प्रशस्तिगाथाः

सम्पादन

{प॰च॰प्र॰१} सिरि-विज्जाहर-कण्डे संधीओ होन्ति वीस-परिमाणा $ उज्झा-कण्डम्मि तहा वावीस मुणेह गणणाए
{प॰च॰प्र॰२} चउदह सुन्दर-कण्डे एक्काहिय-वीस जुज्झ-कण्डे य $ उत्तर-कण्डे तेरह सन्धीओ णवइ सव्वाउ


{प॰च॰प्र॰३} तिहुअण-सयम्भु णवरम् एक्को कइराय-चक्किणुप्पण्णो $ पउमचरियस्स चूलामणि व्व सेसं कयं जेण
{प॰च॰प्र॰४} कइरायस्स विजय-सेसियस्स वित्थारिओ जसो भुवणे $ तिहुअण-सयम्भुणा पोमचरिय-सेसेण णिस्सेसो
{प॰च॰प्र॰५} तिहुअण-सयम्भु-धवलस्स को गुणे वण्णिउं जए तरइ $ वालेण वि जेण सयम्भु-कव्व-भारो समुव्वूढो
{प॰च॰प्र॰६} वायरण-दढ-क्खन्धो आगम-अङ्गो पमाण-वियड-पओ $ तिहुअण-सयम्भु-धवलो जिण-तित्थे वहउ कव्व-भरं


{प॰च॰प्र॰७} चउमुह-सयम्भुएवाण वाणियत्थं अचक्खमाणेण $ तिहुअण-सयम्भु-रइयं पञ्चमिचरियं महच्छरियं
{प॰च॰प्र॰८} सव्वे वि सुआ पञ्जर-सुअ व्व पढियक्खराइँ सिक्खन्ति $ कइरायस्स सुओ पुण सुय व्व सुइ-गब्भ-सम्भूओ
{प॰च॰प्र॰९} तिहुअण-सयम्भु जइ ण होन्तु (?) णन्दणो सिरि-सयम्भुदेवस्स $ कव्वं कुलं कवित्तं तो पच्छा को समुद्धरइ
{प॰च॰प्र॰१०} जइ ण हुउ छन्दचूडामणिस्स तिहुअण-सयम्भु लहु-तणओ $ तो पद्धिडया-कव्वं सिरि-पञ्चमि को समारेउ
{प॰च॰प्र॰११} सव्वो वि जणो गेण्हइ णिय-ताय-विढत्त-दव्व-सन्ताणं $ तिहुअण-सयम्भुणा पुणु गहियं सुकइत्त-सन्ताणं
{प॰च॰प्र॰१२} तिहुअण-सयम्भुम् एक्कं मोत्तूण सयम्भु-कव्व-मयरहरो $ को तरइ गन्तुम् अन्तं मज्झे णिस्सेस-सीसाणं


{प॰च॰प्र॰१३} इय चारु पोमचरियं सयम्भुएवेण रइयं(यम?) समत्तं $ तिहुअण-सयम्भुणा तं समाणियं परिसमत्तम् इणं
{प॰च॰प्र॰१४} "चेष्टितम् अयनं चरितं करणं चारित्रम् इत्य् अमी यच्-छब्दाः $ पर्याया रामायणम् इत्य् उक्तं तेन चेष्टितं रामस्य
{प॰च॰प्र॰१५} वाचयति श्रुणोति जनस् तस्यायुर् वृद्धिम् ईयते पुण्यं च $ आकृष्ट-खङ्ग-हस्तो रिपुर् अपि न करोति वैरम् उपशमम् एति"


{प॰च॰प्र॰१६} माउर-सुअ-सिरिकइराय-तणय-कय-पोमचरिय-अवसेसं $ संपुण्णं संपुण्णं वन्दइओ लहइ संपुण्णं
{प॰च॰प्र॰१७} गोइन्द-मयण-सुयणन्त-विरइयं वन्दइ-पढम-तणयस्स $ वच्छल्लदाऍ तिहुअण-सयम्भुणा रइयं (?) महप्पयं
{प॰च॰प्र॰१८} वन्दइय-णाग-सिरिपाल-पहुइ-भव्वयण-गण-समूहस्स $ आरोगत्त-समिद्धी-सन्ति-सुहं होउ सव्वस्स
{प॰च॰प्र॰१९} सत्त-महासग्गङ्गी ति-रयण-भूसा सु-रामकह-कण्णा $ तिहुअण-सयम्भु-जणिया परिणउ वन्दइय-मण-तणयं