अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 2-3 दिसंबर,1984 की रात मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक संयंत्र से निकली कम से कम 30 टन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस से 6 लाख से ज़्यादा मज़दूर और आसपास रहने वाले लोग प्रभावित हुए थे। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, 15 हज़ार से अधिक लोग इस दुर्घटना में मारे गए थे। लाखों लोग आज भी उस इलाके में मौज़ूद ज़हरीले कणों वाली हवा में साँस लेने को मजबूर हैं। उनकी आने वाली पीढ़ियाँ आज भी साँस संबंधित बीमारियों से जूझ रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1919 के बाद भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी।