"कार्यालयी हिंदी/प्रशासनिक पत्राचार के स्वरूप और विशेषताएँ": अवतरणों में अंतर

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६) '''वैशिष्ट्यपूर्ण भाषा-शैली''':- पत्राचार की भाषा और सहित्यिक भाषा में पर्याप्त अन्तर होता है। सरकारी पत्रों में साहित्य से सम्बन्धित मुहावरों, कहावतों, तथा शेरो-शायरी आदि कदापि उपयोग नहीं किया जाता। सरकारी पत्रों की भाषा प्राय: निशि्चत शब्दावली, वाक्य-विन्यास तथा विषय के अनुरूप शब्दों, वाक्यांशों प्रयोग किया जाता है। पत्र की भाषा में अप्रचलित और दुर्बोध शब्दों का कभी प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए वरना पत्र की भाषा उबारू तथा अरूचिपूर्ण हो जायेगी। इस प्रकार, सरकारी पत्र की भाषा में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
 
===संदर्भ===
 
१. प्रयोजनमूलक हिन्दी: सिध्दान्त और प्रयोग--- दंगल झाल्टे। पृष्ठ-- १७०-१७२