"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/बिहारी": अवतरणों में अंतर

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'''मेरी भववाधा हरौ, राधा नागरि सोय।'''
 
'''जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।।'''