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"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/रहीम": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति ७४:
'''विशेष्य-''' *कोयल के माध्यम से व्यक्त किया गया है
* मेंढक जैसे लोग महान बने फिर रहे हैं
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* मेंढक जैसे लोग महान बने फिर रहे हैं
'''५''' '''प्रेम-पंथ ऐसो कठिन, सब काउ निबहत नाहि'''