"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/बिहारी": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति २०:
 
'''जब जब वै सुधि कीजिए, तब तब सब सुधि जाहिँ।'''
 
'''आँखिनु आँखि लगी रहै, आँखैं लागति नाहिं।।'''