"कार्यालयी हिंदी/प्रशासनिक पत्राचार के स्वरूप और विशेषताएँ": अवतरणों में अंतर

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केंद्रीय या प्रांतीय सरकारें कार्य-संचालन की सुविधा के लिए अनेक कार्यालयों की व्यवस्था करती हैं। ये कार्यालय देश के एक कोने से दूसरे कोने तक फैले रहते हैं। उनका सम्बन्ध पत्रों द्दारा स्थापित होता है। सरकारी कार्यालयों में सबसे अधिक प्रयोग पत्राचार से ही होता है। पत्र सरकारी कार्यालयों में उनकी कार्य-पध्दति एवं सम्प्रेषण की रीढ़ की हड्डी होती है। "जब एक सरकार दूसरी राज्य सरकार को अर्थात भारत सरकार राज्य सरकार को, एक राज्य सरकार दूसरी राज्य सरकार को, अपने से सम्बन्ध या अपने अधीनस्थ कार्यालयों एवं विभागों, सरकारी संगठनों, संस्थाओं, बैंकों, कर्मचारी संघों, तथा सामान्य जनता विभिन्न विषयों पर पत्र लिखती अथवा उत्तर देती हैं तब उन्हें सरकारी या प्रशासकीय पत्र कहते है। सरकार द्दारा विदेशी सरकारों, उनके राजदूतावासों, स्वदेश स्थित कार्यालयों तथा अन्तर्राष्टीय संगठनों को लेखे गये पत्र भी इसी वर्ग में आते है। पत्र के कच्चे रूप को आलेखन या मसौदा तैयार करना कहा जाता है। जिसे कार्यालयीन सहायक एवं वरिष्ठ लिपिक तैयार करते है। प्रारूप को फिर से पढ़कर अपने उच्च अधिकारी के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाता है। अधिकारी संशोधित कर टंकित या साइक्लोस्टाइल कर कार्यालय को प्रेषित करते है। तद्नुसार पत्राचार के अलग-अलग रूप निशि्चत किए गये है। कार्यालयों में कभी साधारण पत्र ,तत्काल,अर्दध्-सरकारी, तार देना होता है। यही नहीं कार्यालय-ज्ञापन द्दारा सूचना देने, अनौपचारिक टिप्पणी मंत्रालयों में छुट्टी के घोषणा, प्रेस नोट प्रसारित अत: कार्य, महत्व और अवसर की आवश्यकतानुसार विभिन्न रूपों के पत्रों का प्रयोग किया जाता है।
 
===सरकारी पत्राचार की विशेषताएँ===
 
पत्राचार मुनुष्य की समाजशीलता का प्रमाण माना जाता है। इच्छाओं, आवश्यकताओं के साथ भावों और विचारों के परस्पर आदान-प्रदान के माध्यम से सामाजिक रिश्तों के निर्माण और निर्वहन में पत्राचार में महत्वपूर्ण योगदान होता है। निजी-व्यवहार और व्यावसायिक तथा प्रशासकीय कार्यों के लिए पत्राचार आवश्यक ही नहीं, एक अनिवार्य माध्यम रहा है। केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में प्रयुक्त पत्रों की रचना-प्रक्रिया, शैली तथा भाषा की अपनी विशिष्ट परम्परा व पध्दति होती है। सामान्यत: सरकारी पत्र विशिष्ट ढ़र्रे पर चलते हैं, उनमें न तो स्वतन्त्र विचारों, भावों का स्थान होता है, न ही स्वतन्त्र शैली का, परन्तु युग परिवर्तन के साथ जिस प्रकार शासन-प्रणाली बदलती है, उसी प्रकार उसकी कार्य-पध्दति में भी बदलाव आना जरूरी है। अत: प्रशासनीक पत्र लिखने के कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ है--
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६) '''वैशिष्ट्यपूर्ण भाषा-शैली''':- पत्राचार की भाषा और सहित्यिक भाषा में पर्याप्त अन्तर होता है। सरकारी पत्रों में साहित्य से सम्बन्धित मुहावरों, कहावतों, तथा शेरो-शायरी आदि कदापि उपयोग नहीं किया जाता। सरकारी पत्रों की भाषा प्राय: निशि्चत शब्दावली, वाक्य-विन्यास तथा विषय के अनुरूप शब्दों, वाक्यांशों प्रयोग किया जाता है। पत्र की भाषा में अप्रचलित और दुर्बोध शब्दों का कभी प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए वरना पत्र की भाषा उबारू तथा अरूचिपूर्ण हो जायेगी। इस प्रकार, सरकारी पत्र की भाषा में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
 
 
 
==संदर्भ==