"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर

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{{center|पांचवा प्रभाव}}
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'''जधपि सुजाति सुलक्षणी, सुबरन सरस सुवृत्त ।'''
 
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जहां अलंकार-योजना प्रति केशव को कठोर आग्रह नहीं है, वहां उनकी कविता अत्यन्त हृदयग्राही और सरस हैं। उपमा-अलंकार का एक उदाहरण देखिए- दशरथ-मरण के उपरांत भरत जब महल में प्रवेश करते हैं तो वे माताओं को वृक्ष विहीन लताओं के समान पाते हैं।
 
'''विशेष १.''' यह पद स्त्रियों के संदर्भ में कविता के संदर्भ में है
 
{{center|कविता}}