"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर
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'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि केशवदास द्वारा रचित कविप्रिया के तीसरा प्रभाव से लिया गया है
'''प्रसंग :''' इस पद के माध्यम से कवि ने तीन अर्थ किए हैं यह तीन अर्थ तीन लोगों (कवि, व्यभिचारी और चोर)के संदर्भ में है
'''व्याख्या :''' (कवि पक्ष) कवि कविता के प्रत्येक चरण को लिखते समय बहुत चिंतन करता है उसे नींद और शोर नहीं सुहाता कवि केवल 'सुबरण' अर्थात रस के अनुकूल वर्ण को ढूंढता रहता है|
(व्यभिचारी पक्ष) व्यभिचारी व्यक्ति बहुत सोच-विचारकर काम करता है अन्य लोग सोते रहे और शोर न करें ऐसी स्थिति उन्हें अपने अनुकूल लगती है वह 'सुंदर रंग वाली' नायिका को खोजता रहता है
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