"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति ७३:
'''जधपि सुजाति सुलक्षणी, सुबरन सरस सुवृत्त ।'''
'''भूपण बिन न विराजई, कविता वनिता मित्त|1/5||
'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि केशवदास द्वारा रचित कविप्रिया के पांचवा प्रभाव से लिया गया है
|