मध्यकालीन भारत/खिलजी वंश
बलवन की मौत के बाद सल्तनत कमजोर हो गई और यहां कई बगावतें हुईं। यही वह समय था जब राजाओं ने जलाल उद दीन खिलजी को राजगद्दी पर बिठाया। इससे खिलजी राजवंश की स्थापना आरंभ हुई। इस राजवंश का राजकाज १२९० में शुरू हुआ।
अला उद दीन खिलजी जो जलाल उद दीन खिलजी का भतीजा था, ने षड़यंत्र किया और सुल्तान जलाल उद दीन को मार कर १२९६ में स्वयं सुल्तान बन बैठा। अला उद दीन खिलजी प्रथम मुस्लिम शासक था जिसके राज्य ने पूरे भारत का लगभग सारा हिस्सा दक्षिण के सिरे तक शामिल था। उसने कई लड़ाइयां लड़ी, गुजरात, रणथम्भौर, चित्तौड़, मलवा और दक्षिण पर विजय पाई। उसके 20 वर्ष के शासन काल में कई बार मंगोलो ने देश पर आक्रमण किया किन्तु उन्हें सफलतापूर्वक पीछे खदेड़ दिया गया। इन आक्रमणों से अलाउददीन खिलजी ने स्वयं को तैयार रखने का सबक लिया और अपनी सशस्त्र सेनाओं को संपुष्ट तथा संगठित किया। वर्ष १३१६ में अला उद दीन की मौत हो गई और उसकी मौत के साथ खिलजी राजवंश समाप्त हो गया।[१][२]
मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रंथ पद्मावत में खिलजी का विशेष उल्लेख है।[३]
सन्दर्भ
सम्पादन- ↑ "History lesson: Padmavati was driven to immolation by a Rajput prince, not Ala-ud-din Khalji". पुरालेखित मूल से 25 नवंबर 2017 को पुरालेखित. पहुँच तिथि 25 नवंबर 2017.
- ↑ "'पद्मावती में असल अन्याय ख़िलजी के साथ हुआ है'". पुरालेखित मूल से 24 नवंबर 2017 को पुरालेखित. पहुँच तिथि 21 नवंबर 2017.
- ↑ "Ala-ud-din Khalji: Why the 'people's king' was made out to be a monster by 16th century chroniclers". पुरालेखित मूल से 25 जनवरी 2019 को पुरालेखित. पहुँच तिथि 29 अक्तूबर 2017.
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