"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति १०५:
'''रावरो सुयश सब जग को सिगारु है|(66/8)'''
 
'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि केशवदास द्वारा रचित कविप्रिया के पांचवा प्रभाव के कविता से संकलित किया गया है
 
'''प्रसंग :''' इस कविता में दशरथ सुत राजा रामचंद्र का गुणगान किया गया है| कवि प्रशस्ति के रूप में राम की कीर्ति का बखान करता है