"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/रहीम": अवतरणों में अंतर

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'''व्याख्या-''' रहीम दास जी कहते हैं कि व्यक्ति को किसी भी चीज की अति नहीं करनी चाहिए | व्यक्ति को अपनी हद में रहते हुए अपनी मर्यादा का पालन करना चाहिए जैसे सैजन के वृक्ष में जब जरूरत से ज्यादा फूल आते हैं तो डाल और पत्ते टूट जाते हैं इसी लिए किसी भी चीज की अति न करो |
 
 
'''विशेष-''' * पद में बिंबात्मकता है
 
* लोक कल्याण की बात की गई है
 
* छंद- दोहा , नीति का दोहा ,