प्रश्नोत्तर रूप में सन् १८५७ का स्वातंत्र्य समर
प्रश्नोत्तर रूप में 1857 का स्वातंत्र्य समर (स्वधर्म और स्वरा ज्य का शंखनाद) लेखक : हनुमान सिंह राठौड़ प्रकाशन तिथि : गुरु पूर्णिमा, विक्रम संवत् 2064 प्रकाशक : अ.भा. राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ शैक्षिक महासंघ सदन, 606/13, कृष्ण गली नं. 9, मौजपुर, दिल्ली-110053 दूरभाष (011) 22914799 मुद्रक : प्रीमियर प्रिन्टिंग प्रेस, जयपुर अक्षर संयोजन : पेस प्रिंटर्स, अजमेर 1955-2007
प्रकाशकीय
सम्पादन1857 के स्वातंत्र्य समर की 150 वीं वर्षगांठ पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के द्वारा करणीय कार्यों की सूची में दो कार्य निश्चित हुए। प्रथम इस विषय पर समाज के सभी वर्गों के विचारणीय प्रज्ञा पुरुषों को इसकी सम्यक जानकारी प्रदान करने के लिए जिलाश: गोष्ठियाँ आयोजित करना तथा दूसरा विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को इस विषय पर पुस्तक उपलब्ध कराकर स्पर्धात्मक भाव से विषय को समझने का अवसर देकर प्रान्तश: प्रतियोगिता आयोजित करने का लक्ष्य रखा गया। इस प्रकार का सुझाव रा.स्व.संघ के अ.भा.प्रचार प्रमुख माननीय अधीश कुमार जी ने अपने कैंसर के इलाज के दौरान हुई भेंट के समय रखा। जिसे राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने स्वीकार कर उसको क्रियान्वित कर रहे हैं। आज मा. अधीश कुमार जी अपने मध्य नहीं हैं परन्तु उनकी प्रेरणादायी स्मृति हमें सदैव स्फुरित करेगी, ऐसा विश्वास है। 1857 का स्वातंत्र्य समर भारतीय समाज की एक स्वाभाविक अभिव्यक्ति थी ऐसा कहना युक्तियुक्त होगा। 1857 के स्वातंत्र्य समर को 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सम्पूर्ण भारतीय समाज आज इसका स्मरण कर उन वीर योद्धाओं के अप्रतिम त्याग, शौर्य और बलिदान को चिरस्मरणीय बनाये रखने वाली तरूणाई के समक्ष देश, धर्म की रक्षार्थ किये गये इस महासंग्राम का एक स्वर्णिम पृष्ठ सामने हो तथा वे इसे आज़ादी के दीवानों के अतुलनीय प्रयास की गाथा को सदैव अपने पास संजो कर रखे।
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए श्री हनुमान सिंह राठौड़, व्याख्याता, कृषि ने हमारे आग्रह को स्वीकार कर अपनी अत्यधिक व्यस्तता के बावजूद '1857 का स्वातंत्र्य समर: प्रश्नोत्तर रूप में' लिखकर अतिशीघ्र हमें उपलब्ध करा दी। हम उनके इस प्रयास से अभिभूत हैं तथा उन्हें साधुवाद देते हैं।
इस पुस्तक का बहुरंगा आवरण पृष्ठ को आकल्पित करने वाले पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुरेन्द्र चतुर्वेदी हैं, उन्हें कोटिश: धन्यवाद। अजमेर के पेस प्रिन्टर्स ने प्रभावी अक्षर संयोजन किया है तथा प्रीमियर प्रिन्टर्स, जयपुर ने आकर्षक मुद्रण कर पुस्तक हमें समय पर उपलब्ध करा दी। हम इन सभी के आभारी हैं।
सुधी पाठकों के हाथों में '1857 का स्वातंत्र्य समर: प्रश्नोत्तर रूप में' पुस्तक देते हुए हमें हर्ष है। आशा है सभी को यह पुस्तक पसन्द आयेगी। देश के आज़ादी की लड़ाई में शहीद हुए हुतात्माओं की क़ुर्बानी का थोड़ा भी श्रद्धा भाव नवीन पीढ़ी को प्रदान करने में सफल होने पर ही पुस्तक की सार्थकता सिद्ध होगी। जय स्वरा य, जय स्वधर्म।
-- प्रकाशन समिति
सार वाक्
सम्पादनभारत जैसे प्राचीन राष्ट्र की सुदीर्घ ऐतिहासिक परम्परा में स्वाभाविक रूप से जय के जयमाल तो पराजय के प्रसंग भी आए हैं और पराजय को पराभूत करने की विजिगिषु वृत्ति की दृष्टि से हमारा इतिहास सतत् संघर्ष का इतिहास है। 1857 का स्वातंत्य समर भी इसी शृंखला में होने के कारण 'प्रथम' तो नहीं पर विश्व में अप्रतिम अवश्य है। इसमें लगभग तीन लाख सैनिकों व नागरिकों ने बलिदान दिया, भयंकर नरसंहार लोमहर्षक उत्पीडऩ तथा अपार धन राशि की लूटमार हुई। हजारों गाँवों को भस्मीभूत किया गया, अनेक नगर वीरान हो गए तथा किले खण्डहर बना दिए गए। सम्पूर्ण देश एक युद्घ क्षेत्र बन गया था।
हमारे राष्ट्र जीवन में 1857 का स्वातंत्र्य समर एक ऐसा प्रसंग था जब इस पुरातन राष्ट्र ने पुन: अपना तेजोमय स्वरूप विश्व के सामने प्रकट किया। 'यत्र द्रुमोनास्ति तत्रऽरंडो द्रुमायते' की उक्ति के अनुसार जहाँ अनेक देश इतिहास की अपनी छोटी से छोटी घटना में प्रेरणा का उत्स ढूँढकर महिमा मंडन करते हैं, वहाँ अपने यहाँ, अंग्रेजों का 1857 के स्वातंत्र्य समर पर लिखने का दृष्टिकोण तो क्षम्य है, मार्क्स-मैकाले पुत्रों ने इस प्रसंग को महत्वहीन बनाने की पूरी कोशिश की-
- यह सिपाही विद्रोह था
- अकस्मात् और बिना किसी योजना के चर्बी वाले कारतूसों के कारण हुआ।
- विद्राह केवल उत्तर भारत में हुआ।
- कुछ रजवाड़े ही विद्रोह में शामिल हुए जो रा य छिन जाने के कारण असंतुष्ट थे।
- मुस्लिम समाज फिर से भारत में शासन प्राप्त करने के लिए इस समर में सहभागी हुआ; आदि
अनेक प्रकार से साहित्यिक-ऐतिहासिक वामाचार किया गया। 1857 के उस महासमर की 150 वीं वर्षगाँठ ने हमें उक्त भ्रम एवं विसंगतियों के परिमार्जन तथा अपने गौरवमयी इतिहास एवं इतिहास-पुरुषों के स्मरण का अवसर प्रदान किया है। अपनी मातृभूमि पर अवैध रूप से कब्जा जमाए बैठे विदेशी अंग्रेजों के विरुद्घ उठ खड़ा होना 'विद्रोह' कैसे हो गया? विदेशी को बाहर निकालने का प्रयत्न तो स्वतंत्रता संग्राम ही कहलाएगा चाहे इसका प्रारम्भ एक जवान करे या किसान, नृप करे या फकीर। कुछ लोग प्रश्न करते हैं कि मुस्लिम भी तो इस देश में विदेशी थे और अपनी खोई सत्ता को पुन: प्राप्त करने के लिए हिन्दुओं को साथ रखना चाहते थे, अत: उनकी भाषा, शब्दावली, दृष्टिकोण में कृत्रिम परिवर्तन आया। परन्तु इसका सकारात्मक पक्ष भी था - ठ्ठ मुस्लिमों के मन में हिन्दुओं एवं उनकी परम्पराओं एवं अपने मूल पूर्वजों के प्रति अनुकूल परिवर्तन आया। वह एक सुखद अवसर था जब जिहाद और जाजिया के बल पर मजहब का झंडा लेकर चलने वाले राष्ट्रीयता का पैगाम और शहादत की प्रेरणा लेकर भारतीय होने का गर्व महसूस करने की प्रक्रिया में स्वप्रेरणा से गुजर रहे थे। 1857 में पहली बार भारत की राष्ट्रीयता के अखिल भारतीय सांस्कृतिक आधार के प्रति उन्होंने समर्पण के भाव को प्रत्यक्ष रूप से दिखाया था। इसका एक उदाहरण दिल्ली से प्रकाशित 'पयामे आजादी' के पहले अंक (8 फरवरी 1857) में प्रकाशित गीत है। इसकी कुछ पंक्तियाँ दृष्टव्य हैं -
आज शहीदों ने है तुमको अहले वतन ललकारा।
तोड़ो गुलामी की जंजीरें, बरसाओ अंगारा॥
- रुहेलखंड में जारी स्वाधीनता के घोषणा पत्र में 'गौ माता' शब्द का प्रयोग
प्रतिष्ठित रूप में किया गया।
- उस समय के लब्ध प्रतिष्ठित मुस्लिम नेताओं ने अपने भाषणों, लेखों व घोषणाओं
में भारत को 'मादरे वतन' (मातृभूमि) कहा है। सह अस्तित्व व अतुष्टिकारक सहयोग के उदाहरण उपलब्ध हैं। बाद के समय में मुस्लिम तुष्टीकरण ही देश विभाजन का कारण बना था।
- बहादुर शाह जफर ने स्वयं हाथी पर बैठकर गौ हत्या बंदी की मुनादी करवाई थी
तथा उल्लंघन करने वाले को मृत्युदंड या हाथ-पैर काटने की सजा का प्रावधान किया था।
- अवध में स्वातंत्र्य समर के मुस्लिम नायकों ने मौलवी अहमद शाह की प्रेरणा से
घोषणा की थी कि श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मन्िदर बनना चाहिए। उक्त समझौता करने वाले अयोध्या के बाबा रामचरण दास और अमीर अली को अंग्रेजों ने फाँसी दे दी।
- दिल्ली को भारतीय राजनीति का केन्द्र मानने के कारण लोगों की श्रद्घा का वह
स्वाभाविक केन्द्र था इसलिए बहादुर शाह को दिल्ली सम्राट के नाते नेतृत्व दिया था, मुगल सम्राट के नाते नहीं। बहादुर शाह की यह घोषणा दृष्टव्य है -
मेरे शासन के स्थान पर जो भी व्यक्ति भारत को स्वरा य और स्वाधीनता प्रदान कराने के लिए संकल्पबद्घ हो मैं उसको ही सम्राट पद समर्पित कर देने के लिए सहर्ष सिद्घ हूँ। (1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर : वीर सावरकर; पृष्ठ 311)
बहादुर शाह जफर ने अपने हाथों से ही राजपुताने के राजाओं को पत्रों में लिखा - मेरी यह उत्कट अभिलाषा है कि अंग्रेजों की दासता की श्रंखला टूक-टूक होते (६) (७) देखूँ। .....यदि आप सब शासनाधिपतिगण स्वदेश की स्वतंत्रता के लिए किए जाने वाले इस युद्घ में अपनी तलवारें हाथों में सम्भालकर आगे आने को तैयार हों तो मैं स्वेछा और प्रसन्नता सहित अपने सम्पूर्ण अधिकार ऐसे किसी भी रा यमंडल को समर्पित कर दूँगा और ऐसा करने में मुझे आनन्द भी प्राप्त होगा। (मेटकाफ कृत 'टू नेटिव नेरेटिव्ह्स; पृ. 226')
चर्बी वाले कारतूसों के कारण क्रान्ति का समय पूर्व अकस्मात् विस्फोट अवश्य हो गया किन्तु क्रान्ति का यही एकमात्र कारण नहीं था बल्कि यह तो क्रान्ति की विफलता का कारण बना। इस समय पूर्व विस्फोट से अंग्रेजों को सम्भलने का अवसर मिल गया। क्रान्ति केवल उत्तर भारत तक सीमित नहीं थी। गौमुख में उत्स पर जो गंगा की धारा क्षीण होती है वही मैदान में आकर विशालकाय हो जाती है, उसी प्रकार स्वातंत्र्य समर का प्रारम्भ उत्तर भारत में होगा पर इसका व्याप अखिल भारतीय था। दक्षिण भारत में स्वतंत्रता संग्राम की व्यापकता डॉ. वा.द. दिवेकर की शोध पूर्ण पुस्तक 'साउथ इंडिया इन 1857 : वार ऑफ इन्िडपेंडेंस' के अध्ययन से स्पष्ट है। 1857 में अंडमान में निर्वासित 800 लोगों में से 250 से अधिक दक्षिण भारत के थे। बंगाल, मुम्बई तथा मद्रास में कोर्ट मार्शल की कुल संख्या क्रमश: 1954, 1213 तथा 1044 थी। यह संख्या ही अखिल भारतीय व्याप तथा क्रान्ति की समान तीव्रता को बताने के लिए पर्याप्त है। पंजाब का 'ब्लैक होल' कहलाने वाले अजनाला की घटना कौन विस्मरण कर सकता है? पंजाब की तत्कालीन शासकीय रिपोर्टों से ज्ञात होता है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 386 क्रान्तिकारियों को फाँसी दी गई, 2000 लोग मारे गए व अनेक बंदी बनाए गए। यह उस पंजाब का वृत्त है जिसके लिए कहा जाता है कि 1857 में पंजाब निर्लिप्त रहा। यह भी असत्य है कि इस युद्घ में वे ही रजवाड़े शामिल हुए जिनके रा य अंग्रेजों ने अधिग्रहित कर लिए थे। युद्घ में ये भी थे पर ये ही शामिल नहीं थे। ग्वालियर और टोंक के शासक युद्घ के विरोध में थे पर दोनों स्थानों की जनता व सेना ने तात्या टोपे का साथ दिया। जगदीशपुर के कुँवर सिंह, रूइया गढ़ी के नरपत सिंह, आउवा के ठाकुर कुशाल सिंह का तो अंग्रेजों से रा य का झगड़ा नहीं था। जोधपुर सेना के सेनापति अनाड़ सिंह की युद्घ में मृत्यु पर शोक स्वरूप 'नौबत' नहीं बजी पर पॉलिटिकल एजेंट मैसन के मारे जाने पर 'नौबत' बजाना स्थगित नहीं किया। यह निर्णय उस जोधपुर नरेश का है जिसे अंग्रेज समर्थक माना जाता है।
स्वातंत्र्य युद्घ का वास्तविक कारण क्या था? वीर सावरकर के शब्दों में राम- रावण संघर्ष में सीता हरण भी तो निमित्त मात्र ही था उसी प्रकार उत्तराधिकार कानून, देशी रा यों का अधिग्रहण, चर्बी लगे कारतूस, आर्थिक शोषण आदि तो निमित्त कारण थे। वस्तुत: 1857 के इस स्वातंत्र्य संग्राम को प्रदीप्त करने वाले दिव्य तत्व थे - स्वधर्म व स्वराज् य। स्वामी विवेकानन्द ने कहा है - भारत के राष्ट्रीय जीवन का मूलाधार धर्म है। यदि कहीं तुमने इस मर्मस्थल को छेड़ दिया, तो सावधान! तुम सर्वनाश को निमंत्रण दे दोगे। 1813 ई. में ब्रिटिश संसद में सरकारी स्तर पर भारत में ईसाई मत के प्रचार का कानून बनाकर अंग्रेजों ने भारत की इस सनातन चेतावनी को नजर अंदाज किया था और इसी का एक अवश्यम्भावी परिणाम 1857 की क्रान्ति था। 1850 तक भारत के 260 प्रमुख स्थानों पर अड्डे बनाकर ईसाईकरण के लिए लगभग एक हजार पादरी सक्रिय थे। सैनिक छावनियों में उा पद व वेतन पर पादरी रखे हुए थे। बैरकपुर छावनी के कर्नल ह्वीलर जैसे अंग्रेज सैन्य अधिकारी भी इस कार्य में लगे थे। मेजर एडवर्ड ने अपनी डायरी में लिखा है
- भारत पर हमारे अधिकार का अन्तिम उद्देश्य देश को ईसाई बनाना है।
दिल्ली के सम्राट ने जो घोषणा पत्र प्रस्तुत किया था उससे क्रान्ति की मूल प्रेरणा का बोध होता है -
'हे हिन्दभूमि के सपूतों, यदि हम संकल्प कर लेंगे तो शत्रु को क्षण भर में नष्ट कर सकते हैं। हम शत्रुओं का नाश कर अपने प्राण प्रिय धर्म एवं स्वदेश को पूर्णरूपेण भयमुक्त कर लेने में सफलता प्राप्त कर लेंगे।' (लेकी कृत 'फिक्शन एक्सपो ड')
स्वधर्म के अभाव में स्वरा य भी त्या य है और स्वरा य के न होने पर स्वधर्म भी बलहीन होता है। स्वरा य और स्वधर्म के साधन और साध्य का यह तत्व 1857 ई. के इस क्रान्ति युद्घ में भी अभिव्यक्त हुआ था। समर्थ गुरू रामदास ने मराठों को यही आह्वान दिया था -
धर्मासाठी मरावें। मरोनी अवध्यांसि मारावें।
मारिता मारिता ध्यावें। रा य आपुले॥"
(अपने धर्म के लिए प्राण दो। अपने धर्म के लिए शत्रुओं का वध करो, अन्तिम साँस तक इसी प्रकार युद्घ करो और स्वरा य की स्थापना करो)
इस स्वाधीनता संग्राम में पहली बार भारतीय समाज को बाँटने वाले तीन कारण - मजहब, जाति और वर्ग - तिरोहित हो गए थे। यह ऐसा विलक्षण संग्राम था जिसने सम्पूर्ण भारत को जगाया। कार्ल माक्र्स ने 1857 की घटनाओं पर उसी समय 'न्यूयॉर्क डेली ट्रिब्यून' में अपने लेखों में सिद्घ किया है कि अंग्रेजी अत्याचारों के कारण सम्पूर्ण भारत बारुद के ढेर पर बैठा हुआ था तथा 1857 भारत का स्वाधीनता संग्राम था। वीर सावरकर ने 1907 में ब्रिटिश दस्तावेजों के आधार पर ही '1857 च्या स्वातंत्र्य समरांचा इतिहास' नामक कालजयी ग्रंथ लिखकर उक्त तथ्यों की पुष्टि की।
1857 का स्वातंत्र्य समर आकस्मिक घटना न होकर एक कुशल योजना तथा संगठन का उदाहरण है। यह आश्चर्यजनक है कि इस योजना का एक भी मुखबिर अंग्रेजों को नहीं मिला। मृत्यु भय या प्रलोभन से एक भी क्रान्ति सैनिक नहीं टूटा। क्रान्ति के मूल कल्पक कौन थे? इस दृष्टि से विचार करने पर दो नाम ध्यान में आते हैं - रंगो बापू जी गुप्ते और अजीमुल्ला खाँ। रंगो बापू जी गुप्ते छत्रपति शिवाजी के वंशज, सतारा के अपदस्थ शासक प्रताप सिंह के वकील के रूप में 1840 में इंग्लैंड गए (८) (९) थे तथा 14 वर्ष तक वहाँ रहे। वे अपने मूल कार्य में तो सफलता नहीं पा सके पर अंग्रेजों की रीति-नीति व कुटिलता का सहज अध्ययन हो गया। इसी में से यह विचार पुष्ट हुआ कि अंग्रेज विनय की भाषा नहीं समझते, इनसे मुक्ति का संगठित सशस्त्र उपाय आवश्यक है। 1854 में नाना साहब पेशवा का पक्ष रखने के लिए अजीमुल्ला खाँ इंग्लैंड गए। उनको भी अंग्रेजों की कपट-नीति का ही साक्षात्कार हुआ। राजनीति के इन दो धुरंधरों की लंदन में मुलाकात हुई तो 1857 के स्वातंत्र्य समर का बीज-वपन हो गया।
भारत आने के बाद आधुनिक चाणक्य रंगो बापू जी गुप्ते ने चन्द्रगुप्त की तलाश प्रारम्भ की तो उनकी नजर नाना साहब पेशवा पर टिकी। रंगो बापू जी गुप्ते साधुवेश में तात्या टोपे के साथ नाना साहब से मिले। तब तक रूस आदि देशों से सहायता का आश्वासन लेकर अजीमुल्ला खाँ भी भारत आ गए। तीर्थाटन के बहाने पूरे देश में विचार विमर्श हुआ और अन्तत: क्रान्ति के लिए 31 मई की तिथि तय की। इस योजना की स्तम्भित करने वाली बातें क्या हैं? -
- इतने बड़े और विविधताओं से भरे देश में गुप्त रूप से क्रान्ति का संदेश कैसे
पहुँचाया गया? क्रान्ति के योजनाकारों के पास अंग्रेजों की तरह तो टेलीग्राफ व्यवस्था नहीं थी।
- इतनी व्यापक व विराट योजना का अंग्रेजों को अन्त तक पता नहीं लग पाया।
मेरठ में 10 मई को हुए विस्फोट के बाद ही अंग्रेज कुछ जान पाए।
वास्तव में क्रान्ति की रचना कई चरणों में हुई थी -
- धन की प्रारम्भिक आवश्यकता पूर्ति के लिए नाना साहब ने इंग्लैंड की
बैंक में जमा अपने पाँच लाख पौंड दो वर्ष की अवधि में धीरे-धीरे निकाल लिए।
- दूसरे चरण में समाज में स्वाधीन होने की इछा जगाने के लिए व्यापक
जन-जागरण अभियान साधु-फकीरों के माध्यम से।
- रियासतों के प्रमुखों को सहभागी बनाने के लिए व्यक्तिश: सम्पर्क व पत्र
व्यवहार तीसरा चरण था।
- अंग्रेजी सेना के भारतीय सैनिकों में स्वतंत्रता की आकांक्षा उत्पन्न करना।
- अंग्रेजों व रियासतों की सम्पूर्ण जानकारी के लिए गुप्तचर संगठन की रचना।
- उपरोक्त रचना पूर्ण होने पर प्राप्त सूचनाओं के आधार पर क्रान्ति की अन्तिम
तिथि तय करना।
तीर्थाटन, रक्त-कमल और रोटी, साधुओं-फकीरों का प्रवास, विशेष गूढ़ार्थ वाले आल्हा और पवाड़े गायन के आयोजन आदि अनेक तरीके इस क्रान्ति की तैयारी में अपनाए गए और अत्यन्त सोच-विचार कर 31 मई की तिथि तय की गई। 31 मई की तिथि क्यों तय की गई? -
- इंग्लैंड ईरान से युद्घरत था तथा चीन से युद्घ की सम्भावना के तहत वहाँ सेना
भेजने की तैयारी हो रही थी। रूस-तुर्की युद्घ में इंग्लैंड को अपार जन-धन हानि हुई थी।
- अजीमुल्ला खाँ रूस से सहायता का आश्वासन लेकर आए थे।
- मई में भीषण गर्मी पड़ती है और 31 मई के बाद युद्घ जून तक चलता। अंग्रेज इस
गर्मी को सहन नहीं कर सकते थे।
- 31 मई को रविवार के कारण अंग्रेज चर्च जाते हैं और छुट्टी की मानसिकता में
रहते हैं अत: उनकी असावधानी का लाभ उठाना।
अत्यन्त सुनियोजित पर दुर्भाग्य से समय पूर्व हुई क्रान्ति, परिणाम की दृष्टि से स्थूल रूप से असफल रही। इसकी असफलता के कारणों में पंजाब, राजस्थान, ग्वालियर जैसी अनेकों रियासतों के शासकों का असहयोग, उत्कृष्ट शस्त्रास्त्रों की कमी, कमजोर व वृद्घ नेतृत्वकर्ता बहादुर शाह जफर का चयन, विद्रोही सैनिकों में अनुशासनहीनता, विश्व में अंग्रेजों की अनुकूल स्थिति होना आदि गिना सकते हैं। किन्तु सफलता प्राप्ति पर यही सब कारण गौण हो जाते। मूल रूप से असमय विस्फोट से अंग्रेजों को सम्भलने का मौका मिल गया और हमारी सद्गुण विकृति का अंग्रेजों ने लाभ उठाया। क्रान्ति सैनिकों ने प्रत्येक छावनी से अंग्रेज अधिकारियों को सकुशल जाने ही नहीं दिया बल्कि कई जगह तो पहुँचाने की व्यवस्था की, मार्ग में उन्हें शरण ही नहीं दी बल्कि सब प्रकार से सहायता की। यदि दुश्मन को प्रत्येक ग्राम-नगर में घ्ोरकर मार दिया होता तो पुन: उन्हीं के हाथों पराजय का दुर्दिन नहीं देखना पड़ता। अंग्रेजों ने अपना अवसर आने पर यह दयालुता नहीं दिखाई। मोंटगोमरी मार्टिन 'बोम्बे टेलीग्राफ' में लिखता है - (दिल्ली के) एक-एक मकान में चालीस-चालीस, पचास-पचास आदमी छिपे हुए थे। ये लोग विद्रोही न थे बल्कि नगर निवासी थे, जिन्हें हमारी दयालुता और क्षमाशीलता पर विश्वास था। मुझे खुशी है कि उनका भ्रम दूर हो गया।
दिल्ली के बाशिन्दों के कत्लेआम का खुला ऐलान कर दिया गया, यद्यपि हम जानते थे कि उनमें से बहुत से हमारी विजय चाहते थे।
(ञ्जद्धद्ग ष्टद्धड्डश्चद्यड्डद्बठ्ठ'ह्य ठ्ठड्डह्म्ह्म्ड्डह्लद्ब1द्ग शद्घ ह्लद्धद्ग स्द्बद्गद्दद्ग शद्घ ष्ठद्गद्यद्धद्ब, ह्नह्वशह्लद्गस्र ड्ढ4 ्यड्ड4द्ग.)
जय हो या पराजय, परिणाम प्रत्येक अवस्था में होता है। इस स्वतंत्रता संग्राम का भी हुआ - अंग्रेजों पर, हम पर, विश्व पर। इस समर के ही परिणाम स्वरूप ईस्ट इंडिया कम्पनी के शासन की समाप्ति हुई और भारतीय प्रशासन ब्रिटिश क्राउन के अधीन आया - गवर्नर जनरल वायसरॉय हो गया। 1861 की पील कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार सेना में ब्रिटिश सैनिकों की संख्या बढ़ा दी तथा तोपखाने से भारतीय सैनिक हटा दिए गए। हिन्दू- मुस्लिम वैमनस्य को जन्म देने वाली नीतियों को प्रश्रय दे अन्तत: देश विभाजन की विभीषिका तक पहुँचाया, अपनी विस्तारवादी नीति को तीव्र आर्थिक शोषण की ओर मोड़ा। भारत की दृष्टि से इस क्रान्ति का क्या प्रभाव हुआ? मध्यकाल में स्थानीय नेतृत्व (१०) (११) व छोटे रा यों के कारण अखिल भारतीय भाव का लोप हो रहा था। इस समर के कारण नाना साहब पेशवा, तात्या टोपे, महारानी लक्ष्मीबाई, रंगोबापू जी गुप्ते, अजीमुल्ला खाँ, बहादुर शाह जफर, वीर कुँवर सिंह, मौलवी अहमद शाह जैसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान वाले प्रेरक चरित्र सामने आए। इस प्रकार से अंग्रेजों के विरुद्घ प्रथम बार स्वतंत्रता के राष्ट्रीय आन्दोलन का सूत्रपात हुआ। इसी को ध्यान में रखकर वीर सावरकर ने जो पुस्तक लिखी वह बाद के क्रान्तिकारियों के लिए क्रान्ति-गीता बन गई। चाहे संत रामसिंह कूका हो या वासुदेव बलवन्त फड़के, लाला हरदयाल हो चाहे रासबिहारी बोस, भगतसिंह हो या चन्द्रशेखर आजाद, सभी 1857 के स्वातंत्र्य समर से ही प्रेरणा लेकर आत्म बलिदान के पथ पर अग्रसर हुए।
भारत के 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों में भी स्वतंत्र होने की ललक पैदा हुई थी। कई देशों के शासक मजबूरी में, कठोर ब्रिटिश अंकुश के कारण, अंग्रेजों के साथ सहयोग एवं मित्रता दिखा रहे थे परन्तु वहाँ की जनता की भारतीय क्रान्तिकारियों से सहानुभूति थी और उनसे सहायता भी प्राप्त हो रही थी। उदाहरणार्थ नेपाल के राणा ईस्ट इंडिया कम्पनी से बँधे थे पर नाना साहब से उनका पत्र व्यवहार था तथा हजरत महल व नाना साहब नेपाल में सुरक्षित रहे थे। उत्तर-पश्चिम में वहाबियों ने आन्दोलन चला रखा था। अफगान कबीले अंग्रेजों के विरुद्घ वहाबियों की मदद कर रहे थे। तिब्बत तथा भूटान में भी अंग्रेजों के प्रति असंतोष दिखाई देता था। वस्तुत: 1857 के स्वातंत्र्य समर के आलोक में इन सब देशों की स्थिति तथा मानसिकता के सन्दर्भ में खोज की आवश्यकता है।
1857 की 150 वीं वर्षगाँठ पर हमें एक और दृष्टि से भी विचार करना चाहिए। दुर्भाग्य से स्वतंत्रता के बाद राजनीतिक स्तर पर दुष्चक्र रचकर पाठ्यपुस्तकों व समाचार माध्यमों से इस प्रकार का सुनियोजित वातावरण बनाने का प्रयत्न हुआ है कि आजादी के वास्तविक प्रयत्न तो ए.ओ. ह्यूम द्वारा गठित कांग्रेस संगठन के बाद ही हुए तथा स्वतंत्रता 'बिना खड्ग, बिना ढाल' मिली है। स्वतंत्रता संग्राम के समस्त प्रयत्नों का ोय एक परिवार को प्रदान करने का यह षड्यंत्र है।
सन् 1857 के बाद तुष्टिकरण का जो खेल अंग्रेजों ने प्रारम्भ किया था, यहाँ के तथाकथित सेकुलर नेता उनके दुष्चक्र में फँसते गए और राजनीतिक स्वार्थवश वह खेल भारत विभाजन के बाद भी अभी तक रुका नहीं है। 1857 के अनुभव से साम्रा यवादी अंग्रेजों ने मुसलमानों को राष्ट्रीयता किंवा हिन्दुत्व के सांस्कृतिक प्रवाह से पृथक रखने के लिए हिन्दू हित और मुस्लिम हित के बीच भेद करना शुरु किया था। इसीलिए 1871 में हंटर कमीशन बनाया गया, जिसने मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक आवश्यकताओं एवं हितों को राष्ट्रीय हितों से अलग स्थापित किया। यह भारत के विभाजन का प्रथम आधार बना दस्तावेज था जिसका उपयोग अलगाववादी 1947 तक करते रहे। दुर्भाग्य से, 1857 की 150 वीं जयन्ती पर हम अपने देश में उसी साम्रा यवादी व्यवहार एवं नीतियों का संचार होता देख रहे हैं। आज हंटर की जगह सार कमेटी बन गई है। इसके निष्कर्ष, दार्शनिक आधार और मान्यताएँ वही हैं जो हंटर कमीशन की थीं। अत: स्वातंत्र्य समर की 150 वीं जयन्ती पर हमें राष्ट्र की दशा एवं दिशा पर, हमारी नीतियों एवं नतीजों पर विचार करना ही चाहिए।
स्वातंत्र्य समर की 150 वीं वर्षगाँठ का यह अवसर आज की युवा पीढ़ी को यह बताने में उपयोगी हो सकता है कि हमारे क्रान्ति धर्मा पूर्वजों ने स्वतंत्रता की क्या कीमत चुकाई है। दुर्भाग्य से, प्रेरणा के अभाव में, आज की युवा पीढ़ी भँड-नचैया और डाँड- खिलैयाओं को अपना नायक (हीरो) बना बैठी है। उन्हें अपने राष्ट्र पुरुषों की बलिदानी परम्परा का स्मरण करवाकर उनकी तेजस्विता जगाने का कार्य इस अवसर पर किया जा सकता है।
भारतीय इतिहास के एक उ वल स्वर्णिम पृष्ठ 'सन् सत्तावन' पर एक सौ पचासवें वर्ष में दृष्टिपात करते समय उपरोक्त सभी बिन्दुओं को हमें याद रखना चाहिए। इस महासमर की अनेक बातें अभी जनश्रुतियों में हैं तथा अनेक तयों की शोधपूर्ण गवेषणा अपेक्षित है। अभी तक ज्ञात तयों का सिंहावलोकन करते हुए 'स्वातंत्र्य मन्िदर' में प्रतिष्ठापित राष्ट्र पुरुषों की स्मृति-मूर्ति की परिक्रमा का प्रयत्न मात्र इस पुस्तिका में हुआ है। पुस्तिका का उद्देश्य विस्तृत अध्ययन हेतु उत्प्रेरक का कार्य करना मात्र है। न यह पुस्तक अभिकारक है, न उत्पाद। अभिकारक इस पुस्तक के अध्येता हैं, पुस्तक सकारात्मक समांगी उत्प्रेरक है और उत्पाद हमारे युग नायकों के प्रति हृदय में श्रद्घा भाव का जागरण है। पुस्तक शुष्क प्रश्नोत्तरी नहीं है। शैली ही प्रश्नोत्तर की है। प्रश्नों से भी कई प्रश्न उपस्थित किए जा सकते हैं। प्रश्नों में प्रश्न उलझाए भी जा सकते हैं और प्रश्नों से प्रश्न सुलझाए भी जा सकते हैं। प्रश्न अपने आप में एक तय का वक्तव्य है अत: लगेगा उत्तर तो वस्तुनिष्ठ है और सामान्य व्यवहार के विपरीत प्रश्न उससे कई गुना बड़ा है। किन्तु यह जानबूझकर किया गया है ताकि प्रश्नों के माध्यम से कुछ ऐतिहासिक घटनाओं का बोध भी हो जाए और प्रज्ञा-स्फुरण हित सही उत्तर का शोध भी हो जाए। आशा है प्रश्नोत्तरी का यह नवीन प्रकार आपको रोचक व प्रेरक लगेगा। आपके आज के सुझाव पुस्तिका के भविष्य में परिमार्जन के आधार बनेंगे।
काल रात्रि व्यतीत हुई अब
उतिष्ठ! नव प्रयाण करें हम
क्षत आँचल को फिर से सँवरें
आओ, नव निर्माण करें हम॥
- हनुमान सिंह राठौड़
(१२) (१३)
प्रश्नोत्तरी १ से १००
सम्पादन1. 1857 की क्रान्ति 'स्वातंत्र्य समर' था, इस तय से हमारे इतिहास की किस
विशेषता का बोध होता है?
उ. सतत् संघर्ष का इतिहास।
2. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' पुस्तक के लेखक का नाम बताइये।
उ. स्वातंत्र्य वीर सावरकर।
3. वीर सावरकर का पूरा नाम बताइये।
उ. श्री विनायक दामोदर सावरकर।
4. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' पुस्तक के साथ प्रकाशन क्षेत्र में विश्व
की कौनसी विलक्षण घटना जुड़ी हुई है?
उ. प्रकाशन पूर्व ही जब्ती के आदेश।
5. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' पुस्तक की रचना तिथि बताइये।
उ. 10 मई 1907।
6. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' पुस्तक की मूल पांडुलिपि किस
भाषा में थी?
उ. मराठी।
7. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' पुस्तक को क्रान्तिकारियों ने क्या
विशेषण दिया?
उ. क्रान्ति की गीता।
8. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' ग्रंथ किस स्थान पर लिखा गया था?
उ. लंदन।
9. 'जिस राष्ट्र को अपने अतीत के सम्बन्ध में ही वास्तविक ज्ञान न हो, उसका
कोई भविष्य भी नहीं होता।' यह उद्घरण '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर'
पुस्तक के किस प्रकरण से लिया है?
उ. प्रथम संस्करण की भूमिका।
10. 'तलवार' नामक पत्र का प्रकाशन किस संगठन द्वारा होता था?
उ. अभिनव भारत।
11. 'तलवार' नामक पत्र का प्रकाशन किस स्थान से होता था?
उ. पेरिस।
12. वीर सावरकर के 'तलवार' नामक पत्र में लिखे लेख का विषय क्या था?
उ. ग्रन्थ लेखन का उद्देश्य बताना।
13. वीर सावरकर अपने ग्रन्थ के कुछ अध्यायों का अंग्रेजी अनुवाद अपने
भाषणों के माध्यम से रखते थे। यह बैठकें किस संगठन की होती थीं?
उ. फ्री इंडिया सोसायटी।
14. प्रतिबंध की अवस्था में भी '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' ग्रन्थ
सर्वप्रथम कहाँ से प्रकाशित हुआ?
उ. हॉलैंड से।
15. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' ग्रन्थ सर्वप्रथम किस भाषा में प्रकाशित
हुआ?
उ. इंग्िलश।
16. प्रतिबंध काल में गुप्त रूप से '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' पुस्तकों
का बक्सा भारत लाने वाले व्यक्ित का नाम बताइये जो बाद में पंजाब के
प्रधानमंत्री भी रहे।
उ. सर सिकन्दर हयात खाँ।
17. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' पुस्तक की मूल पांडुलिपि 'जेवर
बैंक ऑफ पेरिस' में किसने सुरक्षित रखी?
उ. मैडम कामा।
18. प्रथम विश्व युद्घ में फ्रांस को असुरक्षित जानकर '1857 का भारतीय
स्वातंत्र्य समर' पुस्तक की मूल पांडुलिपि अमेरिका कौन ले गये?
उ. गोवा निवासी डॉ. कुटिनो।
19. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' पुस्तक से विधिवत प्रतिबंध किस सन्
में हटा?
उ. 1945 में।
20. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' ग्रन्थ का तृतीय अंग्रेजी संस्करण 1929
में गुप्त रूप से किस क्रान्तिकारी ने करवाया?
उ. सरदार भगतसिंह ने।
21. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' ग्रन्थ में लेखक की जगह क्या लिखा
रहता था?
उ. एन इंिडयन नेशनलिस्ट।
(१४) (१५)
22. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' के सन् 1929 के तृतीय अंग्रेजी संस्करण
की क्या विशेषता थी?
उ. सर्वप्रथम लेखक के रूप में वीर सावरकर का नामोल्लेख।
23. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' ग्रन्थ के प्रथम खंड से एक प्रसिद्घ
नारा सुभाषचन्द्र बोस ने दिया। वह नारा बताइये।
उ. दिल्ली चलो।
24. '1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर' ग्रन्थ का प्रारम्भ जिन सन्त के पद्य से
होता है, उनका नाम बताइये।
उ. समर्थ गुरू रामदास।
25. 'क्रान्ति का अर्थ ही है मानव जाति के ऐतिहासिक जीवन की पुनव्र्यवस्था'
यह परिभाषा देने वाले प्रसिद्घ क्रान्तिकारी का नाम बताइये।
उ. मैजिनी।
26. 'चर्बी वाले कारतूस और अवध के सिंहासन का हड़पा जाना तो क्रान्ति के अस्थाई और निमित्त कारण थे।' इसे समझाने के लिए वीर सावरकर ने क्या उपमा दी?
उ. राम-रावण संघर्ष में सीता हरण तो निमित्त मात्र है।
27. वस्तुत: 1857 के स्वातंत्र्य संग्राम को प्रदीप्त करने वाले दिव्य तत्व क्या थे?
उ. स्वधर्म व स्वरा
य।
28. 'हम शत्रुओं का नाश कर अपने प्राण प्रिय धर्म एवं स्वदेश को पूर्णरूपेण
भयमुक्त कर लेने में सफलता प्राप्त कर लेंगे' दिल्ली सम्राट की इस घोषणा
का उद्घरण किस पुस्तक में मिलता है?
उ. फिक्शन एक्सपोज्
ड।
29. 'यह (क्रान्ति) तो भारत पर आंग्ल सत्ता के विरुद्घ सैनिक कठिनाइयों,
राष्ट्रीय घृणा और धार्मिक कट्टरता का संयुक्त उभार था।' यह आकलन किस
प्रसिद्घ इतिहासकार का है?
उ. जस्टिन मैकार्थी का।
30. 'जिस दिन अंग्रेजों ने इस हिन्दू भूमि पर अपनी दासता का पाश लादने के
लिए राक्षस सरीखा धावा बोला, उसी दिन हिन्दुओं और अंग्रेजों में होने वाले
युद्घ का भी निश्चय हो गया था।' उसका आरम्भ कैसे होगा? यह जिस
व्यक्ति के कारण निर्धारित हुआ उसका नाम बताइये।
उ. लॉर्ड डलहौजी।
31. अंग्रेज इतिहासकारों ने 'साम्रा
य निर्माता' की संज्ञा किसे दी है?
उ. डलहौजी को।
32. 'मैं भारत की भूमि को सपाट करके रख दूँगा।' यह साम्रा
यवादी गर्वोक्ति
किसने की थी?
उ. लॉर्ड डलहौजी ने।
33. महाराजा रणजीत सिंह के नाबालिग पुत्र का नाम बताइये जिसे अंग्रेजों ने
ईसाई बना दिया?
उ. दिलीप सिंह।
34. '....... उसे बंगाल की सेना के एक सहायक कर्मचारी की देखरेख में रखा
गया, जिसके निर्देशन में सिख राजकुमार का विकास एक भद्र ईसाई, एक
अंग्रेज दरबारी के रूप में हुआ।' अंग्रेजों की इस कुटिल नीति को उजागर
करने वाले इतिहासकार का नाम बताइये।
उ. केयी।
35. 1825 में कोटा तथा 1837 में ओरछा नरेश को दत्तक पुत्र की अनुमति दी
पर 1848 में औरस पुत्र उत्तराधिकारी न होने के आधार पर अंग्रेजों ने किस
रा
य को हड़प लिया?
उ. सतारा।
36. वैध उत्तराधिकारी के अभाव में अंग्रेजों की रा
य हड़प नीति का विरोध
करने इंग्लैंड जाने वाले मराठा का नाम बताइये।
उ. रंगो बापू जी गुप्ते।
37. 1826 में 'सतत् मैत्री' की संधि ईस्ट इंडिया कम्पनीऔर नागपुर के जिस
शासक के बीच हुई उनका नाम बताइये।
उ. रघोजी भोंसले।
38. डलहौजी ने 'सतत् मैत्री' संधि का उल्लंघन कर किस सन् में नागपुर को
हड़प लिया?
उ. सन् 1853 ई. में।
39. नाना साहब पेशवा के जन्म स्थान का नाम बताइये।
उ. वेणु ग्राम।
40. नाना साहब पेशवा की माता का नाम बताइये।
उ. गंगा बाई।
(१६) (१७)
41. नाना साहब पेशवा के पिता का नाम बताइये।
उ. माधवराव नारायण।
42. नाना साहब पेशवा का जन्म किस वर्ष में हुआ?
उ. सन् 1824 ई. में।
43. बाजीराव द्वितीय ने नाना साहब को अपने दत्तक पुत्र के रूप में किस दिन
को ग्रहण किया?
उ. 7 जून 1827 ई. को।
44. लक्ष्मी बाई का जन्म किस नगर में हुआ?
उ. काशी में।
45. लक्ष्मी बाई के पिताजी का नाम बताइये।
उ. मोरोपन्त तांबे।
46. लक्ष्मी बाई की माता का नाम बताइये।
उ. भागीरथी बाई।
47. लक्ष्मी बाई की जन्मतिथि बताइये।
उ. 19 नवम्बर 1835।
48. लक्ष्मी बाई का माता-पिता ने क्या नाम रखा था?
उ. मनु बाई।
49. लक्ष्मी बाई को बचपन में किस यार के नाम से बोलते थे?
उ. छबीली।
50. लक्ष्मी बाई का विवाह झांसी के किस राजा से हुआ?
उ. महाराजा गंगाधर से।
51. 'यदि यह पेंशन सदैव के लिए टिकने वाली नहीं है तो फिर इस पेंशन के
बदले में दिया गया रा
य भी सदैव के लिए तुम्हारे पास किस प्रकार रह
सकता है।' यह प्रसिद्घ वाक्य किनका है?
उ. नाना साहब पेशवा का।
52. नाना साहब ने कम्पनी सरकार के विरुद्घ लंदन में अपना पक्ष रखने के
लिए राजदूत के रूप में किसे भेजा?
उ. अजीमुल्ला खाँ को।
53. नाना साहब का निवास किस नगर में था?
उ. बिठूर में।
54. नाना साहब को प्रतिदिन अंग्रेजी समाचार पत्र पढ़कर सुनाने वाले अंग्रेज
का नाम बताइये।
उ. टॉड।
55. 1853 में अपने पति की मृत्यु के बाद लक्ष्मीबाई ने दत्तक पुत्र के रूप में
किसे ग्रहण किया?
उ. दामोदर राव को।
56. अंग्रेजों द्वारा झाँसी का अधिग्रहण करने के फैसले पर रानी ने गरजकर क्या
प्रतिक्रिया व्यक्त की?
उ. 'मैं अपनी झाँसी किसी को भी नहीं दूँगी।'
57. अंग्रेजी सेना पर प्रति वर्ष सोलह लाख रुपये खर्च देने में असमर्थ रहने पर
अंग्रेजों ने अवध के नवाब का कौनसा क्षेत्र बलात् हड़प लिया?
उ. रूहेलखंड।
58. 'मेरा यह सुदृढ़ विश्वास है कि यदि यह शिक्षा योजना सुचारू रूप से जारी
रही तो तीस वर्ष पश्चात् बंगाल में एक भी मूर्तिपूजक न रह जाएगा।' लॉर्ड
मैकाले ने यह पत्र 12 अक्टूबर 1836 को किसे लिखा था?
उ. अपनी माँ को।
59. कम्पनी सरकार के सरकारी कागज-पत्रों में भारतवासियों का उल्लेख
किस शब्द से किया जाता था?
उ. हीदन।
60. मिशनरियों ने सेना के ईसाईकरण का प्रयत्न किस उद्देश्य से प्रारम्भ किया
था?
उ. सेना को राजभक्त बनाने के लिए।
61. 'मैं निरन्तर बीस वर्ष से सिपाहियों को ईसाई बनाने के कार्य में संलग्न हूँ।
इन मूर्तिपूजकों की आत्मा एक शैतान से सुरक्षित रहे, ऐसा करना मैं अपना
सैनिक कर्त्तव्य समझता हूँ।' यह कथन किसका है?
उ. बंगाली सेना के कमांडर का।
62. अंग्रेजों द्वारा विवादास्पद कारतूस किस वर्ष से भारत में लाए जा रहे थे?
उ. 1853 से।
63. चर्बी लगे कारतूसों के कपट का सैनिकों को पता किस सन् में लगा?
उ. सन् 1857 में।
(१८) (१९)
64. कारतूसों में किन जानवरों की चर्बी का मिश्रण था?
उ. सूअर व गाय।
65. कारतूसों पर चर्बी लगाने का उल्लेख सरकारी प्रतिवेदन में सर्वप्रथम
किसने किया?
उ. कर्नल टकर ने।
66. कारतूसों पर चर्बी के उल्लेख के सरकारी प्रतिवेदन की तिथि बताइये।
उ. दिसम्बर 1853 ई.।
67. कारतूसों के लिए गाय की चर्बी आपूर्ति के लिए ठेकेदार से अनुबन्ध में
क्या दर तय हुई थी?
उ. 2 पेन्स प्रति रतल।
68. भारत में चर्बी लगे कारतूस का निर्माण कारखाना कहाँ लगाया गया?
उ. दमदम में।
69. 1857 की क्रान्ति की योजना का प्रमुख केन्द्र किस स्थान पर था?
उ. बिठूर में।
70. 1857 की क्रान्ति में सहयोग की सम्भावना तलाशने के लिए इंग्लैंड से
लौटते हुए अजीमुल्ला खाँ किन दो देशों में गए थे?
उ. रूस व तुर्की।
71. 1856 ई. के प्रारम्भ में ही भारत को युद्घ के लिए मानसिक व शारीरिक
रूप से तैयार करने का कार्य किन दो व्यक्तियों ने प्रारम्भ कर दिया था?
उ. नाना साहब व अजीमुल्ला खाँ ने।
72. काली नदी पर हुए युद्घ में पकड़े गए एक भारतीय सैनिक से पूछा -
'हमारे विरुद्घ युद्घ में उतरने का साहस तुमने कैसे किया? सिपाही ने क्या
उत्तर दिया?
उ. 'हिन्दुस्थानी सिपाही एक हो गए तो गोरा यहाँ कदापि नहीं ठहर पाएगा।'
73. मुसलमानी रा
यों विशेषकर अवध की सहायता प्राप्त करने के लिए बहादुर
शाह जफर ने कौनसा पंथ स्वीकार करने की घोषणा की थी?
उ. शिया पंथ।
74. नाना साहब के पत्र के जवाब में सेना व धन से सहायता का आश्वासन देने
वाले जम्मू-कश्मीर के महाराजा का नाम बताइये।
उ. महाराजा गुलाब सिंह।
75. 'राजमहलों के द्वारों के समीप बैठकर मुगल तथा अन्य लोग स्वातंत्र्य युद्घ
के सम्बन्ध में परामर्श किया करते थे।' दिल्ली बादशाह के जिस गृहमंत्री
की यह स्वीकारोक्ति है, उनका नाम बताइये।
उ. मुकुन्दलाल।
76. अंग्रेज गुप्तचरों से बचने के लिए, क्रान्ति योजना के लिए परामर्श हेतु किन
स्थानों को चुना?
उ. तीर्थ स्थल।
77. 1857 में एक क्रान्ति गीत लिखा गया तथा उसे गाने की राजाज्ञा प्रसारित
की गई। इसका उल्लेख करने वाले अंग्रेज लेखक का नाम बताइये।
उ. ट्रेवेलियन।
78. गूढ़ संदेश प्रसारण तथा शौर्य जगाने के लिए गायकों ने सार्वजनिक स्थानों
पर कौनसे गीत गाना प्रारम्भ किया?
उ. पवाड़े तथा आल्हा।
79. महिलाओं में क्रान्ति संगठन व योजना प्रचार के लिए भविष्यवक्ता व
औषधी देने वाली जिन महिलाओं का सहयोग लिया गया वे किस समुदाय
की थीं?
उ. वैदू या जिसी।
80. मद्रास की दीवारों पर चिपके भििा-पत्रों में लिखा था - 'ये फिरंगी हमारे
देश को धूल-धूसरित करने पर तुल गए हैं। अब इनके अत्याचारों से मुक्ति
प्राप्त करने का एकमात्र उपाय है, इनसे समरभूमि में युद्घ।' इन पत्रकों के
चिपकाने की तिथि बताइये।
उ. जनवरी 1857।
81. 'रेजीमेंट में हमारे भाई का मत हमारे लिए मान्य है। कारतूसों के सम्बन्ध में
इसी के अनुरूप व्यवहार करो।' सातवीं रेजीमेंट ने यह पत्र कौनसी रेजीमेंट
को लिखा था?
उ. अवध की 48 वीं रेजीमेंट को।
82. 'भाइयों! उठो, अत्याचारियों के विरुद्घ संघर्ष करो।' बैरकपुर के सिपाही
ने यह पत्र संदेश किस स्थान पर भेजा था?
उ. स्यालकोट।
(२०) (२१)
83. 1857 में क्रान्ति-संदेश के रूप में गाँव-गाँव में भेजे गए प्रतीक क्या थे?
उ. रक्त कमल और रोटी।
84. क्रान्ति का प्रतीक चिह्न-कमल मिलने पर कौनसा रहस्यमयी कथन किया
जाता था?
उ. सबकुछ लाल हो जाएगा।
85. क्रान्ति युद्घ के इतिहास में योजना की गोपनीयता के सम्बन्ध में '1857 के
स्वातंत्र्य समर' की क्या विलक्षणता है?
उ. योजना की गोपनीयता कहीं भंग नहीं हुई।
86. क्रान्ति के लिए ललकारते हुए अपने साथी सिपाहियों से यह किसने कहा
- 'उठो, तुम्हें अपने पावन धर्म की सौगन्ध! चलो, स्वातंत्र्य लक्ष्मी की पावन
अर्चना हेतु इन अत्याचारी शत्रुओं पर तत्काल प्रहार कर दो'?
उ. मंगल पांडे।
87. मंगल पांडे को बंदी बनाने का आदेश किसने दिया?
उ. सार्जेंट मेजर ह्यूसन ने।
88. मंगल पांडे को बंदी बनाने के अंग्रेज सार्जेंट के आदेश का क्या परिणाम
हुआ?
उ. एक भी सैनिक आगे नहीं आया।
89. मंगल पांडे की गोली से मरे अंग्रेज सैनिक अधिकारी का नाम बताइये।
उ. सार्जेंट मेजर ह्यूसन।
90. मंगल पांडे ने तलवार के वार से जिस अंग्रेज सैनिक अधिकारी को
धराशायी किया, उसका नाम बताइये।
उ. लैफ्टिनेन्ट बॉब्ह।
91. कर्नल ह्वीलर ने गोरे सैनिकों से मंगल पांडे को बंदी बनाने के लिए कहा
तो भारतीय सैनिकों ने क्या कहा?
उ. 'मंगल पांडे को हाथ लगाने का कोई दुस्साहस न करे।'
92. अंग्रेजों के हाथ पडऩे से बचने के लिए मंगल पांडे ने क्या किया?
उ. स्वयं को गोली मार ली।
93. 1857 की क्रान्ति का प्रथम विस्फोट किस तिथि को हुआ?
उ. 29 मार्च 1857 को।
94. 1857 की क्रान्ति का प्रथम विस्फोट किस छावनी से हुआ?
उ. बैरकपुर।
95. 1857 की क्रान्ति का प्रथम विस्फोट करने वाले क्रान्तिकारी का नाम
बताइये।
उ. मंगल पांडे।
96. घायल मंगल पांडे को किस दिन प्राणदंड दिया गया?
उ. 8 अप्रेल 1857 को।
97. मंगल पांडे से अंग्रेज इतने भयभीत थे कि स्वतंत्रता समर के प्रत्येक
सिपाही को ही उन्होंने एक सम्बोधन दिया जो क्रान्तिकारी का पर्यायवाची
बन गया। वह सम्बोधन क्या था?
उ. पांडे।
98. रात्रि में गोरे सैनिक अधिकारियों के घरों में आग लगाकर बदला लेने का
तरीका सर्वप्रथम किस छावनी में अपनाया गया?
उ. अम्बाला।
99. पुरस्कार के लालच के बाद भी कोई मुखबिर अंग्रेजों को प्राप्त न होता था।
निराश होकर गवर्नर जनरल को यह किसने लिखा - 'इट इज रियली स्ट्रेंज
दैट द इंसिदिअरीस शुड नेवर बी डिटेक्टेड'?
उ. अंग्रेजों के प्रधान सेनापति एन्सन ने।
100. क्रान्ति समय पूर्व प्रारम्भ हो गई। पूरे देश में एक साथ क्रान्ति की वास्तविक
तिथि क्या तय की गई थी?
उ. 31 मई।
प्रश्नोत्तरी १०१ से २००
सम्पादन101. 3 मई 1857 को चार सिपाही अंग्रेज अधिकारी के तम्बू में घुसे और बोले-
'व्यक्तिगत रूप से तो तुम्हारे प्रति हमारे मन में कोई द्वेष नहीं है, किन्तु तू
फिरंगी है अत: तुझे मरना ही चाहिए।' उस अंग्रेज अधिकारी का नाम क्या
था?
उ. लैफ्टिनेंट मैशम।
102. 6 मई 1857 को मेरठ छावनी की घुड़सवार टुकड़ी के 90 सैनिकों में से
कितनों ने कारतूस छूने से भी मना कर दिया?
उ. 85 सैनिकों ने।
103. जिन सैनिकों ने कारतूस छूने से मना किया उन्हें क्या सजा सुनाई गई?
उ. 8 से 10 वर्ष कारावास।
(२२) (२३)
104. जिन सैनिकों ने कारतूस छूने से मना किया, तोपखाने के पहरे में उनके
हथियार छीन लिये, वरदी फाड़ दी तथा हथकड़ी-बेडिय़ाँ डाल दी। इतना
ही नहीं, यह दृश्य देखने के लिए मेरठ छावनी के भारतीय सैनिकों को
विवश किया गया। यह घटना किस तिथि की है?
उ. 9 मई 1857 की।
105. 'तुम्हारे भाई कारागारों में हैं और तुम यहाँ मक्िखयाँ मारते घूम रहे हो।
तुम्हारे जीवन पर शत् बार धिक्कार है।' बाजार में घूमते सैनिकों पर महिलाओं
के ताने कसने की यह घटना किस स्थान की है?
उ. मेरठ।
106. मेरठ छावनी में क्रान्ति का बिगुल किस तिथि को बजा?
उ. 10 मई को।
107. मेरठ छावनी का क्रान्ति घोष क्या था?
उ. मारो फिरंगी को।
108. मेरठ छावनी में क्रान्ति का प्रारम्भ किस पलटन ने किया?
उ. बीसवीं व अश्वारोही पलटन ने।
109. मेरठ छावनी के क्रान्तिकारी सिपाहियों ने सबसे पहला काम क्या किया?
उ. जेल में बंदी साथियों को छुड़ाया।
110. यदि कोई अंग्रेज पर दया दिखाने का प्रयत्न करता तो क्रान्तिकारी बंदी
सिपाहियों की बेडिय़ों के निशान दिखाकर क्या कहते थे?
उ. 'इसका प्रतिशोध अवश्य लो।'
111. मेरठ से दिल्ली की ओर प्रस्थान करते हुए क्रान्ति सैनिकों का नारा क्या
था?
उ. 'दिल्ली चलो।'
112. 'हम कल पहुँच रहे हैं, आप लोग आवश्यक व्यवस्थाएँ कर लीजिये' यह
अन अपेक्षित और विचित्र संदेश कहाँ से कहाँ भेजा गया था?
उ. मेरठ से दिल्ली।
113. मेरठ के क्रान्तिकारी सैनिकों के प्रथम दल ने दिल्ली में किस दरवाजे से
प्रवेश किया था?
उ. कश्मीरी दरवाजे से।
114. मेरठ के क्रान्तिकारी सैनिकों के द्वितीय दल ने दिल्ली में किस दरवाजे से
प्रवेश किया था?
उ. कलकत्ता दरवाजे से।
115. 'मेरे पास तो राजकोष में भी कुछ नहीं, फिर मैं तुम्हारा वेतन कहाँ से दे
पाऊँगा।' यह बात किसने कही?
उ. बहादुर शाह जफर ने।
116. दिल्ली के शस्त्रागार का अधिकारी कौन था जिसने क्रान्तिकारियों के हाथ
पडऩे से पूर्व ही उसमें आग लगाकर आत्मबलि दे दी?
उ. लैफ्टिनेंट विलोवी।
117. 'किसी ग्राम अथवा दिल्ली में एक भी ऐसी घटना नहीं घटित हुई जिसमें
किसी अंग्रेज महिला के पावित्र्य का भंग किया गया हो' अंग्रेजों द्वारा नियुक्त
जाँच-समिति की यह स्वीकारोक्ति भारतीय संस्कृति की किस विशेषता को
बताती है?
उ. मातृवत् परदारेषु।
118. 'जहाँ तक मैंने जाँच की है, महिलाओं से छेड़छाड़ का कोई भी प्रमाण मुझे
नहीं मिला' यह स्वीकारोक्ति करने वाले गुप्तचर विभाग के प्रमुख का नाम
बताइये।
उ. सर विलियम म्यूर।
119. मई 1857 में बैरकपुर से आगरा पर्यन्त 750 मील के क्षेत्र में अंग्रेजों की
एकमात्र रेजीमेंट कहाँ थी?
उ. दानापुर में।
120. अंग्रेजों के सौभाग्य से किस देश से उनका युद्घ समाप्त होने के कारण वहाँ
की सेना को तुरन्त भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन को दबाने के लिए लाना
सम्भव हो पाया?
उ. ईरान से।
121. लॉर्ड कैनिंग ने स्वतंत्रता युद्घ को दबाने के लिए किस देश से संघर्ष के
लिए प्रस्थान कर रही सेना को भारत में ही रोक लिया?
उ. चीन से।
122. 'तुम्हारे धर्म अथवा जाति विषयक रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप करने का
हमारा किंचित भी इरादा नहीं है। तुम यदि चाहते हो तो अपने हाथों से ही
(२४) (२५)
कारतूसों का निर्माण कर सकते हो।' यह वक्तव्य किसने दिया?
उ. लॉर्ड कैनिंग ने।
123. दिल्ली में क्रान्ति होने का समाचार प्रधान अंग्रेज सेनापति को किस स्थान
पर प्राप्त हुआ?
उ. शिमला में।
124. अम्बाला छावनी से दिल्ली के बीच स्थित उन तीन देशी रा
यों के नाम
बताइये जिनके आचरण से क्रान्ति की सफलता या असफलता तय होने
वाली थी?
उ. पटियाला, नाभा और जींद।
125. अम्बाला छावनी से दिल्ली के बीच स्थित तीन देशी रा
यों का अंग्रेजों के
लिए सामरिक दृष्टि से क्या महत्व था?
उ. इनके सहयोग बिना दिल्ली पर आक्रमणकारी अंग्रेज सेना का पृष्ठ भाग
असुरक्षित हो जाता।
126. पटियाला के शासक ने अंग्रेज हित में किस मार्ग की सुरक्षा का दायित्व
लिया?
उ. थानेसर मार्ग का।
127. अंग्रेजों के आग्रह पर पानीपत की रक्षा का भार किस देशी रा
य ने लिया?
उ. जींद।
128. 'मैं अपराधियों के निर्दोष अथवा दोषी होने पर विचार न करता हुआ उन्हें
निश्चित रूप से मृत्युदंड ही दूँगा।' यह शपथ अंग्रेजों द्वारा क्रान्तिकाल में
स्थापित किन न्यायालयों के न्यायाधीशों को लेनी पड़ती थी?
उ. सैनिक न्यायालय।
129. जहाँ बैठकर काले लोगों को सामूहिक मृत्युदंड का ही फैसला जिन
अंग्रेज पंचों को प्रतिज्ञापूर्वक करना था, उन आसनों को अंग्रेजों ने क्या नाम
दिया?
उ. कोर्ट मार्शल।
130. पाँच तोपें अंग्रेजों के हाथ पडऩे से बचाने के लिए ग्यारहवीं पलटन के एक
सैनिक ने बारूद में आग लगाकर तोपों के साथ स्वयं का भी बलिदान दे
दिया। 30 मई 1857 का यह युद्घ किस स्थान पर हुआ?
उ. हिंडन नदी के तट पर।
131. मेजर रीड के नेतृत्व में मेरठ की अंग्रेज सेना की सहायता किस देशी
पलटन ने की थी?
उ. गोरखा पलटन ने।
132. दिल्ली के समीप किस स्थान पर अंग्रेज सेना व क्रान्तिकारियों के बीच
प्रथम युद्घ हुआ?
उ. बुन्देलों की सराय।
133. दिल्ली के समीप अंग्रेज सेना व क्रान्तिकारियों के बीच प्रथम युद्घ किस
तिथि को हुआ।
उ. 7 जून 1857 को।
134. दिल्ली के समीप अंग्रेज सेना व क्रान्तिकारियों के बीच प्रथम युद्घ में मारे
गये प्रमुख अंग्रेज अधिकारी का नाम बताइये।
उ. कर्नल चेस्टर।
135. पंजाब के लोगों का निरस्त्रीकरण तथा सिखों को अंग्रेजी सेना में भर्ती कर
उनकी स्वातंत्र्य प्रवृिा का दमन करने के षड्यंत्र में अग्रणी दो अंग्रेज
अधिकारियों में से किसी एक का नाम बताइये।
उ. सर हेनरी लॉरेन्स तथा सर जॉन लॉरेन्स।
136. 'लोग शान्ति के युग को सदा ही ोयस्कर मानते हैं। उनके कृषि कार्य में
जिन क्रान्तिकारी गतिविधियों के कारण व्यवधान पड़ता है उसमें योगदान
देना भी उन्हें नहीं सुहाता।' अंग्रेजों की कूटनीति का यह कुटिलतम सिद्घान्त
1857 में किस प्रान्त में पूर्णतया सफलतम सिद्घ दिखता है?
उ. पंजाब।
137. 'साहब वे सब फिसाद की भावनाओं से भरे हुए हैं।' अंग्रेजों के एक
गुप्तचर ने यह बात किस छावनी के सैनिकों के सम्बन्ध में कही?
उ. मीयां मीर छावनी, लाहौर।
138. मेरठ के समाचार तथा गुप्तचर की सूचना पर लाहौर के सेनाधिकारी रॉबर्ट
मोन्टगुमरी ने क्या कदम उठाया?
उ. सेना का निरस्त्रीकरण।
139. अंग्रेजों ने क्रान्ति के बाद दिल्ली पर आक्रमण में सिखों का सहयोग प्राप्त करने के
लिए जिस भविष्यवाणी का योजनापूर्वक स्मरण उन्हें कराया, वह क्या थी?
उ. 'जिस स्थान पर मुगल बादशाह ने सिख गुरूओं की हत्या की थी, उसी
दिल्ली पर बारह दिन खालसा वीर आक्रमण कर उसे धूल में मिला देंगे।'
(२६) (२७)
140. 21 अक्टूबर 1857 ई. को किस अंग्रेज अधिकारी ने अपने पत्र में यह
लिखा था - 'यदि सिख हमारे विरुद्घ क्रान्तिकारियों के साथ मिल जाते तो
हमारी रक्षा करना मानवी शक्ति से परे था'?
उ. सर जॉन लॉरेन्स।
141. बहादुर शाह जफर के विरुद्घ सिखों में रोष की
वाला भड़काने के लिए
अंग्रेजों ने क्या अफवाह उड़ाई?
उ. बहादुरशाह ने प्रथम आदेश यह प्रसारित किया है कि जहाँ कहीं भी सिख
मिले, उसकी हत्या कर दी जाए।
142. पंजाब की किस छावनी में 13 मई को क्रान्ति का विस्फोट हुआ?
उ. फिरोजपुर।
143. सैनिकों के हथियार रखवाने से क्षुब्ध अफसरों ने उनके पक्ष में अपने
पदक व पद का परित्याग कर दिया। यह घटना किस छावनी की है?
उ. पेशावर।
144. 55 वीं पलटन के उस अंग्रेज अधिकारी का नाम बताइये जिसने पलटन
के नि:शस्त्रीकरण के अपमान से क्षुब्ध होकर आत्महत्या कर ली?
उ. कर्नल स्पाटिस्वुड।
145. अपने अधिकारी की आत्महत्या का समाचार सुनकर क्रान्ति यज्ञ में कूद
पडऩे वाली 55 वीं पलटन पंजाब की किस छावनी में तैनात थी?
उ. होतीमर्दान।
146. अपने प्रिय धर्म को छोडऩे की बजाय जिन वीरों ने तोप के मुँह पर बँधकर
मरना पसन्द किया, 55 वीं पलटन के उन सैनिकों की संख्या बताइये।
उ. एक हजार।
147. अंग्रेजों की क्रूरता का बचाव अंग्रेजी इतिहासकारों ने क्या कहकर किया?
उ. 'घड़ी भर की क्रूरता में सदैव के लिए मानवता का मंगल निहित था।'
148. पूर्व निर्धारित योजनानुसार जालंधर क्वींस रेजीमेंट ने किस दिन क्रान्ति का
शंखनाद किया?
उ. 9 जून 1857 को।
149. पुराने कैदी सैनिकों की चौकसी से छुटकारा पाने तथा नए कैदियों के लिए
जगह करने के लिए अजनाला में कितने सैनिकों की हत्या की गई?
उ. 282 सैनिकों ने।
150. 'अजनाला हत्याकांड' का हत्यारा कौन था?
उ. कूपर।
151. 'अजनाला हत्याकांड' की तिथि बताइये।
उ. 1 अगस्त 1857 के दिन।
152. 'सम्पूर्ण हिन्दुस्थान के सिपाही चाहे विद्रोह करें, किन्तु यह पलटन विद्रोह
में कदापि सहयोग नहीं देगी।' किस पलटन के सम्बन्ध में अंग्रेजों की यह
गर्वोक्ति थी?
उ. अलीगढ़ की 9 वीं रेजीमेंट।
153. 'बन्धुओं! तुम देख रहे हो इस हुतात्मा ने रक्त से स्नान कर लिया है।'
क्रान्ति के संदेशवाहक को मृत्युदंड के बाद इस ललकार ने तुरन्त क्रान्ति
की आग सुलगा दी; यह पलटल कौनसी थी?
उ. अलीगढ़ की 9 वीं रेजीमेंट।
154. क्रान्ति सेना ने किस तिथि को अलीगढ़ अंग्रेजों से मुक्त करा लिया?
उ. 20 मई 1857 को।
155. इटावा के उस जिलाधीश का नाम बताइये जो क्रान्ति के बाद भारतीय
महिला का वेश बनाकर भाग गया।
उ. एलेन ओ. ह्यूम।
156. 15 वीं व 30 वीं पलटन ने 28 मई 1857 को क्रान्ति का शंखनाद कर
दिया। यह घटना किस छावनी की है?
उ. नसीराबाद।
157. रुहेलखंड की तात्कालिक राजधानी बरेली में किस तिथि को क्रान्ति
हुई?
उ. 31 मई 1857 को।
158. काशी के निकट सैनिक छावनी किस स्थान पर थी?
उ. सिक्रोली ग्राम।
159. 'भाग्य की विडम्बना देखिए कि वारेन हैस्टिंग्ज ने जिस चेतसिंह पर अपने
बूट की ठोकरों का प्रहार किया था उसी के वंशज अंग्रेजों के तलुए चाटने में
सौभाग्य का अनुभव करने लग गए थे।' यह कथन किस रा
य के लिए
किया गया है?
उ. काशी।
(२८) (२९)
160. 4 जून 1857 को किस स्थान पर क्रान्ति हुई?
उ. काशी।
161. 'अनेक प्रमुख व्यापारियों एवं अन्य लोगों ने भी हमारे प्रति प्रचंड द्वेष
भावना अभिव्यक्त की। इतना ही नहीं, उनमें से अनेकों ने तो हमारे विरुद्घ
सक्रिय युद्घ में भी भाग लिया।' नील के इस पत्र में किन व्यापारियों का
उल्लेख है?
उ. मारवाड़ी।
162. प्रयाग के क्रान्तिकारियों के नेतृत्वकर्ता का नाम लिखिये।
उ. मौलवी लियाकत अली।
163. 'प्रतिदिन हम आठ-दस व्यक्तियों को तो निश्चित रूप से ही फँसाते थे।
...... दंिडत अपराधी को उसके गले में फन्दा डालकर एक गाड़ी पर
चढ़ाकर वृक्ष से बाँध दिया जाता था। गाड़ी को आगे बढ़ाया कि उसकी देह
वृक्ष से झूल गई।' यह स्वीकारोक्ति करने वाले जाँच समिति के अध्यक्ष का
नाम बताइये।
उ. चाल्र्स बॉल।
164. सम्पूर्ण हिन्दुस्थान में जितने अंग्रेजों की हत्या हुई उनसे अधिक संख्या में
भारतीयों की हत्या केवल प्रयाग में ही करवाने वाले अंग्रेज अधिकारी का
नाम बताइये।
उ. जनरल नील।
165. 'तीन मास तक आठ शव ढोने वाली गाडिय़ाँ सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त
तक उन शवों को एकत्र करने के लिए चक्कर लगाती थीं, जो राजमार्गों और
बाजारों में लटकाए जाते थे। इस प्रकार लगभग छ: हजार व्यक्तियों को
प्राणदंड दिया गया।' यह घटना किस क्षेत्र की है?
उ. कानपुर।
166. 'स्वदेश के लिए मैंने यह घोर अत्याचार किए हैं। परमात्मा मुझे क्षमा प्रदान
करेगा।' अपनी क्रूरता को इंग्लैंड हित में क्षम्य बताने वाले इस अंग्रेज
अधिकारी का नाम बताइये।
उ. जनरल नील।
167. तात्या टोपे का जन्म-स्थान बताइये।
उ. यवला (परगना पालोडा, जिला नगर)
168. तात्या टोपे का बचपन का नाम बताइये।
उ. रघुनाथ/रामचन्द्र।
169. तात्या टोपे का जन्म किस सन् में हुआ?
उ. सन् 1814 ई. में।
170. तात्या टोपे के पिताजी का नाम बताइये।
उ. श्री पांडुरंग।
171. कानपुर में क्रान्तिकारी गतिविधियों का केन्द्र स्थल किनका निवास स्थान
था?
उ. सूबेदार टीकासिंह का।
172. गुप्त क्रान्ति कार्य में सहयोगी कानपुर की नर्तकी का नाम बताइये।
उ. अजीजन बाई।
173. कानपुर की क्रान्तिकारी गतिविधियों को अपनी डायरी में लेखबद्घ करने
वाले अंग्रेजों के क्रीतदास वकील का नाम बताइये।
उ. नानकचन्द।
174. कानपुर में क्रान्ति का शंखनाद किस तिथि को हुआ?
उ. 4 जून 1857 रात्रि को।
175. 'हम अब आक्रमण करने वाले हैं, अत: आपको पूर्व सूचना दे रहे हैं।' 6
जून 1857 को नाना साहब का यह पत्र किसे प्राप्त हुआ?
उ. सर ओ. ह्वीलर को।
176. कानपुर की जिस गढ़ी में अंग्रेजों ने मोर्चेबन्दी कर रखी थी वहाँ, कितने
दिन तक घ्ोराबन्दी के साथ युद्घ चला?
उ. 21 दिन।
177. कानपुर की गढ़ी से सहायता के लिए एक पत्र कबूतर के साथ लखनऊ
पहुँचाया गया जिसमें लिखा था - 'अविलम्ब सहायता प्रदान करो, शीघ्रता
करो, अन्यथा हमारी आशा त्याग दो' यह पत्र जिन तीन भाषाओं में लिखा
गया था, उनके नाम बताइये।
उ. लैटिन, फ्रैंच और अंग्रेजी।
178. कानपुर की गढ़ी की अंग्रेजों के लिए महत्वपूर्ण इमारतों को स्वाहा करने
के लिए नवीन विस्फोटक अस्त्र का आविष्कारक कौन था?
उ. काने करीम अली का पुत्र।
(३०) (३१)
179. क्रान्ति के समय लूटपाट व अराजकता पर नियंत्रण के लिए नाना साहब ने
किस संस्था का गठन किया?
उ. न्याय सभा।
180. कानपुर की गढ़ी के अंग्रेजों ने किस तिथि को आत्मसमर्पण कर दिया?
उ. 23 जून 1857 को।
181. कानपुर की गढ़ी के समर्पण करने वाले अंग्रेजों को सकुशल प्रयाग भेजने
के लिए कितनी नौकाएँ तैयार करवाई गई?
उ. चालीस।
182. कानपुर में आत्मसमर्पण करने वाले अंग्रेजों को प्रयाग भेजने के लिए
नौकाएँ किस घाट पर लगाई गईं?
उ. सती चौरा घाट।
183. कानपुर में आत्मसमर्पण करने वाले अंग्रेज, सकुशल प्रयाग पहुँाने के
आश्वासन पर नौकाओं में बैठे, तात्या टोपे ने हाथ हिलाकर विदाई दी तभी
बिगुल बजा और नौकाएँ डुबो दी गईं। यह घटना किस तिथि की है?
उ. 27 जून 1857 की।
184. कानपुर में 7 जून को एक हजार अंग्रेज थे। 30 जून तक उनमें से कितने
बचे थे?
उ. 525 अंग्रेज बचे थे।
185. कानपुर विजय के बाद नाना साहब का रा
याभिषेक किस तिथि को
सम्पन्न हुआ?
उ. 1 जुलाई 1857 को।
186. झाँसी में तैनात 12 वीं रेजीमेंट में क्रान्तिकारी गतिविधियों के संचालन का
प्रमुख सूत्र कौन था?
उ. लक्ष्मण राव।
187. झाँसी के दुर्ग पर चढ़ाई कर क्रान्तिकारियों ने विजय पताका फहराई। इस
घटना की तिथि बताइये।
उ. 7 जून 1857 को।
188. 'झांसी के दुर्ग पर विद्रोहियों के आक्रमण का नेतृत्व करने वालों के नाम
बताइये'।
उ. रिसालदार काले खां व तहसीलदार मुहम्मद हुसैन।
189. लखनऊ स्थित अंग्रेजों की सुरक्षा के लिए सर हेनरी लारेन्स ने किन दो
स्थानों का चयन किया?
उ. मछी भवन, रेजीडेंसी रोड।
190. लखनऊ में क्रांति का विस्फोट किस तिथि को हुआ?
उ. 30 मई 1857 को।
191. फैजाबाद के सिपाहियों ने दलीपसिंह के नेतृत्व में कारागृह पर आक्रमण
कर जिस क्रांतिकारी मौलवी को छुड़ाया, उनका नाम बताइये?
उ. मौलवी अहमद शाह।
192. फैजाबाद की जेल से छूटने के बाद मौलवी ने सर्वप्रथम धन्यवाद का
सन्देश उस अंग्रेज अधिकारी के पास भेजा जिसने कारागार में हुक्का रखने
की अनुमति दी थी?
उ. कर्नल लेनाक्स।
193. 9 जून 1857 को एक पत्र प्रकाशित कर अवध में किसके शासन की
पुनस्र्थापना की घोषणा की गई?
उ. नवाब वाजिद अलीशाह।
194. अवध के जिन नरेशों ने अपनी शरण में आने वाले गोरों की प्राणरक्षा मात्र
ही नहीं की अपितु इनकी भली भांती आवभगत भी की ऐसे किसी एक
शरणदाता का नाम बताइये।
उ. मानसिंह / बुलीसिंह / नजीम हुसैन खाँ।
195. 'इन्हें प्राणदान न दो, क्योंकि समय आने पर ये हमसे पुन: संघर्ष करने को
सिद्घ हो जायेंगे।' गोरों को शरण देने वालों से यह आग्रह किसने किया?
उ. जनता ने।
196. 'हमने प्रजा के कल्याण की भावना से ही वाजिद अली को सिंहासनयुत
किया है।' यह बात किसने कही थी?
उ. लॉर्ड डलहौजी।
197. हेनरी लारेन्स के नेतृत्व में लखनऊ से चली सेना पर क्रांतिकारियों के
आक्रमण में 400 में से 150 गोरे मारे गये। यह युद्घ किस स्थान पर हुआ था?
उ. चिनहट।
198. ग्वालियर के उस शासक का नाम बताइये जिसे जनता ने यह कहा-
'मातृभूमि को तुम मुक्त नहीं कराना चाहते तो तुम्हारे बिना ही, और यदि
(३२) (३३)
समय आ जाए तो तुम्हारे विरोध को सहन करके भी हम अपने इस पावन
दायित्व का निर्वाह करेंगे।'
उ. जयाजी शिन्दे।
199. 'हम अपने देश बांधवों के विरूद्घ हथियार उठाने को भी तैयार नहीं हैं।'
आगरा में क्रांतिकारियों से लडऩे के लिए भेजी किन रा
यों की सेनाओं ने
यह बात कही?
उ. बितौली और भरतपुर।
200. भयभीत, अधीर, सन्तत अंग्रेजों ने हाउस ऑफ लॉर्डस में यह प्रश्न पूछा-
'क्या कानपुर के हत्याकांड के समाचार सही हैं?' यह प्रश्न किस तिथि को
पूछा गया था?
उ. 14 अगस्त 1857 को।
प्रश्नोत्तरी २०१ से ३००
सम्पादन201. '1857 के भारतीय स्वातंत्र्य समर में चार-पांच स्थानों में ही हुए हत्याकांडों
की क्रूरता पर आश्चर्य व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं' तो आश्चर्य
किस बात पर होना चाहिए?
उ. हत्याकांडों की ये घटनाऐं इतनी कम क्यों हुई।
202. 'जिस अवध के सीने में अंग्रेजों ने अपनी खूनी कटार बडी गहराई तक
घोंप दी थी, उसी अवध के नागरिकों ने तितर-बितर होकर पलायन
करने वाले अंग्रेजों से नितांत ही उदारता का व्यवहार किया था।' यह
तय फारेस्ट द्वारा लिखित जिन दस्तावेजों में उपलब्ध है, उनका नाम
बताइये।
उ. स्टेट पेपर्स।
203. नवाब को फांसी के तख्ते पर चढ़ाने से पूर्व उसके शरीर पर सूअर की
चर्बी का लेप करने की निर्ला आज्ञा दी गई। यह नवाब कहां के थे?
उ. फर्रुखाबाद।
204. 1857 में किसी को गाली देनी होती तो क्या कहते थे?
उ. राजभक्त।
205. 'जो व्यक्ित गोवध करते मिल जाए, उसे तोप के गोले से उड़ा दिया जाए
या उसके हाथ पैर काट दिये जाएं।' हाथी पर बैठकर शहर में यह घोषणा
किसने करवायी थी?
उ. बहादुरशाह जफर।
206. दिल्ली के परकोटे के एक द्वार के पास, यमुना नदि से चार मील की दूरी
तक फैली पहाड़ी,जिस पर अंग्रेजों ने मोर्चेबन्दी की थी, उसे अंग्रेजों ने क्या
नाम दिया?
उ. रिज।
207. दिल्ली की क्रांतिकारी सेना का प्रधान सेनापति किसे नियुक्त किया गया?
उ. बख्त खाँ को।
208. कानपुर पर आक्रमण करने आने वाली अंग्रेज सेना से युद्घ के लिए नाना
साहब ने किस नदी के तट पर मोर्चा लगाया?
उ. पांडु नदी के।
209. जब अंग्रेजों ने फतेहपुर में आग लगा दी तो उसके प्रतिशोध में किस
बन्दीगृह को जलाने का निश्चय किया गया?
उ. बीबी की कोठी।
210. कानपुर पर पुन: अंग्रेजों का अधिकार किस तिथि को हुआ?
उ. 10 जुलाई 1857 को।
211. कानपुर पर आक्रमणकारी अंग्रेज सेना का प्रमुख कौन था?
उ. जनरल हेवलॉक।
212. 'मुझे यह विदित है कि फिरंगी के रक्त का स्पर्श करने अथवा उसके दागों
को झाडू से धोने पर हिन्दू धार्मिक दृष्टि से पतित हो जाते हैं। किन्तु हमने
केवल इसलिए ऐसा नहीं किया, अपितु हम तो वध स्तम्भ पर लटकाने से
पूर्व उनकी सभी धार्मिक भावनाओं को पददलित करने के लिए ऐसा कर
रहे हैं, जिससे कि उनको मरने से पूर्व यह संतोष भी न मिल सके कि हम हिन्दू
रहते हुए ही प्राण दे रहे हैं।' यह स्वीकारोक्ित किस पुस्तक में उपलब्ध है?
उ. रेड पेम्फलेट में।
213. हिन्दू मुसलमान अपनी धार्मिक वैर भावना को तिलांजलि दे चुके थे तो
चतुर फिरंगी ने कानपुर में 'छूत-अछूत' का नया विवाद खड़ा कर दिया।
यह कुटिल अंग्रेज अधिकारी कौन था?
उ. नील।
214. कानपुर में छूत-अछूत का झगड़ा खड़ा करने के लिए कुटिल फिरंगी ने
किस सेना का गठन किया?
उ. अछूत सेना।
(३४) (३५)
215. 1857 के स्वातंत्र्य समर का एक मराठी ब्राह्मण प्रत्यक्षदर्शी था, उसका नाम
बताइये।
उ. विष्णु भट्ट गोडसे।
216. 1857 के स्वातंत्र्य समर का आंखों देखा हाल एक मराठी ब्राह्मण ने जिस
पुस्तक में लिखा है, उसका नाम बताइये।
उ. माँझा प्रवास।
217. 'हिन्दू धर्म और हिन्दू रा
य की स्थापनार्थ पुन: एक बार प्रयास हुआ है।
इसके करने में ईश्वर ने हमारे हाथों जो संकट आप लोगों को उठाने पडे हैं,
उनके लिए कृपा करके आप मुझे क्षमा करना।' कानपुर छोड़ते हुए जनता से
यह बात किसने कही?
उ. श्रीमंत बाला साहब।
218. 1857 में मुसलमानों के बहावी नामक कट्टर पंथ का प्रधान केन्द्र कहां था?
उ. पटना।
219. 1857 की क्रान्ति से भी 5 वर्ष पूर्व ही वहाबियों का एक विध्वंसक संगठन
विद्यमान था। इस तय को सिद्घ करने वाले अंग्रेज का नाम बताइये।
उ. सर विलियम हन्टर।
220. 'जो परकीयों के चरणों का चुम्बन कर रहे हैं, गुरू गोविन्द सिंह के सो
सिख कदापि नहीं हो सकते' यह कहकर ग्रंथियों ने सिख सैनिकों को
गुरूद्वारे में प्रवेश नहीं करने दिया। यह गुरूद्वारा कौनसा था?
उ. गुरूद्वारा पटना साहिब।
221. उस नेता का नाम बताइये जिसके निवास स्थान पर हुई क्रान्ति मंडल की
बैठक में पटना में विद्रोह का सम्पूर्ण कार्यक्रम निर्धारित किया गया?
उ. पीर अली।
222. पटना में क्रान्ति की सम्पूर्ण योजना बनाने की बैठक किस तिथि को हुई?
उ. 3 जुलाई 1857 को।
223. पटना के प्रमुख क्रान्तिकारी नेता का व्यवसाय क्या था?
उ. पुस्तक विक्रय।
224. 'मेरी मृत्यु के उपरान्त मेरे रक्त के प्रत्येक बिन्दु से सहस्रों वीर उठकर
खड़े होंगे और तुम्हारे रा
य को धूल में मिलाकर ही शान्ति प्राप्त करेंगे।' प्राण
दंड के समय यह साहसिक घोषणा करने वाले वीर का नाम बताइये।
उ. पीर अली।
225. स्वरा
य के नेता वीर कुँवर सिंह कहाँ के शासक थे?
उ. जगदीशपुर (शाहबाद जिला) के।
226. 1857 में वीर कुँवर सिंह की आयु कितनी थी?
उ. 80 वर्ष।
227. दिल्ली में कुल कितने क्रान्ति सैनिक एकत्रित थे?
उ. पचास हजार।
228. 'मेरी यह उत्कट अभिलाषा है कि अंग्रेजों की दासता की श्रंखला टूक-
टूक होते हुए देखूँ' यह हार्दिक इछा प्रकट करने वाले कौन थे?,
उ. बहादुर शाह जफर।
229. 'यदि आप सब शासनाधिपतिगण स्वदेश की स्वतंत्रता के लिए किए जाने
वाले इस युद्घ में अपनी तलवारें हाथों में सम्भालकर आगे आने को तैयार हों
तो मैं स्वेछा और प्रसन्नता सहित अपने सम्पूर्ण अधिकार ऐसे किसी भी
रा
य मंडल को समर्पित कर दूँगा और ऐसा करने में मुझे आनन्द भी प्राप्त
होगा।' दिल्ली सम्राट द्वारा विभिन्न रा
यों को लिखे पत्रों का उद्घरण 'टू
नेटिव नेरेटिव्स' नामक जिस पुस्तक में मिलता है उसके लेखक का नाम
बताइये।
उ. मेटकाफ।
230. अपनी छावनी के अहंकार व अनुशासनहीनता के कारण क्रान्ति सैनिक
साथ न लड़ सके और हम केन्द्रीय मोर्चा हार गए। यह केन्द्रीय मोर्चा कौनसा
था?
उ. दिल्ली।
231. दिल्ली में अंग्रेजी सेना ने किस तिथि को प्रवेश किया?
उ. 14 सितम्बर को।
232. अंग्रेजी सेना सर्वप्रथम किस मार्ग से दिल्ली में प्रविष्ट हुई?
उ. कश्मीर बुर्ज की दरार से।
233. 'जब एक ही गली मेरे इतने वीर सैनिकों को निगल गई और दिल्ली पर
अधिकार कर लेने की मेरी आकांक्षा भी अतृप्त ही है, साथ ही सहस्रों
क्रान्तिकारी अभी भी युद्घ का आह्वान कर रहे हैं तो अब अपने सभी सैनिकों
को बलिदान का बकरा बनाकर चढ़ा देने की अपेक्षा तो पराजय और
(३६) (३७)
अपयश का कलंक लगवाकर लौट जाना ही अधिक उचित है।' विलसन
किस गली की बात कर रहे हैं?
उ. बर्न बुर्ज की।
234. 14 सितम्बर को दिल्ली में अंग्रेज सेना के कितने लोग मरे?
उ. 66 अधिकारी और 1104 सैनिक।
235. क्रान्ति सैनिक दिल्ली में किस तिथि तक अंग्रेजों से निरन्तर लड़ते रहे?
उ. 24 सितम्बर तक।
236. 'मैं यह समझता हूँ कि अब एक ही स्थान पर एकत्रित होकर युद्घ करने के
स्थान पर यदि हम बाहर निकलकर खुले प्रदेशों में शत्रु को थकाने में जुट
जाएँगे तो अन्तिम विजय हमारी ही होगी।' बहादुर शाह जफर को यह राय
किसने दी?
उ. बख्त खाँ ने।
237. वार्धक्य से हताश, राजविलास से मतिमंद, पराजय से भयभीत बहादुर शाह
दिल्ली से बाहर जाकर संघर्ष जारी रखने का निर्णय न कर एक मकबरे में
छुप गया। यह मकबरा किसका था?
उ. हुमायूँ का मकबरा।
238. अंग्रेजों के उस जासूस का नाम बताइये जिसने बहादुर शाह जफर को
आत्म समर्पण के लिए तैयार किया?
उ. मिर्जा इलाहीबख्श।
239. 'शाहजादे तो अभी भी मकबरे में छुपे बैठे हैं।' यह सूचना देने वाले कौन
थे?
उ. मिर्जा इलाहीबख्श और मुंशी रजब अली।
240. बहादुर शाह जफर के कितने पुत्रों को गोली मारी गई?
उ. तीन।
241. बहादुर शाह जफर के पुत्रों को गोली मारने वाले अंग्रेज का नाम बताइये।
उ. कैटन हडसन।
242. 'लूटमार करने में तो हमारी सेनाओं ने नादिर शाह को भी पीछे छोड़
दिया।' यह स्वीकारोक्ति करने वाले लॉर्ड एल्फिन्सटन और जॉन लॉरेन्स की
पुस्तक का नाम बताइये।
उ. लाइफ ऑफ लॉरेन्स।
243. दिल्ली ने अंग्रेजों के विरुद्घ कितने दिन तक अनवरत युद्घ किया?
उ. 134 दिन।
244. दिल्ली की रक्षा में शहीद होने वाले क्रान्तिकारियों की अनुमानित संख्या
कितनी थी?
उ. 5-6 हजार।
245. नवाब वाजिद अली शाह अंग्रेजों द्वारा किस स्थान पर कैद किए गए थे?
उ. कलकत्ता।
246. नवाब वाजिद अली शाह की अनुपस्थिति में उनके जिस पुत्र को अवध
का नवाब बनाया गया, उसका नाम बताइये।
उ. बर्जिस कादर।
247. बहादुर शाह जफर की वृद्घावस्था के कारण दिल्ली का वास्तविक शासन
किसके हाथ में था?
उ. बेगम जीनत महल।
248. नवाब वाजिद अली शाह का पुत्र अल्पवयस्क होने के कारण शासन का
सम्पूर्ण भार उसकी माँ पर था। उसका नाम बताइये।
उ. बेगम हजरत महल।
249. 28 जुलाई को लखनऊ के किस स्थान पर एकत्रित हुए अंग्रेजों पर आक्रमण
का निर्णय लिया गया?
उ. लखनऊ रेजीडेंसी।
250. अचूक निशानेबाज लखनऊ के हब्शी हिंजड़े से आतंकित अंग्रेजों ने
उसका उल्लेख किस नाम से किया?
उ. ऑथेल्लो।
251. अंग्रेजों ने अनेक राजनिष्ठ दूत लखनऊ से अन्य प्रदेशों में भेजे थे। किन्तु
उनमें से केवल एक वापस लौटने में सफल हुआ। उसका नाम बताइये।
उ. अंगद।
252. हेवलॉक एक सप्ताह में क्रान्तिकारियों को गोमती तक तो क्या हटा पाता,
वह तो स्वयं ही स्थानबद्घ सा होकर रह गया। हेवलॉक कहाँ स्थानबद्घ होकर
रह गया?
उ. गंगा तट पर।
253. 'उस दिन हेवलॉक की सेना की जब गिनती हुई तो उसे विदित हुआ कि
(३८) (३९)
1500 के स्थान पर अब उसके केवल 850 सैनिक ही रह गए हैं।' यह
गणना अवध के किस युद्घ के बाद हुई थी?
उ. बशीरगंज।
254. 'कम से कम हमें अवध प्रान्त के लोगों द्वारा किए गए संघर्ष को तो
स्वातंत्र्य संग्राम के रूप में ही मान्यता देनी पड़ेगी।' यह लिखने वाले
इतिहासकार का नाम बताइये।
उ. अन्नेस।
255. लखनऊ पर आक्रमण करने वाली सेना का नेतृत्व हताश हेवलॉक से
छीनकर किसे दिया गया?
उ. आउट्रम को।
256. 'लखनऊ का घ्ोरा तोडऩे हेतु आज तक जिस व्यक्ति ने महान शौर्य और
धैर्य का प्रदर्शन किया है और कष्ट सहन किए हैं, मुख्य सेनापति होते हुए भी
मैं वीर हेवलॉक को ही अपने पद का अधिकार समर्पित करता हूँ और मैं
स्वयं एक स्वयंसेवक के नाते उनके अधीन कार्य करूँगा।' आउट्रम ने 15
सितम्बर को यह घोषणा किस स्थान पर की थी?
उ. कानपुर।
257. 23 सितम्बर 1857 को लखनऊ के समीप किस स्थान पर हेवलॉक व
क्रान्तिकारी सेना में युद्घ प्रारम्भ हुआ?
उ. आलम बाग।
258. लखनऊ की रेजीडेंसी पर कितने दिन अहर्निश संग्राम चला?
उ. 87 दिन।
259. हेवलॉक के, लखनऊ रेजीडेंसी तक पहुँचने में, कितने सैनिक मारे गए?
उ. 722 सैनिक।
260. हेवलॉक के सेना सहित लखनऊ में प्रवेश करते ही क्रान्तिकारियों ने
रेजीडेंसी को पुन: घ्ोर लिया। इस घटना की तिथि बताइये।
उ. 25 सितम्बर 1857 को।
261. 'हेवलॉक हमारे लिए क्या लाया है, मुक्ति या सहायता?' यह व्यंग्योक्ति
लखनऊ रेजीडेंसी के अंग्रेजों ने कब की?
उ. क्रान्तिकारियों द्वारा पुन: घ्िारने पर।
262. 13 अगस्त 1857 को अंग्रेजों का नया सेनापति कलकत्ता पहुँचा। उसका
नाम बताइये।
उ. सर कॉलिन केम्पबेल।
263. कुँवर सिंह के सैनिकों ने काजवा नदी के तट पर अंग्रेज नौ सेना पर
छापामार आक्रमण कर उसके कर्नल को मार दिया। उस कर्नल का नाम
बताइये।
उ. कर्नल पावेल।
264. कुछ क्षण के अन्तर से, अपनी गाड़ी पुन: मोड़ लेने के कारण, केम्पबेल
कुँवर सिंह के सैनिकों की नजर से बच गया। यह घटना किस स्थान की है?
उ. शेर घाटी की।
265. लखनऊ रेजीडेंसी में आत्मरक्षा की क्या व्यवस्था है, यह जानने के लिए
एक गोरा अपने मुँह पर काला रंग पोतकर, पहरेदारों को धोखा दे वहाँ प्रवेश
पाने में सफल हो गया। उस गोरे का नाम क्या था?
उ. केव्हेना।
266. केम्पबेल ने लखनऊ पर आक्रमण की कौनसी तिथि तय की?
उ. 14 नवम्बर 1857
267. सिकन्दर बाग पर 16 नवम्बर को अंग्रेजों के हमले का भीषण प्रतिकार
क्रान्तिकारियों ने किया। इस युद्घ में कितने क्रान्तिकारी शहीद हुए?
उ. 2000 क्रान्तिकारी शहीद हुए।
268. लखनऊ रेजीडेंसी तक पहुँचने में अंग्रेजों को कितने दिन संघर्ष करना
पड़ा?
उ. 10 दिन (14 नवम्बर से 23 नवम्बर तक)
269. कानपुर के बाद तात्या टोपे ने क्रान्ति का केन्द्र जिस कालपी को बनाया
वह किस नदी के किनारे है?
उ. यमुना।
270. ग्वालियर के सैनिकों को साथ लेकर तात्या टोपे कालपी किस तिथि को
पहुँचे?
उ. 9 नवम्बर 1857 को।
271. 'मु_ी भर अंग्रेजों को भी तीर के समान एशियाई सैनिकों के विशाल समूह
पर टूट पडऩा चाहिए और विजय श्री का वरण करना ही चाहिए।' इस
ब्रिटिश युद्घ सिद्घान्त के अनुसार एक अंग्रेज सेनापति ने तात्या टोपे पर
आक्रमण कर दिया पर ऐसी मार पड़ी कि वह कानपुर ही जाकर रुका। उस
अंग्रेज सेनापति का नाम क्या था?
उ. विंडहम।
(४०) (४१)
272. तात्या टोपे के आक्रमण से अंग्रेज सेना तम्बू तक छोड़कर भाग गई।
कानपुर में यह घटना किस तिथि को घटित हुई?
उ. 26 नवम्बर 1857 को।
273. 6-9 दिसम्बर तक सतत् संघर्ष के बाद कानपुर पर अंग्रेजों का पुन:
अधिकार हो सका। तात्या टोपे से निर्णायक युद्घ किस स्थान पर हुआ?
उ. शिवराजपुर।
274. पूरा नगर खाली था किन्तु एक भवन से होती गोलीबारी ने पूरी अंग्रेज सेना
को तब तक रोके रखा जब तक अंग्रेजों ने भवन को बारुदी सुरंग से न उड़ा
दिया। इटावा की इस घटना में कितने वीर शहीद हुए?
उ. 25 वीर शहीद हुए।
275. इटावा के जिस मकान से क्रान्तिकारी प्राणान्त तक गोलीबारी करते रहे उसे
सुरंग से उड़ाने वाले इंजीनियर्स के नाम क्या थे?
उ. स्केचली व बोशीर्क।
276. इटावा के एक मकान से कुछ क्रान्तिकारियों ने गोलीबारी कर अंग्रेज सेना
को कितने घंटे तक रोके रखा।
उ. तीन घंटे।
277. घाघरा नदी के पार उस स्थान का नाम बताइये जहाँ केवल 34 क्रान्तिकारियों
का दस्ता था पर अन्तिम क्रान्तिकारी के शहीद होने तक उन्होंने गोरों की
सेना को एक कदम भी आगे नहीं रखने दिया?
उ. अंबरपुर।
278. अगर हमारी नवीन मालगुजारी पद्घति से नाराज होकर राजाओं ने विद्रोह
किया जो चंदा, वैंजा और गोंड के राजाओं ने ऐसा क्यों किया? यह कथन
किसका है?
उ. लॉर्ड कैनिंग (गवर्नर जनरल) का।
279. कारागार से मुक्त करने के बाद जब उससे युद्घ की स्थिति के सम्बन्ध में
प्रश्न किया गया तो उसने उत्तर दिया कि 'स्वर्ण अवसर तो हम हाथ से खो
बैठे हैं, अब तो मुझे सर्वत्र ढिलाई ही प्रतीत हो रही है, फिर भी कर्त्तव्यपालन
मात्र के लिए तो संग्राम करना ही होगा।' यह कथन किसका है?
उ. मौलवी अहमदशाह का।
280. 16 जनवरी 1858 को प्रात: 10 बजे से सूर्यास्त तक अंग्रेज सेना से जूझने
वाले अवध के वीर का नाम बताइये।
उ. विदेही हनुमान।
281. 14 मार्च 1858 को फिरंगी सेना लखनऊ के राजमहल में प्रविष्ट हो गई।
मॉलेसन ने इस विजय का ोय किसे दिया है?
उ. सिख सैनिक व दसवीं पलटन को।
282. कॉलिन की सेनाओं ने अवध में प्रवेश करते ही कत्लेआम शुरु कर दिया।
अंगेजों ने विद्रोही किसे माना?
उ. 5 से 80 वर्ष की आयु तक के लोगों को।
283. अवध में अंग्रेजों के अत्याचार से क्षुब्ध क्रान्ति सैनिकों ने बेगम से अंग्रेज
बंदी सौंपने को कहा। बेगम ने किनको मारने से मनाकर उनकी प्राण रक्षा
की?
उ. अंग्रेज स्त्रियों की।
284. लॉर्ड कैनिंग ने ढिंढोरा पीटा 'जो भी इस विद्रोह में शामिल होगा उसकी
सम्पूर्ण सम्पिा, भूमि आदि जब्त कर ली जाएगी और जो इसमें भाग नहीं
लेगा, उसे माफ कर दिया जाएगा।' इस घोषणा का परिणाम क्या हुआ?
उ. एक भी क्रान्तिकारी ने आत्मसमर्पण नहीं किया।
285. 'प्रतीत होता है कि यह सैनिकों का साधारण सा विद्रोह नहीं, यह विलव
है, क्रान्ति का विस्फोट है। यही कारण है इसके दमन में हमें थोड़ा ही यश
मिला पाता है और प्रतीत हो रहा है कि यह शीघ्र दबने वाला भी नहीं है।'
इस उद्घरण के लेखक का नाम बताइये।
उ. डॉक्टर डफ।
286. 'ऐसा कहीं भी हमें अनुभव नहीं हो पाता कि हम शत्रुओं का समूलोछेद
कर देने में सफल हो गए हैं और न ही हमारी विजयों से लोगों में भय उत्पन्न
होता दिखाई पड़ता है।' यह उद्घरण जिस पुस्तक का है उसका नाम बताइये।
उ. इण्िडयन रिबेलियन।
287. कुँवर सिंह किस युद्घ पद्घति के तज्ञ थे?
उ. वृक युद्घ पद्घति (छापामार)
(४२) (४३)
288. इलाहाबाद और कलकत्ता का सम्बन्ध तोडऩे के लिए कुँवर सिंह ने कहाँ
आक्रमण किया?
उ. बनारस।
289. जनरल लुगार्ड को आजमगढ़ में नजरबंद अंग्रेजों को छुड़ाने जाने से रोकने
के लिए कुँवर सिंह ने एक टुकड़ी किस नदी के पुल पर मोर्चेबंदी के लिए
भेजी?
उ. तानू नदी।
290. कुँवर सिंह ने आजमगढ़ रक्षा के लिए सेना तैनाती का दिखावाकर वंचिका
देते हुए जगदीशपुर मुक्त कराने के लिए हमला कर दिया। कुँवर सिंह की
इस योजना की मॅलेसन ने क्या कहकर प्रशंसा की है?
उ. सैन्य संचालन की अद्भुत दूरदर्शिता।
291. वर्ष भर अंग्रेजों ने कुँवर सिंह के विरुद्घ जो किया वह स्वत: नष्ट हो जाएगा
तथा अंग्रेजों को अपना सम्पूर्ण कार्यक्रम फिर से प्रारम्भ करना पड़ेगा। इस
योजना से कुँवर सिंह ने कहाँ पहुँचने की सफल व्यूह रचना की थी?
उ. जगदीशपुर के जंगल में।
292. प्रदेश भर में यह अफवाह फैला दी कि कुँवर सिंह हाथियों से गंगा पार
करेगा। गंगा पार करने का स्थान कहाँ बताया गया?
उ. बलिया।
293. कुँवर सिंह ने अंग्रेजों को चकमा देकर रातों-रात किस घाट से गंगा पार
होने की योजना क्रियान्िवत की?
उ. शिवपुर घाट।
294. अन्तिम नौका गंगा पार जाने को थी कि अंग्रेज सैन्य अधिकारी को, जो
सात मील दूर मोर्चा लगाए था, भनक लग गई। उस अंग्रेज सैन्य अधिकारी
का नाम क्या था?
उ. डगलस।
295. अन्तिम नौका में कुँवर सिंह सवार थे। नौका मझधार में थी कि उनको
गोली लगी। गोली कौनसे हाथ में लगी थी?
उ. बायें हाथ की कलाई पर।
296. हाथ में गोली लगी, जहर फैलने का डर था अत: कुँवर सिंह ने क्या
किया?
उ. कुहनी तक का हाथ काट दिया।
297. कुँवर सिंह ने जगदीशपुर की सुरक्षा का जिम्मा अपने छोटे भाई को सौंपा,
उनका नाम क्या था?
उ. अमर सिंह।
298. 23 अप्रेल 1858 को चार सौ गोरे सैनिक व दो तोपें लेकर लेग्रांद ने
जगदीशपुर पर हमला कर दिया। हमले का परिणाम क्या हुआ?
उ. सेनापति लेंग्राद सहित 110 गोरे सैनिक मारे गए।
299. अंग्रेजी में लिखे सरकारी कागजों को नष्ट करने पर उतारू क्रान्तिकारियों
से यह बात किसने कही - 'अंग्रेजों के भारत से चले जाने पर, जिन
कागजातों के आधार पर लोगों के वंश, वारिसदारी के अधिकार तथा लोगों
के आपसी लेन-देन का प्रमाण हमें मिलेगा, इन कागजों को जलाकर जब
यह सब आप नष्ट कर देंगे जो आपको नहीं करना चाहिए'?
उ. कुँवर सिंह ने।
300. शरीर में जहर फैल जाने के कारण कुँवर सिंह को वीरगति प्राप्त हुई। वह
तिथि कौनसी है?
उ. 26 अप्रेल 1858 को।
प्रश्नोत्तरी ३०१ से ४००
सम्पादन301. जंगल काटकर सड़क व चौकियाँ बना लीं। ब्रिगेडियर डगलस ने सात
तरफ से जगदीशपुर पर आक्रमण की योजना की किन्तु वीर अंग्रेजी चक्रव्यूह
भेदकर सेना सहित निकल गया। उस वीर का नाम बताइये।
उ. वीर अमरसिंह।
302. वीर कुँवर सिंह के परिवार की स्त्रियों ने जब बचाव का कोई मार्ग नहीं
देखा तो स्वयं को तोपों के मुँह से बाँधकर बलिदान दे दिया। इस बारुदी
जौहर में कितनी ललनाओं ने बलिदान दिया?
उ. 150 ललनाओं ने।
303. 'प्रतिपक्षी की प्रबल सेना से खुले मैदान में सामना मत करो। सैन्य शक्ति,
अनुशासन और तोपें आदि युद्घ सामग्री में वह तुमसे
यादा परिपूर्ण हैं। अब
उसकी योजनाओं, गतिविधियों पर निगरानी रखो; नदी के घाटों पर चौकसी
रखो, शत्रु की डाक काटो, रसद रोको और चौकियाँ तोड़ दो। उसके पड़ाव
के इर्द-गिर्द मंडराते रहो, फिरंगी को चैन मत लेने दो।' रूहेलखंड के
क्रान्तिकारियों द्वारा प्रसारित इस घोषणा को उद्धृत करते हुए अपनी डायरी
में यह किसने लिखा कि 'इस घोषणा पत्र ने दूरदर्शिता तथा चातुर्य का
परिचय दिया है'?
उ. डब्ल्यू. एच. रसेल ने।
(४४) (४५)
304. लखनऊ के निकट रूइया के जमींदार का नाम बताइये जिसने वॉलपोल
की फिरंगी सेना को परास्त किया?
उ. नरपत सिंह।
305. रूइया के किले पर आक्रमण के समय मरे उस अंग्रेज सैन्य अधिकारी का
नाम बताइये जिसके लिए कहा गया कि 'उस साहसी वीर की मृत्यु से
अंग्रेजी राष्ट्र को इतना धक्का लगा कि जो सैंकड़ों सैनिकों के मारे जाने से भी
नहीं लगता।'
उ. होप ग्रंट।
306. केवल पचास हजार के पुरस्कार के लिए मौलवी अहमद शाह का सिर
काटने वाले का नाम क्या था?
उ. पोवेन राजा जगन्नाथ का भाई।
307. मौलवी अहमद शाह का सिर अंग्रेजों ने द्वार पर लटकवा दिया। यह
कौनसा स्थान था?
उ. शाहजहाँपुर।
308. अब तक की खोज में ज्ञात उन लोगों की संख्या बताइये जिन्हें 1857 में
काला पानी की सजा हुई?
उ. 800 संख्या।
309. 1857 में जिन लोगों को अंडमान निर्वासित किया गया उनमें दक्षिण भारत
के कितने लोग थे?
उ. 250 से अधिक।
310. 'साउथ इंडिया इन 1857 : वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस' के लेखक का नाम
बताइये।
उ. श्री वासुदेव दत्तात्र्ोय दिवेकर।
311. बंगाल, मुम्बई व मद्रास के 1857-58 के कोर्ट मार्शल अभियोगों की
संख्या क्रमश: बताइये।
उ. 1954, 1213 तथा 1044 अभियोग।
312. भारत सरकार द्वारा अनुमोदित सुरेन्द्रनाथ सेन की रचना में सम्पूर्ण मुम्बई
प्रान्त का 1857 से सम्बन्िधत वर्णन कितने वाक्यों में है?
उ. पाँच।
313. सुरेन्द्रनाथ सेन 1857 के सम्बन्ध में लिखते हैं - 'यह विलक्षण है कि
सतारा में विलव के उठने की आवाज मराठा सरदार से नहीं उठी बल्कि
एक हिन्दुस्थानी चपरासी से उठी।' यहाँ उन्होंने चपरासी के रूप में किनका
उल्लेख किया है?
उ. क्रान्ति के योजनाकार रंगो बापू जी गुप्ते का।
314. 1856 में जिस सतारा पुलिस प्रमुख ने ब्रिटिश सत्ता नाश के लिए रोहिलों
की सेना लाने की योजना की, उसका नाम क्या है?
उ. अन्ताजी राजे शिर्के।
315. 12 जून 1857 को सतारा छावनी में विद्रोह कराने के आरोप में पकड़े गए
उस व्यक्ति का नाम बताइये जो स्थानीय न्यायाधीश की अदालत में
संदेशवाहक का कार्य करता था।
उ. मानसिंह परदेशी।
316. सतारा छावनी में विद्रोह फैलाने के आरोप में पकड़े गए राजपूत युवक को
जनसाधारण के समक्ष किस तिथि को फाँसी दी गई?
उ. 20 जून 1857 को।
317. रंगो बापू जी गुप्ते सतारा के किस अपदस्थ शासक के वकील के रूप में
इंग्लैंड गए थे?
उ. प्रताप सिंह।
318. रंगो बापू जी गुप्ते सतारा के वकील के रूप में कितने समय तक इंग्लैंड में
रहे?
उ. 1840 से 1853 तक (14 वर्ष)।
319. रंगो बापू जी गुप्ते ने अपने दो भतीजों के नेतृत्व में 500 मावलों की एक
फौज 1857 में दिल्ली भेजी। उनके भतीजों के नाम बताइये।
उ. यशवन्तराव देशपांडे और वामनराव देशपांडे।
320. रंगो बापू जी गुप्ते द्वारा बनाई गई क्रान्ति की योजना का पता कब लगा?
तिथि बताइये।
उ. 11 जून 1857 को।
321. रंगो बापू जी की क्रान्ति योजना का पता लगने पर उन्हें गिरफ्तार कर कहाँ
भेज दिया गया?
उ. ग्वालियर।
(४६) (४७)
322. रंगो बापू जी ने जेल से भागने की योजना की और वे उसमें सफल हुए तथा
फिर कभी पकड़े नहीं जा सके। उनके जेल से पलायन की तिथि बताइये।
उ. 5 जुलाई 1857 को।
323. 12 जून 1857 को हैदराबाद अश्वारोही सैन्य दल ने विद्रोह कर दिया। यह
पलटन किस स्थान पर तैनात थी?
उ. औरंगाबाद।
324. वह तिथि बताइये जब हैदराबाद की जनता ने स्वस्फूर्त ब्रिटिश प्रतिनिधि
निवास पर हमला कर दिया।
उ. 17 जुलाई 1857 के दिन।
325. 18 अप्रेल 1858 में नाना साहब पेशवा की ओर से भेजे गए एक पत्र में
क्रान्ति संगठन के लिए किन दो लोगों को अधिकृत किया था?
उ. नारखेड़ के रत्नाकर पागे और हैदराबाद के सोनाजी पंत।
326. नाना साहब के व्यक्तिगत पत्र दाढ़ी बनाने वाले शीशे के पृष्ठ भाग में
छिपाकर गंतव्य तक ले जाने वाले व्यक्ति का नाम बताइये।
उ. रंगाराव रत्नाकर पांगे।
327. डेविडसन ने एक राजद्रोहात्मक पत्र पकड़कर मद्रास सरकार को अग्रेसित
किया था। इस पत्र के लेखक का नाम क्या था?
उ. झनुलबदीन।
328. मैसूर में 1857 की क्रान्ति के प्रमुख नेता का नाम बताइये।
उ. कृष्ण शास्त्री मल्हार।
329. उस राजा का नाम क्या था जिसके नेतृत्व में आंध्र की पहाड़ी जाति के
लोगों ने 1845-1848 तक अंग्रेजों के विरुद्घ युद्घ किया?
उ. चिन्न भूपति।
330. 28 फरवरी 1857 को विजयनगरम् की स्थानीय पलटन ने कूच की आज्ञा
मानने से मना कर दिया। उन्हें कहाँ कूच करने की आज्ञा मिली थी?
उ. कर्नूल।
331. जुलाई 1857 में विजयनगरम्, अलीपुर, बंगलौर आदि के बाजारों में विद्रोह
हुआ। इस विद्रोह को क्या नाम दिया गया है?
उ. अन्न विद्रोह।
332. चिन्न भूपति और उसके भतीजे सन्यासी भूपति के नेतृत्व में 1858 में
किस क्षेत्र में ब्रिटिश विरोधी क्रान्ति हुई?
उ. गोलकुंडा।
333. गंजम के सवारा ग्राम के प्रधान का नाम बताइये जिसे 1857 की क्रान्ति में
फाँसी की सजा हुई?
उ. राधाकृष्ण डंडसेन।
334. तमिलनाडु के तिरुनेवेली क्षेत्र के पालिगरों के प्रमुख नेता का नाम बताइये
जो अठारहवीं सदी के अन्त तक अंग्रेजों से लड़ता रहा।
उ. पांडयम् कोट्टावोम्मन।
335. तमिलनाड़ के तिरुनेवेली क्षेत्र के स्वातंत्र्य वीर को अठारहवीं सदी के
अन्त तक अंग्रेजों के विरुद्घ सतत् संघर्ष के कारण सरेआम फाँसी दी गई।
उसकी फाँसी की तिथि बताइये।
उ. 16 अक्टूबर 1799 को।
336. जुलाई 1852 में मद्रास में एक सभा का गठन हुआ, उसका नाम क्या था?
उ. मद्रास नेटिव एसोसिएशन।
337. दिसम्बर 1858 में मद्रास के किस स्थान पर झगड़े में ईसाईयों ने 10
हिन्दुओं की हत्या कर दी व 19 को घायल कर दिया?
उ. तिरुनेवल्ली।
338. ईसाईयों द्वारा मद्रास में हिन्दुओं के हत्याकांड के विरुद्घ स्मरण पत्र देने के
लिए मद्रास नेटिव एसोसिएशन ने आम सभा किस तिथि को बुलाई?
उ. अप्रेल 1859 में।
339. मद्रास के चिंगलपेट क्षेत्र में विद्रोह का नेतृत्व करने वाले दो नेता कौन थे?
उ. अन्ना गिरि और कृष्णा गिरि।
340. एक सरकारी परिपत्र में कहा गया कि फकीर, वैरागी तथा पंडों और
संदिग्ध चरित्र वालों के जिलों में प्रवेश पर सूक्ष्मता से निरीक्षण हो। मद्रास
की ब्रिटिश सरकार का यह परिपत्र किस तिथि को जारी हुआ था?
उ. 10 जुलाई 1857 को।
341. 26 जनवरी 1852 को दीपू जी रांो के नेतृत्व में स्वतंत्रता आन्दोलन कहाँ
प्रारम्भ हुआ?
उ. गोआ।
(४८) (४९)
342. दीपू जी रांो के साथ पुर्तगाली सरकार को संधि के लिए बाध्य होना पड़ा।
इस संधि से ग्राम पंचायतों के सभी अधिकार पुनर्जीवित हो गए, ईसाई मत
के निर्देश का क्रियान्वयन वापस लिया गया। यह संधि किस तिथि को हुई?
उ. 2 जून 1855 को।
343. पुर्तगाली सरकार द्वारा संधि का पालन न करने पर दीपू जी रांो ने अपना
संघर्ष किस सन् में पुन: प्रारम्भ कर दिया?
उ. 1856 में।
344. दीपू जी रांो की गिरफ्तारी के बाद नवम्बर 1858 में उन्हें कहाँ निष्कासित
कर दिया गया?
उ. इंडोनेशिया।
345. दीपू जी रांो का वंश मूलत: किस प्रान्त से सम्बद्घ था?
उ. राजस्थान।
346. पुंो में 1857 के किस माह में अंग्रेजों के विरुद्घ एक विलव का प्रयत्न
हुआ किन्तु वह असफल हो गया?
उ. जून मास में।
347. अगस्त 1857 में खुफिया पुलिस की सूचना के अनुसार ब्रिटिश सरकार के
विरुद्घ चर्चा का पुंो शहर में प्रमुख केन्द्र कौनसा था?
उ. सार्वजनिक वाचनालय।
348. सितम्बर 1857 में पेशवा सरकार की घोषणा के अनुसार ब्रिटिश गवर्नर को
समाप्त करने वाले को कितना पारितोषिक मिलता?
उ. पाँच हजार।
349. 'हमें व्यक्तिगत पत्र के आधार पर ज्ञात हुआ है कि दक्षिण में नाना साहब
आयेंगे और दशहरा के दिन पेशवा सरकार की गद्दी सम्भालेंगे।' अगस्त
1857 में यह समाचार प्रकाशित करने वाले सरकारी लिपिक कौन थे?
उ. बालकृष्ण चिमन जी।
350. अगस्त 1857 में नाना साहब पेशवा के दक्षिण में आने का समाचार
सरकारी लिपिक ने किसमें दिया?
उ. ज्ञान प्रकाश पुंो के अंक में।
351. बलवन्तराव बाबाजी भोंसले, शनिवार पेठ, पुंो का 22 मार्च 1858 का
खुफिया पत्र किसे सम्बोधित था?
उ. दादा साहब भोंसले, कोल्हापुर को।
352. बलवन्तराव बाबाजी भोंसले के 22 मार्च 1858 के खुफिया पत्र में प्रमुख
बात क्या थी?
उ. यहाँ पलटनें पूर्णत: हमारे साथ हैं और शपथ ले चुकी हैं।
353. बलवन्तराव बाबाजी भोंसले के 22 मार्च 1858 के खुफिया पत्र में धनाभाव
का जिक्र कर एक व्यक्ति का नाम लिखा है जो 25,000 रुपये दे रहा है। उस
व्यक्ति का नाम क्या लिखा है?
उ. नग्गा रामचन्द्र मारवाही।
354. जून 1857 और उसके आगे उत्तरी कर्नाटक में क्रान्ति संगठन करने वाले
जमखिंडी के राजा का नाम बताइये।
उ. रामचन्द्र राव (उपाख्य अपा साहब पटवर्धन)
355. जमखिंडी के राजा के प्रमुख सहयोगी जो जमखिंडी का किलेदार था,
उसका नाम क्या था?
उ. छोटू सिंह।
356. जमखिंडी के एक कुएँ में क्रान्ति के लिए युद्घ सामग्री का विशाल
भंडार जमा किया गया था। वह कुआँ किस नाम से प्रसिद्घ था?
उ. अपा साहब बान्ची विहिर।
357. 4 नवम्बर 1857 को बीजापुर के जिस व्यक्ति के घर से सत्तरह मन बारुद
पकड़ा गया उसका नाम क्या था?
उ. ठोंधरी।
358. क्रान्तिकारी गतिविधियों के लिए होने वाली बैठकों में भाग लेने वाले
बीजापुर की बाईसवीं पलटन के हवालदार का नाम क्या था?
उ. शेख अली।
359. बेलगाँव विद्रोह के कारण जिसे 14 अगस्त 1857 को फाँसी पर चढ़ाया
गया उस वीर का नाम बताइये।
उ. महीपाल सिंह।
360. 1857 के शेख पीर शाह और कृष्णामाचारी को आंध्र प्रदेश के किस क्षेत्र में
विद्रोह भड़काने के आरोप में पकड़ा गया था?
उ. कड़पा।
361. नेलौर में विलव की सम्भावना समाप्त करने के लिए बड़ी संख्या में
संदिग्ध सैनिक व नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया गया। यह घटना कब
की है?
उ. दिसम्बर 1857 की।
(५०) (५१)
362. अगस्त 1857 में तमिलनाड़ के किस क्षेत्र में नरसिम्हादास, दामोदरदास
तथा निर्गुणदास नामक साधुओं को क्रान्ति के संदेह में पकड़ा गया था?
उ. उत्तरी अर्काट।
363. अगस्त 1857 में तमिलनाड़ में पकड़े गए साधु वेश में क्रान्तिकारी
नरसिम्हादास, दामोदरदास तथा निर्गुणदास मूलत: कहाँ के रहने वाले थे?
उ. बंगाल के।
364. नवम्बर 1858 में तमिलनाडु के किस स्थान पर सैनिक विद्रोह में केटन
हार्ट और जेलर स्टफर्ड मारे गए?
उ. वेल्लोर।
365. 1 अगस्त 1857 को एक विशाल भीड़ अय्यम प्रमलाचारी की घोषणा पर
एकत्रित हो गई कि भारतीय सैनिक आयेंगे तथा ब्रिटिश ध्वज का पतन हो
जाएगा। यह घटना तमिलनाडु में किस स्थान की है?
उ. पुतनूल गली, सेलम।
366. कोयम्बटूर के निकट उस औद्योगिक नगर का नाम बताइये जहाँ 1857 में
एक मठम् के स्वामी ब्रिटिश विरोधी संगठन के लिए उपदेश देते थे।
उ. भवानी।
367. 1857 में कोयम्बटूर के पास एक औद्योगिक नगरी में ब्रिटिश विरोधी
संगठन के लिए उपदेश देने वाले मठम् के स्वामी का नाम क्या था?
उ. मुलबागल स्वामी।
368. सितम्बर 1857 में ब्रिटिश सरकार के विरुद्घ भड़काने के आरोप में तेलीचरी
की गली से गिरफ्तार क्रान्तिकारी का नाम बताइये।
उ. बानाजी कुदरत कुँजी मायाँ।
369. ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों के कारण 1857 में कुनी मोई नामक व्यक्ति
को कहाँ से पकड़ा गया था?
उ. मालाबार से।
370. 17 जुलाई 1857 को हैदराबाद छावनी आवास भवन पर आक्रमण के लिए उसके निकट के दो भवन मोर्चेबंदी के हेतु लिए थे, वे जिन साहूकारों के थे उनके नाम बताइये।
उ. अव्वन साहब और जयगोपाल दास।
371. राजामुन्दरी जिले के करतूर निवासी उस व्यक्ति का नाम क्या था जो
ब्रिटिश संस्थानों पर आक्रमण का प्रमुख था?
उ. करकोन्दा सुब्बाराव रेड्डी।
372. 10 जुलाई 1857 को सिविल लाइन्स के खुले मैदान में आजादी का झंडा
फहराया गया जिस पर हिन्दुस्थानी में लिखा था - 'सभी अंग्रेजों को खत्म
कर दो।' यह घटना किस स्थान की है?
उ. मछलीपट्टम।
373. अंग्रेजों की रैय्यतवारी प्रथा, कठोर कराधान व वसूली के निर्मम तरीकों के
विरोध में 1859 में भारत के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट लॉर्ड स्टेनले को ज्ञापन देने
वाली संस्था का नाम क्या था?
उ. मद्रास नेटिव एसोसिएशन।
374. जुलाई 1857 में मद्रास में चिंगलपुट के निकट स्थित दो मन्िदर-क्रान्ति
केन्द्र थे। ये मन्िदर किन स्थानों पर स्थित थे?
उ. मनिपकम और पल्लवरम।
375. 27 जुलाई 1857 की रात्रि को चिंगलपुट के दक्षिण में स्थित एक तालाब के
निकट लगभग 600 क्रान्तिकारी एकत्रित हुए। उस तालाब का नाम क्या था?
उ. वमगोलुम।
376. 27 जुलाई 1857 की रात्रि को चिंगलपुट में एकत्रित लगभग 600 क्रान्तिकारियों
ने प्रथम कार्य क्या किया?
उ. टेलीग्राफ व्यवस्था ध्वस्त करना।
377. 2 फरवरी 1858 की रात्रि को फोंद सावन्त के पुत्र राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में
सम्मिलित होने के लिए गोवा से निकलकर आने के बाद किसके नेतृत्व में
क्रान्ति कार्य में लगे?
उ. बाबा देसाई।
378. तीन फडणवीस भाई करतार, सूपा और बिदी के जंगलों में क्रान्तिकारियों
का नेतृत्व कर रहे थे। तीनों के नाम बताइये।
उ. राघोवा, चिन्तोबा व शान्ताराम फडणवीस।
379. 31 जुलाई 1857 को कोल्हापुर की 27 वीं स्थानीय पैदल सेना में क्रान्ति के
प्रमुख का नाम क्या था?
उ. रामजी शिरसाट।
(५२) (५३)
380. कोल्हापुर की 27 वीं पलटन में 31 जुलाई 1857 से सम्बन्िधत कितने
लोगों का कोर्ट मार्शल हुआ?
उ. 165 लोगों का।
381. 31 जुलाई 1857 को कोल्हापुर की 27 वीं पलटन के विद्रोह में आरोपियों
के सम्बन्ध में यह किसने लिखा - 'सभी ने अपने रहस्य बताने से मना कर
दिया और धैर्य के साथ मृत्यु का सामना किया'?
उ. मेजर जनरल जैकब।
382. 23 नवम्बर 1857 को मुम्बई के आयुक्त को लिखे अपने पत्र में यह किसने
लिखा कि 'संक्षेप में स्पष्टत: कोई भी दूसरा व्यक्ति असंतोष और राजद्रोह
फैलाने में उससे अधिक उपयुक्त संदेशवाहक नहीं हो सकता'?
उ. रत्नागिरि के मजिस्टे्रट ने।
383. 23 नवम्बर 1857 को मुम्बई के आयुक्त को एक मजिस्टे्रट ने लिखा -
'संक्षेप में स्पष्टत: कोई भी दूसरा व्यक्ति असंतोष और राजद्रोह फैलाने में
उससे अधिक उपयुक्त संदेशवाहक नहीं हो सकता।' इस पत्र में किस
व्यक्ति का उल्लेख है?
उ. रामाचार्य पुराणिक का।
384. 21 नवम्बर 1857 में कोल्हापुर से लिखे एक पत्र में यह किसने लिखा -
'पूरे रा
य में अंग्रेजी रा
य के प्रति बड़ी घृणा की भावना है और किसी
विपरीत अवस्था में यह सक्रिय संघर्ष का रूप ले सकता है'?
उ. मेजर जनरल ल-ग्राड जैकब ने।
385. नाना साहब पेशवा पुन: शीघ्र आयेंगे, 1857 में इस विश्वास को बनाए
रखने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले मुम्बई से प्रकाशित दो अखबारों के नाम
बताइये।
उ. वर्तमान सार और वृत्त सार।
386. 31 जुलाई 1857 की फौजी क्रान्ति और 6-7 दिसम्बर 1857 की कोल्हापुर
जन क्रान्ति के प्रमुख प्रेरक कौन थे?
उ. चीमा साहब (बुवा साहब)
387. अंग्रेजों ने चीमा साहब को गिरफ्तार कर किस स्थान पर स्थानबद्घ रखा?
उ. कराची।
388. चीमा साहब की मृत्यु किस तिथि को हुई?
उ. 15 मई 1869 को।
389. चीमा साहब का स्मारक किस स्थान पर है?
उ. कराची में लिहारी नदी के तट पर।
390. 'जब कोल्हापुर केम्प ने विद्रोह किया था आप ने कुछ भी नहीं किया,
लेकिन अब आप ऐसी व्यवस्था करें कि पुन: विद्रोह हो। आप महान व्यक्ित
हैं, इसे आप हृदयस्थ कर लें।' नाना साहब की प्रेरणा से 13 सितम्बर 1857
को यह पत्र कोल्हापुर के राजा को किसने लिखा?
उ. जगन्नाथ वासुदेव थत्ते।
391. सितम्बर 1857 में लोगों को डराने-धमकाने के लिए मुम्बई पुलिस आयुक्त
कार्यालय के समक्ष बड़ी सूली खड़ी करवाने वाले अंग्रेज अधिकारी का
नाम क्या था?
उ. फोरजेन्ट।
392. मुम्बई की भारतीय पलटन का विद्रोह की योजना पर कौन से दो स्थानों से
पत्र व्यवहार चल रहा था?
उ. कोल्हापुर तथा अजमेर।
393. 'ऐसा आभास होता है कि तीन महीनों से भी अधिक समय से पलटन के
देशी व्यक्ित मुम्बई के किसी अज्ञात भाग में, सेना निवास के निकट विद्रोही
बैठकों में जाने लगे हैं।' यह पत्र किस तिथि को लिखा गया था?
उ. 31 अक्टूबर 1857 को।
394. 'ऐसा आभास होता है कि तीन महीनों से भी अधिक समय से पलटन के
देशी व्यक्ित मुम्बई के किसी अज्ञात भाग में, सेना निवास के निकट विद्रोही
बैठकों में जाने लगे हैं।' यह पत्र लिखने वाले अंग्रेज अधिकारी का नाम
बताइये।
उ. ब्रिगेडियर जे.एम.श्रोट।
395. मुम्बई स्थित जिस सिपाही के घर पर क्रांति योजना हेतु नियमित गोपनीय
बैठकें होती थीं, उसका नाम क्या था?
उ. गंगा प्रसाद।
396. मुम्बई के भारतीय फौजियों ने अक्टूबर 1857 में जिस दिन अंग्रेजों के
विरुद्घ क्रान्ति का निश्चय किया, उस दिन कौनसा त्यौहार था?
उ. दीपावली का।
(५४) (५५)
397. मुम्बई में अक्टूबर में तय क्रान्ति योजना का सुराग अंग्रेजों को लग गया।
उन्होंने क्रान्ति योजना प्रमुखों को गिरफ्तार कर उनमें से दो प्रमुख सैयद हुसैन
व मंगल को सरेआम तोप से उड़ा दिया। यह दिन कौनसा था?
उ. दीपावली का (15 अक्टूबर 1857)
398. मुम्बई क्रान्ति योजना में पकड़े गए सैयद हुसैन व मंगल को अंग्रेजों ने
ऐसलेनेड मैदान में तोप से उड़ाया था। इस मैदान का वर्तमान नाम क्या है?
उ. आजाद मैदान।
399. मुम्बई क्रान्ति योजना में पकड़े गए सैयद हुसैन व मंगल को अंग्रेजों ने
ऐसलेनेड मैदान में तोप से उड़ाया था। इसके प्रत्यक्षदर्शी सर डी. ई. वाछा
ने इस घटना का अपनी जिस आत्मकथा में विवरण दिया है, उस पुस्तक का
नाम बताइये।
उ. मुम्बई की रेत की सीपें।
400. ब्रिटिश शासन ने निशस्त्रीकरण कानून किस तिथि को पारित किया?
उ. 11 सितम्बर 1857 को।
प्रश्नोत्तरी ४०१ से ५००
सम्पादन401. कर्नाटक में ब्रिटिश सरकार के निशस्त्रीकरण कानून का सशस्त्र विरोध
कहाँ हुआ?
उ. हलगली ग्राम में।
402. ब्रिटिश सरकार के निशस्त्रीकरण कानून के विरुद्घ सशस्त्र विरोध खड़ा
करने वाले प्रमुख व्यक्ति का नाम क्या था?
उ. बाबाजी निम्बालकर।
403. ब्रिटिश सरकार के निशस्त्रीकरण कानून का विरोध करने वाले लोग
प्रमुखत: किस समुदाय के थे?
उ. बेदर।
404. 27 नवम्बर 1857 को बीजापुर की घुड़सवार सेना के आक्रमण को रोकने
वाला वीर भीमंणा किस सुरक्षा चौकी पर तैनात था?
उ. पदगट्टी।
405. बीजापुर की घुड़सवार सेना से भीमंणा एक हाथ कटने के बाद भी
अकेला लड़ता रहा। एक भुजा से लडऩे के कारण उसका कौनसा नाम
प्रसिद्घ हो गया?
उ. मंडगै भीमंणा।
406. काजी सिंह और भीमा नाइक किस क्षेत्र के स्वातंत्र्य प्रेमी भीलों के नायक थे?
उ. खानदेश।
407. 'विभिन्न दलों के इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित होकर लूट मचाने से यह
सिद्घ होता है कि सारी भील आबादी विद्रोही हो गई है।' 2 नवम्बर 1857 को
अपने पत्र में यह बात लिखने वाले जिला मजिस्टे्रट का नाम क्या था?
उ. एस. मेन्सफील्ड।
408. 11 अप्रेल 1858 को कौनसे युद्घ में काजी सिंह का एकमात्र पुत्र मारा गया?
उ. अम्बापानी का युद्घ।
409. 11 अप्रेल 1858 को युद्घ में मारे गए काजी सिंह के एकमात्र पुत्र का नाम
क्या था?
उ. पोलाद सिंह।
410. 1830 से अंग्रेजों के विरुद्घ सतत् संघर्षरत दक्षिण नासिक व उत्तर अहमदनगर
की दो पहाड़ी जातियाँ कौनसी थीं?
उ. कोल व भील।
411. महाराष्ट्र का कौनसा वर्तमान जिला खानदेश कहलाता था?
उ. जलगाँव।
412. काजी सिंह ब्रिटिश विरोधी आन्दोलन में किस पहाड़ी क्षेत्र में सक्रिय थे?
उ. सतपुड़ा।
413. नासिक-अहमदनगर क्षेत्र की सतमाला पहाडिय़ों में 1857 की क्रान्ति के
नेतृत्वकर्ता का नाम क्या था?
उ. भागोजी नाइक।
414. नासिक जिले की पेठ रियासत के राजा का नाम बताइये जिन्हें नाना साहब
से पत्र व्यवहार के कारण 4 जनवरी 1858 को अंग्रेजों द्वारा फाँसी दी गई?
उ. भगवन्त राव।
415. नासिक के निकट किस जगह स्थित ब्रिटिश कचहरी और खजाने पर 5
दिसम्बर 1857 की रात में भीलों और ठाकुरों के दल का आक्रमण हुआ?
उ. त्र्यम्बकेश्वर।
416. 5 दिसम्बर 1857 को नासिक के निकट ब्रिटिश खजाने व कचहरी पर
आक्रमणकारी भीलों व ठाकुरों के दल का प्रमुख कौन था?
उ. वासुदेव भगवन्त जोगलेकर।
(५६) (५७)
417. अजन्ता क्षेत्र की उस जागीर का नाम बताइये जिसके प्रमुख गोविन्द
काशीराज देशपांडे ने क्रान्ति हेतु भीलों के संगठन में सक्रिय सहयोग दिया।
उ. वैजापुर।
418. 1857 में दक्षिण भारत में क्रान्ति का प्रमुख केन्द्र शोरापुर आजकल कहाँ
स्थित है?
उ. जिला गुलबर्गा (कर्नाटक)
419. धारवाड़ जिले के पुलिस पटेल के घर से 1 अक्टूबर 1857 को ब्रिटिश
अधिकारियों द्वारा विद्रोह से सम्बन्िधत दो पत्र पकड़े गए। इन्हें लिखने वाले
आनन्द राव कहाँ के थे?
उ. शोरापुर के।
420. दक्षिण भारत के प्रमुख क्रान्ति केन्द्र शोरापुर के 1857 के तत्कालीन राजा
का नाम क्या था?
उ. वैंकटपा नाईक।
421. 'नहीं कोई सामान्य से सामान्य 'वेदूर' भी बन्दी बनकर जीना नहीं चाहेगा
- क्या राजा होकर मैं ऐसा करूँगा? जब वे मुझे तोप से बाँध देंगे तो भी मैं
नहीं थर्राऊँगा, मुझे फाँसी पर मत चढ़ाने देना। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है
कि मुझे डाकू की तरह फाँसी पर लटकाया जाए।' शोरापुर के राजा ने अपने
बाल्यकाल के अभिभावक जिस अंग्रेज से यह बात कही उसका नाम
बताइये।
उ. मीडोल टेलर।
422. शोरापुर का राजा जो ब्रिटिश कैद में रहना या फाँसी पर चढऩा नहीं चाहता
था, मौका पाकर लेफ्टिनेंट पिक्टर की रिवॉल्वर से स्वयं को गोली मार ली।
यह घटना किस तिथि की है?
उ. 11 मई 1858 की।
423. धारवाड़ जिले के नरगुन्द रा
य के प्रमुख का नाम बताइये।
उ. भास्कर राव उपाख्य बाबा साहब भावे।
424. ब्रिटिश सरकार के निशस्त्रीकरण अभियान के तहत 7 मई 1858 को
नरगुन्द की सभी तोपें, बारुद और शोरे के भंडार कहाँ पहुँचा दिए गए?
उ. धारवाड़।
425. नरगुन्द के शासक ने स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग के लिए किस रा
य के
शासक को पत्र में लिखा कि 'अपमान से मृत्यु अधिक ोयस्कर है'?
उ. रामदुर्ग।
426. नरगुन्द पर आक्रमण के लिए सेना के साथ मैनसन चला। सुरेबान में डेरा
डाले मैनसन पर जब नरगुन्द के शासक ने आक्रमण किया तो मैनसन कहाँ
छिप गया?
उ. मारुति मन्िदर में।
427. नरगुन्द की सेना के जिस व्यक्ति ने 29 मई 1858 को सुरेबान में पराजित
मैनसन का सिर काटा, उसका नाम बताइये।
उ. विष्णु हिरेकोप (विष्णु कृष्ण कुलकर्णी)।
428. नरगुन्द के शासक को दक्षिणी मराठा शासकों में सबसे बुद्घिमान समझा
जाता था। उसके व्यक्तिगत संग्रह में संस्कृत के कितने ग्रन्थ थे?
उ. 4000 ग्रंथ।
429. नरगुन्द के शासक का व्यक्तिगत पुस्तकालय अंग्रेजों ने कब नष्ट कर
दिया?
उ. 1-2 जून 1858 के आक्रमण में।
430. नरगुन्द के शासक की माता यमुना बाई तथा पत्नी सावित्री बाई ने अंग्रेजों
के अपमान से बचने के लिए साँगला के समीप जिस नदी में जल समाधि ले
ली उसका नाम बताइये।
उ. मलप्रेमा।
431. भीमराव मुंडर्गी ने 1857 में उत्तरी कर्नाटक की किन दो नदियों के बीच
के क्षेत्र में अंग्रेजों की दासता से मुक्ति के लिए क्रान्ति की योजना बनाई?
उ. कृष्णा और तुंगभद्रा।
432. भीमराव मुंडर्गी ने जन क्रान्ति की तारीख 27 मई 1858 निश्चित की थी,
पर बिना तैयारी के उससे पूर्व ही सशस्त्र संघर्ष किस तारीख को प्रारम्भ हो
गया?
उ. 24 मई 1858 को।
433. उस गाँव का नाम बताइये जहाँ भीमराव मुंडर्गी के सहयोगी कंचन गौड़ा
के किलेबंद मकान से ब्रिटिश दल को युद्घ सामग्री का भंडार मिला।
उ. हम्मिगी।
(५८) (५९)
434. भीमराव मुंडर्गी ने ब्रिटिश रक्षा दल पर आक्रमण कर जब्त युद्घ सामग्री
तथा साथी कंचन गौड़ा को छुड़ा लिया। इस घटना की तिथि क्या थी?
उ. 24 मई 1858 को।
435. भीमराव मुंडर्गी ने कोपल के किले को किस तिथि को जीता?
उ. 30 मई 1858 को।
436. भीमराव मुंडर्गी द्वारा जीता गया कोपल का किला वर्तमान में कहाँ स्थित
है?
उ. बेलारी जिला (कर्नाटक)
437. हैदराबाद का ब्रिटिश प्रतिनिधि 15 मार्च 1859 को निजाम के दरबार में
ब्रिटिश गवर्नर जनरल की ओर से धन्यवाद पत्र लेकर उपस्थित हुआ।
कार्यक्रम के बाद टहलते हुए प्रतिनिधि पर एक पठान ने कारबाइन से
हमला कर दिया। यह ब्रिटिश प्रतिनिधि कौन था?
उ. कर्नल सी. डेविडसन।
438. सतारा के उन अपदस्थ राजा का नाम बताइये जो साधु बन गए तथा
जिन्होंने 1859 में बीड़ क्षेत्र में क्रान्ति की योजना को क्रियान्िवत किया।
उ. बालाजी गोसावी।
439. बीड़ के उस व्यक्ति का नाम बताइये जिसने अपना मकान 2000 रुपये में
गिरवी रखकर प्राप्त पैसों से अंग्रेजों के विरुद्घ फौज खड़ी की।
उ. तात्या मुदगल।
440. मार्च 1862 में निजाम की रियासत में ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों के लिए
आए नाना साहब पेशवा के भतीजे का क्या नाम था?
उ. राव साहब पेशवा।
441. निजाम के रा
य में अंग्रेजों के विरुद्घ एक साथ विभिन्न स्थानों पर जन
आन्दोलन की योजना भेद खुलने से विफल हो गई। इसके आरोपियों पर
अभियोग किस कांड के नाम से प्रसिद्घ है?
उ. बेगम बाजार कांड।
442. सतारा के छत्रपति शाहू के भांजे रामराव ने 1867 में बीदर जिले की किस
गढ़ी को जीतकर भगवा ध्वज फहराया?
उ. अष्ठी गढ़ी।
443. कर्नाटक के भीमराव मुंडर्गी के सामान में नाना साहब पेशवा द्वारा दक्षिणी
भारत के लिए 1858 में जारी घोषणा पत्र की कितनी प्रतियाँ मिली?
उ. बारह।
444. नरगुन्द किले के उस द्वार का नाम बताइये जिस पर सी. जे. मैनसन का
सिर लटकाया गया था।
उ. केम्पगसी (लाल फाटक)
445. 'विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि पुंो के समीप तीन संस्थानों की
वार्षिक सहायता, जिनके नाम त्र्यम्बकेश्वर, परशुराम तथा पासन हैं, ईस्ट
इंडिया कम्पनी की सरकार के द्वारा समाप्त कर दी गई है।' 21 दिसम्बर
1857 को यह समाचार पुंो के किस समाचार पत्र में छपा था?
उ. ज्ञान प्रकाश।
446. '.... मुन्नी बाई ने नित्य प्रति की पूजा के लिए धूप बत्ती जलाकर देवी और
देवताओं से प्रार्थना की- वर्तमान शासन समाप्त हो जाए और नाना साहब
विजयी हों....' यह किस अभियोग से सम्बन्िधत प्रपत्र का अंश है?
उ. कोयम्बटूर अभियोग।
447. 1857 की क्रान्ति के लिए दंिडत अंडमान स्थित व्यक्तियों में अन्तिम
जीवित व्यक्ति का नाम बताइये जिसे 1907 में मुक्त किया गया था।
उ. मुसाई सिंह।
448. भारतीय समाज को बाँटने वाले तीनों कारणों का 1857 में अतिक्रमण हो
गया। ये तीन बाँटने वाले कारण क्या थे?
उ. मजहब, जाति और वर्ग।
449. 1857 पर सबसे पहली पुस्तक जॉन केयी ने लिखी। उसका नाम क्या है?
उ. 'ए हिस्टरी ऑफ द सिपॉय वॉर इन इंडिया'।
450. जॉन केयी के आकस्मिक निधन के बाद जॉर्ज मालेसन ने 1857 पर जो
अगले खंड प्रकाशित किए उनका नाम क्या रखा?
उ. 'हिस्टरी ऑफ इंिडयन म्यूटिनी'।
451. जॉन केयी के ही कार्य को आगे बढ़ाने वाले जॉर्ज मालेसन ने पुस्तक के
शीर्षक में क्या मूलभूत परिवर्तन कर दिया?
उ. केयी ने जिसे 'वॉर' कहा, मालेसन ने उसे 'म्यूटिनी' बना दिया।
(६०) (६१)
452. न्यूयॉर्क डेली ट्रिब्यून में छपे अपने लेखों में किसने स्पष्ट लिखा कि 1857
भारत का प्रथम स्वाधीनता संग्राम था?
उ. कार्ल माक्र्स ने।
453. वीर सावरकर द्वारा 1857 पर लिखित पुस्तक का मराठी शीर्षक क्या था?
उ. 1857 या स्वातंत्र्य समरांचा इतिहास।
454. 'यह सत्य है कि ब्रिटिश साम्रा
य पर कभी सूर्य अस्त नहीं होता, लेकिन
यह भी सत्य है कि उसके साम्रा
य में खून की नदियाँ कभी नहीं सूखती'
यह कथन जिस लंदनवासी प्रसिद्घ लेखक का है, उनका नाम लिखिये।
उ. अर्नेस्ट जोंस।
455. दिल्ली में 1857 की घटनाओं पर 'दस्तंबू' नामक डायरी के लेखक का
नाम बताइये।
उ. मिर्जा गालिब।
456. '1857 के स्वाधीनता संग्राम का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव' इस शोध ग्रन्थ
के लेखक का नाम बताइये।
उ. डॉ. भगवानदास माहौर।
457. ब्रिटिश संसद में सरकारी स्तर पर भारत में ईसाई मत का प्रचार करने का
कानून किस सन् में बना?
उ. 1813 ई. में।
458. 'भारत पर हमारे अधिकार का अन्तिम उद्देश्य देश को ईसाई बनाना है।'
यह वाक्यांश किस अंग्रेज अधिकारी की डायरी का है?
उ. मेजर एडवर्ड।
459. अंग्रेजों ने एक कानून बनाया कि गोद लिए बो को पैतृक सम्पिा में
अधिकार नहीं होगा। पर इसके लागू न होने का क्या प्रावधान था?
उ. ईसाई बनने पर।
460. 1857 के क्रान्ति यज्ञ में कितने लोगों की आहुति हुई?
उ. लगभग तीन लाख।
461. अंग्रेजों की कुल सेना में कितने प्रतिशत भारतीय थे?
उ. 84 प्रतिशत।
462. भारत में अंग्रेजों की कुल सेना कितनी थी?
उ. 2,83,000 अंग्रेज सैनिक।
463. दिल्ली पर स्वतंत्रता सेनानियों का कब्जा होने के बाद भागने वाले ईस्ट
इंडिया कम्पनी के अधिकारियों में पंिडत जवाहरलाल नेहरु के दादा भी
थे। उनका नाम क्या है?
उ. पंिडत गंगाधर नेहरु।
464. 1857 के सभी मुस्लिम नेताओं ने अपने लेखों, भाषणों, घोषणाओं में भारत
को क्या सम्बोधन दिया है?
उ. मादरे वतन।
465. 1857 के स्वातंत्र्य समर के समय अवध प्रान्त के अमीर अली और बाबा
रामचरण दास के मध्य क्या समझौता हुआ?
उ. अयोध्या में राम मन्िदर निर्माण का।
466. अयोध्या के बाबा रामचरण दास व अमीर अली को अंग्रेजों ने फाँसी पर
लटका दिया। उनकी फाँसी की तिथि बताइये।
उ. 18 मार्च 1858 के दिन।
467. पंजाब की तत्कालीन प्रशासकीय रिपोर्टों के अनुसार 1857 के स्वतंत्रता
संग्राम के दौरान कितने लोगों को फाँसी दी गई व हत्या की गई?
उ. फाँसी - 386 तथा हत्या - 2000 की गई।
468. मंगल पांडे को फाँसी लगने से कुछ दिन पहले चित्तौडग़ढ़ के एक
चित्रकार उनसे जेल में मिले और उनका चित्र बनाया था। उस चित्रकार का
नाम क्या है?
उ. प्रेम जी।
469. जन साधारण से संवाद स्थापित करने के लिए अजीमुल्ला खाँ द्वारा निकाले
गए समाचार पत्र का नाम क्या था?
उ. पयामे आजादी।
470. अजीमुल्ला खाँ को कितनी भाषाओं का ज्ञान था?
उ. छ: (अंग्रेजी, फ्रैंच, अरबी, फारसी, हिन्दी, संस्कृत)।
471. रूस के तत्कालीन जार ने अंग्रेजों के विरुद्घ भारतीय स्वातंत्र्य योद्घाओं की
सहायता का वचन अजीमुल्ला खाँ को दिया था। किन्तु मार्च 1855 में उनका
निधन होने से सहायता नहीं मिली। रूस के उस जार का नाम क्या है?
उ. जार निकोलस।
(६२) (६३)
472. 'वस्तुत: इस गीत में उन सभी आक्षेपों का करारा उत्तर है जो 1857 के
स्वतंत्रता संग्राम को कुछ धर्मान्ध सिपाहियों का निरा गदर या सामन्ती
प्रतिक्रियावादियों की एक प्रतिक्रान्ति का प्रयास प्रतिपादित करने का प्रयास
कर रहे थे।' इस गीत के लेखक कौन थे?
उ. अजीमुल्ला खाँ।
473. 1857 के स्वातंत्र्य समर के समय लिखा गया झंडा गीत या प्रयाण गीत
सर्वप्रथम किसमें प्रकाशित हुआ?
उ. पयामे आजादी नामक पत्र में।
474. जानिमी कावा किसे कहते हैं?
उ. छापामार या वृक युद्घ पद्घति को।
475. तात्या टोपे का 'टोपे' नाम किस कारण से जुड़ा?
उ. पेशवा बाजीराव (द्वितीय) द्वारा भेंट रत्नजडि़त टोपी के कारण।
476. तात्या टोपे अंग्रेजों की प्रचंड शक्ति से किस अवधि तक सतत् संघर्ष
करते रहे?
उ. जून 1858 से अप्रेल 1859 तक (दस माह)।
477. ग्वालियर के जयाजीराव सिंधिया ने तात्या टोपे पर आक्रमण के लिए जो
सेना भेजी, उसका परिणाम क्या हुआ?
उ. सारी सेना तात्या टोपे के साथ हो गई।
478. मानसिंह की चतुराई से अंग्रेजों ने किसे तात्या टोपे समझकर बन्दी बना
लिया?
उ. नारायण राव भागवत को।
479. अंग्रेज सेना को उलझाकर लक्ष्मीबाई को झाँसी से निकालने में सहायता के
लिए महारानी का वेश बनाकर प्राणान्त तक लडऩे वाली वीरांगना का नाम
बताइये।
उ. झलकारी बाई।
480. लक्ष्मीबाई को रातोंरात झाँसी से कालपी पहुँचाकर घोड़े ने दम तोड़ दिया।
घोड़े की पीठ पर रानी ने एक रात में कुल कितना सफर किया था?
उ. 102 मील।
481. महारानी लक्ष्मीबाई की सेना की महिला तोपची का नाम बताइये।
उ. जूही।
482. उस नाले का नाम बताइये जिसे पार करते हुए महारानी लक्ष्मीबाई का नया
घोड़ा अड़ गया और उसी समय अंग्रेज सैनिक ने पीछे से वार कर महारानी
के मस्तक का दायाँ भाग काट दिया।
उ. स्वर्ण रेखा नाला।
483. महारानी लक्ष्मीबाई का अन्तिम संस्कार किस स्थान पर किया गया?
उ. बाबा गंगादास की कुटिया पर।
484. महारानी लक्ष्मीबाई के साथ ही उनकी एक प्रिय सहेली का अन्तिम
संस्कार किया गया। सहेली का नाम बताइये।
उ. मुंदर।
485. महारानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस बताइये।
उ. 18 जून 1858 का दिन।
486. महारानी लक्ष्मीबाई के पास अन्तिम समय पर कौन दो लोग थे?
उ. रघुनाथ सिंह व रामचन्द्र राव देशमुख।
487. महारानी लक्ष्मीबाई की बलिदान के समय आयु कितने वर्ष थी?
उ. 23 वर्ष।
488. 'खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी' इस प्रसिद्घ कविता को
जिसने लिखा उसका नाम बताइये।
उ. सुभद्राकुमारी चौहान।
489. उस व्यक्ति का नाम बताइये जिसे वीर सावरकर ने स्वातंत्र्य समर के समय
का राष्ट्रीय संत कहा है।
उ. मौलवी अहमदशाह।
490. पूरे रुहेलखंड में स्वातंत्र्य समर के लिए गुप्त संगठन बनाने वाले व्यक्ति
का नाम बताइये।
उ. खान बहादुर खान।
491. वयोवृद्घ कुँवर सिंह लगातार कितने माह तक युद्घ के मैदान में रहे?
उ. नौ माह।
492. बहादुर शाह जफर को कैद करके किस जगह भेजा गया था?
उ. रंगून।
493. बहादुर शाह जफर की मृत्यु कब हुई?
उ. 7 नवम्बर 1862 को।
494. 'गाजियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की, तख्ते लंदन तक चलेगी तेग
हिन्दुस्थान की।' बहादुर शाह जफर ने किसके व्यंग्य बाणों के प्रत्युत्तर में
यह कविता कही।
उ. मेजर हडसन।
(६४) (६५)
495. नाना साहब पेशवा की उस छोटी सी पुत्री का नाम बताइये जिसे अंग्रेजों ने
जिन्दा जला दिया।
उ. मैना।
496. रामगढ़ की उस रानी का नाम बताइये जिसने अंग्रेज सेनापति वाडिंगटन
को खैर नामक स्थान पर परास्त किया।
उ. रानी अवन्ती बाई।
497. गोंडा की लक्ष्मीबाई के नाम से प्रसिद्घ वीरांगना कौन है?
उ. तुलसीपुर की रानी ईश्वरी कुमारी।
498. जिसने अकेले लड़ते हुए घंटों अंग्रेजी सेना को लखनऊ के सिकन्दर बाग
में प्रवेश नहीं करने दिया उस वीर माता का नाम बताइये।
उ. ऊदा देवी।
499. राजस्थान में अंग्रेजों की कितनी सैनिक छावनियाँ थीं?
उ. छ: (नसीराबाद, नीमच, ब्यावर, देवली, एरिनपुरा तथा खैरवाड़ा)
500. राजस्थान में क्रान्ति का विस्फोट किस तिथि को हुआ?
उ. 28 मई 1857 को।
प्रश्नोत्तरी ५०१ से ६००
सम्पादन501. राजस्थान में क्रान्ति का प्रारम्भ किस छावनी से हुआ?
उ. नसीराबाद।
502. राजस्थान में क्रान्ति का आरम्भ करने वाली सेना की कौनसी पलटन थी?
उ. 15 वीं नेटिव इन्फेन्ट्री।
503. राजस्थान में क्रान्ति का आरम्भ करने वाले सैनिकों का नेतृत्वकर्ता कौन था?
उ. बख्तावर सिंह।
504. नीमच छावनी में सैनिकों ने किस तिथि को अंग्रेजों के विरुद्घ शस्त्र उठा
लिए?
उ. 3 जून 1857 को।
505. नीमच के क्रान्तिकारियों ने अपना कमांडर किसे नियुक्त किया था?
उ. सूबेदार गुरेसराम को।
506. नीमच से आने वाले सैनिकों का मेवाड़ के एक ठिकाने के नरेश ने स्वागत
व सहयोग किया। उस ठिकाने का नाम बताइये।
उ. शाहपुरा।
507. कोटा में मौजूद भारतीय सैनिकों तथा जनता में आजादी की प्रबल अग्िन
प्र
वलित करने वाले देशभक्तों के दो मुखियाओं के नाम बताइये।
उ. लाला जयदयाल और मेहराब खान।
508. 15 अक्टूबर 1857 को कोटा रा
य की दो पलटनों के सभी सैनिकों ने जिस
अंग्रेज मेजर को घ्ोरकर मार दिया, उसका नाम बताइये।
उ. मेजर बर्टन।
509. 15 अक्टूबर 1857 को कोटा रा
य की जिन दो पलटनों ने क्रान्ति की,
उनके नाम लिखिये।
उ. नारायण पलटन तथा भवानी पलटन।
510. 17 सितम्बर 1860 को कोटा एजेंसी के बंगले के पास उसी स्थान पर दो
लोगों को फाँसी दी गई जिस जगह मेजर बर्टन का वध हुआ था। फाँसी के
फँदे को चूमने वाले उन दो वीरों के नाम बताइये।
उ. लाला जयदयाल तथा मेहराब खान।
511. जोधपुर रा
य प्रतिवर्ष अंग्रेजों को कितना धन देता था?
उ. सवा लाख रुपया।
512. जोधपुर रा
य के खर्च पर अंग्रेजों ने एरिनपुरा छावनी में एक सेना रखी थी।
उस सेना का नाम क्या था?
उ. जोधपुर लीजन।
513. नसीराबाद के क्रान्तिकारी सनिकों को दबाने के लिए भेजी गई जोधपुर की
सेना ने क्रान्तिकारियों के विरुद्घ लडऩे से मना कर दिया। इस सेना के प्रमुख
का नाम क्या था?
उ. कुशलराज सिंघवी।
514. अगस्त 1857 में एरिनपुरा छावनी में सैनिकों की एक टुकड़ी को रोवा
ठाकुर के विरुद्घ अनादरा भेजा गया था। इस टुकड़ी का नायक कौन था?
उ. हवलदार गोजन सिंह।
515. रोवा ठाकुर के विरुद्घ अनादरा भेजी गई एरिनपुरा छावनी की सैनिक
टुकड़ी ने सौंपा गया कार्य करने की बजाय फिरंगियों पर हमला कर क्रान्ति
का शंखनाद कर दिया। फिरंगियों पर यह आक्रमण किस स्थान पर हुआ
था?
उ. आबू पर्वत (माउंट आबू)
516. एरिनपुरा छावनी के सैनिकों ने किस तिथि को फिरंगियों पर आक्रमण
किया था?
उ. 21 अगस्त 1857 को।
517. एरिनपुरा छावनी के सैनिकों ने अपना मुखिया किसे बनाया?
उ. मेहराब सिंह को।
(६६) (६७)
518. 1857 में क्रान्ति का प्रतीक बना 'आउवा' राजस्थान के किस जिले में है?
उ. पाली।
519. 'आउवा' के क्रान्तिकारी ठाकुर का नाम क्या था?
उ. ठाकुर कुशाल सिंह।
520. अंग्रेजों के विरुद्घ आउवा में एकत्रित फौजों में लगभग कितने ठिकानों की
फौजें थीं?
उ. 10 (आसोप, गूलर, आलनियावास, लाम्बिया, बन्तावास, रूदावास, सलूम्बर,
रूपनगर, लासाणी तथा आसीन्द)
521. आउवा की क्रान्ति को दबाने के लिए गई जोधपुर की विशाल सेना के
प्रमुख का नाम क्या था?
उ. अनाड़ सिंह।
522. आउवा पर आक्रमण के लिए कूच करने वाली जोधपुर की सेना के साथ
अंग्रेज अपनी सेना के साथ आ मिला। इस अंग्रेज सेनानायक का नाम क्या था?
उ. हीथकोट।
523. 8 सितम्बर 1857 को स्वरा
य के सैनिकों ने जोधपुर की सेना पर आक्रमण
कर दिया। यह युद्घ किस स्थान पर हुआ?
उ. बिथौड़ा।
524. 8 सितम्बर 1857 को जोधपुर सेना व स्वरा
य सैनिकों के मध्य युद्घ का
परिणाम क्या रहा?
उ. अनाड़ सिंह मारा गया, हीथकोट भाग गया।
525. 18 सितम्बर को जॉर्ज लॉरेंस ब्यावर से विशाल सेना लेकर आउवा की
तरफ चला। स्वातंत्र्य सैनिकों से इसका युद्घ किस स्थान पर हुआ?
उ. चेलावास।
526. जॉर्ज लॉरेंस की युद्घ में सहायता के लिए जोधपुर का पॉलिटिकल एजेन्ट
भी था। क्रान्तिकारियों ने उसका सिर काटकर शव आउवा किले के दरवाजे
पर उल्टा टांग दिया। उस पॉलिटिकल एजेन्ट का नाम बताइये।
उ. मॉक मेसन।
527. दिल्ली में क्रान्तिकारियों की स्थिति कमजोर होने का समाचार आउवा
पहुँचने पर सबने मंत्रणा कर क्रान्ति सेना का बड़ा हिस्सा दिल्ली के लिए
रवाना कर दिया। इस फौज की कमान किसे सौंपी गई?
उ. आसोप ठाकुर शिवनाथ सिंह को।
528. फौज का बड़ा हिस्सा दिल्ली भेजने तथा किलेदार के विश्वासघात के
कारण अन्तत: आउवा की पराजय हो गई। इस युद्घ की तिथि बताइये।
उ. 20 जनवरी 1858 के दिन।
529. आउवा की पराजय के बाद कर्नल होम्स किले की एक प्रसिद्घ देवी
प्रतिमा उठा लाया। यह प्रतिमा किस देवी की है?
उ. महाकाली की।
530. कर्नल होम्स द्वारा आउवा से लाई गई देवी प्रतिमा इस समय कहाँ है?
उ. राजकीय संग्रहालय, अजमेर।
531. मासिक 'चाँद' का नवम्बर 1928 के अंक का नाम बताइये जिसे प्रकाशन
पूर्व प्रतिबंधित कर दिया गया?
उ. फाँसी अंक।
532. मासिक 'चाँद' के नवम्बर 1928 के अंक में 1857 पर एक लेख किस
शीर्षक से छपा था?
उ. सन् 57 के कुछ संस्मरण।
533. 'ये लोग विद्रोही न थे, बल्कि नगर निवासी थे, जिन्हें हमारी दयालुता और
क्षमाशीलता पर विश्वास था। मुझे खुशी है उनका भ्रम दूर हो गया।' बोम्बे
टेलीग्राफ में एक पत्र में दिल्ली के कत्लेआम और लूट को जायज ठहराने
वाले अंग्रेज अधिकारी का नाम बताइये।
उ. मोंटगोमरी मार्टिन।
534. 'जिस कविता को लिखने के कारण हम लोगों को मृत्युदंड दिया जा रहा
है, हम लोग मृत्यु से पूर्व वह कविता सुनाना चाहते हैं।' गढ़ मंडला के उन
पिता-पुत्र कवियों के नाम बताइये।
उ. राजा शंकर शाह तथा रघुनाथ शाह।
535. गढ़ मंडला के पिता-पुत्र कवियों को क्रान्तिकारी रचनाओं के कारण तोप
के मुँह पर बाँधकर उड़ा दिया गया। उनके बलिदान की तिथि बताइये।
उ. 18 सितम्बर 1858 के दिन।
536. सेठ लाला मटोलचंद अग्रवाल ने स्वाधीनता के संघर्ष हेतु अपना सारा खजाना
बहादुर शाह जफर को भेंट कर दिया। इन सेठजी का निवास स्थान कहाँ था?
उ. डासना (गाजियाबाद)।
537. दिल्ली के गुड़वाला सेठ का पूरा नाम बताइये जिन्होंने बहादुर शाह जफर
की आर्थिक सहायता की पर अंग्रेजों को धन देने से मना कर दिया।
उ. सेठ रामजीदास गुड़वाला।
(६८) (६९)
538. दिल्ली के गुड़वाला सेठ द्वारा अंग्रेजों को धन देने से मना करने पर अंग्रेजों
ने अपनी क्रूरता दिखाते हुए सेठजी को एक गड्ढे में कमर तक गाड़कर
शिकारी कुत्ते छोड़े तथा अन्तत: फाँसी पर लटका दिया। दिल्ली का वह
प्रसिद्घ स्थान कौनसा है जहाँ उन्हें फाँसी दी गई?
उ. चाँदनी चौक।
539. ग्वालियर के सेठ अमरचन्द बाँठिया मूलत: कहाँ के रहने वाले थे?
उ. बीकानेर (राजस्थान)।
540. सेठ अमरचन्द बाँठिया ने ग्वालियर का सारा राजकोष किस स्वातंत्र्य योद्घा
को भेंट कर दिया?
उ. महारानी लक्ष्मीबाई।
541. सेठ अमरचन्द बाँठिया पर राजद्रोह का आरोप लगा तब यह बात उन्होंने
किस अंग्रेज अधिकारी से कही - 'तुम हमारे देश के दुश्मन हो और दुश्मन
के प्रति द्रोह करना अपने देश के प्रति वफादारी है'?
उ. ब्रिगेडियर नेपियर।
542. कंदर्पेश्वर सिंह और मनीराम दत्त ने किस क्षेत्र में ब्रिटिश शासन को
उखाडऩे की तैयारी की?
उ. असम।
543. नाथद्वारा में तात्या टोपे को श्रीनाथ जी के दर्शन कराने वाले मन्िदर के मुख्य
पुजारी जी का नाम बताइये।
उ. गोस्वामी तिलकायत जी।
544. मेरठ छावनी के उस अंग्रेज अधिकारी का नाम बताइये जो क्रान्ति सैनिकों
की ओर से लड़ा।
उ. रिचर्ड विलियम्स।
545. डॉ. वाकणकर के अनुसार अम्बाजी का मन्िदर किसने बनवाया, जिनका
साधुवेश में चित्र उसी मन्िदर में लगा है?
उ. तात्या टोपे।
546. स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपने स्वरचित जीवन चरित्र में 1857-1859
की अवधि में किस क्षेत्र में रहने का उल्लेख किया है?
उ. नर्मदा तट पर।
547. नरसी महता के प्रसंग में 1857 में अंग्रेजों द्वारा मन्िदर की मूर्ति तोडऩे तथा
बाघ्ोर लोगों द्वारा उसे बचाने के लिए वीरता दिखाने का उल्लेख स्वामी
दयानन्द सरस्वती ने 'सत्यार्थ प्रकाश' के किस समुल्लास में किया है?
उ. ग्यारहवाँ समुल्लास।
548. 'वत्स! भारत देश से विदेशी शासन को उखाड़ फैंकने के लिए नर्मदा तट
पर सन्त वर्ग एक रूपरेखा तैयार कर रहा है। वह सर्वथा गुप्त है। समस्त देश
में निश्चित तिथि को नियत समय पर उसका विस्फोटन होगा।' कनखल
हरिद्वार में स्वामी दयानन्द सरस्वती से यह बात किसने कही?
उ. महात्मा सम्पूर्णानन्द जी ने।
549. नाना साहब पेशवा स्वामी दयानन्द सरस्वती से विचार विमर्श करने के
लिए आए थे। यह विवरण 12 जनवरी 69 के जिस साप्ताहिक पत्र में छपा है
उसका नाम बताइये।
उ. सार्वदेशिक।
550. आर्य समाज द्वारा जुटाए गए विवरण के अनुसार नाना साहब पेशवा की
समाधि नेपाल में नहीं है। तो उनके अनुसार उनकी समाधि कहाँ स्थित है?
उ. मोरवी (गुजरात) के शंकर आश्रम में।
551. नीमच छावनी में कर्नल एबॉट ने सैनिकों द्वारा ली गई वफादारी की शपथ
का स्मरण कराया तो यह किसने कहा - 'अंग्रेजों ने स्वयं ने अपनी शपथ का
पालन नहीं किया है, क्या आपने अवध का अपहरण नहीं किया? इसलिए
भारतीय भी अपनी शपथ का पालन करने को बाध्य नहीं हैं।'
उ. मोहम्मद अली।
552. नीमच छावनी से भयभीत होकर भागे अंग्रेज परिवारों के 40 सदस्यों को
मेवाड़ के डूँगला गाँव के एक किसान ने शरण प्रदान की। उस किसान का
नाम बताइये।
उ. रूँगाराम।
553. टोंक की जनता व सेना क्रान्तिकारियों के साथ थी तथा यहाँ से 600
स्वातंत्र्य योद्घा दिल्ली गए थे। यह सूचना जिस डायरी से प्राप्त होती है, उसके
लेखक का नाम बताइये।
उ. मुंशी जीवनलाल।
554. टोंक नवाब के मामा का नाम बताइये जिसने ईस्ट इंडिया कम्पनी सरकार
का खुला विरोध किया था?
उ. मीर आलम खाँ।
555. मोहम्मद मुजीब के उस नाटक का नाम बताइये जिसमें 1857 की क्रान्ति
में टोंक की स्त्रियों के भी भाग लेने का उल्लेख है।
उ. आजमाइस।
(७०) (७१)
556. अंग्रेजों को आउवा के किले से कितने शस्त्रास्त्र मिले?
उ. 6 पीतल, 7 लोहे की तोप, तीन टन बारुद, तीन हजार राउंड तोप के
गोले।
557. अंग्रेजों ने आउवा से प्राप्त तोपें कहाँ भेजी?
उ. अजमेर।
558. अंग्रेजों ने आउवा से प्राप्त बारुद का उपयोग किस कार्य में किया?
उ. गढ़ को ध्वस्त करने में।
559. 'ठाकुर कुशाल सिंह के सहयोगी समरथ सिंह द्वारा मारवाड़ व मेवाड़ के
सामन्तों को अंग्रेजों के विरुद्घ संगठित करने का प्रयत्न हो रहा था।' यह बात
जिस पत्र से ज्ञात होती है वह किसने लिखा था?
उ. देवगढ़ (मेवाड़) के रावत रणजीत सिंह ने।
560. 'ठाकुर कुशाल सिंह के सहयोगी समरथ सिंह द्वारा मारवाड़ व मेवाड़ के
सामन्तों को अंग्रेजों के विरुद्घ संगठित करने का प्रयत्न हो रहा था।' कार्तिक
कृष्णा-13 संवत् 1914 को लिखे गए जिस पत्र से यह बात ज्ञात होती है वह
पत्र नीमच छावनी में नियुक्त किस व्यक्ति को लिखा गया था?
उ. मेहता शेरसिंह को।
561. आउवा से पराजित होकर लौटते समय जॉन लॉरेंस की सेना को रसद और
आश्रय देने से मना करने वाले ठाकुर कौन थे?
उ. बगड़ी ठाकुर।
562. आउवा से आए विद्रोही सैनिकों को अपने गढ़ में आश्रय देने वाले और
इसके लिए अंग्रेजों की सेना से युद्घ करने वाले ठाकुर कहाँ के थे?
उ. सिरियारी के।
563. 1857 में अजमेर के खजाने की सुरक्षा के लिए जोधपुर से भेजी गई सेना
का पड़ाव किस स्थान पर था?
उ. आनासागर के किनारे।
564. 1857 में जोधपुर से अजमेर भेजी गई सेना को लेफ्टिनेंट कारनेल ने
वापस क्यों भेजा?
उ. सैनिकों ने भूतपूर्व ए.जी.जी. सदरलैंड की प्रतिमा पर पत्थर फैंके थे।
565. नसीराबाद एवं नीमच के क्रान्तिकारियों का पीछा करने के लिए जोधपुर से
एक सेना भेजी गई। इस सेना ने पीछा तो किया पर उन्हें रोकने या टकराने
का प्रयत्न नहीं किया। इस सेना का नेतृत्व कौन कर रहा था?
उ. केप्टन हार्ड केसल।
566. मरवाड़ की सेना की क्रान्तिकारियों से सहानुभूति थी अत: युद्घ में उनके
व्यवहार से खिन्न होकर यह किसने लिखा - 'मारवाड़ी सैनिक विद्रोहियों
के समक्ष अर्दली की भाँति नृत्य करने के अभ्यस्थ हैं'?
उ. जॉर्ज लौरेंस (ए.जी.जी.)।
567. आउवा में संघर्ष किस सन् तक चलता रहा?
उ. 1861 ई. तक।
568. 1857 की क्रान्ति के समय जोधपुर सम्भाग में ब्रिटिश विरोधी भावना सर्वत्र
व्याप्त थी। यह बात जॉर्ज लॉरेंस को 16 मई 1858 को लिखे पत्र में किसने
स्वीकार की?
उ. जोधपुर के कार्यवाहक पॉलिटिकल एजेंट मोरीसन ने।
569. जोधपुर के बारुद भंडार में विस्फोट किस तिथि को हुआ था?
उ. 10 अगस्त 1857 को।
570. जोधपुर किले में बारुद भंडार किस जगह स्थित था?
उ. गोपाल पोल के पास।
571. जोधपुर किले के बारुद भंडार की विशालता का अनुमान इस बात से
होता है कि विस्फोट के बाद चारमन का पत्थर कितनी दूर पहुँचा।
उ. छ: मील।
572. केप्टन मेसन की हत्या का समाचार उसकी पत्नी एवं बाों को देने के
लिए जोधपुर महाराजा ने मेहता विजयमल और सिंघवी समरथ राज को
उनके आवास पर भेजा। जोधपुर में उसका आवास कहाँ था?
उ. सूर सागर।
573. केप्टन मेसन की आउवा में हत्या के बाद भी जोधपुर किले में शोकस्वरूप
'नौबत' बजाना नहीं रुका जबकि जोधपुर सेना के एक सेनापति के आउवा
में मारे जाने पर 'नौबत' नहीं बजी। उस सेनापति का नाम बताइये।
उ. अनाड़ सिंह पँवार।
(७२)
संदर्भ ग्रंथ
सम्पादन1. 1857 का भारतीय स्वातंत्र्य समर, विनायक दामोदर सावरकर, हिन्दी संस्करण, 1993
2. 1857 के स्वाधीनता संग्राम में दक्षिण भारत का योगदान : डॉ. वा.द.दिवेकर, हिन्दी संस्करण, 2001, भारतीय इतिहास संकलन समिति, आगरा।
3. 1857 का स्वातंत्र्य समर : एक पुनरावलोकन, डॉ. सतीश चन्द्र मित्तल, अ.भा. इतिहास संकलन योजना।
4. राजस्थान का स्वाधीनता संग्राम : डॉ. प्रकाश व्यास, संस्करण 1985, पंचशील प्रकाशन, जयपुर।
5. आधुनिक राजस्थान का वृहत इतिहास : भाग-2।
6. पाथेय-कण, अप्रेल 2007।
7. आँखों देखा गदर (विष्णु भट्ट गोडशे कृत 'माझा प्रवास' का हिन्दी अनुवाद) अनुवादक : अमृतलाल नागर, राजपाल एंड सन्स, 1990 संस्करण।
8. 1857 का संग्राम : वि. स. तालिंबे। अनुवादक : विजय प्रभाकर, नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, संस्करण 2006।
9. रानी लक्ष्मीबाई : वृन्दावन लाल वर्मा, नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, उन्तीसवीं आवृत्ति, 2006।
10. उन्नीसवीं शताब्दी का अजमेर : डॉ. राजेन्द्र जोशी, राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, संस्करण 1972।
11. अट्ठारह सौ सत्तावन और स्वामी दयानन्द : वासुदेव शर्मा, प्रथम संस्करण : 1970, भारतीय लोक समिति, नई दिल्ली।
12. पाञ्चजन्य : 6 मई 2007।