प्रार्थना/ऐ मालिक तेरे बंदे हम

ऐ मालिक तेरे बन्दे हम.... ऐसे हों हमारे करम..... नेकी पर चले और बदी से ले,...... ताकी हँसते हुए निकले दम....... ऐ मालिक तेरे बंदे हम.......

ये अंधेरा घना छा रहा, तेरा इंसान घबरा रहा। हो रहा बेख़बर, कुछ ना आता नज़र, सुख का सूरज छिपा जा रहा। है तेरी रोशनी में जो दम, वो अमावस को कर दे पूनम। नेकी पर चले और वती से टले, ताकी हँसते हुए निकले दम। ऐ मालिक तेरे बंदे हम..........

बड़ा कमज़ोर है आदमी, अभी लाखों हैं इस में कमी। पर तू जो खड़ा, है दयालु बड़ा, तेरी कृपा से धरती थमी। दिया तूने हमें जब जनम, तू ही ले लेगा हम सब के ग़म। नेकी पर चले और वती से टले, ताकी हँसते हुए निकले दम। ऐ मालिक तेरे बंदे हम........

जब जुल्मों का हो सामना, तब तू ही हमें थामना। वो बुराई करें, हम भलाई करे, न ही बदले की हो भावना। बढ़ उठे प्यार का हर कदम, और मिठे बैर का ये भरम।

नेकी पर चले और बदी से टले, ताकी हँसते हुये निकले दम। ऐ मालिक तेरे बंदे हम.... ..

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