"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर

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'''रावरो सुयश सब जग को सिगारु है|(66/8)'''
 
 
'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि केशवदास द्वारा रचित कविप्रिया के पांचवा प्रभाव के कविता से संकलित किया गया है
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'''चेतुरे चेतु अजौ चितु अंतर अंतकलोक अकेलोहि जैहै|56||'''
 
 
'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि केशवदास द्वारा रचित कविप्रिया के छठा प्रभाव के सवैया से संकलित किया गया है