"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/बिहारी": अवतरणों में अंतर

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'''२.''' भाषा की समाज शक्ति का प्रयोग किया है
 
 
'''रनित भृृग-घंटावली झरित दान-मधुनीरु।'''
 
'''मंद-मंद आवतु चल्यौ कुंजरु-कुंज-समीरु॥'''
 
'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिसिद्ध कवि बिहारी लाल द्वारा रचित बिहारी सत्साई से लिया गया है
 
'''प्रसंग :''' प्रकृति और बसंत ऋतु के आने का सुंदर वर्णन किस पद के द्वारा किया गया है
 
'''व्याख्या :'''