"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/घनानंद": अवतरणों में अंतर

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'''रसप्याय कै ज्याय,बढाए कै प्यास,बिसास मैं यों बिस धोरियै जू .'''
 
 
'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिमुक्त कवि घनानंद द्वारा रचित सुजानहित से संकलित किया गया
 
'''प्रसंग :''' इस पद के माध्यम से घनानंद सुजान पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि तुमने मुझे तन्हा और अकेला छोड़ दिया
 
'''व्याख्या :'''