सामाजिक संरचना में पुरुषत्व तथा स्त्रीत्व की अवधारणा एवं प्रक्रिया सम्पादन

अवधारणा - स्त्रियों ने अपनी सामाजिक भूमिका को लेकर सोचना-विचारना शुरु किया। स्त्री आंदोलन में जहां एक ओर स्त्रियों की भूमिका को सामने लाने का प्रयास किया गया तथा उनकी सामाजिक,राजनैतिक हिस्सेदारी को स्वीकार किया गया तो वही स्त्री विमर्श ने स्त्री को बहस के केंद्र में लाने का प्रयास किया। जिसमें एक ओर समाज में उनकी निम्न स्थिति को बताया गया तो दूसरी तरफ उनसे जुड़े मुद्दे को बहस के माध्यम से केंद्र में रखा गया। केंद्र में स्वतंत्रता,समानता तथा अस्मिता जैसे प्रश्नों को उठाया गया। जेंडर का प्रश्न अस्मिता के प्रश्न के भीतर से ही उभरता है,जो स्त्री को स्त्री के नजरिए से देखने का प्रश्न उठाता है,स्त्री तथा पुरुष की सामाजिक संरचना पर सवाल खड़ा कर समाज में बहस की मांग करता है। जेंडर का संबंध एक ओर पहचान से होता है, तो दूसरी ओर सामाजिक विकास की प्रक्रिया से होता है। जहां मानव तथा मानव के बीच अंतर किया गया और एक को पुरुष तथा एक स्त्री की संज्ञा दी गई। जेंडर के बारे में विस्तार पूर्वक जानने से पूर्व कुछ विमर्श किया जाए। सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक जानकारी है जो ज्ञान के रास्ते से गुजर कर हमें सोचने समझने का नजरिया प्रदान करता है। हिंदी में विमर्श शब्द का उत्पत्ति अंग्रेजी भाषा के "डिस्कोर्स" नामक शब्द से हुई है तथा डिस्कोर्स शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के डिस्कसरस शब्द से हुई है। इसका अर्थ -बहस, संवाद, वार्तालाप तथा विचारों का आदान-प्रदान। विमर्श को थोड़ा और जानने का प्रयास किया जाए तो विचारों को सीधे तथा सरल रूप में भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त करना विमर्श कहलाता है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में लिखित तथा मौखिक रूप में विचारों की अभिव्यक्ति तथा बातचीत को बृहत प्रमाणित शब्दकोश के तथा वर्ग आदि के अभ्युस्थान के लिए होने वाला वैचारिक मंथन है। फूकों के मतानुसार "विमर्श" शब्दों तथा विचारों की प्रणाली है। जो प्रकृतिस्थ रूप से विचार, व्यवहार तथा अभ्यास के द्वारा व्यवस्थित ढंग से निर्मित होता है। जिसे बातचीत के दौरान हम इस्तेमाल करते हैं।

गैलरी तथा कैरोल टाटर “विमर्श एक ऐसी भाषा है जो सामाजिक आधार पर विषय के ऐतिहासिक अर्थ को खोलती है। या सामाजिक पहचान की भाषा है, जो कभी न्यूटूल नहीं होती है। क्योंकि यह व्यक्ति तथा सामाजिक रूप से जुड़ी होती है।"

इस प्रकार विमर्श सामाजिक, ऐतिहासिक तथा आज के संदर्भ में सोचने, बहस करने, तथा मौखिक संचार का तरीका है, जो भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त होता है। जेंडर का प्रश्न भी विमर्श की इसी तकनीकी को अपनाता है तथा जेंडर पर खुली बहस की मांग करता है।

सामाजिक संरचना में पुरुषत्व तथा स्त्रीत्व की प्रक्रिया- जेंडर शब्द का संबंध प्रांत में भाषा में लिंग अर्थात स्त्रीलिंग तथा पुलिंग से रहा है। अन्य भाषाओं में जेंडर विभाजन की इस प्रक्रिया के तीन रूप स्त्रीलिंग,पुलिंग का प्रयोग किया जाता है। वही वैदिक संस्कृति में स्त्रीलिंग, पुलिंग तथा नपुंसक लिंग का प्रयोग मिलता है।