"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर

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'''चेतुरे चेतु अजौ चितु अंतर अंतकलोक अकेलोहि जैहै|56||'''
 
'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि केशवदास द्वारा रचित कविप्रिया के छठा प्रभाव के सवैया से संकलित किया गया है
 
'''प्रसंग :''' केशवदास मनुष्य को संसार की परिस्थितियों से परिचित कराते हुए इस सवैया को लिखते हैं
 
'''व्याख्या :''' तेरे साथी ये हाथी-घोडे और नौकर-चाकर नहीं है । न गाँव और घर ही तेरा साथ देगे, इनका तो नाम तक लुप्त हो जायगा। पिता, माता, पुत्र मित्र और धन मे से कोई भी तेरे साथ न रहेगा। 'केशवदास' कहते हैं कि तू काम आनेवाले राम को भूल रहा है और तो सब व्यर्थ है, तेरे काम न आवेंगे । अब भी मन मे सावधान हो जा, क्योकि यमलोक को तो तुझे अकेला ही जाना पडेगा