"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/बिहारी": अवतरणों में अंतर

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'''व्याख्या :''' जब श्री कृष्ण जी गाय चराने के लिए मथुरा में जा रहे हैं तो नायिका भी अपनी गायों के झुंड को उसी में मिला देती है और इसी तरह दोनों की आंखें मिलती है और फिर मन भी मिल जाते हैं
 
'''विशेष १.''' नायक के आभूषण का वर्णन किया गया है
 
'''२.''' श्लेष अलंकार है उपेक्षा अलंकार है
 
 
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'''व्याख्या :''' नायक नायिका के नाक की शोभा का वर्णन करता है और कहता है कि राधा जी की नाक मैं एक सुंदर सी मणिजङित सीक है और वह ऐसे दिखाई दे रही है जैसे चपे की कली पर भंवरा बैठा हुआ हो
 
'''विशेष १.''' नायक के आभूषण का वर्णन किया गया है
 
'''२.''' श्लेष अलंकार है उपेक्षा अलंकार है