"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति ५२:
'''विशेष १.''' इस छंद में सुंदर श्लेष अलंकार का वर्णन है|
'''राचत रंच न दोष युत, कविता, बनिता मित्र ।'''
'''बुंदक हाला परत ज्यों, गंगाघट अपवित्र ।5/4||'''
|