"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति ८७:
'''विशेष १.''' यह पद स्त्रियों के संदर्भ में कविता के संदर्भ में है
 
{{center|(कविताकवित्त)}}
 
'''कीन्हे छत्र छितिपति, केशोदास गणपति,'''
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'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि केशवदास द्वारा रचित कविप्रिया के पांचवा प्रभाव के कविताकवित्त से संकलित किया गया है
 
'''प्रसंग :''' इस कविता में दशरथ सुत राजा रामचंद्र का गुणगान किया गया है| कवि प्रशस्ति के रूप में राम की कीर्ति का बखान करता है
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'''विशेष १.''' भक्ति को पद है संसार में सब कुछ व्यर्थ है क्षीणकता का प्रभाव डाला है क्षीणकता के साथ-साथ ईश्वर की महामाया पर प्रभाव डाला है मृत्यु अंतिम सत्य है
 
'''२.''' मार्मिक पद है
 
{{center|(गणेश जी का दान वर्णन)}}
{{center|(कवित्त)}}