वह खगोलीय पिंडों की गति

खगोलीय गति

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आलेखः-अशोक कुमार शुक्ला

वर्ष २०१२ ई० मे आजाद हिन्दुस्तान में यह दूसरा अवसर होगा जब मकर संक्रांति पर्व की तिथि परिवर्तित होकर 15 जनवरी हो जायेगी । इससे पूर्व 1950 में इसकी तिथि 13 जनवरी से परिवर्तित होकर 14 जनवरी हुयी थी और तब से इस पर्व को लगातार इसी तिथि को ही मनाया जाता रहा है। मकर संक्रांति के इस रोचक परिवर्तन का खगोलीय वैज्ञानिक आधार है।

वास्तव में जिसे दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है उसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष इस खगोलीय गति में 20 मिनट का अंतर आता है अर्थात सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 365 दिवस और 20 मिनट बाद होता है । इस हिसाब से तीन वर्ष में यह अंतर 1 घंटे का हो जाता है और 24 घंटे का अंतर होने में 72 वर्ष का समय लगता है । यही कारण है कि प्रत्येक 72 वर्ष के बाद मकर संक्रांति का पर्व अगली तिथि में परिवर्तित हो जाता है।

अब अगर समय रेखा पर 72 -72 वर्ष पीछे की ओर जाया जाय तो 72 ग् 15 वर्ष यानी 1080 वर्ष पहले यानी 920 ई0 में मकर संक्रांति का पर्व 1 जनवरी को पडा होगा।

कैलेन्डर से जुडे कुछ रोचक तथ्य

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क्या आपके लिये यह जानना रोचक नहीं है कि किसी भी सामान्य वर्ष की शुरूआत जिस दिन से होती है उसकी समाप्ति भी उसी दिन से होती है अर्थात यदि किसी सामान्य वर्ष में 1 जनवरी का दिवस रविवार है तो उस वर्ष 31 दिसम्बर को भी रविवार ही होगा ।

यह तथ्य सामान्य वषों में लागू होता है लीप वर्ष में नहीं लीप वर्ष में जिस दिन से वर्ष का आरंभ होता है उस वर्ष की समाप्ति उसके अगले दिवस से होती है अर्थात यदि किसी लीप वर्ष में 1 जनवरी का दिवस रविवार है तो उस लीप वर्ष में 31 दिसम्बर का दिवस सोमवार होगा जैसा कि इस वर्ष 2012 में नव वर्ष का आरंभ रविवार दिवस से हुआ हेै और समाप्ति सोमवार से होगी। --Dr. ashok shukla १६:३७, १२ जनवरी २०१२ (UTC)

कुछ और रोचक तथ्य

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वर्ष २०८४ ई० मे मकर संक्रांति पर्व की तिथि परिवर्तित होकर 1६ जनवरी हो जायेगी । इससे पूर्व 1950 में इसकी तिथि 13 जनवरी से परिवर्तित होकर 14 जनवरी हुयी थी और २०१२ में इसकी तिथि 1४ जनवरी से परिवर्तित होकर 1५ जनवरी हुयी थी मकर संक्रांति के इस रोचक परिवर्तन का खगोलीय वैज्ञानिक आधार है।