍहिॅ तीरेॅहिॅ तोमरेहिॅ
{प॰च॰७५,१७.४} वावल्लेॅहिॅ भल्लेॅहिॅ कण्णिएहिॅ $ अवरहि मि असेसहिॅ वण्णिएहिॅ
{प॰च॰७५,१७.५} सोमित्तिं तं सर-जालु छिण्णु $ रहु कण्डेॅवि पुणु वलि दिसहिॅ दिण्णु
{प॰च॰७५,१७.६} अण्णहिॅ रहवरेॅ आरुहइ जाव $ सिरु हणेॅवि खुरुप्पें छिण्णु ताव
{प॰च॰७५,१७.७} णं हंसें तोडिउ आरणालु $ चल-जीहु वियड-दाढा-करालु
{प॰च॰७५,१७.८} कहकहकहन्तु लल्लक्क-वयणु $ जालोलि-फुलिङ्ग-मुअन्त-णयणु
{प॰च॰७५,१७.९} उब्भड-भिउडी-भङ्गुरिय-भालु $ कम्पिर-कवोलु चल-दाढियालु

घत्ता॒

{प॰च॰७५,१७.१०} सिरु स-मउडु पट्ट-विहूसियउ $ सहइ फुरन्तेॅहिॅ कुण्डलेॅहिॅ
णं मेरु-सिङ्गु सह्ũ णिवडियउ $ चन्द-दिवायर-मण्डलेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक १८॒

दुवई
{प॰च॰७५,१८.१} ताव समुग्गयाइँ रिउ-देहहेॅ अण्णइँ वेण्णि सीसइं
"मरु मरु" "पहरु पहरु" पभणन्तइँ उब्भड-भिउडि-भीसइं

{प॰च॰७५,१८.२} ताइँ वि तोडियइँ स-कलयलाइँ $ णं दहवयणहेॅ दुण्णय-फलाइँ
{प॰च॰७५,१८.३} तो णवरि चयारि समुट्ठियाइँ $ णं थल-कमलिणि-कमलइँ थियाइँ
{प॰च॰७५,१८.४} पुणु अण्णइँ अट्ठ समुग्गयाइँ $ णं फणसहेॅ फणसइँ णिग्गयाइँ
{प॰च॰७५,१८.५} पुणु सोलह पुणु वत्तीस होन्ति $ चउसट्ठि सिरइँ पुणु णीसरंति
{प॰च॰७५,१८.६} सउ अट्ठावीसउ तक्खणेण $ पाडिज्जइ सीसह्ũ लक्खणेण
{प॰च॰७५,१८.७} छप्पण्णइँ विण्णि सयइँ कियाइँ $ छिण्णइ कुमारु जिह दुक्कियाइँ
{प॰च॰७५,१८.८} पुणु पञ्च सयाइँ स-वारहाइँ $ कमलाइँ व तोडइ तुरिउ ताइँ
{प॰च॰७५,१८.९} पुणु चउवीसोत्तरु सिर-सहासु $ पाडइ वच्छ-त्थल-सिरि-णिवासु

घत्ता॒

{प॰च॰७५,१८.१०} सीसइँ छिन्दन्तहेॅ लक्खणहेॅ $ विउणउ विउणउ वित्थरइ
रणेॅ दक्खवन्तु वहु-रूवाइँ $ रावणु छन्दहेॅ अणुहरइ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक १९॒

दुवई
{प॰च॰७५,१९.१} जिह णिट्ठन्ति णाहि रिउ-सीसइँ तिह लक्खण-महासरा
"दुक्करु थत्ति एत्थु रणेॅ होसइ" णहेॅ वोल्लन्ति सुरवरा

{प॰च॰७५,१९.२} तो जण-मण-णयणाणन्दणेण $ पहरन्तें दसरह-णन्दणेण
{प॰च॰७५,१९.३} रिउ-सिरइँ ताव विणिवाइयाइँ $ रण-भूमिहिॅ जाव ण माइयाइँ
{प॰च॰७५,१९.४} जिह सीसइँ तिह हय वाहु-दण्ड $ णं गरुडें विसहर कय दु-कण्ड
{प॰च॰७५,१९.५} सय सहस लक्ख अ-परिप्पमाण $ एक्केक्कऍ तहि मि अणेय वाण
{प॰च॰७५,१९.६} णग्गोहहेॅ णं पारोह छिण्ण $ णं सुर-करि-कर केण वि पइण्ण
{प॰च॰७५,१९.७} सव्वङ्गुलि सव्व-णहुज्जलङ्ग $ णं पञ्च-फणावलि थिय भुअङ्ग
{प॰च॰७५,१९.८} केॅ वि करयलु सहइ स-मण्डलग्गु $ णं तरुवर-पल्लउ लयहेॅ लग्गु
{प॰च॰७५,१९.९} केॅ वि सहइ सिलिम्मुह-सङ्गमेण $ णं लइउ भुअङ्गु भुअङ्गमेण

घत्ता॒

{प॰च॰७५,१९.१०} महि-मण्डलु मण्डिउ कर-सिरेॅहिॅ $ छुडु खुडिएहिॅ स-कोमलेॅहिॅ
रण-देवय अच्चिय लक्खणेॅण $ णाइँ स-णालेॅहिॅ उप्पलेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक २०॒

दुवई
{प॰च॰७५,२०.१} गय दस दिवस विहि मि जुज्झन्तहँ तो वि ण णिट्ठियं रणं
माया-रावणेण वोल्लिज्जइ "जइ जीवेण कारणं

{प॰च॰७५,२०.२} तो जं जाणहि तं करेॅ दवत्ति $ लङ्केसर महु एत्तडिय सत्ति"
{प॰च॰७५,२०.३} स-विलक्खु रक्खु सयम् एव थक्कु $ पलयक्क-सम-प्पहु लइउ चक्कु
{प॰च॰७५,२०.४} परिरक्खणु जक्ख-सहासु जासु $ विसहर-णर-सुरवर-जणिय-तासु
{प॰च॰७५,२०.५} दुद्दरिसणु भीसणु णिसिय-धारु $ मुत्ताहल-माला-मालियारु
{प॰च॰७५,२०.६} स-कुसुम-चन्दण-चच्चिक्कियङ्गु $ णिय-णासु णाइँ दरिसिउ रहङ्गु
{प॰च॰७५,२०.७} तं णिऍवि णट्ठ णहेॅ सुरवरा वि $ ओसरेॅवि दूरेॅ थिय वाणरा वि
{प॰च॰७५,२०.८} तो वुत्तु कुमारें णिसियरिन्दु $ "पइँ जेण पयावें धरिउ इन्दु
{प॰च॰७५,२०.९} लइ तेण पयावें दुट्ठ-भाव $ मुऍ चक्कु चिरावहि काइँ पाव"

घत्ता॒

{प॰च॰७५,२०.१०} दुव्वयणुद्दीविऍ दहमुहेॅण $ करेॅ रहङ्गु उग्गामियउ
णहेॅ तेण भमाडिज्जन्तऍण $ जगु जेॅ सव्वु णं भामियउ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक २१॒

दुवई
{प॰च॰७५,२१.१} तो लच्छीहरेण छिण्णणहिॅ समारम्भिउ रहङ्गयं
तीरिय-तोमरेहिॅ णाराऍहिॅ तहेॅ वि वला समागयं

{प॰च॰७५,२१.२} रिउ-कर-विमुक्कु मण-पवण-वेउ $ घण-घोर-घोसु पलयग्गि-तेउ
{प॰च॰७५,२१.३} रणेॅ धरेॅवि ण सक्किउ लक्खणेण $ पहणन्ति असेस वि तक्खणेण
{प॰च॰७५,२१.४} सुग्गीवु गएं राहउ हलेण $ सूलेण विहीसणु पच्चलेण
{प॰च॰७५,२१.५} भामण्डलु पत्तल-असिवरेण $ हणुवन्तु महन्तें मोग्गरेण
{प॰च॰७५,२१.६} अङ्गउ तिक्खेॅण कुट्ठारएण $ णलु चक्कें वइरि-वियारणेण
{प॰च॰७५,२१.७} जम्वउ झसेण फलिहेण णीलु $ कणएण विराहिउ विसम-सीलु
{प॰च॰७५,२१.८} कुन्तेण कुन्दु दहिमुहु घणेण $ केण वि ण णिवारिउ पहरणेण
{प॰च॰७५,२१.९} भञ्जन्तु असेसाउह-सयाइँ $ णं तुहिणु दहन्तु सरोरुहाइँ
{प॰च॰७५,२१.१०} परिभमिउ ति-वारउ तरल-तुङ्गु $ णं मेरुहेॅ पासेॅहिॅ भाणु-विम्वु

घत्ता॒

{प॰च॰७५,२१.११} जं अण्ण-भवन्तरेॅ अज्जियउ $ तं अप्पणहि(?) समावडिउ
आणा-विहेउ सु-कलत्तु जिह $ चक्कु कुमारहेॅ करेॅ चडिउ


कण्ड ४, संधि ७५, कडवक २२॒

दुवई
{प॰च॰७५,२२.१} जं उप्पण्णु चक्कु सोमित्तिहेॅ तं सुर-णियरु तोसिउ
दुन्दुहि दिण्ण मुक्क कुसुमञ्जलि साहुक्कारु घोसिउ

{प॰च॰७५,२२.२} अहिणन्दिउ लक्खणु वाणरेहिॅ $ "जय णन्द वद्ध मङ्गल-रवेहिॅ
{प॰च॰७५,२२.३} चिन्तवइ विहीसणु जाय सङ्क $ "लइ णट्ठु कज्जु उच्छिण्ण लङ्क
{प॰च॰७५,२२.४} मुउ रावणु सन्तइ तुट्ट अज्जु $ मन्दोयरि विहव विणट्ठु रज्जु"
{प॰च॰७५,२२.५} पभणइ कुमारु "करेॅ चित्तु धीरु $ छुडु सीय समप्पइ खमइ वीरु"
{प॰च॰७५,२२.६} तो गुहिय-चन्दहासाउहेण $ हक्कारिउ लक्खणु दहमुहेण
{प॰च॰७५,२२.७} "लइ पहरु पहरु किं करहि खेउ $ तुह्ũ एक्कें चक्कें सावलेउ
{प॰च॰७५,२२.८} महु घइँ पुणु आएं कवणु गण्णु $ किं सीहहेॅ होइ सहाउ अण्णु"
{प॰च॰७५,२२.९} तं णिसुणेॅवि विप्फुरियाहरेण $ मेल्लिउ रहङ्गु लच्छीहरेण

घत्ता॒

{प॰च॰७५,२२.१०} उअयइरिहेॅ णं अत्थइरि गउ $ सूर-विम्वु कर-मण्डियउ
स इँ भु ऍहिॅ हणन्तहेॅ दहमुहहेॅ $ मण्ड उर-त्थलु कण्डियउ



[७६. छसत्तरिमो संधि] ----------



णिहऍ दसाणणेॅ किउ सुरेॅहिॅ $ कलयलु भुवण-मणोरह-गारउ
लोअ-पाल सच्छन्द थिय $ दुन्दुहि पहय पणच्चिउ णारउ


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक १॒


{प॰च॰७६,१.१} णिवडिऍ रावणेॅ तिहुअण-कण्टऍ $ कुल-मङ्गल-कलसेॅ व्व विसट्टऍ
{प॰च॰७६,१.२} णह-सिरि-दप्पणेॅ व्व विच्छुट्टऍ $ लच्छि-वरङ्गण-हारेॅ व तुट्टऍ
{प॰च॰७६,१.३} पुहइ-विलासिणि-माणेॅ व गलियऍ $ रणवहु-जोव्वणे व्व दरमलियऍ
{प॰च॰७६,१.४} दाहिण-दिस-गऍ व्व ओणल्लऍ $ णीसारिऍ व सुरासुर-सल्लऍ
{प॰च॰७६,१.५} रण-देवय-णमंसिऍ व दिण्णऍ $ तोयदवाहण-वंसेॅ व छिण्णऍ
{प॰च॰७६,१.६} चवण-पुरन्दरेॅ व्व संकमिऍ $ कालहेॅ दिणयरेॅ व्व अत्थमिऍ
{प॰च॰७६,१.७} लङ्काउरि-पायारेॅ व पडियऍ $ सीय-सयत्तणेॅ व्व णिव्वडियऍ
{प॰च॰७६,१.८} तम-सङ्घाऍ व पुञ्जेॅवि मुक्कऍ $ अञ्जण-सेलेॅ व थाणहेॅ चुक्कऍ

घत्ता॒

{प॰च॰७६,१.९} तेण पडन्तें पाडियइँ $ चित्तइँ रणेॅ रयणीयर-णामह्ũ
पाण महारहेॅ महिहरहेॅ $ सुर-कुसुमइँ सिरेॅ लक्खण-रामह्ũ


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक २॒


{प॰च॰७६,२.१} अमरेॅहिॅ साहुक्कारिऍ हरि-वलेॅ $ विजऍ पघुट्ठेॅ समुट्ठिऍ कलयलेॅ
{प॰च॰७६,२.२} तहिॅ अवसरेॅ मणि-गण-विप्फुरियहेॅ $ उप्परेॅ करु करेवि णिय-छुरियहेॅ
{प॰च॰७६,२.३} अप्पउ हणइ विहीसणु जावेॅहिॅ $ मुच्छऍ णाइँ णिवारिउ तावेहिॅ
{प॰च॰७६,२.४} णिवडिउ धरणि-पट्टेॅ णिच्चेयणु $ दुक्खु समुट्ठिउ पसरिय-वेयणु
{प॰च॰७६,२.५} चरण धरेवि रुएवऍ लग्गउ $ "हा भायर मइँ मुऍवि कहिं गउ
{प॰च॰७६,२.६} हा हा भायर ण किउ णिवारिउ $ जण-विरुद्धु ववहरिउ णिरारिउ
{प॰च॰७६,२.७} हा भायर सरीरेॅ सुकुमारऍ $ केम वियारिउ चक्कहेॅ धारऍ
{प॰च॰७६,२.८} हा भायर दुण्णिद्दऍ भुत्तउ $ सेज्ज मुऍवि किं महियलेॅ सुत्तउ

घत्ता॒

{प॰च॰७६,२.९} किं अवहेरि करेवि थिउ $ सीसेॅ चडाविय चलण तुहारा
अच्छमि सुट्ठुम्माहियउ $ हियउ फुट्टु आलिङ्गि भडारा"


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक ३॒


{प॰च॰७६,३.१} रुअइ विहीसणु सोयक्कमियउ $ "तुह्ũ णत्थमिउ वंसु अत्थमियउ
{प॰च॰७६,३.२} तुह्ũ ण जिओ ऽसि सयलु जिउ तिहुअणु $ तुह्ũ ण मुओ ऽसि मुअउ वन्दिय-जणु
{प॰च॰७६,३.३} तुह्ũ पडिओ ऽसि ण पडिउ पुरन्दरु $ मउडु ण भग्गु भग्गु गिरि-मन्दरु
{प॰च॰७६,३.४} दिट्ठि ण णट्ठ णट्ठ लङ्काउरि $ वाय ण णट्ठ णट्ठ मन्दोयरि
{प॰च॰७६,३.५} हारु ण तुट्टु तुट्टु तारायणु $ हियउ ण भिण्णु भिण्णु गयणङ्गणु
{प॰च॰७६,३.६} चक्कु ण ढुक्कु ढुक्कु एक्कन्तरु $ आउ ण खुट्टु खुट्टु रयणायरु
{प॰च॰७६,३.७} जीउ ण गउ गउ आसा-पोट्टलु $ तुह्ũ ण सुत्तु सुत्तउ महि-मण्डलु
{प॰च॰७६,३.८} सीय ण आणिय आणिय जमउरि $ हरि-वल कुद्ध ण कुद्धा केसरि

घत्ता॒

{प॰च॰७६,३.९} सुरवर-सण्ढ-वराइणा $ सयल-काल जे मिग सम्भूया
रावण पइँ सीहेण विणु $ ते वि अज्जु सच्छन्दीहूया


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक ४॒


{प॰च॰७६,४.१} सयल-सुरासुर-दिण्ण-पसंसहेॅ $ अज्जु अमङ्गलु रक्खस-वंसहेॅ
{प॰च॰७६,४.२} खल-खुद्दह्ũ पिसुणह्ũ दुवियड्ढह्ũ $ अज्जु मणोरह सुरवर-सण्ढह्ũ
{प॰च॰७६,४.३} दुन्दुहि वज्जउ गज्जउ सायरु $ अज्जु तवउ सच्छन्दु दिवायरु
{प॰च॰७६,४.४} अज्जु मियङ्कु होउ पहवन्तउ $ वाउ वाउ जगेॅ अज्जु सइत्तउ
{प॰च॰७६,४.५} अज्जु धणउ धण-रिद्धि णियच्छउ $ अज्जु जलन्तु जलणु जगेॅ अच्छउ
{प॰च॰७६,४.६} अज्जु जमहेॅ णिव्वहउ जमत्तणु $ अज्जु करेउ इन्दु इन्दत्तणु
{प॰च॰७६,४.७} अज्जु घणहँ पूरन्तु मणोरह $ अज्जु णिरग्गल होन्तु महागह
{प॰च॰७६,४.८} अज्जु पप्फुल्लउ फलउ वणासइ $ अज्जु गाउ मोक्कलउ सरासइ

घत्ता॒

{प॰च॰७६,४.९} ताव दसाणणु आहयणेॅ $ पडिउ सुणेवि स-दोरु स-णेउरु
धाइउ मन्दोयरि-पमुहु $ धाहावन्तु सयलु अन्तेउरु


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक ५॒


{प॰च॰७६,५.१} दुम्मणु दुक्ख-महण्णवेॅ घित्तउ $ पिय-विओय-जालोलि-पलित्तउ
{प॰च॰७६,५.२} मोक्कल-केसु विसण्ठुल-गत्तउ $ विहडप्फडु णिवडन्तुट्ठन्तउ
{प॰च॰७६,५.३} उद्ध-हत्थु उद्धाहावन्तउ $ अंसु-जलेण वसुह सिञ्चन्तउ
{प॰च॰७६,५.४} णेउर-हार-दोर-गुप्पन्तउ $ चन्दण-छड-कद्दमेॅ खुप्पन्तउ
{प॰च॰७६,५.५} पीण-पओहर-भारक्कन्तउ $ कज्जल-जल-मल-मइलिज्जन्तउ
{प॰च॰७६,५.६} णं कोइल-कुलु कहि मि पयट्टउ $ णं गणियारि-जूहु विच्छुट्टउ
{प॰च॰७६,५.७} णं कमलिणि-वणु थाणहेॅ चुक्कउ $ णं हंसिउलु महासर-मुक्कउ
{प॰च॰७६,५.८} कलुण-सरेण रसन्तु पधाइउ $ णिविसें रण-धरित्ति सम्पाइउ

घत्ता॒

{प॰च॰७६,५.९} हय-गय-भड-रुहिरारुणिय $ समर-वसुन्धरि सोह ण पावइ
रत्तउ परिहेॅवि पङ्गुरेॅवि $ थिय रावण-अणुमरणें णावइ


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक ६॒


{प॰च॰७६,६.१} दिट्ठु महाहवु विणिवाइय-भडु $ आमिस-सोणिय-रस-वस-वीसडु
{प॰च॰७६,६.२} हड्ड-रुण्ड-विच्छड्ड-भयङ्करु $ लोट्टाविय-धय-चिन्ध-णिरन्तरु
{प॰च॰७६,६.३} णच्चिय-उद्ध-कवन्ध-विसन्थुलु $ वायस-घोर-गिद्ध-सिव-सङ्कुलु
{प॰च॰७६,६.४} कहि मि आयवत्तइँ ससि-धवलइँ $ णं रण-देवय-अच्चण-कमलइँ
{प॰च॰७६,६.५} कहि मि तुरङ्ग वाण-विणिभिण्णा $ रण-देवयहेॅ णाइँ वलि दिण्णा
{प॰च॰७६,६.६} कहि मि सरेहिॅ धरिय णहेॅ कुञ्जर $ णं जल-धारा-ऊरिय जलहर
{प॰च॰७६,६.७} कहि मि रहङ्ग-भग्ग थिय रहवर $ णं वज्जासणि-सूडिय महिहर
{प॰च॰७६,६.८} तहिॅ दहवयणु दिट्ठु वहु-वाहउ $ कप्प-तरु व्व पलोट्टिय-साहउ
{प॰च॰७६,६.९} रज्ज-गयालण-खम्भु व छिण्णउ $ लक्खण-चक्क-रयण-विणिभिण्णउ

घत्ता॒

{प॰च॰७६,६.१०} दह दियहाइँ स-रत्तियइँ $ जं जुज्झन्तु ण णिद्दऍ भुत्तउ
तेण चक्क-सेज्जहिॅ चडेॅवि $ रण-वहुअऍ समाणु णं सुत्तउ


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक ७॒


{प॰च॰७६,७.१} दिट्ठु पुणो वि णाहु पिय-णारिहिॅ $ सुत्तु मत्त-हत्थि व गणियारिहिॅ
{प॰च॰७६,७.२} वाहिणिहिॅ व सुक्कउ रयणायरु $ कमलिणिहिॅ व अत्थवण-दिवायरु
{प॰च॰७६,७.३} कुमुइणिहि व्व जरढ-मयलञ्छणु $ विज्जुहि व्व छुडु छुडु वरिसिय-घणु
{प॰च॰७६,७.४} अमर-वहूहिॅ व चवण-पुरन्दरु $ गिम्भ-दिसाहिॅ व अञ्जण-महिहरु
{प॰च॰७६,७.५} भमरावलिहि म्व सूडिय-तरुवरु $ कलहंसीहि म्व अ-जलु महा-सरु
{प॰च॰७६,७.६} कलयण्ठीहि म्व माहव-णिग्गमु $ णाइणिहिॅ व हय-गरुड-भुयङ्गमु
{प॰च॰७६,७.७} वहुल-पओसु व तारा-पन्तिहिॅ $ तेम दसास-पासु ढुक्कन्तिहिॅ
{प॰च॰७६,७.८} दस-सिरु दस-सेहरु दस-मउडउ $ गिरि व स-कन्दरु स-तरु स-कूडउ

घत्ता॒

{प॰च॰७६,७.९} णिऍवि अवत्थ दसाणणहेॅ $ "हा हा सामि" भणन्तु स-वेयणु
अन्तेउरु मुच्छा-विहलु $ णिवडिउ महिहिॅ झत्ति णिच्चेयणु


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक ८॒


{प॰च॰७६,८.१} तारा-चक्कु व थाणहेॅ चुक्कउ $ दुक्खु दुक्खु मुच्छऍ आमुक्कउ
{प॰च॰७६,८.२} लग्ग रुएव्वऍ तहिॅ मन्दोयरि $ उव्वसि रम्भ तिलोत्तम सुन्दरि
{प॰च॰७६,८.३} चन्दवयण सिरिकन्ताणुद्धरि $ कमलाणण गन्धारि वसुन्धरि
{प॰च॰७६,८.४} मालइ चम्पयमाल मणोहरि $ जयसिरि चन्दणलेह तणूअरि
{प॰च॰७६,८.५} लच्छि वसन्तलेह मिगलोयण $ जोयणगन्ध गोरि गोरोयण
{प॰च॰७६,८.६} रयणावलि मयणावलि सुप्पह $ कामलेह कामलय सयम्पह
{प॰च॰७६,८.७} सुहय वसन्ततिलय मलयावइ $ कुङ्कुमलेह पउम पउमावइ
{प॰च॰७६,८.८} उप्पलमाल गुणावलि णिरुवम $ कित्ति वुद्धि जयलच्छि मणोरम

घत्ता॒

{प॰च॰७६,८.९} आऍहिॅ सोआऊरियहिॅ $ अट्ठारहहि मि जुवइ-सहासेॅहिॅ
णव-घण-मालाडम्वरेॅहिॅ $ छाइउ विञ्झु जेम चउ-पासेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक ९॒


{प॰च॰७६,९.१} रोवइ लङ्का-पुर-परमेसरि $ "हा रावण तिहुअण-जण-केसरि
{प॰च॰७६,९.२} पइँ विणु समर-तूरु कहेॅ वज्जइ $ पइँ विणु वाल-कील कहेॅ छज्जइ
{प॰च॰७६,९.३} पइँ विणु णव-गह-एक्कीकरणउ $ को परिहेसइ कण्ठाहरणउ
{प॰च॰७६,९.४} पइँ विणु को वि विज्ज आराहइ $ पइँ विणु चन्दहासु को साहइ
{प॰च॰७६,९.५} को गन्धव्व-वावि आडोहइ $ कण्णहँ छ वि सहासु संखोहइ
{प॰च॰७६,९.६} पइँ विणु को कुवेरु भञ्जेसइ $ तिजगविहूसणु कहेॅ वसिहोसइ
{प॰च॰७६,९.७} पइँ विणु को जमु विणिवारेसइ $ को कइलासुद्धरणु करेसइ
{प॰च॰७६,९.८} सहसकिरण-णलकुव्वर-सक्कह्ũ $ को अरि होसइ ससि-वरुणक्कह्ũ
{प॰च॰७६,९.९} को णिहाण-रयणइँ पालेसइ $ को वहुरूविणि विज्ज लएसइ

घत्ता॒

{प॰च॰७६,९.१०} सामिय पइँ भविएण विणु $ पुप्फ-विमाणेॅ चडेॅवि गुरु-भत्तिऍ
मेरु-सिहरेॅ जिण-मन्दिरइँ $ को मइँ णेसइ वन्दण-हत्तिऍ"


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक १०॒


{प॰च॰७६,१०.१} पुणु वि पुणु वि गयणङ्गणगोयरि $ कलुणक्कन्दु करइ मन्दोयरि
{प॰च॰७६,१०.२} "णन्दण-वणेॅ दिज्जन्ति मणोहरि $ सुमरमि पारियाय-तरु-मञ्जरि
{प॰च॰७६,१०.३} वुड्डण-वाविहेॅ थण-परिचड्डणु $ सुमरमि ईसि ईसि अवरुण्डणु
{प॰च॰७६,१०.४} सयण-भवणेॅ णह-णियर-वियारणु $ सुमरमि लीला-पङ्कय-ताडणु
{प॰च॰७६,१०.५} पणय-रोस-समए मय-वद्धणु $ सुमरमि रसणा-दाम-णिवन्धणु
{प॰च॰७६,१०.६} सुमरमि दिज्जमाणु दणु-दावणि $ धरणिन्दहेॅ केरउ चूडा-मणि
{प॰च॰७६,१०.७} सुमरमि सामि कुमारहेॅ केरउ $ वरहिण-पेहुण-कण्णेऊरउ
{प॰च॰७६,१०.८} सुमरमि सुर-करि-मय-मल-सामलु $ हारेॅ ठविज्जमाणु मुत्ताहलु

घत्ता॒

{प॰च॰७६,१०.९} सुमरमि सइँ सुरयारुहणेॅ $ णेउर-वर-झङ्कार-विलासु
तो इ महारउ वज्जमउ $ हियउ ण वे-दलु होइ णिरासु"


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक ११॒


{प॰च॰७६,११.१} पुणु वि पुणु वि मन्दोयरि जम्पइ $ "उट्ठेॅ भडारा केत्तिउ सुप्पइ
{प॰च॰७६,११.२} जइ वि णिरारिउ णिद्दऍ भुत्तउ $ तो वि ण सोहहि महियलेॅ सुत्तउ
{प॰च॰७६,११.३} सामिय को अवराहु महारउ $ सीयहेॅ दूई गय सय-वारउ
{प॰च॰७६,११.४} तो इ अ-कारणेॅ ज्जेॅ आरुट्ठउ $ जेण परिट्ठिउ पाराउट्ठउ"
{प॰च॰७६,११.५} तहिॅ अवसरेॅ पिउ पेक्खेॅवि घाइउ $ का वि करेइ अलीयइ (?) साइउ
{प॰च॰७६,११.६} आलिङ्गेप्पिणु सव्वायामें $ का वि णिवन्धइ रसणा-दामें
{प॰च॰७६,११.७} का वि वरंसुएण क वि हारें $ का वि सुअन्ध-कुसुम-पब्भारें
{प॰च॰७६,११.८} क वि उरेॅ ताडेॅवि लीला-कमलें $ पभणइ मउलिएण मुह-कमलें

घत्ता॒
{प॰च॰७६,११.९} "तुम्हहँ चक्क-धार-वहुअ $ जइ वि णिरारिउ पाणहँ रुच्चइ
तो किं महु पेक्खन्तियहेॅ $ हियऍ पइट्ठी णिविसु ण मुच्चइ"


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक १२॒


{प॰च॰७६,१२.१} क वि केसावलि रङ्खोलावइ $ णं कसणाहि-पन्ति खेलावइ
{प॰च॰७६,१२.२} का वि कुडिल-भउहावलि दावइ $ हणइ मयण-धणु-लट्ठिऍ णावइ
{प॰च॰७६,१२.३} का वि णिएइ दिट्ठिऍ सु-विसालऍ $ णं ढङ्कइ णीलुप्पल-मालऍ
{प॰च॰७६,१२.४} क वि अहिसिञ्चइ अविरल-वाहें $ पाउस-सिरि गिरि व्व जल-वाहें
{प॰च॰७६,१२.५} का वि पियाणणेॅ आणणु लायइ $ णं कमलोवरि कमलु चडावइ
{प॰च॰७६,१२.६} क वि आलिङ्गइ भुअहिॅ विसालहिॅ $ णं ओमालइ मालइ-मालहिॅ
{प॰च॰७६,१२.७} क वि परिमसइ अग्ग-हत्थयलें $ छिवइ णाइँ णव-लीला-कमलें
{प॰च॰७६,१२.८} क वि णिम्मल-कररुह पयडावइ $ णं दह-मुहह्ũ व दप्पणु दावइ
{प॰च॰७६,१२.९} का वि पओहर-घड-जुअलेणं $ णं सिञ्चइ लायण्ण-जलेणं

घत्ता॒

{प॰च॰७६,१२.१०} तहिॅ अवसरेॅ केण वि णरेॅण $ इन्दइ-कुम्भयण्ण-आवासऍ
सहसा जिह ण मरन्ति तिह $ रावण-मरणु कहिउ परिहासऍ


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक १३॒


{प॰च॰७६,१३.१} "अज्जु महन्तु दिट्ठु अच्चरियउ $ किह कमलेण कुलिसु जज्जरियउ
{प॰च॰७६,१३.२} किह मुट्ठिऍ मेरु इ मुसुमूरिउ $ किह पायालु तिलद्धें पूरिउ
{प॰च॰७६,१३.३} किह इन्धणेॅण दद्धु वइसाणरु $ किह चुलुएण सुसिउ रयणायरु
{प॰च॰७६,१३.४} किह पोट्टलेॅण णिवद्धु पहञ्जणु $ किह करेण ढङ्किउ मयलञ्छणु
{प॰च॰७६,१३.५} दिणयरु तेय-रासि कर-दूसहु $ किह जोइङ्गणेण किउ णिप्पहु
{प॰च॰७६,१३.६} किह पडेण पच्छण्णु पहायउ $ किह सिव-पहु अण्णाणें णायउ
{प॰च॰७६,१३.७} किह परमाणुएण णहु छाइउ $ किह गोप्पऍ महि-मण्डलु माइउ
{प॰च॰७६,१३.८} किह मसएण तुलिउ भुवण-त्तउ $ मरणावत्थ कालु कह पत्तउ"

घत्ता॒

{प॰च॰७६,१३.९} तं एरिसउ वयणु सुणेॅवि $ रावण-तणयह्ũ विक्कम-सारह्ũ
इन्दइ-पमुहउ मुच्छियउ $ अद्ध-पञ्च कोडीउ कुमारह्ũ


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक १४॒

{प॰च॰७६,१४.१} णिवडिउ कुम्भयण्णु सह्ũ पुत्तेॅहिॅ $ णं मयलञ्छणु सह्ũ णक्खत्तेॅहिॅ
{प॰च॰७६,१४.२} णं अमराहिउ सहियउ अमरेॅहिॅ $ सित्तु जलेण पविज्जिउ चमरेॅहिॅ
{प॰च॰७६,१४.३} उट्ठिउ दुक्खु दुक्खु दुक्खाउरु $ सोयहेॅ तणउ णाइँ पढमङ्कुरु
{प॰च॰७६,१४.४} लग्गु रुएवऍ "हा हा भायरि $ हा हा हउ हरिणेहिॅ व केसरि
{प॰च॰७६,१४.५} हा विहि तुहु मि हूउ दालिद्दिउ $ हा सव्वण्हु तुहु मि किह छिद्दिउ
{प॰च॰७६,१४.६} हा जम तुहु मि महाहवेॅ घाइउ $ हा रयणायर तुहु मि तिसाइउ
{प॰च॰७६,१४.७} हा मरु तुहु मि णिवन्धणु पत्तउ $ हा रवि तुहु मि किरण-परिचत्तउ
{प॰च॰७६,१४.८} हा दड्ढो ऽसि तुहु मि धूमद्धय $ णीसोहग्गु तुहु मि मयरद्धय

घत्ता॒

{प॰च॰७६,१४.९} हा अचलिन्द तुहु मि चलिउ $ तुहु मि पयावइ भुक्खऍ भग्गउ
पुण्ण-महक्खऍ पेक्खु किह $ वज्जमए वि खम्भेॅ घुणु लग्गउ"


कण्ड ४, संधि ७६, कडवक १५॒


{प॰च॰७६,१५.१} ताव स-वेयणु उट्ठिउ इन्दइ $ अप्पउ हणइ घिवइ परिणिन्दइ
{प॰च॰७६,१५.२} "हा हा ताय ताय माणुण्णय $ सुरवर-समर-सहासहिॅ दुज्जय
{प॰च॰७६,१५.३} पइँ अत्थन्तएण अत्थमियइँ $ वोल्लिय-हसिय-रमिय-परिभमियइँ
{प॰च॰७६,१५.४} सुत्त-विउद्ध-गमण-आगमणइँ $ परिहिय-जिमिय-पसाहिय-ण्हवणइँ
{प॰च॰७६,१५.५} वण-कीला-जल-कीला-थाणइँ $ पुत्तुच्छव-विवाह-वर-पाणइँ
{प॰च॰७६,१५.६} गेय-पणच्चियाइँ वर-वज्जइँ $ परियण-पिण्डवास-सिय-रज्जइँ"
{प॰च॰७६,१५.७} तोयदवाहणो वि स-कुमारउ $ मुच्छाविज्जइ सय-सय-वारउ
{प॰च॰७६,१५.८} कन्दइ कणइ पवड्ढिय-वेयणु $ अविरल-वाहाऊरिय-लोयणु

घत्ता॒

{प॰च॰७६,१५.९} दुक्खु दसाणण-परियणहेॅ $ सीयहेॅ दिहि जउ लक्खण-रामह्ũ
सुर वि स इं भु व णह्ũ चलिय $ लङ्क पइट्ठ कइद्धय-णामह्ũ



[७७. सत्तसत्तरिमो संधि] ----------



भाइ-विओएं $ जिह जिह करइ विहीसणु सोउ
तिह तिह दुक्खेॅण $ रुवइ स-हरि-वल-वाणर-लोउ


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक १॒


{प॰च॰७७,१.१} दुम्मणु दुम्मण-वयणउ $ अंसु-जलोल्लिय-णयणउ
ढुक्कु कइद्धय-सत्थउ $ जहिॅ रावणु पल्हत्थउ
{प॰च॰७७,१.२} तेण समाणु विणिग्गय-णामेॅहिॅ $ दिट्ठु दसाणणु लक्खण-रामेॅहिॅ
{प॰च॰७७,१.३} दिट्ठइँ स-मउड-सिरइँ पलोट्टइँ $ णाइँ स-केसराइँ कन्दोट्टइँ
{प॰च॰७७,१.४} दिट्ठइँ भालयलइँ पायडियइँ $ अद्धयन्द-विम्वाइँ व पडियइँ
{प॰च॰७७,१.५} दिट्ठइँ मणि-कुण्डलइँ स-तेयइँ $ णं खय-रवि-मण्डलइँ अणेयइँ
{प॰च॰७७,१.६} दिट्ठउ भउहउ भिउडि-करालउ $ णं पलयग्गि-सिहउ धूमालउ
{प॰च॰७७,१.७} दिट्ठइँ दीह-विसालइँ णेत्तइँ $ मिहुणा इव आमरणासत्तइँ
{प॰च॰७७,१.८} मुह-कुहरइँ दट्ठोट्ठइँ दिट्ठइँ $ जमकरणाइँ व जमहेॅ अणिट्ठइँ
{प॰च॰७७,१.९} दिट्ठ महब्भुव भड-सन्दोहें $ णं पारोह मुक्क णग्गोहें
{प॰च॰७७,१.१०} दिट्ठु उर-त्थलु फाडिउ चक्कें $ दिण-मज्झु अ(?) मज्झत्थें अक्कें
{प॰च॰७७,१.११} अवणियलु व विञ्झेण विहञ्जिउ $ णं विहिॅ भाऍहिॅ तिमिरु व पुञ्जिउ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,१.१२} पेक्खेॅवि रामेॅण $ समरङ्गणेॅ रामण[हेॅ] मुहाइँ
आलिङ्गेप्पिणु $ धीरिउ "रुवहि विहीसण काइँ


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक २॒


{प॰च॰७७,२.१} सो मुउ जो मय-मत्तउ $ जीव-दया-परिचत्तउ
वय-चारित्त-विहूणउ $ दाण-रणङ्गणेॅ दीणउ
{प॰च॰७७,२.२} सरणाइय-वन्दिग्गहेॅ गोग्गहेॅ $ सामिहेॅ अवसरेॅ मित्त-परिग्गहेॅ
{प॰च॰७७,२.३} णिय-परिहवेॅ पर-विहुरेॅ ण जुज्जइ $ तेहउ पुरिसु विहीसण रुज्जइ
{प॰च॰७७,२.४} अण्णु इ दुक्किय-कम्म-जणेरउ $ गरुअउ पाव-भारु जसु केरउ
{प॰च॰७७,२.५} सव्वंसह वि सहेवि ण सक्कइ $ अहेॅ अण्णाउ भणन्ति ण थक्कइ
{प॰च॰७७,२.६} वेवइ वाहिणि किं मइँ सोसहि $ धाहावइ खज्जन्ती ओसहि
{प॰च॰७७,२.७} छिज्जमाण-वणसइ उग्घोसइ $ कइयह्ũ मरणु णिरासहेॅ होसइ
{प॰च॰७७,२.८} पवणु ण भिडइ भाणु कर खञ्चइ $ धणु राउल-चोरग्गिह्ũ सञ्चइ
{प॰च॰७७,२.९} विन्धइ कण्टेहिॅ व दुव्वयणेॅहिॅ $ विस-रुक्खु व मण्णिज्जइ सयणेॅहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,२.१०} धम्म-विहूणउ $ पाव-पिण्डु अणिहालिय-थामु
सो रोवेवउ $ जासु महिस-विस-मेसहिॅ णामु


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक ३॒


{प॰च॰७७,३.१} एयहेॅ अखलिय-माणहेॅ $ दिण्ण-णिरन्तर-दाणहेॅ
पूरिय-पणइणि-आसहेॅ $ रोवहि काइँ दसासहेॅ
{प॰च॰७७,३.२} रोवहि किं तिहुअण-वसियरणउ $ किय णिसियर-वंसब्भुद्धरणउ
{प॰च॰७७,३.३} रोवहि किय कुवेर-विब्भाडणु $ किय जम-महिस-सिङ्ग-उप्पाडणु
{प॰च॰७७,३.४} रोवहि किय कइलासुद्धारणु $ सहसकिरण-णलकुव्वर-वारणु
{प॰च॰७७,३.५} रोवहि किय सुरवइ-भुव-वन्धणु $ किय अइरावय-दप्प-णिसुम्भण
{प॰च॰७७,३.६} रोवहि किय दिणयर-रह-मोडणु $ किय ससि-केसरि-केसर-तोडणु
{प॰च॰७७,३.७} रोवहि किय फणिमणि-उद्दालणु $ किय वरुणाहिमाण-संचालणु
{प॰च॰७७,३.८} रोवहि किह णिहि-रयणुप्पायणु $ किय रयणियर-णियर-अप्पायणु
{प॰च॰७७,३.९} रोवहि किय वहुरूविणि-साहणु $ किय दारुण-दूसह-समरङ्गणु

घत्ता॒

{प॰च॰७७,३.१०} थिय अजरामर $ भुवण-पसिद्धि परिट्ठिय जासु
सय-सय-वारउ $ रोवहि काइँ विहीसण तासु"


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक ४॒

{प॰च॰७७,४.१} तं णिसुणेवि पहाणउ $ भणइ विहीसण-राणउ
"एत्तिउ रुअमि दसासहेॅ $ भरिउ भुवणु जं अयसहेॅ
{प॰च॰७७,४.२} एण सरीरें अविणय-थाणें $ दिट्ठ-णट्ठ-जल-विन्दु-समाणें
{प॰च॰७७,४.३} सुरचावेण व अथिर-सहावें $ तडि-फुरणेण व तक्खण-भावें
{प॰च॰७७,४.४} रम्भा-गब्भेण व णीसारें $ पक्व-फलेण व सउणाहारें
{प॰च॰७७,४.५} सुण्ण-हरेण व विहडिय-वन्धें $ पच्छहरेण व अइ-दुग्गन्धें
{प॰च॰७७,४.६} उक्करुडेण व कीडावासें $ अकुलीणेण व सुकिय-विणासें
{प॰च॰७७,४.७} परिवाहेण व किमि-कोट्ठारें $ असुइहेॅ भुवणें भूमिहेॅ भारें
{प॰च॰७७,४.८} अट्ठिय-पोट्टलेण वस-कुण्डें $ पूय-तलाएं आमिस-उण्डें
{प॰च॰७७,४.९} मल-कूडेण रुहिर-जल-वरणें $ लसि-विवरेण घम्म-णिज्झरणें
{प॰च॰७७,४.१०} कुहिय-करण्डएण घिणिवन्तें $ चम्ममएण इमेण कु-जन्तें
{प॰च॰७७,४.११} तउ ण चिण्णु मण-तुरउ ण खञ्चिउ $ मोक्खु ण साहिउ णाहु ण अञ्चिउ
{प॰च॰७७,४.१२} वउ ण धरिउ महु ण किउ णिवारिउ $ अप्पउ किउ तिण-समउ णिरारिउ"
{प॰च॰७७,४.१३} तं णिसुणेवि विहीरइ हलहरु $ "एहु वट्टइ णिज्जावण-अवसरु"

घत्ता॒

{प॰च॰७७,४.१४} एम भणेप्पिणु $ पुणु आएसु दिण्णु परिवारहेॅ
"थड्ढ-सहावइँ $ खलइँ व लहु कट्ठइँ णीसारहेॅ"


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक ५॒


{प॰च॰७७,५.१} लद्धें रामाएसें $ भड-णिवहेण असेसें
मेलावियइँ विचित्तइँ $ सिल्हय-चन्दण-भित्तइँ
{प॰च॰७७,५.२} वव्वर-गोसिरीस-सिरिकण्डइँ $ देवदारु-कालागरु-कण्डइँ
{प॰च॰७७,५.३} लय कत्थूरी-कप्पूरङ्गइँ $ कङ्कोलेला-लवलि-लवङ्गइँ
{प॰च॰७७,५.४} एव सुअन्ध-महद्दुम-पमुहइँ $ णीसारेवि मसाणहेॅ समुहइँ
{प॰च॰७७,५.५} किङ्कर-वरेॅहिॅ तिलोयाणन्दहेॅ $ कहिउ णवेप्पिणु राहवचन्दहेॅ
{प॰च॰७७,५.६} "मेलावियइँ भडारा कट्ठइँ $ दुट्ठक्कुर-दाणाइँ [व] कट्ठइँ
{प॰च॰७७,५.७} कामिणि-जोव्वणइँ व जण-घट्ठइँ $ कु-कुडुम्वाइँ व थाणहेॅ भट्ठइँ
{प॰च॰७७,५.८} वइरि-कुलाइँ व उक्खय-मूलइँ $ वाइ-पुरिस-चित्ताइँ व थूलइँ
{प॰च॰७७,५.९} तं णिसुणेवि विणिग्गय-णामें $ उच्चल्लाविउ रामणु रामें

घत्ता॒

{प॰च॰७७,५.१०} जेण तुलेप्पिणु $ किउ कइलासु समुण्णइ-भग्गउ
सो विहि-छन्देॅण $ सामण्णहि मि तुलिज्जइ लग्गउ


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक ६॒


{प॰च॰७७,६.१} उच्चाइए दसाणणेॅ $ सोउ पवड्ढिउ परियणेॅ
भीसणु विविह-पयारउ $ उट्ठिउ हाहाकारउ
{प॰च॰७७,६.२} केली-वण उच्छु-वण-समाणइँ $ खलइँ व उद्धइँ थियइँ विताणइँ
{प॰च॰७७,६.३} धय थरहरिय मसाण-भएण व $ पूरिय सङ्ख वन्धु दुक्खेण व
{प॰च॰७७,६.४} तूरइँ हयइँ पुव्व-वइरा इव $ वद्धइँ तोरणाइँ चोरा इव
{प॰च॰७७,६.५} चमरइँ पाडियाइँ चित्ताइँ व $ घित्तइँ पण्णइँ कु-कलत्ताइँ व
{प॰च॰७७,६.६} फाडियाइँ दोहाइँ व णेत्तइँ $ धरियइँ संगहणाइँ व छत्तइँ
{प॰च॰७७,६.७} चूरियाइँ खल-मुहइँ व रयणइँ $ खुद्धइँ सङ्ख-उलाइँ व वयणाइँ
{प॰च॰७७,६.८} आएं मरणावत्थ-विहोएं $ कलुणक्कन्दु करन्तें लोएं
{प॰च॰७७,६.९} णिउ मसाणु सुरवर-सन्तावणु $ विरइउ सलु वइसारिउ रावणु

घत्ता॒

{प॰च॰७७,६.१०} जो परिचड्डिउ $ सयल-काल कामिणि-थण-वट्टेहिॅ
सो पुण्ण-क्खऍ $ पेक्खु केम पहु पेल्लिउ कट्ठेॅहिॅ


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक ७॒


{प॰च॰७७,७.१} अट्ठावय-कम्पावणेॅ $ चियऍ चडाविऍ रावणेॅ
सालङ्कारु स-णेउरु $ मुच्छाविउ अन्तेउरु
{प॰च॰७७,७.२} वार-वार णिवडइ णिच्चेयणु $ वार-वार उब्भियइ स-वेयणु
{प॰च॰७७,७.३} वार-वार उम्मुहु धाहावइ $ छिज्जमाणु सङ्खिणि-उलु णावइ
{प॰च॰७७,७.४} अन्तेउर-अणुमरणासङ्कऍ $ चिन्धइँ कम्पन्ति व अणुकम्पऍ
{प॰च॰७७,७.५} छत्तइँ एम भणन्ति वराया $ "पइँ विणु कासु करेसह्ũ छाया"
{प॰च॰७७,७.६} तूरहिॅ एम णाइँ घोसिज्जइ $ "पइँ विणु कासु पासेॅ वज्जिज्जइ"
{प॰च॰७७,७.७} "को जुप्पेसइ रण-भर-लक्खेॅहिॅ" $ एव णाइँ धाहाविउ सङ्खेॅहिॅ
{प॰च॰७७,७.८} तहिॅ अवसरेॅ तज्जोणि-विणासणु $ सीयासाउ व दिण्णु हुआसणु
{प॰च॰७७,७.९} सहसा उप्परेॅ चडेॅवि ण सक्कइ $ कम्पइ तसइ ल्हसइ ण झुलुक्कइ
{प॰च॰७७,७.१०} "सगिरि-ससायर-महि-कम्पावणु $ मा पुणो वि जीवेसइ रावणु"

घत्ता॒

{प॰च॰७७,७.११} पुणु वि पडीवउ $ चिन्तइ एव णाइँ धूमद्धउ
"काइँ दहेसमि $ एयहेॅ जो अयसेण जि दड्ढउ"


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक ८॒


{प॰च॰७७,८.१} तहिॅ अवसरेॅ दुक्खाउरु $ लङ्काहिव-अन्तेउरु
मइलिय-वयण-सरोरुहु $ णिउ सलिलहेॅ सवडम्मुहु
{प॰च॰७७,८.२} गयइँ कलत्तइँ जम्मन्तरइँ व $ तूर-सहासइँ सुइणन्तरइँ व
{प॰च॰७७,८.३} सङ्ख णियन्त (?) रुऍवि सयणा इव $ किङ्कर लद्ध-फलइँ सउणा इव
{प॰च॰७७,८.४} वन्दिण दाण-भोग-णिवहा इव $ वन्धव णव-जोव्वण-दियहा इव
{प॰च॰७७,८.५} रयण-णिहाण-धरत्ति-तिकण्डइँ $ चमरइँ चिन्धइँ धयइँ स-दण्डइँ
{प॰च॰७७,८.६} लङ्काउरि-सीहासण-छत्तइँ $ छड्डेॅवि थियइँ णाइँ दु-कलत्तइँ
{प॰च॰७७,८.७} गय गय गय जि ण दिट्ठ पडीवा $ हय हय हय जि ण हूय स-जीवा
{प॰च॰७७,८.८} रह रह रह रहेवि थिय दूरें $ को दीसइ अत्थमिएं सूरें
{प॰च॰७७,८.९} तहिॅ अवसरेॅ परितुट्ठ-पहिट्ठइँ $ एव चवन्ति व चन्दण-कट्ठइँ
{प॰च॰७७,८.१०} "जाहँ पसाय ताहँ एक्केण वि $ तुम्हावसरु ण सारिउ केण वि
{प॰च॰७७,८.११} सामिय अम्हेॅ जइ वि पइँ घट्ठइँ $ गणियइँ जणहेॅ मज्झेॅ अइ-कट्ठइँ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,८.१२} जइ वि स-हत्थेॅण $ ण किउ आसि गरुयउ सम्माणु
तो वि डहेव्वउ $ हुयवहेॅ पइँ समाणु अप्पाणु"


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक ९॒


{प॰च॰७७,९.१} ताव णिरन्तर णीलउ $ उट्ठिउ धूमुप्पीलउ
अन्धारिय-णह-मग्गउ $ रावण-अयसु ण णिग्गउ
{प॰च॰७७,९.२} दस-दिसि-वह मइलन्तु पधाइउ $ जिह अकुलीणउ कहि मि ण माइउ
{प॰च॰७७,९.३} धूम-मज्झेॅ धूमद्धउ धावइ $ विज्जु-वलउ जलअन्तरेॅ णावइ
{प॰च॰७७,९.४} पढम (?) पएहिॅ लग्गु अकुलीणु व $ पच्छऍ उप्परेॅ चडिउ णिहीणु व
{प॰च॰७७,९.५} जे णरवर-चूडामणि-चुम्विय $ जाहँ णहेॅहिॅ रवि-ससि पडिविम्विय
{प॰च॰७७,९.६} ते कम-कमल कन्ति-परियड्ढा $ सिहि-खलेण सुयणा इव दड्ढा
{प॰च॰७७,९.७} जं सुकलत्त-कलत्तेॅहिॅ रत्तउ $ रह-गय-तुरय-विमाणेॅहिॅ जन्तउ
{प॰च॰७७,९.८} सीहासण-पल्लङ्केॅहिॅ ठन्तउ $ रसणा-किङ्किणि-मुहलिज्जन्तउ
{प॰च॰७७,९.९} तं णियम्वु जलणेण विहत्तिउ $ तक्खणेॅ छारहेॅ पुञ्जु परत्तिउ
{प॰च॰७७,९.१०} जं कइलास-कूड-अवरुण्डणु $ जं कामिणि-पीण-त्थण-चड्डणु
{प॰च॰७७,९.११} जं मोत्तिय-मालालङ्करियउ $ णं गयणङ्गणु तारा-भरियउ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,९.१२} जं रत्तिंदिउ $ सीया-विरहाणल-जालड्ढउ
अलसन्तेण व $ तं पहु-हियउ हुआसें दड्ढउ


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक १०॒

{प॰च॰७७,१०.१} जे भुवणाहिन्दोलणा $ वइरि-समुद्द-विरोलणा
सुर-सिन्धुर-कर-वन्धुरा $ परियड्ढिय-रण-भर-धुरा
{प॰च॰७७,१०.२} जे थिर थोर पलम्व पईहर $ सुहि-मम्भीस वीस-पहरण-धर
{प॰च॰७७,१०.३} जे वालत्तणेॅ वालक्कीलऍ $ पण्णय-मुहेॅहिॅ छुहन्तउ लीलऍ
{प॰च॰७७,१०.४} जे गन्धव्व-वावि-आडुम्भण $ सुरसुन्दर-वुह-कणय-णिसुम्भण
{प॰च॰७७,१०.५} जे वइसवण-रिद्धि-विब्भाडण $ तिजगविहूसण-गय-मय-साडण
{प॰च॰७७,१०.६} जे जम-दण्ड-चण्ड-उद्दालण $ स-वसुन्धर-कइलासुच्चालण
{प॰च॰७७,१०.७} जे सहसयर-मडप्फर-भञ्जण $ णलकुव्वर-गेहिणि-मण-रञ्जण
{प॰च॰७७,१०.८} जे अमरिन्द-दप्प-ओहट्टण $ वरुण-णराहिव-वल-दलवट्टण
{प॰च॰७७,१०.९} जे वहुरूविणि-विज्जाराहण $ दूरोसारिय-वाणर-साहण

घत्ता॒

{प॰च॰७७,१०.१०} जे स-सुरासुर- $ जग-जूरावण जिह जम-दूवा
ते णिविसद्धेॅण $ वीस वि वाहु-दण्ड मसिहूया


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक ११॒


{प॰च॰७७,११.१} दसकन्धर-संदीवउ $ णाइँ णिएइ पडीवउ
किं दहगीवहेॅ गीवउ $ णिज्जीवाउ सजीवउ
{प॰च॰७७,११.२} सो ज्जेॅ जीउ कण्ठ-ट्ठिउ णावइ $ णावइ दह-मुहेहिॅ वीहावइ
{प॰च॰७७,११.३} जेहउ वाल-भावेॅ पढमुब्भवेॅ $ णव-गह-कण्ठाहरण-समुब्भवेॅ
{प॰च॰७७,११.४} जेहउ विज्ज-सहस्साराहणेॅ $ जेहउ चन्दहास-असि-साहणेॅ
{प॰च॰७७,११.५} जेहउ मन्दोयरि-पाणिग्गहेॅ $ जेहउ सुरसुन्दर-वन्दिग्गहेॅ
{प॰च॰७७,११.६} जेहउ कणय-धणय-ओसारणेॅ $ जेहउ जम-गइन्द-विणिवारणेॅ
{प॰च॰७७,११.७} जेहउ अट्ठावय-कम्पावणेॅ $ जेहउ सहसकिरण-जूरावणेॅ
{प॰च॰७७,११.८} जेहउ णलकुव्वर-वल-मद्दणेॅ $ जेहउ सक्क-सुहड-कडमद्दणेॅ
{प॰च॰७७,११.९} जेहउ वरुण-णराहिव-साहणेॅ $ जेहउ वहुरूविणि-आराहणेॅ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,११.१०} तेहउ एवहिॅ $ होइ ण होइ व किह मुह-राउ
आएं कोड्डेॅण $ हुअवहु णाइँ णिहालउ आउ


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक १२॒


{प॰च॰७७,१२.१} वयणु णियन्तु हुआसउ $ वड्ढिउ जाल-सहासउ
लग्गु मुहेॅहिॅ विसत्थउ $ णाइँ विलासिणि-सत्थउ
{प॰च॰७७,१२.२} गउ सरहसु दहेवि दह वयणइँ $ गहकल्लोलु व दस-ससि-गहणइँ
{प॰च॰७७,१२.३} जाइँ वहल-तम्वोलायम्वइँ $ फग्गुण-तरुण-तरणि-पडिविम्वइँ
{प॰च॰७७,१२.४} दसण-च्छवि-किय-विज्जु-विलासइँ $ मलयाणिल-सुअन्ध-णीसासइँ
{प॰च॰७७,१२.५} मुद्ध-पुरन्धि-पीय-अहर-दलइँ $ भोयण-खाण-पाण-रस-कुसलइँ
{प॰च॰७७,१२.६} रऍ रणेॅ दाणेॅ वद्ध-अणुरायइँ $ जिय-सुर-छाया-वड्ढिय-छायइँ
{प॰च॰७७,१२.७} तिहुयण-जण-संतावण-सीलइँ $ तियस-विन्द-कन्दावण-लीलइँ
{प॰च॰७७,१२.८} कम्पाविय-दस-दिसिवह-मग्गइँ $ सयलागम-अवसाण-वलग्गइँ
{प॰च॰७७,१२.९} ताइँ मुहइँ अच्चन्त-वियड्ढइँ $ णिविसें सुण्णहराइँ व दड्ढइँ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,१२.१०} जाइँ विसालइँ $ तरलइँ तारइँ मुद्ध-सहावइँ
विहि-परिणामेॅण $ णयणइँ ताइँ कियइँ मसिभावइँ


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक १३॒

{प॰च॰७७,१३.१} जे कुण्डल-मणि-मण्डिया $ सयलागम-परिचड्डिया
ते कण्णा ऽणल-घोलिया $ वल्लूरा व पओलिया
{प॰च॰७७,१३.२} जाइ जिणिन्द-पाय-पणमिल्लइँ $ सेहर-मउड-पट्ट-सोहिल्लइँ
{प॰च॰७७,१३.३} अञ्जण-गिरि-सिहरुण्णय-माणइँ $ सजल-वलाहय-दुग्ग-समाणइँ
{प॰च॰७७,१३.४} कण्ण-कुण्डलुज्जल-गण्डयलइँ $ अट्ठमि-यन्द-रुन्द-भालयलइँ
{प॰च॰७७,१३.५} सयल-काल (?) रणेॅ भिउडि-करालइँ $ भङ्गुर-कसण-लोल-भउहालइँ
{प॰च॰७७,१३.६} जम-णाराय-पईहर-णयणइँ $ दसणावलि-दट्ठाहर-वयणइँ
{प॰च॰७७,१३.७} ताइँ सिरइँ सय-कुन्तल-केसइँ $ कियइँ खणन्तरेण मसि-सेसइँ
{प॰च॰७७,१३.८} धुय-परिहउ परिपुण्ण-मणोरहु $ सव्व-भूउ समजाली(?) हुअवहु
{प॰च॰७७,१३.९} जो सुरवरहँ आसि अवहरियउ $ सो रावणु तेउ व णीसरियउ
{प॰च॰७७,१३.१०} सीया-सावग्गि व णिव्वडियउ $ लक्खण-कोवग्गि व पायडियउ
{प॰च॰७७,१३.११} सेस-विसग्गि व दूरुच्छलियउ $ वसुमइ-हियय-पएसु व जलियउ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,१३.१२} सुरवर-डामरु $ रावणु दड्ढु जासु जगु कम्पइ
"अण्णु कहिं महु $ चुक्कइ" एव णाइँ सिहि जम्पइ


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक १४॒


{प॰च॰७७,१४.१} "रे रे जण णीसारउ $ विट्टलु खलु संसारउ
दरिसिय-णाणावत्थउ $ दुक्खावासु वि गत्थउ
{प॰च॰७७,१४.२} जहिॅ उड्डन्ति महीहर वाएं $ तहिॅ किं गहणु रेणु-संघाएं
{प॰च॰७७,१४.३} जहिॅ जलणेण जलन्ति जलाइँ वि $ तहिॅ तिणोहु किं चुक्कइ काइँ वि
{प॰च॰७७,१४.४} जहिॅ कुलिसाइँ जन्ति सय-सक्करु $ तहिॅ कमलह्ũ केत्तडउ मडप्फरु
{प॰च॰७७,१४.५} होइ महण्णवो वि जहिॅ णिप्पउ $ तहिं पज्झरइ काइँ किर गोप्पउ
{प॰च॰७७,१४.६} जहिॅ अइरावणो वि उम्मज्जइ $ तहिॅ किर काइँ ससउ गलगज्जइ
{प॰च॰७७,१४.७} जहिॅ णित्तेउ तरणि णह-मण्डणु $ तहिॅ किं करइ कन्ति जोइङ्गणु
{प॰च॰७७,१४.८} जहिॅ वुड्डइ अचलिन्दु समत्थउ $ तहिॅ किर कवणु गहणु सिद्धत्थउ
{प॰च॰७७,१४.९} कुम्म-कडाह-यलु वि जहिॅ फुट्टइ $ तहिॅ कुम्हार-घडउ किं छुट्टइ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,१४.१०} जहिॅ पलयङ्गउ $ रावणु तिहुयण-वणगय-अङ्कुसु
उण्णइवन्तउ $ तहिॅ सामण्णु काइँ किर माणुसु"


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक १५॒


{प॰च॰७७,१५.१} ताव दसाणण-परियणु $ सोआउरु हेट्ठाणणु
पइसइ कमल-महासरेॅण $ णावइ चिन्ता-सायरेॅण
{प॰च॰७७,१५.२} कमलायर-तीरन्तरेॅ थक्वेॅवि $ पभणइ रहुवइ णरवर कोक्केॅवि
{प॰च॰७७,१५.३} "अहेॅ विज्जाहर-वंस-पईवहेॅ $ भामण्डल-सुसेण-सुग्गीवहेॅ
{प॰च॰७७,१५.४} जम्वव-मइसमुद्द-मइकन्तहेॅ $ दहिमुह-कुमुअ-कुन्द-हणुवन्तहेॅ
{प॰च॰७७,१५.५} रम्भ-विराहिय-तार-तरङ्गहेॅ $ चन्दकिरण-करणङ्गय-अङ्गहेॅ
{प॰च॰७७,१५.६} गवय-गवक्ख-सुसङ्ख-णरिन्दहेॅ $ णल-णीलहेॅ माहिन्द-महिन्दहेॅ
{प॰च॰७७,१५.७} इन्दइ-कुम्भयण्ण लहु आणहेॅ $ लोयाचारु करहेॅ सरेॅ ण्हाणहेॅ"
{प॰च॰७७,१५.८} तं णिसुणेवि वुत्तु सामन्तेॅहिॅ $ पञ्च-पयार-मन्त-मइवन्तेॅहिॅ
{प॰च॰७७,१५.९} "णाह ण होइ एहु भल्लारउ" $ सव्वहँ जणण-वइरु वड्डारउ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,१५.१०} इन्दइ-राणउ $ सलिलु णिऍवि जइ कह वि वियट्टइ
तो अम्हारउ $ खन्धावारु सव्वु दलवट्टइ


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक १६॒


{प॰च॰७७,१६.१} किण्ण परक्कमु वुज्झिउ $ जइयह्ũ सुर-वलेॅ जुज्झिउ
जिणेॅवि वला वलवन्तहेॅ $ भग्गु मरट्टु जयन्तहेॅ
{प॰च॰७७,१६.२} अण्णु वि पवण-पुत्तु जस-लुद्धउ $ सो वि णाग-वासेहिॅ णिवद्धउ
{प॰च॰७७,१६.३} भामण्डलु सुग्गीउ सहत्थें $ वद्ध ते वि तेण जि दिव्वत्थें
{प॰च॰७७,१६.४} अण्णु वि कुम्भयण्णु किं धरियउ $ जइयह्ũ सण्णहेवि णीसरियउ
{प॰च॰७७,१६.५} तहिॅ अवसरेॅ जें तेण वियम्भिउ $ किण्ण दिट्ठु वलु सयलु वि थम्भिउ
{प॰च॰७७,१६.६} अण्णु वि मारुइ आवइ पाविउ $ तारा-सुऍण दुक्खु छोडाविउ
{प॰च॰७७,१६.७} ते विण्णि अणिलाणल-सरिसा $ केण पडिच्छिय वद्धामरिसा
{प॰च॰७७,१६.८} वद्धा किण्ण हुन्ति मणि उज्जल $ वद्धा मउ मुअन्ति किं मयगल
{प॰च॰७७,१६.९} वद्धा कव्वालाव भडारा $ किण्ण हुन्ति जणवऍ गुरुआरा

घत्ता॒

{प॰च॰७७,१६.१०} आयह्ũ हत्थेॅण $ भाइ-वइरु परिअड्ढेॅवि भीसणु
एउ ण जाणह्ũ $ काइँ करेसइ छेऍ विहीसणु"


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक १७॒


{प॰च॰७७,१७.१} तं णिसुणेवि हलीसें $ वुच्चइ विहुणिय-सीसें
"लक्खण-समु किय-पेसणु $ विहडइ केम विहीसणु
{प॰च॰७७,१७.२} विणयवन्तु अच्चन्त-सणेहउ $ अण्णु वि खत्तिय-मग्गु ण एहउ
{प॰च॰७७,१७.३} जेण समाणु रोसु सो हम्मइ $ अवसें सह्ũ अवसाणु ण गम्मइ
{प॰च॰७७,१७.४} अहवइ किं करन्ति ते कुद्धा $ भग्ग-मडप्फर संसऍ छुद्धा
{प॰च॰७७,१७.५} उक्खय-दन्त मत्त मायङ्ग व $ दाढुप्पाडिय पवर भुवङ्ग व
{प॰च॰७७,१७.६} णहर-पहर-परिहीण मइन्द व $ उण्णइ-भग्ग महीहर-विन्द व"
{प॰च॰७७,१७.७} लद्धाएस पधाइय किङ्कर $ उक्खय-पहरण-णियर-भयङ्कर
{प॰च॰७७,१७.८} गम्पिणु तेण असेस वि राणा $ दुम्मण दीण णिरुण्णय-माणा
{प॰च॰७७,१७.९} लक्खण-रामह्ũ पासु पराणिय $ सह्ũ अन्तेउरेण सरे ण्हाणिय

घत्ता॒

{प॰च॰७७,१७.१०} लोयाचारेॅण $ पाणिउ दिण्णु दसाणण-वीरहेॅ
अञ्जलि-उडेॅहिॅ व $ पर घिवन्ति लायण्णु सरीरहेॅ


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक १८॒


{प॰च॰७७,१८.१} अह दहमुह-पियइत्तिहेॅ $ मुच्छावियऍ (?) धरित्तिहेॅ
पच्चुज्जीविय-अत्थऍ $ सलिलु घिवन्ति व मत्थऍ
{प॰च॰७७,१८.२} अहवइ वसुमईऍ जं दिण्णउ $ सोक्खु असेसु वि आसि उछिण्णउ
{प॰च॰७७,१८.३} तं पहु पच्छऍ मग्गिज्जन्तइँ $ दिन्ति णाइँ वेवन्त-रुवन्तइँ
{प॰च॰७७,१८.४} पुणु वि पडीवइँ वुड्डइँ सरवरेॅ $ णं पाविट्ठइँ णरयब्भन्तरेॅ
{प॰च॰७७,१८.५} पुणु णीसरियइँ सरहेॅ रउद्दहेॅ $ णं भवियइँ संसार-समुद्दहेॅ
{प॰च॰७७,१८.६} जलु लायण्णु णाइँ मेल्लन्तइँ $ णं तिवलीउ तरङ्गह्ũ देन्तइँ
{प॰च॰७७,१८.७} वड्डिम सरहेॅ मरालह्ũ थिर-गइ $ चक्कवाल-जुवलह्ũ थण-सङ्गइ
{प॰च॰७७,१८.८} मुह-अणुराउ रत्त-अरविन्दह्ũ $ महु आलावउ महुअर-विन्दह्ũ
{प॰च॰७७,१८.९} वत्त-सोह सयवत्त-सहासह्ũ $ णयण-च्छवि कुवलयह्ũ असेसह्ũ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,१८.१०} णीरु तरेप्पिणु $ जुअइ-सहासइँ साइउ दिन्ति
पीलेॅवि पीलेॅवि $ कलुणु महा-रसु णाइँ लइन्ति


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक १९॒


{प॰च॰७७,१९.१} ताव विहीसण-णामें $ किय-दूरहेॅ जि पणामें
लायण्णम्भ-महासरि $ धीरिय लङ्क-पुरेसरि
{प॰च॰७७,१९.२} "वाल-मराल-लील-गइ-गामिणि $ अज्ज वि रज्जु तुहारउ सामिणि
{प॰च॰७७,१९.३} सोहउ तं जेॅ तुहारउ पेसणु $ छत्तइँ ताइँ तं जि सीहासणु
{प॰च॰७७,१९.४} चमरइँ ताइँ ताइँ धय-दण्डइँ $ रयण-णिहाणइँ वसुह-ति-कण्डइँ
{प॰च॰७७,१९.५} ते जि तुरङ्ग ते जि गय सन्दण $ ते जि तुहारा सयल वि णन्दण
{प॰च॰७७,१९.६} ते जि असेस भिच्च हियइच्छा $ ते जि णराहिव आण-वडिच्छा
{प॰च॰७७,१९.७} सा तुह्ũ सा जेॅ लङ्क परमेसरि $ इन्दइ भुञ्जउ सयल वसुन्धरि"
{प॰च॰७७,१९.८} तं णिसुणेवि पवोल्लिउ रावणि $ विज्जाहर-कुमार-चूडामणि
{प॰च॰७७,१९.९} "लच्छि कुमारि व चञ्चल-चित्ती $ किह भुञ्जमि जा ताएं भुत्ती

घत्ता॒

{प॰च॰७७,१९.१०} पहु मइँ कल्लऍ $ सव्व-सङ्ग-परिचाउ करेव्वउ
सह्ũ परिवारेॅण $ पाणि-पत्तेॅ आहारु लएव्वउ"


कण्ड ४, संधि ७७, कडवक २०॒


{प॰च॰७७,२०.१} तं णिसुणेॅवि णीसामेॅण $ पुलउ वहन्तें रामेॅण
साहुक्कारिउ रावणि $ "होहि भव्व-चूडामणि"
{प॰च॰७७,२०.२} एम भणेॅवि जयलच्छि-णिवासहेॅ $ सव्वइँ णियइँ णियय-आवासहेॅ
{प॰च॰७७,२०.३} परिहावियइँ दुकूलइँ वत्थइँ $ वायरणइँ व लद्ध-सद्दत्थइँ
{प॰च॰७७,२०.४} परिहावियउ दसाणण-पत्तिउ $ सहु केउरेॅहिॅ विमुक्कउ पोत्तिउ
{प॰च॰७७,२०.५} णेउर-णिवहु समउ लय-मग्गें $ रसणा-दामइँ सह्ũ सोहग्गें
{प॰च॰७७,२०.६} अङ्गुत्थलियउ वन्तणि-सोहेॅहिॅ(?) $ चूडा-वन्ध समउ घर-मोहेॅहिॅ
{प॰च॰७७,२०.७} सह्ũ केऊरालिङ्गण-भावेॅहिॅ $ कण्ठा कण्ठ-ग्गहण-सहावेॅहिॅ
{प॰च॰७७,२०.८} मणि-कुण्डलइँ समउ तणु-तेऍहिॅ $ वर-कण्णावयंस सह्ũ गेऍहिॅ
{प॰च॰७७,२०.९} लुहिय हिय(?) तिलय सह्ũ माणेॅहिॅ $ चूडामणि पिय-पणय-पणामेॅहिॅ

घत्ता॒

{प॰च॰७७,२०.१०} एव विमुक्कइँ $ विसय-सुहेहिॅ समउ मणि-रयणइँ
णवर ण मुक्कइँ $ दिढइँ स इं भु एण गुरु-वयणइँ


जुज्झकंडं समाप्तम्