"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/बिहारी": अवतरणों में अंतर

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'''५.''' प्रसंगों की उटा करने में इनमें स्वागत विशेषता अवश्य दिखाई देती है
 
 
'''उन हरकी हंसी कै इतै, इन सौंपी मुस्काइ।'''
 
'''नैना मिले मन मिल गए, दोउ मिलवत गाइ'''
 
 
'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिसिद्ध कवि बिहारी लाल द्वारा रचित बिहारी सत्साई से लिया गया है
 
'''प्रसंग :''' इस पद में कृष्ण और नायिका के मिलन को बहुत ही सुंदर ढंग से दर्शाया गया है
 
'''व्याख्या :''' जब श्री कृष्ण जी गाय चराने के लिए मथुरा में जा रहे हैं तो नायिका भी अपनी गायों के झुंड को उसी में मिला देती है और इसी तरह दोनों की आंखें मिलती है और फिर मन भी मिल जाते हैं
 
'''विशेष १.''' नायक के आभूषण का वर्णन किया गया है
 
'''२.''' श्लेष अलंकार है उपेक्षा अलंकार है