"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर

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'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि केशवदास द्वारा रचित रामचंद्रिका के तीसरा प्रभाव से लिया गया है
 
'''प्रसंग :''' इस पद के द्वारा केशवदास क्षमा मांगते हुए इस पद को लिखने की आज्ञा मांगते हैं
 
'''व्याख्या : १.''' केशवदास कहते हैं कि बच्चों को, युवकों और युवतियों को समझने के लिए, यह जो काव्य मार्ग है, काव्य लेखन का मार्ग आघात है इसी का में वर्णन करने जा रहा हूं इसका मार्ग बहुत कठिन है मुझे क्षमा करना कि मुझसे कोई गलती हो जाए तो
 
'''२.''' केशवदास कहते हैं कि मैंने इस कविप्रिया पुस्तक को इसीलिए लिखा है कि जिससे कविता के अघात रहस्य को स्त्री तथा बालक भी समझ सके अंतः कविगण मेरा अपराध क्षमा करें |