विद्युत इंजीनियरिंग तथ्यसमुच्चय--१

  • ट्रांसफॉर्मर सबसे अधिक दक्षता वाला विद्युत मशीन है। बडे ट्रान्सफॉर्मरों की दक्षता ९९% या उससे अधिक भी हो सकती है।
  • ट्रान्सफॉर्मर की कोर किसी उच्च पारगम्यता (परमिएबिलिटी) वाला पदार्थ (जैसे- सी आर जी ओ) होता है। इसके उपयोग से कम आवृत्ति (जैसे ५० हर्ट्ज) के ट्रान्सफॉर्मरों में कम फेरे (टर्न्स) लगाने के बावजूद भी मैगनेटिजिंग धारा (लोड धारा की तुलना में ) बहुत कम होती है। कम पारगम्यता की कोर (जैसे हवा) वाला ट्रान्सफॉर्मर तो बनाया जा सकता है किन्तु उसकी मैग्नेटिजिंग धारा बहुत अधिक होगी।
  • यदि किसी ट्रान्सफॉर्मर की प्राइमरी V1 वोल्टता और f1 आवृत्ति के लिये डिजाइन की गयी है तो उसको V2, f2 पर चलाया जाय तो उसकी कोर के संतृप्त (सैचुरेट) होने का खतरा रहता है, यदि V2 / f2 > V1 / f1 . ट्रान्सफॉर्मर की कोर सैचुरेट होने पर वह अपेक्षाकृत बहुत अधिक मैग्नेटाइजिंग धारा लेने लगती है और गरम हो जाती है।
  • प्रेरण मोटर ( इंडक्शन मोटर) को उद्योग का 'कामकाजी घोडा (वर्किंग हॉर्स) कहते हैं।
  • कर्षण (ट्रैक्शन) के लिये सबसे उपयुक्त विद्युत मोटर -- डी सी सिरीज मोटर
  • डी सी सिरीज मोटर, डी॰सी॰ और ए॰सी॰ दोनों से चल सकती है। इसलिये इसे 'यूनिवर्सल मोटर' भी कहते हैं।
  • घरों में प्रयुक्त मिक्सर-ग्राइन्डर में यूनिवर्सल मोटर लगी होती है।
  • डी सी सिरीज मोटर को बहुत कम लोड पर नहीं चलाना चाहिये क्योंकि कम लोड होने पर उसकी चाल बहुत अधिक हो सकती है जिससे मोटर में यांत्रिक खराबी आ सकती है।
  • वर्तमान समय में विश्व की विद्युत शक्ति का अधिकांश भाग तुल्यकालिक मशीनों (सिन्क्रोनस मशीन्स या अल्टरनेटर) द्वारा उत्पन्न की जाती है।
  • तुल्यकालिक मोटर का आरम्भिक बलाघूर्ण (स्टार्टिंग टॉर्क) शून्य होता है, अतः यह स्वतः चालू नहीं हो सकती।
  • एक-फेजी प्रेरण मोटर का आरम्भिक बलाघूर्ण भी शून्य होता है।
  • नियन्त्रण की दृष्टि से डीसी मशीनों का उपयोग सरल कार्य है। किन्तु शक्ति इलेक्ट्रॉनिकी (पॉवर इलेक्ट्रानिक्स्) के उपयोग से विद्युत मशीनों एवं पॉवर सिस्टम में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए हैं।
  • तुल्यकालिक मशीन का उपयोग शक्ति गुणांक में सुधार करने के लिये भी किया जाता है।
  • स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर के रोटर में उच्च प्रतिरोध लगाकर उच्च स्टार्टिंग टॉर्क प्राप्त किया जा सकता है।

विद्युत प्रणाली (पॉवर सिस्टम)

सम्पादन
  • विद्युत प्रणाली की आवृत्ति कम होना उत्पादन की अपेक्षा उपभोग अधिक होने का संकेत करता है। आवृत्ति को सही मान पर वापस लाने के लिए टरबाइन से जनित्र को और अधिक शक्ति देने की जरूरत होती है। अर्थात आवृत्ति कम होने लगे तो टरबाइन के वाल्व और अधिक खोलने पड़ेंगे।
  • विद्युत प्रणाली की वोल्टता कम होना यह संकेत करता है कि लोड अधिक मात्रा में रिएक्टिव पॉवर ले रहे हैं। अर्थात जनित्र को और अधिक रिएक्टिव शक्ति उत्पन्न करनी चाहिए। इसके लिए सरल तरीका है कि अल्टरनेटर की फिल्ड वाइन्डिंग में धारा बढ़ा दी जाय। ऐसा करने से जनित्र के सिरों पर वोल्टता बढ़ जाती है और यह अधिक मात्रा में रिएक्टिव शक्ति की माँग को पूरा करते हुए विद्युत प्रणाली की वोल्टता को सही स्तर पर ला देता है।
  • अधिक दूरी तक विद्युत ट्रान्समिशन के लिए उच्च वोल्टता का उपयोग किया जाता है क्योंकि समान विद्युत शक्ति भेजने के लिए लाइनों में कम धारा बहानी पड़ती है। इससे ट्रान्समिशन लाइनों में होने वाली I2R शक्ति ह्रास (loss) कम होती है।
  • प्रति इकाई प्रणाली (per unit system) उपयोग करने के बहुत से लाभ हैं। इसका उपयोग आंकड़ों को ज्यादा अर्थपूर्ण बना देता है। दूसरे आंकड़ों से तुलना करने में बहुत आसानी होती है। विभिन्न उपकरणों का pu मान की एक छोटी सीमा होती है जबकि उनके वास्तविक मानों की सीमा बहुत बड़ी हो सकती है। उदाहरण के लिए एक छोटे ट्रान्सफॉर्मर की वाइन्डिंग का प्रतिरोध और एक बहुत बड़े ट्रान्सफॉर्मर की वाइण्डिंग का प्रतिरोध के वास्तविक मान में हजारों गुना का अन्तर हो सकता है किन्तु pu में व्यक्त करने पर उनके मान लगभग समान होंगे (जैसे .005 pu)।
  • कोई उपभोक्ता कितनी विद्युत ऊर्जा खर्च करता है, इतना ही जानना पर्याप्त नहीं है। यह भी जानना जरूरी है कि वह किस शक्ति गुणांक (power factor) पर यह ऊर्जा लिया है। कहीं वह बहुत कम शक्ति गुंणांक (जैसे 0.5) पर या और भी कम पर तो ऊर्जा नहीं ले रहा है? इसको इस तरह से समझा जा सकता है। मान लीजिए मोहन और गीता दोनों किसी महीने में ५०० यूनिट बिजली खर्च किए। मोहन ने यह बिजली 0.96 शक्ति गुणांक पर ली जबकि गीता ने यह बिजली 0.48 के शक्ति गुणांक पर। इसका मतलब यह है कि मोहन ने लाइन से जितनी धारा ली, गीता ने लाइन से उससे दोगुनी धारा ली। दोगुनी धारा लेने वाले ने लाइन में I2R शक्ति ह्रास ज्यादा कराया। इतना ही नहीं, मान लीजिए कि किसी गाँव में १००० केवीए का ट्रान्सफॉर्मर लगा है। मान लीजिए सभी लगों का खर्च १ केवीए है। यदि सभी लोग शक्ति गुणांक =१ पर धारा लेते हैं तो यह ट्रान्सफॉर्मर गाँव के १००० घरों को विद्युत दे सकता है। किन्तु यदि सब लोग 0.5 शक्ति गुणांक पर बिजली लेना शुरू कर दें तो वह ट्रान्सफॉर्मर केवल ५०० घरों को ही बिजली दे पाएगा। इसलिए या तो ५०० घरों की बिजली एक समय में कातनी पड़ेगी। या १००० केवीए का एक और टान्सफॉर्मर लगाना पड़ेगा।

(अपूर्ण)