भारतीय अर्थव्यवस्था/निर्धनता
निर्धनता या गरीबी वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति धन के अभाव के कारण अपनी तथा अपने आश्रित सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाता है| जिसके कारण उसके परिवार को जीवन की न्यूनतम आवश्यकता जैसे रोटी, कपड़ा, मकान भी उपलब्ध नहीं हो पाता| दूसरे शब्दों में कहें तो समाज का वह व्यक्ति जो अपनी बुनियादी आवश्यकताआों जैसे – भोजन, वस्त्र, आवास को पूरा करने में असमर्थ होता है गरीब कहा जाता है|
गिलिन एवं गिलिन (Gillin and Gillin) के अनुसार निर्धनता वह दशा है जिसमें एक व्यक्ति अपर्याप्त आय या विचारहीन व्यय के कारण अपने जीवन स्तर को इतना ऊँचा नहीं रख पाता, जिससे उसकी शारीरिक एवं मानसिक कुशलता बनी रहे और वह तथा उसके आश्रित समाज के स्तर के अनुसार जीवन व्यतीत कर सकें|[१]
बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2019 (Multidimensional Poverty Index- MPI)
सम्पादनचित्र:विश्व बैंक के अनुसार 1981 से 2008 के बीच गरीबी आनुपातीक रूप से घटा है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी इस सूचकांक के अनुसार भारत ने वर्ष 2006 से वर्ष 2016 के बीच 271 मिलियन(27.9%) लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।[२]
- भारत ने ‘संपत्ति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता और पोषण’ जैसे मापदंडों में मज़बूत सुधार किया है।
- 101 देशों पर किये गए इस अध्ययन में पाया गया है कि :
31 देश निम्न आय वाले देश हैं, 68 देश मध्यम आय वाले देश हैं, और 2 देश उच्च आय वाले देश हैं
- विश्व स्तर पर कुल 1.3 बिलियन(23.1%) लोग ‘बहुआयामी गरीब’ हैं और उनमे से एक तिहाई लोग (करीब 886 मिलियन) लोग माध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। इसके अतिरिक्त शेष बचे लोग निम्न आय वाले देशों में रहते हैं।
- रिपोर्ट में गरीबी में कमी को दर्शाने के लिये ऐसे दस देशों की पहचान की गई है जिनकी आबादी करीब 2 बिलियन है और उन सभी 10 देशों ने सतत् विकास लक्ष्य 1 (गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति) की प्राप्ति में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
- भारत सहित उन दस देशों में बांग्लादेश, कंबोडिया, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, इथियोपिया, हैती, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पेरू और वियतनाम भी शामिल थे।
- भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश ने भी 2004 से 2014 के बीच लगभग 19 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
- वर्ष 2005-06 के भारत का MPI 0.283 था वहीं वर्ष 2015-16 के बीच यह घटकर 0.123 हो गया है।
वर्ष 2005-06 में लगभग 640 मिलियन लोग ‘बहुआयामी गरीबी’ में रहते थे, जबकि वर्ष 2015-16 में यह आँकड़ा 369 मिलियन(36.9करोड) हो गया।
- भारत का झारखंड राज्य ‘बहुआयामी गरीबी’ को सबसे तेज़ी से हटाने वाला राज्य है, झारखंड में 2005-06 में यह 74.9 प्रतिशत थी जबकि वर्ष 2015-16 में सिर्फ 46.5 ही रह गई।[३]
- भारत उन 3 देशों में शामिल है,जहां ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में कमी, शहरी क्षेत्रों में गरीबी में कमी को पीछे छोड़ दिया है।
- गरीबी को मापने हेतु 10 मानक बनाए गए थे जिसमें संपत्ति,खाना पकाने का ईंधन,स्वच्छता और पोषण जैसे पैमाने भी शामिल किए गए थे।
- भारत सरकार के संदर्भ में सरकार की स्वच्छता अभियान,पोषण अभियान और उज्जवला ने अहम भूमिका निभाई है।
- भारत के 4 राज्यों बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक बहुआयामी गरीबी है।
निर्धनता रेखा
सम्पादननिर्धनता रेखा किसी विशेष देश में आय का न्यूनतम स्तर पर्याप्त माना जाता है निर्धनता आकलन की सर्वमान्य विधि आय अथवा उपभोग स्तरों पर आधारित है।
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन तथा शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से कम उपभोग को गरीब माना गया है| रंगराजन समिति ने उपभोग खर्च (Consumption Expenditure) को गरीबी का आधार बनाया जिसके अनुसार 2011-12 में भारत में कुल 363 मिलियन लोग गरीबहैं, जो भारत की कुल आबादी का 29.6% है।जबकि सुरेश तेंदुलकर समिति के अनुसार भारत में गरीबी 21.9% है।
रंगराजन समिति ने प्रतिदिन प्रति व्यक्ति उपभोग (Daily Per Capita Expenditure) को गरीबी रेखा निर्धारण का आधार बनाया,जो ग्रामीण क्षेत्रों में 32 रुपये एवं शहरी क्षेत्रों में 47 रुपए किया था अर्थात् इससे कम उपभोग करने वाला व्यक्ति गरीब है, जो औसत मासिक रूप में ग्रामीण क्षेत्र में 972 रुपये तथा शहरी क्षेत्रों में 1407 रुपए प्रति व्यक्ति है|
भारत में निर्धनता के कारण (Causes of Poverty in India)
सम्पादन- अधिक जनसंख्या और अशिक्षित लोग
- जाति प्रथा:-इसके कारण जन्म आधारित व्यवसाय करने को जिससे योग्य होने के बावजूद दूसरा कार्य करना सम्भव नहीं हो पाता या अन्य कार्य करना प्रस्थिति के प्रतिकूल माना जाता है|
- कृषि पर अत्यधिक निर्भरता:-देश की लगभग 80% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में रहती है| जो कृषि पर निर्भर है| कृषि उत्पादन संयुक्त परिवार की आवश्यकता पूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं होता| ऐसे में प्राकृतिक आपदा जैसे:–सूखा या बाढ़ स्थिति को और दयनीय कर देता है|
- कालाबाजारी:-किसानों का उत्पाद विचाैलिये के हाथों में जाने से उन्हें अनाज का उचित दाम नहीं मिल पाता है|
- अज्ञानता एवं अंधविश्वास:-कुछ व्यक्ति गरीबी को ईश्वर का दण्ड समझते है, एवं वे कोई प्रयास नहीं करते हैं| साथ ही धार्मिक कर्मकाण्डओ में अपना संचित धन भी खर्च कर देते हैं|
- बेरोजगारी:-कृषि क्षेत्र का तकनीकी पिछड़ापन गरीबी का मुख्य कारण है|
- प्रतिकूल जलवायु:-कुछ स्थानों पर बर्फ बहुत पड़ती है, कुछ जगह रेगिस्तान या पहाड़ है| ऐसे स्थानों पर उत्पादन बहुत कम होता है एवं रोजगार भी नहीं मिलता|