"भाषा विज्ञान और हिन्दी भाषा/शब्द और पद में अंतर और हिन्दी शब्द भण्डार के स्रोत": अवतरणों में अंतर

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* भाषाविज्ञान की भूमिका --- आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा । दीपि्त शर्मा । पृष्ठ - २२२
 
===हिन्दी शब्द भण्डार के स्त्रोतस्रोत===
 
भाषा की समृध्दिसमृद्धि तथा गत्यात्मक विकास के लिए उसका शब्द-समूह विशेष महत्व रखता है। भाषा-विकास के साथ उसकी अभिव्यक्ति शक्ति में भी वृध्दि होती है। इस प्रकार भाषा में नित्य परिवर्तन होता रहता है। भाषा का सम्बन्ध विश्व भर की भाषाओं से होता है। विभिन्न भाषा-भाषाओं के विचारों, भावों के आदान-प्रदान से भाषाओं के विशिष्ट शब्दों का भी विनिमय होता है। इस प्रकार भाषाओं के शब्द-भण्डार को उस भाषा का शब्द-समूह कहा जाता है।
विश्व भर की अन्य भाषाओं की तरह हिन्दी के शब्द-समूह को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है--
१) परम्परागत शब्द २) देशज(देशी) शब्द ३) विदेशी शब्द।
 
१) [['''परम्परागत शब्द''']]:- परम्परागत शब्द भाषा को विरासत में मिलते हैं। हिन्दी में ये शब्द संस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रंश की परम्परा से आए हैं। ये शब्द तीन प्रकार के हैं- १)तत्सम शब्द, २)अधर्दअर्द्ध तत्सम, ३)तद्भव शब्द।
 
१) '''तत्सम शब्द''':- तत्सम शब्द का अर्थ संस्कृत के समान - समान ही नहीं , अपितु शुध्द संस्कृत के शब्द जो हिन्दी में ज्यों के त्यों प्रचलित हैं। हिन्दी में स्त्रोत की दृष्टि से तत्सम के चार प्रकार हैं--