"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर
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'''कीन्हे छत्र छितिपति, केशोदास गणपति,'''
'''दसन, बसन, बसुमति कह्याचार है।'''
'''बिधि कीन्हों आसन, शरासन असमसर,'''
'''आसन को कीन्हो पाकशासन तुषार है।'''
'''हरि करी सेज हरिप्रिया करो नाक मोती,'''
'''हर कत्यो तिलक हराहू कियो हारु है।'''
'''राजा दशरथसुत सुनौ राजा रामचन्द्र,'''
'''रावरो सुयश सब जग को सिगारु है|(66/8)'''
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