फ़िल्म पीके का रिव्यू

फ़िल्म कलाकार :- पीके (अमीर खान) चेरी ( बोमन ईरानी ) सरफ़राज़ यूसुफ़ (सुषांत सिंह राजपूत) जग्गू ( अनुष्का शर्मा) तपस्वी जी ( सौरभ शुक्ला )

फ़िल्म पीके १९ दिसंबर २०१५ को रिलीज़ हुई थी । इस फ़िल्म कें प्रड्यूसर “हिरानी और विधु विनोद चोपड़ा” और डायरेक्टर “राजकुमार हिरानी” है । "पीके" एक अद्भुत और विचारशील फिल्म है जो मानवीय धार्मिकता और धार्मिक अनुष्ठानों को चुनौती देती है। राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में, एक विदेशी अज्ञात अस्तित्व, पीके, धरती पर आकर धार्मिकता की भावनाओं और विश्वासों को समझने की कोशिश करता है। पीके का सफर उसके संचार उपकरण को खो देने के बाद शुरू होता है, जिससे वह धरती पर खो जाता है। उसकी निर्दोष और आज्ञाकारी दृष्टि के साथ, वह मानव समाज की विभिन्न धार्मिकताओं और रीतिरिवाजों को प्रश्नचिन्ह करता है। पीके के संवाद और उसकी अनोखी पहचान उसे मानव समाज के विभिन्न धार्मिक समुदायों के संपर्क में लाते हैं, जहां उसने संवाद के माध्यम से धार्मिक अनुष्ठानों के प्रश्न उठाए। फिल्म का संदेश है कि धार्मिकता एक साधन होनी चाहिए, न कि विभाजन। यह धर्म, प्रेम और सहानुभूति के माध्यम से सभी मानवता के लिए समान है। इससे हमें धार्मिक विवादों को छोड़कर एक बराबर और समर्पित समाज बनाने की आवश्यकता की याद दिलाई जाती है। "पीके" एक अद्वितीय फिल्म है जो सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर सोचने के लिए हमें प्रेरित करती है। राजकुमार हिरानी ने इस फिल्म में अद्वितीय किरदार और रोचक कहानी को मिलाया है। आमिर खान की अद्भुत अभिनय ने फिल्म को और भी अधिक विशेष बनाया है। फिल्म में धार्मिक संवाद के माध्यम से बेहतर और समर्पित समाज की आवश्यकता को उजागर किया गया है। पीके के निर्दोष प्रश्न हमें धार्मिक अनुष्ठानों और समाजिक विचारधाराओं को पुनः विचार करने पर विचार करने के लिए मजबूर करते हैं। फिल्म का संदेश है कि हमें धार्मिकता के पीछे छोड़ने और अपने मन में सच्चाई की खोज करने की आवश्यकता है। यह एक मनोरंजन के साथ-साथ गहरे समाजिक संदेशों वाली फिल्म है जो हमें अपने विचारों को चुनौती देने के लिए प्रेरित करती है। "पीके" एक वास्तविक मनोरंजन का अनुभव है जो हमें हंसी के साथ-साथ विचार करने पर मजबूर करता है। मुझे इस फ़िल्म में कुछ बाते पसंद आई : धार्मिक और सामाजिक प्रतिष्ठाओं के पीछे की खोज: पीके की कहानी धार्मिक मतभेदों और सामाजिक अन्यायों को खोजती है और इसे प्रश्नित करती है। खुद को स्वतंत्रता से सोचने का संदेश: फिल्म में पीके का चरित्र समाज में व्याप्त मान्यताओं के खिलाफ उठने की प्रेरणा देता है। मानवता के मूल्यों का प्रचार: पीके के कार्यवाही ने मानवता, समानता, और अधिकारों के महत्व को उजागर किया। "PK" फिल्म का निष्कर्ष सामाजिक और धार्मिक संवाद के माध्यम से दर्शकों को मनोरंजन के साथ ही गहरे सोचने पर विचार करने पर आमंत्रित करता है। यह एक संवेदनशील और विचारशील कहानी है जो सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर प्रेरणा और सोच के परिवर्तन के संदेश को साझा करती है। इसका संदेश है कि हमें अपने विचारों को स्वतंत्रता से धारण करना चाहिए और समाज में सामाजिक और धार्मिक अन्यायों के खिलाफ उठने की बजाय साथ मिलकर उन्हें सुधारना चाहिए।

फ़िल्म का बजट - ८५ करोड़ इस फ़िल्म की IMBD रेटिंग - ८.१ / १०