"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/बिहारी": अवतरणों में अंतर
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'''व्याख्या :''' बिहारी जी कहते हैं की नायिका इतनी सुंदर है सारे चित्रकार नायिका के रूप सौंदर्य को चित्रित करने के लिए अभिमान से बैठे हैं लेकिन उनका अभिमान टूट जाता है क्योंकि नायिका इतनी सुंदर है कि चित्रकारों को बार-बार नायिका की सुंदरता परिवर्तित होती दिखाई देती है चतुर चित्रकार लोग ऐसे कितने ही आए लेकिन कोई भी चित्र चित्रत नहीं कर पाए |विकृत बुद्धि वाले कितने ही चित्रकार अभिमान से भरे हुए थे लेकिन कोई भी नायिका का चित्र नहीं बना सका
'''विशेष १.''' बिहारी ने लड़ाई करके नित प्रति पल बदलते सौंदर्य का वर्णन किया है
'''२.''' अद्भुत सौंदर्य का वर्णन किया गया है
'''३''' अपार सौंदर्य का वर्णन किया गया है
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